उत्तराखंड: फोन की लास्ट लोकेशन बताएं प्लीज!
नवभारत टाइम्स | Jul 2, 2013, 12.00AM IST
नई दिल्ली।। उत्तराखंड की त्रासदी में गुम हुए लोगों की सटीक जानकारी जुटाने के लिए सरकार टेक्नॉलजी का सहारा लेगी। सरकार ने सभी मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों से कहा है कि वह उत्तराखंड में आई तबाही के बाद वहां फंसे लोगों के मोबाइल की लास्ट लोकेशन पता लगाए। इससे मिली जानकारी का डेटा बेस सरकार पब्लिक डोमेन में डालेगी। सरकार को उम्मीद है कि इससे वह सबसे वैज्ञानिक तरीके से गुम लोगों की जानकारी हासिल सकती है।
कब आई लास्ट कॉल
सभी मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों से कहा गया है कि प्रभावित इलाके में गए लोगों की जानकारी वह मुहैया करएए। इसमें उस फोन की ठीक-ठीक लोकेशन को बताने को कहा गया जहां से अंतिम कॉल की गई या हुई या फिर एसएमएस की गई। फिर उस लोकेशन के इर्द-गिर्द उनकी खोज होगी।
कब आई लास्ट कॉल
सभी मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों से कहा गया है कि प्रभावित इलाके में गए लोगों की जानकारी वह मुहैया करएए। इसमें उस फोन की ठीक-ठीक लोकेशन को बताने को कहा गया जहां से अंतिम कॉल की गई या हुई या फिर एसएमएस की गई। फिर उस लोकेशन के इर्द-गिर्द उनकी खोज होगी।
अब मिलेगा सटीक अनुमान
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम के अधिकारियों के मुताबिक, त्रासदी के शुरुआती दिनों में इस तकनीक का इस्तेमाल करना मुमकिन नहीं था। क्योंकि उस वक्त वहां कई सामान्य लोगों के भी फोन ऑफ हो गए थे। अब जो उनमें सुरक्षित हैं उनके फोन ऑन हो गए हैं। अब भी जिनके फोन बंद हैं और जिनके बारे में कुछ पता नहीं चल रहा है उनके करीब जाने में अब यह तकनीक मदद करेगी।
कंपनियां मदद करने को तैयार
मोबाइल ऑपरेटर कंपनियां सरकार की मदद करने को तैयार है। सेल्युलर ऑपरेटर असोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट राजन मैथ्यूज ने कहा कि उनसे डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम ने संपर्क किया है। इस बारे में सभी कंपनियां सामूहिक कोशिश करने की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इसमें थोड़ी बहुत गलती की गुंजाइश बनी रहेगी जैसे कि कुछ फोन खो गए होंगे या खराब हो गए होंगे। उन्होंने कहा कि मोबाइल कंस्यूमर की भी जिम्मेदारी होगी कि ऐसी सूरत में वह सरकार तक सही सूचना पहुंचाए।
गूगल की एक और पहल
इस बीच लोगों की मदद के लिए गूगल ने एक और पहल की है। इसके तहत अपने होमपेज से गूगल क्राइसिस रेस्पांस' को जोड़ा है। इससे सभी राज्यों के कंट्रोल रूम, कैंप और मेडिकल सेंटर समेत राहत और बचाव कार्य से जुड़ी सभी ताजी जानकारी मौजूद रहेगी। इस साइट पर अब तक बचाए गए और यहां फंसे लोगों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध होगी। इसके अलावा उन जगहों के बारे में भी जानकारी मिलेगी जहां मोबाइल के सिग्नल मिलते हैं। गूगल ने यहां फंसे लोगों को खोजने के लिए भी पहल की है। आपको जिस व्यक्ति की तलाश है उसका नाम 9 77 33 00 000 पर एसएमएस भेजकर जानकारी हासिल की जा सकती है।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम के अधिकारियों के मुताबिक, त्रासदी के शुरुआती दिनों में इस तकनीक का इस्तेमाल करना मुमकिन नहीं था। क्योंकि उस वक्त वहां कई सामान्य लोगों के भी फोन ऑफ हो गए थे। अब जो उनमें सुरक्षित हैं उनके फोन ऑन हो गए हैं। अब भी जिनके फोन बंद हैं और जिनके बारे में कुछ पता नहीं चल रहा है उनके करीब जाने में अब यह तकनीक मदद करेगी।
कंपनियां मदद करने को तैयार
मोबाइल ऑपरेटर कंपनियां सरकार की मदद करने को तैयार है। सेल्युलर ऑपरेटर असोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट राजन मैथ्यूज ने कहा कि उनसे डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम ने संपर्क किया है। इस बारे में सभी कंपनियां सामूहिक कोशिश करने की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इसमें थोड़ी बहुत गलती की गुंजाइश बनी रहेगी जैसे कि कुछ फोन खो गए होंगे या खराब हो गए होंगे। उन्होंने कहा कि मोबाइल कंस्यूमर की भी जिम्मेदारी होगी कि ऐसी सूरत में वह सरकार तक सही सूचना पहुंचाए।
गूगल की एक और पहल
इस बीच लोगों की मदद के लिए गूगल ने एक और पहल की है। इसके तहत अपने होमपेज से गूगल क्राइसिस रेस्पांस' को जोड़ा है। इससे सभी राज्यों के कंट्रोल रूम, कैंप और मेडिकल सेंटर समेत राहत और बचाव कार्य से जुड़ी सभी ताजी जानकारी मौजूद रहेगी। इस साइट पर अब तक बचाए गए और यहां फंसे लोगों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध होगी। इसके अलावा उन जगहों के बारे में भी जानकारी मिलेगी जहां मोबाइल के सिग्नल मिलते हैं। गूगल ने यहां फंसे लोगों को खोजने के लिए भी पहल की है। आपको जिस व्यक्ति की तलाश है उसका नाम 9 77 33 00 000 पर एसएमएस भेजकर जानकारी हासिल की जा सकती है।
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