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Wednesday, July 10, 2013

आपराधिक मामले में दोषी ठहराये जाते ही सांसद, विधायक होंगे अयोग्य: न्यायालय

आपराधिक मामले में दोषी ठहराये जाते ही सांसद, विधायक होंगे अयोग्य: न्यायालय

Wednesday, 10 July 2013 16:38

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि जिन सांसदों व विधायकों को किसी अपराध के मामले में सजा सुनाई जाएगी, उसी समय से उनकी सदस्यता रद्द कर दी जायेगी।

उच्चतम न्यायालय ने आपराधिक मामलों में दोषी ठहराये जाने के बाद उच्च न्यायालय में अपील लंबित होने के दौरान सांसदों और विधायकों को अयोग्यता से संरक्षण प्रदान करने वाला जनप्रतिनिधित्व कानून का प्रावधान आज निरस्त कर दिया। 
न्यायमूर्ति ए के पटनायक और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8:4: को अधिकारातीत करार देते हुये कहा कि दोषी ठहराये जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है।
न्यायालय ने स्पष्ट किया किया कि यह फैसला भावी मामलों में ही लागू होगा और उन सांसदों, विधायकों या अन्य जन प्रतिनिधियों के मामलों में लागू नहीं होगा जो यह फैसला सुनाये जाने से पहले ही दोषी ठहराने के निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर कर चुके हैं।

जन प्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान के अनुसार के आपराधिक मामले में दोषी ठहराये गये किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकेगा यदि उसने उच्च न्यायालय में अपील दायर कर दी है।
शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता लिली थॉमस और गैर सरकारी संगठन लोक प्रहरी के सचिव एस एन शुक्ला की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया। इन याचिकाओं में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 :4: को निरस्त करने का अनुरोध करते हुये कहा गया था कि इस प्रावधान से संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन होता है। 
याचिका में कहा गया था कि संविधान में एक अपराधी के मतदाता के रूप में पंजीकृत होने या फिर उसके सांसद या विधायक बनने पर प्रतिबंध है  लेकिन जन प्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान दोषी सांसद और विधायकों को अदालत के निर्णय के खिलाफ दायर अपील लंबित होने के दौरान पद पर बने रहने की छूट प्रदान करता है। याचिका के अनुसार यह प्रावधान पक्षपात करने वाला है और इससे राजनीतिक के अपराधीकरण को बढ़ावा मिलता है।

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