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Monday, July 8, 2013

एएफएसपीए में बदलाव पर किया जाना चाहिए विचार : उमर अब्दुल्ला

एएफएसपीए में बदलाव पर किया जाना चाहिए विचार : उमर अब्दुल्ला

Monday, 08 July 2013 14:28

श्रीनगर। विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (एएफएसपीए) को लेकर जारी गतिरोध से अलग हट कर समाधान निकालने की कोशिश में आज जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अशांत क्षेत्रों में अभियान के लिए सशस्त्र बलों को छूट देने वाले इस कानून में बदलाव करने का सुझाव दिया। 
उन्होंने एएफएसपीए के बारे में कहा कि अगर इस कानून को रद्द करना केंद्र को स्वीकार्य नहीं है तो इसमें बदलाव पर विचार किया जाना चाहिए।
राज्य में 23 साल पहले लागू किया गया यह कानून नवंबर 2014 में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के लिए एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा है।
जम्मू कश्मीर के जो हिस्से अपेक्षाकृत शांत हैं, वहां से भी एएफएसपीए हटाने के लिए उमर केंद्र को समझाने में नाकाम रहे। उन्होंने कहा कि घाटी में हुई घटनाओं के कारण इस कानून को रद्द करने के पक्ष और विपक्ष में राय बनी है।   
मुख्यमंत्री ने कहा 'यह कहने वाला मैं पहला व्यक्ति हूं कि बेमिना में :उग्रवादियों के हाथों आठ सैनिकों की मौत: और उसके बाद बांदीपोरा में :सेना की गोलीबारी में दो युवकों की मौत: जो हुआ उससे एएफएसपीए को रद्द करने के पक्ष में और विरोध में दलीलें मजबूत हुई हैं।'
प्रेस ट्रस्ट को दिए एक साक्षात्कार में उमर ने कहा, ''इसलिए पूरी तरह विरोधी दो तरह के नजरियों के बीच एक साझा आधार खोजना महत्वपूर्ण है।'
यह पूछे जाने पर कि क्या वह एएफएसपीए के लिए बीच के रास्ते का सुझाव दे रहे हैं, मुख्यमंत्री ने कहा 'कुछ लोगों ने एएफएसपीए में बदलाव का और कुछ ने इसे लचीला बनाने का सुझाव दिया है।'

उन्होंने कहा 'अगर यह कानून रद्द करने की आपकी इच्छा नहीं है तो बदलाव के बारे में सोचिये। यह एक संभावना है।'
उमर ने राज्य सरकार द्वारा जन सुरक्षा कानून में बदलाव किए जाने का उदाहरण दिया। इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना सुनवाई के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव से पहले उमर की कोई 'विश लिस्ट' है, मुख्यमंत्री ने एएफएसपीए को उन मुद्दों में से एक बताया जिन पर वह चाहते हैं कि केंद्र फैसला करे। उन्होंने कहा 'हां, मैं चाहूंगा कि एएफएसपीए पर हमारा विचारविमर्श आगे बढ़े।'
उन्होंने कहा 'मैं उन बाध्यताओं को समझता हूं जिनके तहत सेना अभियान चला रही है। बेमिना में जो हुआ, उससे मेरे विचार से यह जाहिर होता है कि सेना को अभियान चलाने के लिए कानूनी आवरण की जरूरत है।'
मुख्यमंत्री ने कहा 'मुझे उम्मीद है कि अभियान के लिए कानूनी आवरण और इस कानून के तहत मिली छूट के बीच हम बीच का एक आधार खोज सकेंगे। छूट की वजह से बांदीपोरा जैसी घटनाएं हुई हैं।'
उन्होंने वर्ष 2010 में माचिल में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ जैसी विवादित घटनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'हमें ऐसी घटनाओं से बचने की जरूरत है। मैं समझता हूं कि सेना के अभियान चलाने के लिए कानूनी आवरण जरूरी है और हम इसे बनाए रखेंगे। यही है जिसे हम आगे ले जाना चाहते हैं।''

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