अंडाल विमान नगरी का निर्माण पूरा हुआ लेकिन जमीन विवाद सुलझा नहीं!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
अंडाल विमान नगरी का काम पूरा हुआ बताया जाता है लेकिन जमीन विवाद अभी नहीं सुलझ रहा है। वाम सरकार ने 2009-10 के दौरान इस विमान नगरी के लिए कुल 1818 एकड़ जमीन दी थी लीज पर।इसमें से मात्र 650 पर हवाई अड्डा बनकर तैयार है। वाम जमाने में हुए लीज समझौते के मुताबिक बाकी जमीन पर अवासीय परियोजनाएं बननी है।नय़ी सरकार इस लीज समझौते को ही सिरे से खारिज कर रही है। इसके अलावा सत्तादल समर्थकों की ओर से अलग से अधिग्रहण के खिलाफ जमीन बचाओ आंदोलन जारी है।
मां माटी मानुष की सरकार का कहना है कि अधिग्रहित जमान पर आवासीय परियोजनाओं में जो जमीन या आवास खरीदेंगे ,उन्हें राज्य सरकार को अलग से 10 प्रतिशत शुल्क देना होगा। जबकिफरियोजना से जुड़े निजी क्षेत्र का पक्ष यह है कि इस जमीन के लिए पहले ही आठ प्रतिशत का स्टांप शुल्क का भुगतान कर दिया गया है। अब अतिरिक्त शुल्क काहे का।
इसके अलावा मां माटी मानुष की सरकार का कहना है कि लीज पर दी गयी जमीन के
हस्तांतरण से पहले सरकारी अनुमति लेने की बाध्यता होगी।
पीपीपी माडल पर बन रहे अंडाल एअरपोर्ट नगरी को लेकर निजी क्षेत्र के पार्टनर के साथ
सरकार के विवाद के इन दो बेसिक मुद्दों को सुलझाने के लिए अब नये मंत्री समूह का गठन कर दिया गया है।इस मंत्री समूह के सद्स्य हैं उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी,वित्तमंत्री अमित मित्र,पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ,श्रम मंत्री पुर्मेंदु बसु और नगर विकास मंत्री फिरहाद हकीम।
चलिये,कम से कम लीज समझौते के लिए विवाद सुलझाने के लिए तो कोशिश हो रही है। लेकिन अधिग्परङम के खिलाफ जो भूमि आंदोलन चल रहा है, उसका क्या होगा?
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