By Shamsher Singh Bisht
राहत कार्य, छैः माह के लिए सेना व अर्धसैनिक संगठनों को सौंपा जाय
अल्मोड़ा- 9 जुलाय- लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह कोई नहीं चाहेगा की सिविल प्रशासन से व्यवस्था चलाने के बजाय सैनिक प्रशासन से व्यवस्था चलाने की माॅंग की जाय । लेकिन उत्तराखंड में आई यह आपदा से यह स्पष्ट हो गया है, उत्तराखंड की सरकार आपदा से निपटे में पूरी तरह से असफल हुई है ।सेना की मदद से ही आपदाग्रस्त क्षेत्रों से लाख से अधिक लोगों की जान बचाई गई। अगर यह कार्य बहुगुणा सरकार के जिम्मे होता तो आधे से अधिक लोगों को अपनी जान गॅंवानी पढ़ती। मरने वालों की संख्या तब 60 हजार से उपर होेती।
आज उत्तराखंड में जो राहत कार्य चल रहा है, वह भी बिल्कुल असफल हो गया है। अभी धारचूला से 60 की0मी0 दूर बालिंग गॅाव मे राहत ना मिलने से आहत 28 वर्षीय युवक दान सिंह बंग्याल ने अपने उपर मिट्टी का तेल डालकर जान देने का प्रयास किया, जिसमें उसकी मृत्यु हो गई । इस गाॅव में चारों तरफ से रास्ता टूटने के कारण आज भी 60 लोग फॅंसे हैं, कोई राहत इस गॅंाव में नहीं पहॅुच पाई है । दूसरी तरफ भाजपा के विधायक सुरेन्द्र सिंह जीना जो आपदाग्रस्त क्षेत्रों के नाम से दो ट्रक राहत साम्रगी दिल्ली से लाये थे। उन्होंने इस आपदा राहत को आपदा क्षेत्रों में ना बॅंाटकर, अपने चुनाव क्षेत्र स्यालदे, जॅंहा कोई आपदा ही नहीं आई वॅंहा बाॅंट दिये। विधायक के इस कृत्य से जनता में जबरदस्त रोष है, केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत के पुत्र राहत देने के बजाय, कांग्रेस के बड़े-बड़े बैनर लेकर आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में निकले हैं, सोनिया व राहुल गॅंाधी के चित्रों के साथ राहत साम्रगी वितरण हो रही है। पीडि़तो को राहत देने के बजाय, कांगे्रस के प्रचार को अधिक महत्व दे रहे हैं इसलिए कांग्रेस के छुटभयया नेताओं के माध्यम से ही सामान वितरित किया जा रहा है जिससे भविष्य में लोगों का कांग्रेस को वोट देने का ध्यान बना रहे ।
उत्तराखंड में अधिकांश सड़के क्षतिग्रस्त हो गई हैं । सरकारी कर्मचारी, नेता व अधिकारी हेलीकाप्टर से ही जाना चाहते हैं । उत्तराखंड के 95 प्रतिशत क्षेत्र में हेलीकाप्टर नहीं जा सकता है, अधिकांश अधिकारी व कर्मचारी सड़क में बाटकर इतीश्री कर रहे हैं । पीडि़तो को सड़क के किनारे बुलाया जा रहा है। आज स्थिति ऐसी है की अधिकांश लोग सड़क किनारे आ नहीं सकते हैं, इसलिए राहत साम्रगी पीडि़तो को पहुॅंच नहीं पा रही है। अब विभ्भींन क्षेत्रों मे भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई है । उत्तराखंड के अधिकांश जनप्रतिनिधी ठेकेदारी के धन्धे से निकले हैं । इस लिए भविष्य के नाम पर जो भी राहत कार्य होगा , इन्हीं ठेकेदार जनप्रतिनिधियों के द्वारा होगा, जो आने वाले चुनाव के लिए भी अपना फंड बनायेंगे, जैसे पिछले आपदाओं में हुआ है । इस लिए अगर आपदा पीडि़तो को राहत पहुचॅंानी है तो तत्काल राहत साम्रगी बॅंाटने का कार्य फिलहाल 6 माह के लिए सेना व पैरामिलिट्री फोर्स को सौप देना चाहिए । यह उत्तराखंड लोक वाहिनी मॅंाग करती है ।
-शमशेर सिंह बिष्ट
9412092061
अल्मोड़ा- 9 जुलाय- लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह कोई नहीं चाहेगा की सिविल प्रशासन से व्यवस्था चलाने के बजाय सैनिक प्रशासन से व्यवस्था चलाने की माॅंग की जाय । लेकिन उत्तराखंड में आई यह आपदा से यह स्पष्ट हो गया है, उत्तराखंड की सरकार आपदा से निपटे में पूरी तरह से असफल हुई है ।सेना की मदद से ही आपदाग्रस्त क्षेत्रों से लाख से अधिक लोगों की जान बचाई गई। अगर यह कार्य बहुगुणा सरकार के जिम्मे होता तो आधे से अधिक लोगों को अपनी जान गॅंवानी पढ़ती। मरने वालों की संख्या तब 60 हजार से उपर होेती।
आज उत्तराखंड में जो राहत कार्य चल रहा है, वह भी बिल्कुल असफल हो गया है। अभी धारचूला से 60 की0मी0 दूर बालिंग गॅाव मे राहत ना मिलने से आहत 28 वर्षीय युवक दान सिंह बंग्याल ने अपने उपर मिट्टी का तेल डालकर जान देने का प्रयास किया, जिसमें उसकी मृत्यु हो गई । इस गाॅव में चारों तरफ से रास्ता टूटने के कारण आज भी 60 लोग फॅंसे हैं, कोई राहत इस गॅंाव में नहीं पहॅुच पाई है । दूसरी तरफ भाजपा के विधायक सुरेन्द्र सिंह जीना जो आपदाग्रस्त क्षेत्रों के नाम से दो ट्रक राहत साम्रगी दिल्ली से लाये थे। उन्होंने इस आपदा राहत को आपदा क्षेत्रों में ना बॅंाटकर, अपने चुनाव क्षेत्र स्यालदे, जॅंहा कोई आपदा ही नहीं आई वॅंहा बाॅंट दिये। विधायक के इस कृत्य से जनता में जबरदस्त रोष है, केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत के पुत्र राहत देने के बजाय, कांग्रेस के बड़े-बड़े बैनर लेकर आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में निकले हैं, सोनिया व राहुल गॅंाधी के चित्रों के साथ राहत साम्रगी वितरण हो रही है। पीडि़तो को राहत देने के बजाय, कांगे्रस के प्रचार को अधिक महत्व दे रहे हैं इसलिए कांग्रेस के छुटभयया नेताओं के माध्यम से ही सामान वितरित किया जा रहा है जिससे भविष्य में लोगों का कांग्रेस को वोट देने का ध्यान बना रहे ।
उत्तराखंड में अधिकांश सड़के क्षतिग्रस्त हो गई हैं । सरकारी कर्मचारी, नेता व अधिकारी हेलीकाप्टर से ही जाना चाहते हैं । उत्तराखंड के 95 प्रतिशत क्षेत्र में हेलीकाप्टर नहीं जा सकता है, अधिकांश अधिकारी व कर्मचारी सड़क में बाटकर इतीश्री कर रहे हैं । पीडि़तो को सड़क के किनारे बुलाया जा रहा है। आज स्थिति ऐसी है की अधिकांश लोग सड़क किनारे आ नहीं सकते हैं, इसलिए राहत साम्रगी पीडि़तो को पहुॅंच नहीं पा रही है। अब विभ्भींन क्षेत्रों मे भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई है । उत्तराखंड के अधिकांश जनप्रतिनिधी ठेकेदारी के धन्धे से निकले हैं । इस लिए भविष्य के नाम पर जो भी राहत कार्य होगा , इन्हीं ठेकेदार जनप्रतिनिधियों के द्वारा होगा, जो आने वाले चुनाव के लिए भी अपना फंड बनायेंगे, जैसे पिछले आपदाओं में हुआ है । इस लिए अगर आपदा पीडि़तो को राहत पहुचॅंानी है तो तत्काल राहत साम्रगी बॅंाटने का कार्य फिलहाल 6 माह के लिए सेना व पैरामिलिट्री फोर्स को सौप देना चाहिए । यह उत्तराखंड लोक वाहिनी मॅंाग करती है ।
-शमशेर सिंह बिष्ट
9412092061
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