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Friday, April 12, 2013

शाहबाग ज़िन्दाबाद

शाहबाग ज़िन्दाबाद

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

http://hastakshep.com/?p=31410

भारत में अर्थव्यवस्था, राजनीति,समाज और जीवन के हर क्षेत्र में बहुसंख्य जनता नस्लवादी वंशवादी आधिपात्यवादी जायनवादी मनुस्मृति व्यवस्था के तहत अंत्यज, अपांक्तेय और बहिष्कृत है। मुक्त बाजार के वधस्थल पर मारे जाने को वे नियतिबद्ध हैं। पर सत्य यह है कि विज्ञान और तकनीक के मामले में भारत सचमुच सुपरपॉवर है। हमारे यहाँ मीडिया सर्वशक्तिमान है तो सोशल मीडिया का भी जबर्दस्त विकास हुआ है। एक दशक पहले भाषाय़ी सोशल मीडिया सिरे से गायब था। वैकल्पिक मीडिया बतौर कुछ लघुपत्रिकायें ही हमारे हाथ में थी। पर मोबाइल क्रान्ति की वजह से आज भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले गर्व करने लायक है। भाषायी सोशल मीडिया का बहुत तेज विकास हुआ है। सोशल मीडिया के जरिये स्टिंग ऑपरेशन हो रहे हैं। लेकिन बांग्लादेश में सोशल मीडिया और ब्लागरों ने कट्टर इस्लामी राष्ट्रवाद के विरुद्ध लोकतन्त्र और धर्मनिरपेक्षता का जो आन्दोलन छेड़ा हुआ है और उसके जरिये पूरे बांग्लादेश को एक सूत्र में जोड़ दिया है, उसके मुकाबले में हम अपने विज्ञान और तकनीकी विकास को तो हिन्दू राष्ट्र के एजण्डे में ही खपा रहे हैं। हम क्यों तकनीक के जरिये कोई जन प्रतिरोध की पहल करने में चूक रहे हैं, यह सवाल हमरी प्रतिबद्धता और ईमानदारी पर प्रश्नचिह्न खड़े करती है। क्यों हम यह मुहिम छेड़ नहीं सकते कि घोटालों की जाँच के लिये अगर राष्ट्रपति का संवैधानिक रक्षाकवच बाधक है तो कालाधन के तिलिस्म को तोड़ने के लिये इस राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग लगाया जाना चाहिये,यह आवाज बुलंद नहीं कर सकते?बांग्लादेश के ब्लागरों ने

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

युद्धअपराधियों के विरुद्ध महासंग्राम छेड़ दिया हैपर हम बलात्कारियों की फाँसी के लिये महाताण्डव मचाकर सैन्य बल के रक्षाकवच को यथावत रखते हुये कानून तो बना लेते हैंपर भोपाल गैस त्रासदीबाबरी विध्वंससिख नरसंहार और गुजरात दंगों के दोषियों के विरुद्ध,मानवता के युद्दअपराधियों की फाँसी की माँग दबे स्वर से भी उठाने में नाकाम हैं! हम आर्थिक सुधारों के विरुद्ध, कॉरपोरेट अश्वमेध यज्ञ के खिलाफ, बिल्डर प्रोमोटर माफिया राज धन बल और बाहुबल के खिलाफ, बायोमेट्रिक नागरिकता के खिलाफ, जल-जंगल-जमीन और नागरिकता, आजीविका और जीवन व प्रकृति से बेदखली के खिलाफ मामूली सी हलचल पैदा करने में भी नाकाम हैं। शर्म! शर्म! शर्म!

और दावा यह किया जा रहा है कि अगले आम चुनाव में सोशल मीडिया लोकसभा की 160 सीटों को प्रभावित कर सकता है! अगर यह सच है तो जनादेश को धर्मान्ध राष्ट्रवाद के जरिये बदलकर एक अल्पमत सरकार बार बार पिछले बीस साल से जनसंहार संस्कृति का शंखनाद करने में कामयाब क्यों है?

धर्मान्ध हिन्दू राष्ट्रवाद के पताका तले हम तो बांग्लादेश और पाकिस्तान के कट्टरपंथियों के साथ खड़े हैं! हमें इसका जरा सा अंदेशा नहीं है जबकि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना नेईशनिन्दा कानून बनाने की माँग ठुकरा दी है। इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों ने चेतावनी दी थी कि सरकार ने उनका 13 सूत्रीय एजेण्डा नहीं माना तो पाँच मई से देश भर में हिंसक प्रदर्शन होंगे। इस एजेण्डे में ईशनिन्दा कानून बनाना और नास्तिक ब्लॉगरों को फाँसी की सजा देना शामिल है।

भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश जल रहा है। हालात कुछ-कुछ 1971 के मुक्ति संग्राम जैसे ही हैं। 1971 के मुक्ति संग्राम में इस्लामी कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों ने आन्दोलन के दमन में तत्कालीन पाकिस्तानी हुकूमत की मदद की थी लेकिन राजनीतिक कारणों से इसके नेता अब तक बचते आ रहे थे। अब नई पीढ़ी इन्हें सजा-ए-मौत दिलाने पर आमादा है जिसके लियेढाका में शाहबाग मूवमेंट चल रहा है।

बांग्लादेश में एक बार फिर बदलाव की बयार बह रही है। फरवरी में ढाका का शाहबाग चौक तहरीर स्क्वायर बन गया। नौजवानों की ऊर्जा और गुस्से ने इस इलाके को प्रोजोन्मो छॉतोर करार दिया। प्रोजोन्मो छातोर यानि नई पीढ़ी का चौराहा। इस चौक में वो युवा पीढ़ी उमड़ती रही जिसमें आक्रोश है उन अपराधों को लेकर जिन्हें उनके जन्म से भी पहले 1971 के मुक्ति संग्राम में अंजाम दिया गया। पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी इसी मुक्ति संग्राम की देन थी। लेकिन इस मुक्ति संग्राम के दौरान कुछ घर के भेदिए भी थे जिन्होंने पाकिस्तानी फौज का साथ दिया। जमात ए इस्लामी को उन्हीं कट्टरपंथी संगठनों में से एक माना जाता है। लोगों का ये गुस्सा तब और भड़क उठा जब इस मूवमेंट से जुड़े एक ब्लॉगर राजीव हैदर का घर लौटते हुये कत्ल कर दिया गया। लोगों ने जमात के नेताओं को सजा देने की माँग और तेज कर दी।

हम हिन्दुत्व के जयघोष के साथ हिन्दू राष्ट्र के एजण्डे के साथ दुनिया भर के हिन्दुओं की बलि चढ़ाने के लिये तैयार हैं, हमे बांग्लादेश या पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं की कतई परवाह नहीं है।

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