Dear friends , What are doing SCs , STs and OBCs ' Ministers / MPs / MLAs / IASs / IPSs / PCSs ( C ) / PCS ( J ) and office bearers of all parties , if the SCs can not take water from the govt. canal ? Why can not they start an agitation for it as Dr. Ambedkar agitated in Mahad ( Maharashtar ) to get the permission to drink water from the common tank ? We should expose Mr. MANUWADI MODI in every state !
jay guru dav
jay bheem........
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मोदी के गुजरात में नहर से पानी भी नहीं ले सकते दलित!
फॉरवर्ड प्रेस ,अहमदाबाद,11अप्रैल2013.
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जब देश के सामने गुजरात को विकास के मॉडल के रूप में पेश कर रहे हैं इसी बीच सूखे की मार झेल रहे सौराष्ट्र के देहाती इलाकों में दलितों को नहर से पीने का पानी लेने पर भी पाबंदी का मामला उजागर हुआ है। राजकोट कलेक्टर ने भी माना है कि सुदूर देहात में इस प्रकार की घटना हो सकती है, उप जिला कलेक्टर मामले की जांच कर रहे हैं।गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 12 साल से प्रदेश की सत्ता पर काबिज हैं तथा देश के समक्ष गुजरात को आज वे विकास के मॉडल के रूप में पेश कर रहे हैं लेकिन राजकोट में आशियाना बचाने के डर से पांच लोगों के सामूहिक आत्मदाह की घटना की स्याही अभी सूखी भी नहीं थी कि राजकोट के ही देहाती इलाकों में दलितों को नर्मदा नहर से पीने का पानी नहीं लेने देने का मामला प्रकाश में आया है। जसदल तहसील के चितलिया गांव के दलितों ने जिला कलेक्टर को इस संबंध में अपनी शिकायत की जिसमें कहा है कि जसदण के करीब दस गांवों में अकाल की स्थिति है लोगों को पीने का पानी भी मुहैया नहीं है ऐसे में नर्मदा नहर के पानी पर भी गांव के दबंग सवर्णो ने पहरा बिठा दिया है। दलित समुदाय के लोग या महिलाएं नहर से पानी लेने जाते हैं तो उन्हें जाति सूचक शब्दों से अपमानित किया जाता है।जसदण के स्थानीय लोगों का कहना है कि सौराष्ट्र में इस बार बारिश नहीं होने से सूखे के हालात हैं, राजकोट के ग्रामीण इलाकों में पीने का पानी की भी तंगी है। चितलिया, परेवाला, जीवापुर, नानी लखवाड़, कनेसरा, खडववाड़ी, कोठी, बरवाला व देवधारी आदि गांवों में दलित समुदाय कोली जाति के लोगों के करीब सौ परिवार हैं, पीने के पानी के लिए यह पूरी तरह नर्मदा नहर के पानी पर निर्भर हैं। गांव के ही सवर्ण दबंग बोरवेल के जरिए पानी ले लेते हैं लेकिन दलितों को नर्मदा नहर तक जाने भी नहीं देते। नर्मदा नहर की मुख्य कैनाल पर दबंगों का पहरा है तथा शाखा नहर में पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंचती ऐसे में इन परिवारों को पीने के पानी के भी लाले पड़ गए हैं। दलित समुदाय के लोगों ने इसकी शिकायत राजकोट कलेक्टर डॉ राजेंद्र कुमार से की जिस पर उन्होंने उपजिला कलेक्टर आर एच गढवी को इसकी जांच सौंप दी। कलेक्टर ने इस संबंध में कहा कि इस प्रकार की घटना संभव नहीं है लेकिन दूरस्थ इलाकों में कहीं ऐसी घटना होने की जानकारी में आई है जिसकी जांच चल रही है। जबकि उप जिला कलेक्टर गढवी इस संबंध में कुछ भी कहने से
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मोदी के गुजरात में नहर से पानी भी नहीं ले सकते दलित!
फॉरवर्ड प्रेस ,अहमदाबाद,11अप्रैल2013.
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जब देश के सामने गुजरात को विकास के मॉडल के रूप में पेश कर रहे हैं इसी बीच सूखे की मार झेल रहे सौराष्ट्र के देहाती इलाकों में दलितों को नहर से पीने का पानी लेने पर भी पाबंदी का मामला उजागर हुआ है। राजकोट कलेक्टर ने भी माना है कि सुदूर देहात में इस प्रकार की घटना हो सकती है, उप जिला कलेक्टर मामले की जांच कर रहे हैं।गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 12 साल से प्रदेश की सत्ता पर काबिज हैं तथा देश के समक्ष गुजरात को आज वे विकास के मॉडल के रूप में पेश कर रहे हैं लेकिन राजकोट में आशियाना बचाने के डर से पांच लोगों के सामूहिक आत्मदाह की घटना की स्याही अभी सूखी भी नहीं थी कि राजकोट के ही देहाती इलाकों में दलितों को नर्मदा नहर से पीने का पानी नहीं लेने देने का मामला प्रकाश में आया है। जसदल तहसील के चितलिया गांव के दलितों ने जिला कलेक्टर को इस संबंध में अपनी शिकायत की जिसमें कहा है कि जसदण के करीब दस गांवों में अकाल की स्थिति है लोगों को पीने का पानी भी मुहैया नहीं है ऐसे में नर्मदा नहर के पानी पर भी गांव के दबंग सवर्णो ने पहरा बिठा दिया है। दलित समुदाय के लोग या महिलाएं नहर से पानी लेने जाते हैं तो उन्हें जाति सूचक शब्दों से अपमानित किया जाता है।जसदण के स्थानीय लोगों का कहना है कि सौराष्ट्र में इस बार बारिश नहीं होने से सूखे के हालात हैं, राजकोट के ग्रामीण इलाकों में पीने का पानी की भी तंगी है। चितलिया, परेवाला, जीवापुर, नानी लखवाड़, कनेसरा, खडववाड़ी, कोठी, बरवाला व देवधारी आदि गांवों में दलित समुदाय कोली जाति के लोगों के करीब सौ परिवार हैं, पीने के पानी के लिए यह पूरी तरह नर्मदा नहर के पानी पर निर्भर हैं। गांव के ही सवर्ण दबंग बोरवेल के जरिए पानी ले लेते हैं लेकिन दलितों को नर्मदा नहर तक जाने भी नहीं देते। नर्मदा नहर की मुख्य कैनाल पर दबंगों का पहरा है तथा शाखा नहर में पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंचती ऐसे में इन परिवारों को पीने के पानी के भी लाले पड़ गए हैं। दलित समुदाय के लोगों ने इसकी शिकायत राजकोट कलेक्टर डॉ राजेंद्र कुमार से की जिस पर उन्होंने उपजिला कलेक्टर आर एच गढवी को इसकी जांच सौंप दी। कलेक्टर ने इस संबंध में कहा कि इस प्रकार की घटना संभव नहीं है लेकिन दूरस्थ इलाकों में कहीं ऐसी घटना होने की जानकारी में आई है जिसकी जांच चल रही है। जबकि उप जिला कलेक्टर गढवी इस संबंध में कुछ भी कहने से
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