Follow palashbiswaskl on Twitter

ArundhatiRay speaks

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Tuesday, August 27, 2013

भुला दिये गये सुदीप्त की मौत को लेकर आंदोलन का मौका नहीं कामरेडों को। छात्र संघ चुनाव पूजा के बाद।

भुला दिये गये सुदीप्त की मौत को लेकर आंदोलन का मौका नहीं कामरेडों को। छात्र संघ चुनाव पूजा के बाद।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


दिल्ली में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अमित मित्र के साथ बदसलूकी ने छात्र नेता सुदीप्त गुप्त की पुलिस हिरासत में मृत्यु को लेकर एसएफआई और माकपा के आंदोलन का पटाक्षेप कर दिया।पंचायत चुनावों के जरिये राज्य राजनीति में वापसी की कवायद भी फेल हो गयी, लिकिन इस बीच कामरेडों ने सुदीप्त को भुला दिया।अब मानवाधिकार आयोग की रपट में सुदीप्त की मौत के लिए पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया गया है। जाहिर है कि राज्य सरकार इस रपट पर कोई कार्रवाई नहीं करने जा रही है। लेकिन माकपाइयों को इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करने का मौका अब नये सिरे से शायद ही मिले।



सुदीप्त की मौत राज्य के कालेजों में छात्रसंघ चुनावों पर निषेधाज्ञा के खिलाफ छात्र आंदोलन की वजह से हुई।अब मानवाधिकार कमीशन की रपट आते न आते शिक्षा मंत्री बरात्य बसु ने ऐलान कर दिया है कि छात्र संघ के चुनाव पूजा के बाद हो जायेंगे।


तृणमूल कांग्रेस की इस त्वरित कार्रवाई ने माकपा के लिए छात्र आंदोलन के जरिये वापसी का रास्ता भी बंद कर दिया।


राज्य सरकार छात्र संघ चुनावों के लिए नियमावली 15 - 20 दिनों में सार्वजनिक करने जा रही है। नियमावली का काम लगभग खत्म है। शिक्षा मंत्री ने विधान शबा में यह घोषणा की।इसके सात ही उन्होंने साफ करा दिया कि छात्र संघ चुनावों पर रोक लगाने की सरकार की कोई मंशा नहीं है। फरवरी में माध्यमिक ,उच्चमाध्यमिक और मदरसा परीक्षाएं होने की वजह से ही चुनाव स्थगित कर दिये गये थे।


इस बीच राज्य मानवाधिकार कमीशन ने सुदीप्त की मौत पर अपनी रपट जारी करते हउए इस मौत के लिए पुलिस लापरवाही को वजह बतायी है।कमीशन ने राज्य सरकार से दिवंगतछात्र नेता के परिवार को दस लाख रुपये का हरजाना देने के लिए कहा है।लैंप पोस्ट से धक्का लगने के कारण सुदीप्त की मौत हो गयी, इस पुलिसिया बयान को कमीशन ने सिरे से खारिज कर दिया है।


गौरतलब है कि इस साल 2 अप्रैल को एसएफआई की ओर से आहूत 'कानून तोड़ो आंदोलन' में शामिल सुदीप्त की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी। मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस लाठीचार्ज में सुदीप्त की मौत हुई है जबकि पुलिस का कहना है कि बस में जाते वक्त बिजली के खंभे से धक्का लगने के कारण उसकी मौत हुई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पुलिस की बात को सही बताया था। घटना के अगले ही दिन मानवाधिकार आयोग ने कोलकाता के पुलिस आयुक्त से मामले में रिपोर्ट मांगी थी। आयोग के रजिस्ट्रार रवीन्द्रनाथ सामंत और एडीजी दंगल ने भी जांच शुरू की थी। सोमवार को पुलिस की रिपोर्ट और अपनी रिपोर्ट पर मानवाधिकार आयोग के बेंच ने विचार-विमर्श किया। बैठक में आयोग के चेयरमैन अशोक कुमार गंगोपाध्याय, अवकाश प्राप्त न्यायाधीश नारायण चंद्र सील एवं पूर्व अधिकारी सोरिन राय उपस्थित थे।

आयोग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि घटना वाले दिन कोलकाता पुलिस की ओर से अगर सतर्कता बरती गई होती को सुदीप्त की मौत नहीं होती। साथ ही यह भी कहा गया कि जिस बस से यह दुर्घटना घटी थी, उसके चालक का ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। सारी बातों को ध्यान में रखते हुए आयोग की ओर से सुदीप्त के परिजनों को 10 लाख रुपये और आंदोलन में घायल जोसेफ हुसैन को तीन लाख रुपये बतौर क्षतिपूर्ति देने की सिफारिश की गई है।



लेकिन खबरयह है कि राज्य सरकार इस रपट के तहत कोई कार्वाई नहीं करने जा रही है और न ही सुदीप्त के परिवार को कोई मुआवजा दिया जायेगा।





No comments: