लाल नील झंडे में खिला खिला चांद मेहनतकशों के ख्वाबों,उम्मीदों का
বাংলা বাঁচাতে হলে তৃণমূলে হটাতে হবে, ব্রিগেডের মঞ্চে বললেন ইয়েচুরি
http://abpananda.abplive.in/video/yechury-attacks-ruling-party-at-cpm-brigade-rally-164096
पलाश विश्वास
शायद बहुत दिनों बाद दिवास्वप्न देख रहा था मैं।अब भी ख्वाबों का वाशिंदा हूं मुकम्मल।फिर अपनी मेहनतकश जनता के ख्वाबों में एकाकार हैं हमारे ख्वाब भी।
जन्मजात बुरी आदत है,मौत तक छूटेगी नहीं लगता है।
हुआ यूं कि साढ़े दस बजे के करीब बांकुड़ा पुरुलिया से एक लंबा सा जुलूस हावड़ा स्टेशन पर ट्रेन से निकलकर सड़कों पर उतरा।जुलूस में लाल नील झंडे एकाकार थे।
और उनमें फिर वही खिला खिला चांद मेहनतकशों के ख्वाबों का।
चूंकि बहुजनों के हकहकूक की बातें हो रही थीं और कोटा और आरक्षण लागू न होने की बातें भी हो रही थीं,हमें लगा कि वाम दर्शन में कोई बुनियादी परिवर्तन हो गया।
बांग्ला चैनल न्यूज टाइम में यह जुलूस लाइव था,जिसमें प्लेनम के सफेद झंडों के साथ साथ नीले झंडे भी लहरा रहे थे लाल आंधी में।मुश्किल यह है कि मेरा पीसी दूसरे कमरे में है और रिकार्ड करने के लिए वेब कैम के अलावा कोई दूसरा कैमरा हमारे पास नहीं है।
हम तुरंत पीसी पर जमके बइठ गये।
उससे पहले आनंद तेलतुंबड़े को खुसखबरी सुनायी और कहा कि टीवी पर देख लें कि कुछ अभूतपूर्व हो रहा है।
जयभीम कामरेड का नजारा पेश हो रहा है।
आनंद ने कहा कि जाति उन्मूलन का फोरम बना है माकपा का। अगर ऐसा है तो संभव है कि कुछ अच्छा भी हो।
आनंद ने कहा किवैसे बहुजन नीले झंडे देखकर मौज में वामपक्ष के साथ आ जायेंगे ,ऐसी उम्मीद भी नहीं है।
हमने कहा कि गोलबंदी के लिहाज से नील लाल मिलाप की शुरुआत से वोट समीकरण में फर्क ना भी पड़े तो अस्मिताओं और जाति,धर्म मेंं बंटे देश में परिवर्तन के लिए एक फीसद बहुजनों का भी वर्गीय ध्रूवीकरण के तहत मेहनतकशों के साथ खड़ा हो जाना उम्मीद का सूरज बनकर दहक सकता है।
पीसी पर बैठकर हमने वेब कैम लगाकर हमने टीवी चैनलों की लाइव स्ट्रीम दर्ज करने बैठ गये और हमें एको झंडा नील कहीं नहीं दिखा।फेसबुक पर हमारे प्रतिबद्ध कामरेड दिनभर तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करते रहे।
एक एक तस्वीर जांच ली,एक एक वीडियो देख लिया,लेकिन सुबह हमने टीवी पर जो देखा,वह नजारा सिरे से गायब ही रहा।
फिर टीवी,एजंसियों और समाचार के साथ साथ यू ट्यूब और गुगल खंगाल डाले और ब्रिगेड के किसी भी कोने में कोई नीला झंडा नजर नहीं आया।नीला रंग सिरे से गायब।लापता बहुजन समाज।
जाहिर है कि हमारी नजर में ऐसा कुछ हुआ नहीं है कि अभूतपूर्व हो गया।कोलकाता में हम पट्टीस सालों से ब्रिगेड रैलियां देखते आ रहे हैं।वाम शासनकाल में पहले कांग्रेस और ममता बनर्जी की रैलियां बहुत बड़ी बड़ी देखे हैं तो ममताराज में वाम रैलियां भी कम नहीं हुई है।भीड़ के मामले में कोई रैली किसी से अलग नहीं है।
फिजां कायमत की है।मुकम्मल कयामत की फिजां है।
जार्ज आरवेल का 1984 का अंजाम डिजिटल इंडिया है।
अखबार और मीडिया में जापानी तेल है,वियाग्रा है,राकेट कैप्सूल है।
वैकल्पिक मीडिया वजूद के लिए आखिरी सांसे गिन रहा है।
ख्वाबों और उम्मीदों पर कड़ा पहरा है।
हर चिनगारी गिरफ्तार है।
हर चीख का अंजाम का राष्ट्रद्रोह है।
इस्लामिक वाइरस है कोई।
राजकाज के खिलाफ,अश्वमेध के खिलाफ,वैदिकी हिंसा के खिलाफ चूं नहीं किया तो तुरंते इस्लामिक वाइरल है क्योंकि इस्लामिक स्टेट के खिलाफ महाजुध तेलजुध अरब वंसत गोरक्षा आंदोलन और सनी सहिष्णुता का मुकम्मल पेशवा राज बिरंची बाबा का जलवा धुंआधार पूंजी बहार मुक्तबाजारी धर्मोन्मादी हकीकत।
जिनने अंबेडकर जयंती डंके के चोट पर मनायी।जिनने बाबासाहेब को विष्णु भगवानो बना दिया और संविधान दिवस भी राजकीय हो गया,वे मनुस्मृति शासन,मनुस्मृति आधिपात्य और ग्लोबल मनुस्मृति मुक्त बाजार,बाजारबंधु राजकाज के धारक वाहक हैं।
हम उन्हें मनुस्मृति दहन दिवस की याद दिलाते रहे गये लेकिन उन्होंने मनुस्मृति दिवस मनाया नहीं है।
हर कोई जाति को मजबूत बनाने के फिराक में है।
दावा हिंदू राष्ट्र का है।
दावा हिंदू ग्लोब का है।
हिंदुओं को जाति और पहचान के तहत लाखों टुकड़ों में बांटने का मुकम्मल इंतजाम है यह हिंदू राष्ट्र।
हम सोच रहे थे कि हमारे कामरेड कम से कम जाति तोड़ने के हक में होंगे क्योंकि जाति तोड़े बिना वर्गीय ध्रूवीकरण हो ही नहीं सकता चाहे आप हजार तरीके से जाति बज्जाति,धर्म अधर्म ध्रूवीकरण, सांप्रदायिक राजनीति और धर्म के किलाफ रोवे या चिल्लाये।
हमारे दिवंगत मित्र त्रिपुरा के वाम मंत्री और दलित कवि अनिल सरकार तजिंदगी वामपक्ष की जमीन पर अंहबेडकरी आंदोलन और अंबेडकर मिशन चलाते रहे हैं।
तो यदा कदा कामरेड प्रकाश कारत,कामरेड वृंदा कारत,कामरेड सीताराम येचुरी,कामरेड विमान बसु भी लाल नील एकीकरण के तहत माकपा के दलित एजंडे पर बात भी करते रहे हैं।
इसी सिलसिले में अरसा बीता हैदराबाद कांग्रेस में दलित एजंडा पास भी हुआ और मजा यह कि इस एजंडा को लागू करने के बजाय पार्यी में हर स्तर पर बहुजनों का बहिस्कार का सिलसिला तेज है।
कोलकाता खुल्ला सम्मेलन में कामरेड इस पर सोचें जरुर क्योंकि धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण के तहत, मोदी दीदी अघोषित रणनीतिक गठजोड़ के तहत वामपक्ष के पास न कैडरबेस है,न वे अपराजेय किले हैं,न संगठन और न कोई वोट बैंक।
राजनीतिक सामीकरण से हालात कैसे बदलते हैं,हम भी देखेंगे।
बहरहाल माकपा प्लेनम से पहले सीताराम येचुरी ने बहुजनों को शामिल करने के बारे में कुछ नहीं बताया तो कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन से इंकार भी नहीं किया है।
जाहिर है कि सामाजिक इंजीनियरिंग के बजाय राजनैतिक समीकरण में वामपक्ष का ध्यान केंद्रित है।
चूंकि वाम नेतृत्व भी मान रहा है कि अकेले वामपक्ष के लिए सत्ता पक्ष तृणमूल कांग्रेस का मुकाबला करना और मुकाबला जीत लेना दोनों अलग अलग मसला है।
कैडरबेस का जो बिखराव हुआ है,उसे नये सिरे से रचना कमसकम सर पर तलवार की धार की तरह लटक रहे विधानसभा चुनावों से पहले संभव नहीं है जबकि ममता और मोदी का सारा जोर धार्मिक ध्रूवीकरण पर है और बाकी देश की तरह बंगाल भी मजहबी सियासत के शिकंजे में हैं।
शारदा फर्जीवाड़ा रफा दफा है तो सीबीआई भी अब उसीतरह निरपेक्ष है जैसे कानून व्यवस्था और सहिष्णुता का सामाजिक यथार्थ का शेयर बाजार है।कोई किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है।
मुश्किल यह है कि बंगाल के कांग्रेसी विधायकों सांसदों का झुकाव निश्चित जीत के लिए दीदी की चरण धूलि में है और वामपक्ष से कोई समझौता के तहत कांग्रेस साइन बोर्ड बन जाने का जोखिम उठा नहीं सकता।
मान लें कि कांग्रेस वामपक्ष से बंगाल में समझौता कर लें तो केरल में भी चुनाव सामने है और वहां वाम और कांग्रेस सीधे मुकाबले में है तो तीसरी ताकत के बतौर केसरिया सुनामी की भी कवायद जोरों पर है।बंगाल के चुनाव समीकरण के कांग्रेस के साथ गठबंधन केरल में कितना फायदामंद होगा,कामरेड यह भी सोच लें।
सामाजिक यथार्थ के मद्देनजर जाति के तिलिस्म को तोड़ने के अलावा वर्गीय ध्रूवीकरण या उसके लिए अनिवार्य वर्गसंघर्ष की कोई गुंजाइश है ही नहीं।
फिर सामाजिक शक्तियों को गोलबंद करने की अलग चुनौती है।जिसमें अहम आधी आबादी है।
स्त्री मुक्ति के बिना,जाति के खात्मे की लड़ाई के बिना मनुस्मृति राज में गुलामी की जंजीरों में बंधी जाति,धर्म और पहचान के दायरे में कैद स्त्री इस व्रगसंघर्ष में शामिल होने के बजाय जैसे बहुजन समाज केसरिया पैदल फौज है,वैसे ही स्त्री शक्ति फिर दुर्गावाहिनी है।
सामाजिक शक्तियों को गोलबंद करने और लाल नील मेहनतकशों की एकता और मोर्चाबंदी के लिए उन्हें समुचित प्रतिनिधित्व संगठन और नेतृत्व में बराबर देने होंगे।
तृणमूल स्तर पर यह मांग बार बार उठती दीख रही है और प्रतिक्रिया में आवाज उठाने वालों का बहिस्कार का सिलसिला जारी है।वरना बदलाव के ख्वाबों की जमीन न जाने कब से पक रही है।
नतीजतन तमाम साामाजिक शक्तियां अब केसरिया केसरिया है और थीम सांग गेरुआ है।तो नीचे से लेकर ऊपर तक पार्टी संगठन का हाल अनंत बिखराव है।
सांप्रदायिक शक्तियों,फासीवादी ताकतों और ग्लोबीरण के तहत देस में गहराई तक पैठी पूंजी और बाजार के देशी विदेशी ताकतों के खिलाफ मंडल बनाम कमंडल महाभारत के कुरुक्षेत्र में वामपक्ष कहां है,इसका अता पता हमें तो मालूम नहीं पड़ा है।
कामरेड हमेशा खून उबालने लायक भाषण देने लायक वक्ता और पंडित दोनों हैं,लेकिन विचारधारा को यथार्थ के परिप्रेक्ष्य में अमली जामा पहनाना कोई सत्ता दखल की लड़ाई नहीं है।
इस सिलसिले में लाल खेमा भी गगन घटा गहरानी केसरिया केसरिया सुनामी में ठीक वहीं है ,जहां नीले झंडेवाले लोग हैं।
दोनों पक्ष मिलकर सर्वहारा पक्ष है और दोनों पक्ष इस हकीकत से उसी तरह मुंंह मोड रहे हैं जैसे प्रेमकहानियों में अक्सर होता है कि एक दूसरे से बेइंतहा मुहब्बत है,लेकिन कोई आगे बढ़कर कहता नहीं है कि मुहब्बत है।मुहब्बत है।
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ওয়েব ডেস্ক: সাম্প্রদায়িকতা ইস্যুতে মোদী-মমতাকে একসঙ্গে বিঁধলেন সিপিএম নেতা বিমান বসু। তাঁর মন্তব্য, দাদাভাই-দিদিভাই একসঙ্গে মানুষের মধ্যে বিভেদ তৈরির চেষ্টা করছেন। এবার আর ভোট লুঠ করে জেতা যাবে না। ব্রিগেডের ম়ঞ্চ থেকে কড়া বার্তা সিপিএম নেত্রী বৃন্দা কারাটের। তাঁর চ্যালেঞ্জ, এবার তৃণমূল পরাজিত হবেই। রাজ্যের আইনশৃঙ্খলা নিয়ে তৃণমূল সরকারকে বিঁধলেন সিপিএম নেত্রী বৃন্দা কারাট। তাঁর মন্তব্য, পালাবদলের পর নারী নির্যাতনে রাজ্যের স্থান এক নম্বরে। শুধু বাম মনস্করাই নন,তৃণমূলের বিবেকবানদেরও দলে টানতে হবে। ব্রিগেডের মঞ্চ থেকে বার্তা ত্রিপুরার মুখ্যমন্ত্রী মানিক সরকারের। চিটফান্ড থেকে সাম্প্রদায়িকতা সব ইস্যুতেই মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে নিশানা করলেন সিপিএম নেতা মহঃ সেলিম। তাঁর মন্তব্য, চিটফান্ডের টাকা লুঠ করেছে তৃণমূল কংগ্রেস। আর দিল্লিতে মোদীভাইয়ের দ্বারস্থ হচ্ছে মমতা।আদতে তৃণমূল-বিজেপি জয়েন্ট ভেঞ্চার চলছে। শক্তি প্রদর্শন করতে নয়। তৃণমূলের জহ্লাদ বাহিনীকে চ্যালেঞ্জ জানাতেই আজকের ব্রিগেড সমাবেশ। ব্রিগেডের মঞ্চ থেকে চ্যালেঞ্জ ছুঁড়লেন সিপিএম নেতা মহঃ সেলিম।
http://zeenews.india.com/bengali/kolkata/biman-selim-brinda-manik-says_134762.html
# আমজনতার গান ।
'আমাদের দিন কেটে যায় সাধারণ ভাতকাপড়ে'— জয় গোস্বামীর এই পুরনো লাইনটা মাথায় ঘোরে। কেন, তা জানা নেই।
#aamjanata #aamjanatargaan #ebela #ebelargaan #amiamarmoto
Today CPM's Brigade meeting, people gathered from different parts of Bengal
https://www.youtube.com/watch?v=APhkDpwcKMA
CPM supporters at Shyambazar going to Brigade
https://www.youtube.com/watch?v=QZf5YuqDDTE
দিল্লিতে দিদির সুর রং দে মোহে গেরুয়া: সেলিম
কলকাতা: রবিরার ব্রিগেডের সভামঞ্চে দাঁড়িয়ে কেন্দ্র-রাজ্যকে তীব্র আক্রমণ শানালেন সিপিএম নেতা মহম্মদ সেলিম৷ এদিন তিনি রাজ্যে সারদাকাণ্ড নিয়ে তৃণমূল নেতৃকে কড়া ভাষায় আক্রমণ করেন৷ বলেন, ''রাজ্যে চিটফান্ডের টাকা লুট করেছে তৃণমূল৷ গরিব মানুষের টাকা ফিরিয়ে দিতে ব্যর্থ তৃণমূল সরকার৷''…
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ব্রিগেড সমাবেশে যোগ দিতে সিপিএম সমর্থকদের ভিড়
http://abpananda.abplive.in/video/people-from-different-parts-of-the-state-going-to-brigade-163935
CPM to hold Plenum in Kolkata from Nov 27th to 31st | 10TV
https://www.youtube.com/watch?v=SftPVoWY1dA
সিপি আই(এম) কোলকাতা প্লেনামের পূর্বে-
পার্টির কেন্দ্রীয় কমিটির সভা -
সভা চূড়ান্ত প্রস্তুতির ।
আমরা গড়তে চাই ----------
অষ্টম বামফ্রণ্ট সরকার।।
আসুন, সকলে সম্মিলিত ভাবে সেই লক্ষ্যেই পথ চলি।।
লাল সেলাম......।।
माकपा के सांगठनिक ढाँचे के सामने सबसे बड़ी चुनौती वैचारिक है,इस समय जो सदस्य हैं उनमें अधिकांश को मार्क्सवाद का क ख ग तक नहीं आता।यह स्थिति जितनी जल्द खत्म हो उतना ही अच्छा है। भारत में सामाजिक परिवर्तन के लिए अच्छे पढाकू और अच्छे लड़ाकू कॉमरेडों की जरुरत है। लट्ठ कॉमरेडों की नहीं।विगत दो दशकों में पश्चिम बंगाल में हमने कॉमरेडों के ज्ञान के स्तर में जो क्षय देखा है वह अकल्पनीय है। अधिकांश के लिए माकपा एक कैरियर संगठन रहा है।माकपा और उसके जनसंगठन कैरियर प्रमोशन स्कीम का अंग नहीं है। राजनीतिकचेतना की बजाय कैरियरचेतना पर कॉमरेडों ने काम किया है और उन सभी को पार्टी नेतृत्व ने पाला-पोसा है जो कैरियर के रुप में पार्टी में शामिल हुए,सरकारीतंत्र की मलाई खाई,ऐसे ही कॉमरेडों ने संगठन को सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त किया है। इसे लेनिन की भाषा में राजनीतिक अवसरवाद कहते हैं। राजनीतिक अवसरवाद किसी भी कम्युनिस्टपार्टी के लिए जहर है।
नया जमाना: माकपा के पार्टी प्लेनम के सामने प्रमुख चुनौतियां
जगदीश्वर चतुर्वेदी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर। पता- jcramram@gmail.com
JAGADISHWARCHATURVEDI.BLOGSPOT.COM|BY JAGADISHWAR CHATURVEDI
#CPM #Brigademeeting আজ সিপিএমের ব্রিগেড সমাবেশ, জোট সম্ভাবনা উস্কে কংগ্রেসের প্রতি নমনীয় হওয়ার বার্তা শীর্ষ নেতাদের অভিযোগ http://abpananda.abplive.in/kolkata-news/cpm-brigade-meeting-163921
রাজ্যে ভোটে বাম-কংগ্রেস সমঝোতার রাস্তা খোলা রাখলেন ইয়েচুরির
http://zeenews.india.com/bengali/kolkata/left-congress-vote-negotiation_134753.html
আইন অমান্যের মত অশান্তি এড়াতে, ব্রিগেডে লাইভ ফুটেজ মনিটরিং ব্যবস্থা পুলিসের
http://zeenews.india.com/bengali/kolkata/police-protection_134755.html
শহরের রাজপথ লাল ঝাণ্ডার দখলে, ৯টি রুট দিয়ে ব্রিগেডে আসছে মিছিল
http://zeenews.india.com/bengali/kolkata/left-brigade-rally-route_134754.html
এক সূর্যকে বাংলার ঘরে ঘরে আলো দেবার দায়িত্ব দিয়ে চলে গেলেন।
আমরা শোকাহত।
Priyoj Dey
সন্ত্রাস কবলিত অঞ্চলের বহু মানুষ আজ লুকিয়ে চুরিয়ে এসেছেন | আজ এই ফেসবুকের জুগে অতি উৎসাহে কেউ অচেনা মানুষ এর ছবি পোষ্ট করবেন না | মনে রাখুন আজ তিনি আপনার পাশে , আগামী দিনেও তাকে আসার সুযোগ করে দেবার দায়িত্ব আপনার | দূর থেকে ভীড় এর ছবি দিন |
একটি সাথী বন্ধুর জীবন যাতে ক্ষতিগ্রস্থ না হয় তা দেখার দায়িত্ব আপনারই ..
ভোরের ব্রিগেড এর চেনা ছবি।
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