हमारे बेहिसाब दोस्त पंकज सिंह नहीं रहे
Pankaj Singh singing Mukesh on Nelaabh's 70th birthday
Hindi Kavita : Pankaj Singh : Bachhon Ki Hansi
https://www.youtube.com/watch?v=Wu1nM4OniB4
[Children's Smile]
https://www.youtube.com/watch?v=EB0Chd15Fw4
Hindi Kavita : Jis Din Main Ghar Se Chala Tha : Pankaj Singh
https://www.youtube.com/watch?v=IDFY_DIIdZI
Hindi Kavita : Narak Me Baarish : Pankaj Singh [Raining in Hell]
https://www.youtube.com/watch?v=4DwtaGk4w1c
अभी-अभी यह अप्रत्याशित, स्तब्ध और अवसन्न कर देने वाली खबर मिली कि पंकज सिंह नहीं रहे. इतनी असंख्य स्मृतियाँ हैं, उनके साथ ...सन १९७५ से लेकर इस बीतते हुए साल तक की.... अभी कुछ रोज़ पहले ही Surendra Grover जी इस जिद में थे कि हम एक साथ एक शाम गुजारेंगे और पंकज सिंह से 'कहीं बेखयाल हो कर ...मुझे छू लिया किसी ने ...' हंसी हंसी पनवा खियउले बेइमनवा....', 'महुआ के चिनगी दागी ल दगाईगे....! " और ना जाने कितने ही गीत सुनेंगे, जो वे जेएनयू के बीते हुए दिनों में डूब कर उन गुज़री शामों में गाते थे.
पेरियार हास्टल के कमरा नंबर ३०५ में वे मेहमान बन कर लम्बे अरसे तक साथ रहे.
संघर्षों के साथी ...
सलाम ! डाक्टर ! भरे हुए दिल से सलाम आख़िरी !
उन्हीं की कविताओं की कुछ पंक्तियाँ उनके संग्रह -'आहटें आसपास' से :
'चट्टानों पर दौड़ है लम्बी
और दौड़ते जाना है गिर न जाएँ थक टूटकर
जब तक आख़िरी नींद में
तब भी दौड़ती रहेंगी हमारी छायाएं ....'
No comments:
Post a Comment