#Climate Change#Chennai#Man Made Calamities
बाजार भरेगा और उड़ान और महाबलि भारत में फालतू जनता को ठिकाने लगाने का चाकचौबंद इंतजाम।
जलवायु इंजीनियरिंग के जरिये जलवायु परिवर्तन,ग्लोबल वार्मिंग,कार्बन एमिशन,प्रदूषण और विकिरण को वैधता,प्रकृति और मनुष्यता से रेप गैंग रेप को वैधता।पेरिस का शिखर समझौता सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा है मुक्त बाजार के ग्लोबल मनुस्मृति राजकाज का।सबसे बड़ा घोटाला।
सबूत के लिए हमारा प्रवचन देखें सुनें।
#Climate Change#Chennai#Man Made Calamities
आतंक के खिलाफ जुध भ्वय राममंदिर बनाने का शार्ट कट।
अयोध्या में मंदिर निर्माण और पत्थरों की खेप का आना
गैरहिंदुओं के सफाये का एजंडा भारत अमेरिकी और यही रणनीतिक भारत अमेरिकी सैन्य समझौता है।
अब लाजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट के तहत भारत के नौसैनिक वायुसैनिक सैनिक अड्डे अमेरिका के हवाले!
पलाश विश्वास
तापमान दो डिग्री सेल्सियस कम करने के एजंडे का असल मतबल कि फिजां बदल रही है और तमामो रिश्ते बर्फीले हैं।इंसानियत की कब्रगाह में बाजार कार्निवाल राम नाय सत्यहै।सत्यबोलो गत्य है।के राममंदिर भव्य वहींच बनायेंगे।लाभै बरोबर।
प्रधानमंत्री के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दिल्ली विधानसभा में निजी आय के मुकाबले अय्याश विदेशी जीवन यापन के जो गंभीर आरोप अनैतिकता के लाये हैं,उसके जवाब में जनता और संसद के प्रति जवाबदेह प्रधानमंत्री खामोस है और संसद में,सड़क पर जेटली से इस्तीपा मांग रही मजहबी सियासत इस मुद्दे पर खामोश है जैसे विकास,सहिष्णुता और समरसता की हरिकथा अनंत के मध्य बलातकार सुनामी थमी नहीं है और न कत्लेआम और बेदखली का सिलसिला थमा है और न खून की नदियों का सिलसिला खत्म हुआ है।भूख भी है।रोटी भी नहीं है।रोजगार भी नहीं है।हवा पानी तक खरीदने की नौबद है और अरबपतियों करोडडपतियों की संसद खामोश है।
बेमतलब के मुद्दों में जनता की चीखें,उनकी तकलीफे कहीं दर्ज तक नहीं हुई है।कानून रोज बदल रहे हैं जो तोड़ सकते हैं वे बेलगाम कानून तोड़ रहे हैं।माफिया और गुंडों ने राजकाज के लिए अपना अपना देश बांट लिया है।कायदा कानून सबकुछ जनता के लिए है।बाकी प्यारा अफजल है।
लिहाजा संसद का एक और सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। लोकसभा और राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। बवाल और विरोध की वजह से संसद में जीएसटी और रियल एस्टेट जैसे कई बिल अटक गए हैं। यहां तक की लोकसभा में कल पेश हुआ बैंकरप्सी बिल भी ज्वाइंट कमिटी को भेज दिया गया है।
वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा के मुताबिक सरकार जीएसटी और बैंकरप्सी बिल को बजट सत्र में पास कराने की कोशिश करेगी। बैंकरप्सी कानून बजट सत्र में पास होने की उम्मीद है, लेकिन जीएसटी कब तक लागू होगा कहना अभी मुश्किल है। वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा का कहना है कि जितनी जल्दी जीएसटी बिल पास होगा, देश के लिए उतना ही बेहतर रहेगा।
संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने विपक्ष पर सीधा प्रहार किया है। उन्होंने कहा विपक्ष रोज नया बहाना बनाकर संसद के काम को रोकने की कोशिश कर रहा है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने अहम बिल लटकने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस की नेता रेणुका चौधरी का कहना है कि कांग्रेस ने तो सरकार को पूरा सहयोग किया है।
DDCA में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी द्वारा वित्त मंत्री के इस्तीफे की मांग करने के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि कांग्रेस फर्जी आरोप लगा रही है और अरूण जेटली उसी तरह बेदाग साबित होंगे, जैसे लालकृष्ण आडवाणी हवाला मामले में हुए थे।
अच्छे दिनों की सुनामी है।
भारत में इस साल करोड़पतियों कि संख्या 20 फीसदी बढ़ी है। यानि करोड़पतियों के मामले में अब भारत सिर्फ अमेरिका और चीन के पीछे है।
कार्वी इंडिया के वेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल देश के करोड़पतियों यानि एचएनआई की संपत्ति 28 फीसदी बढ़ी है। ये दूसरे देशों के मुकाबले करीब 16 फीसदी ज्यादा है।
रिपोर्ट ये भी कहता है कि देशी करोड़पति इस साल पहली बार सोना और प्रॉपर्टी के बजाय स्टॉक मार्केट में ज्यादा पैसे डाल रहे हैं। 2014 के मुकाबले इस साल करोड़पतियों कि इक्विटीज में निवेश पूरे 19 फीसदी बढ़ी है। और सोने में उनका निवेश करीब 3 फीसदी गिरा है।
भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेटली का पुरजोर समर्थन करते हुए कांग्रेस पर करारा प्रहार किया और कहा कि सरकार को बदनाम करने के लिए वह फर्जी आरोप लगा रही है।
संसदीय दल की बैठक में हालांकि भाजपा सांसद कीर्ति आजाद के जेटली पर लगाए गए आरोपों के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई। आजाद बैठक में उपस्थित नहीं थे।
बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने मोदी के हवाले से कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि सुषमा स्वराज, शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे जैसे भाजपा नेताओं को ऐसे ही 'गलत' आरोपों का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने कहा, '' प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में लालकृष्ण आडवाणी का उदाहरण दिया जिन्हें हवाला मामले में फंसाने का प्रयास किया गया था और वे बेदाग साबित हुए तथा कांग्रेस की रणनीति उल्टी पड़ गई थी।''
संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में कांग्रेस ने दिल्ली जिला क्रिकेट संघ के कथित घोटाले के आरोप में घिरे वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस्तीफे की मांग को लेकर शून्यकाल बाधित किया और प्रश्नकाल भी चलने नहीं दिया। अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के लिए पत्थर लाने की घटना का मुद्दा उठा। इस बीच विपक्षी सदस्यों ने सदन में जमकर हंगामा किया। क्या हुआ राज्यसभा में? - सदन की कार्यवाही शुरु होते ही कांग्रेस तथा सपा सदस्यों ने अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए पत्थर मंगाए जाने के विरोध में जमकर नारेबाजी और हंगामा किया।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में कथित वित्तीय अनियमितताओं से घिरे केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को बचाने का प्रधानमंत्री पर आरोप लगाते हुए उनसे इस्तीफे की मांग की है।
दिल्ली सचिवालय में 15 दिसम्बर को सीबीआई छापे और डीडीसीए में कथित वित्तीय अनियमितताओं के लिए जांच आयोग गठित करने के वास्ते दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र बुलाया गया। दिल्ली सरकार विधानसभा में विशेष सत्र की कार्रवाई में व्यस्त थी वहीं बाहर भाजपा कार्यकर्ता केजरीवाल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। केजरीवाल ने कहा कि मोदी दिल्ली की हार की पीड़ा नहीं भूला पा रहे हैं और उन्हें तथा आम आदमी पार्टी को बर्बाद करने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहे हैं।
AYODHYA: Twenty three years after the demolition of the Babri mosque and construction of a 'makeshift temple' at the site in Ayodhya, the
जब हिंदुस्तान में पूरी योजना के साथ अभियान चलाकर बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया और तमाम राजनेताओं ने इसका तमाशा देखा, तब ही तय हो गया था कि यह महज एक...
होइहिं सोई जो राम रचि राखा।रामजी सबकुछ रचि दिहिस तो हमरे खातिर रचने को बाकी का होई।
जाहिरे है कि भाषा,व्याकरण,वर्तनी और सौंदर्यबोध की विशुध देवभाषाओं मा हमरी कौनो औकात नइखै।हम अशुध लिखै बोलै खरी खरी।
हम तो अदरक भी न बैचे हैं।
खरीदने बेचने की कल तो सियासतियों से कोई सौदागर भी बेहतर ना जाने हैं।
बाजार में खड़े खड़े किसी को भी खरीद लें तो बेच भी दें चाहे कुछ भी,अम्मा की अस्मत और बाप की जमीर तो दो कौड़ी की चीज है,वे तो मुल्क बेचे,इंसानियत बेचे और कायनातभी बेच दें यूं खड़े खड़े और कोई माई का लाल चूं तक ना कर सकै,ऐसा अति उत्तम गोरखधंधा सियासत है।
अब बूझ लो पहेली कि दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में कथित भ्रष्टाचार को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ मोर्चा खोलने वोले बिहार के दरभंगा से बीजेपी सांसद कीर्ति आजाद ने कहा है कि उन्होंने केवल भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है. किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की है. कीर्ति आजाद से जब पूछा गया कि इस मामले में केजरीवाल की पार्टी क्या कर रही है इस पर उन्होंने कोई भी बयान देने से इंकार कर दिया. सूत्रों की माने तो डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली को घेरने वाले बीजेपी सांसद कीर्ति आजाद को पार्टी की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है.
पहले वीजा नहीं मिलता था, अब सपने पूरे कर रहे हैं मोदी: केजरीवाल
दिल्ली सचिवालय में पिछले दिनों सीबीआइ की ओर की गई छापेमारी को 'विफल' करार देते हुए अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस्तीफा मांगा..
दिल्ली सचिवालय में पिछले दिनों सीबीआइ की ओर की गई छापेमारी को 'विफल' करार देते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस्तीफा मांगा। केजरीवाल ने यह आरोप भी लगाया कि डीडीसीए घोटाले में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को 'बचाने' की खातिर दिल्ली सचिवालय में सीबीआइ छापेमारी कराई गई। बीते 15 दिसंबर, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के दफ्तर में सीबीआइ ने छापेमारी की थी, को 'काला दिन' करार देते हुए केजरीवाल ने मोदी पर तीखा हमला किया और उन्हें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के खिलाफ कार्रवाई करने की चुनौती दी। केजरीवाल ने पिछली शीला दीक्षित सरकार के दौरान अपनी आधिकारिक क्षमता का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने का आरोप झेल रहे वरिष्ठ आइएएस अधिकारी राजेंद्र कुमार का भी बचाव किया। दिल्ली सचिवालय पर हुई छापेमारी से पैदा हुए हालात और दिल्ली व जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में जेटली के अध्यक्ष रहने के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार पर चर्चा के लिए विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा, 'उन्हें (राजेंद्र को) मानसिक तौर पर परेशान किया जा रहा है। पिछले आठ दिनों में सीबीआइ को उनके खिलाफ कुछ भी नहीं मिला है। यदि मैं भ्रष्टाचार करने पर अपने मंत्री और बाबू को हटा सकता हूं, तो ईमानदार अधिकारियों का संरक्षण भी मेरा कर्तव्य है।' विधानसभा की कार्यवाही के दौरान मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार अधिकारी गैलरी में बैठे थे। केजरीवाल ने कहा कि छापेमारी के मुद्दे पर 'प्रधानमंत्री को शर्म आनी चाहिए।' उन्होंने '10 लाख रुपए के सूट' और विदेश यात्राओं के मुद्दे पर भी मोदी पर एक के बाद एक कई निशाने साधे। उन्होंने कहा, 'पहले तो उन्हें वीजा मिलता नहीं था, इसलिए अब अपने सपने पूरे कर रहे हैं। जब वह शहर से बाहर रहते हैं तो दिल्ली में सब अच्छा रहता है। जब भी वह शहर वापस आते हैं, चीजें तितर-बितर हो जाती हैं।' विधानसभा के विशेष एकदिवसीय सत्र में डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक जांच आयोग गठित करने का प्रस्ताव पारित किया गया। केजरीवाल ने कहा, 'ऐसी विफल छापेमारी और सीबीआइ के गलत इस्तेमाल के लिए मैं प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगता हूं। यदि वह किसी फाइल को हासिल करने के लिए सीबीआइ का इस्तेमाल करते हैं तो देश में लोकतंत्र नहीं बचेगा। कल किसी मुख्यमंत्री पर भी छापेमारी की जा सकती है। देश के संघीय ढांचे के लिए यह खतरनाक है।' जेटली की ओर से दायर किए गए दीवानी और आपराधिक मानहानि मुकदमे का सामना कर रहे केजरीवाल ने यह आरोप भी लगाया कि सीबीआइ खासकर वह फाइल तलाश रही थी जिसमें एक ऐसा नोट था जिससे अपराध साबित करने वाले ब्योरे मिल सकते थे। केजरीवाल ने दावा किया, 'डीडीसीए का एक विसलब्लोअर मुझसे मिला करता था। उस अधिकारी ने मुझे बताया कि डीडीसीए अधिकारियों की एक बैठक हुई जिसमें जेटली ने उन्हें बताया कि एसएफआइओ के बारे में चिंता न करें क्योंकि वह उससे निपट लेंगे।' मुख्यमंत्री ने दावा किया, 'उन्होंने (जेटली ने) कहा कि वह दिल्ली पुलिस के पास आने वाले मुकदमों को रद्द कराना सुनिश्चित करेंगे और यदि 'आप' जांच आयोग का गठन करती है तो अपने 'खास आदमी' उप-राज्यपाल के जरिए उसे अमान्य करार दिला देंगे । यह उस फाइल में लिखा था।'
जनसत्ता की खबर से।
डीडीसीए के कथित घोटाले पर पूर्व क्रिकेटर और बीजेपी सांसद ने एक स्टिंग दिखाकर क्रिकेट संघ मेंफर्जीवाड़े का दावा किया है। खुलासे से पहले कीर्ति आजाद ने कहा कि वह किसी पर व्यक्तिगत हमला नहीं कर रहे हैं, खुद वह पीएम के बड़े फैन हैं। पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार को हटाने के लिए काफी काम किया है। कीर्ति आजाद ने दिल्ली क्रिकेट बोर्ड में कथित भ्रष्टाचार पर 28 मिनट का वीडियो दिखाया। स्टिंग के मुताबिक, डीडीसीए मेंकॉन्ट्रैक्ट पाने वाली कंपनियां पूरी तरह फर्जी हैं। बीसीसीआई देशभर के क्रिकेट असोसिएशन को स्टेडियम और बाकी चीजों को बेहतर बनाने के लिए धन देती है …
डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वित्त मंत्री अरूण जेटली के इस्तीफे की मांग को लेकर कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के कारण आज लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद ही स्थगित कर दी गई। आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने केवी थामस, के सी वेणुगोपाल, पी वेणुगोपाल, सुष्मिता देव समेत कुछ अन्य सदस्यों के कार्यस्थगल के नोटिस को अस्वीकार कर दिया और उनसे अन्य अवसरों पर इन्हें उठाने को कहा। कांग्रेस के सदस्य कुछ कहना चाहते थे और पार्टी के मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अध्यक्ष से नोटिस पर विचार करने का आग्रह किया।
आप नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया कि वित्त मंत्री ने उन्हें और उनके सहयोगी आशुतोष को निजी कंपनी ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी मीडिया के प्रबंध निदेशक लोकेश शर्मा के 'जरिए' एक कानूनी नोटिस भेजा है और कहा है कि वे ऐसे एक हजार कानूनी नोटिस का सामना करने के लिए तैयार हैं और डीडीसीए में 'भ्रष्टाचार' उजागर करने से नहीं डरेंगे । यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने आरोप लगाया कि जेटली कानूनी नोटिस भेजकर दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन में अपने सामने हुए कथित भ्रष्टाचार को 'दबाने' की कोशिश कर रहे हैं ।
सतह पर दुश्मनी दीखे और संसदीय लिहाफ के अंदर मा कौन सी देह और कौन सी आत्मा किसके साथ लटपटाये हो और कब हानीमून,कब बलिप्रदत्त कुछो समझना हमारी औकात से बाहर है।
जाहिरै है कि घोड़े की लगाम भी पकड़ै ना सकै हम अपने हल चालाये,हंसिया और फावड़ा चलाये हाथों से।वातानुकूलित दफ्तर मा मस्त नेटवर्किंग ह कि देश दुनिया से पल छिन पल छिन गपशप जारी रहेला,पण पांव वहीं बिवाइयों समेत धसलवा उ जमीन मा और जड़ें ससुरी बांधे ह मजबूती से कि सीमेंटवा की औकात काहे।
धकाधख पेले रहिस तमाम उच्च विचार,अपडेचवा,देश दुनिया का हाल चाल।भाखा वगैरह की परवाह हमउ ना करत ह।
पण पांव बिवाइयों वाला उसी माफिक धंसा धंसा वहींच फंसा कीचड़ गोबर पानी मा।
हमउ सवारी गांठे रहे खूब भैंसन की।गधड़ु सवारी भी किये रहे भौत।हाथी घोड़ा गये रहे तेल लेने।ऊंट की सवारी की मंशा है बहरहाल।चाहे जो करवट बैठे।
दरअसल हम जीवित या मृत किसी विद्वतजन के असर मा ना हो।हम तो जैसे भैंस की पीठ पर सवार रहे,वइसन ही ससुर इस वक्त की पीठपर भी सवारी गांठने कातिर मुआ जा रिये हैं।
वक्त की खाल में फिसलन भौत है और ससुरा बागे भौत तेज।
यूं कि राकेट,मिसाइल,बुलेट ट्रेन सबै फेल।
बांग देकर जगा देत ह कि मुद्दा ई ह,मसला ई ह,संबोधित करै कि ना करै,दूसरका मुद्दा और मसला फौरन तइयार।
फट रिया ह इधर आउर पाठक पाठिका फाटक तोड़कर गरियाये अलग के भोवा इतना पेले ह।वियाग्रा वक्त ह।
ई लेखवा लिख रिया हूं कई दिनों से,पूरा होवे को नइखै।
इस बीच हस्तक्षेप ससुर क्रैश हो गइलन।
तमामो मेइल देश दुनिया से बाक्सवा में चीखै जोर से,हमका भी दर्ज करवा दो।काहे को,कइसे दर्ज कराऊं बाप,हमार तो देह आतमा जख्मी ह।कोई ससुरा पूछै भी हाल नाही कि हस्तक्षेप बंद काहे को।
ई हमार जनपक्षधरता का जलवा ह।
इक कइन्या भौते एक्टिव।
कहत रही कि हमउ तुहार साथ,बढ़ावा हाथ।
बढ़ा भी दिये ह।
बोले रहिस,हमउ जोड़ देब तमामो एक्टिविस्ट से।
जेल जाकर उ अब हिरोइन बन गइलन।मोदी माफिक विदेश भाग गइलन जेल यात्रा के तुरंत बाद।न फोन न ईमेल।
एइसन वीर वीरांगनाओं का साथ ह।
फोकट में बाजा बजबै करै हो।
आ फिन राजा का बाजा बजा।
बेगानी शादी मा हमउ अब्दुल्ला दीवाना।
हस्तक्षेप नइखै तो हमउ अपडेट किये रहिस धकाधक।का करब।
अबहुं मालूम नइखै कि काम के लायक पइसा मिलल कि नाही कि सर्वर फिन डाउनलोड करावै।फिरभी उच्च विचार पेल ही दिया जाये।
हमका माफी देवा के हमार बाप जौन रहे ,उ 77 साल की उम्र में रीढ़ के कैंसर से मुआ गये रहे।
मरने से पहले तक देश दुनिया मा हमार बाप चकरघिन्नी जो रहे सो रहे,हल उठाकर खेत भी खूब जोते रहे हैं।
हमउ उनके कपूत सिर्फ मूत रहे ह ,बदलाव का ख्वाब इंद्रधनुष ह,पण जनता के बीच हम कहीं ना ह।
झक मारैके लिखल रहे।लिहिला।लिहिला कि मोरचा बंध जाई तो फिर खिलेंगे।खिलखिलायेंगे।जंगल जंगल खिलै ह पलाश।
त ई समझो कि हमउ वहींच करत वानी।लिखना विखना हमार औकात नइखै।हमउ हल जोते रहे हो।खेत हो न हो,किसान जो भी करै,हलवाही के अलावा होता कुछ नहीं है।
कटु सत्य है कि भद्र बिरादरी के सत्ता वर्चस्व में चीखों की कोई गुंजाइश नहीं है।न जनसुनवाई का कौनो स्पेस है।
आज की सबसे बुरी खबर है कि ह्स्तक्षेप का सर्वर जो बइठ गया,बइटलन वानी। आउर हम कोई खास खबर शेयर न कर सकत।मदद की गुहार अब काहे को करें,कोई सुनबे नाहीं।
बहरेहाल,तमाशा जो लाइव ह,उसकी आड़ में भव्य राममंदिर फिर बनावेक चाहि और जोरदार कारसेवा की तैयारी ह।
राम मंदिर का नारा देने वाले जानते थे कि यह धार्मिक नहीं, राजनीतिक अभियान है, जिसके तहत देश में दक्षिणापंथी ताकतों को मजबूत कर राजनीतिक हिंदुओं की ऐसी जमात बनाना है जो बाद में देश की सत्ता भाजपा को सौंपे, और ऐसा ही हुआ।
अटल बिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लालकृष्ण आडवानी उपप्रधानमंत्री बने और दस साल बाद नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए, लेकिन राम मंदिर नहींबना और जब तक मामला न्यायालय में विचाराधीन है, तब तक बनेगा भी नहीं।
अल्लामा इक़बाल को हम नफ़रत भरी नज़र से देखते हैं मगर वो हमारे लिए बहुत कुछ छोड़ गए हैं...
सच कह दूं ऐ बिरहमन! गर तू बुरा न माने
तेरे सनम कदों के बुत हो गए पुराने
अपनों से बैर रखना तूने बुतों से सीखा
जंगो जदल सिखाया वाइज को भी खुदा ने
तंग आ के मैंने आखिर दैरो हरम को छोड़ा
वाइज का वाज छोड़ा, छोड़े तिरे फसाने
पत्थर की मूरतों में समझा है तू खुदा है
खाके वतन का मुझको हर जर्रा देवता है
Pankaj Srivastava added 2 new photos.
13 hrs ·
क़ौमी तराना 'सारे जहाँ से अच्छा' लिखने वाले अल्लामा इक़बाल ने 21 अप्रैल 1938 को दुनिया छोड़ दी थी लेकिन एबीपी के एंकर अभिसार शर्मा ने अभी-अभी 'बड़ा प्रश्न' में उनका ज़िक्र आने पर बड़ी हिक़ारत से कहा कि इक़बाल तो पाकिस्तान चले गये थे, उनकी बात क्या करना ! न , यह ज़बान लड़खड़ाने का मसला नहीं है। यह मसला है अपढ़ता और अहंकार का। कई दूसरे चैनलों के एंकर भी इसी तरह हिंदी के अर्द्ध शिक्षित समाज में ज़हर घोलते रहते हैं।
पत्रकारिता की मर्यादा को ध्यान में रखने वाले संस्थानों को ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ निश्चित ही कार्रवाई करनी चाहिए वरना यह रोग थमेगा नहीं। मेरा इस चैनल (स्टार न्यूज़ )से लंबा जुड़ाव रहा है, इसलिए यह निजी दुःख का विषय भी है। मैं चाहकर भी अपने क्षोभ को सार्वजनिक करने से रोक नहीं पा रहा हूँ।
यह कार्यक्रम राममंदिर को लेकर फिर शुरू हुए विवाद पर था और अभिसार ने रात क़रीब 9.36 पर हिंदुस्तान के चुनिंदा महान शायरों में से एक इक़बाल को पाकिस्तान के हवाले कर दिया। पत्रकार होने की वजह से मैं आज ख़ुद को अल्लामा का गुनाहगार मान रहा हूँ। हो सके तो माफ़ कर देना अल्लामा !
बाजार भरेगा और उड़ान और महाबलि भारत में फालतू जनता को ठिकाने लगाने का चाकचौबंद इंतजाम।
जलवायु इंजीनियरिंग के जरिये जलवायु परिवर्तन,ग्लोबल वार्मिंग,कार्बन एमिशन,प्रदूषण और विकिरण को वैधता,प्रकृति और मनुष्यता से रेप गैंग रेप को वैधता।पेरिस का शिखर समझौता सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा है मुक्त बाजार के ग्लोबल मनुस्मृति राजकाज का।सबसे बड़ा घोटाला।
सबूत के लिए हमारा प्रवचन देखें सुनें।
आतंक के खिलाफ जुध भ्वय राममंदिर बनाने का शार्ट कट।
गैरहिंदुओं के सफाये का एजंडा भारत अमेरिकी और यही रणनीतिक भारत अमेरिकी सैन्य समझौता है।
गौरतलबे है कि अमेरिका के मुताबिक रक्षा तकनीक और व्यापार पहल के लिए भारत को सी आई एस एम ओ ए, बी ई सी ए और लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने जरूरी हैं।
भारतीय रक्षा प्रतिरक्षा का निजीकरण हो गया है और चूंकि भारत आतंक के खिलाफ जुध में अमेरिका का महाबलि पार्टनर है और ग्लोबल हिंदुत्व का एजंडा है।
कल्कि अवतार का राजकाज है तो कलजुग के अंत के साथ भव्य राममंदिर के साथ विशुध रक्त का सतजुग में अखंड स्वर्गवास की गारंटी है।
चूंकि अमेरिका ने अपने मित्रों के साथ फाउंडेशन समझौता कर रखा है।अब लाजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट के तहत भारत के नौसैनिक वायुसैनिक सैनिक अड्डे अमेरिका के हवाले है।
बिरंची बाबा की मंकी बातों की बहार देकिये कि वे बतावत रहे कि पिछले महीनों में एक के बाद एक ऐसे अनेक उपाय किये गए हैं जिससे वैश्विक स्तर पर कारोबार करने वालों की निगाह में भारत की विश्वसनीयता बहाल हुई है। सरकार नियामकीय मंजूरी देने की प्रक्रिया तेज कर रही है। प्रतिरक्षा उत्पादन क्षेत्र में लाइसेंस के लिए आवेदन की आवश्यकता समाप्त की जा रही है और नीतियों को अधिक टिकाउ बना रही है।
इसी संदर्भ में बिरंची बाबा टयचेनेको बाबा ने लाइसेंसों की वैधता काल बढाने, विभिन्न रक्षा उत्पादों के निर्माण के लिए विशेष लाइसेंस की अनिवार्यता और पाबंदिया खत्म करने और अंतिम उपयोग के प्रमाण पत्र की व्यवस्था उदार बनाये जाने का भी उल्लेख किया।
एफोडीआई बाबा का कहना हैः 'हमने रक्षा उद्योग के लाइसेंस की मियाद 3 से बढ़ा कर 18 साल कर दी है।' उन्होंने कहा कि भारत सही दिशा में आगे बढ रहा है लेकिन वह आत्मसंतुष्ट नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जबकि दुनिया नरमी से दोचार है तो भारत निवेश के लिए 'चमकता बिंदु' बना हुआ है।
इसी बीच कच्चे तेल के दाम में सोमवार को और गिरावट देखने को मिली। ब्रेंट क्रूड ऑइल का भाव 11 साल के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है जिसके बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर संशय और बढ़ गया है।
जाहिरे ह कि तेल जुध अब आतंक के खिलाफ जुध के बहाने और तेज होने वाला है जबकि शरणार्थी सैलाब अब दुनिया का समूचा भूगोल है और खाड़ी देशों से सारा तेल इजराइल और अमेरिका के भंडार में जमा हो रहा है।
देख रे जमूरे जलवायु परिवर्तनः
तेल जुध जारी है।
ग्लेशियर पिघल रहे हैं।
नदियां सूख रही हैं।
जंगल कट रहे हैं।
मनसैंटो का आयात जारी है।
कार्बन पर रोक नहीं है।
गाड़ियों का बाजार गर्म है।
ई ह मौसम का मिजाज।
भोपाल गैस त्रासदी की नींव,हरित क्रांति की नींव पर अनंत बेदखली का अश्वमेध अभियान है यह उदारीकरण के वैश्विक व्यवस्था का जलवायु परिवर्तन औरमौसम विमर्श का पंडा जबकि प्राणी जगत में हाहाकार है और प्रकृति औरमनुष्यता से रोजाना बलात्कार है।
बाजार रक्तबीज की तरह हत्यारे और बलात्कार पैदा कर रहा है और बाजार में सनी सहिष्णुता का जापानी तेल सुनामी है।
इसी बीच,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे से पहले रक्षा मंत्रालय की शीर्ष खरीद इकाई ने गुरुवार को 40,000 करोड़ रुपये की रूसी वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली 'एस-400 ट्रायम्फ' की खरीद को स्वीकृति प्रदान की। इसके अलावा 25,000 करोड़ ... रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में हुई रक्षा खरीद परिषद (DAC) ने इस रूसी मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने का फैसला किया, जो 400 किलोमीटर तक दायरे में शत्रु के विमान, मिसाइलों और यहां तक कि ड्रोन को नष्ट करने में सक्षम हैं। मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय वायु रक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए कदम उठाए गए हैं।
कहते हैःइससे पहले की मिसाइल प्रणाली एस-300 के मुकाबले एस-400 2.5 गुना अधिक दर से वार कर सकती है। यह रूस की प्रतिरक्षा व्यवस्था में सबसे आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है। डीएसी ने 'मेक इन इंडिया' के तहत 14,600 करोड रूपए में पिनाका रॉकेट प्रणाली की छह रेजीमेंट की खरीद संबंधी सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। पिनाका की हर रेजीमेंट में 18 लांचर होते हैं तथा हर लांचर की क्षमता एक बार में 12 रॉकेट दागने की होती है। टाटा पावर एसईडी, लार्सन एंड टबरे तथा सरकारी कंपनी बीईएमएल इस प्रणाली को मुहैया कराएंगे।
गौरेतलब है कि प्रधानमंत्री बतावत रहे कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नरमी के बादल के बीच भारत एक 'चमकता बिंदु' है। साथ ही उन्होंने विदेशी निवेशकों को देश में कारबार के लिए अनुकूल से अनुकूल वातावरण का आश्वासन दिया जिसमें मजबूत बौद्धिक संपदा अधिकार के संरक्षण की मजबूत व्यवस्था भी शामिल है। मोदी ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि उत्पाद व सेवा कर (जीएसटी) अगले साल से लागू हो जाएगा।आगे बंटाधार।
इस बात में कोई शक नहीं कि दिल्ली गैंगरेप तथा इस तरह की दूसरी वीभत्स और रोंगटे खड़ी करने वाली घटनाओं में किशोरों की संलिप्तता एक गंभीर मसला है। लेकिन क्या इस मसले में एक देश और समाज के रूप में हमारी कोई भूमिका नहीं है? इस तरह के अमानवीय घटनाओं में शामिल होने वाले बच्चे किशोर कहीं बाहर से तो आते नहीं हैं। यह हमारा समाज ही है जो उन्हें पैदा कर रहा है,.......
Supreme Court
गौरतलब है कि 13 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल नेटवर्किंग साइटों के उपयोग पर सरकार के सख्त नियमों के बावजूद 7-13 साल के करीब 76 फीसद बच्चे रोजना यूट्यूब देख रहे हैं।
यह खुलासा एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कामर्स ऑफ इंडिया (एसोचैम) के सर्वे में हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे बच्चों में ऑनलाइन संदेश भेजकर लोगों को डराने-धमकाने (साइबर बुलिइंग) और अश्लील वीडियो देखने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।
गौरतलब है कि ज्ञान विज्ञान,देश दुनिया के बारे में किसी की दिलचस्पी नहीं है।माननीय जनप्रतिनिधि भी वही देखते हैं जो हमारे बच्चे देखते हैं।
देवर भाभी के रसीले प्रसंग और तमाम मसाला भरपूर वीडियों के लाखों करोड़ हिट है और पीसी मोबाइल पर हम जो दिखाते हैं,उसे देखने वाले सुनने वाले सैकड़ों भी नहीं है।कह देंगे कि खुलता ही नहीं है।
यूट्यूब के नियम के अनुसार, अकाउंट बनाने के लिए 18 साल की उम्र होनी जरूरी है। सर्वे के अनुसार, स्पष्ट नियमों और रोक के बावजूद देश के टियर-1 और टियर-2 शहरों में बड़ी संख्या में 7-13 साल के बच्चे माता-पिता की सहमति से धड़ल्ले से सोशल नेटवर्किंग साइटों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इनमें सबसे ज्यादा यूट्यूब पर म्यूजिक वीडियो क्लिप देखे जाते हैं। यह सर्वे दिल्ली एनसीआर, मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, चंडीगढ़, देहरादून और लखनऊ में किया गया। इसमें इन शहरों के 6-13 साल के बच्चों के 4,750 माता-पिता को शामिल किया गया।
किस किसको फांसी देने के बाद इस मुक्त बाजार में स्त्री को सुरक्षा मिलेगी और बच्चे अपराधी नहीं बनेगें,ऐसी गारंटी वाला कोई कानून हो तो जरुर बना लें।
फिलहाल भारत में रक्षा प्रतिरक्षा क्षेत्र के निजीकरण के बाद लाजिस्टिक समझौते के तहत सारे सैनिक अड्डे अमेरिका के हवाले है और देशी की स्वत्ंत्रता और संप्रभुता अमेरिका के हवाले है।विकास सिर्फ पूंजी बाजार का हो रहा है और हथियारों का खुल्ला बाजार बन गया है देश।
उत्पादन प्रमावली और अर्थ व्यवस्था है ही नहीं।
उत्पादन प्रमाली खत्म है तो उत्पादक समुदाय सारे के सारे फालतू जनता हैं किसान और तमाम मेहनतकश लोग।
उनके सफाये के लिए अभूतपूर्व भारत अमेरिकी सहयोग है।
राजनीतिक नेतृत्व अमेरिकी हितों का मार्केटिंग एजेंट है और यही शुध रक्त का धर्म कर्म है।
यही देवभाषाओं में अखंड मंत्र जाप है और इस तिलिस्म में किसी को चीखने की इजाजत नहीं है।बोलियों का इसीलिए कत्लेआम और अखंड शुद्धता के व्याकरण का वर्चस्व कुलो अभिव्क्ति की आजादी का फंडा मौलिक अधिकार है।
अब खबर यही है कि गलाकाट प्रतिस्पर्धा के युग में निजी कंपनी के कर्मचारी न केवल तनाव के दौर से गुजर रहे हैं बल्कि कौशल (स्किल) के बावजूद दक्षता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाते। इसका खामियाजा कंपनी को भुगतना पड़ता है।
ऐसे में मल्टीनेशनल कंपनियां श्रीमद्भगवत गीता के श्लोकों का इस्तेमाल कर्मचारियों में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए कर रही हैं। गीता कंपनियों में प्रबंधन का मंत्र साबित हो रही है।
कर्मचारियों को गीता का ज्ञान देने के लिए बकायदा, मोटिवेशन करने वाले लेक्चरर व धर्मगुरुओं को आमंत्रित किया जा रहा है।
श्रम के सारे अधिकार खत्म और उत्पादकता बढ़ाने के लिए गीता की उपदेश।तो समझ लीजिये कि स्रम जीवी कौन है और गीता के कर्मपल सिद्धांत का असल आशय क्या हैं।जो पाठ्यक्रम भी है।
सोमवार को ब्रेंट क्रूड ऑइल एक समय 2.1 प्रतिशत गिरकर 36.09 डॉलर प्रति बैरल रह गया। यह जुलाई 2004 के बाद इसका निम्नतम स्तर है। सोमवार को अमेरिका स्टैण्डर्ड वेस्ट टेक्सस इंटरमिडिएट 1.2 प्रतिशत घटकर 34.32 डॉलर रह गया।
गौरतलब है कि मंदी के बाद यह वर्ष 2009 के बाद का निम्नतम स्तर है।
चार दिसंबर के बाद से जब पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) ने जबर्दस्त आपूर्ति और कमजोर मांग के बावजूद कच्चे तेल उत्पादन को कम करने से इनकार कर दिया है।
फिरभी तेल कीमतें घटने के बावजूद न मुद्रास्फीति और न मंहगाई को लगाम देने के मूड में है डाउ कैमिक्ल्स के मैनेजर,सीईओ।
सारा जोर पूंजी बाजार को मजबूत करने पर है और आम जनता की आस्था और भावनाओं के साथ खिलवाड़ के जरिए असल आस्था लेकिन विदेशी पूंजी,विदेशी हितों और विदेशी निवेशकों में है।
उनकी दलीलें भी लाजवाब हैं।मसलन पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद प्रधान ने आज कहा कि साल 2040 तक भारत की ऊर्जा मांग दोगुनी से अधिक हो जाएगी जहां अर्थव्यवस्था मौजूदा आकार से पांच गुनी से अधिक होगी।
प्रधान ने लोकसभा में प्रश्नकाल में कहा कि अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने वल्र्ड एनर्जी आउटलुक 2015 में भारत के परिप्रेक्ष्य में भी तस्वीर पेश की है और कहा है कि 2040 तक की पूरी अवधि के लिए भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के अन्य किसी देश से अधिक रफ्तार से 6.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की औसत दर से बढ़ेगी। उन्होंने कहा, '2040 तक भारत की ऊर्जा मांग दोगुनी से अधिक होगी।
आतंकवाद से मुकाबले हेतु अमेरिका-भारत की योजनाएं
भारत के साथ रणनीतिक सहयोग हमारे आतंकवाद से मुकाबले की साझेदारी का एक महत्वपूर्ण घटक है। अमेरिका और भारत, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, संयुक्त कार्य समूहों, और द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर के असंख्य अन्य मुद्दों के माध्यम से एक दूसरे के साथ सर्वोत्तम प्रथाओं और जानकारी को साझा करते हैं। हम आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए भारत और अन्य सहयोगियों के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और इन हमलों को करने वाले लोगों को न्याय तक लाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।
Closeness between Narendra Modi, Barack Obama is real, says US envoy!
होइहिं सोई जो राम रचि राखा।रामजी सबकुछ रचि दिहिस तो हमरे खातिर रचने को बाकी का होई।
जाहिरे है कि भाषा,व्याकरण,वर्तनी और सौंदर्यबोध की विशुध देवभाषाओं मा हमरी कौनो औकात नइखै।
हमार बाप जौन रहे ,उ 77 साल की उम्र में रीढ़ के कैंसर से मुआ गये रहे।मरने से पहले तक देश दुनिया मा चकरघिन्नी जो रहे सो रहे,हल उछाकर खेत भी खूब जोते रहे हैं।
त ई समझो कि हमउ वहींच करत वानी।लिखना विखना हमार औकात नइखै।हमउ हल जोते रहे हो।खेत हो न हो,किसान जो भी करै,हलवाही के अलावा होता कुछ नहीं है।
कटु सत्य है कि भद्र बिरादरी के सत्ता वर्चस्व में चीखों की कोई गुंजाइश नहीं है।न जनसुनवाई का कौनो स्पेस है।आज की सबसे बुरी खबर है कि ह्स्तक्षेप का सर्वर बइठ गया आउर हम कोई खास खबर शेयर न कर सकत।मदद की गुहार अब काहे को करें,कोई सुनबे नाहीं।
तमाशा जो लाइव ह,उसकी आड़ में भव्य राममंदिर फिर बनावेक चाहि और जोरदार कारसेवा की तैयारी ह।
कानून जो पास हुए संसदीय सहमति के तहत उसमें राज्यसभा में अल्पमत सरकार ने तीन विधेयक पारित कर दिये सर्वसम्मति से।इनमें से एक विधेयक का ब्यौरा फिलहाल मिला है।
अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक।अब तक देश के चप्पे चप्पे में जो रंग बिरंगा जुल्मो सितम हत्या कत्लेआम रेप गैंगरेपवा का किस्सा ह ,भूल जाइब ,एइसन इंतजाम बा।
बाबासाहेब की जै।
बाकी दुइ विधेयक नामालूम।तीनों सर्वसम्मति से पास।जीएसटी भी देर सवेर पास हो जाई।
जइसन जो लोग लुगाई परमाणु संधि के खिलाफ यूपीए सरकार प्रथम के खिलाफ अनास्था प्रस्ताव लाकर लंबा चौड़ा भाखन पेले रहे,वे हर दूसरे देश से परमाणु चूल्हा ला रहे हैं।
तो परमाणु चूल्हा जो मिलल त साझा चूल्हा तमामो फोड़ेके चाहि।
नामालूम कानून जो सबसे बढ़िया पास हो रहा है,वह नायाब है।पहिलका खाड़ी युध के दरम्यान चंद्रशेखर प्रधानमंत्री रहे।वही चंद्रशेखर समाजेवादी,जिनने भुगतान संतुलन से हारकर देश का सोना गिरवी पर रख दिया।
महाबलि अमेरिका को इराक पर बमवर्षा करने से पहले ठहराव और ईंधन के लिए भारतीय सैनिक अड्डों के इस्तेमाल करने की इजाजत लेनी पड़ी।
तब हालात दूसरे थे।हम अमेरिका या इजराइल के पार्टनर न थे।आतंक के विरुध जुध मा पार्टनर।अब तो बिरंची बाबा पुतिन ओबामा बराबर हो गयो।
नेपाल जो संप्रभुता की रट लगाकर संविधान बदलने का दिल्ली का हिंदुत्व फरमान को ताक में राखिकै लाल चीन से पिंग बढ़ावै की तैयारी किये रहि,मधेशी आंदोलन का जलवा वंसत बहार के जरिए वहींच नेपाल अब गेरुआ गेरुआ गावत ह।संविधान तो क्या अब वहां राष्ट्रपति प्रधानमंत्री भी बदल दिये जाने की तैयारी ह।
हिमालय सुरक्षित हो गइल।
अब फिन हिंदू राष्ट्र और राजतंत्र की वापसी मा देर नइखै।
भारत भी हिंदू राष्ट्र बनेके चाहि।जोरदार कारसेवा की तैयारी ह।यहीं च सही मौका ठैरा।हिंदू ह्रदय सम्राट कल्कि महाराज गद्दी मा,इसपर तुर्रा ओबामा आउर पुतनव दुनो कासमखास दोस्त।
इजराइल का खुल्ला समर्थन हिंदू राष्ट्र के खातिर अनिवार्य रामंदिर बनावेक चाहि।
अब भारत को अगर खाड़ी युध तेल युध कोई लड़ना पड़े राष्ट्रहित मा या फिर पाकिस्तान को हमेशा के लिए मटियामेट करने की गरज से,उ इतजाम भी अबहुं झकास,चाकचौबंद।
मतबल कि गोआ के चुनांचे कानूनो एइसन बन रहा है कि हमारे तमामो सैनिक वायुसैनिक और नौसैनिक अड्डे अमेरिका के हवाले के अमेरिका जब चाहे जिसपर चाहे बमवर्षा करे या उनकेयुध्क विमान मक्खी सरीखे भनभनाये जैसे ड्रोनवा भनभनाये ह।देस के तमामो दुश्मन खलास हो जाई।
साजिश रचने वाले मानवाधिकार नागरिक अधिकार संप्रभुता स्वतंत्रता गणतंत्र लोककल्याण सहिष्णुता बहुलता इत्यादि टर्रा रहे मेंढकिया गिरोह माफिया माओवादी की तरह मार गिरावैके चाहि।
कौनो फतवा उतवा की जरुकरते नइखै।
मतबल कि गोआ के चुनांचे कानूनो एइसन बन रहा है कि जौन हिंदू राष्ट्र खातिर गैर हिंदुओं का या वघर वापसी या नसबंदी या सफाया का फौरी एजंडा ह,उ साधने खातिर ई छप्पन इंच सीनावा का करिश्मा हो।जय हो बिरंची बाबा,टायचेनिक बाबा,कल्कि की।
कलजुग का अंत समझो।
जो खूबै नाच नाचे हो जौन गोपाल नचावे दांच चियारकके चीखै भी खूब समानतासामाजिक नियाय आउर उछलै भी खूब के बिहार मा रामरथ रोके दिहिस दुई दुई बार।
ससुरै बुड़बक लालटेनवा सगरे देश मा चलावेक के फेर मा ह।बूझत के हाथी कुचल देब।साईकिल पे सवार होईकै हाथी न कुचल देब।
उ नाही जानत के होइहिं सोई जो राम रचि राखा आउर उ जौन राम बा,उ हमार संग संग बानि।पेज बनावैक काम करै हो।कर्मफल रामजी को भी बक्शे नाही।
जनम जन्मंतर का फेर ह।रामजी की भी दुर्गति होई रही मनुस्मृति राज मा।अशुध जौन देहाती बुड़बक ह,उनका काम तमामो चाहि।दसों दिसाओं से सत्यानाश चाहि।
छोटे मंझौले कारोबार अलीबाब स्नेपडीलवा और फ्लिप कार्टवा के हवाले।होस नइखे।
दिशा दिशा मा फ्री फ्लो आफ फारेन कैपिटला बहैके चाहि,सो गंगा बहे के नइखै बहे कि हिमालय रहे कि नइखै रहे।
हजारोहज्जार ईस्ट इंडिया कंपनी बाड़न।
उत्पादन की दरकार नइखै।
दल्लाराज कायम ह।
कटकटेला अंधियारे का तेजबत्ती वाला
कारोबार धूमधड़ाका।
सबकुछ शुध मिलल चाहि।वैदिकी सतजुग आ गइल।तनिको मंहगा हउई गवा जो विकास और पूंजी बाजार के ग्रोथवा का रिजल्ट ह।
देश भक्त ब्रिगेड मस्त।
थ्री जी गइल अबहुं फोर जी।
सहिष्णुता जलवा रातोदिन।
मरालिटी एथिक्सवा अमेरिका यूरोप मा नइखै तो अमेरिकी उपनिवेशमा काहैकूं चीखै बुड़बक जनता।
बहुत शर्म आई,भौत सहानुभूति बा,भारी आक्रोशबा तो मोमब्ती जहां तिहां जलावेक चाहि।
सगरे चैनल पैनल देहलिवा मा सो उ रच दिहिस तमामो दृश्यबंध राष्ट्रविरोधी,कुतवा मरै और चीखै मीडिया।
जो मरे ह ,उनर सगे संबंधी खामोश।
खूनकी नदियां जहां तिहां,फिरभी खामोश।
दुई रुपै मा चुनावी चावल गेंहूं,टीवी, साइकिल, लेपटाप, खैरात शापिंग माल हाई वे परमाणु संयंत्र का नइखै मिलल ह।
ई बड़बक फलतू जनता का सपाया बहुतै जरुरी बा।सो,नरसंहार विशेषज्ञ आमेरिका से आवैके चाहि।
अरब अफ्रीका वियतनाम, लातिन अमेरिका मा अरब वसंत हुई गयो तो हमउ केसरिया सुनामी के बीचोंबीच वानी आउर रोटी रोजगार मिलल के ना मिलल भव्य रामंदिर वहींच चाहि।
सगरे गैरहिंदू हिंदू विरोधी बाड़न।
आतंकवादी आउर उग्रवादी माओवादी बाड़न।
सो इंतजाम चाकचौबंद के अमेरिकी फौजें मौजीद रहि।
सीआईए तो है ही।
मोसादवा भी मस्त कलंदर बा।
एम 16 बा।
बाकी कसर पूरा होवैकै चाहि।
फिन हमउ अमेरिका को अड्डा बनावै दुनिया पर हिंदू राष्ट्र कायम कर सकै ह जइसन ग्वलोबवा मा गेरुआ धुन बाजै।
मौसम जलवायु इंजीनियरिंग हो गइलन।पेरिस मा शिखर वार्ता में दुई डिग्री तापमान घटावैक समझौता हो गइल।बाकी कसर परमाणु विकिरण से पूरा हो जाई जइसन भोपाल मा मिथाइल आइसोसाइनेट का कमालो कमाल रहे आउर देहात खत्म तो प्रदूषण भी खत्म।जनता खत्म तो जनता की समस्याएं भी खत्म।
शुध सतजुग खातिर महाविनाश जरुरी बा।जौन शुध,वहीं बचबे करेगा।बाकी पलतू जनता विकासे खातिर बलि होवैक चाहि।वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति।यहींच अमेरिकी एजंडा।
बाकी न समझे हो कल देर रात जौनवीडियो प्रवचन हमउ दागै रहिस,उमा सारा ब्योरा औरसारा जलवा विजुअल ह।
भारत, अमेरिका और जापान ने समुद्र क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है।
परमाणु सहयोग तो है ही है।
क्या कांग्रेस देश की बर्बादी है?
निर्भया की माँ नरेंद्र मोदी जी से मिली और मोदी जी ने आश्वाशन दिया और कहा कि, "काफी दिन पहले से ही हम अफरोज को सजा दिलाने वाला "Juvenile Justice Bill" लेकर आये थे .. वो लोकसभा में पास हो गया...पर राज्यसभा में 'कांग्रेस' पास होने नहीं दे रही....." फिर भी सबकुछ ठीक करने का PM ने आश्वाशन दिया था।
कांग्रेसी आज बहुत खुश हो रहे होंगे, उन्होंने निर्भया के कातिल मुहम्मद अफरोज को आखिरकार बचा ही लिया। लोकसभा में जुभीनाईल कानून पर संशोधन पास हो चुका था बस अगर राज्यसभा में पास हो जाता तो मुहम्मद अफरोज नाम का दरींदा आज सलाखों के अंदर होता। पर कांग्रेसियों ने जानबूझकर संसद में व्यवधान कर के संसद चलने ना दीया और राज्यसभा में यह पास न हो पाया. कांग्रेसियों तुम्हारी माँ की जय ।
Closeness between Narendra Modi, Barack Obama is real, says US envoy!
We just had an instance of US and India working together for a global goal on climate change. When and how did the breakthrough happen?
It's not a discussion that started two weeks ago. In New York in September, both leaders came together and said they wanted to be part of the solution. They didn't need any convincing on the impact that climate change was having on the world.
The breakthrough was the acknowledgement that all countries would have slightly different responsibilities. This notion of differentiation was important. The president acknowledged to the PM, "Your 300 million people who don't have access to electricity deserve that access to energy and in an affordable way."
Our position was not fully losing the differentiation; it was about coming away from bifurcation, which was dividing the world into two camps. This is a 1992 construct, distinct from differentiation. Differentiation is built into the system by the INDCs, by the fact that every country was coming with its own plan. What we were saying was that when it comes to transparency and reporting every 5 years, we should all be on the same page. We were able to bridge that difference. We also came to an understanding on financing, the very aggressive $100 billion until 2020.
Bill Gates and other successful entrepreneurs came together to support clean innovation. We are proud of our Mission Innovation and Solar Alliance. I don't know if you know this, but Mission Innovation got its name from PM Modi's suggestion. These were two parallel efforts that came through in Paris which showed we wanted to be part of the solution, of the effort to drive down costs of energy and move to cleaner energy. On that there was no daylight between us.
What kind of a year has this been for US-India relations?
On the macro picture, I'd say 2015 was a year of consequence in our relationship. Not only were we able to sustain the momentum generated from PM Modi's visit to Washington in September 2014 and then the President's visit here on January 26, 2015, I think we were able to substantially build and deepen our cooperation across multiple domains. On the big issues of the day, we are aligned like never before.
Starting with defence and security cooperation - we are not just supporting the vision of cooperation in Asia-Pacific, but building on our naval cooperation, which aligns well with our rebalance and India's Act East policy. We are also moving away from a buyer-seller relationship.
In the economic and trade areas, we have continued to exceed all our expectations, as we watch our companies increase their presence in each other's countries. In the clean energy and climate area, who would have thought that India and US together would play such a leadership role, bringing in one of the most comprehensive landmark climate agreements, including agreeing to support aggressive renewable energy targets in India.
For us, 2015 represents the durability and maturing and resilience of our relationship. I can look back at the last three weeks of our relationship - our president and PM spoke to each other each of the last three weeks. Not to say we were in agreement on every issue, but they called each other to discuss the areas of disagreement. Now that is a sign of a different partnership.
Is the relationship between PM Modi and President Obama hype, or is there something to it?
The closeness between them is real. I think they both have a real understanding of each other, of our histories and the limitations of the democratic systems we work in, and what is top of mind for each other. When they went to Paris for the launch of Mission Innovation, they were late by 30 minutes, because they were talking to each other one on one. President Obama said, "I'm sorry we are late but we had a lot to discuss and the fact is, we need to address the prime minister's concerns about 300 million people who deserve access to low cost and cleaner energy." Its not just that the two of them are friends which they are, but there is a real reflection that we talk about these values between our countries which makes a difference in this era of tumult and stress on the international system.
Defense minister Manohar Parrikar's visit was full of symbolism. What was the substance?
There were a lot of great firsts. It was not only Minister Parrikar spending 3 hours on an aircraft-carrier, but was the first defence minister to visit Pacific Command. We made real progress on joint production and co-development. We have further liberalized and changed our defense policies. Look at the decision taken on jet engine gas turbines, that will allow US to be more forward leaning on production of advanced jet engines and support India's fighter development.
On your critical needs, carriers, fighters, across the board, we have been supportive of your efforts to develop capabilities in aerospace, cyberspace, maritime and space. We are talking about deepening our cooperation in a way that we haven't seen before.
Is there a greater willingness in India to discuss the foundation agreements?
Yes. Absolutely. They are part of an effort to harmonize two systems that grew up during the Cold War. We had an export control system that was based on western systems and NATO countries that was different system for Eastern bloc countries. India was on a different track. What has happened in the last 25 years is this harmonization process. That involves different aspects - our militaries getting closer to each other, more interoperable and joint (a phrase we didn't utter but now we do). There's an effort on our export control system to take items that would have been restricted from exports, defence controls, moving them to commerce, and then to license-free, and we've done that. That involves certain agreements like logistics support and communication systems and we're doing that. We've had more receptivity on that. I don't want to make the foundational agreements sound that they are everything. It's one piece of a larger puzzle that brings us closer on jointness and interoperability.
When would you say we could see an Indian aircraft carrier built with US assistance?
It's hard to put a date. We had an amazingly good interaction of our carrier working group in the fall in US where we went to US installations. We have an upcoming meeting of the carrier working group. In the past seven months I have been on three different US carriers with Indian naval officers, operators and aviators, in the Arabian Sea, Indian Ocean and Atlantic Ocean. We have to talk about all aspects - carrier cooperation and best practices, carrier development and we are looking at all aspects of carrier cooperation. Plans to develop indigenous capability here in India is well under way, and we'd like to be partners.
Look how far we have come in 12 months, when our teams are talking about carrier cooperation in a way we never have before. That the defence minister spent 3 hours on our aircraft carrier talking about advanced co-development of carriers is not a small deal.
We still appear to be far apart on trade. How will you prioritize what needs to be done in 2016?
On bilateral trade, we've done a remarkably good job. In 10 years, we've tripled two-way trade, from $30 billion to over $100. We've tripled bilateral investments. What will unlock greater trade and investments, would be continuing to increase sectors where we can operate defense or multi-brand retail, that's part of a continuing conversation. We've also talked about the need to encourage investor confidence - certain regimes like the bilateral investment treaty.
I understand there is little movement on that?
That's not true. It took us three years to come up with our draft text of the BIT. I believe the Indian government is in the final stages of its new draft. We have to see how far apart we are. We are working on meaningful dispute resolution mechanisms so investors can be confident they can come here in India set up in a way that will inspire greater investments.
On the multilateral front, that's where we continue to have some sticking points. But even last year when we had disputes over food security and food subsidies we were able to work out an agreement that allowed the trade facilitation agreement to go forward and negotiate a peace clause for India on food security that remains in effect today. What we want to do is update our understandings so we can reflect these new realities, but also address concerns about ensuring that agriculture, for example, continues to be an industry that flourishes in these new industries and market conditions.
Why is the US rethinking its support to India on APEC? Will it ever support India on TPP?
India was not in the first round of TPP. We still have to clear it in our system, we'll see what the second round brings. On APEC, I would say, the President's visit in January acknowledged India's interest in joining APEC. Over the course of the year, we have been building the roadmap for our cooperation in Asia-Pacific. We've made a commitment to engage India in consultations for APEC. I think 2016 will be an important year in advancing these discussions.
I was there for the Strategic and Commercial Dialogue where this subject came up with Secretary Kerry strongly encouraging further bilateral consultations. We have to have a process where we can continue consultations. But set APEC aside for a second. This has been a bit of a turning point in our relationship, in that where we have disagreements, we have put mechanisms in place to talk about these issues. I don't want to predict where the conversations are going to lead but the fact that we've gone from having no consultations to a commitment to engage in these discussions.
Are we any closer to closing the gaps on the nuclear issue. What are the next steps?
The contact group met in November 24-25 in Washington. We've been pleased with the progress. We look forward to India's ratification of the Convention on Supplementary Compensation (CSC). We need to make sure the insurance pool is finalized and implemented the way it was envisioned and government-to-government understandings are in fact reflected in the commercial contracts and we can move forward. I think, I would expect the first half of 2016 where we can see considerable progress. It's not just the big companies, there are smaller companies that are engaged in all elements of the decision to build reactors here. Our companies are involved in these negotiations.
There was a last-minute hurdle to India's accession to MTCR. Do you think that can move forward. On a related note, why is the US contemplating a nuclear deal with Pakistan? Does it square with our discussions over the past decade?
We strongly support India's membership in the four international regimes. We are disappointed we didn't achieve in the last plenary session of MTCR, but confident it will happen soon. It's the same with NSG. These are consensus organisations, we have to keep at it. We are going to play a leadership role, India will have to continue to work this as well.
Rumours about a civil nuclear cooperation with Pakistan have been addressed by our government, they are unfounded. Membership in all these groups come with very high requirements. It's hard to get into these groups. We're pleased to support India's membership, given India's record of non-proliferation. It would be premature to be talking about export control regime membership in another context with Pakistan. We are in a far different position with India.
Moving on, we have not moved far enough on education collaboration, while we are again getting hit on H1B visas?
It's a subject I have some personal familiarity with. My dad went to the US in 1963 on an academic scholarship and spent his career as a professor and reminds me on a weekly basis that not enough is being done.
The number of Indian students in US had a 30 per cent increase last year and is at an all time high, higher than any other country, with 130000 students in the US. I know a number of universities there would love to have more formal relationships to provide instruction and services here in India. I hope that's an area we can make progress. We need to do more in curriculum harmonization so students can do a semester in the US without losing ground or can do a degree here that is fully recognized as they go into a master's program in the US.
Outside of higher education, we can do a lot more on skills education - not everyone wants or needs a four-year degree, but they need the skills to compete in this century. Some work has been done, but a lot more needs to be done. We need to be creative about how we provide the expertise and meet the demand in India.
On H1B, India continues to receive the lion's share of H1Bs, some 110,000 visas were issued. Sometimes we have areas of disagreement, this is one of them.
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Not only President Obama Modi is commanding respect from major world leaders...From countries like Japan,Singapur,Russia... Read MoreJitendra Chaturvedi
What's your big takeaway at the end of 2015?
India and US are aligned like never before. 2015 demonstrated that. Even when we have differences we sit down and talk in an honest and forthright way that we have never done before. Our president and PM have met 6 times in the past 14 months. They spoke to each other each other three times in past three weeks. They used their new secure lines twice even two days ago to wrap up discussions on the climate change agreement. This is the hallmark of the new relationship and an acknowledgment that US and India need each other economically, strategically and politically.
अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट जॉन केरी और अमेरिकी एनर्जी सेक्रेटरी अर्नेस्ट मोनिज़ स्वच्छ ऊर्जा और प्रौद्योगिकी उत्पादों पर केंद्रित प्रदर्शनी के दौरान हाई स्कूल के दो उद्यमियों से मिले।
भारत सरकार के साथ अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी रोधम क्लिंटन की बैठकों की समाप्ति पर 20 जुलाई 2009 को दोनों सरकारों ने 21 वीं सदी में वैश्विक समृद्धि और स्थिरता को बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय संबंधों के विकास में तेजी लाने के अपने इरादों के बारे में एक संयुक्त बयान जारी किया। दोनों सरकारों ने एक सामरिक वार्ता की रूपरेखा तैयार की जिसमें पांच प्रमुख स्तंभों पर ध्यान दिया जाएगा: रणनीतिक सहयोग; ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन; शिक्षा और विकास; अर्थशास्त्र, व्यापार और कृषि; विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा स्वास्थ्य और नवप्रवर्तन। द्विपक्षीय कार्य समूहों की एक सुसंगत संरचना के माध्यम से दोनों सरकारें ठोस परिणाम देने के लक्ष्य के साथ मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला को संबोधित करेंगी।
ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन कार्य समूह हमारी सफल ऊर्जा वार्ता को जारी रखेंगे और वैश्विक जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए कार्यवाही पर विचार विमर्श शुरू करेंगे। यहां दोनों देशों की सरकारों के बीच की ऐसी कुछ गतिविधियां हैं जो ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के सहयोग को आगे बढ़ा रही हैं।
हमारे महत्वाकांक्षी जलवायु एवं स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों काे प्राप्त करने में सहयाेग के लिए अमेरिका अौर भारत इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए कृतसंकल्प हैं।
हमारे दोनों देशों ऊर्जा संसाधनाें को विस्तार करने ऊर्जा कुशलता काे बढ़ाने अौर जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चिंताअों के समाधान के लिए मिलकर कार्य कर रहे हैं।
India-U.S. Delhi Declaration of Friendship
"Chalein saath saath; forward together we go." Reflecting the close ties between our two great democracies, India and the United States agree to elevate our long-standing strategic partnership, with a Declaration of Friendship that strengthens and expands the relationship between our two countries
"Sanjha Prayaas, SabkaVikaas; Shared Effort, Progress For All." Each step we take to strengthen the relationship is a step towards shaping international security, regional and global peace, prosperity and stability for years to come.
Signaling the natural affinity enjoyed by our two nations, this Declaration proclaims a higher level of trust and coordination that will continue to draw our Governments and people together across the spectrum of human endeavor for a better world.
The India-U.S. Vision Statement endorsed in September 2014 committed our nations to a long-term partnership for prosperity and peace, through which our countries work together to make our citizens and the global community, safer and more prosperous.
The Declaration makes tangible and enduring the commitment of our two countries to harness the inherent potential of our two democracies, and upgrades the unique nature of our relationship, committing our Governments to work through areas of difference.
Through this Declaration of Friendship and in keeping with our national principles and laws, we respect:
Equal opportunity for all our people through democracy, effective governance, and fundamental freedoms;
An open, just, sustainable, and inclusive rule-based global order;
The importance of strengthened bilateral defense ties;
The importance of adapting to and mitigating the impact of climate change through national, bilateral and multilateral efforts;
The beneficial impact that sustainable, inclusive development will have on our two countries and the world;
The centrality of economic policies that support the creation of strong and sustainable jobs, inclusive development, and rising incomes; and
Transparent and rule-based markets that seek to drive the trade and investment necessary to uplift all members of society and promote economic development.
As part of this Declaration of Friendship, we commit to:
Hold regular Summits with increased periodicity;
Elevate the Strategic Dialogue to a Strategic and Commercial Dialogue, of which the Strategic elements would continue to be chaired by the External Affairs Minister of India and the U.S. Secretary of State and the Commercial components of the Dialogue would be led by India's Minister of Trade and Commerce and the U.S. Secretary of Commerce. This reflects the United States' and India's commitment to strengthen commercial and economic ties to advance mutual prosperity, regional economic growth and stability;
Establish secure hotlines between the Prime Minister of India and the President of the United States of America and National Security Advisors;
Cooperate to develop joint ventures on strategically significant projects;
Build meaningful security and effective counterterrorism cooperation;
Hold regional and multilateral consultations;
Consult and hold regular consultations in multilateral forums; and
Leverage the talents and strengths of our people to enhance sustainable, inclusive development around the globe.
U.S. – India Joint Press Release on Secretary of Defense Carter's Visit to India
Press Operations
Release No: NR-214-15
June 3, 2015
cretary Carter discussed the India-U.S. defense relationship, and the broader India-U.S. strategic partnership, and reaffirmed their commitment to expand and deepen the bilateral defense relationship. The two also reviewed the existing and emerging regional security dynamics.
Minister Parrikar and Secretary Carter signed the 2015 Framework for the India-U.S. Defense Relationship, which builds upon the previous framework and successes to guide the bilateral defense and strategic partnership for the next ten years. The new framework agreement provides avenues for high level strategic discussions, continued exchanges between armed forces of both countries, and strengthening of defense capabilities.
The framework also recognizes the transformative nature of the Defense Technology and Trade Initiative (DTTI). Both India and the United States have finalized two project agreements for joint development of mobile electric hybrid power sources and the next generation protective ensembles.
In addition, building on the areas of agreement during President Obama's visit to India in January 2015, Minister Parrikar and Secretary Carter agreed to expedite discussions to take forward cooperation on jet engines, aircraft carrier design and construction, and other areas. The two also agreed to pursue co-development and co-production projects that will offer tangible opportunities for American defense industries to build defense partnership with the Indian industries including in manufacturing under 'Make in India'.
Minister Parrikar and Secretary Carter agreed to continue their efforts to enhance bilateral cooperation in areas of mutual interest, such as maritime security and knowledge partnership in the field of defense.
Secretary Carter thanked Minister Parrikar for the help extended in the search for the U.S. helicopter which went missing during the relief operations in Nepal.
Secretary Carter invited Minister Parrikar to visit U.S. for the next meeting. Minister Parrikar accepted the invitation in principle.
For the full text of the 2015 Framework for the U.S.-India Defense Relationship, click here.
For further information on the U.S.-India defense relationship, click here.
"The United States and India: A Relationship on the Move" Remarks by Ambassador Richard Verma at IIT-Madras
Chennai | July 13, 2015
Introduction: India on the Rise
Vannakam and good afternoon. Thank you Professor Bhaskar Ramamurthi for your invitation to join the students and faculty of IIT-Madras for a conversation on the U.S.-India relationship. I am thrilled to visit one of India's most distinguished universities and alma mater to two generations of students who have brought innovation and excellence both in India and in the United States as well.
Your graduates are in the highest ranks of business, including Google, Infosys, Microsoft, and Tata Steel; in education at MIT, Carnegie Mellon, Harvard, and of course here at IIT-Madras; and they have become leaders in government and public life too. I was also pleased to learn about your close partnership with Purdue University focused on joint graduate education. You have produced not just the world's best engineers and scientists, but inventors and innovators, the very people who are leading India on the global stage and bringing new depth and breadth to the U.S.-India partnership.
One of my most famous predecessors, Ambassador John Kenneth Galbraith, used to give a lot of speeches, particularly at universities and to students across India. He was always amazed at the big crowds that would gather to hear him speak. He used to take pride in the applause that came at the end of his speeches, particularly the foreign policy speeches. But only did he later learn, as he writes in his memoirs, that the students were cheering so loudly because it was indeed the end of his speech! So I don't intend to give a long foreign policy speech or ramble on, as I'd rather take your questions and engage in a discussion. But I do want to provide a brief overview of the US-India relationship – a partnership that is on the move and has soared in recent months.
But, first, I think it's worth a look back on this week's events, just to ensure we all appreciate the significant global role India plays on the world's stage. There was, of course, the significant and welcome announcement between India and Pakistan, resuming talks on key security and economic issues. There was the trip of the Prime Minister to five Central Asian nations, where he secured important commercial and energy deals. And back in India, there was a successful rocket launch by ISRO of five British satellites, demonstrating an impressive array of space launch capabilities.
This is the new normal – India as the global strategic, political and economic player. We welcome that role, and will continue to be supportive of India's global aspirations. We will continue to support India's bid for UNSC membership in a reformed security council; we support their phased membership in the four export control regimes; we want them to play a leadership role in Paris at the Climate talks; we have welcomed and saluted their role in humanitarian response – from Yemen to Nepal to the Maldives.
U.S.-India: A Status Report
Back on the bilateral relationship, I'm as optimistic today about the promise and potential of our partnership with India as when I started here over six months ago. You may have seen the recent Pew Research poll showing President Obama's approval around 74%, and with the US more generally with similarly strong numbers. I feel that same sentiment, and excitement for our renewed ties when I travel around India.
I returned from Washington a couple of weeks ago, where I had an extensive round of consultations at the State Department, the White House, the Defense Department, with leaders of Congress and leaders of industry. To suggest that the interest in India remains strong would be an understatement – everyone wants to know what's happening in the relationship and what's coming up next. Even today in Washington, commemorating the 10 year anniversary of the civil nuclear deal, Vice President Biden will give a major address on US/India relations.
We see no signs of the interest or enthusiasm dissipating. Our cooperation is no longer limited to South Asia and we are working in more areas than ever before. I now refer to our partnership as a "Strategic Plus", with the "plus" indicating a broader geographic zone of cooperation and engagement in more areas than ever before.
We have some 80+ initiatives coming out of the January visit by President Obama; and 30 some dialogues/working groups have been re-launched since the Prime Minister's visit to DC last September. So, as we mark nearly six months since President Obama was here as the Chief Guest for Republic Day, let me try to sum up where things stand and where we are headed in five key points:
1. Strategic cooperation remains a bedrock of our relationship
Our military to military contacts are growing, defense sales numbers are increasing, and co-production and co-development is now a reality. I was delighted that Secretary of Defense Carter could be here in June to cement our relationship together for the next 10 years with the signing of the new Defense Framework Agreement.
Our major naval exercise, Malabar, will include the Japanese navy this year, and will continue to build a common operating platform for conducting advanced humanitarian and disaster response missions, as well as military operations. Similarly, our Army exercise, Yudh Abhyas, will be held in Joint Base Lewis McChord in Washington in September, and will bring our two Armies closer together to forge common understandings on battlefield tactics and strategy. And the Indians will rejoin our signature Air Force exercise, Red Flag, next year in the United States.
I would also note that our aircraft carrier working group will be meeting in the next couple of months. While we may not yet be building the next aircraft carrier together, we will be talking about how our respective systems could operate together, what technologies we use, and the battle rhythms of our carrier fleet. We have come a long way from not wanting to discuss interoperability – it's now a mantra for the future.
We are also working hard on building out the landmark Joint Vision Statement for the Asia Pacific that the President and Prime Minister entered into in January. That means developing new initiatives in maritime cooperation and in humanitarian and disaster response. Last week, we held a trilateral meeting between India, Japan and the US at PACOM focused on these subjects. It also means furthering our interests in economic integration and upholding international norms and rules in the Indo Pacific.
The United States and India look forward to a day very soon when, for the first time, we establish secure phone lines between our respective National Security Advisors, as well as between the President and Prime Minister, further opening key channels of communication on sensitive issues. All these moves point to stronger and closer ties strategically that will benefit not just our two countries, but for the global commons and for the rules based international order we are committed to upholding.
2. The economic, trade and commercial picture is improving
While economic reform measures may not often move as fast as some want, there has been steady progress in our commercial, trade and investment relationships, which bring significant benefits to both our countries. Two-way trade numbers are up, and have surpassed $103 billion, and increasingly Indian companies are opening and investing in the US. Foreign direct investment in India from American investors is on the rebound, and we've seen a very positive "race to the top" in the Indian states trying to compete for American investment, as they tout new regulatory reforms and improvements in the ease of doing business. And, some critical sectors like insurance and mining have become more open in recent months to outside ownership and investment.
We are in intensive consultations over a bilateral investment treaty; we have similarly intense discussions on food security at the WTO; and we have established robust dialogues and information sharing mechanisms on finance and tax. In fact, this past week, India signed a bilateral agreement with us to share information to deter and detect tax evasion and money laundering. The dialogues and information exchanges are imperative to resolving old disputes, like longstanding tax cases, while also ensuring our commercial connections grow stronger to help power both our countries' growth.
We are also lining up to support India's priorities in developing India's infrastructure for the 21st Century and helping to deal with the massive urbanization challenges confronting the country in the years ahead. We are a close partner in the Smart Cities campaign and in three cities in particular we are bringing our financing, technology and expertise to bear to help plan and design more modern, safe and sustainable living spaces. We are also committed to supporting India's plan to greater digitize its government services and delivery of benefits. Again, we believe our technologies and expertise will play a key role in this effort.
3. Climate and clean energy may be the most critical area that unites us in the years ahead
We are committed to sharing our experiences, our technology, and our financing possibilities to help India meet its aggressive renewable targets, to combat air pollution and to lessen the impact of temperature increases upon India. We have brought billions to the table in low-cost clean energy financing, and we will continue to help sponsor and bring clean energy solutions to market. We were pleased last week to establish a joint US/India multimillion dollar fund to support bringing green power to Indian communities that have none.
South India has an especially significant role to play in India's quest to achieve 175 GW of renewable energy by 2022. Here in Tamil Nadu, there is a strong commitment to clean energy with twice as much installed wind capacity as the next Indian state. Both Karnataka and Tamil Nadu have significant solar potential as well.
Our civil nuclear cooperation also continues to move ahead – the Indian Government has committed to ratify the international convention ensuring liability for nuclear accidents is channeled to operators, not suppliers; they have moved out aggressively on establishing an insurance pool; and our companies are working closely with NPCIL, India's nuclear power company, on ensuring these government to government commitments make their way into commercial contracts.
And we continue to have excellent discussions with India on the leadership role it intends to play in the Paris climate talks. The Prime Minister himself said he needs no convincing on the impacts of climate change, and we are hopeful that India will chart a compelling way forward that reduces its dependence on carbon-based sources of energy and embraces the huge opportunities available in today's green economy. We will continue to do our part in facilitating the financing and technology necessary to help facilitate this critical transformation.
4. We have established important mechanisms to discuss our disagreements
For all that we have in common, we are not the same countries, nor do we aspire to be. There is bound to be some dissonance in our partnership. But what I have seen – and what I will continue to work on – is that we are talking at all levels and on a regular basis – not only on those areas that unite us, but on those areas that may continue to divide us. And, this is the hallmark of a durable and mature partnership. That's why all these dialogues and working groups are so important – they help regularize our relationship, they build trust, and they help provide an outlet when disputes may arise, and that's a good thing.
This has worked in practice over the past 9 months – we solved our longstanding dispute on liability in the civil nuclear arrangement through the US/India contact group; we negotiated a way forward to India's food security concerns at the WTO; we not only averted a stalemate at the Montreal Protocol discussions on HFCs, we are now working constructively with India on their proposal to reduce HFCs; and on intellectual property, we have been able to voice our concerns through the trade policy forum and even weigh in and provide feedback on India's overhaul of its IP policy. When we talk and engage on the full spectrum of issues, we can get important things done.
So, we will continue to work with our Indian counterparts on improving the ease of doing business, protecting intellectual property, and seeing that more sectors of the economy are open for investment. And we will continue to use the mechanisms we've developed with our friends and colleagues in India to bolster civil society, free speech and inclusive governance.
5. Individuals in both our countries continue to make important advances across so many sectors that draw us together
The American and Indian people are at the heart of our strategic partnership. Thousands of Indians have participated in professional and academic exchanges with American citizens, and a growing and active diaspora in the U.S. continues to build personal connections. These relationships have brought our countries closer together in ways governments alone cannot achieve. I speak to Americans and Indians everyday who are making a difference to both our countries. And I'm meeting more today here at IIT-Madras.
Over three million Indian Americans contribute every day to the prosperity and success of the United States. In recent days in the United States, Indian Americans were at the forefront of the news. Governor Nikki Haley from South Carolina courageously helped bring down the confederate flag in her state, a divisive symbol of our past. And Sunita Williams was one of four brave astronauts chosen to test-fly commercial spacecraft, a promising development for our future.
Over 100,000 Indian students are studying in the United States. This year, there are two IIT-Madras scholars headed to the United States under the Fulbright-Nehru program and two Americans headed to IIT-Madras. Our university and community college presidents are talking to their counterparts in India about expanding the reach of our higher education and skills training efforts to future generations.
Americans in India are working side by side with their counterparts on health, development, human rights, and science & technology, and space cooperation. We look forward to path-breaking work between NASA and ISRO on deep space exploration to Mars and beyond, and future low Earth orbit missions to better monitor and understand climate change.
And in health, our doctors and development professionals are working together in 10 other countries to combat disease and child mortality. The US National Institutes of Health (NIH) and Center for Disease Control (CDC) have established excellent joint research projects with the Indian National Institute for Research in Tuberculosis (NIRT) which I look forward to visiting tomorrow. In short, our cooperation across so many sectors is deeper and broader than it's ever been before.
One of the recent trips I was privileged to take was to Punjab to visit the hometown of my mother and grandmother, and also give the commencement speech where my father graduated from college 64 years ago. I went back to the two-room house down an alleyway where my mom and grandma lived following partition; I went to the girls school across from a slum area where my grandmother taught; I saw her pay records from the mid-1960s showing a few hundred rupees each month; and I saw the admission records of my father for DAV college – an admission that lifted this eldest of 11 children from a village, and with the help of a scholarship from the University of Northern Iowa, put him on the path to becoming a college professor.
They say that understanding where you are from can help you better understand where you want to go – and that trip further crystalized for me the great importance of our deep people to people ties and how they can help drive our bilateral relationship forward. It was also a clear reminder that the scholarship and exchange programs, the USAID initiatives, and other people-to-people programs we help lead are so important, as I know what kind of impact they can have on people's lives.
Conclusion
The Prime Minister may have said it best when he said it is too limiting to ask what the US and India can do for each other – the real test will be in seeing what we can do for the world. The bottom line is we are stronger together. The two largest democracies, operating together, can bring greater peace and prosperity to the world. That's why we are so committed to driving forward on all aspects of this relationship. All of you here at IIT-Madras have been and will continue to be an integral part of shaping our future path together. Thank you very much
Indian Ambassador to the United States
United States Ambassador to India
India And The U.S. Partnering To Shape The 21st Century
Posted: 20/07/2015 23:03 IST
This month marks the 10-year anniversary of the landmark U.S.-India Civil Nuclear Cooperation Initiative that transformed our bilateral relationship into a strategic partnership built on mutual trust and natural affinity. As two ambassadors named in recent months, we've seen firsthand the promise of the U.S.-India partnership. The historic visits of Prime Minister Modi to the United States and President Obama to India helped our relationship soar, moving us past old disagreements and paving the way forward for even more ambitious new collaborations.
Since President Obama's January visit to India, we are now working on new initiatives from the outer reaches of space to the depths of the oceans. We have reenergized some 30 different dialogues and working groups to ensure close collaboration on issues like cyber and homeland security, women's empowerment, counter-terrorism cooperation and global health security.
In a world filled with complex security and economic challenges, this relationship matters more now than ever before. That's why our leaders have aggressively set out to increase our defense cooperation, create greater economic opportunities for our people and work more closely on climate change. Our national interests are converging on the vital issues of the day.
Our two countries, for example, have become indispensable partners in the Asia-Pacific and the Indian Ocean regions, whether our navies are conducting anti-piracy patrols off the Horn of Africa, responding to the latest humanitarian crises or participating in an ever-growing array of military exercises. Last month we signed a new 10-year agreement on defense cooperation and launched two new defense projects for co-development and co-production.
Our commercial ties similarly continue to deepen and enrich the lives of millions in both our countries. Two-way trade between our economies increased fivefold over the past decade to reach more than $100 billion today. Our leaders are committed to accelerating bilateral trade another fivefold. U.S. infrastructure and technology firms are ready to bring their expertise to Prime Minister Modi's ambitious plan to build 100 smart cities by 2020. And Indian firms and investors are increasingly present in the United States to help power America's growth and to create jobs. Ultimately, through our shared values of free enterprise and the rule of law, sustained and inclusive economic growth in both our countries can help continue to lift and empower those who need it the most.
Beyond the strategic and economic ties, our people continue to bring us closer together. More than a million Americans traveled to India in 2013, and more than 4,000 Indians applied for student visas at U.S. diplomatic facilities in India on a single day in May. These statistics attest to the strength of our people-to-people ties. Indian students account for the second-largest group of foreign students in the United States, with more than 100,000 students studying in the United States during the past academic year. The Indian diaspora has also made enormous contributions to every facet of American society, contributing its talents and ingenuity at the tech start-ups of Silicon Valley, the lecture halls and labs of premier educational institutions, the board rooms of Fortune 500 companies, and the corridors of power in Washington and in state capitols across the nation. And now, they are increasingly giving back to their ancestral home, as well.
In India, Americans and Indians are working closely together to spur advances in medicine, science and technology, helping to power India's growth and improving the lives of ordinary Indian citizens. India and the United States are also increasingly cooperating to meet development challenges in India and around the world, working together in vital areas such as agricultural research, combating HIV/AIDS, and sharing Indian innovations and expertise with other countries from Afghanistan to Africa to East Asia.
As U.S.-India ties continue to blossom, the true test of our defining partnership for the 21st century will be how it benefits not just our common citizens but also the global commons. Our leaders' vision of a rules-based international order where disputes between states are settled peacefully, trade flows more freely and clean energy reduces the threat of climate change offers the best promise of a more peaceful, prosperous and sustainable century than the past one.
The fact is, we are stronger when we work together, and our close collaboration in the years ahead can have a big impact upon global peace and prosperity. Given our shared democratic values, multicultural traditions, robust people-to-people ties and convergent economic and security interests, we are natural partners, and indeed on a course to be best partners. Serving as our governments' highest representatives in our respective capitals, we are resolute in our determination to ensure we remain on this course, and we are optimistic about our future partnership together.
Arun Singh is the Indian Ambassador to the United States. Richard Verma is the United States Ambassador to India.
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