तीन कविताएँ :
1.संसद समाचार
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जनता पूछ रही है :
गाँधी को मरे कितने साल हुए !
सांसद बता रहे हैं : सड़ी हुई गाँधी की लाश
अभी तक लटक रही है संसद में !
2. विरोध
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रेत पर मैं
धूप की चटाई बुन रहा हूँ
संसद में
दिन के उजाले में सांसदों का
दम घुट रहा है !
3. कारीगर
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ढाका की
बारीक चादर मुझे
सूरज ने
दी है अभी |
संसद के बाहर
सूर्य!
हाथ कटे
कारीगरों का
बयान
लिख रहा है !
- विष्णुचंद्र शर्मा
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