केदार जलसुनामी भूले डूब देश में अब जैविकी कयामत सर सिरहाने।
पलाश विश्वास
आज का संवाद
केदार जलसुनामी भूले डूब देश में अब जैविकी कयामत सर सिरहाने।
सीधे फेसबुक वाल पर या फिर गुगल प्सल पर अपनी राय जरुर दर्ज करें।सर्द मौसम में उंगलियों और कलम का टोप हटाकर।
| |||||
|
साभारः इकोनामिक टाइम्स
इस देश में एक कृषि मंत्री भी हैं।जो आईपीएल और क्रिकेट राजनीति में अक्सर मशगुल होने के बावजूद शायद सबसे अनुभवी राजनेताओं में से हैं और कभी प्रधानमंत्रित्व के मजबूत दावेदार हैं।लेकिन कृषि मंत्रालय का वजूद आयात निर्यात खेल के अलावा किसी को नजर आता हो तो बतायें।आज भी आंकड़ों के मुताबिक कृषि भारत की कुल जनसंख्या के 58.4% से अधिक लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है। इसके विपरीत देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी कृषि का योगदान लगभग पांचवें हिस्से के बराबर है।कृषि विकास दर लगभग शून्य है। विकास गाथा का मुख्य कार्यभार भारतीय कृषि और कृषि समाज का विनाश है। कृषि सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था,उत्पादन प्रणाली और उत्पादन सबंधों की धूरी ही नहीं है,बल्कि प्रकृति और पर्यावरण की सेहत भी उसी पर निर्भर है। कृषि के विनाश के साथ साथ प्रकृति और पर्यावरण का भी सत्यानाश हो रहा है।सोची समझ रणनीति के तहत हरित क्रांति और दूसरी हरित क्रांति की आड़ में कृषि समाज के सफाये की नीतियों को साठ के दशक से अमल में लाना ही वित्तीय प्रबंधन का पर्याय बन गया है। आर्थिक सुधारों के दो दशकों के दौरान योजनाबद्ध ढंग से कृषि और समूची देशज उत्पादन प्रणाली जो अंततः भारतीय कृषि से जुड़ी है,उसको ध्वस्त करके क्रयशक्ति निर्भर सेवा क्षेत्र को अर्थव्यवस्था का केंद्र बना दिया गया है। तेजी से जंगलों की कटान हो रही है।प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट चालू है और कृषि समाज को जल जंगल जमीन से बेदखल किया जा रहा है।
भारत के पढ़े लिखे लोगों को कृषि की इस तबाही की कोई चिंता है ही नहीं।और न किसी को प्रकृति और पर्यावरण की चिंता है। विकास के नाम पर जल जंगल जमीन आजीविका नागरिकता,नागरिक व मानव अधिकारों से बेदखली की दलीलें सजाने का नाम अब जनमत,जनांदोलन और जनादेश हैं।
विकास की गाड़ी को पटरी पर लाने के लिए रिलायंस मंत्री अब भारत के सुधार ईश्वर के जरिये राजकाज के प्रवक्ता हैं।संसद का सत्र अभी खत्म हुआ नहीं है औरकापोरेट हित में मोइली एक के बाद एक नीतिगत घोषणाएं कर रहे हैं।संसदीय प्रणाली और संविधान के खिलाफ है य,लेकिन कारपोरेट फंडिग से चलनी वाली कारपोरेट राजनीति इस मुद्दे पर खामोश है।पढ़े लिखे समर्थ लोग अखंड सन्नाटा जी रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल के उत्थान के बाद जनांदोलनों और सामाजिक क्षेत्रों के बाद सरकारों का भी एनजीओ करण होना शुरु हुआ है और समझ ले कि यह आर्थिक सुधारों का दूसरा चरण है।विनियंत्रित विनिवेशित अर्थव्यवस्था के तहत मुक्त बाजार के हित में संविधान और लोक गणराज्य को तो पहले ही ठिकाने लगा दिया गया है।फर्जी मुद्दों के मार्फत सुधार एजंडे को पूरे देश को बेहोशी की दवा देकर आपरेशन टेबिल पर सजा दिया गया है और लोग इसे मदहोशी और जश्न का आलम समझ रहे हैं।
दररकीकत गैस कीमतों को दोगुणा बढाने, इंफ्रा परियोजनाओं को हरी झंडी दे देने के बाद जिनेटिकैली मोडीफाइड बीज को वैधता देने की मोइली की यह घोषमा न केवल भारतीय कृषि के ताबूत में आखिरी कफन है,बल्कि डिजिटल बायोमेट्रिक रोबोटिक भारतीय नागरिकों के लिए यह मौत का फरमान है।हरित क्रांति के जरिये बड़े बांधों, ऊर्जी परियोजनाओं,पारमाणविक क्रांति के तहत रासायनिक जन विध्वंस कानजारा देश ने भोपाल गैस त्रासदी में देख ही लिया है,आतंक के विरुद्ध युद्ध में अमेरिका और इजराइल के साझेदार बनकर दक्षिण एशिया में मध्यपूर्व के जिस तेल युद्ध का नया मोर्चा खोला गया है और नाटो सीआईए मोसाद को हर नागरिक की खुफिया निगरानी के साथ साथ आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा दे दिया गया है तो देर सवेर परमाणु विध्वंस का नजारा भी सामने हैं।
कृषि के सन्दर्भ में संकर बीज (hybrid seed) वे बीज कहलाते हैं जो दो या अधिक पौधों के संकरण (क्रास पालीनेशन) द्वारा उत्पन्न होते हैं. संकरण की प्रक्रिया अत्यंत नियंत्रित व विशिष्ट होती है। हरित क्रांति के दौर में इस संकर बीज ने एक मुश्त परंपरागत श्रम निर्भर खेती के तौरतरीकों,कृषि संबंधों,देशज बीजों और प्राकृतिक खाद को खत्म कर दिया।हरित क्रांति के दूसरे दौर में अब जिनेटिकैली मोडीफाइड बीज की बारी है जो खेती और कृषि जीवी समाज के महाविनाश,प्रकृति और पर्यावरण के ध्वंस के लिएब बाकी कसर पूरी कर देगी।
पूरे हिमालय में ऊर्जी परियोजनाओं और विकास के रंग बिरंगे करतब से हिमालयी जनता को डूब में धकेल कर जो हजारों परमाणु बम लगा दिये गये हैं,उसका अभी एक ही विस्फोट हुआ है।केदारनाथ में जलसुनामी का हादसा।
अब मोइली की ताजा घोषणा के आलोक में दिनकी उजाले की तरह साफ हो गया है कि केदार जलसुनामी भूले डूब देश में अब जैविकी कयामत सर सिरहाने है।हजारों किसानों की सालाना थोकभाव से आत्महत्या करने के बावजूद बहुमंजिले उपभोक्ता नागरिक समाज को कोई फर्क अभी पड़ा नहीं है।पंजाब का महाविस्पोट भी लोगो ं की जेहन में नहीं है।गुजरात नरसंहार महज कोई सांप्रदायिक मामला और हिंदुत्व के पुनरुत्थान का मसला है नहीं,यह जनविरोधी विकास का भी अभूतपूर्व माहौल है।
हम शुरु से कहते रहे हैं कि यह जो धर्मोनमादी राष्ट्रवाद है,इसका चोली दामन का साथ है मुक्त बाजार से।
हम शुरु से कहते रहे हैं कि यह जो मनुस्मृति है,भौगोलिक अस्पृश्या है ,नस्ली भेदभाव है, यह सबकुछ एक मकम्मल अर्थव्यवस्था है जो वर्चस्ववादी अर्थव्यवस्था, कारपोरेट सत्ता और मुक्त बाजार का गर्भनाल है।
हम शुरु से कहते रहे हैं कि सांप्रदायिक हिंसा कोई धर्मोन्माद का मामला नहीं है यह देशज उत्पादन समाज को तबाह करने का महातिलिस्म है।
हम शुरु से कहते रहे हैं कि खंडित विखंडित भारतीय कृषि समाज के महाविनाश के लिए कृषिजीवी समुदायों को अलग अलग जातीय क्षेत्रीय अस्मिताओं में बांटकर प्रकृति,पर्यावरण और मनुष्यता के विरुद्ध कृषि समाज को आत्म ध्वंस के लिए धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद की पैदल सेनाओं में तब्दील कर दिया गया है।
हम अब कह रहे हैं कि सरकार का एनजीओकरण राजकाज में कायम कारपोरेट वर्चस्व को एकाधिकारवादी विदेशी पूंजी वर्चस्व में तब्दील करनेका प्रयोग है और भारत की राजधानी को उसी तरह इस वित्तीय सुधार का प्रयोगशाला बना दिया गया है,जैसे गुजरात को और बंगाल को भी और असम को भी विकास का नये माडल लागू करने की प्रयोगशालाओं में तब्दील कर रहे हैं।
आप असहम हों तो बोले जरुर।
असहमत हों तो आपका बोलना और जरुरी है।
genetically modified seeds के लिए विद्वत्तापूर्ण आलेख | |
Intellectual property and genetically modified seeds: … - Stein - 46 द्वारा उल्लिखित … the Incentive to Adopt Genetically Modified Seeds - Bullock - 46 द्वारा उल्लिखित … of biodiversity response to genetically modified … - Watkinson - 253 द्वारा उल्लिखित |
खोज परिणाम
-
Genetically modified food - Wikipedia, the free encyclopedia
en.wikipedia.org/.../Genetically_modifi...
Once that approval is obtained, the seeds are mass-produced, and sold to farmers. The farmers produce genetically modified crops, which also contain the ...
Genetically modified food - Genetically modified crops - Flavr Savr - Gene gun
Monsanto - Wikipedia, the free encyclopedia
It is a leading producer of genetically engineered (GE) seed and of the ... Monsanto was among the first to genetically modify a plant cell, along with three ...
Monsanto | Agricultural Seeds
The only business Monsanto Company is involved in is agriculture. This is why Monsanto spends time and money investing in research to help create the best ...
genetically modified seeds की चित्र
The Threats From Genetically Modified Foods - Sustainable Farming ...
www.motherearthnews.com/.../genetica...
लेखक R Mather - 6 द्वारा उल्लिखित - संबंधित लेख
As GMOs have come to dominate major agribusiness sectors, a handful of chemical/biotech companies now control not only genetically modified seeds but ...
Genetically Modified Seeds - Huffington Post
www.huffingtonpost.com/.../genetically...
WASHINGTON — The Senate is seeking to reverse a controversial law that allows farmers to harvest genetically modified crops even when the crops .
Monsanto and GMO lies revealed - Natural News
09-08-2013 - Discover the secret agenda of Monsanto and how this major chemical company has deceived the world with its genetically engineered seeds.
Genetically modified seed research: What's locked and what isn't ...
grist.org/.../genetically-modified-seed-r...
05-08-2013 - When corporations patent genetically engineered seeds, how tightly do they tie the hands of scientists trying to test their safety?
Genetically Modified Corn - Allergies to GMO Corn - ELLE
www.elle.com/.../allergy-to-genetically-...
24-07-2013 - The Bad Seed: The Health Risks of Genetically Modified Corn. With symptoms including headaches, nausea, rashes, and fatigue, Caitlin ...
The Bad Seed: The Health Risks of Genetically Modified Corn ...
28-07-2013 - Genetically modified corn? Everyone's heard of GMO corn, but I realized I didn't know what it actually was. Mansmann explained that starting in ...
KILLER SEEDS: The Devastating Impacts of Monsanto's Genetically ...
www.globalresearch.ca/killer-seeds-the-...
12-01-2012 - The irony is GM seeds have not been effective in India and the consequences are not as rosy as what Monsanto had promised to deliver.
लगभग 8,730 परिणाम (0.36 सेकंड)
खोज परिणाम
-
बीटी बैंगन - विकिपीडिया
hi.wikipedia.org/wiki/बीटी_बैंगन
बीटी बैंगन (बैसिलस थुरियनजीनिसस बैंगन) जिसे बीटी कॉटन (कपास) के रूप में निर्मित किया गया है, एक आनुवांशिक संशोधित फसल है। बीटी को बैसिलस थुरियनजीनिसस (बीटी) नामक एक मृदा जीवाणु से प्राप्त किया जाता है। बीटी बैंगन और बीटी कपास ...
बीटी बैंगन आखिर क्या है? - Hindi.in.com - Games
30-01-2010 - नई दिल्ली। बीटी बैंगन को लेकर इन दिनों सरकार और समाज में जंग छिड़ी हुई है। सरकार विदेशी कंपनियों के दबाव में है, दूसरी ओर देश के भीतर इस बैंगन के खिलाफ सरकार पर भारी दबाव बनाने की कोशिशें जारी हैं। इसी कड़ी में आज 30 जनवरी को ...
BBC Hindi - भारत - भारत उगाएगा बीटी बैंगन
www.bbc.co.uk/hindi/india/2009/10/091014_btbrinjal_ss.shtml
14-10-2009 - भारत पहले बीटी खाद्य उत्पाद के व्यवसायीकरण के लिए तैयार है. इस मामले पर बनी कमेटी ने बीटी बैंगन उगाने को मंजूरी दे दी है.
क्यों है बीटी बैंगन एक खतरा? - Media For Rights
www.mediaforrights.org/.../210-क्यों-है-बीटी-बैंगन-एक-खतर...
हम सबने सुना कि अब बाजार में बीटी बैंगन के बीज आ रहे हैं। बहुत से शहरी लोग नहीं समझ पायेंगे कि ये बीटी बीज क्या होते हैं? तो इसका अर्थ यह है कि बैंगन के जहर बुझे बीज। बीटी बीज बनाने वाली कम्पनी का कहना है कि बैंगन या आलू की फसल को कीटों से ...
बीटी बैंगन संबंधी रिपोर्ट पर सवाल
26-09-2010 - बीटी बैंगन, अमेरिका, पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश, विज्ञापन,Bt eggplant, United States, Environment Minister Jairam Ramesh, AD,नई दिल्ली। बीटी बैंगन पर वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश को पहले ही एक रिपोर्ट दे चुके अमेरिकी वैज्ञानिक ने अपनी ...
बीटी बैंगन - - Navbharat Times - Indiatimes
15-10-2009 - बीटी कपास के अलावा किसी अन्य जीएम फसल को व्यावसायिक रूप से उगाने की इजाजत नहीं है, पर ऐसी पहली सब्जी के तौर पर बीटी बैंगन को हरी झंडी दे दी गई है...
बीटी बैंगन - अन्य हिन्दी ख़बरें
बीटी बैंगन homepage on NDTVKhabar.com Find Hindi News articles about बीटी बैंगन.बीटी बैंगन News, Photos, Video & More न्यूज़, ताज़ा ख़बर on NDTV India, NDTVKhabar.com.
बीटी बैंगन - अन्य हिन्दी ख़बरें
बीटी बैंगन hind news on NDTVKhabar.com Find Hindi News articles about बीटी बैंगन.बीटी बैंगन News, Photos, Video & More न्यूज़, ताज़ा ख़बर on NDTV India, NDTVKhabar.com.
बीटी बैंगन और भारत में अपने विवाद | - विज्ञान होने के नाते
www.sciencebeing.com/2013/02/bt-brinjal-and-its-controversy-in-india/
Bt brinjal के लिए खोजे गए अंग्रेज़ी दस्तावेज़ का अनुदित परिणाम
बीटी बैंगन के जीनोम में मृदा जीवाणु बेसिलस thuringiensis से एक क्रिस्टल प्रोटीन जीन (Cry1Ac) डालने के द्वारा बनाई गई एक ट्रांसजेनिक बैंगन है.
बीटी बैंगन पर रोक NGO के दबाव में नहीं: रमेश - Desh ...
www.livehindustan.com/.../article1-No-NGO-pressure-moratorium-Bt-Br...
25-02-2012 - केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने शनिवार को कहा कि बीटी बैंगन पर रोक लगाने का निर्णय किसी भी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के दबाव में नही लिया गया।
visfot.com - बांग्लादेश से आयेगा बीटी बैंगन
visfot.com/.../10435-बांग्लादेश-से-आयेगा-बीटी-बैंगन.ht...
18-11-2013 - अभी ज्यादा वक्त नहीं बीता है जब भारत में बीटी बैंगन को लेकर हो हल्ला मचा था। देशभर में जनसुनवाई हुई थी। भारी विरोध को देखते हुए सरकार ने इसके मंजूरी के मंसूबों से मुंह फेर लिया था लेकिन अब वही बीटी बैगन पड़ोसी देश बंगलादेश ...
गुरमीत बेदी का व्यंग्य- बीटी बैंगन बनाम देसी बैंगन
15-03-2010 - अब आप कहेंगे कि बैंगन तो बैंगन ही होता है जी, चाहे देसी हो या विदेशी, बीटी हो या बिना बीटी, ब्यूटीफुल हो या बदसूरत, इससे क्या फर्क पड़ता है और इस पर क्या फिजूल की बहस करनी? लेकिन लोकतंत्र की मजबूती के लिए बहस भी उतनी ही जरूरी ...
[PDF]
-
भारत उगाएगा बीटी बैंगन
laurentmaheux.free.fr/HIN2B09bCE4/.../HIN2B09b-Cours-12.pdf
mardi 08 mai 2012. HIN2B09b. (Compréhension de l'écrit). Cours –12. भारत उगाएगा बीटी बैंगन. श्याम सुदर - बीबीसी सुंवाददाता, ददल्ली. बीटी बैंगन के रुप मेभारत मेंपहलेखाद्य उत्पाद produit alimentaire के व्यवसायीकरण का रास्ता. लगभग साफ़ है. बीटी बैंगन उगानेके ...
[PDF]
-
HIN2B09b Cours –8 बीटी बैंगन यानी सेहत का भताा जीएम ...
mardi 26 mars 2013. HIN2B09b. (Compréhension de l'écrit). Cours –8. बीटी बैंगन यानी सेहत का भताा. जीएम फसलों पर बनी सरकारी समममत नेतो बीटी बैंगन के पक्ष मेंराय दे दी है लेककन इस बैंगन से जुडे खतरों. पर सवाल जस के तस हैं. सम्राट चक्रवती की ररपोटा. समजजयों ...
बैंगलोर: बीटी बैंगन को लेकर जयराम रमेश का विरोध ...►►
14-11-2012
बीटी बैंगन पर बैंगलोर में किसानों ने पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश जमकर विरोध किया. वन-पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश बीटी बैंगन मुद्दे पर किसानों के साथ बैंगलोर में बैठक कर रहे ...
बीटी बैंगन | समाजवादी जनपरिषद
samatavadi.wordpress.com/tag/बीटी-बैंगन/
Posts about बीटी बैंगन written by अफ़लातून अफलू.
कहीं आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ न करे बीटी बैंगन!
25-03-2012 - इस बात से क्या वाकई कोई फर्क पड़ सकता है कि जीन संवद्र्घित बीटी बैंगन में प्रविष्ट कराए गए जीन और प्राकृतिक बैंगन के जीन में 1 नहीं पूरे 70 अलग एमिनो एसिड हैं? क्या होगा अगर देश के नियामक इस फर्क को पहचान पाने में नाकाम रहें और ...
उत्तराखंड में बीटी बैंगन पर बैन | ताना बाना | DW.DE ...
www.dw.de/उत्तराखंड-में-बीटी-बैंगन-पर-बैन/a-5221207
05-02-2010 - उत्तराखंड सरकार ने विवादास्पद बीटी बैंगन पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया है. उत्तराखंड भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने बीटी बैंगन पर बैन लगाने का निर्णय लिया है. केंद्र सरकार को भी करना है फ़ैसला.
'बीटी बैंगन पर फैसला दबाव में नहीं' - Zee News हिंदी
zeenews.india.com/hindi/news/देश/बीटी-बैंगन-पर.../91976
25-02-2012 - कोच्चि : केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने शनिवार को कहा कि उन्होंने बीटी बैंगन के वाणिज्यिक इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला किसी गैर सरकारी संगठन के प्रभाव में आकर नहीं किया था। उन्होंने कहा कि खाद्य फसलों ...
बांग्लादेश में बीटी बैंगन की व्यावसायिक कृषि को ...
ssgcp.com/बांग्लादेश-में-बीटी-बैंग/
बांग्लादेश में बीटी बैंगन की व्यावसायिक कृषि को मंजूरी. bt brinjal. December 18, 2013 वैज्ञानिक परिदृश्य · 78dec13 · 78adec13 · Share. डॉ. सुभाष काश्यप. संविधान, संसद, और राजनीति के प्रश्न पूछें उत्तर देंगे प्रख्यात संविधान विद डॉ. सुभाष काश्यप ...
Monsanto - Wikipedia, the free encyclopedia
It is a leading producer of genetically engineered (GE) seed and of the herbicide glyphosate, ... 4.3.1 Argentina; 4.3.2 Brazil; 4.3.3 China; 4.3.4 Haiti; 4.3.5 India.
The Seeds Of Suicide: How Monsanto Destroys Farming | Global ...
www.globalresearch.ca/...seeds.../5329...
24-06-2013 - gmo. Monsanto's talk of 'technology' tries to hide its real objectives of ...Monsanto's concentrated control over the seed sector in India as well ...
India: Genetically Modified Seeds, Agricultural Productivity and ...
www.globalresearch.ca/india-g...
India: Genetically Modified Seeds, Agricultural Productivity and Political Fraud. By Arun Shrivastava. Global Research, March 24, 2013. Region: Asia.
KILLER SEEDS: The Devastating Impacts of Monsanto's Genetically ...
www.globalresearch.ca/killer-seeds-the-...
12-01-2012 - The world's largest producer of genetically engineered seeds has been selling genetically modified (GM) in India for the last decade to benefit ...
The ill-effects of Monsanto's Genetically Modified Seeds in India
The world's largest producer of genetically engineered seeds has been sellinggenetically modified (GM) in India for the last decade to benefit the Indian farmers ...
The GM genocide: Thousands of Indian farmers are committing ...
www.dailymail.co.uk/.../The-GM-geno...
02-11-2008 - Though areas of India planted with GM seeds have doubled in two years - up to 17 million acres - many famers have found there is a terrible ...
India Revokes Monsanto's GMO Cotton Seed License | Power Elite
beforeitsnews.com/.../india-revokes-mo...
04-05-2013 - NEW DELHI, India, August 9, 2012 (ENS) – This was a difficult day for the proponents of genetically modified crops in India. In Parliament, the ...
Myth of India's 'GM genocide': Genetically modified cotton blamed for ...
-
26-01-2013 - A 2011 report published by the Center for Human Rights and Global Justice (CHRGJ) claimed the sale of expensive genetically modified seeds ...
Monsanto's GMO Seeds Are Actively Cultivating Cultural Genocide ...
05-04-2013 - Monsanto created the genetically modified organism (GMO) seeds in ...Countries impacted by Monsanto include India, Mexico, Liberia and ...
Genetically modified seeds cannot be adopted under 'pressure ...
articles.economictimes.indiatimes.com/...
17-09-2013 - "Decision on GM seeds cannot be taken under pressure from abroad. ... A 10-year moratorium on all field trials of GM crops in India was ...
|
* | हाइब्रिड बीज से पौष्टिकता कहां संभव है | इंडिया ... बीजग्राम के तहत परंपरागत बीज का उत्पादन किया जाता है ताकि कंपनियों के हाइब्रिड बीजपर से निर्भरता खत्म की जा सके। हाइब्रिड बीज की तुलना में परंपरागत बीज से यह लाभ है कि लगातार तीन साल तक इससे धान की खेती की जा सकती है। बीज बिल्कुल ... |
* | जल्द मिलेंगी बीज की नयी किस्में | इंडिया वाटर ... पंचायतनामा डॉट कॉम. बिरसा कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों ने छह फसलों की नौ नयी किस्मों को विकसित किया है। इसे झारखंड राज्य बीज उप समिति ने मंजूरी भी दे दी है । अब इसे केंद्र की स्वीकृति व अधिसूचना जारी किये जाने का इंतजार भर है। |
* | स्वाद में बेजोड़ हैं देशी बीज | इंडिया वाटर पोर्टल ... छोटी-छोटी डिब्बियों में रंग-बिरंगे धान बीज बहुत सुंदर लग रहे थे। गोबर से लिपे-पुते आंगन में कुछ धान की किस्मों के बंधे गुच्छे रखे थे। जिसकी हाल ही में कटाई हुई थी। गीली बालियों से हल्की सौंधी खुशबू आ रही थी। कुछ महिलाएं हाथ की चक्की से ... |
* | धान का बीज | इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) धान का बीज. धान का बीज. Thumbnail · Printer-friendly version. सेनिटेशन/ साफ-सफाई. कम्पोस्ट टॉयलेट · जैविक शौचालय · टोटल सेनिटेशन कैम्पेन · पर्यावरण और स्वास्थ्य · रूट जोन ट्रीटमेंट · स्लो सेंड फिल्टर · India Water Portal · Kannada (ಕನ್ನಡ) · हमारे बारे में. hindi.indiawaterportal.org/धान-का-बीज |
* | दुर्लभ बीजों का रखवाला | इंडिया वाटर पोर्टल ... 23 नवं 2013 ... इस बीज बैंक के रखवाले हैं- देबल देब। जो पिछले 16 सालों से इन दुर्लभ प्राकृतिक बीजों का संग्रहण एवं संरक्षण कर रहे हैं। उनका एकमात्र सहारा वे किसान हैं जो आज भी इन्हीं विरासती बीजों पर निर्भर हैं। झोपड़ी से ही लगा हुआ उनका एक ... |
* | बीज बचाइये, पौरुष बचेगा | इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) बीजों के भीमकाय सौदे को समझने के लिए हमें पहले बीज के रहस्य को समझना होगा। धरती के गिने जाने लायक कोई तीन लाख पौधों में से अब तक बस 30,000 का सरसरी तौर पर अध्ययन हुआ है। इनमें से कोई तीन हजार पौधों पर ज्यादा काम हुआ है। हमारी थाली पत्तल ... |
* | चावल के बीज | इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) चावल के बीज. चावल के बीज. Thumbnail · Printer-friendly version. login. Log in using OpenID: What is OpenID? Username: *. Password: *. Log in using OpenID · Cancel OpenID login · Request new password · Plz Insert Mobile No. login लॉगिन करें और अपना कंटेंट डालें. India Water Portal · Kannada ( ಕನ್ನಡ). hindi.indiawaterportal.org/चावल-के-बीज |
प्रश्न. ढैचा बोना है प्रति है बीज की मात्रा क्या ... प्रश्न. ढैचा बोना है प्रति है बीज की मात्रा क्या होगी। उत्तर हरी खाद हेतु बीज की मात्रा 45-50 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है। इसी प्रकार ढैंचा बीज उत्पादन हेतु 20-25 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से बीज पर्र्याप्त होता है। ऊसर भूमि में ... |
* | परंपरागत बीजों का भंडारण | इंडिया वाटर पोर्टल ... विकास की बयार से खेती खूब प्रभावित हुई। लोग हइब्रिड बीजों एवं आधुनिक खेती की ओर आकर्षित हुए परंतु धीरे-धीरे विकास ने विनाश का रूप धारण किया और इन बीजों से लागत बढ़ती गई व उपज घटती गई, तब लोगों ने पुनः परंपरागत बीजों के भण्डारण की ओर रूख ... |
* | बीज की मात्रा एवं बुआई विधि | इंडिया वाटर पोर्टल ... बीज की मात्रा एवं बुआई विधि. बीज की मात्रा एवं बुआई विधि. Thumbnail · Printer-friendly version. सेनिटेशन/ साफ-सफाई. कम्पोस्ट टॉयलेट · जैविक शौचालय · टोटल सेनिटेशन कैम्पेन · पर्यावरण और स्वास्थ्य · रूट जोन ट्रीटमेंट · स्लो सेंड फिल्टर · India Water Portal ... hindi.indiawaterportal.org/बीज-की-मात्रा-एवं-बुआई-विधि |
|
* | देबल देब द्वारा एकत्रित चावल के बीज | इंडिया वाटर ... देबल देब द्वारा एकत्रित चावल के बीज. देबल देब द्वारा एकत्रित चावल के बीज. Thumbnail · Printer-friendly version. login. Log in using OpenID: What is OpenID? Username: *. Password: *. Log in using OpenID · Cancel OpenID login · Request new password · Plz Insert Mobile No. login लॉगिन करें और ... hindi.indiawaterportal.org/देबल-देब-द्वारा-एकत्रित-चावल-के- बीज |
चावल के बीज | इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) चावल के बीज. चावल के बीज. Thumbnail · Printer-friendly version. सेनिटेशन/ साफ-सफाई. कम्पोस्ट टॉयलेट · जैविक शौचालय · टोटल सेनिटेशन कैम्पेन · पर्यावरण और स्वास्थ्य · रूट जोन ट्रीटमेंट · स्लो सेंड फिल्टर · India Water Portal · Kannada (ಕನ್ನಡ) · हमारे बारे में. www.hindi.indiawaterportal.org/चावल-के-बीज?size=_original |
* | 'बीज बचाओ आंदोलन' से जुड़े हैं विजय जड़धारी ... देशी बीजों की खेती · संयुक्त राष्ट्र संघ में कॅरिअर के विकल्प · किसानों ने एनटीपीसी के साथ वार्ता से किया इंकार ... 'बीज बचाओ आंदोलन' से जुड़े हैं विजय जड़धारी. 'बीज बचाओ आंदोलन' से जुड़े हैं विजय जड़धारी. Original · Preview · Printer-friendly version ... www.hindi.indiawaterportal.org/बीज-बचाओ-आंदोलन-से-जुड़े-हैं- विजय-जड़धारी?... |
संकर बीज | इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) Home » संकर बीज. संकर बीज. Submitted by admin on Thu, 01/14/2010 - 14:55 . Hybrid Seed. Printer-friendly version. Post new comment. Subject: Comment: *. Web page addresses and e-mail addresses turn into links automatically. Allowed HTML tags: <a> <em> <strong> <cite> <code> <ul> <ol> <li> <dl> <dt> <dd> ... hindi.indiawaterportal.org/संकर-बीज |
* | सूखे बुंदेल में कृषि की एक संभावना "सन" | इंडिया ... किसानों ने यहां की जलवायु और मिट्टी के स्वभाव के अनुसार फसलचक्र, उसी के अनुरूप मिश्रित खेती, जरूरत और स्थानीय ज्ञान के अनुसार ही नगदी फ़सलों के बीजों का भी विकास कर लिया था। उन्हीं में से एक बहुआयामी नगदी फसल "सन" भी है। |
* | कैंसर परोसते खेती में जहरीले रसायन | इंडिया वाटर ... सूखे की मार से तबाह बिहार के कृषि क्षेत्र में फिर एक बड़ा हादसा हो गया है। मक्का यहां की प्रमुख फसल है। इस बार भी बड़े पैमाने पर मक्के की फसल लगाई गई थी। जिन किसानों ने पूसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बीज या अपने परम्परागत बीजों ... |
उत्तर एक पैकेट राइजोबियम कल्चर (200 ग्राम) 10 किग्रा बीज के उपचार के लिए प्रयोग करना चाहिए। ... उत्तर एक किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम तथा एक ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें अथवा 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा+एक ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित ... hindi.indiawaterportal.org/.../ 104%2099%2092%20157%20151%20114%20117?... |
* | सिर्फ फसल नहीं, कृषि संस्कृति है बारहनाजा ... हाल ही में बीज बचाओ आंदोलन से जुड़े विजय जड़धारी से मेरी मुलाकात हुई। वे उत्तराखंड से भोपाल एक बैठक के सिलसिले में आए हुए थे। उन्हें परंपरागत कृषि ज्ञान के संरक्षण के लिए 5 जून को इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से नवाजा गया है। वे पूर्व ... |
* | टपक सिंचाई विधि से टमाटर की खेती | इंडिया वाटर ... स्वास्थ्य व स्वादवर्धक टमाटर एक नगदी फसल भी है। टमाटर के देशी बीजों के अंदर सहन क्षमता अधिक होने के कारण टपक विधि से सिंचाई कर उगाए गए टमाटर लोगों को विपरीत परिस्थितियों में नुकसान से बचा सकते हैं। |
* | Reply to comment | इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) सूखे की मार से तबाह बिहार के कृषि क्षेत्र में फिर एक बड़ा हादसा हो गया है। मक्का यहां की प्रमुख फसल है। इस बार भी बड़े पैमाने पर मक्के की फसल लगाई गई थी। जिन किसानों ने पूसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बीज या अपने परम्परागत बीजों ... |
About 53 results (0.46 seconds) |
|
* | सिर्फ फसल नहीं, कृषि संस्कृति है बारहनाजा ... वर्ष 1987 से बीज बचाओ आंदोलन शुरू किया, जो अब फैल गया है। हिमालय में परंपरागत कृषि ज्ञान व बीज विविधता के संरक्षण का ... |
* | 'बीज बचाओ आंदोलन' से जुड़े हैं विजय जड़धारी ... 'बीज बचाओ आंदोलन' से जुड़े हैं विजय जड़धारी. 'बीज बचाओ आंदोलन' से जुड़े हैं विजय जड़धारी. Original · Preview · Printer-friendly ... www.hindi.indiawaterportal.org/बीज-बचाओ-आंदोलन-से-जुड़े-हैं- विजय-जड़धारी?... |
* | विजय जड़धारी को इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार ... उन्होंने कहा कि पुरस्कार के रूप में मिली धनराशि में से अधिकांश का प्रयोग 'बीज बचाओ आंदोलन' के काम को आगे बढ़ाने ... |
नासमझी में परम्परागत कृषि को नष्ट कर रही है सरकार ... पर यह तय है कि इससे मिट्टी व पानी के प्रदूषण के साथ बीजों की ... 'बीज बचाओ आंदोलन' ने मंडुवा की 12 और झंगोरा की 8 ऐसी ... |
खेती को नकारती खाद्य सुरक्षा | इंडिया वाटर पोर्टल ... साथ ही साथ किसानों को पारम्परिक बीजों के प्रयोग हेतु प्रोत्साहित करना ... (लेखक बीज बचाओ आंदोलनके संचालक हैं।). |
* | Reply to comment | इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) विजय एक किसान और सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो उत्तराखण्ड के "बीज बचाओ आंदोलन" के लिये असाधारण कार्य कर रहे हैं। "बीज ... |
* | Reply to comment | इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) 21 जुलाई 2011 ... इस मकसद के पीछे हो न हो रासायनिक उर्वरक व बीज ... बीज बचाओआंदोलन ने स्थानीय बीज किस्मों को बचाने के अपने ... |
* | उत्तर प्रदेश का पानी | इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) जल संरक्षण, पानी की एक-एक बूंद कीमती है, जल बचाओ, जल है तो कल है, ... हाल ही मेंबीज बचाओ आंदोलन से जुड़े विजय जड़धारी से ... |
हाल ही में बीज बचाओ आंदोलन से जुड़े विजय जड़धारी से मेरी मुलाकात हुई। वे उत्तराखंड से भोपाल एक बैठक के सिलसिले में ... |
उत्तराखंड | इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) हाल ही में बीज बचाओ आंदोलन से जुड़े विजय जड़धारी से मेरी मुलाकात हुई। वे उत्तराखंड से भोपाल एक बैठक के सिलसिले में ... hindi.indiawaterportal.org/category/region/उत्तराखंड?page... |
समाज की ज्वलंत समस्यायें और ग़ैर ज़िम्मेदार कर्त्तव्यविमुख नागरिक ::आप कौन??
December 27, 2013 at 3:35pm
Sudha Raje
बहुत दिन पहले एक फेस बुक पर सहेली के
स्टेटस से पता चला कि उनके पङौस के
किसी व्यक्ति की किसी नाबालिग
अबोध बच्ची को सगे संबंधी ने माँ बाप
की अनुपस्थिति में हवस का शिकार
बना डाला लङकी मरणासन्न परिवार
सदमें में है ।
और सगे संबंधी के खिलाफ कोई एक्शन
नहीं लिया ।
हमने
तत्काल महिला मित्र
को मशविऱा दिया कि पीङित
परिवार की मदद करे
उन्होने ने बयान पोस्ट से हटा लिया ।
हमने उनकी लोकेशन अपने सोर्स से
पता की और कुछ मित्रों से ।
पुलिस को ऑन लाईन तत्काल
सूचना दी ।
तुरंत जवाब आया ।
लगातार इलाके के हर छोटे बङे डॉक्टर
की छानबीन की जा रही है पुलिस से
सूचना मिली ।
एक
सवाल
अगर
पीङित
परिवार
पीङिता स्त्री //बच्ची सदमे में है और
भयभीत डरे सहमे या क्या करे ना करें
का ज्ञान नहीं
तब
वे सब लोग
जो समाज के पढ़े लिखे लोग है ।
लेखक
स्थानीय नेता
पत्रकार
वकील
टीचर
और एन जी ओ और संपादक रिपोर्टर
प्रिंसिपल
और बङे बुजुर्ग
क्या फर्ज़ है उनका???
अपराध की सूचना मिलते ही पीङित
को ये
बताना कि उसको क्या क्या राहत मिल
सकती है और कहाँ जाना है और संबंधित
ऐजेंसी यानि पुलिस और मेडिकल
सहायता को सूचित करना
लेकिन
बङा कायर समाज है भारतीय समाज
चोंच चलाने में माहिर
मनगढंत बातें कहने में जबरदस्त अनुमान
कारी आक्रामक मजहब जाति धर्म और
लिंगभेद के नाम पर
किंतु
सङक पर घायल पङा है तब??
किसी स्त्री का शोषण हुआ है तब?
किसी पर कोई जघन्य आऱोप लगा है तब
।
सूचना देने तक की हिम्मत नहीं रखता
आम ही नहीं खास लोग जो लीड करते हैं
मीडिया समाज देश
एक समय था कि लोग कहने लगे थे
जिज्जी थाना वहीं है कि हिलाकर पीछे
कहीं धकेल दिया
वजह थी पीङित के साथ जाने को टीम
लेकर खुद जाना
स्त्री की सबसे बङी समस्या है
अकेली कैसे जाये थाने??
औऱ आरोपी की सबसे
बङी समस्या कि इलज़ाम लगते ही सगे
दोस्त तक कतराने लगते हैं ।
अगर एन जी ओ
पत्रकार
नेता
बुद्धिजीवी
ही
पलायन करने और कायरता से मुँह छिपाने
लगे तो
मदद कौन करेगा अकेले की?
अपराध सिद्ध करना जाँच
ऐजेंसी का कार्य है किंतु सूचना गुमनाम
ही सही दुर्घटना औऱ मानव जीवन पर
संकट की तत्काल पुलिस अस्पताल
को तो देनी ही चाहिये ।
वरना धिक्कार देश के नमक
को जो नमकहराम पैदा करता है ।
उस शिक्षा संस्कार दूध परवरिश लालच
को जो मानवता भुलाती है ।
©®सुधा राजे
Dec 21 at 2:09am
Pramod Ranjan
दिल्ली में कुल कितने एनजीओ हैं? उनका वार्षिक टर्न ओवर कितना है?
गुगल करने जानने की कोशिश कीजिए और आम आदमी पार्टी के प्रवक्ताओं से पूछिए कि इतना पैसा कहां जाता है? क्या द्विजों का भ्रष्टाचार, भ्रष्टचार नहीं होता?
Like · · Share · 3 hours ago near New Delhi ·
Udit Raj
जब 2011 में अन्ना हजारे अनशन कर रहे थे तो मैंने अनुसूचित जाति/जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ की ओर से एक समानांतर रैली निकाली और इनसे सवाल किया कि क्यों नहीं जन लोकपाल बिल में उद्योग जगत्, मीडिया एवं एनजीओ के भ्रष्टाचार को शामिल कर रहे हैं? उस पर चुप्पी लगा गए। हमने अपनी ओर से बहुजन लोकपाल बिल पेश किया, जिसमें इनको शामिल किया। जब लोकपाल बिल पास हो रहा था तो संसद में सीपएम के सांसद सीताराम येचुरी ने क्लाज-14 के तहत वोट करवाया कि एनजीओ, कारपोरेट हाउसेस, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को इसमें क्यों नहीं शामिल किया जा रहा है? प्रस्ताव पर 19 मत पड़े। देश के प्रधानमंत्री अर्थशास्त्री हैं और उन्होंने पढ़ा और पढ़ाया है कि मांग और पूर्ति दोनो साथ-साथ चलते हैं। मांग तभी होती है जब उसकी पूर्ति उपलब्ध हो। भ्रष्टाचार का धन या जिस किसी शक्ल में हो, जो इसको पूरा कर रहा है, अगर वहां नहीं रोक है तो मांग बराबर बनी रहेगी।
आधे-अधूरे लोकपाल से मिलेगा क्या
यह मान लेना भोलापन है कि नौकरशाहों और नेताओं के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा देने भर से स्थिति बदल जाएगी।
Like · · Share · 16 hours ago ·
Rajiv Nayan Bahuguna shared Samajik Manthan's photo.
वंस अपोन ऐ टाइम
26 DECEMBER - BABA AMTE
डॉ॰ मुरलीधर देवीदास आमटे (26 दिसंबर, 1914 - 9 फरवरी, 2008), जो कि बाबा आमटे के नाम से ख्यात हैं, भारत के प्रमुख व सम्मानित समाजसेवी थे। समाज से परित्यक्त लोगों और कुष्ठ रोगियों के लिये उन्होंने अनेक आश्रमों और समुदायों की स्थापना की। इनमें चन्द्रपुर, महाराष्ट्र स्थित आनंदवन का नाम प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त आमटे ने अनेक अन्य सामाजिक कार्यों, जिनमें वन्य जीवन संरक्षण तथा नर्मदा बचाओ आंदोलन प्रमुख हैं, के लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया। 9 फरवरी, 2008 को बाबा का 94 साल की आयु में चन्द्रपुर जिले के वड़ोरा स्थित अपने निवास में निधन हो गया।
WE CAN PAY TRIBUTES TO THE GREAT MAN OF INDIA
Samajik Manthan (One thought,One direction)
Share your views
— with Ham Uttarakhandi Hai and 49 others.
Uday Prakash
कहा सुना जाता है कि ईसा से पांच सौ नौ साल, आठ मास, अट्ठारह दिन, छह पहर पूर्व एक ऋषि का कुशीनगर से तीन कोस दूर के एक गांव में जन्म हुआ था. उनका नाम, सुना-कहा जाता है कि आचार्य वृहन्नर अपकीर्त्ति गौतम था. वे हल की मूठ पकड़ते थे और धान की खेती करते थे.
चालीस वर्ष बाद उन्होंने घर छोड़ दिया और विजन-विकट वन के एकांत में चले गये. उनसे कोई मिल नहीं सकता था.
लोग उन्हें भूल जाते लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका क्योंकि वे हर रात नगर की ओर जाते राजमार्ग के आसपास उगे वृक्षों के तनों की खाल पर, उस समय की सबसे लोक- प्रचलित भाषा और लिपि में, जिन्हें राज्य द्वारा स्वीकृति तो नहीं थी परंतु लोक-व्यवहार में वही भाषा और वही लिपि सर्वाधिक प्रचलित थी, में प्रत्येक मास कुछ न कुछ लिख उत्कीर्ण कर जाते थे.
उनके द्वारा उत्कीर्ण किये गये वाक्य, आश्चर्य था कि उस क्षेत्र में दावाग्नि की भांति प्रज्वलित हो उठते थे. नगर ही नहीं, ग्राम और वनों में आश्रम बना कर शिष्य-शिष्याओं के साथ वन-विहार, जल-क्रीड़ा और विमर्शादि करते राज-ऋषियों के बीच भी आचार्य वृहन्नर अपकीर्त्ति के वाक्य व्याकुलता और अंतर्दाह उत्पन्न करते.
हर जगह आचार्य वृहन्नर के वाक्यों की चर्चा होती.
राज्य, साम्राज्य और राज्यपोषित, राज्याभिषेकित ऋषि-मुनियों, विदूषकों तथा अन्य गणमान्यों, वृहन्नलाओं-गणिकाओं को भी आचार्य वृहन्नर के वाक्यों से भय और व्याकुलता की अनुभूति होती.
कहते हैं कि आचार्य वृहन्नर की खोज़ और उनके वध के लिए अनेक प्रयत्न किये गये. परंतु मान्यता है कि आचार्य वृहन्नर अपकीर्त्ति गौतम को किसी अज्ञात साधना या तप से सुदीर्घ जीवन का वर प्राप्त था. उनके वध के लिए नदियों में, जहां से वे जल ग्रहण करते थे, वहां विष घोल दिया गया, उनकी निष्ठा और तप को भंग करने हेतु विष-कन्याओं और वृहन्नलाओं को ही नहीं अपितु धतकर्म के अप-कार्य में निपुण वधिकों, व्याधों और आखेटकों को भी नियुक्त किया गया. उनके आहार एवं आजाविका से समस्त स्रोतों को अपहृत कर लिया गया. अपशब्द और अभिशाप को संचालित करने वाले समग्र संसाधनों को सक्रिय-सन्नद्ध कर दिया गया. परंतु दीर्घ जीवन के वर के कारण आचार्य वृहन्नर गौतम जीवित रहे आये और राजमार्ग के वृक्षों की त्वचा पर अपने वाक्य निरंतर उत्कीर्ण करते रहे, जिनसे दावाग्नि का प्रसार-विस्तार होता रहा.
(दोस्तो, यदि आप जानना चाहते हैं कि आचार्य वृहन्नर अपकीर्त्ति गौतम का अंत कैसे हुआ ?... तो संकेत दें. अभी तो रात के साढ़े दस बज गये हैं, भूख लग गयी है अब बियारी की तैय्यारी है...मटन पकाया है और भात. चावल का नाम है विष्णुभोग. कभी छत्तीसगढ़ या विंध्य प्रदेश जाएं, तो यह चावल खा कर देखें. 'मार्केट सैवी' बहुत मशहूर, कीमती बासमती इसके स्वाद और सुगंध के सामने कुछ नहीं. )
Like · · Share · 18 hours ago ·
Himanshu Kumar, Ak Pankaj, गंगा सहाय मीणा and 205 others like this.
49 of 74
Sayeed Ayub Sambhvtah ve niraamish the par unhe Mutton Bhaat khila diya gaya hoga dhoke se... Niri kalpana kar raha hoon. Kahani ka shesh bhag sunne ko vyagr hoon.
17 hours ago · Like · 1
Shuchi Kaushik Plz kahani ko climax pe chhod kar jana theek nahi......shesh kahani sunne ki aakulta hai
16 hours ago via mobile · Like · 1
Uday Prakash दोस्तो...! धर्मपत्नी आज बिस्तरबंद हैं. बुखार तो है, लेकिन अधिक नहीं. १०० से .०५ ऊपर. १०१ के नीचे. रक्त-परीक्षण कल करवायेंगे. यहे तय हुआ है. बहुत परिश्रमी हैं. समझिये कि बस, जिनगानी उन्हीं की बदौलत चल रही है. बाकी तो आप सब और औलिया का रहम-ओ-करम है..... तो भात पकाने में ज़रा-सी देर हुई. अब किस्सा आगे बढ़ाता हूं. (तनिक प्रतीक्षा. अगोर लीजिये. भिंसार भी हुई, तो कोई बात नहीं.)
16 hours ago · Like · 14
Uday Prakash .......…तो सम्राट, राजा और उनके समस्त अधिकारियों, राणकों, सामंतों समेत अभिजात्यों और सभासदों ने एक विराट यज्ञ का आयोजन किया. एक हज़ार गउओं और इक्यावन अश्वों की बलि हुई. 'त्राहि माम..त्राहि माम….' आपद्धुरणाय ! आपद्धुरणाय !' का मंत्रोच्चार हुआ तो उस महा-य...See More
15 hours ago · Edited · Like · 18
Ashish Anchinhar बहुत खूब
15 hours ago via mobile · Like · 1
अभिनव आलोक प्रतीक्षारत … अब पूरी कहानी सुन कर ही सोयेंगे …
15 hours ago · Like · 1
Uday Prakash ''ह्रीं ..ह्रीं …फट ..फट ऊंचार ...हुंकार क्लीं ..क्लीं फट्ट ! ह्रीं…!' के उपरांत उसने कुछ अस्फुट टकार वर्णक्रम के व्यंजनों से भरे हुए वर्णों से संपन्न मंत्रोच्चर- शब्दोच्चार किया और पुन: अपने बाहुओं को ऊर्ध्वोन्मुख, दक्षिण दिशांत की ओर झुलाते हुए, उच्...See More
5 hours ago · Edited · Like · 22
Uday Prakash तो अब दोस्तो ..शुभरात्रि ! अब स्वप्न देखना है. जो वैसे भी देखते ही रहते हैं.
14 hours ago · Like · 5
Navneet Singh thik kha apne
14 hours ago via mobile · Like · 1
Vyom Parashar Bahut khoob
14 hours ago · Like · 1
Shayak Alok अमेजिंग !
14 hours ago via mobile · Like · 1
Vivek Gupta wow...
13 hours ago · Like · 1
Dipankar Pathak Bhot khoob sir........
12 hours ago via mobile · Like · 1
Akhilesh Shandilya अद्भुत...।
12 hours ago via mobile · Like · 1
Akhand Pratap Shahi बहुत बढ़िया सर।
10 hours ago via mobile · Like · 1
DrLalit Joshi वाह उदयजी ! अदभुत आपकी लेखनी ।
10 hours ago via mobile · Like · 1
Rahul Singh शब्दों का ऐसा आतंक. भर्रीडांड का विष्णुभोग, जांजगीर जिले का बादशाह भोग और नगरी-सिहावा का दुबराज..., लेकिन मेहनतकश को लुचई का स्वाद और उसका पेट तो भरता है सिर्फ गुरमटिया से.
10 hours ago · Like · 3
Uday Prakash गुरमटिया, भेज़री , करहिन जैसे गरुहन और मोटहन धान तथा कोदो, कुटकी, सावां की तो अब हमारे इलाक़े में कोई बनी मजूरी भी नहीं लेता Rahul Singh Ji इनकी खेती इधर बंद है ।
5 hours ago via mobile · Edited · Like · 6
Radha Shrotriya sir is lekh ko pura kre...............gud morning
9 hours ago · Like · 1
Uday Prakash वह तो पूरा कर के ही रात में सोया था । आप एक बार स्क्रोल कर के कमेंट्स को पूरा देखें ।
9 hours ago via mobile · Like · 2
Rahbanali Rakesh सर बुरा मत मानना..लोग तो आचार्य व्रहन्नर के उत्क्रण वाक्य से आतंकित थे,आपने भी FB frnds को इस पोस्ट की हिन्दी से आतंकित कर दिया
9 hours ago via mobile · Like · 1
9 hours ago via mobile · Like · 1
आचार्य रामपलट दास जय हो ! आचार्य वृहन्नर अपकीर्ति गौतम की !
9 hours ago via mobile · Like · 1
Uday Prakash तथास्तु ! सुदीर्घ जीवों भव आचार्य रामपलट दास जी !
9 hours ago via mobile · Like · 2
आचार्य रामपलट दास दावाग्नि प्रज्वलित रहेगी ।
9 hours ago via mobile · Like · 1
Uday Prakash गच्छ गच्छ सुरासुर श्रेष्ठ अग्नि ! गच्छ यत्र पापात्मना: विराजिते । भक्ष भक्ष भक्ष अभक्ष्या भक्ष , कुरु कुरु मुक्त संतप्त जना: !! आचार्य रामपलट दास जी !!
7 hours ago via mobile · Edited · Like · 3
Sazeena Rahat Is katha ke shtrot ka kuchh pta btaaie..kahan ki kimvadanti..kahan ka tha wo Apkirti..? Aaj to chhapakhana ban chuka..internet se koun Davagni phaile...jahan na log kitab padhen na choupaal pr aawen..zyada aabadi bhook or ashleelta me doobi...un raah k...See More
9 hours ago via mobile · Like · 1
Vivek Kumar adbhut
8 hours ago · Like · 1
Mukesh Nema उदय भाई यह भी हो सकता है कि आचार्य वृहन्नर ,अपनी आयु पूर्ण कर स्वाभाविक अज्ञात मृत्यु को प्राप्त हु्ये हो पर उनसे प्रभावित ,एकलव्यो ने उनकी स्थापित परम्परा को मरने ना दिया हो और वे जनमानस ने इस कारण उन्हे अजर अमर ही मान लिया हो
यदि ऐसा हुआ होगा तो अच्छा ही तो है
-
8 hours ago via mobile · Like · 1
Suresh Hans kamaal !
8 hours ago · Like · 1
Sundeep Dev pura karen sir!
8 hours ago · Like · 1
Dhananjayraje Choudhari aage kya hua, sir?
8 hours ago via mobile · Like · 1
Rakesh Soni Bahut he sundar..
8 hours ago via mobile · Like · 1
Mukesh Nema पर आप बताये
कि सच में हुआ क्या था !
-
8 hours ago via mobile · Like · 1
8 hours ago · Like · 1
Uday Prakash इसके आगे की कथा एक दूसरी किंवदंती में निबद्ध है. मैं उसे खोज़ने की कोशिश करता हूं आज. असल में मैंने वैशाली के अपने फ्लैट के स्टोर रूम में बहुत सी पुरानी किताबें, ग्रंथ और पांडुलिपियां भर रखी हैं. बीच में, पिछले साल लंबे अर्से के लिए बाहर की यात्राओं में...See More
7 hours ago · Like · 11
Mukesh Nema हमें प्रतीक्षा रहेगी
और प्रयास भी होगा कि धैर्य बना रहे
-
आप की अद्भुत ,विषयपरक और शोधपूर्ण टिप्पणियाँ की प्रतिक्षा करना भी आंनद देता ही है
7 hours ago via mobile · Like · 1
Uday Prakash Sazeena Rahat ji आपने इस दंत्यकथा के स्रोत के बारे में पूछा है. ...तो क्या उत्तर दूं. बस यही जान लें कि स्मृतियां और श्रुतियां (memories and hearsays) ही इसका स्रोत है. फिर, आप खुद सोचें, ईसा से पांच सौ साल पहले, जब बुद्ध का भी जन्म नहीं हुआ था और वे ...See More
7 hours ago · Like · 8
Sazeena Rahat Kimvadantiyan to vaachik prampara ki den hoti hn...to un lipiyon ka sidhe hm tak aa pana sambhav nahi..na hi un shroton ki jaankari chaahi mai ne..kis deshkaal or kis bhukhand se talluq hai inka..ye sahaj jigyasa thi...kimvqdantiyon ki bnne ki prakriya moukhik hoti hai to uspar outhenticity ka prashn uthana ghair vajib hai...jigyasa thi bas..!
5 hours ago via mobile · Like · 1
Shayak Alok कथा समाप्त करते हुए आपने जो इसे आधुनिक पाठ दिया वह बेहद जरुरी लगा मुझे .. मेरे इतिहास शिक्षक की बात याद आई कि किस्से कहानियां नहीं सुना रहा हूँ तुम्हें .. मैं तुम्हें तुम्हारे वर्तमान का वह मूल पाठ दे रहा हूँ जिसका सिरा नहीं पकड़ोगे तो भविष्य का सिरा छुट जाएगा तुमसे !
5 hours ago via mobile · Like · 4
Arun Maheshwari हमारे बंगाल के गोविंद भोग चावल की मिठास और सुंगंध का भी कोई मुकाबला नहीं हैं।
5 hours ago · Like · 1
Sazeena Rahat Nahi..deshkaal or bhukhand ka zikr hai isme..dimagh me kuchh or hoga..?
5 hours ago via mobile · Like · 1
Chinmay Sankrit विश्नुभोग बस्तर में बांसाभोग के नाम से जाना जाता है. कांकेर में रहने के दौरान मित्र शिवनाथ यादव के जरिये इसका स्वाद चखा. वह वहां एक NGO से जुड़ कर पारंपरिक धान के बीज और कृषि पद्धति को संरक्षित करने की दिशा में काम कार्य कर रहे है. पांच साल पहले खाए बांसाभोग की याद आज भी ताज़ा है और आज भी इसका स्वाद और सुगंध चेतना में समाया हुआ है. सच में...
3 hours ago · Like · 1
Uday Prakash Chinmay Sankrit ji....यह भी एक दिलचस्प तथ्य है कि जो भी बेहतरीन, स्वादिष्ट, सुगंधित चावल किसी तरह आज बचे रह गये हैं, उन्हें बचाने का श्रेय आदिवासियों को जाता है. 'विष्णु भोग' चावल को भी हमारे छत्तीसगढ़ विंध्य के इलाके में 'बिसुन भोग' के नाम से जानते हैं...See More
about an hour ago · Like · 3
Palash Biswas उदय जी इस अद्भुत कथा के जरिये आपने जो संदेश दिया है,वह बेहद प्रासंगिक है।इसे आज के संवाद में सम्मिलित कर रहा हूं।
45 minutes ago · Like · 1
Chinmay Sankrit उदय जी, कांकेर प्रवास के दौरान मैंने धान की अनेक किस्मे देखी. गोंड़ आदिवासी धान की हजारो पुरातन किस्मो को बालियों के रूप में संगृहीत कर रहे थे. धान ही नहीं मक्का, कोदो, कुटकी जैसे दुर्लभ धान्य की किस्मे भी वे सहेज रहे थे. एक संस्था के माध्यम से ये प...See More
38 minutes ago · Like · 3
Krishna Kumar Rai Atyant romanchakri ewam tathyatmak rachna ,par iska ullekh kaha hain kripya batayen , kisi ved se liya gaya hai kya
Uday Prakash आप बिल्कुल सच कह रहे हैं. वनस्पतियों के अलावा, पशुओं के क्षेत्र में भी यही हुआ. 'उन्नत नस्ल' के नाम पर जो देसी नस्लें, प्रजातियां व्यापारिक कंपनियों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए योजनाएं बनीं, कभी आप जैसे युवा उसकी पूरी सच्चाई सामने लायें और जो कुछ अब भी बच सकता है, उसे बचाया जाये..!
4 minutes ago · Like · 1
Uday Prakash Palash Biswas ji ...बिल्कुल ...यह संवाद और यह फेस बुक कथा आप अपना ही मानें...!
about a minute ago · Like · 1
Pramod Ranjan
योगेंद्र यादव ने अपने साथियों के साथ वर्ष 2006 में राष्ट्रीय मीडिया की सामजिक पृष्ठभूमि का सर्वेक्षण किया था। उन्होंने बताया था कि भारतीय मीडिया में फैसला लेने वाले पदों पर दलित, आदिवासी, ओबीसी और महिलाओं का प्रतिनिधित्व नगण्य है। इस सर्वेक्षण का जिक्र वे हर जगह करते थे और खूब तालियां बटोरा करते थे।
क्या वे बताएंगे कि आम आदमी पार्टी के विधायकों में कौन-कौन किस जाति का है? दिल्ली के प्रस्तावित मंत्रीमंडल में किस-किस तबके का प्रतिनिधित्व है? जाति आधारित प्रतिनिधित्व की तो छोडिए, जहां तक मुझे पता है कि मंत्रीमंडल के लिए न किसी सिख का नाम प्रस्तावित है, न ही किसी मुसलमान का।
योगेन्द्र जी को एक सर्वे यह भी करना चाहिए कि आम आदमी पार्टी द्वारा जिन लोगों को टिकट दिये गये थे, उनमें से कितने लोगा एनजीओ चलाते हैं? 50 फीसदी या उससे ज्यादा?
Like · · Share · 3 hours ago near New Delhi · Edited ·
Sudha Raje
Are you going to organize a reception or feast??
cancel it Please!!!!
Send this all Ration or food For the riot victims
AT MUJAFFER NAGAR
BE
SURE
THE NEWLY MARRIED COUPLE OR KIDS WOULD RECEIVE
BLESSINGS
BY
HEART
FROM
HEAVEN
क्या आप रिसेप्शन अथवा दावत देने जा रहे है??
कृपया स्थगित कर दें
यह
सारा राशन और भोजन वस्त्रोपहार
दंगापीड़ितों के आवास पर जाकर वितरित कर दें
यकीन करें
कोई नातेदार बुरा नहीं मानेगा
और ईश्वरीय कृपा के साथ नवविवाहित
दंपत्ति और बच्चों की खुशियाँ सच्ची दुआओं से कई गुनी बढ़ जायेगी ।
सानुरोध
(सुधा राजे )
sudha Raje
Sudha Raje एक आम आदमी दो लाख रुपये से साल भर बढ़िया रहन सहन कर सकता है सरकारी दलाल काश पकङे जायें और मजहबी ढोंगी भी फटकार कर हटायें जायें
3 hours ago via mobile · Like · 1
Umesh Sharma Sarvajanik rup se kehne se me hichkicha rha hun...Zakat Foundation, AMU Almunai Association, All India Ulema Council, Jamat e Ulema e Hind, ndtv,CnnIBN....ke bare mei mujhe pata hai...na jane kitni sansthae hei...kanha ja rha hei paissa...Allah Jane !!...See More
3 hours ago via mobile · Like · 3
Sudha Raje बात में दम है हमने खुद ऐसे बाढ़ कैंप के अनुभव देखे और वहाँ से जब जब लोगों को घर भिजवाना चाहा झूठा डर दिखा कर लोग डटे रहे ।।क्योंकि ना पकाना था ना मजदूरी बस एक रोज उत्सवी माहौल रहा ।।और दूसरी तरफ पीङितों की मदद के नाम पर दूर पास सब जगह के गली मुहल्लों स...See More
3 hours ago via mobile · Like · 2
Sudha Raje यूपी सरकार कर क्या रही है? केवल देश की बदनामी ही नहीं प्रशासन की निकम्मई भी खुल रही है ।न्यूयॉर्क में अभी कुछ माह पहले तूफान ने तबाही मचाई थी मगर जल्दी ही लोग घर और काम पर लौट पङे ।भारत में तमाशा और मुरब्बा बनाया जाता है समस्या एक बहाना हो जाती है दलालों को कमाई और गंदी नफरतवादी राजनीति की
3 hours ago via mobile · Like · 2
Deven Mewari feeling happy
झोले में पहाड़
परसों पहाड़ से हमारे ही इलाके के झड़गांव से मित्र डा. देवकीनंदन भट्ट वाया हल्द्वानी मिलने आए। पहली बार मिले लेकिन लगा जैसे बचपन से ही हम एक दूसरे को जानते हैं। जानते भी क्यों नहीं, जन्म से लेकर पूरा बचपन और पढ़ाई के दिन सभी तो हमारे एक जैसे ही हुए ! भट्ट जी आए और झोले में पहाड़ समेट लाए- कुछ नींबू, कुछ गडेरियां और पहाड़ी मूला।
दूर इस महानगर में नींबू, गडेरी और मूला ! मन-पंछी पहाड़ में घर-गांव की ओर उड़ चला......इजू, कैसे बड़े-बड़े चटख पीले नींबू झूले रहते थे नींबू के पेड़ों पर ! बहिनें गीत गाती थीं- खेल मेरि दरकादरी, निंबुआ का भुता छन...। दूर से नींबू का पूरा पेड़ पीला दिखाई देता था। किसी धूपीले दिन ईजा नींबू तोड़ कर लाती, उन्हें दराती से स्वेरती (छीलती), हम छिलके के भीतर का सफेद 'बाद' खाने के लिए हाथ बढ़ाए रखते। ईजा नींबू छील कर थाली में उसे सानने को तैयार करती। उसमें पिसा नून-मिर्च, भांगा-भंगीरा मिलाती, गुड़ और दही मिलाती, और फिर हम पाथर-छाए घर की ढालू छत पर गुनगुनी धूप में बैठ कर चुकीले (खट्टे) नींबू को बड़े स्वाद से खाते थे। मुंह में पानी भर आता था। अहा, क्या आनंद आता था उस नींबू का ! आज वही नींबू मिल गया है। जी रया भट्ट ज्यू।
और, गुलाबी गडेरी के गाने (कंद)। हमें पता है, मुलायम हलुवे जैसी पकती है हमारे पहाड़ की गुलाबी गडेरी। उसमें खुशबूदार गंद्रैण और भांगे के सिल पर पिसे बीज और फिर पकने के बाद जंबू का बगार (तड़का) ! हैं हमारे पास ये मसाले। वहां गांव-घर में तो बगार की खुशबू पूरी बाखली में फैल जाती थी। यहां फ्लैटों के किन घोंसलों में किस-किस की नाक तक यह शानदार सुगंध पहुंचेगी, पता नहीं।
मूला और गडेरी का तो अद्भुत स्वाद ठैरा। हम एक गडेरी के साथ मूला का यह प्रयोग कर चुके हैं। अब सोच रहे हैं, पहाड़ के मूला का थेचुवा नहीं खाया तो महराज क्या खाया? इसलिए आज थेचुवा बना रहे हैं। पता है हमें, दिल्ली की सर्दी में इसका शोरबा रामबाण का काम करेगा।......शायद पक गया है, लछिम बुला रही है, चलता हूं, हां ? फिर मिलते हैं साथियो।.....
Like · · Share · 41163 · 18 hours ago ·
Genetically modified food
From Wikipedia, the free encyclopedia
For related content, see genetic engineering, genetically modified organism, genetically modified crops, and genetically modified food controversies.
Genetically modified foods are foods produced from organisms that have had specific changes introduced into their DNA using the methods of genetic engineering. These techniques have allowed for the introduction of new crop traits as well as a far greater control over a food's genetic structure than previously afforded by methods such as selective breeding and mutation breeding.[1]
Commercial sale of genetically modified foods began in 1994, when Calgene first marketed its Flavr Savr delayed ripening tomato.[2] To date most genetic modification of foods have primarily focused on cash crops in high demand by farmers such as soybean, corn,canola, and cotton seed oil. These have been engineered for resistance to pathogens and herbicides and better nutrient profiles. GM livestock have also been experimentally developed, although as of November 2013 none are currently on the market.[3]
There is broad scientific consensus that food on the market derived from GM crops poses no greater risk to human health than conventional food.[4][5][6][7][8][9] However, opponents have objected to GM foods on several grounds, including safety issues, environmental concerns, and economic concerns raised by the fact that GM seeds (and potentially animals) that are food sources are subject to intellectual property rights owned by multinational corporations - see Genetically modified food controversies
Contents
[hide]
4 Highly processed derivatives containing little to no DNA or protein
6 Foods made from animals fed with GM crops or treated with bovine growth hormone
History[edit]
Scientists first discovered that DNA can transfer between organisms in 1946.[10] The first genetically modified plant was produced in 1983, using an antibiotic-resistant tobacco plant. In 1994, the transgenic Flavr Savr tomato was approved by the FDA for marketing in the US - the modification allowed the tomato to delay ripening after picking.[2] In the early 1990s, recombinant chymosin was approved for use in several countries, replacing rennet in cheese-making.[11] In the US in 1995, the following transgenic crops received marketing approval: canola with modified oil composition (Calgene), Bacillus thuringiensis (Bt) corn/maize (Ciba-Geigy), cotton resistant to the herbicide bromoxynil (Calgene), Bt cotton (Monsanto), Bt potatoes (Monsanto), soybeans resistant to the herbicide glyphosate(Monsanto), virus-resistant squash (Monsanto-Asgrow), and additional delayed ripening tomatoes (DNAP, Zeneca/Peto, and Monsanto).[2] In 2000, with the creation of golden rice, scientists genetically modified food to increase its nutrient value for the first time. As of 2011, the U.S. leads a list of multiple countries in the production of GM crops, and 25 GM crops had received regulatory approval to be grown commercially.[12] As of 2013, roughly 85% of corn, 91% of soybeans, and 88% of cotton produced in the United States are genetically modified.[13]
Method of production[edit]
Main articles: Genetic engineering and Genetically modified organism
Genetically engineered plants are generated in a laboratory by altering their genetic makeup and are tested in the laboratory for desired qualities. This is usually done by adding one or more genes to a plant's genome using genetic engineering techniques. Most genetically modified plants are generated by the biolistic method (particle gun) or by Agrobacterium tumefaciens mediated transformation.
Once satisfactory plants are produced, sufficient seeds are gathered, and the companies producing the seed need to apply forregulatory approval to field-test the seeds. If these field tests are successful, the company must seek regulatory approval for the crop to be marketed (see Regulation of the release of genetic modified organisms). Once that approval is obtained, the seeds are mass-produced, and sold to farmers. The farmers produce genetically modified crops, which also contain the inserted gene and its protein product. The farmers then sell their crops as commodities into the food supply market, in countries where such sales are permitted.
Foods with protein or DNA remaining from GMOs[edit]
As of 2013 there are several GM crops that are food sources and there are no genetically modified animals used for food production. In some cases, the plant product is directly consumed as food, but In most cases, crops that have been genetically modified are sold as commodities, which are further processed into food ingredients.
Fruits and vegetables[edit]
3 views of the Sunset papaya cultivar, which was genetically modified to create the SunUp cultivar, resistant to PRSV.[14]
Papaya has been genetically modified to resist the ringspot virus. 'SunUp' is a transgenic red-fleshed Sunset cultivar that is homozygous for the coat protein gene of PRSV; 'Rainbow' is a yellow-fleshed F1 hybrid developed by crossing 'SunUp' and nontransgenic yellow-fleshed 'Kapoho'.[14] The New York Times stated that "in the early 1990s, Hawaii's papaya industry was facing disaster because of the deadly papaya ringspot virus. Its single-handed savior was a breed engineered to be resistant to the virus. Without it, the state's papaya industry would have collapsed. Today, 80% of Hawaiian papaya is genetically engineered, and there is still no conventional or organic method to control ringspot virus."[15]
The New Leaf potato, brought to market by Monsanto in the late 1990s, was developed for the fast food market, but was withdrawn from the market in 2001[16]after fast food retailers did not pick it up and food processors ran into export problems.[17] There are currently no transgenic potatoes marketed for human consumption.[17] In October 2011 BASF requested cultivation and marketing approval as a feed and food from the EFSA for its Fortuna potato, which was made resistant to late blight by adding two resistance genes, blb1 and blb2, which originate from the Mexican wild potato Solanum bulbocastanum.[18][19] However in February 2013 BASF withdrew its application.[20] In May 2013, the J.R. Simplot Company sought USDA approval for their "Innate" potatoes, which contain 10 genetic modifications that prevent bruising and produce less acrylamide when fried than conventional potatoes; the inserted genetic material comes from cultivated or wild potatoes, and leads to RNA interference, which prevents certain proteins from being formed.[21][22][23]
As of 2005, about 13% of the zucchini grown in the US was genetically modified to resist three viruses; the zucchini is also grown in Canada.[24]
As of 2012, an apple that has been genetically modified to resist browning, known as the Nonbrowning Arctic apple produced by Okanagan Specialty Fruits, was awaiting regulatory approval in the US and Canada. A gene in the fruit has been modified such that the apple produces less polyphenol oxidase, a chemical that manifests the browning.[25]
Milled corn products[edit]
Corn used for food has been genetically modified to be resistant to various herbicides and to express a protein from Bacillus thuringiensis that kills certain insects.[26] About 90% of the corn grown in the US has been genetically modified.[27]
Human-grade corn can be processed into grits, meal, and flour.
Grits are the coarsest product from the corn dry milling process. Grits vary in texture and are generally used in corn flakes, breakfast cereals, and snack foods. Brewers' grits are used in the beer manufacturing process.
Corn meal is an ingredient in several products including cornbread, muffins, fritters, cereals, bakery mixes, pancake mixes, and snacks. The finest grade corn meal is often used to coat English muffins and pizzas. Cornmeal is also sold as a packaged good.
Corn flour is one of the finest textured corn products generated in the dry milling process. Some of the products containing corn flour include mixes for pancakes, muffins, doughnuts, breadings, and batters, as well as baby foods, meat products, cereals, and some fermented products. Masa flour is another finely textured corn product. It is produced using the alkaline-cooked process. A related product, masa dough, can be made using corn flour and water. Masa flour and masa dough are used in the production of taco shells, corn chips, and tortillas.[28]
Milled soy products[edit]
About 90% of the planted area of soybeans in the US are genetically modified varieties.[29][27]
Soybean seeds contain about 20% oil. To extract soybean oil from the seeds, the soybeans are cracked, adjusted for moisture content, rolled into flakes and solvent-extracted with commercial hexane. The remaining soybean meal has a 50% soy protein content. The meal is 'toasted' (a misnomer because the heat treatment is with moist steam) and ground in a hammer mill. Ninety-eight percent of the U.S. soybean crop is used for livestock feed. Part of the remaining 2% of soybean meal is processed further into high protein soy products that are used in a variety of foods, such as salad dressings, soups, meat analogues, beverage powders, cheeses, nondairy creamer, frozen desserts, whipped topping, infant formulas, breads, breakfast cereals, pastas, and pet foods.[30][31] Processed soy protein appears in foods mainly in three forms: soy flour, soy protein isolates, and soy protein concentrates.[31][32]
Soy protein isolates[edit]
Food-grade soy protein isolate first became available on October 2, 1959 with the dedication of Central Soya's edible soy isolate, Promine D, production facility on the Glidden Company industrial site in Chicago.[33]:227–28 Soy protein isolate is a highly refined or purified form of soy protein with a minimum protein content of 90% on a moisture-free basis. It is made from soybean meal which has had most of the nonprotein components, fats and carbohydrates removed. Soy isolates are mainly used to improve the texture of processed meat products, but are also used to increase protein content, to enhance moisture retention, and are used as anemulsifier.[34][35]
Soy protein concentrates[edit]
Soy protein concentrate is about 70% soy protein and is basically soybean meal without the water-soluble carbohydrates. Soy protein concentrate retains most of the fiber of the original soybean. It is widely used as a functional or nutritional ingredient in a wide variety of food products, mainly in baked foods, breakfast cereals, and in some meat products. Soy protein concentrate is used in meat and poultry products to increase water and fat retention and to improve nutritional values (more protein, less fat).[34][36]
Flours[edit]
Soy flour is made by grinding soybeans into a fine powder. It comes in three forms: natural or full-fat (contains natural oils); defatted (oils removed) with 50% protein content and with either high water solubility or low water solubility; and lecithinated (lecithin added). As soy flour is gluten-free, yeast-raised breads made with soy flour are dense in texture. Soy grits are similar to soy flour except the soybeans have been toasted and cracked into coarse pieces. Kinako is a soy flour used in Japanese cuisine.[34][37]
Textured soy protein[edit]
Textured soy protein (TSP) is made by forming a dough from soybean meal with water in a screw-type extruder, and heating with or without steam. The dough is extruded through a die into various possible shapes and dried in an oven. The extrusion technologychanges the structure of the soy protein, resulting in a fibrous, spongy matrix similar in texture to meat. TSP is used as a low-cost substitute in meat and poultry products.[34][38]
Highly processed derivatives containing little to no DNA or protein[edit]
Lecithin[edit]
An example of a phosphatidylcholine, a type of phospholipid in lecithin. Red - choline and phosphate group; Black - glycerol; Green - unsaturated fatty acid; Blue - saturated fatty acid
Corn oil and soy oil, already free of protein and DNA, are sources of lecithin, which is widely used in processed food as an emulsifier.[39][40] Lecithin is highly processed. Therefore, GM protein or DNA from the original GM crop from which it is derived is often undetectable with standard testing practices - in other words, it is not substantially different from lecithin derived from non-GM crops.[41][42] Nonetheless, consumer concerns about genetically modified food have extended to highly purified derivatives from GM food, like lecithin.[43] This concern led to policy and regulatory changes in Europe in 2000, when Regulation (EC) 50/2000 was passed[44] which required labelling of food containing additives derived from GMOs, including lecithin. Because it is nearly impossible to detect the origin of derivatives like lecithin with current testing practices, the European regulations require those who wish to sell lecithin in Europe to use a meticulous system of Identity preservation (IP).[42][45]
Vegetable oil[edit]
Most vegetable oil used in the US is produced from several crops, including the GM crops canola,[46] corn,[39][47] cotton,[48] andsoybeans.[49] Vegetable oil is sold directly to consumers as cooking oil, shortening, and margarine,[50] and is used in prepared foods.
There is no, or a vanishingly small amount of, protein or DNA from the original GM crop in vegetable oil.[41][51] Vegetable oil is made oftriglycerides extracted from plants or seeds and then refined, and may be further processed via hydrogenation to turn liquid oils into solids. The refining process[52] removes all, or nearly all non-triglyceride ingredients.[53]
Corn starch and starch sugars, including syrups[edit]
Structure of the amylose molecule
Structure of the amylopectinmolecule
Starch or amylum is a carbohydrate consisting of a large number of glucose units joined by glycosidic bonds. This polysaccharide is produced by all green plants as an energy store. Pure starch is a white, tasteless and odourless powder that is insoluble in cold water or alcohol. It consists of two types of molecules: the linear and helical amylose and the branched amylopectin. Depending on the plant, starch generally contains 20 to 25% amylose and 75 to 80% amylopectin by weight.
To make corn starch, corn is steeped for 30 to 48 hours, which ferments it slightly. The germ is separated from the endosperm and those two components are ground separately (still soaked). Next the starch is removed from each by washing. The starch is separated from the corn steep liquor, the cereal germ, the fibers and the corn gluten mostly in hydrocyclones and centrifuges, and then dried. This process is called wet milling and results in pure starch. The products of that pure starch contain no GM DNA or protein.[41]
Starch can be further modified to create modified starch for specific purposes,[54] including creation of many of the sugars in processed foods. They include:
-
Maltodextrin, a lightly hydrolyzed starch product used as a bland-tasting filler and thickener.
Various glucose syrups, also called corn syrups in the US, viscous solutions used as sweeteners and thickeners in many kinds of processed foods.
Dextrose, commercial glucose, prepared by the complete hydrolysis of starch.
High fructose syrup, made by treating dextrose solutions with the enzyme glucose isomerase, until a substantial fraction of the glucose has been converted to fructose. In the United States, high fructose corn syrup is the principal sweetener used in sweetened beverages because fructose has better handling characteristics, such as microbiological stability, and more consistent sweetness/flavor. One kind of high fructose corn syrup, HFCS-55, is typically sweeter than regular sucrose because it is made with more fructose, while the sweetness of HFCS-42 is on par with sucrose.[55][56]
Sugar alcohols, such as maltitol, erythritol, sorbitol, mannitol and hydrogenated starch hydrolysate, are sweeteners made by reducing sugars.
Sugar[edit]
Structure of sucrose
The United States imports 10% of its sugar from other countries, while the remaining 90% is extracted from domestically grown sugar beet and sugarcane. Of the domestically grown sugar crops, half of the extracted sugar is derived from sugar beet, and the other half is from sugarcane.
After deregulation in 2005, glyphosate-resistant sugar beet was extensively adopted in the United States. 95% of sugar beet acres in the US were planted with glyphosate-resistant seed in 2011.[12] Sugar beets that are herbicide-tolerant have been approved in Australia, Canada, Colombia, EU, Japan, Korea, Mexico, New Zealand, Philippines, Russian Federation, Singapore, and USA.[57]
The food products of sugar beets are refined sugar and molasses. Pulp remaining from the refining process is used as animal feed. The sugar produced from GM sugarbeets is highly refined and contains no DNA or protein—it is just sucrose, the same as sugar produced from non-GM sugarbeets.[41][58]
Foods processed using genetically engineered products[edit]
Cheese[edit]
Rennet is a mixture of enzymes used to coagulate cheese. Originally it was available only from the fourth stomach of calves, and was scarce and expensive, or was available from microbial sources, which often suffered from bad tastes. With the development of genetic engineering, it became possible to extract rennet-producing genes from animal stomach and insert them into certain bacteria, fungi oryeasts to make them produce chymosin, the key enzyme in rennet.[59][60] The genetically modified microorganism is killed after fermentation and chymosin isolated from the fermentation broth, so that the Fermentation-Produced Chymosin (FPC) used by cheese producers is identical in amino acid sequence to the animal source.[61] The majority of the applied chymosin is retained in the wheyand some may remain in cheese in trace quantities and in ripe cheese, the type and provenance of chymosin used in production cannot be determined.[61]
FPC was the first artificially produced enzyme to be registered and allowed by the US Food and Drug Administration. FPC products have been on the market since 1990 and have been considered in the last 20 years the ideal milk-clotting enzyme.[62] In 1999, about 60% of US hard cheese was made with FPC[63] and it has up to 80% of the global market share for rennet.[64] By 2008, approximately 80% to 90% of commercially made cheeses in the US and Britain were made using FPC.[61] Today, the most widely used Fermentation-Produced Chymosin (FPC) is produced either by the fungus Aspergillus niger and commercialized under the trademark CHY-MAX®[65] by the Danish company Chr. Hansen, or produced by Kluyveromyces lactis and commercialized under the trademark MAXIREN®[66] by the Dutch company DSM.
Foods made from animals fed with GM crops or treated with bovine growth hormone[edit]
Livestock and poultry are raised on animal feed, much of which is composed of the leftovers from processing crops, including GM crops. For example, approximately 43% of a canola seed is oil. What remains is a canola meal that is used as an ingredient in animal feed and contains protein from the canola.[67] Likewise, the bulk of the soybean crop is grown for oil production and soy meal, with the high-protein defatted and toasted soy meal used as livestock feed and dog food. 98% of the U.S. soybean crop is used for livestock feed.[68][69] As for corn, in 2011, 49% of the total maize harvest was used for livestock feed (including the percentage of waste fromdistillers grains).[70] "Despite methods that are becoming more and more sensitive, tests have not yet been able to establish a difference in the meat, milk, or eggs of animals depending on the type of feed they are fed. It is impossible to tell if an animal was fed GM soy just by looking at the resulting meat, dairy, or egg products. The only way to verify the presence of GMOs in animal feed is to analyze the origin of the feed itself."[71]
In some countries, recombinant bovine somatotropin (also called rBST, or bovine growth hormone or BGH) is approved for administration to dairy cows in order to increase milk production. rBST may be present in milk from rBST treated cows, but it is destroyed in the digestive system and even if directly injected, has no direct effect on humans.[72][73] The Food and Drug Administration, World Health Organization, American Medical Association, American Dietetic Association, and the National Institute of Health have independently stated that dairy products and meat from BST treated cows are safe for human consumption.[74] However, on 30 September 2010, the United States Court of Appeals, Sixth Circuit, analyzing evidence submitted in briefs, found that there is a "compositional difference" between milk from rBGH-treated cows and milk from untreated cows.[75][76] The court stated that milk from rBGH-treated cows has: increased levels of the hormone Insulin-like growth factor 1 (IGF-1); higher fat content and lower protein content when produced at certain points in the cow's lactation cycle; and more somatic cell counts, which may "make the milk turn sour more quickly."[76]Update with new research showing rGBH is not safe for humans or livestock[77]
Foods made from GM animals[edit]
As of November 2013 there were no genetically modified animals approved for use as food, but a GM salmon was awaiting regulatory approval at that time.[78][79][80]
Animals (e.g. goat,) usually used for food production (e.g. milk,) have already been genetically modified and approved by the FDA and EMA to produce non-food products (for example, recombinant antithrombin, an anticoagulant protein drug.)[81][82]
One of the biggest obstacles for GM animals to enter the food market is the social acceptance of it. There is currently in huge debate as the first GM animal, salmon is approaching commercial market. The possibility of modifying other animals as food has also been discussed but not yet under way. Research and experiments have gone into adding promoter genes into animals to increase growth speed, and increasing resistance of disease. (e.g. injection of a-lactalbumin gene into pigs to increase the size)
Controversies[edit]
Main article: Genetically modified food controversies
The genetically modified foods controversy is a dispute over the use of food and other goods derived from genetically modified cropsinstead of from conventional crops, and other uses of genetic engineering in food production. The dispute involves consumers, biotechnology companies, governmental regulators, non-governmental organizations, and scientists. The key areas of controversy related to GMO food are whether GM food should be labeled, the role of government regulators, the objectivity of scientific research and publication, the effect of GM crops on health and the environment, the effect on pesticide resistance, the impact of GM crops for farmers, and the role of GM crops in feeding the world population.
There is broad scientific consensus that food on the market derived from GM crops poses no greater risk than conventional food.[4][83][84] No reports of ill effects have been documented in the human population from GM food.[5][7][85] The starting point for assessing the safety of all GM food is to evaluate its substantial equivalence to the non-modified version. Further testing is then done on a case-by-case basis to ensure that concerns over potential toxicity and allergenicity are addressed prior to a GM food being marketed. Although labeling of genetically modified organism (GMO) products in the marketplace is required in 64 countries,[86] it is not required in the United States and no distinction between marketed GMO and non-GMO foods is recognized by the US FDA.
Advocacy groups such as Greenpeace, The Non-GMO Project and Organic Consumers Association say that risks of GM food have not been adequately identified and managed, and have questioned the objectivity of regulatory authorities. Opponents say that food derived from GMOs may be unsafe and propose it be banned, or at least labeled. They have expressed concerns about the objectivity of regulators and rigor of the regulatory process, about contamination of the non-GM food supply, about effects of GMOs on the environment and nature, and about the consolidation of control of the food supply in companies that make and sell GMOs.
Regulation[edit]
See also: Regulation of the release of genetic modified organisms and Regulation of genetic engineering
Governments have taken different approaches to assess and manage the risks associated with the use of genetic engineeringtechnology and the development and release of genetically modified organisms (GMO), including genetically modified crops andgenetically modified fish. There are differences in the regulation of GMOs between countries, with some of the most marked differences occurring between the USA and Europe. Regulation varies in a given country depending on the intended use of the products of the genetic engineering. For example, a crop not intended for food use is generally not reviewed by authorities responsible for food safety.[17]
One of the key issues concerning regulators is whether GM products should be labeled. Labeling can be mandatory up to a threshold GM content level (which varies between countries) or voluntary. A study investigating voluntary labeling in South Africa found that 31% of products labeled as GMO-free had a GM content above 1.0%.[87] In Canada and the USA labeling of GM food is voluntary,[88] while in Europe all food (including processed food) or feed which contains greater than 0.9% of approved GMOs must be labelled.[89]
As of 2013, 64 countries require GMO labeling.[90]
Detection[edit]
Main article: Detection of genetically modified organisms
Testing on GMOs in food and feed is routinely done using molecular techniques like DNA microarrays or quantitative PCR. These tests can be based on screening genetic elements (like p35S, tNos, pat, or bar) or event-specific markers for the official GMOs (like Mon810, Bt11, or GT73). The array-based method combines multiplex PCR and array technology to screen samples for different potential GMOs,[91] combining different approaches (screening elements, plant-specific markers, and event-specific markers).
The qPCR is used to detect specific GMO events by usage of specific primers for screening elements or event-specific markers. Controls are necessary to avoid false positive or false negative results. For example, a test for CaMV is used to avoid a false positive in the event of a virus contaminated sample.
In a January 2010 paper,[92] the extraction and detection of DNA along a complete industrial soybean oil processing chain was described to monitor the presence of Roundup Ready (RR) soybean: "The amplification of soybean lectin gene by end-point polymerase chain reaction (PCR) was successfully achieved in all the steps of extraction and refining processes, until the fully refined soybean oil. The amplification of RR soybean by PCR assays using event-specific primers was also achieved for all the extraction and refining steps, except for the intermediate steps of refining (neutralisation, washing and bleaching) possibly due to sample instability. The real-time PCR assays using specific probes confirmed all the results and proved that it is possible to detect and quantify genetically modified organisms in the fully refined soybean oil. To our knowledge, this has never been reported before and represents an important accomplishment regarding the traceability of genetically modified organisms in refined oils."
See also[edit]
References[edit]
-
^ GM Science Review First Report, Prepared by the UK GM Science Review panel (July 2003). Chairman Professor Sir David King, Chief Scientific Advisor to the UK Government, P 9
^ a b c James, Clive (1996). "Global Review of the Field Testing and Commercialization of Transgenic Plants: 1986 to 1995". The International Service for the Acquisition of Agri-biotech Applications. Retrieved 17 July 2010.
^ "Consumer Q&A". Fda.gov. 2009-03-06. Retrieved 2012-12-29.
^ a b American Association for the Advancement of Science (AAAS), Board of Directors (2012). Legally Mandating GM Food Labels Could Mislead and Falsely Alarm Consumers
^ a b American Medical Association (2012). Report 2 of the Council on Science and Public Health: Labeling of Bioengineered Foods
^ World Health Organization. Food safety: 20 questions on genetically modified foods. Accessed December 22, 2012.
^ a b United States Institute of Medicine and National Research Council (2004). Safety of Genetically Engineered Foods: Approaches to Assessing Unintended Health Effects. National Academies Press. Free full-text. National Academies Press. See pp11ff on need for better standards and tools to evaluate GM food.
^ A decade of EU-funded GMO research (2001-2010) (PDF). Directorate-General for Research and Innovation. Biotechnologies, Agriculture, Food. European Union. 2010. p. 16. doi:10.2777/97784. ISBN 978-92-79-16344-9.
^ Other sources:
-
Tamar Haspel for the Washington Post. October 15, 2013.Genetically modified foods: What is and isn't true
Winter CK and Gallegos LK (2006). Safety of Genetically Engineered Food. University of California Agriculture and Natural Resources Communications, Publication 8180.
Ronald, Pamela (2011). "Plant Genetics, Sustainable Agriculture and Global Food Security". Genetics 188 (1): 11–20.
Miller, Henry (2009). "A golden opportunity, squandered".Trends in biotechnology 27 (3): 129–130.
Dr. Christopher Preston, AgBioWorld 2011. Peer Reviewed Publications on the Safety of GM Foods.
^ Lederberg J, Tatum EL (1946). "Gene recombination in E. coli". Nature 158 (4016): 558. Bibcode:1946Natur.158..558L.doi:10.1038/158558a0.
^ Staff, National Centre for Biotechnology Education, 2006.Case Study: Chymosin
^ a b James, C (2011). "ISAAA Brief 43, Global Status of Commercialized Biotech/GM Crops: 2011". ISAAA Briefs. Ithaca, New York: International Service for the Acquisition of Agri-biotech Applications (ISAAA). Retrieved 2012-06-02.
^ Center for Food Safety About Genetically Engineered Foods
^ a b Gonsalves, D. (2004). Transgenic papaya in Hawaii and beyond. AgBioForum, 7(1&2), 36-40
^ Ronald, Pamela and McWilliams, James Genetically Engineered Distortions The New York Times, May 14, 2010, Retrieved July 26, 2010.
^ http://www.monsanto.com/newsviews/Pages/new-leaf-potato.aspx
^ a b c "The History and Future of GM Potatoes". Potatopro.com. 2010-03-10. Retrieved 2012-12-29.
^ Research in Germany, November 17, 2011. Business BASF applies for approval for another biotech potato
^ Burger, Ludwig (31 October 2011) BASF applies for EU approval for Fortuna GM potato Reuters, Frankfurt. Retrieved 29 December 2011
^ Andrew Turley for Royal Society of Chemistry News. February 7, 2013 BASF drops GM potato projects
^ J.R. Simplot Company Bets On Biotech Potatoes In Idaho, Associated Press, 14-May-2013
^ Potato Pro. May 8, 2013. Simplot asks USDA for deregulation of their GM Innate potatoes
^ Federal Register. May 3, 2013. J.R. Simplot Co.; Availability of Petition for Determination of Nonregulated Status of Potato Genetically Engineered for Low Acrylamide Potential and Reduced Black Spot Bruise
^ Johnson, Stanley R. et al Quantification of the Impacts on US Agriculture of Biotechnology-Derived Crops Planted in 2006National Center for Food and Agricultural Policy, Washington DC, February 2008. Retrieved August 12, 2010.
^ Haroldsen, Victor M.; Paulino, Gabriel; Chi-ham, Cecilia; Bennett, Alan B. (2012). "Research and adoption of biotechnology strategies could improve California fruit and nut crops". California Agriculture 66 (2): 62–69.doi:10.3733/ca.v066n02p62.
^ For a list of all traits, see table at at National Corn Growers Association website As of September 2012 that site listed 13 traits in nearly 30 different products.
^ a b Acreage NASS National Agricultural Statistics Board annual report, 30 June 2010. Retrieved 23 July 2010.
^ Staff. South Dakota State University, College of Agriculture and Biological Sciences, Agricultural Experiment Station. June 2004.Corn-Based Food Production in South Dakota: A Preliminary Feasibility Study
^ Adoption of Genetically Engineered Crops in the U.S. –Economic Research Service, of the U.S. Department of Agriculture
^ Edmund W. Lusas and Mian N Riaz. (1995) Soy Protein Products: Processing and Use Journal of Nutrition 125 (3_Suppl):573S-580S
^ a b E.S. Sipos. Edible Uses of Soybean Protein
^ Singh, Preeti; Kumar, R.; Sabapathy, S. N.; Bawa, A. S. (2008). "Functional and Edible Uses of Soy Protein Products".Comprehensive Reviews in Food Science and Food Safety 7: 14–28. doi:10.1111/j.1541-4337.2007.00025.x.
^ William Shurtleff, Akiko Aoyagi History of Cooperative Soybean Processing in the United States: Extensively Annotated Bibliography and Sourcebook Soyinfo Center, 2008
^ a b c d presentation by Dr. Karl Weingartner and Bridget Owen of the National Soybean Research Laboratory, University of Illinois at Urbana-Champaign. March 2009. Soy Protein Applications in Nutrition & Food Technology
^ Staff, World Initiative for Soy in Human Health (WISHH) Soy Protein Concentrate Reference Guide
^ a b "Poster of corn products" (PDF). Retrieved 2012-12-29.
^ a b c d Greg Jaffe, Director of Biotechnology at the Center for Science in the Public Interest. In the Atlantic. February 7, 2013.What You Need to Know About Genetically Engineered Food
^ a b Gertruida M Marx, Dissertation submitted in fulfilment of requirements for the degree Doctor of Philosophy in the Faculty of Health Sciences, University of the Free State, South Africa. December 2010. MONITORING OF GENETICALLY MODIFIED FOOD PRODUCTS IN SOUTH AFRICA
^ Staff, FoodNavigator.com, July 1, 2005. Danisco emulsifier to subsitute non-GM soy lecithin as demand outstrips supply
^ John Davison, Yves Bertheau (2007) EU regulations on the traceability and detection of GMOs: difficulties in interpretation, implementation and compliance CAB Reviews: Perspectives in Agriculture, Veterinary Science, Nutrition and Natural Resources 2(77)
^ "Soyatech.com". Soyatech.com. Retrieved 2012-12-29.
^ Institute of Shortening and Edible Oils, 2006. Food Fats and Oils accessdate=2011-11-19
^ National Cottonseed Producers Association Twenty Facts about Cottonseed Oil
^ Michelle Simon for Food Safety News. August 24, 2011.ConAgra Sued Over GMO '100% Natural' Cooking Oils
^ "ingredients of margarine". Imace.org. Retrieved 2012-12-29.
^ "USDA Alphabetical list of protein content of foods -- see Oils" (PDF). Retrieved 2012-12-29.
^ "How Cooking Oil is Made". Madehow.com. 1991-04-27. Retrieved 2012-12-29.
^ Crevel, R.W.R; Kerkhoff, M.A.T; Koning, M.M.G (2000). "Allergenicity of refined vegetable oils". Food and Chemical Toxicology 38 (4): 385–93. doi:10.1016/S0278-6915(99)00158-1. PMID 10722892.
^ "International Starch: Production of corn starch". Starch.dk. Retrieved 2011-06-12.
^ Ophardt, Charles. "Sweetners - Introduction". Elmhurst College.
^ White, John S. (December 2, 2008). "HFCS: How Sweet It Is".
^ "ISAAA Pocket K No. 2: Plant Products of Biotechnology". Isaaa.org. Retrieved 2012-12-29.
^ Food and Agriculture Organization of the United Nations (2009) Sugar Beet: White Sugar see p. 9
^ Emtage, JS; Angal, S; Doel, MT; Harris, TJ; Jenkins, B; Lilley, G; Lowe, PA (1983). "Synthesis of calf prochymosin (prorennin) in Escherichia coli". Proceedings of the National Academy of Sciences of the United States of America 80 (12): 3671–5.doi:10.1073/pnas.80.12.3671. PMC 394112.PMID 6304731.
^ Harris TJ, Lowe PA, Lyons A, Thomas PG, Eaton MA, Millican TA, Patel TP, Bose CC, Carey NH, Doel MT (April 1982)."Molecular cloning and nucleotide sequence of cDNA coding for calf preprochymosin". Nucleic Acids Res. 10 (7): 2177–87.doi:10.1093/nar/10.7.2177. PMC 320601.PMID 6283469.
^ a b c "Chymosin". GMO Compass. Retrieved 2011-03-03.
^ Law, Barry A. (2010). Technology of Cheesemaking. UK: WILEY-BLACKWELL. pp. 100–101. ISBN 978-1-4051-8298-0.
^ "Food Biotechnology in the United States: Science, Regulation, and Issues". U.S. Department of State. Retrieved 2006-08-14.
^ Johnson, M.E.; Lucey, J.A. (2006). "Major Technological Advances and Trends in Cheese". Journal of Dairy Science 89(4): 1174–8. doi:10.3168/jds.S0022-0302(06)72186-5.PMID 16537950.
^ http://www.chr-hansen.com/products/product-areas/enzymes/our-product-offering.html
^http://www.dsm.com/le/en_US/foodspecialties/html/Products_Maxiren.htm
^ "What is Canola Oil?". CanolaInfo. Retrieved 2012-12-29.
^ David Bennett for Southeast Farm Press, February 5, 2003World soybean consumption quickens
^ "Soybean". Encyclopedia Britannica Online. Retrieved February 18, 2012.
^ "2012 World of Conn, National Corn Growers Association"(PDF). Retrieved 2012-12-29.
^ Staff, GMO Compass. December 7, 2006. Genetic Engineering: Feeding the EU's Livestock
^ Dale E. Baumana and Robert J Collier. September 15, 2010Use of Bovine Somatotropin in Dairy Production
^ Staff, American Cancer Society. Last Medical Review: 02/18/2011; Last Revised: 02/18/2011. Recombinant Bovine Growth Hormone
^ Charlotte P. Brennand, PhD, Extension Food Safety Specialist."Bovine Somatotropin in Milk". Retrieved 2011-03-06.
^ Greg Cima, November for JAVMA News. November 18, 2010.Appellate court gives mixed ruling on Ohio rBST labeling rules
^ a b leagle.com. "INTERNATIONAL DAIRY FOODS ASS'N v. BOGGS – Argued: June 10, 2010". Leagle.com.
^ Rick MacInnes-Rae for CBC News. November 27, 2013 GMO salmon firm clears one hurdle but still waits for key OKs AquaBounty began seeking American approval in 1995
^ Andrew Pollack for the New York Times. "An Entrepreneur Bankrolls a Genetically Engineered Salmon" Published: May 21, 2012. Accessed September 3, 2012
^ Staff (26 December 2012) Draft Environmental Assessment and Preliminary Finding of No Significant Impact Concerning a Genetically Engineered Atlantic Salmon; Availability Federal Register / Vol. 77, No. 247 / Wednesday, December 26, 2012 / Notices, Retrieved 2 January 2013
^ Andre Pollack for the New York Times. February 6, 2009 F.D.A. Approves Drug From Gene-Altered Goats
^ Ronald, Pamela (2011). "Plant Genetics, Sustainable Agriculture and Global Food Security". Genetics 188 (1): 11–20.
^ Bett, Charles; Ouma, James Okuro; Groote, Hugo De (August 2010). "Perspectives of gatekeepers in the Kenyan food industry towards genetically modified food". Food Policy 35 (4): 332–340. doi:10.1016/j.foodpol.2010.01.003.
^ Key S, Ma JK, Drake PM (June 2008). "Genetically modified plants and human health". J R Soc Med 101 (6): 290–8.doi:10.1258/jrsm.2008.070372. PMC 2408621.PMID 18515776.
^ Just Label It: Labeling Around the World -http://justlabelit.org/right-to-know/labeling-around-the-world/
^ Botha, Gerda M.; Viljoen, Christopher D. (2009). "South Africa: A case study for voluntary GM labelling". Food Chemistry 112(4): 1060–4. doi:10.1016/j.foodchem.2008.06.050.
^ Davison, John (2010). "GM plants: Science, politics and EC regulations". Plant Science 178 (2): 94–8.doi:10.1016/j.plantsci.2009.12.005.
^ Center for Food Safety International Labeling Laws
^ Costa, Joana; Mafra, Isabel; Amaral, Joana S.; Oliveira, M.B.P.P. (2010). "Monitoring genetically modified soybean along the industrial soybean oil extraction and refining processes by polymerase chain reaction techniques". Food Research International 43: 301. doi:10.1016/j.foodres.2009.10.003.
No comments:
Post a Comment