कुछ रियायतें देकर फिलहाल राजनीतिक संकट टालने की जुगत लगायी जा रही है, जिससे सबके वोट बैंक सध जाये। पर असली एजंडा तो कुछ और ही है!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
रेटिंग संस्थाओं का दबाव बेइंतहा बढ़ गया है और मनमोहन की तारीपे करने से न अघा रहा कारपोरेट इंडिया दूसरे चरण के सुधारों की शुरुआत भर से खुश नहीं है। रेटिंग संस्थाओं के मुताबिक डीजल की दरें बढ़ाने, रसोई गैस की सब्सिडी घटाने और विनिवेश की मंजूरी से बुनियादी समस्याएं सुलझ नहीं रही है । विकास दर का आकलन इससे नहीं सुधरने वाला, भले ही बाजार चंगा हो जाये।अमेरिका दबाव है कि रक्षा क्षेत्र में में विदेशी पूंजी निवेश का दरवाजा खोल दिया जाये ताकि मरणासन्न अमेरिकी युद्धक अर्थ व्यवस्था में जान फूंकी जा सकें। चीन के खिलाफ छायायुद्ध से रक्षा सौदों में इजाफा जरूर हुआ है। माओवादी खतरे के मद्देनजर आंतरिक सुरक्षा के बहाने राष्ट्र का सैन्यीकरण भी तेज है। पर अमेरिकी आका इतने भर से खुश नहीं हैं कतई। जो अमेरिकी मीडिया मनमोहन को रातोंरात सुपरमैन साबित करने के मुहिम में जुट गये हैं, उनके पलटवार का भी इंतजार कीजिये।अब जो योजना सत्तावर्ग की है, उसका मकसद तमाम जनविरोधी कानून पास करके प्रकृतिक संसाधनों का अबाध दोहन किया जाये। वनाधिकार कानून, संविधान की पांचवी औरछठीं अनूसचियोंसे लेकर पर्यावरण कानून तक को ताक पर रखकर प्राकृतिक संसाधनों वाले इलाकों खासकर हिमालयी क्षेत्रों, मध्य भारत, तटवर्ती इलाकों में प्रकृति और मनुष्य के विरुद्ध एकाधिकारवादी आक्रमण की तैयारी है। संसदीय लोकतंत्र के समीकरण साधने के लिए राजनीतिक कवायद तेज है, जिसमें तमाम क्षत्रप, घटक दल और विपक्ष साझेदार हैं। मध्यवर्ग को पहले से बाजार में प्रवेशादिकार है। सामाजिक क्षेत्र में सरकारी खर्च बढ़ाकर एक मुश्त बाजार का विस्तार और नकदी प्रवाह बढ़ाने की रणनीति है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीतियों का भरपूर दोहन हो रहा है। मध्यवर्ग और गरीबों को कुछ रियायतें देकर फिलहाल राजनीतिक संकट टालने की जुगत लगायी जा रही है, जिससे सबके वोट बैंक सध जाये। पर असली एजंडा तो कुछ और ही है।सब्सिडी में कटौती और रिटेल में एफडीआई की छूट के बाद आर्थिक सुधार का दूसरा दौर हफ्ते भर के भीतर शुरू होने वाला है।सरकार आर्थिक सुधार के इस दूसरे दौर में 7 बड़े फैसले ले सकती है। इन फैसलों में बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को मंजूरी देने, जीएसटी पर आम सहमति बनाने और जमीन अधिग्रहण बिल को मंजूरी जैसे प्रस्ताव शामिल हैं।बाजार, सरकार से जिन बड़े रिफॉर्म की आस लगाए बैठा था, उनमें कई फैसले सरकार ने तेजी से मंजूर कर लिए। मल्टीब्रैंड रिटेल, एविएशन और पावर एक्सचेंज में एफडीआई निवेश की मंजूरी मिल गई है। वहीं ब्रॉडकास्ट सर्विसेज में एफडीआई सीमा बढ़ा दी गई है। इसके अलावा 4 सरकारी कंपनियों में हिस्सा बेचकर 15,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।अमेरिकी फेडरल रिजर्व की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की योजना तथा पश्चिम एशिया में तनाव से आज एशियाई कारोबार में कच्चे तेल के दामों में तेजी आई। अक्टूबर डिलिवरी वाला न्यूयॉर्क का मुख्य अनुबंध लाइट स्वीट कू्रड दो सेंट की बढ़त के साथ 99.02 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। वहीं नवंबर डिलिवरी का ब्रेंट नार्थ सी क्रूड 9 सेंट की तेजी के साथ 116.75 डॉलर प्रति बैरल रहा।
गौरतलब है कि कोयला घोटाले पर विपक्ष के तेवर और कुछ सहयोगी दलों के कड़े रुख के चलते के बाद अब सरकार ने उन्हीं आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाएगी, जिनके लिए संसद की मंजूरी नहीं चाहिए। बैंकिंग, बीमा और पेंशन बिल का भविष्य साफ नहीं होने के बाद सरकार ने पूंजी बाजार में सुधार और विनिवेश के जरिये दलाल स्ट्रीट में फीलगुड भरने का फैसला किया है। चिदंबरम खुद शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति में सुधार को लेकर चिंतित हैं। यही वजह है कि आर्थिक मामलों के नवनियुक्त सचिव अरविंद मायाराम को बाजार नियामक सेबी के निदेशक मंडल में सरकार का प्रतिनिधि बनाया गया है। यह पहला मौका है जब वित्त मंत्रालय के इतने वरिष्ठ अधिकारी को सेबी के बोर्ड में शामिल किया गया है। आमतौर पर वित्त मंत्रालय में पूंजी बाजार का कामकाज देखने वाले संयुक्त सचिव को इसके बोर्ड में जगह मिलती रही है। स्थितियों को देखते हुए अब पूंजी बाजार में सुधार पर जोर दिया जा रहा है। हाल में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड [सेबी] द्वारा लिए गए कुछ फैसलों को इस परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। इसके अलावा अभी आइपीओ के संबंध में कुछ और कदम भी पाइपलाइन में हैं। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में आइपीओ के तहत शेयर जारी करने में लगने वाले समय की सीमा को घटाकर पांच दिन तक लाया जा सकता है। शेयर बाजार में स्थिरता आते ही सार्वजनिक उपक्रमों [पीएसयू] को विनिवेश के लिए बाजार में उतारा जा सकता है। इसके लिए विनिवेश विभाग ने कई उपक्रमों की सूची भी तैयार कर रखी है।
जानकारी के मुताबिक सरकार ने ऑयल इंडिया के विनिवेश के लिए मर्चंट बैंकर की नियुक्ति करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार चाहती है कि ऑयल इंडिया का विनिवेश दिसंबर से पहले पूरा हो जाए।सूत्रों का कहना है कि ऑयल इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया ऑफर फॉर सेल के तहत पूरी की जाएगी। ऑयल इंडिया के विनिवेश में नई शेयर जारी नहीं किए जाएंगे।सूत्रों की मानें तो ऑयल इंडिया के पास अच्छी खासी नकदी मौजूद है। साथ ही कंपनी ने कई अधिग्रहण के सौदे भी पूरे किए हैं। वहीं अक्टूबर-नवंबर तक कंपनी की ओर से 10 करोड़ डॉलर के एक अधिग्रहण सौदे का ऐलान किया जा सकता है।
सरकार ने 89 इंफ्रा प्रोजेक्ट को जल्द मंजूरी देने का फैसला किया है। सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रोजेक्ट को मंजूरी के लिए नेशनल इंवेस्टमेंट बोर्ड में शामिल किया है। साथ ही विदेश से रकम जुटाने के लिए ईसीबी की शर्तों में ढील दी जा सकती है। वहीं मोटी रकम रखने वाली सरकारी कंपनियों पर निवेश के लिए दबाव बनाया जा सकता है।सरकार की जल्द जीएसटी पर राज्यों में आम सहमति बनाने की कोशिश है। जीएसटी के लिए आईटी सिस्टम पर तेजी से अमल किया जा सकता है। सरकार की ओर से विनिवेश की प्रक्रिया को और तेजी किया जा सकता है। इसके अलावा एफसीआरए बिल को कैबिनेट से मंजूरी देने के लिए प्रयास किया जाएगा।माना जा रहा है कि सरकार बिजली वितरण कंपनियों के कर्ज की रीस्ट्रक्चरिंग पर भी फैसला लेगी। बिजली वितरण कंपनियों के कर्ज में राज्य बिजली बोर्ड (एसईबी) के कर्ज की रीस्ट्रक्चरिंग करने का प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव के तहत राज्य सरकारों को एसईबी के कर्ज को अपने जिम्मे लेना होगा।
साल में सिर्फ 6 सस्ते गैस सिलेंडर के फैसले पर राज्य सरकार अपनी तरफ से राहत देने की कोशिश कर रही हैं। दिल्ली सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को साल में 6 के बजाय 9 सस्ते सिलेंडर देने का फैसला लिया है।इसके अलावा खबरें हैं कि नाराज सहयोगियों को मनाने के लिए सरकार रसोई गैस पर कसी गई लगाम को थोड़ा ढीला कर सकती है।सरकार सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की सीमा तय करने के फैसले को आंशिक रूप से वापस ले सकती है। सूत्रों के मुताबिक सालाना 6 सिलेंडर की सीमा बढ़ाकर 10-12 की जा सकती है।साल में सिर्फ 6 सस्ते गैस सिलेंडर देने के फैसले के चलते ममता बनर्जी सरकार से बेहद नाराज हैं। दूसरे सहयोगी एनसीपी और डीएमके भी रोलबैक की मांग कर रहे हैं।मल्टीब्रैंड रिटेल में एफडीआई की मंजूरी से भारतीय रिटेल इंडस्ट्री में 16 अरब डॉलर आने की संभावना है। 10 अरब डॉलर बैकएंड और 6 अरब डॉलर फ्रंटएंड में आने की संभावना है। सरकार के इस फैसले से पैंटालून रिटेल, शॉपर्स स्टॉप और ट्रेंट को सीधा फायदा होगा। दरअसल शॉपर्स स्टॉप को काफी ज्यादा फायदा होगा क्योंकि महाराष्ट्र में कंपनी की उपस्थिति ज्यादा है, और ये राज्य एफडीआई के पक्ष में है। रिटेल सेक्टर में प्रोवोग पर भी दांव लगाया जा सकता है। हालांकि सीईएससी की पश्चिम बंगाल और तमिलनाडू में उपस्थिति होने के कारण इस कंपनी को एफडीआई का फायदा मिलने में समय लग सकता है।सरकार ने आर्थिक सुधार को लेकर जो फैसले लिए हैं और वित्तीय घाटा कम करने के लिए रणनीति बनाई है उससे बाजार काफी ज्यादा खुश नजर आ रहा है। अब बाजार के तेज दौड़ लगाने की उम्मीद जताई जा रही है। बाजार के दिग्गज जानकार भी दिसंबर तक बाजार के ऊपर जाने की आस लगा रहे हैं। हालांकि तेजी की इस दौड़ में बाजार के नई ऊंचाई पर दस्तक देने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।डॉएश इक्विटीज ने दिसंबर तक सेंसेक्स के 20,000 पर दस्तक देने की उम्मीद जताई है। डॉएश इक्विटीज को उम्मीद है कि घरेलू बाजार में अगले कई हफ्तों तक अच्छी खबरों के आने का सिलसिला बरकरार रहेगा। वहीं सिटीग्रुप ने भी दिसंबर अंत तक सेंसेक्स के 19,900 तक जाने का अनुमान जताया है। अमेरिका के प्रमुख अखबारों ने भारत सरकार द्वारा रिटेल और विमानन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] को मंजूरी दिए जाने को पिछले दो दशकों में सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है। हालांकि उनकी ओर से इन फैसलों को प्रधानमंत्री मनामोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के लिए बड़ा राजनीतिक खतरा भी बताया गया है।
इस बीच आरबीआई ने मौद्रिक पॉलिसी रिव्यू का ऐलान कर दिया है। रिव्यू के तहत देश के केंद्रीय बैंक ने सीआरआर यानी कैश रिजर्व रेश्यो में 0.25 फीसदी की कटौती का ऐलान किया है। अब सीआरआर 4.5 फीसदी हो गया है। वहीं, आरबीआई ने रीपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रीपो रेट 8 फीसदी और रिवर्स रीपो रेट 7 फीसदी पर स्थिर हैं। सीआरआर में कटौती का मतलब यह हुआ कि देश के आर्थिक तंत्र में नकदी बढ़ेगी। अर्थव्यस्था में जान फूंकने के मकसद से सरकार अगले डेढ़ महीनों में आर्थिक सुधारों से जुड़े और कदम उठाएगी। यह कहना है कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम का। वित्त मंत्री ने आरबीआई की तरफ से सीआरआर में कटौती करने के फैसले पर खुशी जताई। सीआरआर में कटौती से बैंकिंग सिस्टम में 17,000 करोड़ रुपये की पूंजी आएगी। इससे बैंकों के हाथ में लोन देने के लिए ज्यादा पैसा होगा।चिदंबरम के मुताबिक, आर्थिक मोर्चे पर देश की गाड़ी को रफ्तार देने के लिए सरकार अब से लेकर 30 अक्टूबर के बीच नीतिगत स्तर पर कई कदम उठा सकती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि 30 अक्टूबर को होने वाली अगली मौद्रिक समीक्षा में आरबीआई के कदम आर्थिक ग्रोथ को मजबूती देने वाले होंगे।योजना आयोग के डिप्टी चेयरमैन मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने भी केंद्रीय बैंक के कदम को सही बताते हुए कहा है कि इससे सिस्टम और अर्थव्यवस्था पर पॉजिटिव असर होगा। यह सही दिशा में उठाया गया कदम है।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बाजारों के लिए एक और उम्मीद जगा दी है। वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकार 30 अक्टूबर को वित्तीय घाटे और ग्रोथ पर और कदमों का ऐलान करेगी। इस बयान के बाद बाजार की नजर अब 30 अक्टूबर को आने वाली पॉलिसी पर टिक गई है।पी चिदंबरम ने कहा है कि आरबीआई से 30 अक्टूबर को और बड़े कदम उठाने की उम्मीदें हैं। वित्त मंत्री के इस बयान को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार सी रंगराजन ने भी माना है कि सीआरआर में आज की कटौती बड़ी नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि आरबीआई का आगे का कदम महंगाई पर निर्भर होगा।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि वित्त वर्ष 2013 में वित्तीय घाटा लक्ष्य से थोड़ा ज्यादा रह सकता है। सरकार की पूरी कोशिश है कि वित्तीय घाटा जीडीपी के 5.1 फीसदी से ज्यादा न रहे। हालांकि, वित्तीय घाटे में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी।
पी चिदंबरम के मुताबिक अगले कुछ हफ्तों में वित्तीय घाटे पर काबू पाने के लिए कदमों का ऐलान होगा। शेयर बाजार, टैक्स और विनिवेश से जुड़े मुद्दों पर भी अहम फैसले लिए जाएंगे। गुरुवार को कैबिनेट और सीसीईए की बैठक होने वाली है। अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए कई कठिन निर्णयों का संकेत देते हुए चिदंबरम ने कहा कि अब से 30 अक्तूबर के बीच राजस्व विभाग, विनिवेश विभाग और सेबी कई कदम उठाएंगे। कुछ चुनिंदा संवाददाताओं के साथ घंटे भर चली बातचीत के दौरान उन्होंने वोडाफोन कर मुद्दा, जीएसटी, प्रत्यक्ष कर संधि और राजकोषीय स्थिति को मजबूत करने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।उन्होंने बताया कि विपक्षी दल इन निर्णय को वापस लेने की मांग करेंगे। जहां तक मुझे मालूम है, हम इन निर्णयों को वापस लेने नहीं जा रहे हैं। चिदंबरम ने कहा कि एक राजनीतिक सरकार जानती है कि क्या किया जा सकता है और क्या नहीं। सलाहकार सलाह दे सकते हैं, लेकिन हम जो कर सकते थे, हमने किया।संप्रग के घटक दलों विशेषकर तृणमूल कांग्रेस और बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी की ओर से किए जा रहे कड़े विरोध के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार में और सरकार के बाहर के हमारे सहयोगी इस बात को समझेंगे और सरकार को अपना समर्थन जारी रखेंगे। हम अपने सहयोगियों को समझाने में सफल रहेंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक ने सतर्कता भरा रुख अपनाते हुए सोमवार को नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर दी। बैंक द्वारा घोषित मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा की खास बातें कुछ इस प्रकार हैं...
-- नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 0.25 प्रतिशत की कटौती, घटकर 4.5 प्रतिशत रहा।
-- रेपो और रिवर्स रेपो दर क्रमश: आठ और सात प्रतिशत पर स्थिर।
-- सीआरआर में कटौती से बैंकिंग तंत्र में 17,000 करोड़ रुपये उपलब्ध होंगे।
-- सरकार द्वारा सुधारों के क्षेत्र में हाल में उठाए गए कदम आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के गणित के अनुकूल।
-- मुद्रास्फीति अब भी चुनौती, वृद्धि से जुड़े जोखिम बढ़े।
-- डीजल के दाम बढ़ने और सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की आपूर्ति सीमित होने से महंगाई पर दबाव बढ़ेगा।
-- जुलाई-सितंबर के दौरान आर्थिक गतिविधियां सुस्त रही।
-- चालू खाते के घाटे को वहनीय स्तर पर रखना रोजकोषीय मजबूती पर निर्भर करेगा।
अन्य फैसलों के अलावा सरकार ने डीजल के दाम 5 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए हैं। इससे रिजर्व बैंक की इस मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी कि राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमसें को भी उदार बनाया है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि डीजल कीमतों तथा एलपीजी पर उठाए गए कदमों से लघु अवधि में महंगाई दर प्रभावित होगी, लेकिन ये कदम उल्लेखनीय उपलब्धि हैं, क्योंकि इससे वृहद आर्थिक आधार मजबूत होगा।
रिजर्व बैंक ने चिंता जताते हुये यह भी कहा है कि रसोई गैस मूल्यों को तर्कसंगत बनाये जाने के बावजूद सब्सिडी पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि प्रशासनिक मूल्यों को अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिहाज से उचित स्तर पर लाने का काम अभी अधूरा ही है।
हाल में उठाए गए कदमों के बावजूद केंद्रीय बैंक ने कहा है कि उंचे राजकोषीय तथा चालू खाते के घाटे की वजह से ही वह ब्याज दरों में कटौती नहीं कर पाया है।
हालांकि, कम आक्रामक रहने का संकेत देते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा, मौद्रिक नीति का रुख सावधान और सतर्क तरीके से वृद्धि और महंगाई के बीच संतुलन की निगरानी से तय होगा। साथ ही तरलता की स्थिति के प्रबंधन पर निगाह रहेगी, जिससे उत्पादक क्षेत्रों को उचित मात्रा में ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
रिजर्व बैंक ने कहा कि फिलहाल थोक और खुदरा दोनों स्तरों पर मुद्रास्फीतिक दबाव मजबूत बना हुआ है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीतिक दबाव को अंकुश में रखना तथा निवेश बढ़ाने के हाल के नीतिगत कदमों को कायम रखना, जिससे निवेश बढ़े, आपूर्ति की स्थिति में सुधार हो और उत्पादकता बढ़े।
केंद्रीय बैंक ने हाल में वैश्विक स्तर पर भी तरलता की स्थिति में सुधार पर चिंता जताई है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इससे जिंसों के दाम बढ़ेंगे, जिससे महंगाई का प्रबंधन मुश्किल होगा।
चिदंबरम ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान के संदर्भ में कहा कि वह संकट की गहराई समझती हैं और कोई भी इन निर्णयों की गंभीरता पर सवाल खड़ा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि प्रति वर्ष सब्सिडी पर छह सिलेंडरों की आपूर्ति सीमित कर सरकार ने दूसरों का व्यवहार बदला है। वित्त मंत्री ने कहा कि जिन लोगों को सब्सिडी पर 100 सिलेंडर मिलते थे, उन्हें अब 30 सिलेंडर से अधिक नहीं मिल सकते। इससे उनका व्यवहार बदलेगा। एक बार जब हम एलपीजी को आधार से संबद्ध कर देंगे तो बड़ी संख्या में दुरुपयोग रुकेगा। चिदंबरम ने उन अवधारणाओं को खारिज किया कि सरकार रेटिंग एजेंसियों द्वारा साख घटाए जाने के डर से हरकत में आई।
उन्होंने कहा कि सरकार रेटिंग एजेंसियों के लिए नीति नहीं बनाती। सीआरआर में कटौती करने के रिजर्व बैंक के निर्णय का स्वागत करते हुए चिदंबरम ने कहा कि इससे कई दिलचस्प सवाल खड़े हुए हैं। वित्त मंत्रालय द्वारा और क्या-क्या निर्णय किए जा सकते हैं, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जिन मुद्दों पर निर्णय किए जाने हैं, वे मेरे नोटपैड में लिखे हैं। मैंने सेबी, राजस्व विभाग व विनिवेश विभाग के साथ चर्चा की है। इसलिए, मैं उम्मीद करता हूं कि इस बृहस्पतिवार और अगले बृहस्पतिवार को एक कैबिनेट और आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक होगी। आपको अगले कुछ दिनों में इस बारे में पता चल जाएगा।
राजकोषीय घाटे के बारे में उन्होंने कहा कि अगर हम 5.1 प्रतिशत (जीडीपी का) हासिल कर सकें तो हम भाग्यशाली होंगे। हमें इसमें कम से कम चूक के लिए अपने राजस्व संसाधनों को बढ़ाना होगा और कुछ खर्चों में कटौती करनी होगी। चिदंबरम ने कहा कि केलकर समिति ने कुछ सुझाव दिए हैं जिस पर सरकार काम कर रही है।
चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के बारे में चिदंबरम ने कहा कि इस बारे में अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी। पिछले वर्ष जितने भी अनुमान लगाए गए सभी गलत साबित हुए। हमारे पास फिलहाल आर्थिक वृद्धि के दो अनुमान है। एक रिजर्व बैंक का जिसमें आर्थिक वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है और दूसरा प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद का 6.7 प्रतिशत का अनुमान है। हर कोई इसी दायरे की बात कर रहा है।
विनिवेश के बारे में उन्होंने कहा कि साल खत्म होने में अब भी छह महीने बाकी है। मैं उम्मीद करता हूं कि बाजार अनुकूल है। साल खत्म होने से पहले सभी चार कंपनियों में विनिवेश कर दिया जाएगा। सभी चार कंपनियों को 30,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बाजार में उतरना पड़ेगा। हमने 30,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। मेरा उद्देश्य 30,000 करोड़ रुपये जुटाना है, फिलहाल मैं ऐसा क्यों समझूं कि मैं इसे हासिल नहीं कर सकता। प्रत्यक्ष कर संहिता पर वित्त मंत्री ने कहा कि इसमें भारी बदलाव किया गया है। मुझे प्रत्येक महत्वपूर्ण वर्गों और अध्यायों को देखने के लिए कुछ समय लगाना पड़ेगा।
अर्थव्यवस्था को तेजी रफ्तार पटरी पर लाने के लिए और नए उपायों का संकेत देते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने डीजल, एलपीजी और बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर लिए गए निर्णयों को वापस लेने की संभावना से सोमवार को इनकार किया। उन्होंने भरोसा जताया कि सरकार को अंदर से अथवा बाहर से घटक दलों से कोई खतरा नहीं है।
सहयोगी दलों के विरोध के तेज होते स्वर के बीच कांग्रेस आर्थिक सुधार के अपने कदमों से पीछे हटती नहीं दिख रही है। कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सहयोगी दलों की एफडीआई और डीजल पर लिए गए फैसलों को वापस लेने की मांग के मुद्दे पर कहा कि उनकी पार्टी की सरकार अब सिर कटा सकती है, लेकिन सिर झुका नहीं सकती है। इस बीच, केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी कहा है कि सरकार डीजल के दाम में बढ़ोतरी के फैसले को वापस नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी की बैठक में सरकार कुछ और कड़े फैसले भी ले सकती है।
लेकिन दूसरी तरफ, पश्चिम बंगाल की सीएम और केंद्र की यूपीए सरकार में अहम सहयोगी तृणमूल कांग्रेस की चीफ ममता बनर्जी की ओर से मनमोहन सरकार को दिए गए 72 घंटे के अल्टीमेटम की अवधि सोमवार को खत्म हो रही है। पार्टी के नेता सुल्तान अहमद ने कहा है कि पार्टी के सामने विरोध जताने के लिए तीन विकल्पों पर विचार हो रहा है। अहमद के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस जिन तीन विकल्पों पर विचार कर रही है उनमें केंद्र सरकार से समर्थन वापसी, दूसरा विकल्प-मंत्री अपने दफ्तर न जाएं और तीसरा विकल्प-मंत्री सरकार से हट जाएं जैसे विकल्प शामिल हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत रॉय ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में कहा है कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर मंगलवार शाम 5 बजे एक बैठक में फैसला लेगी।
हालांकि ऐसी भी खबर है कि ममता बनर्जी को 'मनाने' के लिए प्रधानमंत्री उनसे फोन पर बात कर सकते हैं। यदि मनमोहन ममता को मनाने में कामयाब नहीं रहे तो केंद्र में तृणमूल के रेलमंत्री और 5 अन्य राज्यमंत्री इस्तीफा दे देंगे। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने कहा, 'हम ममता बनर्जी का सम्मान करते हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि वह सरकार से अलग नहीं होंगी।' उधर, नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर राहुल गांधी पर निशाना साधा है।
इस बीच, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा है कि देश में जल्द ही मध्यावधि चुनाव होंगे। गडकरी का कहना है कि मध्यावधि चुनाव में बीजेपी बड़ी जीत दर्ज करेगी।
क्या हैं रीपो रेट, रिवर्स रीपो रेट और CRR?
सभी की नजरें आरबीआई द्वारा पेश की जाने वाली मौद्रिक नीति की समीक्षा पर टिकी हुई थीं। मौद्रिक समीक्षा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। आरबीआई गवर्नर डी सुब्बाराव का ब्याज दरों में कटौती को लेकर क्या रुख होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा था। ऊंची महंगाई दर आरबीआई के लिए दिक्कत बनी हुई है तो उस पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव भी था।
मौद्रिक नीति के मिड-टर्म रिव्यू की मुख्य बातें:
-- CRR में 0.25% की कटौती, घटकर 4.5% रहा।
-- रीपो और रिवर्स रीपो रेट क्रमशः 8% और 7% पर स्थिर।
-- सीआरआर में कटौती से बैंकिंग तंत्र में 17,000 करोड़ रुपये उपलब्ध होंगे।
-- सरकार द्वारा सुधारों के क्षेत्र में हाल में उठाए गए कदम आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के गणित के अनुकूल।
-- मुद्रास्फीति अब भी चुनौती, वृद्धि से जुड़े जोखिम बढ़े।
-- डीजल के दाम बढ़ने और सब्सिडी वाले एलपीजी सिलिंडर की आपूर्ति सीमित होने से महंगाई पर दबाव बढ़ेगा।
जुलाई-सितंबर के दौरान आर्थिक गतिविधियां सुस्त रही।
-- चालू खाते के घाटे को वहनीय स्तर पर रखना रोजकोषीय मजबूती पर निर्भर करेगा।
भारत में बड़े अमीरों की तादाद 7,730 है जिनके पास कुल 925 अरब डॉलर की संपत्ति है। हालांकि, एक साल पहले की तुलना में इन अमीरों की संख्या और संपत्ति कम हुई है। यह बात ग्लोबल लेवल पर प्रॉपर्टी का आकलन करने वाली कंपनी वेल्थ एक्स ने कही।
कंपनी की वर्ष 2012-13 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बड़े अमीरों की तादाद 7,730 है जिनमें से 109 अरबपतियों की संपत्ति डॉलर के लिहाज से अरबों में है। हालांकि, पिछले साल की समान अवधि में इनकी संख्या 8,215 थी जिनके पास कुल 980 अरब डॉलर की संपत्ति थी। वेल्थ एक्स ने कहा कि देश में 109 अरबपति हैं और यह बड़े अमीरों की आबादी का 1.4 फीसदी है। औसतन इन अरबपतियों में से हरेक के पास 1.7 अरब डॉलर की संपत्ति है।
इधर ग्लोबल लेवल पर इन बड़े अमीरों की आबादी 0.6 फीसदी बढ़कर 1,87,380 हो गई, जिनके पास कुल 2,580 अरब डॉलर की संपत्ति है। गौरतलब है कि यूरो जोन संकट और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में नरमी के कारण इनकी कुल संपत्ति में पिछले साल भर में 1.8 फीसदी की गिरावट आई है।
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