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Wednesday, September 19, 2012

ममता पर असंभव दबाव का उलटा ही असर

ममता पर असंभव दबाव का उलटा ही असर

पलाश विश्वास

ममता बनर्जी का अतीत चाहे कुछ रहा हो, मगर इस बार वे कांग्रेस के सामने हथियार डालने के मूड में फिलहाल नहीं है। पहले से बातचीत के लिए संपर्क के दावे से ममता बहुत गुस्से में हैं। टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच की दूरी और बढ़ती दिख रही है। ममता ने कहा है कि वो अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगी और इस मुद्दे पर सरकार की तरफ से किसी ने उनसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की। इससे पहले सरकार की ओर से ये दावा किया गया था कि ममता से प्रधानमंत्री ने भी बात करने की कोशिश की थी, लेकिन फोन पर उनसे बात नहीं हो पाई।आज राइटर्स में पत्रकारों को संबोधित करके उन्होंने य़ूपीए सरकार को झूठी करार दिया।उन्होंने सरकार पर नाटक करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से कोई सूचना नहीं मिली थी। जबकि मैंने अपने फैसले के विषय में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को पहले ही बता दिया था।तृणमूल प्रमुख ने बहुब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर सरकार पर तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के वादे से मुकरने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस पर फैसला सहमति से होना चाहिए। ऐसे में जवाबी कार्रवाई ​​करके पश्चिम  बंगाल के महत्वांक्षी नेताओं की इच्छा के मुताबिक ममता की तृणमूल सरकार से कांग्रेस के हट जाने से समझौते की रही सही गुंजाइश भी खत्म होती नजर आ रही है।केंद्र की राजनीतिक बाध्यताओं का चाहे जो हाल हो, बंगाल में कांग्रस ममता की वजह से साइन बोर्ड के सिवा कुछ नहीं है, प्रदेश कांग्रेस के नेता खासकर अधीर चौधरी और दीपा दासमुंशी इसे हजम करने की स्थिति में कभी नहीं थे। बल्कि वे ममता के यूपीए से हटने का ही इंतजार कर रहे हैं। कोलकाता में अधीर, दीपा और मौसम को तृणमूली इस्तीफे के बाद मंत्री बनाये जाने की चर्चा जोरों पर है। ममता को विधानसभा में बारी बहुमत ​​है,वह खुद पंचायत चुनाव से पहले कांग्रेस को खत्म ही करना चाहती हैं।पहले ही उसने पंचायत चुनाव अकेले दम लड़ने का ऐलान कर रखा है। कांग्रसी मंत्रयों के हटने से उनकी सेहत पर कोई असर नही होगा। ममता की शर्तें मानना कांग्रेस के लिए असंभव है। विदेशी पूंजी पर रोक की शर्त पर उनको मनाना केकोई आसार नहीं है। पर हासा्यास्पद व असंबव किस्म के दबाव से हालत और खराब होंगे।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर व्यंग्य कसते हुए कहा है कि सरकार रियायती मूल्य पर सिर्फ छह सिलेंडर उपलब्ध करवाकर लोगों को डायटिंग सिखा रही है।



केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि वह पिछले चार दिन से तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से संपर्क करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एफडीआई और डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी की वजह बताना चाहते हैं, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली।इससे बौखलायी ममता ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्र सरकार प्रति परिवार प्रति वर्ष रियायती दर सिर्फ छह सिलेंडर उपलब्ध करवाकर लोगों को डायटिंग करना सिखा रही है। सरकार चाहती है कि हम उपवास करें। सिर्फ छह सिलेंडर से कोई भी परिवार कैसे गुजारा कर सकता है? सिलेंडरों की संख्या बढ़ाकर 24 किया जाए।यूपीए सरकार पर हमला बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा, 'एफडीआई और डीजल के मुद्दे पर फैसला लेने से पहले सरकार ने हमसे कोई बात नहीं की।' उन्होंने कहा कि किसी को भी सच का पता नहीं है, सरकार अफवाह फैला रही है और हमसे बात करने के बारे में गलत बयानबाजी कर रही है। उन्होंने कहा कि हमने सोनिया गांधी को बता दिया है कि समर्थन नहीं दूंगी।

बंगाल कांग्रेस ने भी हाईकमान से पूछा है कि उन्हें पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार से कब समर्थन वापस लेना है और कब अपने मंत्री हटाने हैं।

पश्चिम बंगाल सरकार में कांग्रेस के छह मंत्री हैं जिनमें से दो कैबिनेट और चार राज्यमंत्री हैं। जहां तक विधायकों की बात है कांग्रेस के राज्य में 42 विधायक हैं। उनके समर्थन नहीं करने से ममता सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ना है पर इसके राजनीतिक मायने अवश्य हैं।

कांग्रेस के लिए तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी से रिश्ते गड़बड़ाने के बाद राष्ट्रपति बनने की वजह से प्रणब मुखर्जी द्वारा खाली लोकसभा सीट पर उनके बेटे को जिताना भी मुश्किल हो सकता है। इस लोकसभा उप चुनाव में व्यस्त कांग्रेस विधायक दल के नेता मोहम्मद सोराब ने कहा कि इसका फैसला हाईकमान को करना है कि हमें अपने मंत्री सरकार से कब वापस बुलाने हैं। उन्होंने कहा कि बदली परिस्थितियों में उपचुनाव में भी राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।

कांग्रेस नेता से जब यह पूछा गया कि क्या तृणमूल कांग्रेस की नेता कांग्रेस के खिलाफ भी जा सकती है तो उन्होंने कहा कि कुछ भी हो सकता है क्योंकि ममता ऐसी नेता हैं जिनके बारे में पहले से कुछ भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

यह पूछे जाने पर कि हाईकमान या राज्य के प्रभारी शकील अहमद से मंत्रियों को वापस बुलाने या समर्थन वापस लेने पर क्या बात हुई है तो उन्होंने कहा कि कोशिश करने पर भी बात नहीं हो सकी है।

समझा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य दिल्ली पहुंच गए हैं।

शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी का रुख देखने के बाद कांग्रेस हाईकमान भी अपने मंत्रियों को लेकर फैसला कर लेगा। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर ममता यूपीए का हिस्सा नहीं रहती हैं तब कांग्रेस कैसे उनकी सरकार का हिस्सा रह सकती है।उन्होंने कहा कि जैसे ही ममता अपने मंत्री हटाएंगी कांग्रेस को भी अपने तृणमूल सरकार ने अपने मंत्री हटाने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि  अन्यथा वाम दल विशेषकर माकपा आरोप लगाने से बाज नहीं आएगी।


कांग्रेस ने बुधवार को अपने शासन वाले राज्यों में साल में एक परिवार को सब्सिडी वाले रसोई गैस के नौ सिलेंडरों की आपूर्ति किये जाने का निर्णय किया है। केन्द्र सरकार ने हाल के फैसले में साल में ऐसे छह सिलेंडर की सीमा लगाने का फैसला किया था।
    
कांग्रेस महासचिव जर्नादन द्विवेदी ने संवाददाताओं को बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से सब्सिडी वाली रसोई गैस के साल में नौ सिलेंडरों की आपूर्ति किये जाने का निर्देश दिया है।
    
केन्द्र सरकार ने पिछले दिनों साल भर में सब्सिडी वाले रसोई गैस के सिर्फ छह सिलेंडरों की आर्पूति किये जाने का निर्णय किया था। कांग्रेस शासित राज्यों में अब इनमें तीन और सिलेंडरों को शामिल कर दिया गया है।
    
सब्सिडी वाले रसोई गैस के सिलेंडरों की आपूर्ति को छह तक सीमित करने के साथ साथ डीजल की कीमतों में प्रति लीटर पांच रूपये की बढोत्तरी करने और खुदरा व्यापार के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाजत दिये जाने के सरकार के फैसले को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है।
    
इस फैसले को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग की प्रमुख सहयोगी तृणमूल कांग्रेस ने संप्रग सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा तक कर दी है। उधर विपक्ष ने इन मुद्दों के विरोध में कल देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।

ममता ने मंगलवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया। केंद्र सरकार में शामिल उनके मंत्री शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। ममता ने कोलकाता में पार्टी के सांसदों एवं मंत्रियों की बैठक के बाद यह निर्णय लिया था।ममता ने डीजल की कीमतों में हुई वृद्धि और बहुब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर केंद्र सरकार को 72 घंटे की मोहलत दी थी लेकिन केंद्र सरकार के रुख में कोई बदलाव न आने पर उन्होंने यह फैसला किया।

इस बीच मुलायम सिंह यादव ने सरकार के फैसले का विरोध किया, लेकिन अपनी रणनीति का खुलासा करने से इंकार कर दिया। मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के लोकसभा में 22 सदस्य हैं और मौजूदा परिप्रेक्ष्य में उसका समर्थन सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण है। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने संप्रग सरकार से तृणमूल कांग्रेस के समर्थन वापस लेने से उत्पन्न राजनीतिक घटनाक्रम पर टिप्पणी करने से बुधवार को इनकार किया।
    
मुलायम ने संवाददाताओं से कहा कि कल समाजवादी पार्टी संसदीय बोर्ड की बैठक है। हम वहां अपनी रणनीति तय करेंगे।
    
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी डीजल की मूल्य वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन करने की अपनी योजना पर कायम है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और पूरे देश में विरोध होगा। सरकार की इन घोषणाओं के विरोध में प्रदर्शन होगा।
   
सपा मुखिया ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसकी नीतियों ने आम आदमी पर बोझ बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने मंहगाई और भ्रष्टाचार के अलावा जनता को क्या दिया है।   
    
तृणमूल कांग्रेस के समर्थन वापसी के फैसले के बाद लोकसभा में संप्रग का बहुमत 273 से घट कर 254 रह जायेगा। यह बहुमत के 273 के आंकड़े से 19 कम है। हालांकि, सरकार को बाहर से समर्थन कर रही पार्टियों सपा (22), बसपा (21) और कुछ अन्य सदस्यों को मिलाकर उसके पाले में अभी भी 304 से अधिक सदस्य हैं।
   
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि हमने चार दिन पहले उनसे बात करने की कोशिश की। प्रधानमंत्री ने उनसे बात करने की कोशिश की। हमने उनके लिए संदेश छोड़ा ताकि वे बात कर सकें। उनकी तरफ से कोई संदेश नहीं मिला।
   
चिदंबरम, तृणमूल कांग्रेस द्वारा खुदरा क्षेत्र में एफडीआई और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी के विरोध में सरकार से समर्थन वापस लेने के फैसले के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे।
   
कांग्रेस कोर ग्रुप की यहां हुई बैठक के बाद उनका यह बयान आया है। इस बैठक में तृणमूल द्वारा संप्रग से समर्थन वापस लेने के मसले पर चर्चा की हुई। इस बैठक में तय किया गया कि तृणमूल को अब भी इन फैसलों की पृष्ठभूमि बताने की कोशिश की जाएगी।

संप्रग से समर्थन वापसी के तृणमूल कांग्रेस के फैसले के मद्देनजर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने अपनी रणनीति पर विचार करने के लिए बुधवार को बैठक की। उधर एक अन्य सहयोगी दल समाजवादी पार्टी की अपना रुख तय करने के लिए गुरुवार को बैठक होगी।  
     
प्रधानमंत्री आवास पर सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में ममता बनर्जी द्वारा सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा किए जाने के बाद के राजनीतिक परिदृश्य पर गहन चर्चा की गई। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा कोर ग्रुप की इस बैठक में वित्त मंत्री पी चिदम्बरम, रक्षा मंत्री ए के एंटनी और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने भी हिस्सा लिया।
    
इससे पहले योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया की भी प्रधानमंत्री के साथ बैठक हुई। तृणमूल कांग्रेस ने कल केंद्र सरकार से अपने मंत्रियों को हटाने तथा इससे समर्थन वापस लेने का फैसला किया था।


केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा करने के बाद तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी को इंटरनेट पर खूब समर्थन मिल रहा है। वहीं लोगों ने संप्रग सरकार में भ्रष्टाचार पर उनकी चुप्पी को लेकर सवाल भी उठाए हैं।

ममता के आधिकारिक पृष्ठ पर राजीब मुखर्जी ने पोस्ट किया है, ''दीदी, हम आपको धन्यवाद देते हैं.. आपका निर्णय सही समय पर लिया गया और उचित है।''

अनिरबन बसु ने लिखा, ''दीदी आप महान हैं, हम सभी आपका समर्थन करते हैं।''

उत्पल दत्त ने लिखा, ''दीदी, आम आदमी के हित में निर्णय लेने के लिए धन्यवाद। कांग्रेस को लगता है कि देश उनका है।''
फेसबुक इस्तेमाल करने वालों के एक वर्ग ने हालांकि पिछले तीन वर्षों से संप्रग सरकार में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ममता की चुप्पी को लेकर सवाल भी उठाए।

शम्भू ने पोस्ट किया, ''दीदी, आप संप्रग में भ्रष्टाचार पर क्यों नहीं बोलतीं, जबकि यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से बड़ा मुद्दा है। पिछले तीन वर्ष से आप क्या कर रही थीं?''

मोहम्मद सलिमुल्लाह ने लिखा, ''आपकी सरकार बनने के बाद जब बिजली के शुल्क में पांच गुनी वृद्धि की गई तो प्रदर्शन क्यों नहीं किया गया?''

परोमिता सेन ने लिखा, ''मुकुल राय (रेल मंत्री) कैबिनेट मंत्री बनने के योग्य नहीं हैं.. अन्यथा वह मंत्रिमंडल की बैठक में भी इन निर्णयों (डीजल के दाम में वृद्धि, रसोई गैस का सिलेंडर एक परिवार के लिए साल में छह सीमित करने तथा खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को अनुमति देने) का विरोध करते।''

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