Dilip C Mandal
हम शायद पर्याप्त नाराज नहीं हैं. हमें आदत सी पड़ गई है. हम उत्पीड़न के लिए नॉर्मलाइज हो चुके हैं. चलता है.... क्यों?
रोहित को आदत नहीं पड़ी थी. वह हम लोगों की तरह नॉर्मल नहीं था.
अलविदा दोस्त. जय भीम.
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