Dilip C Mandal
बीजेपी-RSS को सामने ओवैसी चाहिए, सामने कोई रोहित आया, तो उसे तबाह कर देंगे.
हैदराबाद - सिकंदराबाद की राजनीति लंबे समय से हिंदू बनाम मुस्लिम के द्वेत यानी binary में फंसी थी. एक तरफ ओवैसी परिवार तो दूसरी तरफ बीजेपी, आरएसएस.
हैदराबाद यूनिवर्सिटी शहर के अंदर होते हुए भी इस द्वेत से अलग चल पड़ी. आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने बाकी लोकतांत्रिक ताकतों के साथ मिलकर वहां चुनाव जीत लिया.
यह आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन का विजय जुलूस है. रोहित वेमुला स्क्रीन पर सबसे दाएं है.
बीजेपी उस समय तक मस्त रहती है, जब तक सामने विरोध में मुसलमान हों. इसलिए आपने महसूस किया होगा कि जैसे ही आप संघ के खिलाफ कुछ कहें, भक्त आप पर आरोप लगा देंगे कि "मुसलमान की औलाद हो."
सामने ओवैसी न हों तो बीजेपी को दिक्कत होती है
आरएसएस को ओवैसी चाहिए, आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन बिल्कुल नहीं चाहिए.
"RSS और बीजेपी को हिंदू संगठन बोलना बंद कर दीजिए. उसकी जान निकल जाएगी. उसे सवर्ण पुरुषों का ब्राह्मणवादी संगठन कहिए."
सवर्ण ब्राह्मणवादी नेतृत्व में हिंदू एकता बनाने के लिए उसे हमेशा सामने मुसलमान की दरकार होती है. इसी से वह SC, ST और OBC को काबू में रख पाती है.
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में वह रास्ता है जो आरएसएस के खेल को बिगाड़ता है. उसे लगाम में बांधता है.
वहां दलित लोग मुसलमान के हक के बात कर रहे हैं. ओबीसी दलित की बात कर रहा है. मुसलमान आदिवासी के लिए बोल रहा है. ये सारे लोग आंबेडकर, सावित्रीबाई की फोटो लगा रहे हैं.
हिंदू-मुस्लिम की बात ही नहीं हो रही है. आरएसएस के सामने अजीब उलझन है.
बीजेपी इसे सहन नहीं कर सकती. इसलिए आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन को तबाह करने के लिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और दो केंद्रीय मंत्री जुट जाते हैं. पूरी ताकत लगा देते हैं. मार डालते हैं.
बीजेपी-RSS को सामने ओवैसी चाहिए, सामने कोई रोहित आया, तो उसे तबाह कर देंगे.
हैदराबाद - सिकंदराबाद की राजनीति लंबे समय से हिंदू बनाम मुस्लिम के द्वेत यानी binary में फंसी थी. एक तरफ ओवैसी परिवार तो दूसरी तरफ बीजेपी, आरएसएस.
हैदराबाद यूनिवर्सिटी शहर के अंदर होते हुए भी इस द्वेत से अलग चल पड़ी. आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने बाकी लोकतांत्रिक ताकतों के साथ मिलकर वहां चुनाव जीत लिया.
यह आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन का विजय जुलूस है. रोहित वेमुला स्क्रीन पर सबसे दाएं है.
बीजेपी उस समय तक मस्त रहती है, जब तक सामने विरोध में मुसलमान हों. इसलिए आपने महसूस किया होगा कि जैसे ही आप संघ के खिलाफ कुछ कहें, भक्त आप पर आरोप लगा देंगे कि "मुसलमान की औलाद हो."
सामने ओवैसी न हों तो बीजेपी को दिक्कत होती है
आरएसएस को ओवैसी चाहिए, आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन बिल्कुल नहीं चाहिए.
"RSS और बीजेपी को हिंदू संगठन बोलना बंद कर दीजिए. उसकी जान निकल जाएगी. उसे सवर्ण पुरुषों का ब्राह्मणवादी संगठन कहिए."
सवर्ण ब्राह्मणवादी नेतृत्व में हिंदू एकता बनाने के लिए उसे हमेशा सामने मुसलमान की दरकार होती है. इसी से वह SC, ST और OBC को काबू में रख पाती है.
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में वह रास्ता है जो आरएसएस के खेल को बिगाड़ता है. उसे लगाम में बांधता है.
वहां दलित लोग मुसलमान के हक के बात कर रहे हैं. ओबीसी दलित की बात कर रहा है. मुसलमान आदिवासी के लिए बोल रहा है. ये सारे लोग आंबेडकर, सावित्रीबाई की फोटो लगा रहे हैं.
हिंदू-मुस्लिम की बात ही नहीं हो रही है. आरएसएस के सामने अजीब उलझन है.
बीजेपी इसे सहन नहीं कर सकती. इसलिए आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन को तबाह करने के लिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और दो केंद्रीय मंत्री जुट जाते हैं. पूरी ताकत लगा देते हैं. मार डालते हैं.
Pl see my blogs;
Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!
No comments:
Post a Comment