यह फैसले का वक़्त है/तूँ आ कदम मिला के चल
Ashok Kumar Pandey
1 hr ·
अब एक सीधी लड़ाई लड़नी होगी सांप्रदायिकता के खोल और पूंजीवाद की रूह लिए आए इस नवब्राह्मणवाद से। अब यह किसी एक तबके/फिरके/विचारधारा का मामला नहीं है। यह सीधे सीधे मनुष्यता और मनुष्य विरोधी ताक़तों के बीच की लड़ाई है। आर पार का युद्ध। आज अगर इससे ण लड़ा गया तो यह हम सबको खा जाएगा। दलित, पिछड़े, आदिवासी, महिलाएं, अल्पसंख्यक, अंबेडकरवादी, वामपंथी, समाजवादी, गांधीवादी और मानववादी, सबको एक साथ खड़ा होना होगा। याचना नहीं अब रण की आवश्यकता है। हर औज़ार इस्तेमाल करना होगा। मिलिये, सोचिए और संघर्ष मे उतारिए वरना अपने रोहितों को यों हताश होकर मरते जाने से नहीं रोक पाएंगे हम। अपने क्रोध को यहाँ कुछ संवेदनशील लिख कर विरेचित करने का नहीं उसे पकाकर दुश्मनों पर क़हर बनकर टूट पड़ने का वक़्त है यह।
यह फैसले का वक़्त है/तूँ आ कदम मिला के चल
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