नेपाल – पूरा कस्बा हो गया जमींदोज़
नेपाल से इमरान इदरीस का आंखों देखा हाल
नेपाल से ग्राउंड जीरो रिपोर्ट
सत्य को मात्र सुनकर या संचार माध्यमों पर देखकर ना समझा जा सकता है और ना दर्द महसूस किया जा सकता है।
नेपाल अपनी विपदाओं से निपटने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि दूरदराज़ गाँव ऊँचे पहाड़ पर बसे लोगों की मदद कैसे की जाए, ये अभी बहुत हद तक तय नहीं है।
ये सही है कि विश्व के बहुत से देश यहाँ मदद को तैयार हैं, पर ये गाँव इस मदद से अछूते हैं। ऐसे काठमांडू से डाउनटाउन होते हुए मात्र 8 किलोमीटर दूर साखू क़स्बा है। पूरे कस्बे की जनता एक घेरे में रहती है। आज पूरा कस्बा जमींदोज हो चुका है। आप तस्वीरों में देख सकते हैं। लोगों की मदद की जा रही है। वहीं से मात्र 5 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर गांव है जहां आज तक कोई सहायता नहीं पहुंची।
समाजवादी दल आज उन पहाड़ियों की सीमाएं भी लांघ गया। राहत सामग्री अपने कंधों पर लादकर वहां पहुंचाया गया।
बहुत सहयोग रहा नेपाल के समाजवादी विचारधारा के राष्ट्रीय अनुसूचित आदिवासी दल के युवा प्रकोष्ठ राष्ट्रीय युवा क्रांतिदल का, जिनके सहयोग से वहां तक पहुंचने में कामयाबी मिली।
बताता चलूं कि पहले सामरिक दृष्टि से ये पूरा क्षेत्र पूर्व माओवादी नेता और नेपाल के पूर्व राष्ट्रपति पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के पाये जाने का क्षेत्र था। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद अब भी वैसे ही स्तिथियां हैं। ये नेपाल का आदिवासी स्थल है। मेडिकल/बिज़नेस/ स्वयंसेवी दल/ के लोग मदद करने में सक्रिय हैं।
(चित्र मेरे द्वारा मोबाईल से लिए गए हैं।)
डॉ. इमरान इदरीस
काठमांडू से
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