मोदी-ओबामा का संयुक्त संपादकीय- विदेश में सच दिखता है मोदीजी !
जगदीश्वर चतुर्वेदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के द्वारा लिखित वाशिंगटन पोस्ट अखबार का संयुक्त संपादकीय कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह मोदी के वर्चुअल प्रचार को जान-अनजाने बेनकाब करता है। जिन राजनयिकों ने इस संपादकीय को लिखा है वे काफी समझदार हैं और अनजाने ही मोदी के असत्य प्रचार की पोल खोल रहे हैं। यह मोदीप्रचार का विलोम भी है। लिखा है- "राष्ट्रों के रूप में हमने लोकहित के लिए दशकों तक साझेदारी की है। भारत की जनता हमारे सहयोग के मजबूत स्तंभ के रूप में याद करती है। हमारे सहयोग के अनेक उदाहरणों में खाद्यान उत्पादन की हरित क्रांति तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैं। " मोदी से पूछा जाना चाहिए ये दो ( हरित क्रांति और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) चीजें आजाद भारत की बड़ी उपलब्धि हैं तो फिर देश में अंधकार का रोना क्यों रोते हो ? ओबामा के साथ मोदी इस तथ्य को स्वीकार कर लेते हैं लेकिन देश की जनता से हमेशा यही कहते हैं कि कांग्रेस देश को अंधकार में ठेल गयी है !! इस संपादकीय में यह भी माना "आज हमारी साझेदारी सुदृढ़, विश्वसनीय एवं स्थायी है तथा यह बढ़ रही है। हमारे संबंध पहले से अधिक बहुपक्षीय सहयोग के हैं।" क्या इसमें कांग्रेस सरकारों की कोई भूमिका है या नहीं ?यदि है तो फिर अटल सरकार का ही जिक्र क्यों ? हम आशा करते हैं कि मोदी सही अर्थों में संपादकीय में लिखे वाक्यों का भारत में पालन करेंगे। लिखा है- "संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत का मूल न्याय और समानता के लिए अपने नागरिकों की साझी इच्छा में है।" मूल पाठ पढ़ें-
वाशिंगटन पोस्ट की वेबसाईट पर प्रकाशित प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा संयुक्त रूप से लिखे गए संपादकीय का मूल पाठ
राष्ट्रों के रूप में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका लोकतंत्र, स्वतंत्रता, विविधता एवं उद्यम के प्रति राष्ट्रों के रूप में प्रतिबद्ध है और सामान्य मूल्य एवं परस्पर हितों से जुड़े हैं हमने मानव इतिहास के पथ में राष्ट्र को सकारात्मक आकार दिया है और आने वाले वर्षों में संयुक्त प्रयास से हमारी स्वभाविक और अनोखी साझेदारी अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं शांति को आकार देने में सहायता कर सकती है।
संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत का मूल न्याय और समानता के लिए अपने नागरिकों की साझी इच्छा में है। 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने हिन्दुत्व को विश्व धर्म के रूप में प्रस्तुत किया। मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने जब अफ्रीकी अमरीकी लोगों के साथ भेदभाव और पूर्वाग्रह समाप्त करने की ठानी तब वे महात्मा गांधी की अहिंसा की शिक्षा से प्रेरित थे। गांधी स्वयं हेनरी डेविड थ्योरो की लेखनी से प्रेरित थे।
राष्ट्रों के रूप में हमने लोकहित के लिए दशकों तक साझेदारी की है। भारत की जनता हमारे सहयोग के मजबूत स्तंभ के रूप में याद करती है। हमारे सहयोग के अनेक उदाहरणों में खाद्यान उत्पादन की हरित क्रांति तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैं।
आज हमारी साझेदारी सुदृढ़, विश्वसनीय एवं स्थायी है तथा यह बढ़ रही है। हमारे संबंध पहले से अधिक बहुपक्षीय सहयोग के हैं। ऐसा न केवल संघीय स्तर पर है बल्कि राज्य एवं स्थानीय स्तर, हमारी दोनों सेनाओं के बीच, निजी क्षेत्रों तथा नागरिक समाज में भी है। हमारे संबंधों में इतना कुछ हुआ है कि वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने यह घोषणा की थी कि हम स्वभाविक मित्र हैं।
वर्षों से बढ़ते सहयोग के बाद से हम विद्यार्थी अनुसंधान परियोजनाओं पर एक साथ काम करते हैं, हमारे वैज्ञानिक अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित करते हैं और हमारे वरिष्ठ अधिकारी वैश्विक विषयों पर निकटता से विचार-विर्मश करते हैं। हमारी सेनाएं वायु, जमीन और समुद्र में संयुक्त अभ्यास करती हैं और हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम सहयोग के अप्रत्याशित क्षेत्र में हैं और परिणामस्वरूप हम पृथ्वी से मंगल पर पहुंच गए हैं। इस साझेदारी में भारतीय अमेरिकी समुदाय जीवंत और दोनों देशों के बीच सेतु है। इसकी सफलता हमारी जनता, मुक्त अमेरिकी समाज के मूल्य एवं एक साथ काम करने की शक्ति के महत्व को दिखाती है।
अभी हमारे संबंधों की वास्तविक क्षमता को पूरी तरह से उपयोग में लाना शेष है। भारत में नई सरकार बनना हमारे संबंधों को व्यापक और दृढ़ बनाने के लिए स्वभाविक अवसर है। नई आकांक्षा और दृढ़ विश्वास की नई ऊर्जा के साथ हम सुदृढ़ एवं पारंपरिक लक्ष्यों से आगे बढ़ सकते हैं। यह समय अपने नागरिकों के लिए ठोस लाभ हासिल करने वाला नया एजेंडा तय करने का है।
भारत के महत्वाकांक्षी विकास एजेंडे के साथ मिलकर संयुक्त राज्य अमरीका को भी वैश्विक वृद्धि का इंजन बनाए रखते हुए, यह एजेंडा हमें व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में अपने सहयोग के विस्तार को बढ़ाने के लिए पारस्परिक रूप से लाभप्रद तरीके खोजने में सक्षम बनाता है। आज जब हम वॉशिंगटन में मुलाकात करेंगे तो हम उन तरीकों पर चर्चा करेंगे जिसमें हम अपने समान वातावरण के भविष्य को सुरक्षित बनाते हुए विनिर्माण को बढ़ावा दे सकें और सस्ती अक्षय ऊर्जा का विस्तार कर सकते हैं।
हम उन विषयों पर भी चर्चा करेंगे जिनमें हम अपने व्यापारियों, वैज्ञानिकों और सरकारों को साझीदार बना सकते हैं क्योंकि भारत, खासतौर पर नागरिकों के सबसे गरीब वर्ग के लिए, बुनियादी सेवाओं की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और उपलब्धता में सुधार के लिए काम करता है। इस संबंध में, अमेरिका सहायता के लिए तैयार है। एक मजबूत समर्थन का तत्काल क्षेत्र ''स्वच्छ भारत अभियान'' है, जिसमें हम संपूर्ण भारत में स्वच्छता और स्वास्थ्य में सुधार के लिए निजी और नागरिक समाज के नवाचार, विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी का लाभ लेंगे।
जहां एक ओर, हमारे सांझा प्रयासों से हमारे अपने लोगों को लाभ मिलेगा, वहीं हमारी भागीदारी भी अपने हिस्से के योगदान को और व्यापक बनाने की इच्छा रखती है। राष्ट्रों के तौर पर, लोगों के रूप में हम सभी के लिए एक बेहतर भविष्य की कामना करते हैं, जिनमें से एक, हमारी रणनीतिक साझेदारी भी व्यापक स्तर पर दुनिया के लिए लाभों का सृजन करती है। जहां एक तरफ, भारत को अमरीकी निवेश और तकनीकी साझेदारियों से उत्पन्न वृद्धि से लाभ मिलेगा तो वहीं अमरीका को एक मजबूत और अधिक समृद्ध भारत से लाभ पहुंचेगा। इसके फलस्वरूप, क्षेत्र और दुनिया हमारी मित्रता से उत्पन्न व्यापक स्थिरता और सुरक्षा से लाभांवित होगी। हम दक्षिण एशिया को एकीकृत बनाने के व्यापक प्रयासों के साथ-साथ इसे मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों और इसके बाजारों से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
वैश्विक साझेदार के रूप में, हम आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष और कानून प्रर्वतन सहयोग के माध्यम से गुप्तचर सूचनाओं के आदान-प्रदान के द्वारा अपने देशों की सुरक्षा बढ़ाने, जबकि समुद्री क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता और वैध व्यापार को बनाए रखने के लिए भी हम संयुक्त रूप से कार्य करने को प्रतिबद्ध है। हमारे स्वास्थ्य सहयोग से हमें सबसे मुश्किल चुनौतियों जैसे इबोला के प्रसार, कैंसर इलाज के अनुसंधान अथवा तपेदिक, मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से निपटने में सफलता पाने में मदद मिलेगी। हम महिला सशक्तिकरण, क्षमता संवर्धन और अफगानिस्तान तथा अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा के लिए एक साथ काम करने की अपनी हाल की परंपरा का विस्तार करने के भी इच्छुक है।
अंतरिक्ष का अन्वेषण हमारी कल्पना शक्ति को मूर्त रूप देने और हमारी महत्वकांक्षाओं को बढ़ाने के लिए चुनौती के रूप में जारी रहेगा। मंगल की परिक्रमा करते हम दोनों देशों के उपग्रह अपनी कहानी कहते हैं। एक बेहतर कल का वादा भारतीयों और अमरीकी लोगों के लिए ही नहीं है, बल्कि यह एक बेहतर दुनिया की दिशा में कदम बढ़ाने का संकेत देता है। यह 21वीं सदी के लिए हमारी निर्धारित साझेदारी का मुख्य आधार है। हम इस दिशा में चलें साथ-साथ।
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