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Saturday, November 14, 2009

प्रभाष जोशी, क्या आपने अपना टॉयलेट साफ किया है?

प्रभाष जोशी, क्या आपने अपना टॉयलेट साफ किया है?

लेखक-पत्रकार दिलीप मंडल का ये लेख हमें प्रभाष जोशी विवाद के बीच ही मिला। 21वीं सदी में बदलते भारतीय समाज पर वो एक पुस्तक की योजना में लगे हैं और ये लेख मूल रूप से उसके लिए ही लिखा गया है। इस विषय पर उनके कई दर्जन लेख अखबारों में आ चुके हैं। प्रभाष जोशी और ब्राह्मणवाद पर चल रही बहस में ये लेख हमें प्रासंगिक लगा। इसलिए आपके सामने पेश है।- मॉडरेटर

हर रविवार की सुबह हमारी कॉलोनी में एक स्वीपर हांक लगाता हुआ जाता है- "फ्लैश साफ करा लो फ्लैश।" लगभग 2,000 परिवार इस कॉलोनी में रहते हैं जिनमें बड़ी संख्या में आईएएस, आईपीएस, आईआरएस और डॉक्टर से लेकर अलग अलग विभागों के डायरेक्टर और तमाम और पदों पर कार्यरत लोग रहते हैं। इतनी बड़ी कॉलोनी में ये अकेला आदमी है जो सिर्फ रविवार को टॉयलेट साफ करने आता है। वो अपने काम के एक घर से 10 रुपए लेता है और उसे पूरे दिन में 10 से ज्यादा घरों में काम नहीं मिलता। क्या ये भारतीय समाज में बनती किसी बड़ी कहानी का एक छोटा हिस्सा है?

शायद हां। इस छोटे सी बात को आप थोड़ा विस्तार दें। टेलिवजन पर आने वाले टॉयलेट क्लिनर्स के विज्ञापनों को गौर से देखें। ऐसे विज्ञापन आजकल काफी आते हैं। क्या आपको इन विज्ञापनों में कभी कोई स्वीपर दिखता है। आपने सही देखा। किसी भी टॉयलेट क्लीनर के विज्ञापन में स्वीपर नहीं होता। यानी परिवारिक जीवन का ये काम अब खासकर महानगरो में घर के लोग ही करने लगे हैं। ये बात और है कि इन विज्ञापनों में सफाई का काम महिलाओं के जिम्मे डाला जाता है।

इसके साथ आप तेजी से उभरते इस ट्रेंड को देखें कि नए बनने वाले घरों में अब भारतीय की जगह पश्चिमी स्टाइल के टॉयलेट लगने लगे हैं। ये चलन इतना आम होता जा रहा है कि बिल्डर अब बिना पूछे भी आपके घर में पश्चिमी स्टाइल का कमोड लगा देता है। कमोड की सफाई के लिए स्वीपर का घरों में आना अब लगभग खत्म हो गया है। कमोड की वजह से टॉयलेट अब साफ सुथरे हो गए हैं और अब "बाथरूम (जिसमें अक्सर टॉयलेट भी होता है) भी एक रूम है" का नारा चल पड़ है।

आप सबकी नजर इस बात पर भी गई होगी कि मॉल्स और हाई प्रोफाइल रेस्टोरेंट में खाना परोसने से लेकर प्लेट उठाने तक का काम अब तमाम जातियों के युवा करने लगे हैं। मैक्डॉनल्ड और पिज्जा हट जैसे रेस्टोरेंट में तो कोई भी स्टाफ जरूरत पड़ने पर फर्श भी साफ कर लेता है, टेबल भी साफ कर देता है। फ्लाइट में खाना परोसने से लेकर जूठे प्लेट उठाने वाले स्टीवार्ड और एयर होस्टेस तो हमेशा से तमाम जातियों की रही हैं।

ऊपर की इन चारों बातों के कोलाज से एक पूरी तस्वीर बनती है। इसके साथ आप ये जोड़ लीजिए कि खासकर महानगरों के हाई प्रोफाइल हेयर ड्रेसर अब नाई जाति के हों ये जरूरी नहीं है। शेफ हलवाई जाति के हों ये भी जरूरी नहीं है। फ्लोरिस्ट माली हो ये जरूरी नहीं है। शराब कलवार ही बेचें, दुकान सिर्फ बनिए चलाएं, ये भी जरूरी नहीं है। कुल मिलाकर तस्वीर ये बताती है कि वर्ण क्रम के हिसाब से जिस काम को समाज के सबसे नीचे तबके का माना जाता है, वो अब लोग खुद करने लगे हैं या फिर तमाम जातियों के लोग तमाम तरह के काम करने लगे हैं।

ये कोई छोटी बात नहीं है। महात्मा गांधी तक के समय में ये सहज बात नहीं थी। गांधी अगर वर्णव्यवस्था का समर्थन करते थे तो उनके मन में शायद यही भय था कि समाज के उच्च वर्ण के लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे। लेकिन आज ये सब कितना सहज हो गया है। 21वं सदी में इस देश में अगर कोई गांधी पैदा हो तो उसके लिए वर्ण व्यवस्था का समर्थन करना असंभव होगा। बल्कि आज अगर कोई कहे कि किसी जाति में किसी काम को करने की खास महारत है तो लोग उसे पागलखाने भेजना चाहेंगे।

दरअसल ऊपर बताई गई तस्वीरों के ये टुकड़े नए जमाने में बनते नए भारत की कुल इमेज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये तस्वीर आपको ये बता रही है कि जन्म और कर्म के बंधन तेजी से ढीले पड़ रहे हैं। भारतीय वर्ण व्यवस्था का ये मूलाधार है कि हर जाति का एक खास कर्म होता है। ये आधार पिछले दो हजार साल से कायम था, लेकिन पिछले तीस से चालीस चाल में वर्ण व्यवस्था के इस आधार में निर्णायक किस्म की दरारें पड़ने लगी है। परिवर्तन की गति इतनी तेज है कि अगले 10-20 साल के बाद जाति और कर्म का कोई रिश्ता होता है, इस बात की स्मृति भी शायद न बचे।

खासकर शहरीकरण की तेज होती रफ्तार ने जाति व्यवस्था पर तेज हमले किए हैं। शहरीकरण और औद्योगीकरण ने छुआछूत को असंभव बना दिया। सार्वजनिक परिवहन की वजह से ये भेदभाव और कमजोर पड़ा। होटल और रेस्टोरेंट ने हर जाति के लोगों को साथ बैठकर खाने को मजबूर कर दिया। कोई खास जाति ही कोई खास काम करेगी का नियम कम से कम शहरों में लागू नहीं होता। सुलभ शौचालयों में आपको हर जगह ब्राह्मण कर्मचारी मिल जाएंगे और इस बात को लेकर उनमें कोई संकोच नहीं है। वो जनेऊ पहनकर टॉयलेट साफ करते हैं और आउटलुक पत्रिका के कवर पर ऐसी तस्वीरें आने को लोग बेहद सहज मानते हैं।

रोजगार के हर साधन के लिए मची मारामारी और जीविका के संघर्ष ने लोगों के साथ साथ समाज को बदलने के लिए मजबूर कर दिया है। सेवा का काम परंपरागत रूप से शूद्रों का होता है। लेकिन सेवा के काम में आज हर जाति के लोग हैं। सेना में हर जाति के लोग भर्ती होते हैं और उनमें ब्राह्मण से लेकर दलित शामिल हैं। हर जाति का डॉक्टर हर जाति के मरीज को छूता है और ये बात कितनी सहज लगती है। एक ऐसे डॉक्टर की कल्पना करें जो खास जाति के मरीजों के अलावा बाकियों को छूने से मना कर दे? पढ़ने पढ़ाने का काम भी हर जाति समूह के लोग कर रहे हैं और अगर आप जाति को लेकर आदिम सोच से संचालित नहीं होते तो ये बात आपके जेहन में भी नहीं आती कि इसमें कुछ अस्वाभाविक है।

एक बात और है जिसकी वजह से जाति पर भारी दबाव पड़ रहा है। वो है खासकर प्राइवेट सेक्टर में परफॉर्म करने का प्रेसर। बाजार हर स्तर पर टार्गेट के पीछे दौड़ने को मजबूर करता है। ऐसे में नियुक्तियों में जातिवादी होने की सुविधा काफी कम हो जाती है। जब बाजार किसी सीईओ को लक्ष्य के पीछे दौड़ने को मजबूर करता है तो नियुक्तियों में पक्षपात करने की लक्जरी वो आसानी से नहीं उठा सकता। इस वजह से प्राइवेट सेक्टर में किसी तरह का आरक्षण न होने के बावजूद डायवर्सिटी की उम्मीद ज्यादा होती है। इसके बावजूद प्राइवेट सेक्टर में खासकर ऊंचे पदों पर अगर सवर्ण जातियों की संख्या ज्यादा दिखती है तो इसकी वजह ये है कि शिक्षा और ट्रेनिंग के स्तर पर कमजोर तबकों को अवसर कम मिल रहे हैं। आईआईटी और आईआईएम और दूसरे उच्च शिक्षा संस्थानों में अगर ईमानदारी से आरक्षण लागू किया गया तो आपको प्राइवेट सेक्टर के उच्च पदों पर भी भारत की विविधता दिखेगी। हालांकि फिलहाल इस बात पर शक करने के पर्याप्त कारण है कि उच्च शिक्षा में आरक्षण ईमानदारी से लागू होगा। न्यायपालिका और मीडिया के साथ ही खासकर सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों के कैंपस जातिवाद के आखिर किले हैं। लेकिन यहां भी हालात बदलने की शुरुआत हो गई है।

  1. सुमन says:

    ये तो गांधी जी ने कहा था कस्तूरबा को। गांधी को भारतीय समाज की बेहतरीन समझ थी। इस वजह से ही वो एक साथ सनातनी सवर्ण हिंदुओं को साध रहे थे, मुसलमानों के एक हिस्से को साथ ले रहे थे और दलितों को भी भारतीय समाज का हिस्सा होने का एहसास दिला पा रहे थे। ऐसे विजनरी की कमी खलती है!

  2. विद्रोही says:

    लेखक ने गांधीजी के बारे में ग़लत जानकारी दी है। वो वर्ण व्यवस्था के समर्थक नहीं थे, बल्कि इस तरह की भेदभावपूर्ण व्यवस्था को पूरी तरह खत्म करने के हक में थे। यही वजह है कि उन्होंने शर्त रखी थी कि वो सिर्फ उन्हीं विवाहों में अपना आशीर्वाद देंगे, जिनमें लड़के-लड़की में एक दलित होगा। ये शर्त पूरी न होने पर उन्होंने अपने पांचवे पुत्र महादेव देसाई के बेटे नारायण देसाई की शादी में भी आशीर्वाद देने से इनकार कर दिया था, जबकि गांधी जी उस वक्त नारायण देसाई के अभिभावक थे। यहां कोई भ्रम न हो इसलिए साफ कर दूं कि नारायण देसाई अपनी मर्जी से प्रेम विवाह कर रहे थे और दूसरे प्रांत की लड़की से कर रहे थे, फिर भी गांधी जी ने अपने नियम में ढील देने से इनकार कर दिया था। इतना ही नहीं, गांधी जी के आश्रमों में सभी लोगों के लिए पाखाना सफाई करना अनिवार्य था। वो भी आज जैसा मॉडर्न टायलेट नहीं, पुराने ढंग का मैला हाथ से उठाकर साफ करने वाला। खुद गांधी जी ऐसा करते थे और आश्रम के बाकी लोगों के लिए भी ये ज़रूरी था। गांधीजी की विधवा बहन इसके लिए तैयार नहीं हुईं, तो उन्हें आश्रम से बाहर कर दिया था। अगर वो वर्णाश्रम समर्थक होते तो ब्राह्मणों समेत तमाम सवर्णों से टायलेट साफ नहीं कराते।

  3. rakesh says:

    बदलाव को ठीक पकड़ा आपने दिलीपजी पर मुझे थोड़ा डाउट लग रहा है कि अगले 30-40 में जाति व्‍यवस्‍था जर्जर हो जाएगी. आधुनिक तौर-‍तरीक़ा भले अख्तियार कर ले लेकिन ये मानसिकता समाप्‍त होगी, इतनी जल्‍दी : लगता नहीं है.

  4. दिलीप मंडल says:

    विवाह संस्था के एक खंभे के तौर पर जाति ने अपना अस्तित्व मजबूती से बचा रखा है। राकेश भाई, मेरा अनुमान सिर्फ ये है कि कर्म और वर्ण का रिश्ता खासकर शहरों में बेहद तेजी से कमजोर हो रहा है और इस रिश्ते का लंबे समय तक टिक पाना आसान नहीं है। वैसे जाति के बारे में आपकी आशंका बेबुनियाद नहीं है। आखिर ये संस्था इतने लंबे समय से, समाज में इतने बदलावों के बावजूद, जिंदा है। जाति में अद्भुत जीवनी शक्ति है। इससे इनकार नहीं है। लेकिन इस बार जाति पर हमला किसी सुधार आंदोलन की ओर से नहीं आया है। उत्पादन संबंधो में हो रहे बदवाल से जाति खुद को कैसे बचाती है या तबाह हो जाती है, ये देखना रोचक होगा।

    हम सब भाग्यशाली है कि ऐसे रोमांचक समय में हम जी रहे हैं।

  5. राजेश पांडे says:

    ये क्या मजाक है? ऐसा कैसे लिख सकते हैं आप लोग? क्या टॉयलेट साफ किया है – का मतलब क्या है? अगर प्रभाष जी ने ऐसा किया होगा तो क्या बहस बंद कर देंगे? मुझे नहीं लगता है कि आप लोग बहस बंद करेंगे. इसलिए बेहतर हो कि भाषा की मर्यादा बनाए रखी जाए. आज टॉयलेट में घुस रहे हैं कल को कहीं और घुसिएगा. ये ठीक नहीं है।

  6. dilip has tried to analyse the situation objectively. like others i too have my doubts how long it would take de-caste indian society. in recent years there have been instances of caste rigidities getting accentuated. the younger generation particularly is becoming caste-focused and one can even notice a degree of heart-burning and animosity due to caste based reservations in sections of high castes.
    i remember having written in point of view weekly edited by dev duttji, some 30 years ago that the only way out was to rapidly urbanise india. the rural areas should also be urbanised in terms of facilities, urbanisation creates new pressures and new situations where practise of casteism becomes practically difficult. new castes based on professional work like fitters, mechanics, repair-men, service providers, the courier wallash, the waiters and helpers, are created. nobody bothers to ask an electrician what his caste is and now in bigger cities domestic helps are coming from all castes and no one can afford to mind that.
    the solution therefore is urbanise india. in the west rural areas were urbanised long back. we should also specifically focus on this aspect

    brij khandelwal

  7. tushar banerjee says:

    दिलीप भाई….समाज मे आ रहे बदलाव का तो आपने बहुत अच्छा और सटीक निष्कर्श निकाला पर एक बात समझ नही आ रही । एक तरफ आप बात कर रहे हैं जातिवाद के खात्मे की और दूसरी तरफ अपनी ही बात से पलटकर आरक्षण का पुरज़ोर समर्थन करते दिखते है । बात क्या है ?

  8. दिलीप मंडल says:

    राजेश, मेरी समझ में ये नहीं आया कि टॉयलेट साफ किया है से भाषा की मर्यादा कैसे खंडित हो गई। कोई तो ये काम करता ही है, तो क्या उसकी मर्यादा भंग हो जाती है। फिर तो मेरी और शायद आपकी भी मर्यादा अक्सर भंग होती रहती है। अपने घर की सफाई से मर्यादा टूटती है तो दूसरे के घर में ये काम करने से तो मर्यादा का पूरा सत्यानाश हो जाता होगा? ऐसे लोगों की मर्यादा का ख्याल है आपको?

    भारत में पहले कुछ खास समुदाय के लोग ये काम करते थे और उन्हें नीचा माना जाता था। अब शहरी घरों में लगभग सभी लोग ये करने लगे हैं। यूरोपीय और अमेरिकी घरों में इसे करने के लिए कोई दलित नहीं जाता है। ये एक घरेलू काम है। इसे करने से किसी की इज्जत कैसे खराब होती है? बाटा और लिबर्टी की शू फैक्ट्री में किस जाति के लोग कौन सा काम नहीं करते हैं। होटल में आपकी प्लेट कौन उठाता है? समय बदल रहा है तो मैं क्या करूं? आप ही क्या कर लेंगे?

    मेरे ख्याल से इस प्रसंग में प्रभाष जोशी का जिक्र सिर्फ इसलिए आया है क्योंकि पिछले दिनों उन्होंने जाति श्रेष्ठता की बात की थी, जो आधुनिक अवधारणा है ही नहीं। प्रभाष जोशी खुद भी इस पर पुनर्विचार कर रहे होंगे। राजेंद्र यादव ने तो बाकायदा इंटरव्यू देकर कहा है कि वो अपने स्टैंड को रिव्यू करेंगे। इसलिए निश्चिंत रहें, किसी की मर्यादा का अतिक्रमण नहीं हो रहा है। कुछ लोग आपस में संवाद कर रहे हैं और संवाद का मीठा और कड़वा दोनों झेलने में सक्षम हैं। आप आतंकित न हों।

  9. दिलीप मंडल says:

    तुषार जी, भारत में लोकजीवन से लेकर अर्थव्यवस्था तक हर क्षेत्र में पूरा भारत दिखे, इसके लिए जाति का कमजोर होना भी जरूरी है और आरक्षण भी। इन दोनों में कोई अंतर्विरोध नहीं है। दुनिया के ज्यादातर देशों में विविधता लाने के लिए अलग अलग मॉडल अपनाए जा रहे हैं। भारत ने भी एक मॉडल अपनाया है। हो सकता है कल को कोई बेहतर मॉडल इसे रिप्लेस कर देगा।

  10. abhishek singh says:

    MANYAVAR AAP JO BHEE HO MUJHSE YE MATLAB NAHI LEKIN TOILET VALI BAAT SE TO VO TABKA JISE HUM **** AOUR **** KAHTE HAIN VO CHHOTE SHAHRON MEIN AAJ BHEE SAFAI KARTA HAI JAISI SAFAI VO KARTA HAI SHAYAD HEE KOI KARE. AMAN VERMA BHEE SHAYAD **** HE HONGE. MAIN EK THAKUR PARIVAR SE HUN AOUR AASHA KARTA HOON JIS JAATI KA JO KARYA HAI USE KARNE MEIN KOI HARZ NAHI HAI VAISE BHEE AGAR SAB LOG APNE TOILET SAAF KAR LENGE TO VO **** TO BEROZGAR HO JAYEGA

  11. Shesh Narain Singh says:

    भाई ,जाति का विनाश तो करना ही पड़ेगा. इस बात पर किसी बहस का अब कोई मतलब नहीं होना चाहिए.अब तो यह मान कर चलना होगा कि जाति के आधार पर कोई बड़ा या छोटा नहीं रह सकता…नेता लोग जाति को बनाए रखने के चक्कर में हैं लेकिन अगर पढ़े लिखे लोग भी जाति संस्था के आधार पर तर्क देंगें तो ठीक नहीं है. गाँधी जी भी अगर जिंदा होते और जाति के समाज को विभाजित कर सकने की ताक़त देखते तो वे भी आंबेडकर और लोहिया की तरह जाति के विनाश की बात करते. आप लोग भी अपने बच्चों की शादी अपनी जाति के बाहर करिए समाज बहुत ही खूबसूरत हो जाएगा.

    • सुमन says:

      "अगर पढ़े लिखे लोग भी जाति संस्था के आधार पर तर्क देंगें तो ठीक नहीं है." …लेकिन आपके महान प्रभाष जोशी ब्राह्मणवाद को वैचारिक आधार देने के लिए तर्क गढ़ें तो ठीक है? शेषनारायण जी आप दरअसल कहना क्या चाहते हैं ये सोच लीजिए।

  12. Shesh Narain Singh says:

    एक बात रह गयी. शहरीकरण से जाति का विनाश करने की सोच ही पलायनवाद है. ..इसका मतलब यह है कि एक बीमारी के इलाज के लिए दूसरी और ज्यादा खतरनाक बीमारी को पाला जाए. ऐसा करना ठीक नहीं होगा. सूचना क्रान्ति के दौर से गुज़र रहे भारत में, गाँव की ज़मीन पर ही जाति के विनाश का काम करना होगा..अपना उदाहरण देना ठीक नहीं है लेकिन अगर आप तय कर लें कि अपने बच्चों की शादी, जाति के बाहर करेंगें तो गाँव में भी अब कोई विरोध नहीं कर सकता..बस मजबूती से अपने बच्चों के साथ खड़े रहिये..और तथाकथित सामाजिक दबाव की परवाह मत करिए..दिलीप की बात बहुत ही गंभीर है उसको उसी गंभीरता से बहस के केंद्र में बने रहने दीजिये.

  13. एक गंभीर बहस छेड़ी है आपने लेकिन गांधी जी वाली बात पर तथ्यों को साफ करने की जरूरत है। बहरहाल, इस बात में दम है कि महानगरों में अब जाति या वर्ण व्यवस्था जैसी कोई बात नहीं रह गई है।

  14. शेष नारायण सिंह says:

    मैं जो कहना चाहता हूँ, वह तो मुझे मालूम है और पिछले चालीस साल से मालूम है.. आप समझना क्या चाहते हैं , वह आप तय कीजिये.और श्रीमान जी ," यह आपके प्रभाष जोशी "जैसा जुमला इस्तेमाल करके इतनी गंभीर बहस को क्यों हल्का करना चाहते हैं. प्रभाष जोशी मेरे रिश्तेदार नहीं हैं.. जहां तक जाति के विनाश की बात है , उस पर मेरी एक निश्चित राय है..मैं नहीं जानता कि प्रभाष जोशी या आप क्या सोचते हैं इस बारे में. अगर आप लोग जाति को जिंदा रखना चाहते हैं तो मेरी राय सुन लें. जाति को एक संस्था के रूप में जिंदा रखने वालों को मैं वोट याचक मानता हूँ.यह आप को और प्रभाष जोशी को तय करना है कि आप लोग जाति के विनाश वालों की जमात में हैं या मायावती, मुलायम सिंह यादव,लालू प्रसाद, सोनिया गाँधी, राजनाथ सिंह, जयललिता, शरद पवार जैसे लोगों की जमात में हैं जो जाति की कृपा से रोटी खाते हैं. और ध्यान रखियेगा , जाति की कृपा से रोटी खाने वाले साहित्य में भी हैं और पत्रकारिता में भी. आप शायद मुझे जानते नहीं वर्ना मेरे लिए "आपके प्रभाष जोशी" जैसी बात न करते. मैं सब की इज्ज़त करता हूँ और यह इज्ज़त उसकी अच्छाइयों के लिए करता हूँ अच्छाइयां प्रभाष जी में निश्चित रूप से हैं और आप में भी होंगीं . जहां तक आपके और उनके हल्केपन का सवाल है , उसे आप लोग खुद संभालिये. मैं किसी के भी छिछोरपन से व्यथित होता हूँ . वह चाहे आप में हो या प्रभाष जी में.

http://janatantra.com/2009/09/08/dilip-mandal-reply-to-prabhash-joshi/#more-2451


इतनी जल्दी क्यों कर दी, प्रभाष जी?

लेखक: विचित्र मणि  |  November 11, 2009  |  मुद्दा   |   1 Comment

कागद तो आगे भी कारे होंगे लेकिन वैसे नहीं जैसे प्रभाष जी किया करते थे। लिखना चलता रहेगा। लिखने वाले दूसरे आ जाएंगे लेकिन कभी खुशियों की अंतहीन ऊंचाई पर ले जाने वाली तो कभी आंसुओं में डुबोने वाली लेखनी तो बंद हो गयी ना! अब पत्रकारिता में शायद ही वैसे नए अनगढ़ शब्द आएं और देसी अंदाज में भाषा प्रवाह दिखे। शब्द शायद ही भावनाओं के सारथी बन पाएं क्योंकि उन शब्दों को सही मूल्य देने वाला नहीं रहा। यह कमी ना जाने कितने अरसे तक एक टीस पैदा करेगी। कब तक एक विचलन मन में समाया रहेगा कि अब इतवार को नींद खुलते ही जनसत्ता का छठा पेज देखने की आकुलता बेमानी हो गयी है। जिस कारेपन से कागद खुद को धन्य मान लेता होगा, कागद का वह टुकड़ा भी बहुत दिनों तक अपने कलमघसीट की याद में रोता रहेगा और उसके आंसू हर इतवार को पाठकों के आंखों में जब्त होते रहेंगे। Read more

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"हमें दुख है कि इंदौर ने आपको मान नहीं दिया"

लेखक: अरविंद तिवारी  |  November 8, 2009  |  मुद्दा   |   6 Comments

इंदौर की माटी में रचे-बसे व बड़े होने के बाद भी बहुत दुख के साथ यह इसलिए लिखना पड़ रहा है कि जब पत्रकारिता के पुरोधा प्रभाष जोशी का शव राज्य सरकार के विशेष विमान से शुक्रवार शाम इंदौर विमानतल पर लाया गया तब वहां गिने हुए चार पत्रकार, एक फोटोग्राफर व एक लोकल चैनल के कैमरामैन के अलावा पत्रकार बिरादरी से कोई मौजूद नहीं था। जो दूसरे शख्स वहां मौजूद थे उनमें सांसद सज्जनसिंह वर्मा व उद्योगपति किशोर वाधवानी के अलावा कांग्रेस के आधा दर्जन नेता, चार-छह रिश्तेदार, चचेरे भाई महेंद्र जोशी व सुख-दुख के साथी सुरेंद्र संघवी शामिल हैं। जिन प्रभाष जोशी को दिल्ली से अंतिम विदाई देने के लिए उनके वसुंधरा स्थित निवास से गांधी प्रतिष्ठान व दिल्ली विमानतल तक पत्रकार बिरादरी के सैकड़ों साथ रहे हों वहीं उनके प्रिय इंदौर में ऐसा क्यों हुआ, यह समझ से परे है। Read more

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छह से सात रुपये में बिकेंगे अख़बार!

अगले दो से तीन साल के भीतर अख़बारों की कीमत छह से सात रुपये हो सकती है। दिल्ली में दो दिन पहले साउथ एशिया न्यूज़ पेपर कॉन्फ्रेंस हुई। जिसमें न्यूज़पेपर इंडस्ट्री के दिग्गजों ने हिस्सा लिया इस कॉन्फ्रेंस में द हिंदू के प्रबंध निदेशक एन मुरली ने कहा कि अख़बारों की लागत को कम करने के लिए दाम बढ़ाने की ज़रूरत है। उनके मुताबिक अब तक प्रिंट मीडिया का विज्ञापन रेवेन्यू बीस फीसदी प्रति वर्ष की रफ़्तार से बढ़ रहा था। लेकिन अब बढ़ोतरी की रफ़्तार दस फीसदी से कम रहने का अनुमान है। ऐसे में अख़बारों की लागत को कम करने के उपायों पर गौर करना होगा। Read more

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सेक्स विवाद में फंसे बार्लुस्कोनी के निशाने पर प्रेस

इटली के प्रधानमंत्री सिल्वियो बार्लुस्कोनी ने अब मीडिया से दो-दो हाथ करने की ठान ली है। निजी ज़िंदगी को लेकर मीडिया के कवरेज से बार्लुस्कोनी काफी दुखी हैं। बीते कुछ महीनों में बार्लुस्कोनी की निजी ज़िंदगी से जुड़े कई विवादों को यूरोपीय मीडिया ने चटखारे लेकर प्रस्तुत किया। बड़ी संख्या में उनकी नग्न तस्वीरें छापी गईं। आरोप लगाया गया कि उनके घर पर हुई पार्टी में कई कम उम्र की लड़कियों को बुलाया गया था। अब बार्लुस्कोनी के वकील का कहना है कि उनके ख़िलाफ़ मुहिम में जुटे मीडिया संस्थानों पर कार्रवाई की जाएगी। Read more

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"प्रभाष जोशी पर सवाल उठाने वाले लफंगे हैं"

लेखक: जनतंत्र डेस्क  |  August 27, 2009  |  मुद्दा   |   24 Comments

प्रभाष जोशी चुप हैं। चुप्पी एक हथियार है। वो हथियार जिससे सत्ता बड़े से बड़े आंदोलन को दबाती है। प्रभाष जोशी पत्रकारिता के शलाका पुरुष हैं। वो इस हथियार से न केवल वाकिफ हैं। बल्कि इसकी मारक क्षमता के परिचित भी हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने कागद कारे में लिखा कि बड़ी बेशर्मी है कोई जवाब भी नहीं देता। वो आहत थे। आहत इसलिए कि उन्होंने पैसे लेकर ख़बरें छापने का काला धंधा उजागर किया था उस पर कोई संस्थान जवाब नहीं दे रहा था। ठीक वैसे ही प्रभाष जोशी भी अपने इंटरव्यू से उठे सवालों पर जवाब नहीं दे रहे हैं। लेकिन अब उनके बदले कई लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। अंबरीश कुमार, आलोक, संजय कुमार सिंह, गणेश प्रसाद झा, शमशेर सिंह… सभी के "नामों" से प्रतिक्रिया आई है। यहां हम उन सभी की प्रतिक्रिया छाप रहे हैं। उनकी ई-मेल आईडी भी। कोई खुद को प्रभाष जोशी का "लठैत" बता रहा है। कोई "पहलवान" तो कोई प्रभाष जोशी के इंटरव्यू पर सवाल उठाने वालों को "लफंगा" कह रहा है। अब आप इनकी भाषा पढ़िये और अपनी प्रतिक्रिया दीजिए। – मॉडरेटर Read more

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न्यूज़ चैनलों के संपादकों का अपना संगठन

न्यूज़ चैनलों के संपादकों ने अपना अलग संगठन बनाया है। इसका नाम ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए)। बीईए के पहले अध्यक्ष बने हैं स्टार न्यूज़ के शाजी जमा। टाइम्स नाउ के एडिटर अर्णव गोस्वामी और एनडीटीवी इंडिया के मैनेजिंग एडिटर (स्पेशल) पंकज पचौरी उपाध्यक्ष चुने गए हैं। ईटीवी के एन के सिंह महासचिव हैं और लाइव इंडिया के सुधीर चौधरी कोषाध्यक्ष। इनके अलावा आशुतोष (आईबीएन-7), विनय तिवारी (सीएनएन-आईबीएन), अजीत अंजुम (न्यूज़ – 24), सतीश के सिंह (ज़ी न्यूज़), विनोद कापरी (इंडिया टीवी), संजय ब्राग्टा (सहारा टीवी) और प्रांजल शर्मा (यूटीवी) इस संगठन की कार्यकारी समिति के सदस्य चुने गए हैं। Read more

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स्वाइन फ्लू पर सरकार और संपादकों की बैठक

न्यूज़ चैनलों और अख़बारों के संपादकों के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आज़ाद और सूचना एंव प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने बैठक की। बैठक में सरकार ने स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए उठाए जा रहे कदमों का ब्योरा दिया। साथ ही ये भी बताया कि इस बीमारी से लड़ने के लिए नए दिशानिर्देश अगले एक-दो दिन में जारी कर दिए जाएंगे। Read more

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अमेरिका में निकलेगी "टीआरपी" की हवा!

टीआरपी का लफड़ा सिर्फ़ भारत में नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में है। हर जगह इस टीआरपी ने टेलीविजन चैनलों में काम करने वालों की ज़िंदगी में चरस बो दिया है। अमेरिका में तो मीडिया कंपनियां इतनी परेशान हैं कि उन्होंने टीआरपी मापने वाली कंपनी नील्सन मीडिया रिसर्च को चुनौती देने का मन बना लिया है। Read more

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ये संपादक तो बड़ा ख़तरनाक है

जागरण में छपी तस्वीर

जागरण में छपी तस्वीर

क्या किसी पत्रकार को ये हक़ है कि वो निजी खुन्नस निकालने में अपने संस्थान का इस्तेमाल करे? इस सवाल का सीधा जवाब है – नहीं। किसी भी पत्रकार को ऐसा नहीं करना चाहिए और ना ही उसे ये हक़ दिया जाना चाहिए। इसी सिलसिले में दिल्ली के एक मीडिया संस्थान का एक वाकया ध्यान आ रहा है। वहां के एक कर्मचारी ने किसी इंस्टीट्यूट को डराने के लिए संस्थान का बेजा इस्तेमाल कर दिया था। इंस्टीट्यूट की तरफ से शिकायत मिलने पर उस कर्मचारी को नौकरी छोड़नी पड़ी। लेकिन आप हर कंपनी से ऐसी आचार संहिता की उम्मीद नहीं कर सकते। खासकर जब वो कंपनी अपने कर्मचारियों का इस्तेमाल अनैतिक तरीके से धन जुटाने में करती हो। Read more

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http://janatantra.com/category/issue/

  1. प्रभाष जोशी - विकिपीडिया

    प्रभाष जोशी (जन्म १५ जुलाई १९३६) हिन्दी पत्रकारिता के एक स्तंभ हैं। ये हिंदी दैनिक 'जनसत्ता' के सम्पादक रह चुके हैं और सम्प्रति 'तहलका हिंदी' के लिये लिखते हैं। ...
    hi.wikipedia.org/wiki/प्रभाष_जोशी - संचित प्रति - समान -
  2. वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी का निधन ...

    6 नवं 2009 ... उनके निवास स्थान जनसत्ता सोसाइटी में हो रही चर्चाओं के मुताबिक प्रभाष जोशी भारत और ऑस्ट्रेलिया का मैच देख रहे थे। मैच के रोमांचक क्षणों में तेंडुलकर के आउट होने के ...
    navbharattimes.indiatimes.com/.../5201659.cms - संचित प्रति -
  3. visfot.com । विस्फोट.कॉम - प्रभाष जोशी

    प्रभाष जोशी on visfot.com । विस्फोट.कॉम.
    visfot.com/author/prabhashjoshi - संचित प्रति - समान -
  4. बतंगड़ BATANGAD: अमर प्रभाष जोशी

    हमारे जैसे लोगों के लिए प्रभाष जोशी उम्मीद की ऐसी किरण दिखते थे जिसे देख-सुनकर लगता था कि पत्रकारिता में सबकुछ अच्छा हो ही जाएगा। अखबारों के चुनावों में दलाली के मुद्दे को ...
    batangad.blogspot.com/2009/11/blog-post_06.html - संचित प्रति -
  5. ब्रह्म से संवाद करते पंडित प्रभाष ...

    19 अगस्त 2009 ... ये हैं पत्रकारिता के शलाका पुरुष, शिखर व्यक्तित्व पंडित प्रभाष जोशी का विराट रूप। हे अर्जुन, अब भी ... प्रभाष जोशी का सारस्वत ब्राह्मण तेंडुलकर से प्रेम जगजाहिर है। ...
    janatantra.com/.../question-on-prabhash-joshi-interview/ - संचित प्रति -
  6. BBC Hindi - भारत - वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष ...

    5 नवं 2009 ... हिंदी के जाने-माने पत्रकार प्रभाष जोशी का निधन हो गया है. वे 73 साल के थे. गुरुवार की रात उन्हें दिल का दौरा पड़ा था.
    www.bbc.co.uk/.../091105_prabhash_dies_pp.shtml - संचित प्रति -
  7. वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी का निधन ...

    6 नवं 2009 ... हिन्दी पत्रकारिता के समकालीन श्रेष्ठ प्रभाष जोशी (72 वर्ष) नहीं रहे। दिल का दौरा पड़ने के कारण गुरुवार मध्यरात्रि के आसपास गाजियाबाद की वसुंधरा कॉलोनी स्थित उनके ...
    www.livehindustan.com/news/.../39-39-79665.html - संचित प्रति -
  8. विचारार्थ: प्रभाष जोशी

    6 नवं 2009 ... हिन्दी पत्रकारिता में प्रभाष जोशी का स्थान ऐसा ही है। वे बालमुकुंद गुप्त, विष्णुराव पराड़कर और गणेशशंकर विद्यार्थी की महान परंपरा की अंतिम कड़ी थे। ...
    raajkishore.blogspot.com/2009/11/blog-post.html - संचित प्रति -
  9. प्रभाष जोशी : कागद अब कोरे ही रहेंगे

    हिन्दी पत्रकारिता के प्रमुख स्तंभ प्रभाष जोशी के निधन के साथ ही हिन्दी पत्रकारिता के एक युग का अवसान हो गया। उन्हें परंपरा और आधुनिकता के साथ भविष्य पर नजर रखने वाले पत्रकार ...
    khabar.ndtv.com/2009/.../Prabhash-Joshi-tribute.html - संचित प्रति -
  10. वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी नहीं रहे

    6 नवं 2009 ... देश के वरिष्ठतम पत्रकारों में से एक प्रभाष जोशी का गुरुवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। जोशी ने गुरुवार रात 11:30 मिनट पर सीने में दर्द की शिकायत की थी जिसके ...
    www.bhaskar.com/.../091106064112_prabhaash_joshi_died.html - संचित प्रति -
  11. प्रभाष जोशी के लिए समाचार परिणाम


    खास खबर
    सिप्रा ने प्रभाष जोशी के निधन पर शोक ...‎ - 6 दिनों पहले
    हिंदी दैनिक जनसत्ता के प्रधान संपादक ओम थानवी को भिजवाए शोक संदेश में सिप्रा ने हिन्दी पत्रकारिता के युग पुरुष प्रभाष जोशी के निधन को पत्रकार जगत की अपूरणीय क्षति बताते हुए ...
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  1. वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी का निधन ...

    हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी का निधन हो गया है. 73 साल के प्रभाष जोशी को गुरुवार का दिल का दौरा पड़ा. प्रभाष जोशी हिंदी की प्रमुख अख़बार जनसत्ता के कई साल तक संपादक रहे. ...
    www.dw-world.de/.../0,,82237_cid_4865057,00.html - संचित प्रति -
  2. Prabhash Joshi | प्रभाष जोशी : श्रद्धांजलि

    6 नवं 2009 ... प्रभाष जोशी, श्रद्धांजलि, पत्रकारिता जगत, साहित्य, लेखनी, साहित्यकार, पत्रकार, निधन, मृत्यु, ह्रदयाघात, दिल्ली, इंदौर, नईदुनिया, राजशेखर व्यास, अशोक चक्रधर, ...
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  3. Journalist Prabhash Joshi dead | वरिष्ठ पत्रकार ...

    6 नवं 2009 ... Well-known journalist Prabhash Joshi died of a heart attack here late Thursday. हिंदी के जाने-माने पत्रकार प्रभाष जोशी का निधन हो गया है. वे 73 साल के थे. गुरुवार की रात उन्हें दिल का दौरा पड़ा था.
    thatshindi.oneindia.in/news/.../prabhashdiespp.html - संचित प्रति -
  4. Deshbandhu : News, New Delhi, Journalist, prabhash joshi, death ...

    हिंदी पत्रकारिता के यशस्वी हस्ताक्षर प्रभाष जोशी का वृहस्पतिवार रात यहां दिल का दौरा ... वर्षों से हिंदी अख़बार जनसत्ता से जुड़े रहे प्रभाष जोशी को गुरुवार की रात दिल का दौरा ...
    www.deshbandhu.co.in/newsdetail/25521/1/19 - संचित प्रति -
  5. वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी का निधन ...

    हिन्दी पत्रकारिता के यशस्वी हस्ताक्षर प्रभाष जोशी का गुरुवार की रात निधन हो गया। वह 72 साल के थे। उनके शोक संतप्त परिवार में पत्नी, 2 पुत्र, एक पुत्री और नाती-पोते हैं। ...
    hindi.economictimes.indiatimes.com/.../5202061.cms - संचित प्रति -
  6. बेबाक पत्रकार प्रभाष जोशी खामोश हो ...

    6 नवं 2009 ... दिल्ली/रांची: भारतीय पत्रकारिता में 50 साल निष्कलंक उपस्थिति दर्ज करानेवाले विख्यात पत्रकार प्रभाष जोशी अब नहीं रहे। गुरूवार, 05 नवंबर 2009, की रात दिल का दौरा पडने से ...
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  7. प्रभाष जोशी का जाना

    6 नवं 2009 ... हिन्दी पत्रकारिता के यशस्वी हस्ताक्षर प्रभाष जोशी का निधन हो गया। वह 72 साल के थे। उनके शोक संतप्त परिवार में पत्नी, 2 पुत्र, एक पुत्री और नाती-पोते हैं। ...
    www.lokmanch.com/.../6955-prabhash-joshi-no-more- - संचित प्रति -
  8. प्रभाष जोशी पर चल रहे वामपंथी बाण ...

    पॠरà¤à¤¾à¤· जोशी वरॠतमान हिनॠदी पतॠरकारिता के सरॠवमानॠय हसॠताकॠषर हैं । जनसतॠता में उनको करीब ५ सालों से पॠरहा हूठ। कà¤à¥€ à¤à¥€ ...
    www.pravakta.com/?p=3004 - संचित प्रति -
  9. प्रभाष जोशी | में जोशी पत्रकारिता ...

    में जोशी पत्रकारिता नारी कांट्रेक्टर नायडू पुरस्कार Experience the magic cricket ज्यादा.
    search.webdunia.com/.../प्रभाष-जोशी.html - संचित प्रति -
  10. प्रभाष जोशी का दिल का दौरा पड़ने से ...

    पढे कैसे प्रभाष जोशी का दिल का दौरा पड़ने से निधन सहारा समय पर.
    hindi.samaylive.com/news/50662/322847.html - संचित प्रति -

"गूगल गणराज्य" में प्रभाष जोशी के नायकत्व का अंत

11 September 2009 5 Comments

♦ दिलीप मंडल

prabhash joshi graphixआप कह सकते हैं कि क्या फर्क पड़ता है। लेकिन फर्क पड़ता है। और खूब पड़ता है। क्या आपको ये बात चौंकाती है कि गूगल पर "प्रभाष" सर्च करने पर पहले 20 रिजल्ट में 12 रिजल्ट उनके ब्राह्मणवाद और सती के समर्थन में किए गए लेखन और उसपर आई प्रतिक्रिया से जुड़े हैं। ये सर्च 9 सितंबर 2009 बुधवार को दोपहर बाद एक बजे किया गया था। आप भी सर्च करके देखिए इससे मिलते जुलते नतीजे आएंगे।

20 में से 12 यानी 60 फ़ीसदी। तो ये है असर इंटरनेट पर एक मुद्दे को उठाने का। आज दुनिया के किसी भी कोने में बैठा आदमी प्रभाष जी के बारे में जानने की कोशिश करेगा तो उसके पास सबसे प्रभावी औजार गूगल ही है। और गूगल पर जब वो जाएगा, तो उसे प्रभाष जोशी की एक खंडित प्रतिमा मिलेगा। उसे एक ऐसे विवाद की भी जानकारी मिलेगी, जिस पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। इस विवाद के कवरेज से उसे प्रभाष जोशी के बारे में एक और पक्ष का पता चलेगा।

आप कह सकते हैं कि इस विवाद के नेट पर आने के साथ ही सर्वमान्य महानायक प्रभाष जोशी की सर्वमान्यता और महानायकत्व का अंत हो गया है।

हिंदी की घुटने पर चल रही वेबसाइट्स ने वो कर दिखाया है जिसकी कल्पना तक कर पाना मुश्किल था। इन्हें गाली दीजिए, भड़ास निकालने का मंच मानिए, कुछ भी कह लीजिए, पर गूगल गणराज्य में इनके असर को नजरअंदाज कर पाना संभव नहीं है। स्वागत है आप सबका विमर्श की इस नई दुनिया में, जहां चीजें जिस तेजी से बनती हैं, उसी तेजी से बिखरती हैं और जहां डेविड बड़े मजे से गोलिएथ को जमीन पर गिरा सकता है और ये कोई मिथकीय किस्सा नहीं है न ही कोई वर्चुअल तमाशा।

देखिए गूगल पर प्रभाष सर्च करने से क्या आता है :

1. प्रभाष जोशी का सेकुलरवाद से गद्दारी …
20 अगस्त 2009 … अंतरजाल पर वामपंथी ताने-बाने का हरेक झंडाबरदार प्रभाष जोशी के पीछे लपक पड़े हैं । रविवार में एक आलेख क्या छपा इनकी नींद उड़ गई ! ब्लॉग से लेकर वेबसाइट तक जोशी के …
janokti.blogspot.com/2009/08/blog-post_7160.html

2. प्रभाष गिरि – विकिपीडिया
भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के कौशाम्बी जिले में जैन धर्मावलम्बियों का प्रमुख तीर्थस्थल प्रभाष गिरि स्थित है। यह तीर्थस्थल सदियों से जैन धर्म के छठे तीर्थकर स्वामी पद्म …
hi.wikipedia.org/wiki/प्रभाष_गिरि

3. प्रभाष : चिट्ठाजगत : धड़ाधड़ छप रहे …
प्रभाष : चिट्ठाजगत: Hindi Blogs, Hindi Blog, Aggregator, Search, Chitha, Chittha, Chitthe, Chitthi, Chithha, Chithhe.
chitthajagat.in/?shabd=प्रभाष

4. कहीं प्रभाष जोशी को निपटा तो नहीं …
आज आलोक तोमर जैसे प्रभाष जोशी के कुछ चेले उसी बात को फिर प्रणामित कर रहे हैं। वो प्रभाष जोशी के बचाव में बहुत नीचे गिर गए हैं। नीचे गिरने वालों में आलोक तोमर अव्वल हैं। …
janatantra.com/2009/08/30/kabir-on-prabhash-joshi

5. प्रभाष जोशी पर चल रहे वामपंथी बाण …
उक्त वामपंथी मित्र ने अपनी पोस्ट में जो शीर्षक दिया है जरा उसे भी देखिये "प्रभाष जोशी! … अगर इन्होने जरा भी प्रभाष जोशी को पढ़ा होता तो ऐसा अनर्गल प्रलाप कदाचित नहीं करते । …
www.pravakta.com/?p=3004

6. Mohalla Live » Blog Archive » अपराधी आलोक तोमर को …
हम प्रभाष जोशी पर ही बात करें। प्रभाष जोशी हिंदी पत्रकारिता के देवता क्यों हैं? … इन दिनों प्रभाष जोशी नंदीग्राम पर किताब लिखने वाले लेखक पुष्पराज की ब्रांडिंग में लगे हुए …
mohallalive.com/…/avinash-react-on-alok-tomar-and-prabhash-joshi/

7. सुप्रसिद्ध पत्रकार प्रभाष जोशी से …
देश के वरिष्ठ पत्रकार और 'जनसत्ता' के संपादक प्रभाष जोशी क्रिकेट के प्रति अपने प्रेम को … प्रभाष जी का मानना है कि भारत में सती प्रथा समेत तमाम मुद्दों को अपनी परंपरा में …
raviwar.com/…/B25_interview-prabhash-joshi-alok-putul.shtml

8. नेट का भी अपना समाज है, प्रभाष जी!
23 अगस्त 2009 … सुबह-सुबह हमारे गुरु और हिंदी के या शायद भारत के महान संपादक प्रभाष जोशी का फोन आया। पहले तो उन्होंने यही पूछा कि कहां गायब हो। लेकिन वे जल्दी ही मुद्दे पर आ गए। …
bhadas4media.com/index.php?option=com

9. visfot.com । विस्फोट.कॉम – प्रभाष जोशी प्रभाष जोशी on visfot.com विस्फोट.कॉम.
visfot.com/author/prabhashjoshi

10. एक ज़िद्दी धुन: प्रभाष जोशी! शर्म …
बड़ा हल्ला रहता आया है कि प्रभाष जोशी पत्रकारिता के शीर्ष पुरुष हैं. उनके शीर्ष पुरुषवादी विचार हमेशा ही सामने आते रहे हैं, यह बात अलग है कि हमारे बहुत से `सेक्युलर`, …
ek-ziddi-dhun.blogspot.com/2009/08/blog-post_19.html

11. तेरा तुझको अर्पण / संदर्भ : निशाने पर …
खास तौर पर इंटरनेट पर जहां प्रभाष जी जाते नहीं, और नेट को समाज मानने से भी इंकार करते हैं, … कहानी रविवार डॉट कॉम में हमारे मित्र आलोक प्रकाश पुतुल द्वारा प्रभाष जी के इंटरव्यू …
es-es.facebook.com/note.php?note_id=122374644077…

12. प्रभाष जोशी Blog | Indian प्रभाष जोशी Blog …
प्रसिद्ध पत्रकार प्रभाष जोशी का मानना है कि पत्रकारिता और साहित्य लेखन में गुणवत्ता के मापदंड लगभग खत्म होते जा रहे हैं। वर्तमान में जो लिखा जा रहा है, वह बाजार में बेचने के …
blogs.oneindia.in/प्रभाष+जोशी/1/showtags.html

13. प्रभाष जोशी – विकिपीडिया
प्रभाष जोशी (जन्म 15 जुलाई 1936) हिन्दी पत्रकारिता के एक स्तंभ हैं। ये हिंदी दैनिक 'जनसत्ता' के सम्पादक रह चुके हैं और सम्प्रति 'तहलका हिंदी' के लिये लिखते हैं। …
hi.wikipedia.org/wiki/प्रभाष_जोशी

14. Blogger: User Profile: प्रभाष कुमार झा –
Blogger is a free blog publishing tool from Google for easily sharing your thoughts with the world. Blogger makes it simple to post text, photos and video onto your personal or team blog.
www.blogger.com/profile/17748296898078525480

15. क्या यही आपकी परंपरा है प्रभाष जी …
20 अगस्त 2009 … रविवार डॉट कॉम पर छपे प्रभाष जोशी के इंटरव्यू ने एक झटके में वह सब सामने ला दिया है जो अब तक पर्दे की ओट में था। एक गांधीवादी, अहिंसावादी, सेक्यूलर और जनपक्षीय …
janatantra.com/2009/08/20/rajneesh-reply-to-prabhash-ji/

16. राम मंदिर बुझा हुआ कारतूस:प्रभाष जोशी -
नई दिल्ली। प्रख्यात पत्रकार प्रभाष जोशी ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी द्वारा एक बार फिर राम मंदिर का मुद्दा उछाले जाने पर कहा है कि यह.
hindi.webdunia.com/news/news/…/10/1090210047_1.htm

17. visfot.com । विस्फोट.कॉम – प्रभाष जी के …
20 जून 2009 … प्रभाष जी के लिखे पर आपत्ति दर्ज करने से पहले अपने गिरेबां में झांकिये.
visfot.com/index.php/corporate_media/1042.html

18. प्रमोद रंजन को प्रभाष जोशी का करारा …
6 सितं 2009 … प्रभाष जोशी समकालीन पत्रकारिता के गांधी उर्फ प्रभाष जोशी ने जिस साहस के साथ मीडिया हाउसों द्वारा खबरों का धंधा करने का विरोध किया और इसके खिलाफ खुलकर सड़क पर उतरे, …
bhadas4media.com/index.php?option=com…

19. media marg: वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी जी … 16 जुलाई 2009 … हिन्दी के वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी का 73 वां जन्मदिन कल यानि 15 जुलाई को गाँधी शांति प्रतिष्ठान में मनाया गया. इस मौके पर करीब 60 लोग मौजूद थे. इनमें से उनके परिवार और …
mediamarg.blogspot.com/2009/07/73.html

20. Mohalla Live » Blog Archive » वर्चुअल गांधी का …
23 अगस्त 2009 … गुरुदेव प्रभाष जोशी जी से कहना आपका चेला गांधी आया था। कमज़ोर धारण-क्षमता की वजह से … प्रभाष जोशी के बचाव में हजारों साल की ट्रेनिंग और धारण क्षमता वाला कोई नहीं आया। …
mohallalive.com/…/verchual-ghandhi-letter-to-prabhash-joshi/

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5 Comments »

  • yashvendra singh said:

    प्रभाष जोशी के नायकत्व का अंत..इस महान विजय के लिए आप सब योधाओं को लाख लाख बधाइयाँ. आप का यह लक्ष्य था या गंतव्य, इसपर आप सब खुद ही विचार करेंगे कभी न कभी. उस दिन आज के आप से बaखुद असहमत होंगे…एक शेर हिंदूवादी कारसेवकों के लिए था, वो अब विचारों के नाम पर मानसिक व्यायाम करने वालों के लिए याद आ रहा है.
    ओरिजनल-
    मज़हबी मजदूर सब बैठे है इनको काम दो,
    एस सहर में एक पुरानी सी इमारत और है.
    इसे उ पढें.
    नेट पैर बैठे इन वैचारिक मजदूरों को कोई नाम दो,
    इस सहर में फजीहत करने के लिए कई और है.

    भाइयों अब आप नए किसी par जुट जाएँ. प्रभाष जोशी का सीरियल काफी लम्बा हो गया. कमेन्ट बाज थक गए है. मुह से झाग आ रहा है. देखिये ना, एक दो ही लगे है. बाकी हांफ गए है.

  • नई सहर said:

    यशवेंद्र सिंह ने जो शेर लिखा है उसमें सहर की जगह शहर होना चाहिए। सहर याने सबेरा। शहर यानी नगर।

    प्रभाष जोशी के समर्थन या बचाव में किसी के भी न आने के बाद अब इस थके हुए विवाद यानी बुरी तरह निचुड़े गन्ने से और रस निकालने की कोशिश बंद होनी चाहिए। नए बच्चे जानते भी नहीं हैं कि कौन प्रभाष (ये स्पेलिंग गलत है। हिंदी की किसी डिक्शनरी में ये शब्द इस तरह नहीं लिखा गया है। शब्द है प्रभास) और कौन जोशी। उनके स्टार हैं बरखा दत्त, दीपक चौरसिया और अर्णव गोस्वामी।

    नई सहर है, नए हीरो हैं। प्रभाष जोशी इतिहास में नाम दर्ज कराने की आखिरी कोशिश के तौर पर रविवार को इंटरव्यू दे चुके हैं। अब उन्हें छोड़ देँ।

  • santosh said:

    इंटरनेट के महापंडित माननीय दीलीप मंडल से मेरा आग्रह है कि जिस तरह आपने प्रभाष जोशी जी के बारे में गुगल पर अभियान चलाकर अपने शब्दों में महानायकत्व और सर्वमान्यता(मुझे नहीं लगता है कि प्रभाष जी खुद को कभी महानायकत्व का दर्जा दिया है) का अंत कर दिया है, उसी तरीके से मेरा आग्रह है कि देश में भूख, रोटी, और बेरोजगारी जैसे महान समस्याओँ के खिलाफ भी इंटरनेट पर मुहिम चलाएँ ताकि एक दिन गुगल पर कुछ दिनों के बाद हम सर्च करें तो इसे भी खत्म के रूप में देख पाएंगे। अपने आप से किसी को महिमामंडित करने और उस का खंडित करने का जो दुस्वपन माननीय दीलीप मंडल ने देखा है उसके लिए उनका धन्यवाद।
    मंडल जी, गुगल ही दुनिया नहीं है। अपने आस-पास नजर दौड़ाइए, दुनिया बहुत बड़ी है। और हम आप इस दुनिया की मात्र इकाई भर हैं।
    आंकड़े से अगर सचमुच सबकुछ खत्म हो जाता तो साहब पिछले साठ सालों में सरकार सिर्फ आंकड़े ही परोस रही है लेकिन गरीबी, बेरोजगारी आज भी जस की तस है। गांव जाइए देखिए, कि हकीकत क्या है। इंटरनेट पर बहसबाजी कीजिए लेकिन एजेंडा तय मत कीजिए, कि हम जो लिखेंगे वही सच होगा।
    भाई साहब, विचार सिर्फ रखे नहीं जाते उसपर बहस होती है दादागिरी नहीं। मुझे उनके बहस या तर्क पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन आपत्ति है तो सिर्फ इस लाइन पर जिसमें उन्होंने ये कहा है
    "आप कह सकते हैं कि इस विवाद के नेट पर आने के साथ ही सर्वमान्य महानायक प्रभाष जोशी की सर्वमान्यता और महानायकत्व का अंत हो गया है।"
    बहस या विचार कभी अपने नहीं होते, बल्कि सामाजिक मुद्दे से सरोकार होता है उसका और अपने से ही बहस शुरू करके अपने शब्दों में ही उसका अंत कर देना, कुछ आंकड़े परोस देना मात्र भर नहीं है। बहस कीजिए,तो सार्थक कीजिए। एक पत्रकार के रूप मे मंडल जी को मैं बहुत पहले से जानता रहा हूं। लेकिन प्रभाष जोशी या किसी ऐसे व्यक्ति जो नेट से सरोकार नहीं रखता हो, आपके बहस में भाग नहीं ले रहा हो,को अपने शब्दों के मायाजाल से छिछालेदार करना कोई बड़प्पन नहीं है। पत्रकारिता में हैं अगर बहुत बहस ही करना है और बहुत बड़ा मुद्दा ही पकड़ना है तो वीओआई बंद हो गया उसपर बहस शुरू कीजिए न। कौन रोकता है आपको।
    650 लोग सड़क पर आ गए। सरकार या तथाकथित मीडिया के मठाधीशों की आंखों में एक रत्ती भर भी पत्रकार बिरादरी की चिंता नहीं। इस मुद्दे पर आगे आईए ना, हम सब आपके साथ होंगे। क्यों नहीं मायावती को घेरते हैं दीलीप मंडल भाई। नोएडा तो उनके राज्य में ही आता है न और वीओआई का मालिक भी तो आगरा से ही ताल्लुकात रखते हैं। बहस करिए लेकिन मुद्दों पर। लठैती मत करिए जनाब

  • jayram "viplav" said:

    गूगल पर "प्रभाष" सर्च करने पर पहले 20 रिजल्ट में 12 रिजल्ट उनके ब्राह्मणवाद और सती के समर्थन में किए गए लेखन और उसपर आई प्रतिक्रिया से जुड़े हैं। बात तो सही है पर पहला रिजल्ट तो पढो भाई देखो जनोक्ति के ब्लॉग पर क्या छापा है ? इसमें प्रभाष जी को नायक ही बनाया गया है जिसके वो लायक हैं , परन्तु आप जैसे महान पत्रकार यहाँ हल्ला लाइव पर बगैर पढ़े लिखे चिल्लाते हैं और ऊपर के ये दो महानुभाव भी बगैर पढ़े सुर में ताल दे रहे हैं . शर्म आणि चाहिए आपको ऐसी पातित्कारिता करते हुए !

  • blogwalebaba said:

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  • DHAI AKHAR ढाई आखर: प्रभाष जोशी: कमजोर और ...

    30 जून 2008 ... यह हैं प्रभाष जोशीप्रभाष जोशी भारतीय पत्रकारिता का मशहूर नाम हैं। मैंने पिछले दिनों एक पोस्ट किया था 'यह तैयारी किसके लिए है'। उसके बाद प्रभाष जोशी की जनसत्ता में ...
    dhaiakhar.blogspot.com/.../blog-post_30.html - संचित प्रति - समान -
  • Aaj Tak: India's Best Channel for Breaking News from India, Latest ...

    हिन्दी पत्रकारिता के यशस्वी हस्ताक्षर प्रभाष जोशी का वसुंधरा स्थित आवास पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वे 72 वर्ष के थे. उनके शोक संतप्त परिवार में पत्नी, दो पुत्र, ...
    aajtak.intoday.in/index.php?id=20881... - संचित प्रति -
  • जो रचेगा वह बचेगा : प्रभाष जोशी

    सिलीगुड़ी आफिस में प्रभाष जोशी हिन्दी पत्रकारिता के शिखर पुरुष प्रभाष जोशी के सहज और संवेदनशील व्यवहार ने मेरे मन को छू लिया था. मुझे याद है, प्रभाष जी सिलीगुड़ी में लायंस ...
    bhadas4media.com/index.php?...id... - संचित प्रति -
  • visfot.com । विस्फोट.कॉम - हमारी कक्षा में ...

    हमारी कक्षा में प्रभाष जोशी. ... कल श्री प्रभाष जोशी ब्याख्यान देने आने वाले हैं. सुखद आश्चर्य के साथ उत्सुकता भी हुई. इतने बडे समूह इंडियन एक्सप्रेस के समाचार पत्र जनसत्ता के ...
    www.visfot.com/voice_for_justice/1939.html - संचित प्रति -
  • Prabhash Joshi - Wikipedia, the free encyclopedia

     - [ इस पृष्ठ का अनुवाद करें ]
    Prabhash Joshi (Hindi: प्रभाष जोशी) (July 15, 1936 – November 5, 2009) was a noted Indian Journalist, especially Hindi journalism. He was a writer and political analyst. He was strongly in favor of "ethics and transparency". He played an part in Gandhian movement, Bhoodan movement, in the surrender of ...
    en.wikipedia.org/wiki/Prabhash_Joshi - संचित प्रति - समान -
  • प्रभाष : चिट्ठाजगत : धड़ाधड़ छप रहे ...

    श्रद्धेय प्रभाष जोशी जी का इंटरव्यू भड़ास4मीडिया पर पढ़ा। मेरे बारे में उनके कहे गए अंश का जवाब ... प्रसिद्ध पत्रकार प्रभाष जोशी का मानना है कि पत्रकारिता और साहित्य लेखन में ...
    chitthajagat.in/?shabd=प्रभाष - समान -
  • वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी नहीं रहे

    जाने-माने पत्रकार प्रभाष जोशी (73) का गुरूवार देर रात हृदयाघात के कारण निधन हो गया। उन्हें रात 11:30 बजे सीने में दर्द की शिकायत के बाद एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, ...
    www.rajasthanpatrika.com/news/.../45637.html - संचित प्रति -
  • Star News Agency: प्रभाष जोशी का यूं चले जाना

    वरिष्ट पत्रकार श्री प्रभाष जोशी का निधन न सिर्फ पत्रकारिता बल्कि देश के जनसंगठनों के लिए भी अपूरणीय क्षति है। ऊनके निधन से दोनों ही स्थानों पर निर्वात महसूस किया जा रहा है। ...
    www.starnewsagency.in/2009/.../blog-post_9975.html - संचित प्रति -
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खुंबू घाटी का खुंदे अस्पताल

खुंबू घाटी का खुंदे अस्पताल

एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पर्वतारोही खुंबू को ही बेस कैंप बनाते हैं। यहीं एक छोटा सा गांव है खुंदे। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद खुंदे का खुंदे अस्पताल पिछले 53 साल से लोगों की देखभाल कर रहा है।   आगे..

सम्मान के लिए नामांकन

सम्मान के लिए नामांकन

सूचना के अधिकार के लिए संघर्षरत आम जनता और सूचना अधिकारियों एवं आयोगों को सम्मानित करने के लिए शुरू किया गया अभियान अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। इसके तहत नागरिक श्रेणी में...   आगे..

उम्र में कम, प्रतिभा में दम

उम्र में कम, प्रतिभा में दम

बेंगलूर की श्रुति एस महज 15 साल की है लेकिन उसके मिल्क मेड शीर्षक के तैल चित्र ने अमेरिका के बर्कले में आयोजित एक प्रतियोगिता में 148 देशों से आई 20 लाख प्रविष्टियों कोच मात दी।   आगे..

...और करें याददाश्त तेज

...और करें याददाश्त तेज

हाल में किए एक शोध में बताया गया है कि वयस्कों द्वारा अपने दांतों की उचित देखभाल करना यानी नियमित रूप से ब्रश करना याददाश्त बनाए रखने में मददगार साबित होता है।   आगे..


शीर्ष कहानियां

हेडली को खगालने के लिए मुंबई पहुंची एनआईए की टीम

हिन्दुस्तान दैनिक - ‎57 मिनट पहले‎
आतंकवादी वारदात की साजिश रचने के आरोप में अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए लश्कर-ए-तैयबा के कार्यकर्ता डेविड हेडली तथा तहव्वुर हसन राणा की गतिविधियों का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम के मुम्बई पहुंचने के बीच कुछ राज्यों ने भी इन दोनों द्वारा अपने यहां की गई गतिविधियों का पता लगाने के लिए जांच-पड़ताल शुरू की है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक एनआईए के एक दल ने आज मुम्बई पहुंचकर अनेक ...

मंडोर एक्सप्रेस पटरी से उतरी, आठ मरे

याहू! भारत - ‎1 घंटा पहले‎
जयपुर [जागरण संवाददाता]। महज डेढ़ सौ किलोमीटर के दायरे में ठीक 23 दिन बाद एक और ट्रेन हादसा। मेवाड़ एक्सप्रेस में गोवा एक्सप्रेस की टक्कर को लोग भुला भी नहीं पाए थे कि शुक्रवार की रात मंडोर एक्सप्रेस हादसे का शिकार हो गई। जयपुर जिले में हुए इस हादसे में आठ यात्रियों की मौत हो गई। 90 यात्री जख्मी हो गए। दिल्ली जा रही मंडोर एक्सप्रेस की 17 बोगियां शुक्रवार की रात डेढ़ बजे जयपुर जिले में बसखो रलवे स्टेशन के समीप पटरी से उतर गई। ...

मेट्रो में यात्रा करके उत्साहित लोग

खास खबर - ‎8 घंटे पहले‎
नई दिल्ली। दिल्ली से नोएडा के बीच शुक्रवार को आम लोगों के लिए मेट्रो का सफर शुरू हुआ तो लोगों की खुशी का ठिकाना नही रहा। जहां दिल्ली से नोएडा तक का सफर लोगों के लिए आसान हो गया। आठ घंटे में करीब 50 हजार लोगों ने नोएडा से दिल्ली का सफर तय किया। दिल्ली और नोएडा के बीच गुरूवार को मेट्रो सेवा का शुभारंभ किया गया था। शुक्रवार को मेट्रो को आम लोगों के लिए खोला गया। पहले ही दिन उम्मीद से अधिक लोगों ने मेट्रो में सफर किया। ...

ताज़ा समाचार

दैनिक भास्कर -
 ‎42 मिनट पहले‎ - In English
याहू! भारत -
 ‎1 घंटा पहले‎ - In English
वेबदुनिया हिंदी -
 ‎2 घंटे पहले‎ -
नवभारत टाइम्स -
 ‎4 घंटे पहले‎ -
खास खबर -
 ‎7 घंटे पहले‎ -
हिन्दुस्तान दैनिक -
 ‎37 मिनट पहले‎ -
एनडीटीवी खबर -
 ‎9 घंटे पहले‎ - In English
वेबदुनिया हिंदी -
 ‎2 घंटे पहले‎ - In English

पेशावर में आत्मघाती हमले में 10 मरे, 25 घायल (लीड-3)

That's Hindi - ‎1 घंटा पहले‎
समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार हमलावर ने विस्फोटकों से लदी कार में उस समय विस्फोट कर दिया जब पुलिसकर्मी पेशावर के पुश्त खारा क्षेत्र में एक तलाशी अभियान चलाने की कोशिश कर रहे थे। शहर के पुलिस प्रमुख लियाकत अली ने कहा कि विस्फोट में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए। पेशावर के शीर्ष नागरिक प्रशासक साहेबजदा अनीस ने कहा, "सौभाग्य से यह क्षेत्र खुला हुआ था और विस्फोट स्थल के आसपास बहुत मकान नहीं थे, नहीं तो ...

चांद पर स्थायी बेस के और करीब

नवभारत टाइम्स - ‎4 घंटे पहले‎
हाल ही में इसरो और नासा ने चांद पर पानी मिलने का ऐलान किया है। यह जानना जरूरी है कि चांद पर पानी होना इतना अहम क्यों माना जा रहा है। असल में चांद पर पानी की खोज हमें चांद पर स्थायी बेस कैंप बनाने के सपने के एक कदम और करीब ले जाती है। जहां से मार्स मिशनों को अंजाम दिया जा सकेगा। 90 लीटर पानी : चांद की धूल के विश्लेषण बाद उसमें करीब 90 लीटर पानी का पता चला है। इससे साफ है कि चांद पर काफी मात्रा में पानी मिल सकता है। ...

हमें भी रखो साथ: ओबामा की अपील

डी-डब्लू वर्ल्ड - ‎4 घंटे पहले‎
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने विश्व मंच पर चीन के लिए एक ज़्यादा बड़ी भूमिका का स्वागत किया है. ओबामा ने एशिया के साथ और सहयोग पर ज़ोर दिया. उधर एपेक देशों का कहना है कि अब विश्व इकोनमी अकेले अमेरिका से नहीं चल सकती. एशियाई दौरे के तहत एशिया प्रशांत देशों के आर्थिक सम्मेलन यानी एपेक में भाग लेने सिंगापुर रवाना होने से पहले जापान की राजधानी टोक्यो में ओबामा ने कहा कि अमेरिका, उत्तर कोरिया की एटमी भभकियों के आगे नहीं ...

मेरे खिलाफ काम कर रहे हैं उच्च पदस्थ राजनीतिक लोग: कोड़ा

आज तक - ‎2 घंटे पहले‎
काले धन को सफेद करने के आरोपों से जूझ रहे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने शनिवार को आरोप लगाया कि कुछ उच्च पदस्थ राजनीतिक लोगों ने राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले उनकी छवि को धूमिल करने की साजिश रची है और उन पर लगे इल्जाम सही साबित होने पर वह राजनीति से सन्यास ले लेंगे. कोड़ा ने कहा ''मुझे पता है कि उंचे पदों पर बैठे कुछ राजनीतिक लोग मेरे खिलाफ काम कर रहे हैं. वक्त आने पर मैं उन्हें बेनकाब कर दूंगा. ...

संसद भवन में दी पंडित नेहरू को श्रद्धांजलि

खास खबर - ‎7 घंटे पहले‎
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर शनिवार को यहां संसद भवन में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इन नेताओं ने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में पंडित नेहरू के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे, डा. फारूख अब्दुल्ला ...

बाल दिवस पर बच्चों से मिलीं राष्ट्रपति

खास खबर - ‎5 घंटे पहले‎
नई दिल्ली। देश के विभिन्न हिस्सों से आए 450 स्कूली बच्चों के लिए बाल दिवस के मौके पर राष्ट्रपति भवन परिसर में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील से मुलाकात करना यादगार मौका था। आंध्रप्रदेश के मेहबूबनगर, हरियाणा के सोनीपत और बहादुरगढ़ व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कई स्कूलों से बच्चो अपने शिक्षकों के साथ यहां आए हुए थे। भारत के पहले प्रधानमंत्री चाचा नेहरू की तरह दिख रहा तीन वर्षीय वैभव राष्ट्रपति पाटील से मिलकर बेहद खुश था। ...

एसबीआई परीक्षा: गैर-मराठी फिर निशाने पर

दैनिक भास्कर - ‎42 मिनट पहले‎
मुंबई. भारतीय स्टेट बैंक में क्लर्क की भर्ती के लिए रविवार को होने वाली परीक्षा में शामिल होने अन्य राज्यों से महाराष्ट्र आने वाले गैर-मराठी परीक्षार्थी एक बार फिर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के निशाने पर हैं। पिछले साल रेलवे की परीक्षा के दौरान गैर-मराठी परीक्षार्थियों को पीटने वाली एमएनएस ने एसबीआई की परीक्षा सिर्फ मराठी में लिए जाने और इसमें महाराष्ट्र के उन्हीं लोगों को मौका देने की मांग की है, जिनके पास ...
मनसे की एसबीआई से माँग वेबदुनिया हिंदी

चीनी मिलों पर धरना देंगे कांग्रेसी

हिन्दुस्तान दैनिक - ‎37 मिनट पहले‎
अब कांग्रेसी किसानों के आंसू रोने का नाटक करने की जुगत में लगे हैं। इसी जु्गत में गन्ना-मूल्य की समस्या से जूझ रहे किसानों की तरफदारी में कांग्रेसी रीता बहुगुणा के आवाह्न पर रविवार को प्रमुख चीनी मिलों पर धरना देंगे। कांग्रेस जिलाध्यक्ष गजराज सिंह ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रीता बहुगुणा जोशी के आह्वान पर रविवार को कांग्रेस कार्यकर्ता सिंभावली, बृजनाथपुर और मोदीनगर चीनी मिलों पर धरना देंगे। इसमें किसानों को गन्ने ...

गैस कीमत बढ़ने से सीएनजी पर ज्यादा फर्क नहीं

याहू! जागरण - ‎1 घंटा पहले‎
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सबसे बड़ी सरकारी तेल व गैस उत्पादक ओएनजीसी ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार ने प्राकृतिक गैस की कीमतों को बढ़ाने का फैसला कर भी लिया, तब भी सीएनजी ज्यादा महंगी नहीं होगी। ओएनजीसी का कहना है कि सीएनजी की कीमत निर्धारित करने में प्राकृतिक गैस के दाम केवल एक तिहाई भूमिका निभाते हैं। यही नहीं, देश के अधिकांश शहरों में सीएनजी की आपूर्ति निजी पार्टियां कर रही हैं। निजी कंपनियां अभी भी सरकारी कंपनियों की ...

शमिता ने छोड़ा बिग बास का घर

याहू! भारत - ‎1 घंटा पहले‎
मुंबई [जागरण संवाददाता]। बालीवुड अभिनेत्री शमिता शेट्टी ने 40 दिन रहने के बाद बिग बास का घर छोड़ दिया है। शनिवार को रियलिटी शो बिग बास सीजन 3 के दर्शकों ने उन्हें घर से विदा होते देखा। शमिता बड़ी बहन शिल्पा शेट्टी की शादी में शरीक होने के लिए अपनी मर्जी से शो से बाहर हुई हैं। शिल्पा की शादी 22 नवंबर को उद्योगपति राज कुंद्रा से होनी है। रियलिटी शो में होने के कारण शिल्पा की सगाई में शमिता शामिल नहीं हो पाई थीं। इसका दोनों बहनों ...

सात शहरों में घूमा था आतंकी डेविड हेडली...

एनडीटीवी खबर - ‎9 घंटे पहले‎
डेविड हेडली के बारे में हर रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं। पता चला है कि डेविड हेडली भारत के पांच नहीं बल्कि सात शहरों का दौरा कर चुका है। दिल्ली, आगरा, लखनऊ, अहमदाबाद और मुंबई का दौरा करने के अलावा हेडली ने दक्षिण भारत के भी दो शहरों का दौरा किया है। हालांकि ये दो शहर कौन-से हैं इसके बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है। गुजरात डीजीपी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि डेविड हेडली अपने साथियों के साथ अहमदाबाद आया था लेकिन ...

करीना ने किया शिवसेना पर पलटवार

वेबदुनिया हिंदी - ‎2 घंटे पहले‎
बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर ने शिवसेना पर पलटवार करते हुए कहा कि उनकी ओर से उन्हें अब तक साड़ी नहीं मिली है। गौरतलब है कि शिवसेना कार्यकर्ताओं ने करीना की आगामी फिल्म 'कुर्बान' के पोस्टर में उनकी पीठ दिखाए जाने को लेकर गुस्से का इजहार किया था। पार्टी के इलाके के विभाग प्रमुख जितेंद्र जनावाले ने कहा था कि हम जल्द ही करीना के आवास पर जाएँगे और उन्हें साड़ी भेंट करेंगे। करीना को पार्टी की ओर से अब तक साड़ी नहीं मिली। ...

भारत ने अंतिम दिन तीन पदक जीते

वेबदुनिया हिंदी - ‎2 घंटे पहले‎
लंबी दूरी की धावक कविता रावत और महिलाओं की चार गुणा 400 मी रिले टीम ने रजत पदक, जबकि पुरुषों की चार गुणा 400 मी रिले टीम ने अंतिम दिन काँस्य पदक अपने नाम किया, जिससे भारत ने एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में तीसरा स्थान हासिल किया। भारत ने इस चैंपियनशिप के लिए अपना 60 सदस्यीय मजबूत दल भेजा था। यह दल पाँच दिवसीय प्रतियोगिता में एक स्वर्ण, चार रजत, सात काँस्य से 12 पदक जीतकर तीसरे स्थान पर रहा। चीन ने 18 स्वर्ण, 19 रजत और 10 काँस्य से ...

जोकोविच से हारकर सोडरलिंग बाहर

वेबदुनिया हिंदी - ‎2 घंटे पहले‎
नोवाक जोकोविच ने पेरिस मास्टर्स टेनिस टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में रॉबिन सोडरलिंग को हराकर अंतिम चार में जगह बना ली। दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी जोकोविच सोडरलिंग को एक संघर्षपूर्ण मुकाबले में 6-4, 1-6 और 6-3 से हराकर सेमीफाइनल में पहुँचे, जहाँ उनका मुकाबला दुनिया के नंबर दो खिलाड़ी राफेल नडाल तथा जो विल्फ्रेड सोंगा के बीच विजेता खिलाड़ी से होगा। सर्बिया के जोकोविच को पहले सेट में सोडरलिंग को हराने में ...

मिस्बाह को टीम में चाहते हैं यूसुफ

वेबदुनिया हिंदी - ‎1 घंटा पहले‎
पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कार्यवाहक कप्तान मोहम्मद यूसुफ न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला में मध्यक्रम के बल्लेबाज मिस्बाह उल हक को टीम में शामिल करना चाहते हैं। यूनुस खान के ब्रेक लेने के बाद मोहम्मद यूसुफ को न्यूजीलैंड दौरे के लिए टेस्ट टीम की कमान सौंपी गई है। यूसुफ ने मिस्बाह को टीम में लेने की ख्वाइश जाहिर करते हुए कहा कि न्यूजीलैंड दौरे के लिए चुनी गई पाकिस्तानी टीम अच्छी है, लेकिन यूनुस खान के नहीं होने से ...

राष्ट्रपति की सुखोई उड़ान बनाएगी कई रिकार्ड

याहू! भारत - ‎1 घंटा पहले‎
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल इस महीने की 25 तारीख को लड़ाकू विमान सुखोई में सवार होंगी तो कई नए रिकार्ड भी स्थापित करेंगी। राष्ट्रपति सुखोई लड़ाकू विमान में बैठने वाली न केवल देश की पहली महिला राजनेता होंगी बल्कि सुखोई में सवार होने वाली सबसे उम्रदराज महिला भी होंगी। दरअसल, तीनों सेनाओं की सर्वोच्च सेनापति पाटिल जब देश के सबसे उन्नत युद्धक विमान में सवार होंगी तो उनकी उम्र होगी 73 साल 11 महीने और छह दिन ...

नक्सलियों के चंगुल से 18 घंटे बाद मुक्त हुए पूर्व विधायक

खास खबर - ‎14 घंटे पहले‎
लातेहार (झारखंड)। झारखंड के लातेहार जिले में संदिग्ध नक्सलियों द्वारा अगवा किए गए राजद प्रत्याशी रामचंद्र सिंह आज सुरक्षित लौट आए। पुलिस ने बताया कि सिंह अपने सहयोगी के साथ लातेहार पुलिस थाने लौट आए। धनुकुआं गांव में एक समारोह में शामिल होने के बाद वहां से लौटने समय सिंह और उनके समर्थकों को संदिग्ध माओवादियों ने गुरूवार रात अगवा कर लिया था। अपहरणकर्ताओं ने सिंह के पांच समर्थकों को रास्ते में ही छो़ड दिया लेकिन उन्हें ...

करुणाकरण की हालत में सुधार

दैनिक भास्कर - ‎22 घंटे पहले‎
तिरुवनंतपुरम. सांस में तकलीफ और बुखार के कारण अस्पताल में भर्ती कांग्रेस के वरिष्ठ नेता करुणाकरण की हालत में मामूली सुधार आया है। हालांकि अभी भी वे डॉक्टरों के एक समूह की निगरानी में सघन चिकित्सा कक्ष में ही हैं। रक्षा मंत्री एके एंटनी शुक्रवार की सुबह करुणाकरण को देखने अस्पताल पहुंचे थे। अनंतपुरी अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया कि गुरुवार को अस्पताल में भर्ती होने के बाद शुरुआती घंटों में करुणाकरण अचेत अवस्था में थे, ...

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