उत्तराखंड: मदद को तैयार डॉक्टर, पर सुने कौन?
उत्तराखंड: मदद को तैयार डॉक्टर, पर सुने कौन?
बीबीसी संवाददाता, ऋषिकेश से
उत्तराखंड में आई क्लिक करेंबाढ़ और भूस्खलनमें बीमारों का इलाज करने के लिए प्रदेश में सरकारी डॉक्टरों की कमी महसूस हुई.
शायद इसी वजह से प्रदेश सरकार ने राज्य में निजी प्रैक्टिस करने वाले बड़े- बड़े डॉक्टरों से पहाड़ में फंसे लोगों का इलाज करने के लिए कहा. लेकिन प्रदेश में सरकारी महकमों में समन्वयन की कमी साफतौर पर देखी जा सकती है.
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डीडी चौधरी, देहरादून में सफल निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों में से एक हैं.
उन्होंने बताया, "सुबह से मैं और मेरे साथ दो और डॉक्टर जिनमे एक बच्चों के चिकित्सक हैं और तीसरे हड्डियों के विशेषज्ञ हैं, जौली ग्रांट हवाई अड्डे पर बैठे हैं क्योंकि हमें ऐसे निर्देश मिले थे. अभी तक तो पता नहीं चल सका है कि पीड़ितों की मदद के लिए कैसे पहुंचाए जाएँगे".
अफरातफरी
ताज़ा स्थिति
- 83,000 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से सुरक्षित निकाला गया
- करीब 7,000 लोग अभी भी जगह-जगह फंसे हुए हैं
- राहत और बचाव कार्य जारी ( स्रोत: आपदा विभाग, उत्तराखंड)
आदेश देने मात्र से निजी डॉक्टरों की फ़ौज उन इलाकों में नहीं पहुँच सकती जहाँ पर हज़ारों लोग अब भी क्लिक करेंमदद की गुहार लगाए बैठे हुए हैं.
गुप्तकाशी पहुंची बीबीसी टीम को दो-तीन ही चिकित्सक मिले थे जबकि घायलों और पीड़ितों की संख्या कहीं ज्यादा थी.
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डीडी चौधरी ने बताया, "त्रासदी को देखते हुए कम से कम तीस चालीस डॉक्टर तैयार बैठे हैं. लेकिन सरकार को हमें वहां पहुंचाना भी तो चाहिए".
क्लिक करेंउत्तराखंड सरकार की मानी जाए तो एकाएक आई बाढ़ में कई छोटे-छोटे अस्पताल भी बह गए हैं और उनमे काम करने वाले कई लोग लापता है.
इसलिए भारतीय सेना के अलावा निजी डॉक्टरों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में पीड़ितों की मदद करने को कहा गया है.
वैसे राज्य में अभी भी बड़े-बड़े नेताओं के दौरे जारी हैं और उन्हें दूर दराज के इलाकों के हवाई दौरे दिलवाए जा रहे हैं.
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