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Dr.B.R.Ambedkar

Friday, June 28, 2013

हैरत है उत्तराखंड की विजय बहुगुणा सरकार को ये मानने में 12 दिन लग गए। उससे भी बड़ी हैरत की बात ये है कि अभी भी खुलकर वो किसी संख्या का ऐलान करने से कतरा रही है।

अकेले नौ राज्यों के ही 3000 लोग लापता हैं उत्तराखंड में!


नई दिल्ली। आईबीएन7 लगातार दिखा रहा है उन लोगों की तस्वीरें जो अब तक नहीं मिल पाए हैं। सुना रहा है उनके अपनों के संदेश। मिला रहा है उन लोगों से जिनके परिवार के कई-कई सदस्य लापता हैं। जितने भी लोगों से बात की गई उन्होंने एक ही शिकायत की कि हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। हम अपनों की तलाश में भटक रहे हैं। सवाल ये है कि आखिर आपदा के 13 दिन बाद भी ऐसी स्थिति क्यों है? क्या राज्य सरकार को अब ये मान नहीं लेना चाहिए कि आपदा प्रबंधन के नाम पर उसने लोगों से मजाक किया है? उसका आपदा प्रबंधन सिर्फ छलावा है?

आपदा के 12वें दिन सरकार के नुमाइंदे ने माना कि तकरीबन तीन हजार लोगों के लापता होने की आशंका है। हैरत है उत्तराखंड की विजय बहुगुणा सरकार को ये मानने में 12 दिन लग गए। उससे भी बड़ी हैरत की बात ये है कि अभी भी खुलकर वो किसी संख्या का ऐलान करने से कतरा रही है।

अकेले नौ राज्यों के ही 3000 लोग लापता हैं उत्तराखंड में!

महाराष्ट्र सरकार कह रही है कि उसके 214 लोग लापता हैं। बिहार के 54 लोग, उत्तर प्रदेश के 540 लोग, राजस्थान के 590 लोग, दिल्ली के तकरीबन 300 लोग, गुजरात के 139 लोग, मध्यप्रदेश से 800 लोग, आंध्र प्रदेश के 231 लोग,

जम्मू के 5 लोग और पश्चिम बंगाल के 20 लोग लापता हैं। पंजाब और हरियाणा सरकार ने अभी अपने गुम हुए लोगों के आंकड़े नहीं जारी किए हैं। तो मोटे तौर पर ये संख्या तकरीबन 3 हजार हो जाती है। लेकिन संख्या इससे भी कहीं बड़ी हो सकती है। क्योंकि अभी खुद उत्तराखंड सरकार ने अपने स्थानीय लोगों के गुम होने का कोई आंकड़ा नहीं जारी किया है। सवाल ये है कि आखिर कब जागेगी सरकार।

लोग भटक रहे हैं। अफसरों, थानों और आपदा प्रबंधन में लगे काउंटरों की संवेदनहीनता और गैरजिम्मेदारी का शिकार हो रहे हैं। सरकार ने वेबसाइट बना दी है जिसपर मिल गए लोगों के नाम पते हैं। लापता लोगों का भी जिक्र है। उत्तराखंड सरकार ने नंबर मुहैया करा दिए हैं जिस पर फोन करके कोई भी जानकारी हासिल कर सकता है। लेकिन क्या वो लोगों की भावनाओं और उम्मीदों के हिसाब से काम कर रहे हैं। अगर आपदा बड़ी है तो उसका प्रबंध भी बड़ा होना चाहिए था। लेकिन आईबीएन7 पर लगातार इस प्रबंध की पोल खुल रही है।

http://khabar.ibnlive.in.com/news/102175/1

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