शेयर बाजार ज़रुर खुश है, पर शेयर बाजार का ताल्लुक़ पूरी
अर्थव्यवस्था से नहीं, कुछ संपन्न निवेशकों और कॉरपोरेट
सेक्टर से है
विधानसभा के बाहर के संवाददाताओं से बातचीत में नीतीश ने कहा कि आम बजट 2011-12 में की गयी घोषणाएं पूरे देश को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि उन राज्यों को लक्षित कर की गयी हैं, जहां विधानसभा चुनाव होने हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में विदेशों से कालाधन स्वदेश लाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने की बात नहीं कही गयी है. इसमें न कोई नया पहल न हीं संकल्प है. इस बजट से देशवासियों को असंतोष होगा. नीतीश ने कहा कि इस बजट के कारण क्षेत्रीय असंतुलन को बढ़ावा मिलेगा.
बजट में समावेशी विकास की बात तो कही गयी है लेकिन बिहार की उपेक्षा की गयी है. प्रदेश की जनता विशेष राज्य का दर्जा मांग रही है. इस बात का आम बजट में बिल्कुल उल्लेख नहीं है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में झारखंड के गठन के बाद 2002 से शेष बिहार को सम विकास योजना और पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष (बीआरजीएफ) के तहत दी जा रही थी लेकिन 2011-12 के आम बजट में इसका उल्लेख तक नहीं है.
केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा सोमवार को वित्त वर्ष 2010-11 के लिए पेश किए आम बजट को प्रमुख विपक्षी दलों ने दिशाहीन करार देते हुए इस पर निराशा जताई है। इन दलों का कहना है कि बजट में महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसी आम आदमी की समस्याओं के निदान का कोई हल निकालने की कोशिश नहीं की गई है। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, ""वित्त मंत्री ने केवल आंक़डों की बाजीगारी में लोगों को उलझाने की कोशिश की है। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को लोकसभा में वर्ष 2011-12 का आम बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि काले धन का निर्माण और उसका इस्तेमाल गंभीर चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने एक पांच सूत्री कार्ययोजना लागू की है। कार्ययोजना में काले धन के विरूद्ध वैश्विक संघर्ष में साथ देना, उपयुक्त कानूनी ढांचा तैयार करना, अनुचित तरीकों से कमाए गए धन से निपटने के लिए संस्थाएं स्थापित करना, कार्यान्वयन के लिए प्रणालियां विकसित करना और अधिकारियों को प्रभावी कार्रवाई के लिए कौशल का प्रशिक्षण देना शामिल है। मंत्री ने कहा कि हमने पिछले वर्ष जून में जी-20 देशों की एक पहल "वित्तीय कार्यबल" (एफएटीएफ) की सदस्यता ली है। साथ ही उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ने बेहिसाबी आय और देश के अंदर एवं बाहर रखे गए धन के संबंध में एक अध्ययन शुरू किया हैउनके आंक़डों से आम आदमी का कोई मतलब नहीं है। आम आदमी को मंहगाई और युवाओं को रोजगार को लेकर चिंता है लेकिन इस बजट में न तो मंहगाई का जिक्र किया गया है और न ही भ्रष्टाचार से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही गई है। बेरोजगारी का तो उन्होंने जिक्र तक नहीं किया।"" उन्होंने कहा, ""यह बजट हताश और निराश करने वाला तथा पूरी तरह से दिशाहीन है।"" सुषमा ने हालांकि आंगनव़ाडी कार्यकर्ताओं के मानदेय में की गई वृद्धि की सराहना करते हुए उसे स्वागत योग्य कदम बताया। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बजट पर निराशा जताई है। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने पत्रकारों से चर्चा में कहा, ""बजट निराशाजनक है क्योंकि इसमें महंगाई और भ्रष्टाचार जैसी उन समस्यआओं का कोई निदान नहीं है जिससे आम आदमी परेशान है।"" उन्होंने कहा, ""सरकार धन की हेराफेरी को बढ़ावा दे रही है और काला धन वापस लाने को गम्भीर नहीं दिख रही है। इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इसमें अल्पसंख्यकों के लिए विशेष कुछ भी नहीं है। अल्पसंख्यक संस्थानों को वित्तीय सहायता देने से भी अल्पसंख्यकों में गरीब अल्पसंख्यकों को मदद नहीं मिल पाएगी।"" येचुरी ने कहा कि इस बजट में सिर्फ वित्तीय उदारीकरण को आगे बढ़ाया गया है और कुछ लुभावने कदम उठाए गए हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने बजट को पूरी तरह से निराशाजनक करार देते हुए कहा, ""बजट में युवाओं और बेरोजगारों को रोजगार देने की कोई योजना नहीं है। ग्रामीण किसानों की पूरी तरह से उपेक्षा की गई है। यह उद्योगपतियों का बजट है, जिसमें गरीबों के लिए कुछ नहीं है। खादी और सूती कप़डा गरीब पहनता है लेकिन बजट में उसका कोई जिक्र नहीं है। अल्पसंख्यकों के लिए भी वही घोषणाएं की गई हैं, जो प्रति वर्ष की जाती हैं।"" भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता गुरूदास दासगुप्ता ने बजट को "नमूना" बजट करार दिया तथा इसे जनता के हित के खिलाफ बताया। दासगुप्ता ने कहा, ""इतने अनुभवी नेता से ऎसे बजट की उम्मीद नहीं थी। पूरे देश में महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर विरोध हो रहा है और इस पर कुछ नहीं कहा गया है। यह एक "नमूना" बजट है। इससे निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा जो जनता के हित में नहीं है।"" जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि बजट पूरी तरह से जनविरोधी है और इसमें सिर्फ रेवç़डयां बाटने की कोशिश की गई है। यादव ने कहा, ""बजट में सिर्फ रेवç़डयां बाटने की कोशिश की गई है और इसमें मूल समस्याओं के समाधान के लिए कुछ नहीं कहा गया है। देश महंगाई और भ्रष्टाचार से चिंतित है। बेरोजगारी और काले धन की समस्या गम्भीर रूप ले चुकी है लेकिन ऎसा लग रहा है कि प्रणब मुखर्जी ने इस बजट को बाबुओं के साथ बैठकर तैयार किया है।"" पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने बजट को कल्पनाहीन बताया। उन्होंने कहा, ""मुखर्जी वैसे भी आर्थिक क्षेत्र में सुधार के लिए नहीं जाने जाते। इसलिए इसमें सुधार का कोई जिक्र नहीं है। देश को उनसे निडर बजट की उम्मीद थी। वह आम आदमी की उम्मीदों पर खरा उतरने में असफल रहे हैं।"" राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने यूं तो बजट पर खुशी जाहिर की लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा, ""मैं बजट पर उस दिन खुश होऊंगा जिस दिन इन योजनाओं का क्रियान्वयन हो जाएगा।"" लालू ने कहा कि सब्सिडी पर सरकार ने क्रान्तिकारी कदम उठाए हैं। ग्रामीण विकास एवं आंगनव़ाडी कार्यकर्ताओं के विकास के लिए जो घोषणाएं की गई हैं वह स्वागत योग्य कदम है।
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सोमवार को देश का 80वां बजट पेश किया। उन्होंने अपने बजट भाषण में जहां महंगाई कम करने का देशवासियों को भरोसा दिलाया वहीं गरीबों के हाथों में सीधा पैसा देने की घोषणा की है। आयकर में भी लोगों की अपेक्षाओं को पूरी करते हुए छूट सीमा 1.60 लाख से बढाकर 1.80 लाख कर दी। साथ आयकरदाताओं के लिए कई सुगम योजनाओं की घोषणा भी है।
अपना आसियाना के लिए वित्त मंत्री ने 15 लाख तक के होम लोन पर एक फीसदी सब्सिडी तथा 25 लाख तक होम लोन पर ब्याज में एक फीसदी सब्सिडी तथा 25 लाख तक होम लोन पर ब्याज में एक फीसदी ब्याज में रियायत देने की घोषणा की है, वहीं समय पर कर्ज चुकाने वाले किसानों को भी ब्याज में 3 फीसदी तक अच्छी-खासी छूट दी है।
बजट की कुछ खास बातें:-
-विमान यात्रा के लिए सर्विस टैक्स बढा। इकॉनमी क्लास में घरेलू विमान यात्राओं के लिए सर्विस टैक्स 50 रूपये, विदेश विमान यात्रा के लिए 250 रूपये बढाया गया। हाई क्लास के लिए सर्विस टैक्स 10 फीसदी।
-यूलिप की तरह जीवन बीमा कंपनियों की अन्य सेवाओं पर सर्विस टैक्स लगाने का प्रस्ताव
-कच्चे सिल्क पर कस्टम ड्यूटी 30 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी की गई
-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए अगले वित्त वर्ष में 7,866 करोड रूपये का प्रावधान
-सर्विस टैक्स की दर 10 फीसदी पर बरकरार
-होटल किराया महंगा हुआ
-महंगे अस्पताल सर्विस टैक्स के दायरे में
- एलईडी टीवी सस्ता हुआ
-बैटरी से चलने वाली गाडियां सस्ती होगी
-ब्रैंडेड कपडे महंगे
-वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने केंद्रीय उत्पाद की मानकदर 10 फीसदी रखने का प्रस्ताव रखा
-टैक्स स्लैब में छूट की सीमा बढाई गई। अब 1.60 लाख रूपए के बदले 1.80 लाख रूपए तक की सालाना आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।
-सीनियर सिटीजन के लिए टैक्स छूट की सीमा 2.40 लाख रूपए से बढाकर 2.50 लाख रूपए की गई। इसके लिए उम्र की सीमा 65 से घटाकर 60 साल की गई।
-सीनियर सिटीजन में एक नई कैटिगरी में बनाई गई है। 80 साल के ऊपर के बुजुर्गो को 5 लाख रूपए तक की सालाना आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। लॉन्ग टर्म इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड पर 20 हजार रूपए तक के निवेश पर टैक्स छूट एक साल की बढाई गई।
-सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों के स्थायी विकलांग होने की स्थिति में 9 लाख रूपए का मुआवजा।
-वेतनभोगी लोगों को अगर कोई अतिरिक्त आय नहीं है तो टैक्स रिटर्न नहीं देना होगा इसीएस से टैक्स भुगतान की सुविधा पूरे देश में होगी।
-पांच बडे शहरों में मेट्रो रेल के लिए विशेष बजट।
-इंदिरा गांधी पेंशन योजना के लिए उम्र 65 से घटाकर 60 साल की गई। 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गो के लिए पेंशन की राशि भी बढाकर 200 से 500 रूपए करने का ऎलान।
-शिक्षा क्षेत्र के लिए 52 हजार करोउ रूपए का प्रावधान।
-दाल का उत्पादन बढाने के लिए 300 करोड रूपए का प्रावधान।
- आंगनबाडी कर्मचारियों और उनके हेल्परों का वेतन दोगुना होगा।
-उत्पाद एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के लिए सरकार संविधान संशोधन बिल इसी साल पेश करेगी।
-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए फंउ 6755 करोड रूपए से बढाकर 7860 करोड रूपए ।
-ऑगेनिक खेती को बढावा देने के लिए कोशिश करेगी सरकार।
-नाबार्ड के लिए 3000 करोड रूपए का प्रावधान।
-नए बैंकों को लाइसेंस देने के लिए विधेयक इसी सेशन में।
-किसानों को 7 प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज मिलता रहेगा, समय पर कर्ज चुकाने वालों को 3 प्रतिशत की छूट मिलेगी।
-वित्तीय सुधारों पर जोर रहेगा। बीमा सुधार बिल, एसआईसी बिल और पेंशन विकास प्राधिकरण बिल इसी सेशन में पेश होगा।
-विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए भारतीय कंपनियों के बॉन्डों में निवेश की सीमा बढेगी।
-होम लोन पर ब्याज दर में 19 प्रतिशत सब्सिडी की सीमा 10 लाख से बढाकर 15 लाख रूपए यानी 15 लाख रूपए तक के होम लोन पर एक प्रतिशत कम ब्याज देना होगा।
-इंडस्ट्री में ग्रोथ रेट 8.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद।
-छोटे सरकारी बैंकों को मदद का ऎलान।
-म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकेंगे एफआईआई।
-केरोसिन और फर्टिलाइजर्स के लिए सब्सिडी सीधे नकदी के रूप में मिलेगी।
-सरकारी कंपनियों में विनिवेश जारी रहेगा।
-सर्विस सेक्टर में 9.3 प्रतिशत ग्रोथ की उम्मीद।
-कृषि में 5.6 प्रतिशत ग्रोथ की उम्मीद।
-गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को मिलेगी सहायता।
-डायरेक्ट टैक्स कोड 1 अप्रैल 2012 से लागू होने की उम्मीद।
-करप्शन एक समस्या है, जिससे सामूहिक रूप से निपटने की जरूरत है।
-भारत का विदेश व्यापार शानदार रहा है।
-महंगाई से निपटने के लिए मार्केटिंग चेन को मजबूत करने की जरूरत।
- दुनिया भर में घोर अनिश्चितता का माहौल है।
-जीडीपी 8.6 प्रतिशत की दर से बढने का अनुमान।
-बजट सरकार के कामकाज में पारदर्शिता की तरफ कदम बढाएगा।
-सर्विस सेक्टर में डबल डिजिट में वृद्धि हो रही है।
-कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
- गांवों में भारी तरक्की दर्ज की गई है।
- विकास के लिए बजट की कमी नहीं होने देंगे।
- ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति दर चिंता का विषय।
-सरकार को अपनी खर्चो पर लगाम लगाने की जरूरत।
ये महंगे हुए:-
- ब्रैंडेड रेडीमेड कपडे
- हवाई यात्रा
- होटल किराया
- ब्रैंडेड सोना
- पंच सितारा अस्पतालों में इलाज कराना
ये सस्ते हुए:-
- स्टील
- एलईडी टीवी
- मोबाइल
- लेजर प्रिंटर
- सीमेंट
- हाईब्रिड कार
- इंपोर्टेड सोलर पैनल
- बैटरी से चलने वाले वाहन
- कागज
- कच्चा रेशम, सिल्क
बजट 2011 - मुख्य बातें
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र में अधिक व्यय पर ज़ोर दिया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि समाज कल्याण के लिए 58 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है.
उन्होंने उम्मीद जताई है कि अर्थव्यवस्था की विकास दर नौ प्रतिशत रहेगी और महँगाई आने वाले महीनों में घटेगी.
हमें उच्च स्तर की विकास दर चाहिए और इस दिशा में नौ प्रतिशत विकास दर का लक्ष्य है. महँगाई चिंता का विषय है. जहाँ तक काले धन का सवाल है, उसके लिए व्यापक क़दम उठाने की ज़रूरत है. संकेत दिए गए हैं कि ये सरकार सुधार की रह पर चल रही है.
बजट 2011-12 की कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
कृषि-ग्रामीण क्षेत्र:
- कृषि क्षेत्र में कर्ज़ के लिए 3.75 लाख करोड़ से बढ़ाकर 4.75 लाख करोड़ रखे गए हैं.
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के बजट को बढ़ाकर 7,860 करोड़ का किया जा रहा है.
- राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के लिए चरणबद्ध तरीके से 30 अरब रुपए दिए जाएँगे.
- नई फ़रटीलाइज़र नीति लाई जाएगी.
- ग्रामीण मूलभूत ढांचे के लिए 180 अरब रुपए का प्रावधान रखा गया है.
- ग्रामीण इलाकों में घरों के लिए मिलनेवाले कर्ज़ कोष को अब 2000 से 3000 करोड़ रुपए किया गया.
- देश के पूर्वी हिस्सों में दूसरी हरित क्रांति के लिए 400 करोड़ की वृद्धि.
ग़रीबों के लिए:
- ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए मिट्टी के तेल, रसोई गैस में मिलनेवाली रियायतें नकद राशि के तौर पर मिलेंगी.
- भुखमरी और कुपोषण जैसी समस्याओं से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय फ़ूड बिल को संसद में पेश किया जाएगा.
- सामाजिक क्षेत्र के लिए बजट में 17 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी.
- आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मासिक वेतन 1500 रुपए प्रति माह से 3000 रुपए, सहायकों का वेतन 750 रुपए से बढ़कर 1500 रुपए होगा.
उद्योग जगत और विनिवेश:
- सार्वजनिक क्षेत्र और अन्य स्रोतों से पूँजी विनिवेश किए जाने से लगभग 400 अरब रुपए जुटाए जाएँगे.
- एक्साइज़ ड्यूटी को बिना बदलाव के दस प्रतिशत पर ही रखा गया है.
- सेबी के साथ पंजीकृत म्यूचुयल फंड अब विदेशी निवेश भी ले पाएँगे.
- बैंकिंग क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 6000 करोड़ रुपए का प्रावधान.
- केंद्रीय एकसाइज़ करों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
- सर्विस टैक्स रेट को भी बिना किसी बदलाव के 10 प्रतिशत पर रखा गया है.
- लगभग 130 उपभोक्ता सामग्रियों पर 1 प्रतिशत एकसाइज़ टैक्स लगाया जाएगा.
शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण:
- शिक्षा क्षेत्र के लिए 24 प्रतिशत की वृद्धि, कुल 52057 करोड़ का प्रावधान.
- प्रारंभिक शिक्षा के लिए 21 हज़ार करोड़ रुपए रखे गए हैं.
- इस साल 20 हज़ार लोगों को प्रशिक्षण, 75 प्रतिशत को नौकरी मिलेगी.
- अनुसूचित जाती व जनजाति के नवीं और दसवीं के 40 लाख छात्रों को स्कॉलरशिप.
- स्वास्थ्य क्षेत्र में 20 प्रतिशत वृद्धि और कुल 26760 करोड़ रुपए का प्रावधान.
आयकर:
- आयकर में छूट की सीमा 1.6 लाख से बढ़ाकर 1.8 लाख की गई.
- वरिष्ठ नागरिक कहलाने के लिए आयु सीमा को 65 से घटाकर 60 कर दिया गया है.
- वरिष्ठ नागरिकों को छूट की सीमा को 2.40 लाख से बढ़ाकर 2.50 लाख किया गया.
- जो वरिष्ठ नागरिक 80 साल के हैं, उनके लिए छूट की सीमा पांच लाख रुपए.
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मोबाइल सस्ते, ब्रांडेड कपड़े मंहगे हुए
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2011-12 के लिए आम बजट पेश करते हुए कहा कि कृषि मशीनरी पर सीमा शुल्क पांच से घटाकर 2.5 फ़ीसदी कर दिया गया है.
लघु सिंचाई उपकरणों पर सीमा शुल्क घटा दिया गया है, स्टेनलेस स्टील स्क्रैप पर कस्टम ड्यूटी ख़त्म कर दी गई है.
क्या सस्ता, क्या महंगा
सस्ता
- हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कारें
- मोबाइल फ़ोन
- होम्योपैथिक दवाइयां
- स्टील
- एसी
- एलईडी
महंगा
- ब्रांडेड कपड़े
- हवाई सफ़र
- होटल के किराये
- ब्रांडेड सोना
सीमेंट उद्योग के लिए ज़रूरी सामान पर शुल्क आधा कर दिया गया है. लौह अयस्क निर्यात पर शुल्क बढ़ा दिया गया है.
एलईडी पर सीमा शुल्क 10 फ़ीसदी से घटाकर पाँच फ़ीसदी कर दिया गया है.
वित्त मंत्री के घोषणा के बाद कई वस्तुएँ महंगी और कई सस्ती हो गई हैं.
महंगा
घरेलू हवाई यात्रियों के लिए हवाई यात्रा होगी महंगी.
ब्रांडेड सोना, ब्रांडेड कपड़े, लौह अयस्क.
बड़े अस्पतालों में इलाज अब और महंगा होगा.
एसी होटलों में ठहरना महंगा होगा.
सस्ता
रेफ्रिजरेटर, स्टील के सामान, कृषि मशीनरी, कच्चा रेशम, सिल्क, मोबाइल फ़ोन, सीमेंट, गाड़ियों के पुर्जे, हाइब्रिड कारें सस्ती होंगे.
होम्योपैथिक दवाइयाँ, एलईडी टीवी, साबुन, स्टेनलेस स्टील स्क्रैप, सौर्य लालटेन और बच्चों के डायपर सस्ते होंगे.
आम आदमी 11 साल टीवी देखने में और 10,500 घंटे मयखाने में गुजारता है
लंदन। क्या आपको पता है कि एक आम पुरूष अपने पूरे जीवन में 11 साल टीवी देखने में गुजार देता है। साथ ही 10,500 घंटे मयखाने में गुजारता है। इस बात का खुलासा एक अनुसंधान में हुआ है। अनुसंधान में यह भी पता चला है कि ब्रिटेन में एक आम आदमी अपने पूरे जीवने में 9 पार्टनर के साथ सेक्स करता है। साथ ही अपनी जुराबें खोजने में एक आदमी एक महीने का वक्त लगाता है। ब्रिटेन में एक आम आदमी अपने डिजाइनर कपडों पर 570 पौंड और बीयर पर 1,144 पौंड खर्च करता है।
उद्दोग जगत की मिश्रित प्रतिक्रिया
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के बजट पर बाज़ार और अर्थशास्त्रियों से मिली जुली प्रतिक्रिया आ रही है. जहाँ कई लोगों ने शिक्षा और कृषि पर वित्त मंत्री के प्रस्तावों का स्वागत किया है, तो दूसरों ने इसे दिशाहीन क़रार दिया है.
आलोचकों के मुताबिक़ इस बजट में किसी बड़े सुधार की कोई घोषणा नहीं की गई है और ये चुनावों को ध्यान में रखकर बनाया गया आम बजट है जिसे लोग कुछ ही दिनों में भूल भी जाएंगे.
'सुधार की कोई घोषणा नहीं'
इंडियन मर्चेंट्स चैंबर की किरण नंदा के अनुसार ऐसे वक़्त जब भारत तेज़ी से तरक्क़ी की राह पर है और उसका मुक़ाबला चीन से है, वित्त मंत्री ने एक महत्वपूर्ण मौक़ा खो दिया है.
अच्छी बात ये है कि बजट ने कोई नुक़सान नहीं किया. खाद्य सुरक्षा बिल के बारे में सरकार का कहना है कि ये आएगा, लेकिन कब, ये साफ़ नहीं है. आर्थिक सुधारों के बारे में इशारे किए गए हैं कि वो होंगे, लेकिन कब, ये साफ़ नहीं है. किसी बड़े आर्थिक सुधार का बजट में कोई ज़िक्र नहीं है.
किरण नंदा,इंडियन मर्चेंट्स चैंबर
वो कहती हैं, ''अच्छी बात ये है कि बजट ने कोई नुक़सान नहीं किया. खाद्य सुरक्षा बिल के बारे में सरकार का कहना है कि ये आएगा, लेकिन कब, ये साफ़ नहीं है. आर्थिक सुधारों के बारे में इशारे किए गए हैं कि वो होंगे, लेकिन कब, ये साफ़ नहीं है. किसी बड़े आर्थिक सुधार का बजट में कोई ज़िक्र नहीं है. उन्होंने ख़र्चों की बात की है, लेकिन इसका अभी भी कोई ज़िक्र नहीं है कि ख़र्चे कितने प्रभावशाली तरीक़े से किए गए हैं.''
कई लोग वित्त मंत्री के इन प्रस्तावों में वित्तीय घाटा 4.6 प्रतिशत के लक्ष्य पर सवाल उठा रहे हैं, ख़ासकर ऐसे वक़्त जब तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ऊपर जा रहे हैं. और ये लक्ष्य ये मानकर तय किया गया है कि देश की जीडीपी में नौ प्रतिशत की तेज़ी से बढ़ोत्तरी होगी.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अर्थशास्त्री डीके जोशी इसे 'स्टेटस को' यानि ऐसा बजट मानते हैं जहाँ वर्तमान स्थिति में ज़्यादा छेड़छाड़ नहीं की गई हो.
वो कहते हैं, ''बजट की कोशिश है कि जो विदेशी निवेश लंबे समय के लिए भारत में आता है, उसको प्रोत्साहित किया जाए. बजट ये मानकर चल रहा है कि जीडीपी में नौ प्रतिशत की दर से बढ़ोत्तरी होगी, जो मेरे ख़्याल से थोड़ा आशावादी है. बजट में गाँवों की अर्थव्यवस्था को सुधारने पर ध्यान दिया गया है. बजट में बहुत कुछ करने की कोशिश की गई है. 4.6 प्रतिशत के वित्तीय घाटे का लक्ष्य उस वक़्त पाया जा सकता है जब सब्सिडी पर लगाम लगा कर रखी जाए, जिसका वादा किया गया है.''
लेकिन हीरानंदानी ग्रुप के निरंजन हीराचंदानी को उम्मीद है कि वित्तमंत्री 4.6 प्रतिशत के वित्तीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे.
उनका कहना है, ''वित्तमंत्री ने कहा है कि वो 40 हज़ार करोड़ रुपए का और विनिवेश इस साल करेंगे. पिछले साल 3जी की नीलामी से पैसा आया था, इस साल वो कोई और संपत्ति बेच देंगे. घरों पर क़र्ज़ के बारे में घोषणाओं से बहुत फ़ायदा नहीं होने वाला. हाउसिंग क्षेत्र में सर्विस टैक्स भी जारी रहेंगे. स्टैंप ड्यूटी बढ़ गई है. एसेसमेंट टैक्स बढ़ गए हैं यानि एक तरफ़ जहाँ सरकार ने गाँव में रहने वाले लोगों का ख़्याल रखा है, शहर में रहने वाले लोगों के घरों की ज़रूरतों पर बहुत ध्यान नहीं दिया है.''
स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (एसईज़ेड) पर मैट नाम का टैक्स लगाना ग़लत है. ये एक तरह से निवेशकों के साथ धोखा है क्योंकि उनसे वायदा किया गया था कि 15 साल तक ये सेक्टर टैक्स-फ़्री रहेगा. अगर उन्हें टैक्स लगाना था तो नई परियोजनाओं पर लगाना चाहिए था, न कि पुरानी.
निरंजन हीराचंदानी
वो कहते हैं, ''स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (एसईज़ेड) पर मैट नाम का टैक्स लगाना ग़लत है. ये एक तरह से निवेशकों के साथ धोखा है क्योंकि उनसे वायदा किया गया था कि 15 साल तक ये सेक्टर टैक्स-फ़्री रहेगा. अगर उन्हें टैक्स लगाना था तो नई परियोजनाओं पर लगाना चाहिए था, न कि पुरानी. अब हिंदुस्तान में 10 हज़ार करोड़ का निवेश एसईज़ेड में हो चुका है. हमारे खुद के प्रोजेक्ट में 500 करोड़ का विदेशी निवेश आया है. वातानुकूलित अस्पतालों पर टैक्स लगाकर वित्तमंत्री पता नहीं क्या संदेश देना चाह रहे हैं. क्या ग़रीब लोगों के अस्पताल वातानुकूलित नहीं होने चाहिए?''
'बजट महत्व खो चुका है'
उधर ऑर्बिस फ़ाइनानशियल लिमिटेड के अतुल गुप्ता के मुताबिक़ बजट अब अपना महत्व खो चुका है.
उनका कहना है, ''वित्त मंत्री ने विदेशी संस्थागत निवेशकों को भारत में म्युचुअल फ़ंड के सहारे निवेश करने का रास्ता खोलने की बात कही है, लेकिन अभी भी इस बारे में कई बातें साफ़ नहीं हैं. बजट में विदेश में रह रहे भारतीय के लिहाज़ से कुछ नहीं कहा गया है. विदेशों में रह रहे भारतीयों या पीआईओ के मुक़ाबले विदेशी निवशकों के लिए भारत में निवेश करना ज़्यादा आसान है. मुझे ख़ुशी होती अगर वित्तमंत्री ने क़दम उठाए होते जिससे विदेशों में रह रहे भारतीयों को भी बराबरी का दर्जा मिल पाता.''
वित्त मंत्री ने साफ़ कहा कि बीमा, पेंशन और बैंकिग के विषय में नए विधेयक संसद के इसी सत्र में पेश किए जाएंगे. ये एक स्वागत योग्य क़दम है. डायरेक्ट टैक्स कोड का एक अप्रैल, 2012 में लागू होना सकारात्मक कदम है.
पी नंदगोपाल, इंडिया फ़र्स्ट लाइफ़ इंश्योरेंस के मैनेजिंग डायरेक्टर
एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज़ के शोध विभाग के प्रमुख जगन्नाधाम थुनुगुंटला के मुताबिक़, ''जब पिछले साल सरकार ने वित्तीय घाटे को 5.5 प्रतिशत तक रखने की बात कही थी, तो वो थोड़ा अनुचित लगा था, लेकिन 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से आए धन से वित्तीय घाटे 5.1 प्रतिशत ही रहा, जो कि काफ़ी अच्छा था. लेकिन वित्तीय घाटे को कम करने के लिए संपत्ति को बेचना शायद अच्छी बात नहीं हो. कॉर्परेटिव सेक्टर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि उन्हें 11,500 करोड़ का डायरेक्ट टैक्स का नुक़सान हो रहा है, लेकिन 11,200 करोड़ का इंडायरेक्ट टैक्स का फ़ायदा भी हो रहा है. एक्साईस ड्यूटी में बढ़ोत्तरी नहीं करना एक निर्भीक क़दम है. भारत में क़रीब तीन करोड़ लोग टैक्स देते हैं. वित्त मंत्री ने इस संख्या को बढ़ाने पर ध्यान दिया है.''
'सकारात्मक क़दम'
इंडिया फ़र्स्ट लाइफ़ इंश्योरेंस के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ डॉक्टर पी नंदगोपाल ने इसे सुधारों की दिशा में सकारात्मक क़दम बताया है.
उनका कहना था, ''वित्त मंत्री ने साफ़ कहा कि बीमा, पेंशन और बैंकिग के विषय में नए विधेयक संसद के इसी सत्र में पेश किए जाएंगे. ये एक स्वागत योग्य क़दम है. डायरेक्ट टैक्स कोड का एक अप्रैल, 2012 में लागू होना सकारात्मक कदम है.''
पार्श्वनाथ डेवलेपर्स लिमिटेड के चेयरमैन प्रदीप जैन ने वित्तमंत्री को रिएल इस्टेट सेक्टर की ओर ध्यान देने पर बधाई दी.
उनका कहना था, ''प्रायोरिटी होम लोन की सीमा 20 लाख रुपए से 25 लाख तक करने से निचले इनकम ग्रुप के ख़रीदारों को फ़ायदा होगा. एक प्रतिशत के इंटरेस्ट सबवेंशन यानि सरकार की ओर से 25 लाख के घर तक के लिए 15 लाख के ऋण पर एक प्रतिशत की सब्सिडी से कम क़ीमत में घर पाने में मदद मिलेगी. इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉंड्स में विदेशी निवेश की सीमा 25 अरब तक किए जाने से इस सेक्टर में फ़ंडिग की समस्या को हटाने में मदद मिलेगी.''
फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन एक्सपोर्ट के प्रमुख रामू एस देवरा के मुताबिक़ उनके कई सुझावों को वित्तमंत्री ने मान लिया है जैसे कि कच्चे सिल्क, टेक्सटाइल में काम आने वाले सामान, केमिकल सेक्टर में काम आने वाले सामान.
उधर स्टॉक ब्रोकिंग फ़र्म एंजल ब्रोकिंग ने बजट को ऑटो सेक्टर के लिए सकारात्मक बताया है क्योंकि एक्साइज़ ड्यूटी में कोई फेरबदल नहीं किया गया है.
'मंहगाई और काले धन पर बजट में कुछ नहीं'
इच्छाओं के डाक्यूमेंट के तौर पर यह बजट बहुत घोषणाएं करता है. जैसे दो हज़ार से ज़्यादा की जनसंख्या वाले हर एक गांव में एक बैंक होगा.
अल्पसंख्यकों को दिए जाने वाले क़र्ज़ में बढ़ोत्तरी होगी. विदेशों में जो रक़म भारत से गई है, उसे वापस लाने की कोशिश की जाएगी.
क़र्ज़ चुकाने वाले किसानों को तीन प्रतिशत की छूट दी जाएगी. सारी पंचायतें ब्रॉडबैंड इंटरनेट से जुड़ जाएंगीं.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों को क़रीब 20 हज़ार करोड़ रुपए की पूंजी दी जाएगी.
अक्तूबर, 2010 से दस लाख यूनिक आइडेंटिटी कार्ड दिए जाएंगे. ब्रांडेड कपड़े 10 प्रतिशत तक महंगे होंगे.
महंगाई और काले धन के मामले में सिर्फ बातों के अलावा बजट ने कुछ नहीं किया है.महंगाई कहीं भी, किसी स्तर पर बजट के बाद कम होती नहीं दिख रही है, बल्कि कपड़े महंगे हुए हैं. काले धन को देखें, तो सिर्फ हवाई घोषणाएं हैं. यानी काले धन पर बजट ने कुछ ख़ास नहीं किया है.
आलोक पुराणिक
विदेशी निवेशक भी भारतीय म्युचुअल फ़ंड में निवेश कर सकेंगे. हवाई जहाज़ की घरेलू यात्रा और महंगी होगी.
मेडिकल टेस्ट सेवाओं पर अब सेवाकर लगेगा लेकिन सेवाकर में बढ़ोत्तरी नहीं की गई है. यह 10 प्रतिशत पर ही रखा गया है.
नए बैंक बनाने के लिए बिल जल्द आएगा. नई कंपनी बिल भी जल्द आएगा.
कोल्ड स्टोरेज उद्योग को राहत दी गई है. कंपनियों पर लगने वाला सरचार्ज 7.5 प्रतिशत से कम कर पांच प्रतिशत कर दिया गया है पर कंपनियों पर लगने वाला न्यूनतम वैकल्पिक कर 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.50 प्रतिशत बढ़ाकर कर लिया जाएगा.
2011-12 में सार्वजनिक इकाइयों के शेयरों से विनिवेश का लक्ष्य 40 हज़ार करोड़ रखा गया है. 2012 तक तमाम सब्सिडी को सीधे ज़रुरतमंदों को नग़द दिया जा सकेगा.
करमुक्त आय एक लाख 60 हज़ार रुपए से बढ़कर एक लाख 80 हज़ार रुपए कर दी गई है, यानी क़रीब दो हजार रुपए का फ़ायदा होने के आसार है.
महंगाई की गति बहुत तेज़ी से बढ़ रही है, पर महंगाई से निपटने के लिए दो हज़ार की रक़म कम है.
'सिर्फ़ घोषणाएं'
आम आदमी के इस्तेमाल के लिए प्रयोग होने वाली चीजों, रोटी, कपड़ा और मोबाइल की बात करें तो रोटी सस्ती नहीं हुई है, कपड़ा महंगा हुआ है और मोबाइल के प्रयोग में कोई राहत नहीं मिली है.
यानी अगर दो महत्वपूर्ण चुनौतियों के संदर्भ में देखें, तो साफ़ होता है कि महंगाई और काले धन के मामले में सिर्फ बातों के अलावा बजट ने कुछ नहीं किया है.
महंगाई कहीं भी, किसी स्तर पर बजट के बाद कम होती नहीं दिख रही है, बल्कि कपड़े महंगे हुए हैं. काले धन को देखें, तो सिर्फ हवाई घोषणाएं हैं. काले धन पर अध्ययन किया जाएगा, फिर क़दम उठाये जाएंगे. यानी काले धन पर बजट ने कछ ख़ास नहीं किया है.
शेयर बाजार ज़रुर खुश है. पर शेयर बाजार का ताल्लुक़ पूरी अर्थव्यवस्था से नहीं, कुछ संपन्न निवेशकों और कॉरपोरेट सेक्टर से है.
आलोक पुराणिक
एक बात जो समझ में नहीं आ रही है वो ये कि जिन उद्योगों से ज़्यादा वसूली की जा सकती थी, उनसे अधिक वसूली नहीं की गई.
उदाहरण के लिए ऑटो क्षेत्र में ज़बरदस्त तेज़ी देखी जा रही है. कई कारों और बाइकों को हासिल करने के लिए लगने वाली प्रतीक्षा सूची लगातार लंबी होती जा रही है.
क़रीब 30 प्रतिशत सालाना के हिसाब से ऑटो क्षेत्र में तेज़ी दर्ज की गई है. इस उद्योग पर अगर थोड़ा सा कर ज़्यादा लग जाता, तो कुछ ख़ास फ़र्क़ देने वालों की जेब पर नहीं पड़ता. पर इस क्षेत्र से कर की वसूली को जस का तस रखा गया है.
काले धन को बाहर लाने के लिए कुछ ठोस सुझाव इस बजट में आएंगे, ऐसी उम्मीद की जा रही थी. पर काले धन को बाहर निकालने की कोई इच्छा या शक्ति सरकार में दिखाई नहीं देती.
काले धन का अगर एक हिस्सा भी बाहर आ पाए, तो सरकार को बहुत फ़ायदा हो सकता है. पर काले धन को लेकर सरकार और बजट में कोई चिंता नहीं दिखाई देती है.
बाज़ार उत्साहित
सवाल है कि इस बजट से फिर किसे क्या मिला है?
इस बजट से शेयर बाज़ार उत्साहित है, बजट के फ़ौरन बाद 400 बिंदुओं से ऊपर चला गया. बाज़ार इसलिए उत्साहित है कि बजट ने कॉरपोरेट सेक्टर के लिए, कॉरपोरेट सेक्टर के मुनाफ़ो के लिए कोई नकारात्मक घोषणा नहीं की. करों में बढ़ोत्तरी नहीं हुई.
शेयर बाजार ज़रुर खुश है, पर शेयर बाजार का ताल्लुक़ पूरी अर्थव्यवस्था से नहीं, कुछ संपन्न निवेशकों और कॉरपोरेट सेक्टर से है.
ऑटो सेक्टर के शेयर बहुत उछले. पहले आशंका थी कि ऑटो क्षेत्र की तेज़ी के बाद इस क्षेत्र पर लगने वाले करों में बढ़ोत्तरी हो सकती है. लेकिन ऐसा नही हुआ.
बजट के ठीक पहले एक अध्ययन में यह साबित हुआ था कि सार्वजनिक वितरण व्यवस्था यानी राशन व्यवस्था का क़रीब 55 प्रतिशत सामान काले बाज़ार में बिकने के लिए जाता है.
राशन की व्यवस्था में सुधार हो सके, तो महंगाई को झेलने के लिए कुछ ठोस तैयारी संभव है. पर बजट ने राशन व्यवस्था के बारे में कुछ नहीं कहा.
यानी कुल मिलाकर यह साफ़ हुआ है कि आम आदमी के लिए रोटी, कपड़ा और मोबाइल सस्ता नहीं हुआ है. राशन पर कुछ नहीं हुआ है. काले धन पर कुछ नहीं हुआ है.
शेयर बाजार ज़रुर खुश है, पर शेयर बाजार का ताल्लुक़ पूरी अर्थव्यवस्था से नहीं, कुछ संपन्न निवेशकों और कॉरपोरेट सेक्टर से है.