एक पृष्ठ सूचना का मूल्य 50 रूपया-ये लोक निर्माण विभाग,कर्णप्रयाग की रेट लिस्ट है.
सूचना अधिकार कानून के तहत सूचना मांगने वाले वाले को प्रति पृष्ठ 2 रुपये की दर से सूचना उपलब्ध करवाने का प्रावधान है.लेकिन प्रांतीय खंड,लोक निर्माण विभाग,कर्णप्रयाग ने शायद अपनी कोई निजी रेट लिस्ट बनायी हुई है,जिसमें एक पृष्ठ का मूल्य 50 रूपया निर्धारित है. लोक निर्माण विभाग,कर्णप्रयाग द्वारा 50 रूपया प्रति पृष्ठ के दर से सूचना का शुल्क जमा कराने को कहा गया-उमट्टा के पूर्व ग्राम प्रधान और परिवर्तन यूथ क्लब के संयोजक अरविन्द सिंह चौहान से. अरविन्द सिंह चौहान ने 18 मार्च को लोक निर्माण विभाग,कर्णप्रयाग से पिंडर नदी पर बन रहे पुल की मूल डी.पी.आर. और ड्राइंग तथा रिवाइज्ड डी.पी.आर. की प्रति मांगी.न जाने इस दो बिंदु की सूचना में ऐसा क्या राज है कि लोक निर्माण विभाग,कर्णप्रयाग ने इसे न देने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है.
लोक निर्माण विभाग,कर्णप्रयाग के लोक सूचना अधिकारी(सहायक अभियंता) द्वारा दिनांक 30 मार्च 2015 को भेजे पत्र पत्रांक संख्या 967/सू.का.अ. के जरिये अरविन्द को बताया कि "पुल की मूल डी.पी.आर.को एवं रिवाईज डी.पी.आर. की प्रति ड्राइंग में क्रमशः 60 पृष्ठ,124 पृष्ठ तथा ड्राइंग में 32 पृष्ठ हैं,जो कनिष्ठ अभियंता प्राविधिक(अनुभाग) में उपलब्ध है." लेकिन यह नहीं बताया कि उक्त सूचना के लिए कुल कितना शुल्क जमा करना होगा. जबकि सूचना अधिकार अधिनियम,2005 की धारा 7(3)(a) में यह स्पष्ट उल्लेख है कि लोक सूचना अधिकारी,आवेदक को सूचना प्रदान करने के लिए आवश्यक शुल्क का ब्यौरा उपलब्ध करवाएगा और निर्धारित शुल्क की गणना(calculation) भी स्पष्ट करेगा.
उक्त पत्र के उत्तर में अरविन्द चौहान द्वारा 11 अप्रैल 2015 को पत्र भेज कर सूचना अधिकार अधिनियम,2005 की धारा 2(j)(iv) तथा 7(9) का हवाला देते हुए आग्रह किया कि सूचना उन्हें सी.डी.में उपलब्ध करवाई जाए.इस पत्र के जवाब में लोकसूचना अधिकारी,प्रांतीय खंड,लोकनिर्माण विभाग,कर्णप्रयाग द्वारा पत्रांक 1252/आर.टी.आई. दिनांक 01 मई 2015 में कार्यालय में स्कैनर न होने का हवाला देते हुए सी.डी.में सूचना देने में असमर्थता प्रकट की गयी और कहा गया कि पुल की मूल डी.पी.आर. और रिवाइज्ड डी.पी.आर. की फोटोस्टेट प्रति 2.00 रूपया प्रति पृष्ठ एवं बड़े नक़्शे बाजार दर के हिसाब से दिए जा सकते हैं.कुल शुल्क का ब्यौरा इस पत्र में भी नदारद था. यह भी बेहद आश्चर्यजनक है कि सूचना प्रौद्योगिकी के अत्याधिक उन्नति के दौर में कोई सरकारी विभाग यह कहे कि वह सी.डी. में सूचना उपलब्ध नहीं करवा सकता है.
19 मई 2015 को अरविन्द चौहान ने लो,नि.वि.को लिखा कि वे जिस प्रारूप में चाहें सूचना उपलब्ध करवा दें और यह स्पष्ट कर दें कि सूचना के लिए कुल कितना शुल्क जमा करना होगा.उक्त पत्र के जवाब में जो पत्र लो.नि.वि.ने भेजा,वह सरकारी ढीटता का चरम नमूना था. दिनांक 18 जून 2015 को भेजे गए,पत्रांक संख्या 1864/सू.का.अधि. वाले पत्र में लोकसूचना अधिकारी,प्रांतीय खंड,लोकनिर्माण विभाग,कर्णप्रयाग ने लिखा है कि "सूचना के क्रम में 72 पृष्ठ उपलब्ध हैं.जिसके लिए आपको प्रति पृष्ठ 50.00 की दर से जमा कराना होगा,जो 72 पृष्ठ x 50 =3,600.00 मात्र के हिसाब से किसी भी कार्यालय दिवस में 3,600.00(तीन हजार छह सौ) जमा कर सूचना प्राप्त कर सकते हैं." प्रति पृष्ठ 50 रूपया सूचना की दर कब,कहाँ और कैसे निर्धारित हुई यह समझ से परे है.सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 की धारा 7(5) में यह स्पष्ट उल्लेख है कि शुल्क तर्कसंगत (reasonable) होना चाहिए.लेकिन 50 रूपया प्रति पृष्ठ तो किसी भी हालत में तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता. यह भी गौरतलब है कि लोकसूचना अधिकारी,प्रांतीय खंड,लोकनिर्माण विभाग,कर्णप्रयाग द्वारा स्वयं भी पत्रांक 1252/आर.टी.आई. दिनांक 01 मई 2015 में बिना कुल पृष्ठों के उल्लेख के सूचना की दर 2 रूपया प्रति पृष्ठ बतायी गयी थी तो 18 जून 2015 को भेजे गए पत्र जिसका पत्रांक संख्या 1864/सू.का.अधि. है,में सूचना की दर प्रति पृष्ठ 50 रूपया कैसे हो गयी? इसी तरह 30 मार्च 2015 को भेजे पत्र पत्रांक संख्या 967/सू.का.अ. लोकसूचना अधिकारी, प्रांतीय खंड,लोकनिर्माण विभाग,कर्णप्रयाग द्वारा बताया गया कि पुल की मूल डी.पी.आर.को एवं रिवाईज डी.पी.आर. की प्रति ड्राइंग में क्रमशः 60 पृष्ठ,124 पृष्ठ तथा ड्राइंग में 32 पृष्ठ हैं.उक्त पृष्ठों की संख्या का कुल योग किया जाए तो वह होगा-216. लेकिन दिनांक 18 जून 2015 को भेजे गए,पत्रांक संख्या 1864/सू.का.अधि. वाले पत्र में लोकसूचना अधिकारी,प्रांतीय खंड,लोकनिर्माण विभाग,कर्णप्रयाग कुल पृष्ठों की संख्या 72 बता रहे हैं.
इन सब बातों से स्पष्ट है कि लो.नि.वि.कर्णप्रयाग किसी भी हालत में पिंडर नदी पर बन रहे पुल की मूल व रिवाइज्ड डी.पी.आर. किसी भी हाल में सार्वजनिक नहीं होने देना चाहता है.यह इंगित करता है कि पुल निर्माण कार्य में कुछ गंभीर अनियमितता और भ्रष्टाचार है,जिसकी पोल खुलने के डर से लोक निर्माण विभाग सूचना अधिकार कानून की धज्जियाँ उड़ाने पर उतारू है.
सूचना न देने के विरुद्ध अरविन्द चौहान ने सूचना आयोग में शिकायत की है.
गौरतलब है कि यह सूचना, कर्णप्रयाग में पिंडर नदी पर बनने वाले उस पुल के सन्दर्भ में मांगी गयी है,जिस पुल को खड़ा करने के लिए पिंडर नदी के दो छोरों पर दो गेटनुमा ढाँचे खड़े किये गए थे.इनमें से एक ढांचा 25 जून की रात को आई बारिश में नदी के पानी का वेग न सह सका और धराशायी हो गया.इस पुल के निर्माण की लागत बीते कुछ सालों में, पी.डब्ल्यू.डी. के अनुसार 4 करोड़ से बढ़ा कर 8 करोड़ से अधिक हो चुकी है. पी.डब्ल्यू.डी. का वायदा तो 30 जून तक पुल यातायात के लिए खोलने का था.पर पुल टिकाने का ढांचा तो 25 जून की रात ही बह गया है.जब पुल की कीमत बिना एक ईंट रखे,4 करोड़ से आठ करोड़ रुपये हो जायेगी और उसे टिकाने के लिए खड़ा किया गया ढांचा पहली बारिश में बह जाएगा तो सारी ताकत सूचना छुपाने और खबरें मैनेज करने पर ही तो लगानी होगी.
(नोट-सूचना न देने के इस प्रकरण का समाचार चमोली जिले के जिला मुख्यालय गोपेश्वर पर स्थित प्रमुख समाचार पत्रों-दैनिक जागरण,राष्ट्रीय सहारा,अमर उजाला,हिन्दुस्तान को भेजा गया.इसे प्रमुखता से जगह दी-दैनिक जागरण ने और फिर राष्ट्रीय सहारा ने.जिस तरह दैनिक जागरण के संवाददाता को लोक निर्माण विभाग ने प्रलोभन देने की कोशिश की,उस नजरिये से देखें तो खबर न छपने पर संदेह होना तो लाजमी है)
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