बापू हम शर्मिंदा हैं आपके कातिल जिंदा हैं - सिधौली, सीतापुर में हुई सभा
सिधौली/सीतापुर 10 जनवरी 2015। गुजरात में सरदार पटेल की विशाल लौह
प्रतिमा लगाने और पटेल जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस घोषित करने वाली
मौजूदा केंद्र सरकार से यह सवाल पूछा जाना जरूरी है कि गांधी हत्या के
मामले में उसका क्या नजरिया है ? गोडसे अगर राष्ट्रभक्त है तो गांधी जी
क्या हैं ? गांधी जी की हत्या में लगे लोग कौन थे ? किन संगठनों से जुडे़
थे, और किस जहरीली विचारधारा से पनपे थे। यह बात शनिवार को तहसील सिधौली
में शहीद स्मारक स्थल पर आयोजित विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा आयोजित
संगोेष्ठी को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कही।
सोशलिस्ट पार्टी इण्डिया, नफरत एवं हिंसा के खिलाफ मानवीय एकता, जनमुक्ति
संघर्ष वाहिनी और अखिल भारतीय प्रबुद्ध मंच के संयुक्त प्रयास से आयोजित
गोष्ठी बापू हम शर्मिंदा हंै, आपके कातिल जिन्दा हैं । गोष्ठी को
जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी के राष्ट्रीय नेता अशोक ने सम्बोधित करते हुए कहा
गांधी जी की हत्या आजादी के केवल साढ़े पांच महीने के बाद 30 जनवरी 1948
को कर दी गई। लेकिन इसके पहले गांधी जी की हत्या की पांच और कोशिशंे हो
चुकी थीं, आजादी के पहले चार बार और आजादी के बाद दो बार। गांधी जी के
हत्यारे नाथूराम गोडसे सहित अन्य साजिशकर्ता इन कोशिशो में लम्बे समय से
लगे थे। 4 फरवरी 1948 को सरदार पटेल ने अपने मन की बात लिखकर स्पष्ट की
थी-राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की करतूतों से व्यक्तिगत हत्या आर हिंसा का
वातावारण निर्माण हुआ और उसी के कारण गांधी जी की हत्या हुई। गांधी के
हत्यारे गोडसे को राष्ट्रभक्त बताने और उसके स्मारक मन्दिर बनाने के
जरिये जहरीली राष्ट्रविरोधी धारा ने अपने छद्म को उतार फेंका है और अपने
असली राष्ट्र विरोधी-मानवता विरोधी चेहरे को बेनकाब किया है।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए सोशलिस्ट पार्टी इण्डिया के राष्ट्रीय
उपाध्यक्ष एवं रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डाॅ0 सन्दीप पाण्डेय
ने कहा कि देश में विभाजनकारी शक्तियों के हौसले बेहद बुलन्द है, लेकिन
इन फाॅसिस्टवादी शक्तियों के हौसले चूर-चूर किए जाएंगे। उन्होंने आगे कहा
कि डालर पर जार्ज वाशिंगटन की तस्वीर और भारत के नोट पर गांधी की तस्वीर
नही होगी तो किसकी होगी। मोदी की होगी या गोडसे की। अगर नोट से गांधी की
तस्वीर हट गई तो देश में भ्रष्टाचार बढ़ जाएगा। देश के भ्रष्टाचार पर
गांधी की नजर है। लेकिन आज के भाषणोे से यह भरोसा हो गया है कि गोडसे का
मन्दिर नही बनेगा।
शिक्षाविद् बाबूराम पाण्डेय ने कहा कि महात्मा गांधी मरकर भी नही मरे।
गोडसे मारने के साथ ही मर गये। लेकिन जब तक दुनिया रहेगी गांधी जिन्दा
रहेंगे। गोडसे के मन्दिर बनाने की घोषणा करने वाले लोग किसी लायक नही रह
जाएंगे। हमारे देश में हिन्दुत्वादी उन्माद को उभारने की कोशिशें हो रही
है, जो प्राचीन काल से चली आ रही भारतीय मान्यताआंे और गांधी के विचारांे
से अनुप्राणित राष्ट्रीय आंदोलन की धर्म बहुलतावादी परम्परा के सामने बडी
चुनौती है। साहित्यकार डा0 रिजवान अंसारी ने कहा कि हमारा मुल्क सदियों
से यकजहती,मेल मोहब्बत में यकीन रखने वाला देश है। कोई इख्तेलाफ नही।
हिन्दुस्तान में किसी हिन्दू बन्दे ने अपने बेटे का नाम नाथूराम के नाम
पर रखने की कोशिश नही की और कोई मुसलमान अपने बेटे का नाम यजीद नही रखता।
गोडसे ने इंसानियत पर वार किया था, हिन्दुस्तान के गरीबों के हक पर हमला
किया था उसका मन्दिर बनाने का मतलब जालिम का मन्दिर बनाना है।
उन्नाव से आये नसीर अहमद ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा गांधी केेवल
राष्ट्र पिता नही, विचार धारा है। गांधी पूरे विश्व की हस्ती है। उनके
हत्यारे का मन्दिर बनाना कितना शर्मनाक है। अच्छाई को जिन्दा रखने के
लिये खून में गर्मी आनी चाहियें सत्य के लिये आवाज उठाई जानी चाहिए। नगर
पंचायत सिधौली के पूर्व अध्यक्ष डा0 अवधेश श्रीवास्तव ने कहा कि आज देश
उस मुहाने की तरफ जा रहा है। जहां खतरे ही खतरे हैं गोडसे के मन्दिर
बनाने के हालात पैदा हो गए है। जो गोडसे के मन्दिर बनाना चाहतें है।
उन्होंने सीतापुर में मन्दिर बनाए जाने की घोषणा पर गहरा एतराज जताया।
सामाजिक कार्यकर्ता शरद जायसवाल ने कहा कि गोडसे सन्दर्भ ने पहली
प्रतिक्रिया पूरे देश में सिधौली से हो रही है। देश में जो गोडसे मन्दिर
बनाने के तमाशे कर रहें है। उनकी ताकत बढ़ गई है। आज वे गांधी की शव
यात्रा निकालने तक उतर आए हैं। सोशिलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
एडवोकेट डाॅ शुऐब ने कहा कि हमें बचपन से पढ़ाया जाता रहा कि एक था
राजा।तो प्रजा भी तो होगी। हम लोग नए राजाओं की जद में आ गए हैं। गोष्ठी
को राजवीर सिंह यादव, रिहाई मंच के राजीव यादव, रोहित सिंह, मुन्नालाल
आदि ने संबोधित किया । संचालन अनुराग आग्नेय ने किया। इस मौके पर
बुद्धप्रकाश, रामसागर, रामनाथ, आरडी वर्मा, रामकुमार ,उमेश बाजपेई, अंशू
तिवारी सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
द्वारा-
अनुराग आग्नेय
सिधौली/सीतापुर 10 जनवरी 2015। गुजरात में सरदार पटेल की विशाल लौह
प्रतिमा लगाने और पटेल जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस घोषित करने वाली
मौजूदा केंद्र सरकार से यह सवाल पूछा जाना जरूरी है कि गांधी हत्या के
मामले में उसका क्या नजरिया है ? गोडसे अगर राष्ट्रभक्त है तो गांधी जी
क्या हैं ? गांधी जी की हत्या में लगे लोग कौन थे ? किन संगठनों से जुडे़
थे, और किस जहरीली विचारधारा से पनपे थे। यह बात शनिवार को तहसील सिधौली
में शहीद स्मारक स्थल पर आयोजित विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा आयोजित
संगोेष्ठी को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कही।
सोशलिस्ट पार्टी इण्डिया, नफरत एवं हिंसा के खिलाफ मानवीय एकता, जनमुक्ति
संघर्ष वाहिनी और अखिल भारतीय प्रबुद्ध मंच के संयुक्त प्रयास से आयोजित
गोष्ठी बापू हम शर्मिंदा हंै, आपके कातिल जिन्दा हैं । गोष्ठी को
जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी के राष्ट्रीय नेता अशोक ने सम्बोधित करते हुए कहा
गांधी जी की हत्या आजादी के केवल साढ़े पांच महीने के बाद 30 जनवरी 1948
को कर दी गई। लेकिन इसके पहले गांधी जी की हत्या की पांच और कोशिशंे हो
चुकी थीं, आजादी के पहले चार बार और आजादी के बाद दो बार। गांधी जी के
हत्यारे नाथूराम गोडसे सहित अन्य साजिशकर्ता इन कोशिशो में लम्बे समय से
लगे थे। 4 फरवरी 1948 को सरदार पटेल ने अपने मन की बात लिखकर स्पष्ट की
थी-राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की करतूतों से व्यक्तिगत हत्या आर हिंसा का
वातावारण निर्माण हुआ और उसी के कारण गांधी जी की हत्या हुई। गांधी के
हत्यारे गोडसे को राष्ट्रभक्त बताने और उसके स्मारक मन्दिर बनाने के
जरिये जहरीली राष्ट्रविरोधी धारा ने अपने छद्म को उतार फेंका है और अपने
असली राष्ट्र विरोधी-मानवता विरोधी चेहरे को बेनकाब किया है।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए सोशलिस्ट पार्टी इण्डिया के राष्ट्रीय
उपाध्यक्ष एवं रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डाॅ0 सन्दीप पाण्डेय
ने कहा कि देश में विभाजनकारी शक्तियों के हौसले बेहद बुलन्द है, लेकिन
इन फाॅसिस्टवादी शक्तियों के हौसले चूर-चूर किए जाएंगे। उन्होंने आगे कहा
कि डालर पर जार्ज वाशिंगटन की तस्वीर और भारत के नोट पर गांधी की तस्वीर
नही होगी तो किसकी होगी। मोदी की होगी या गोडसे की। अगर नोट से गांधी की
तस्वीर हट गई तो देश में भ्रष्टाचार बढ़ जाएगा। देश के भ्रष्टाचार पर
गांधी की नजर है। लेकिन आज के भाषणोे से यह भरोसा हो गया है कि गोडसे का
मन्दिर नही बनेगा।
शिक्षाविद् बाबूराम पाण्डेय ने कहा कि महात्मा गांधी मरकर भी नही मरे।
गोडसे मारने के साथ ही मर गये। लेकिन जब तक दुनिया रहेगी गांधी जिन्दा
रहेंगे। गोडसे के मन्दिर बनाने की घोषणा करने वाले लोग किसी लायक नही रह
जाएंगे। हमारे देश में हिन्दुत्वादी उन्माद को उभारने की कोशिशें हो रही
है, जो प्राचीन काल से चली आ रही भारतीय मान्यताआंे और गांधी के विचारांे
से अनुप्राणित राष्ट्रीय आंदोलन की धर्म बहुलतावादी परम्परा के सामने बडी
चुनौती है। साहित्यकार डा0 रिजवान अंसारी ने कहा कि हमारा मुल्क सदियों
से यकजहती,मेल मोहब्बत में यकीन रखने वाला देश है। कोई इख्तेलाफ नही।
हिन्दुस्तान में किसी हिन्दू बन्दे ने अपने बेटे का नाम नाथूराम के नाम
पर रखने की कोशिश नही की और कोई मुसलमान अपने बेटे का नाम यजीद नही रखता।
गोडसे ने इंसानियत पर वार किया था, हिन्दुस्तान के गरीबों के हक पर हमला
किया था उसका मन्दिर बनाने का मतलब जालिम का मन्दिर बनाना है।
उन्नाव से आये नसीर अहमद ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा गांधी केेवल
राष्ट्र पिता नही, विचार धारा है। गांधी पूरे विश्व की हस्ती है। उनके
हत्यारे का मन्दिर बनाना कितना शर्मनाक है। अच्छाई को जिन्दा रखने के
लिये खून में गर्मी आनी चाहियें सत्य के लिये आवाज उठाई जानी चाहिए। नगर
पंचायत सिधौली के पूर्व अध्यक्ष डा0 अवधेश श्रीवास्तव ने कहा कि आज देश
उस मुहाने की तरफ जा रहा है। जहां खतरे ही खतरे हैं गोडसे के मन्दिर
बनाने के हालात पैदा हो गए है। जो गोडसे के मन्दिर बनाना चाहतें है।
उन्होंने सीतापुर में मन्दिर बनाए जाने की घोषणा पर गहरा एतराज जताया।
सामाजिक कार्यकर्ता शरद जायसवाल ने कहा कि गोडसे सन्दर्भ ने पहली
प्रतिक्रिया पूरे देश में सिधौली से हो रही है। देश में जो गोडसे मन्दिर
बनाने के तमाशे कर रहें है। उनकी ताकत बढ़ गई है। आज वे गांधी की शव
यात्रा निकालने तक उतर आए हैं। सोशिलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
एडवोकेट डाॅ शुऐब ने कहा कि हमें बचपन से पढ़ाया जाता रहा कि एक था
राजा।तो प्रजा भी तो होगी। हम लोग नए राजाओं की जद में आ गए हैं। गोष्ठी
को राजवीर सिंह यादव, रिहाई मंच के राजीव यादव, रोहित सिंह, मुन्नालाल
आदि ने संबोधित किया । संचालन अनुराग आग्नेय ने किया। इस मौके पर
बुद्धप्रकाश, रामसागर, रामनाथ, आरडी वर्मा, रामकुमार ,उमेश बाजपेई, अंशू
तिवारी सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
द्वारा-
अनुराग आग्नेय
7 Attachments
Preview attachment DSC01822.JPGPreview attachment DSC01824.JPGPreview attachment DSC01840.JPGPreview attachment DSC01865.JPGPreview attachment DSC01890.JPGPreview attachment DSC01902.JPGPreview attachment news sidhauli sitapur.docx
DSC01822.JPG
DSC01824.JPG
DSC01840.JPG
DSC01865.JPG
DSC01890.JPG
DSC01902.JPG
news sidhauli sitapur.docx
No comments:
Post a Comment