भोपाल. मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में हुए सामूहिक विवाह समाहोर में वहां मौदूद सभी दुल्हनों के कौमार्य परीक्षण का आदेश दिया गया था जिसमें भाग ले रही 152 दुल्हनों का वर्जीनिटी और प्रेगनेंसी टेस्ट किया गया। इस टेस्ट में 14 लड़कियां ऐसी निकली जो गर्भवती थी।
गरीब लोगों की लड़कियों के विवाह में मदद के लिए मुख्यमंत्री कल्याण योजना के अंतर्गत सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया जाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गरीब लोगों की लड़कियों की शादी के लिए यह योजना बनाकर सहायता कर रहे हैं। इस योजना के तहत विवाह समारोह में आ रहे सारे खर्चे को सरकार वहन करती है। सरकार विवाहित जोड़ों को 5 हजार रुपए की सामग्री भी भेंट स्वरुप देती है।
30 जून को हुए सामूहिक विवाह समारोह में दुल्हनों ने वरमाला पहनाकर अपने-2 जीवनसाथी का चुनाव किया लेकिन इसके पहले सामूहिक विवाह के आयोजकों ने समारोह को एकाएक रोक दिया था और विवाह में भाग ले रही 152 दुल्हनों के प्रेगनेंसी टेस्ट का आदेश दे डाला। शहडोल जिले के हॉस्पिटल की रीना गौतम ने बताया कि रिपोर्ट में 14 लड़कियां के गर्भवती होने के साफ संकेत मिले हैं। जिसके बाद यह मालूम पड़ता है कि ये लड़कियां उम्रदराज हैं।
सूत्रों के अनुसार घटना स्थल पर स्थानीय विधायक सुंदर सिंह और जिलाधिकारी भी मौजूद थे। जांच के बाद 152 लड़कियों में से 138 लड़कियों का विवाह संपन्न कराया गया।
एक स्थानीय व्यक्ति के मुताबकि, कुछ दलालों ने पैसा लेकर इन प्रेगनेंट लड़कियों को कम उम्र बताकर शादी समारोह में शामिल करवाया था। इन लड़कियों के परिवार वालों से दलाल अच्छा-खासा पैसा लेते थे और यह लालच देते थे कि डरने की कोई बात नहीं शादी बड़े आराम से हो जाएगी। जिसके बाद इस बात की भनक स्थानीय अधिकारियों को लग गई और फिर तुरंत कार्रवाई करते हुए विवाह समारोह में शामिल सभी लड़कियों का कौमार्य टेस्ट करने का आदेश दे दिया गया।
सामूहिक विवाह में भाग ले रही एक लड़की ने बताया कि सबसे पहले तो अधिकारियों के आदेश की उन्होंने आलोचना की लेकिन जब अधिकारियों ने बताया कि टेस्ट के बाद ही विवाह समारोह में प्रवेश हो पाएगा तो मजबूरन टेस्ट के दौर से गुजरना पड़ा।
शहड़ोल के जिलाधिकारी नीरज ने बताया कि इस जांच के लिए हमने योग्य अधिकारियों की टीम बनाई है, जिसके बाद दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दैनिक हिन्दुस्तान
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कौमार्य परीक्षण पर विवाद बढ़ा
मध्य प्रदेश में सरकारी सामूहिक विवाह सम्मलेन के पहले कौमार्य परीक्षण कराए जाने का मसला तूल पकड़ता जा रहा है.
सोमवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष गिरिजा व्यास ने राज्य सरकार से इस मामले में शाम छह बजे तक जवाब देने को कहा है. दूसरी तरफ राज्यसभा में भी इस मसले पर काफी हंगामा हुआ.
गिरिजा व्यास ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने राज्य सरकार से फ़ोन पर जवाब तलब किया है क्योंकि मसला संजीदा था. उन्होंने इस मामले में सरकार को चिट्ठी भी लिखी है.
उन्होंने कहा, "वो कह रहे हैं की ये कौमार्य परिक्षण नहीं था पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. आप शादी के लिए पैसा देना हो..दें या ना दें पर आप इस तरह से किसी औरत की बेइज्ज़ती नहीं कर सकते हैं".
राजस्थान से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य संतोष बगरोडिया ने संसद में शून्यकाल के दौरान ये मामला उठाते हुए कहा कि ये संपूर्ण नारी जाति का अपमान है.
अपमान पर विवाद
संतोष बगरोडिया के इस बयान पर सोमवार को राज्यसभा में भी विवाद खड़ा हो गया. उनके ऐसा कहते ही राज्यसभा में मौजूद एसएस अहलुवालिया, प्रकाश जावडेकर समेत अन्य भाजपा सदस्यों ने इसका विरोध किया.
हालांकि बगरोडिया ने ये भी कहा की वैसे तो कन्यादान योजना बहुत अच्छी है पर ये घटना बहुत निंदनीय है.
उन्होंने ये भी कहा की ज़िले के कलेक्टर ने ये स्वीकार कर लिया है कि महिलाओं का परीक्षण किया. हालांकि वो इसे गर्भ परिक्षण बता रहे हैं. बगरोडिया ने यह भी सवाल उठाया कि जब कलेक्टर इस घटना में ख़ुद शामिल है तो इस बात की संभावना ख़त्म हो जाती है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके.
मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता कैलाश विजयवर्गीय ने बीबीसी से बातचीत में पहले तो किसी तरह के कौमार्य परिक्षण की बात से इनकार किया.
जब उन्हें बताया गया कि शहडोल के जिलाधीश ने चिकित्सकीय जांच की पुष्टि की है तो उन्होंने कहा "अगर कुछ लोगों ने योजना का ग़लत लाभ लिया है तो उनका परीक्षण कराए जाने में कुछ ग़लत नहीं है."
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Palash Biswas
Pl Read:
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