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Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Wednesday, November 25, 2015

मैंने देखा है कि ऐसे अध्यापक छात्रों का तरह-तरह से शोषण करते हैं।

मेरी यह मान्यता रही है कि अच्छे शिक्षक की पहचान छात्रों का उसके प्रति लगाव है। यह लगाव तभी जन्म लेता है जब अध्यापक भी उनके प्रति लगाव रखता हो। जहाँ यह लगाव होता है, शिक्षक सहज ही उनके सर्वांगीण विकास में उसी प्रकार जुट जाता है जैसे माता-पिता अपने बच्चों के संवर्द्धन के लिए जुटते हैं और अपने साधनों के अपर्याप्त होने पर भी उनके भविष्य को सँवारने का प्रयास करते हैं। ज्ञान और शिक्षणकला के गुण तो दूसरे सोपान पर हैं। इस लगाव के अभाव में अध्यापक छात्रों के सर्वांगीण विकास में अधिक योगदान नहीं दे सकता। मैंने देखा है कि ऐसे अध्यापक छात्रों का तरह-तरह से शोषण करते हैं। वे भूल जाते हैं कि आने वाले दिनों में इन में से कोई भी छात्र बहुत ऊँचे पद पर पहुँच सकता है। विज्ञान अथवा संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। उस दिन वह अपने शिक्षक का मूल्यांकन उसके अपने प्रति लगाव और आचरण से ही करेगा। 
शिक्षकों की विभिन्न न्यायपूर्ण माँगों के संदर्भ में प्रतिनिधि के रूप में प्रशासन के साथ वार्ता करने के दौरान मैंने अध्यापकों के हितों के प्रति अधिकारियों की उदासीनता को देखते हुए यह अनुभव किया कि छात्र जीवन में शिक्षकों ने, भले ही उन्हें कितना ही ज्ञान क्यों न बेचा हो, स्नेह की एक भी बूँद नहीं दी होगी। ( मेरी पुस्तक ग्यारह वर्ष-- एक प्रधानाचार्य के अनुभव और प्रयोग से)


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