संपूर्ण एफडीआई राज!
भारत विदेशी पूंजी के हवाले!
बिहारे नीतीशे कुमार जनादेश का बजरंगी जवाब!
दिवाली पर युधिष्ठिर अवतार में नंगे बिरंची बाबा ने बिहार जनादेश के बाद जुए में देश भी हार गये!
हमका भी हउ चाहि!
द्रोपदी का चीरहरण और हम तमाशबीन आत्मध्वंशी कुरुवंश!
बिहार का जनादेश काफी नहीं है बेलगाम अश्वमेधी सांढ़ों और घड़ो को लगाम सकने के लिए।हम बार बार कहि रहे हैं।
उनके इस अधर्म अपकर्म धतकरम की तुलना यौनकर्म से भी नहीं कर सकते क्योंकि वे भी खून पसीने की कमाई खाते हैं,हराम के अंधियारे के अरबों अरबों कालाधन का खजाना नहीं है समाज से बहिस्कृत,पितृसत्ता के शिकार और उत्पीड़ितों का।
विडंबना है कि किसी के साथ भी सत्ता के लिए हमबिस्तर होने वालों के लटके झटके और बड़बोले वैचारिक नैतिक धार्मिक बोल वे ही हैं जो यौनकर्म के लक्षण हैं,राजकाज,राजनय और राजनीति के नहीं।अधर्म है यह अपराधकर्म,राष्ट्रद्रोह!
विदेशी पूंजी उनकी मुहब्बत है,बेगानी शादी में बाराती मजे में हैं,आम लोग अब्दुल्ला दीवाना!
पलाश विश्वास
बिहार के जनमत से खोयी जनता की आस्था की परवाह नहीं बजरंगी फासिज्म को।परवाह है डांवाडोल सेनसेक्स और निफ्टी की और चालमचोल निवेशकों की अटल आस्था की।जिस मूडीज की रेटिंग को खारिज कर दिया,राजन की सलाह नहीं मानी,शौरी,नारायणमूर्ति,किरण मजुमदार की चेतावनी की परवाह नहीं की,बिहार में धूल चाटने के बाद मुक्तबाजारे के उम महा राजमार्ग पर सरेआम खड़े हैं नंगे बिरंची बाबा।
का पटाखा बाजे घना घना.पाकिस्तान मा न फट हो।फटल बाड़न ई हिंदुस्तानवां की सरजमीं मां।के बिहार का धमाका का गजबे तोड़ निकारे रहिस बिरंची बाबा के सरकार ने डिफेंस, ब्रॉडकास्टिंग, प्राइवेट बैंकिंग, एग्रीकल्चर, प्लांटेशन, माइनिंग, सिविल एविएशन, कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट, सिंगल ब्रांड रिटेल, कैश एंड कैरी होलसेल और मैन्युफैक्चरिंग समेत 15 सेक्टरों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ा दी है। सरकार ने ड्यूटी फ्री शॉपिंग पर एफडीआई के नियमों में भी ढील दी है।
लज्जाय मुख ढेके जाये।बांग्ला में मुहावरा यह है।भोजपुरी में का होई,बतावा राउर,हम जानत नाहीं।
राष्ट्र को कोई चेहरा होता,तो वह शर्म का चेहरा होता।
यही है कटकटेला अंधियारे का तेजबत्तीवाला सौदागर,ख्वाब नहीं वह मुल्क और इसानियत का सौदा कर रहा खुल्लेआम और हम दीवाली के पटाखों की गूंज में वंदे मातरम भी कहना भूल रहे हैं।
जय हो।जय जय जय हो भारत भाग्यविधाता बिररंची बाबाऍ
बिहार में हार के बाद निवेशकों और मुक्त बाजार की आस्था खोकर भीतरघात और विद्रोह से डरे हुए देश के छप्पन इंच छाती के गामा पहलवाने ने मुक्त बाजार और विदेशी पूंजी के हवाले कर दिया देश और खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा से ठीक पहले मोदी सरकार ने इंडस्ट्री को दिवाली का तोहफा दे दिया है।
आतिशबाजी खूब कीजिये कि सारा देश अब आगजनी के हवाले हैं और मंडल कमंडल कुरुक्षेत्र में हिंदू धरम का सत्यानाश है और भारतवर्ष का विनाश है कि फासिज्म की केसरिया सरकार ने एफडीआई नियमों को आसान करने का फैसला लिया है जिसमें एफडीआई प्रस्ताव की लिमिट को 3,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। हरिकथा विकास अनंत।
बिहार का जनादेश काफी नहीं है बेलगाम अश्वमेधी सांढ़ों और घड़ो को लगाम सकने के लिए।
जनादेश से बेपरवाह है नस्ली नरसंहार संस्कृति का झंडेवरदार फासिज्म का यह राजकाज।
राजनीतिकवर्ग है रंगबिरंगा शासक वर्ग मनुस्मति अनुशासन के विदेशी हितों से बंधा।
विदेशी पूंजी का गुलाम भारतीय उपनिवेश यह अब मुकम्मल गैस चैंबर है।यातना शिविर अनंत।चीखों पर भी सख्त पहरा है।लबों पर तलवारे चल रही हैं और जंजीरें गुलामी की चीख भी नहीं सकतीं।
आक्सीजन के सारे रास्ते बंद कर दिये गये हैं और धुंआ धुंआ आसमां है।फिजां कयामत है।जमीन पर दावानल है।नदियां खून से लबाबलब हैं जैसे तानाशाह खुदै खून से तरबतर व्हाइट हाउस के रंग रोगन मानसून के बावजूदसफिर धुलाने जा रहि हैं।
इसी धुलाई पर कुर्बानोकुर्बान हैं अंध भगत बिरादरी,खाप पंचायतें और तामाम अस्मिताएं,जातियों का सरदार सरदारिनें।
अमेरिका में ही तमामो नरसंहार की धुलाई का सबसे झख सफेद साबुन चिकिया मुफ्ते पोस्तो पोश्तो मिलेला।तो धकाधक पेलो ह सुधार क्रियाकर्म के परलोक सुधार जाये आउर हिंदुत्व को बने ग्लोबवा,ससुरे गैरहिंदू कोई न बच पावै।जयहो अमेरिका।जयजय।
इस नर्क से रिहाई के रास्ते हम बतावै रहे हैं अपने रोजाना परबचन मा।देख लीज्यों,मंकी बातों की तरह उतना बेमतब भी नइखे।
हम हवा हवाई नहीं हैं।जड़ों से गोबर पानी कीचड़ से सने बोल रहे हैं और हमउ कोई किसी नरसंहार के युध अपराधी नइखे जिन्हें बेइल पर रिहाई मिलल अमेरिकवा मा।
इनसे त ललुआ भौते भौते बैहतर,अमेरिका रिहाई वास्ते न जात रहे।मोक्ष चाहि त हस्तक्षेप बांचे रहो आउर हउ चाहि त गोता लगावैके चाहि बिरंची बाबा के खूनवा के समंदर मा।
उनके इस अधर्म अपकर्म धतकरम की तुलना यौनकर्म से भी नहीं कर सकते क्योंकि वे भी खून पसीने की कमाई खाते हैं,हराम के अंधियारे के अरबों अरबों कालाधन का खजाना नहीं है समाज से बहिस्कृत,पितृसत्ता के शिकार और उत्पीड़ितों का।
विडंबना है कि किसी के साथ भी सत्ता के लिए हमबिस्तर होने वालों के लटके झटके और बड़बोले वैचारिक नैतिक धार्मिक बोल वे ही हैं जो यौनकर्म के लक्षण हैं,राजकाज,राजनय और राजनीति के नहीं।
फिर इंद्रप्रस्थ में अर्श से फर्श पर गिरे नंगई के चक्रवर्ती महाराज बिरंची बाबा,टाइटैनिक महाराज और महाजिन्न एकमुश्त युधिष्ठिर मुद्दा में है और उन्हें सच के बदले झूठ पर झूठ की गोलंदाजी करने का हम हमने दिया है मजहबी सियासत के मुक्तबाजारी बजरंगी जुनून में विकास के करिश्माई डिजिटल इंडिया के झांसे में आकर।
फिर इंद्रप्रस्थ में दिवाली पर द्रोपदी का चीरहरण हुआ है और अबकी दफा कोई भगवान बचाने को,अधर्म का नाश करने अवतरितभी नहीं हुआ।वह द्रोपदी देश की स्वतंत्रता,देश की संप्रभुता,मनुष्यता और प्रकृति है समन्वित बहुलता,सहिष्णुता कि अब अनंत बेदखली आर्थिक विकास है और अर्थव्यवस्था एफडीआई है।
बिहार जनादेश की परवाह इतनी कि संस्थागत बजरंगी मुक्तबाजारी फासिज्म के राजकाज में हमारी दिवाली एफडीआई हो गयी।भारतीय मेहनतकशों और किसानों के साथ साथ रिटेल कारोबारियों,देश की सुरक्षा,सूचना और जनमत,माध्यम विधा, संस्कृति,स्वास्थ्य,परिवहन,आवास,परिवहन,उड़ान,बिजलीपानी,
भोजन,राशन पानी,रेलवे,बैंकिंग,डाक तार,संचार,प्रतिरक्षा,रोटी और रोजगार,आजीविका,जल जंगल जमीन,नागरिकता,नागरिक और मानवाधिकार सब कुछ एक मुसशत् नीलाम कर दिया।नीलाम हो गये उद्योग धंधे।कल कारखाने,उत्पादन प्रणाली।
उसी बिहार में फेर नीतीशे कुमार जनादेश के बाद रेलवे ने बिहार के ही सारण जिले के मरहोवरा में डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री लगाने के लिए अमेरिकी कंपनी जीई ग्लोबल को चुन लिया है। ये रेलवे में पहला विदेशी निवेश होगा। इस फैक्ट्री से दस साल में 1000 इंजन बनाए जाने का लक्ष्य है।
मरहोवरा प्रोजेक्ट फाइनेंशियल दिक्कतों से लटका था। अब टेंडर प्रोसेस के जरिए जीई को ये प्रोजेक्ट दिया गया है। जिसमें 26 फीसदी हिस्सेदारी रेलवे की होगी। मरहोवरा में अगले 3 साल में उत्पादन शुरू हो जाएगा। शुरुआत में नई टेक्नोलॉजी से बने इंजन इंपोर्ट किए जाएंगे।
मुक्मल फूलझड़ी बहार होई के अब 5,000 करोड़ रुपये तक के एफडीआई प्रस्तावों को एफआईपीबी की मंजूरी लेना जरूरी नहीं होगा। साथ ही जहां एफडीआई पहले से 100 फीसदी तक है वहां नियमों को और आसान किए जाएगा। मंजूरी की प्रक्रिया तेज की जाएगी और कुछ सेक्टरों में ऑटोमेटिक अप्रूवल का दायरा बढ़ाया जाएगा। सभी एफडीआई नियमों की एक किताब बनेगी।
बिल्डर माफिया सिंडिकेटो की वसंत बहार ह कि जलवायु बदलि गयो कि कड़ाके की सर्दी दूर भागे और सीमेंट के जगल में लू और शीत लहर भी एअर कंडीशन टाइल स्टाइल चाहि जैसन के धरतेरसवा मा पेलल रहिस। के सरकार ने कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 5 साल के भीतर एफडीआई लाने की शर्त हटा ली गई है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 5 साल के बाद भी एफडीआई लाना मुमकिन होगा। एनआरआई निवेश में भी एफडीआई नियम आसान कर दिए गए हैं। डिफेंस सेक्टर में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 49 फीसदी के एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है।
सबसे तेज खबरिया चैनल जो हिले से जितावेक के खबारे बहुमत हासिलों के बाद चलावै रहि,उनर खातिर एफडीआी मोहत्सव है त अब चीखों नइखे बेमतलब के मजीछिया उजीठिया जाहि के पिछवाड़े पे लात लगाइके जबभी भगावै एफडीआई याद करना के ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर के तहत गैर-खबरिया चैनल में ऑटोमैटिक रूट के जरिए 100 फीसदी एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है। वहीं ब्रॉडकास्ट सेक्टर में एफआईपीबी के जरिए 49 फीसदी एफडीआई निवेशक की छूट का ऐलान किया गया है। एफएम रेडियो और न्यूज चैनल में 49 फीसदी एफडीआई पर एफआईपीबी की मंजूरी जरूरी होगी। डीटीएच और केबल नेटवर्क में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है।
वंसतो बाहर हर सेक्टर मा ह।जनता के वास्ते का मिलल ना मिलल,बुझावेक ना चाहि।रबर और कॉफी सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई निवेश की छूट का ऐलान किया गया है। एयरलाइंस ग्राउंड हैंडलिंग में 100 फीसदी एफआईडी को मंजूरी दी गई है। रीजनल एयरलाइंस में 49 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है। एनआरआई निवेश में भी एफडीआई नियम आसान किए गए हैं।
हम बार बार कह रहे हैं कि यह हिंदुत्व नहीं है।
हिंदुत्व किसी भी सूरत में राष्ट्रद्रोह नहीं हो सकता।
जननी जन्मभूमि के लिए बलिदान देना इस महादेश का धर्म और परंपरा है।
मिथकों के मिथ्या की बलात्कार सुनामी से मनुस्मृति बहाल करने वाले वैदिकी ज्ञान विज्ञान और इतिहास का हवाला देकर खुल्लमखुल्ला राष्ट्रद्रोह कर रहे हैं और हम जात पांत मजहब में बंटे हिंदुस्तानी मजहबी सियासत सियासती मजहब के मंडल कमंडल महाभारत में तमाशबीन कुरुवंश हैं या इस ओर या उस ओर,गृहयुद्ध घनघोर।
हिंदू धर्म का सर्वनाश है यह तो भारत वर्,का सर्वात्मक विनाश है यह।
हम तिलिस्म में फंसे कंबंधों के सिवाय कुछ भी नहीं हैं।
न जान हैं।न हाथ पांव हैं।न चेहरा है।न कोई वजूद।
दिलोदिमाग हैं ही नहीं।
विवेक के स्वर हमारी समझ से बाहर है क्योकि हम थ्री जी फोर जी फाइव जी आनलाइन क्लोन और रोबोट है और बजरंगी फौजे हैं जो सिर्फ अपनी जात जानते हैं और जात की भाषा बोलते हैं।
हम इंसान होते तो इस कायनात की बरकतों,रहमतों और नियामतों को खत्म करने के इस आत्मघाती राजसूय अश्वमेध के सांढ़ों और घोड़ों की फौजों के खिलाफ देशभर में लामबंद होते।नको नको।
कभीकभार नींद से जागकर हम अंगड़ाई तब लेते हैं कुंभकर्ण की तरह जब हजारों लाखों ढोल नगाड़े हमें पुचकारते हुए उठाते हैं फिर एकबार जनादेश पैदा करने के लिए।
वोट देकर गर्भपात की तरह हम खलास।खबर भी नहीं होती कि वह जनादेश हमारे लिए जहर का प्याला कब और कैसे बन गया और हम सुकरात भी नहीं हैं।सो एफडीआई बहार आने दो के गाय बचाओ अरब वसंत झूठो बजरंगी नफरत तूफां का मतलब यहींच।
जातियों और मजहबी सियासत सियासती मजहब के मसीहा,सिपाहसालार,मनसबदार सूबेदार,तमाम राम से बने हनुमान और हिंदुत्व के इस नर्क के तमाम देव देवियां हमारी आस्था से पल छिन पल छिन बलात्कार कर रहे हैं और हम कुरुवंश की तरह द्रोपदी का चारहरण देख रहे हैं कि हमका भी हउ चाहि।
फिर इंद्रप्रस्थ में जब सारा देश दिवाली मना रहा है,जब गोरक्षा दंगाफसाद के आयातित अरब वसंत से निजात मिलने की खुशफहमी में पाकिस्तान में न सही,हिंदुस्तान की सरजमीं पर बिहार के प्रलयंकर जनादेश से बलात्कार सुनामी के अंत की गूंज में राकेट छू' रहे हैं,आगजनी के बदले आतिशबाजी हो रही है,सहिष्णुता और बहुलता,परंपरा और विरासत के दिये जल रहे हैं तो फिजां पिर कयामत है।
इसी बीच सेनाओं के बुजुर्ग भी साहित्यकारों, कलाकारों, फिल्मकारों, इतिहासकारों,समाजशास्त्रियों,वैज्ञानिकों और अर्थशास्त्रियों की तर्ज पर फासिज्म के इस राजकाज के खिलाफ अपनी चीखें दर्ज कराने लगे हैं।
वे भी अपना अपना मेडल वापस करने लगे हैं।
अब देखना है कि हमारी सरहदों की रक्षा में सारा जीवन बलिदान करते रहने वालों के बजरंगी ब्रिगेड किस जुबान में राष्ट्रविरोधी और हिंदू विरोधी करार देकर पाकिस्तान जाने का फतवा जारी करते हैं।
हमने सुबह अंग्रेजी में लिखाः
Imported Arabian BEEF Spring to continue as the Mahabharat of Mandal kamandal continues.Hence I post the Beef History!
In the Vedas there are references to various kinds of sacrifice in which cows were killed and its flesh was eaten. This practise continued in the post-Vedic period, up to the pre-Mauryan period!
Subarna Rekha,Blasphemy against ideology by Ritwik Ghatak,the Golden Line and the Ati Dalit Bagdi Bou and death of Sita in a brothel! Palash Biswas
https://www.youtube.com/watch?v=riBIpzxI8qU
Subarnarekha - Bengali Full Movie - Ritwik Ghatak's Film - Abhi Bhattacharya | Madhabi Mukhopadhya
https://www.youtube.com/watch?
हमने सुबह लिखाः
Super Duper Hit Dhanteras in CHHAT scenario and Caste Speaks Diwali!
BIHAR MANDATE:It is stronger caste alliance that won the civil war against the blind religious polarization on imported BEEF BAN Arabian Spring window!
Bihar Debacle Rather to intensify reforms, Privatization and Disinvestment!
Super Duper Hit Dhanteras in CHHAT scenario and Caste Speaks Diwali!
What is politics?
here you are!
While investors and analysts do not expect the government to abandon its reforms agenda completely after the Bihar debacle, the government will also have to address the stress in rural India. Later next year, West Bengal, Kerala and Assam head for polls.
Means appeasement only!Appease the Vote Bank!Hit the Bull`s eye!RSS missed the target very very wide as Our Comrades miss it countrywide!
They would just change the Game!
However it remains WWF!NOORANI KUSHTI.KHulla Khel Farrukhabadi!Manusmriti Rule sustained!
It would be yet so many Mahabharat and so many Kurukshetra!The Civil War continues.The Mandal V/S Kamandal War to continue as CASTE INTACT.
Politicians or the entire caste class united Hegemony not concerned with the plight of Humanity at all!Nor the Mandate has any relevance whatsoever to the economy or production system captured by foreign capital or foreign interest.Rather the leader being proved to be so frail with 56 inch chest that it would help the concerned parties to have their final say as we,the people lose sovereignty,freedom and democracy!
Whatever might be the mandate,the political scenario, ratings or it might be global trends destablize the indices and the market as well,consensus remains intact to push hard reforms.In fact,Bihar debacle would rather intesify the economic reforms as demanded and business friendly governance and united opposition have to comply with directives of foreign capital and foreign investment as Free Market is our religion,not Hindutva as claimed and hyped so much so!
In politics ,divided they stand,but they stay united rock solid to guillotine, the money spinning machine!
The political class behaves reconciliation!
Nothing changed!
Nothing to be changed at all!
It is Chhat,the Sun God worship time which is the last sign of the religion our ancient fore fore fore fathers and mothers practiced.The forces of Nature had been the incarnation of our faith.We opted for idols and marketing agents very late.No marketing agent,no purohit intervenes Chhat!
But it had been an Unprecedented Dhanteras and it has to be very loud Puja of Kali or Laxmi wishing wealth and safety!
Those who celebrate Chhat,they have to surrender to tantra mantra yantra and Tabiz!idol worshipping!
We claim to be Hindu but we speak caste and caste only.It is politics.Proved more than enough.You may not name one hundred castes who have the share in power but we have more than SIX thousand castes.
NDA fielded 46 Bhumihars in Bihar and lost the election.Lalu ensured that NO Bhumihar should get the ticket.He becomes the King Maker and every Yadav candidate walks cake to win on his ticket!
We might not celebrate this mandate which is claimed to be yet another historic turnaround as the Total Revolution in 1977 had been described and suddenly we had to invent that we have the children of neoliberal in the helms and we remain predestined in our day to day plight and flight!
It is again Diwali full of sound bombs.No crakers from pakistan have the echoes in Idia,however!
It is Business in full bloom and the retailers must die!Industrialization means indiscriminate urbanization and infinite displacement without rehabilitation whatsoever.It is the growth saga!It is inclusion and SAMARASTA devoid of justice,equality,tolerance and pluralism.It is the monopolistic aggression aginst the people>
After Bihar debacle, Arun Jaitley says government will push ahead with reform. Finance Minister Arun Jaitley's statement that the government will push ahead with much-needed reforms soothed investor concerns.
Here you are!
In politics ,divided they stand,but they stay united rock solid to guillotine, the money spinning machine!The political class behaves reconciliation!
Thus,Pledging its support to big-ticket investments in Bihar following the Nitish Kumar-led Grand Alliance's thumping victory, India Inc on Sunday sought a renewed focus by the Modi government at Centre on economic reforms!It turns to be theme song!Super Duper Diwali Bumper!
Thus,Politicians or the entire caste class united Hegemony not concerned with the plight of Humanity at all!Nor the Mandate has any relevance whatsoever to the economy or production system captured by foreign capital or foreign interest.Rather the leader being proved to be so frail with 56 inch chest that it would help the concerned parties to have their final say as we,the people lose sovereignty,freedom and democracy!
Whatever might be the mandate,the political scenario, ratings or it might be global trends destablize the indices and the market as well,consensus remains intact to push hard reforms.In fact,Bihar debacle would rather intesify the economic reforms as demanded and business friendly governance and united opposition have to comply with directives of foreign capital and foreign investment as Free Market is our religion,not Hindutva as claimed and hyped so much so!
Just look at the screaming headline,After Bihar debacle, Arun Jaitley says government will push ahead with reform
It is largely business as usual for markets after the BJP's drubbing in the Bihar assembly elections. After falling as low as 2.31% from Friday's close, the markets clawed back to close the day 0.5% down. In fact other Asian markets such as Hong Kong and Korea saw sharper falls.
Finance Minister Arun Jaitley's statement that the government will push ahead with much-needed reforms soothed investor concerns. In any case, a derailing of BJP's Bihar hopes do not change things politically at the Centre. While the government retains its majority in the lower house, even a big win in Bihar might not have led to a large increase in Rajya Sabha seats in the immediate future. Only five of the 16 Rajya Sabha members come up for re-election in 2016 and another 6 in April 2018.
इसी बीच नोबेल पुरस्कृत अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने दीवाली के मौके पर बिछे शतरंज की बाजी पर देश को बेच देने के इस राष्ट्रद्रोह के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की हैः
Amartya Sen -Modi must rein in the pro capitalist right wing hyenas
The Nobel laureate says India is not an intolerant country but a few radical groups are dragging its name through the mud.
EXCLUSIVE: Amartya Sen on the Hindu right and India under NDA
By Ruhi Khan In London
The Nobel laureate says India is not an intolerant country but a few radical groups are dragging its name through the mud.
Economist and Nobel laureate Amartya Sen spoke to Mumbai Mirror about a wide array of subjects, ranging from the atmosphere of intolerance prevalent in India, an inflamed section of the citizenry, a Hindu right that blindly invokes the Vedas, his disillusionment with Narendra Modi, and why the Prime Minister should be welcomed to the UK.
Professor Sen was at the London School of Economics on Friday to discuss his new book The Country of First Boys with the economist and academician Lord Nicholas Stern, following which he spoke to this correspondent.
Edited excerpts from the interview follow.
Do you think India is turning into an intolerant country?
There are elements of intolerance in India which is very regrettable. I won't say the country is turning intolerant. There is a small group of very activist minority of the Hindutva movement which are involved in that. The bulk of the population is not intolerant and I don't think India is an intolerant country in any way.
What do you think the real issue is?
It's easy to inflame the population into violence by playing up one identity. So it's not just an issue of intolerance. It's also about…the glory of India is that we have different communities, cultures and we have lived together in this multi-cultural, multi-religious and multi lingual society for many, many years. So we must not just be concerned that there is not enough tolerance but that there should be more celebration of the Indian pluralist society. You see the problem is on one side not recognising the threat (human rights violations) and on the other side making it look irresistible.
You have always said that if in a democracy you are unhappy with the government, then you should express your opinions. Is there room for dissent in India?
Certainly there is room for dissent. I often favour China for education and healthcare, which are completely neglected areas in India. But one of the ways India is better is that you can still express dissenting opinion to the government. Is it easier now than before? I don't think so. I think it's the opposite. But the attacks that come don't always come from the government; it comes from a docile and very loyal social media. I have experienced that myself. When I have said something that they don't approve of, I get ten thousand emails by next morning.
What would you say to them?
The problem with Hindu extremists is that they invoke the Vedas in everything without having any knowledge about them. I cannot find a more sophisticated argument for the agnostic in the Vedas.
If you tell the Hindutva activists that, they will say that I am insulting it. The Vedas show that the ability to do good things is independent of religion. They are extremely interesting texts but the Hindu extremists recite it without knowing what it says… (Laughs)
Perhaps they should be put in a room with you for a debate on the Vedas…
(Laughs) I would love to have a debate with them on the Vedas any day…
Prime Minister Narendra Modi will be in the UK in less than a week. There is raging debate whether he should be welcome.
Yes he must. He is the elected prime minister of the country so he should be welcomed. Politeness requires that. And respect to India requires that. But this doesn't mean he must not be questioned on his policies.
How do you think India is doing under his watch?
I'm not his great fan. I voted against him. Has he done better than I expected? I don't think he has. Hindu extremists believe Modi is a reincarnation of God. I was about to sue on the grounds of blasphemy. God has to die first to be reincarnated and as a good Hindu I was totally offended. So I wanted to sue but I didn't know what the courts would say to that.
I did not expect Modi to correct the path of the previous government, which was pretty bad. The idea was that some kind of business incentive would make it all up but that I think is a very bad theory.
I didn't expect the RSS to understand multiple identities. But I also didn't expect it to take such a naked form as it has.
Four people have died for eating beef and others have been victimised. He has made the academia field completely at the mercy of the administration. I believe India needs more reform. And until he reins in the pro capitalist right wing hyenas, it's very difficult thing to give him high marks.
Modi must rein in the pro capitalist right wing hyenas
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