Follow palashbiswaskl on Twitter

ArundhatiRay speaks

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Friday, January 31, 2014

समझ लीजिये अच्छीतरह कि ममता बनर्जी हवा में तलवारबाजी नहीं कर रही हैं और वाम भूमिका साफ

समझ लीजिये अच्छीतरह कि ममता बनर्जी हवा में तलवारबाजी नहीं कर रही हैं और वाम भूमिका साफ

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र सरकार के गठने के सिलसिले में ममता बनर्जी ने तीनों विकल्प खोल रखे हैं। सैद्धांतिक धरातल पर केंद्र में दंगा बाज सरकार नहीं चाहिए,कहते हुए संघ परिवार के खिलाफ युद्धघोषणा तक करने वाली ममता दीदी ने नमोमय भारतनिर्माण के खिलाफ एक शब्द तक नहीं खर्च किये और न नरेंद्र मोदी और भाजपा का नाम लेकर उन्होंने एक भी शब्द कहा। केंद्र में राजतंत्र का अवसान करने का नारा देते हुए उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ भी कोई मंतव्य नहीं किया। आप पर टिप्पणी भी कोई उन्होंने नहीं की। उन्होंने कोलकाता में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में अकेले जाएगी और उनकी कोशिश होगी कि एक गैर-कांग्रेसी और गैर-बीजेपी सरकार बने।

अतीत में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की सरकारों का हिस्सा रह चुकी ममता ने कहा,"हम नहीं चाहते हैं कि केंद्र में वंशवादी सरकार आए या दंगाई सरकार बनाए. हम आम जनता की सरकार चाहते हैं।"


सीधे तौर पर उन्होंने केद्र की सत्ता पर अपना दावा पेश किया है और समझ लीजिये कि वे कोई हवा में तलवारबाजी नहीं कर रही हैं।गौरतलब है कि  दिल्ली में 'परिवर्तन' का आह्वान करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी दूसरे राज्यों के लोगों तक अपनी पहुंच का विस्तार करेगी। ममता ने कहा कि आम चुनाव में वे प्रचार के लिए दूसरे राज्यों का भी दौरा करेगी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा, कांग्रेस और वाम मोर्चा तीनों का एकमात्र विकल्प है और देश वंशवादी उत्तराधिकारी या सांप्रदायिकता को पसंद नहीं करता।


याद करें कि आप के उत्थान से पहले तक केंद्र में खंडित जनादेश के परिदृश्य लगातार साफ हो रहे थे।आप के उदय के बाद एकतरफा नमोमय भारत के आसार भी खत्म हो गये।


हमने पहले भी लिखा है कि प्रधानमंत्रित्व की दौड़ में दीदी की बढ़त बनी हुई है।उसी समीकरण मुताबिक ही दीदी ने ऐलान कर दिया  कि भारत न तो राजनीति में वंशानुगत उत्तराधिकारी चाहता है न ही सांप्रदायिकता। उन्होंने कहा कि उनकी तृणमूल कांग्रेस दिल्ली में भाजपा, कांग्रेस या वाम मोर्चा का विकल्प है। ममता ने कहा, ''हमें दिल्ली में परिवर्तन की जरूरत है और हम इसका आह्वान बंगाल से कर रहे हैं। बंगाल आज जो सोच रहा है कल पूरा भारत सोचेगा। बंगाल रास्ता दिखाएगा।'' क्षेत्रीय दलों को एकजुट कर संघीय मोर्चा गठित करने का विचार पेश करने वाली ममता ने कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में इस तरह की ताकत खड़ी करने के लिए काम करेगी।


कल प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी के शब्दों में ऐसी रैली कोलकाता में हुई,जो अब तक किसी ने नहीं देखी।राज्य में दुष्कर्म की घटनाओं की बाढ़ को लेकर विरोधियों के निशाने पर रहने वाली ममता को गुरुवार को मशहूर लेखिका महाश्वेता देवी का समर्थन हासिल हुआ। महाश्वेता ने उन्हें 'प्रधानमंत्री पद का एकमात्र आदर्श प्रत्याशी करार दिया।' लोकसभा चुनाव का शंखनाद करने लिए ब्रिगेड परेड ग्राउंड में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, ''हमारी लड़ाई कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वाम मोर्चा से है। हमारी लड़ाई भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता के खिलाफ है। आज की रैली साबित करती है कि लोकतंत्र लोगों के लिए है, न कि वंश के लिए।''


लोकरंग से लबालब विशालतम रैली ने पश्चिम बंगाल सरकार के तमाम चुनौतियों के हाशिये पर रखकर सत्तादल तृणमूल कांग्रेस के लाजवाब जनाधार को ही साबित कर दिया।


इसे इस तरह समझें कि किसी भी राज्य में किसी भी क्षत्रप की इतनी मजबूत स्थिति नहीं है,जितनी बंगाल की अग्निकन्या की दीख रही है।इसी जनाधार के दम पर उन्होंने कहा, ''राज्यों की आवाज को ताकत देने के लिए संघीय मोर्चा की सख्त जरूरत है।'' उन्होंने कहा, ''राज्यों के हित और उनके विकास के लिए दिल्ली में एक प्रगतिशील सरकार का होना अत्यंत अनिवार्य है।'' उन्होंने कहा, ''हमारा नारा है 'भ्रष्टाचार मिटाओ, भारत बचाओ।'' कांग्रेस और भाजपा की ओर स्पष्ट इशारा करते हुए ममता ने कहा, ''हम ऐसी सरकार नहीं चाहते जो दंगों में लिप्त हो। हम शांति-प्रेमी और रचनात्मक सरकार चाहते हैं।'' उन्होंने कहा, ''भारत सभी के लिए है। हम सुशासन चाहते हैं, हम कानून का राज और एकजुट भारत चाहते हैं। हम लोकोन्मुखी सरकार चाहते हैं। इसके लिए हमें शक्तिशाली राज्यों को शामिल करते हुए एक संघीय मोर्चा की जरूरत है।''


मुलायम सिंह,मायावती दोनो आपसे में गूंथे हुए हैं।उनके मुकाबले कांग्रेस,भाजपा और आप की चुनौती है।

नीतीश के सुशासन का हश्र क्या होना है,खुदा ही जाने।उन्हें भाजपा से बचाव के अलावा लालू पासवान के मोर्चे से भी निपटना है।

तो दक्षिण में जयललिता के मुकाबले द्रमुक की स्थिति भी बहुत कमजोर नहीं है।

इसके विपरीत कोलकाता में कल की रैली में  प्रधानमंत्रित्व का दावा पेश करने के बाद जिसतरह उन्होंने देश की सर्वोच्च सत्ता के लिए अंध बांग्ला राष्ट्रवाद का आवाहन कर दिया,उसके बाद कम से कम आगामी लोकसभा चुनाव में बंगाल में कांग्रेस और आप का किस्सा खत्म है।

कांग्रेस के लिए क्रिकेट खिलाड़ी अजहरुद्दीन को ईडन गार्डेन के पिच समेत उतारने के बावजूद अपनी पुरानी सीटें बचाना मुश्किल है और बेतरह बिखरे हुए वाम पक्ष के लिए वापसी मुश्किल है।

दीदी की बंगाल में जय जयकार के परिदृश्य में बुद्धदेव भट्टाचार्य को नंदीग्राम प्रकरण में सीबीआई क्लीनचिट से भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।


आप अभी दिल्ली के तिलिस्म से जूझने में लगी है।


साढ़े तीन सौ सीटों पर तो दूसरी पार्टियां भी लड़ेंगी,जिनमें दो दो बहुजन पार्टियां भी शामिल हैं,लेकिन इनमें से किसी का अब केंद्र की सत्ता पर कोई गंभीर दावा है नहीं।


कारपोरेट इंडिया और मीडिया दोनों जनपथ पर अरविंद केजरीवाल के अराजक महाविश्फोट के बाद आप विरुद्धे हैं।

बाकी क्षत्रप अपनी अपनी धोती समेटने में लगी हैं जबकि दीदी ने तिमंजिले मंच पर कम से कम पंद्रह लाख लोगों के एकमुश्त समर्थन के साथ दिल्ली दखल की युद्धघोषणा कर दी।तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा के चुनावी मुहिम का आग़ाज़ करते साफ कहा कि उनकी पार्टी केंद्र में ना तो दंगाई और ना ही वंशवादी सरकार का समर्थन करेगी।


इसमें कोई शक नहीं है कि बंगाल के बाहर अगर कांग्रेस भाजपा दोनों के खिलाफ इस आक्रामक तेवर के साथ अल्पसंख्यकों के समर्थन के साथ दीदी ने दो चार सीटें झटक लीं और दिल्ली में उन्होंने दो चार लाख लोगों की कोई रैली करके दिखा दीं तो वे चालीस पार तो हो ही जायेंगी।तृणमूल नेता ने कहा कि वे लोकसभा चुनाव में राज्य के बाहर प्रचार करने जाएंगी और पार्टी के सदस्यों से अन्य राज्यों के लोगों तक संपर्क बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ''हम दिल्ली में मजबूत होना चाहते हैं। लोकसभा की जितनी ज्यादा सीटें हम जीतेंगे हमारा महत्व उतना ही बढ़ेगा। अब हम बंगाल के बाहर भी लड़ेंगे।'' ममता ने कहा, ''दूसरे राज्यों के लोगों तक पहुंचना और सहयोग करना हमारे लिए जरूरी हो गया है। यदि जरूरत पड़ी तो हम नेपथ्य में रहेंगे और उन्हें केंद्रीय मंच पर आने का मौका देंगे।'' ममता ने यह भी कहा कि हम विदेशों में जमा कालाधन देश में वापस लाना चाहते हैं।


जबकि नीतीश और मुलायम ने भी समाजवादी गठजोड़ बनाकर क्षेत्रीयदलों की तीसरी शक्ति के घटन की प्रक्रिया शुरु कर दी है।

मायावती ममता जयललिता गठजोड़ तो खैर होने से रहा लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों के गठबंधन राजनीति में अलग थलग पड़ जाने की हालत में खंडित जनादेश हुआ तो क्षत्रपों के गठबंधन के दीदी के ख्वाब को आकार लेने में देरी नहीं होगी।

यही दीदी का दांव है और उससे बड़ा दांव है कि बंगाल में अपने पक्ष में मतों का ध्रूवीकरण।


ममता ने कहा, "हमारी लड़ाई कांग्रेस, बीजेपी और वाम मोर्चा से है. हमारी लड़ाई भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता से खिलाफ है। आज की रैली साबित करती है कि लोकतंत्र लोगों के लिए है, न कि वंश के लिए।"

उन्होंने कहा कि भारत न तो राजनीति में वंशानुगत उत्तराधिकारी चाहता है न ही सांप्रदायिकता। उन्होंने कहा कि उनकी तृणमूल कांग्रेस दिल्ली में बीजेपी, कांग्रेस या वाम मोर्चा का विकल्प पेश करती है।

ममता ने कहा, "हमें दिल्ली में परिवर्तन की जरूरत है और हम इसका आह्वान बंगाल से कर रहे हैं। बंगाल आज जो सोच रहा है कल पूरा भारत सोचेगा। बंगाल रास्ता दिखाएगा।"

क्षेत्रीय दलों को एकजुट कर संघीय मोर्चा गठित करने का विचार पेश करने वाली ममता ने कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में इस तरह की ताकत खड़ी करने के लिए काम करेगी।

उन्होंने कहा, "राज्यों की आवाज को ताकत देने के लिए संघीय मोर्चा की सख्त जरूरत है।"

उन्होंने कहा, "राज्यों के हित और उनके विकास के लिए दिल्ली में एक प्रगतिशील सरकार का होना अत्यंत अनिवार्य है।"

उन्होंने कहा, "हमारा नारा है 'भ्रष्टाचार मिटाओ, भारत बचाओ।"

कांग्रेस और बीजेपी की ओर स्पष्ट इशारा करते हुए ममता ने कहा, "हम ऐसी सरकार नहीं चाहते जो दंगों में लिप्त हो। हम शांति-प्रेमी और रचनात्मक सरकार चाहते हैं।"

उन्होंने कहा, "भारत सभी के लिए है। हम सुशासन चाहते हैं, हम कानून का राज और एकजुट भारत चाहते हैं। हम लोकोन्मुखी सरकार चाहते हैं। इसके लिए हमें शक्तिशाली राज्यों को शामिल करते हुए एक संघीय मोर्चा की जरूरत है।"

तृणमूल नेता ने कहा कि वे लोकसभा चुनाव में राज्य के बाहर प्रचार करने जाएंगी और पार्टी के सदस्यों से अन्य राज्यों के लोगों तक संपर्क बढ़ाने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, "हम दिल्ली में मजबूत होना चाहते हैं। लोकसभा की जितनी ज्यादा सीटें हम जीतेंगे हमारा महत्व उतना ही बढ़ेगा। अब हम बंगाल के बाहर भी लड़ेंगे।"



দিল্লিতে পরিবর্তনের ডাক মমতার

লোকসভা নির্বাচনে সম্পূর্ণ একার ক্ষমতায় রাজ্যের ৪২টি লোকসভা কেন্দ্রই দখল করার ডাক দিলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ ব্রিগেডে 'দিল্লি চলো, ভারত গড়ো' স্লোগান তুলে এক তিরে বিঁধলেন কংগ্রেস-বিজেপি-সিপিএমকে৷ দিলেন 'দর্শনধারী' তকমা৷ ব্রিগেড থেকেই লোকসভা ভোটের আনুষ্ঠানিক প্রচার শুরু করে মমতা স্পষ্ট করলেন ফেডারেল ফ্রন্টের সফল রূপকার হওয়াই তাঁর লক্ষ্য৷


তিনি বলেন, 'দুর্নীতির সরকার চাই না, দাঙ্গার মুখও চাই না৷ ফেডারেল ফ্রন্ট গড়ার জন্য তৃণমূল অগ্রণী ভূমিকা পালন করবে৷' মমতার মূল্যায়ন, কংগ্রেস বা বিজেপি নয়, 'তৃণমূলই দেশের একমাত্র 'বিকল্প'৷




২০১১-য় তাঁর পরিবর্তনের স্লোগান রাজ্যে ম্যাজিকের মতো কাজ করেছিল৷ হুবহু একই মেজাজে লোকসভা ভোটের আগে দিল্লিতেও 'পরিবর্তনের' ডাক দিলেন৷ বললেন, 'দিল্লিতে পরিবর্তন চাই, পজিটিভ সরকার চাই৷ দুর্নীতি হঠাও, দেশ বাঁচাও৷' শান্ত জনতাকে তাতাতে ব্রিগেডে মমতা যখন 'ভাঙো, ভাঙো, ভাঙো' বলে আওয়াজ তুলেছেন, তখন ব্রিগেডের সামনের দিকের জনতা বাস্তবিকই বাঁশের ব্যারিকেড ভাঙার খেলায় মেতেছে৷ ঠিক সেই অবকাশে উচ্ছসিত মুখ্যমন্ত্রী বলেন, 'এই তো বাংলা৷' অর্থাত্‍ এ বার লোকসভা ভোটে সিপিএম-বিজেপি-কংগ্রেসের বিরুদ্ধে জনতার এই বিধ্বংসী মনোভাবই দেখতে চাইছেন তিনি৷ বাড়াবাড়ি হয়ে যাচ্ছে দেখে অবশ্য খানিক পরেই বলে ওঠেন, 'না আর এসব বেশি আমি অ্যালাউ করতে পারব না৷' তবে মুখ্যমন্ত্রী প্রায়োন্মত্ত জনতার হয়ে সওয়ালও করেছেন, 'ওরা বাচ্চা৷ বাচ্চারা থাকলে একটু আধটু এরকম করেই৷'




কয়েকমাস আগেই দেশের ধর্মনিরপেক্ষ আঞ্চলিক শক্তিগুলিকে কংগ্রেস-বিজেপির বিরুদ্ধে ঐক্যবদ্ধ করার প্রয়াস শুরু করেছিলেন তৃণমূল নেত্রী৷ ধর্মনিরপেক্ষতার শর্তটিকে তিনি কতটা গুরুত্ব দিচ্ছেন তা বোঝা যায় বিজেপি সম্পর্কে তাঁর স্পষ্ট অবস্থান থেকেই৷ নরেন্দ্র মোদীর নাম না-করে তিনি বলেন, 'প্রতিহিংসা নয়৷ প্রতিকার চাই৷ দাঙ্গার সরকার চাই না৷ চাই সম্প্রীতির সরকার৷' ফেডারেল ফ্রন্ট নামটি মমতারই দেওয়া৷ শেষবার দিল্লি গিয়ে তিনি বিভিন্ন দলের মনোভাবও পরখ করতে চেয়েছিলেন বলে রাজনৈতিক মহলের ধারণা৷ ফেডারেল ফ্রন্টের ডাকে কোন কোন দল কীভাবে সাড়া দিচ্ছে বা আদৌ সাড়া দিচ্ছে কি না, তা নিয়ে এখনও পর্যন্ত মুখ্যমন্ত্রী বিশেষ কিছুই খোলসা করেননি৷ তবে তাঁর চেষ্টা যে জারি থাকবে তা ব্রিগেডেই স্পষ্ট করে দিয়েছেন মমতা৷ অথচ একটি বারের জন্যও ভিন রাজ্যের কোনও বিশেষ আঞ্চলিক দলের প্রসঙ্গ তিনি টানেননি৷




ফেডারেল ফ্রন্ট গড়ার চেষ্টার সঙ্গে অন্য রাজ্যে প্রার্থী দেওয়ার কোনও বিরোধ নেই বলেও বুঝিয়ে দিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী৷ বাংলা-হিন্দি মিশিয়েই তিনি ঘোষণা করেন, লোকসভা ভোটে অন্য রাজ্যে প্রার্থীও দেবেন, নিজেও প্রচারে যাবেন৷ তাঁর কথায়, 'আনেওয়ালে চুনাও মে বঙ্গালকে বাহার সে ভি হম লড়েঙ্গে৷ আমি নিজে বাংলার বাইরে বিভিন্ন রাজ্যে প্রচারেও যাব৷ কারণ এটার দরকার আছে৷' দলের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায়কে নানা রাজ্যে পাঠিয়ে সর্বভারতীয় ক্ষেত্রে তৃণমূলের ডাল-পালা বিস্তারের চেষ্টা তৃণমূল নেত্রীর সেই প্রস্ত্ততিরই অঙ্গ৷ তোরোটি রাজ্য থেকে আসা দলের ইউনিটকে মঞ্চে হাজির করানোটাও সেই একই কৌশল৷




মুখ্যমন্ত্রীর যুক্তি, বাংলার মঙ্গলের জন্যই দিল্লিতে 'জনদরদি' সরকার গড়া প্রয়োজন৷ একমাত্র ফেডারেল ফ্রন্টই দেশকে সেই 'জনদরদি' সরকার দিতে পারে বলে মুখ্যমন্ত্রীর দাবি৷ তাঁর ব্যাখ্যা, 'আমরা চাই প্রো-পিপল সরকার৷ এই জন্যই চাই ফেডারেল ফ্রন্ট৷' অন্যান্য রাজ্যের আঞ্চলিক দলগুলির মন পেতে তিনি অবশ্য সব রাজ্যের স্বার্থেই সওয়াল করেছেন৷ তাঁর কথায়, 'আড়াই বছর অনেক প্রতিহিংসাপরায়ণ আচরণ করা হয়েছে৷ রাজ্যগুলির উন্নয়নের স্বার্থে দিল্লিতে পজিটিভ সরকার দরকার৷' আঞ্চলিক জোট গড়ার পিছনে মুখ্যমন্ত্রী আরও একটি উদ্দেশ্য ব্যাখ্যা করেছেন৷ সাম্পতিক কালে কেন্দ্র-রাজ্য সম্পর্কের প্রশ্নে একাধিক ইস্যুতে তাঁর সঙ্গে কংগ্রেস নেতৃত্বাধীন সরকারের সঙ্ঘাত বেঁধেছে৷ তাই দেশের অঙ্গরাজ্যগুলির অধিক ক্ষমতা দাবিদার মমতা এ দিন ব্রিগেডেও বলেন, 'এ বার 'শপথ নেওয়ার পালা৷ রাজ্যগুলিকে যদি শক্তিশালী করতে হয়, দিল্লিতে প্রত্যেকটা লোকসভা আসন জেতাতে হবে৷' তবে একই সঙ্গে মমতা নিজেই মানছেন, তিনি যে-লক্ষ্যে অনড়, সেখানে পৌঁছনো চাট্টিখানি কথা নয়৷ তাই দল এবং তাঁর সমস্ত সমর্থকের উদ্দেশে তিনি বলেছেন,'লড়াইটা খুব বড়৷ আত্মতুষ্টির কোনও জায়গা নেই৷'

ব্রিগেডের সভার সরাসরি সম্প্রচার ফেসবুকে

এই সময়: তথ্যপ্রযুক্তিকে ব্যবহার করে রাজনৈতিক প্রচারের ক্ষেত্রে ইতিমধ্যেই নজর টেনেছেন নরেন্দ্র মোদী বা অরবিন্দ কেজরিওয়াল৷ কিন্ত্ত তরুণ-যুবাদের কাছে পৌঁছতে বৃহস্পতিবার মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় যা করলেন, তেমন নজির দেশের রাজনীতিতে আর আছে কি না, সে তর্ক চলতেই পারে৷ তাঁর ফেসবুক পেজে এ দিন লাইভ স্ট্রিমিং হল ব্রিগেডের সভার৷


টেক-স্যাভি প্রজন্মের পক্ষে ব্যস্ততা ফেলে ব্রিগেডে যাওয়া সম্ভব নয়৷ সে বাস্তব বুঝে ফেসবুকেই সরাসরি তুলে ধরা হল মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের বক্তৃতা৷ ফলে, টিভি সেটের দিকে তাকিয়ে থাকার প্রয়োজন পড়েনি ফেসবুক, টুইটার, ইনস্টাগ্রামে অভ্যস্ত প্রজন্মের৷ বেঙ্গালুরুতে বসে বেহালার সপ্তর্ষি ব্রিগেডের আমেজ নিলেন৷ দিল্লি, মুম্বই বা হায়দরাবাদ, দেশের সব জায়গা থেকেই মমতার ফেসবুক পেজে উপচে পড়েছে ভিড়৷ এমনকি বিদেশে বসবাসকারী বঙ্গবাসীদের অনেকে ব্রিগেডের সভা দেখেছেন সরাসরি৷ 'লাইক' বা 'কমেন্ট' তো আছেই৷

নরেন্দ্র মোদীর ওয়েবসাইটে তাঁর বিভিন্ন অনুষ্ঠানের লাইভ স্ট্রিমিংয়ের ব্যবস্থা আছে৷ দিল্লিতে ভোটযুদ্ধে আম আদমি পার্টিও প্রযুক্তিকে নানা ভাবে ব্যবহার করেছে৷ কিন্ত্ত সোশ্যাল মিডিয়ার এমন ব্যবহারের নজির আপাতত পাওয়া যাচ্ছে না৷ এ দিন বেলা ১১টা থেকে শুরু করে টানা বেশ কয়েক ঘণ্টা মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের ফেসবুক পেজে ব্রিগেডের লাইভ স্ট্রিমিং চলেছে৷ দলের সাংসদ ডেরেক ও'ব্রায়েন বলেন, 'ব্রিগেড সমাবেশ নিয়ে ৩৬০ ডিগ্রি প্রচারের পরিকল্পনা ছিল আমাদের৷ তাই আমরা রাজ্যের ইতিহাসে প্রথমবার কোনও সভার লাইভ স্ট্রিমিং করলাম৷ মানুষের থেকে যা সাড়া পেয়েছি, তা অভূতপূর্ব৷' বাদ যায়নি টুইটারও৷ তৃণমূলের টেকনিক্যাল টিমের আট সদস্য মিশে গিয়েছিলেন লক্ষাধিক জনতার ভিড়ে৷ কেউ ময়দানে, কেউ মিছিলে৷ সেখান থেকেই চলে একের পর এক লাইভ আপডেট৷ তত্‍ক্ষণাত্‍ আপলোড হয়েছে হাতেগরম ছবি৷ মুখ্যমন্ত্রীর বক্তৃতা শুরু হতেই তাঁর ভাইপো অভিষেক মঞ্চ থেকেই টুইট করতে শুরু করেন৷ ডেরেক ও'ব্রায়েনের কথায়, 'এত মানুষ টুইটারের এই লাইভ আপডেট পছন্দ করেছেন যে, আমরা সত্যিই এ সব নিয়ে আরও গুরুত্ব সহকারে ভাবতে শুরু করেছি৷'

আসন্ন লোকসভা নির্বাচনে নির্ণায়ক ভূমিকা নিতে তিনি প্রস্ত্তত৷ ব্রিগেডের সভায় সে কথা স্পষ্ট করে দিয়েছেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ আর বৃহস্পতিবার তাঁর টেকনিক্যাল টিম বুঝিয়ে দিল, মোদীদের মহড়া নিতে তারাও পিছিয়ে থাকার পাত্র নয়৷


দিল্লি দখলের ডাক মমতার



এই সময় ডিজিটাল ডেস্ক - ব্রিগেডের সভা থেকেই দিল্লি দখলের ডাক দিলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। রাজ্য-রাজনীতিতে নিজের প্রায় অবিসংবাদী কর্তৃত্ব প্রতিষ্ঠার পর কিছুদিন ধরেই রাজ্যের বাইরেও তাঁর দলের অস্তিত্ব প্রসারণে সচেষ্ট তৃণমূল নেত্রী। এবার লোকসভা ভোট ও ফেডেরাল ফ্রন্ট গঠনই যে আপাতত তাঁর পাখির চোখ তা স্পষ্ট করে দিলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। কংগ্রেস বা বিজেপি নয়, দেশের বিকল্প তৃণমূল কংগ্রেস বলে এদিন দাবি করেছেন তিনি। দিল্লিতেও এবার পরিবর্তনের ডাক দিলেন মমতা।


বাংলা জয়ের পর তাঁর এবারের লক্ষ্য দিল্লি জয়৷ কোনও রাখঢাক না করেই, বৃহস্পতিবার ব্রিগেড সমাবেশ থেকে সরাসরি তা বুঝিয়ে দিলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ সেই লক্ষ্যপূরণে ব্রিগেডের বিশাল জনসমাগমকে সাক্ষী রেখে দিল্লি চলোর ডাক দিলেন তিনি৷ কেন দিল্লিতে যেতে চাইছেন, এদিন তারও ব্যাখ্যা দিয়েছেন মমতা৷ তাঁর বক্তব্য, নতুন বাংলা গড়তে, দেশ গড়তে, দেশের মানুষকে সুশাসন দিতে দিল্লির ক্ষমতায় তাঁদের যেতে হবে৷ দিল্লি জয়ের লক্ষ্যকে বাস্তবায়িত করতে রাজ্যের বাইরেও প্রচারে যাওয়ার কথা ঘোষণা করেছেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ সেইসঙ্গে আঞ্চলিকতার গণ্ডি ছাড়িয়ে গোটা দেশে তৃণমূলের সংগঠন বিস্তারের ছবি তুলে ধরতে মণিপুর, উত্তরপ্রদেশ, ঝাড়খণ্ড সহ বিভিন্ন রাজ্যের প্রতিনিধিদের মঞ্চে হাজির করেন মমতা৷ এদিনের সভা থেকে তৃণমূল নেত্রীর বার্তা, "দিল্লিতে পরিবর্তন চাই.....যত বেশি লোকসভা আসনে জেতাবেন, দিল্লিতে বাংলার গুরুত্ব তত বাড়বে...সামনে লোকসভা ভোট বাংলা ভারতকে পথ দেখাবে৷ বাংলার উন্নয়নের স্বার্থে দিল্লিতে পজিটিভ সরকার দরকার....৪২টির মধ্যে ৪২টিকেই জেতার টার্গেট করতে হবে"। এই প্রসঙ্গে তিনি বলেন, 'ফেডারেল ফ্রন্ট গড়ার প্রয়োজন৷ কংগ্রেসের বিকল্প বিজেপি নয়, বিজেপির বিকল্প কংগ্রেস নয়৷ দেশের বিকল্প একমাত্র তৃণমূল৷'


রাজ্যে একের পর এক নারী নির্যাতনের ঘটনা বিরোধীদের প্রধান অস্ত্র। সে কথা মাথায় রেখেই এদিন এ প্রসঙ্গেও মুখ খোলেন মমতা। তিনি বলেন, 'মেয়েদের পাশে আমরা পরিপূর্ণ ভাবে আছি। কড়া ব্যবস্থা আমরা নিই, ভবিষ্যতেও নেব'। এদিন রাজ্যের হাতে সীমিত অর্থের কথা বলে কংগ্রেস ও সিপিএম দু-পক্ষকেই আক্রমণ করেছেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। সিপিএম গোটা রাজ্যকে ধার-দেনায় ডুবিয়ে দিয়ে গিয়েছে বলে অভিযোগ করেন। কেন্দ্রের কংগ্রেস সরকার রাজ্যের প্রাপ্য টাকা দিচ্ছে না বলেও অভিযোগ তাঁর।


এদিন তৃণমূল নেতা-নেত্রী ছাড়া মঞ্চে উপস্থিত ছিলেন মহাশ্বেতা দেবী, জুন মালিয়া, সন্ধ্যা রায়, দেব, নচিকেতা সহ বিভিন্ন ক্ষেত্রের একাধিক তারকা। তৃণমূল নেত্রীকে দরাজ সার্টিফিকেট দিয়ে মহাশ্বেতা দেবী বলেন, 'মমতাই সম্ভাব্য, যোগ্য প্রধানমন্ত্রী। তাঁকে দিল্লির মসনদে দেখতে চাই। ব্রিগেড পুরোটাই মমতাময়। এমন জনসমাবেশ ইন্দিরা গান্ধীর সময়েও দেখিনি। মমতা তিন বছরে দ্বিগুণ কাজ করেছে। মমতা নিঃস্বার্থ ভাবে কাজ করে',। এদিন ব্রিগেড আসার পথে দুর্ঘটনার কবলে পড়ে তৃণমূল সমর্থক বোঝাই একটি বাস। নবদ্বীপের স্বরুপগঞ্জ থেকে আসছিল বাসটি। বলাগড়ের কাছে নিয়ন্ত্রণ হারিয়ে একটি গাছে ধাক্কা মারলে আহত হন ১৮ জন।

'বন্ধুহীন' মমতার 'দিবাস্বপ্ন'কে কটাক্ষ বিরোধীদের


এই সময়: বৃহস্পতির ব্রিগেডে লোকসভা ভোটের পর কেন্দ্রে সরকার গড়ার লক্ষ্যে 'দিল্লি চলো' আওয়াজ তুলেছেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ তবে এই ডাক দেওয়ার ঘণ্টাখানেকের মধ্যেই তাঁকে কটাক্ষ করতে ছাড়ল না বিরোধীরা৷ 'বন্ধুহীন' মমতার 'দিবাস্বপ্ন' নিয়ে একসুরে তির্যক মন্তব্য করেছে তারা৷ সিপিএমের মহম্মদ সেলিম বলছেন, 'উনি ফেডারেল ফ্রন্ট গড়ার কথা বলছেন, অথচ বন্ধুহীন৷' আবার কংগ্রেসের প্রদীপ ভট্টাচার্য ও বিজেপির রাহুল সিনহার কথায়, 'দিল্লি দখলের দিবাস্বপ্ন দেখছেন মুখ্যমন্ত্রী৷'


ব্রিগেডের জনসভায় তাঁর বক্তৃতায় কেন্দ্রে সরকার গড়ার কথা বারবার বলেছেন তৃণমূল নেত্রী৷ তার জন্য ফেডারেল ফ্রন্ট গড়ার প্রস্ত্ততি চলছে বলেও জানিয়েছেন৷ আর সভা শেষ হওয়ার প্রায় সঙ্গে সঙ্গেই এই মন্তব্য নিয়ে তাত্‍ক্ষণিক প্রতিক্রিয়া জানিয়ে আসরে নেমে পড়েছে তিন বিরোধী দল৷ সিপিএমের কেন্দ্রীয় কমিটির সদস্য মহম্মদ সেলিম এদিন সাংবাদিক বৈঠকে বলেন, 'মুখ্যমন্ত্রী দিল্লিতে পরিবর্তনের ডাক দিয়েছেন আজ৷ এখন তিনি বন্ধুহীন কেন? আগে এই ধরনের সভায় বন্ধু দলের নেতাদের হাজির করতেন৷ কখনও কংগ্রেস, কখনও বিজেপির নেতারা সেখানে থাকতেন৷ এখন ফ্রন্টের কথা বলছেন বটে, অথচ কোনও বন্ধু নেই৷'


একই সুরে কটাক্ষ করেছেন প্রদেশ কংগ্রেস সভাপতি প্রদীপ ভট্টাচার্য৷ তিনি বলছেন, 'কেন্দ্রে ওদের সরকার গড়ার কোনও রাজনৈতিক সম্ভাবনা নেই৷ বাজার গরম করার জন্য বলছেন৷ তিনি প্রধানমন্ত্রী হওয়ার জন্য আকাশকুসুম ভাবছেন৷ ফেডারেল ফ্রন্টের নেতা কে?' একই ভঙ্গিতে তৃণমূলের পুরোনো জোটসঙ্গী বিজেপির রাজ্য সভাপতি রাহুল সিনহা বলছেন, 'তৃণমূলের একার পক্ষে দিল্লি দখল সম্ভব নয়৷ সবাই ওঁকে চেনেন৷ তাই মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় দিবাস্বপ্ন দেখতে পারেন, কিন্ত্ত কেউ ওঁর সঙ্গে যাবে না৷'


তৃণমূলের সঙ্গে বিজেপির জোট সম্ভাবনা নিয়ে নানা প্রশ্ন তুলছে বাম ও কংগ্রেস শিবির৷ এই বিষয়ে মমতাকে অবস্থান স্পষ্ট করার জন্য প্রকাশ্যে চ্যালেঞ্জ জানিয়েছেন সূর্যকান্ত মিশ্ররা৷ এদিন অবশ্য তৃণমূল নেত্রী বলেছেন, 'দাঙ্গাবাজদের সরকার চাই না৷' নরেন্দ্র মোদীর নাম না-করেই বলেছেন, 'দাঙ্গার মুখকে সমর্থন নয়৷' বিরোধীরা অবশ্য তা নিয়েও প্রশ্ন তুলেছেন৷ মহম্মদ সেলিমের কথায়, 'বিজেপির নেতৃত্বে সরকার চাই না, এ কথা স্পষ্ট করে বলছেন না৷ তৃণমূল পিছনের দরজা খোলা রাখছে৷ তাই ভোটের পর কোথায় যাবেন, তা নিয়ে মুখ্যমন্ত্রী আলোচনা করতে চাইছেন না৷' একই সুরে প্রদীপবাবু বলেছেন, 'অতীতে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় কংগ্রেসেই ছিলেন, অথচ এখন সেই দলকে কটাক্ষ করছেন৷ কিন্ত্ত বিজেপি সম্পর্কে কোনও মন্তব্য নেই৷ ভোটের পর তাদের সঙ্গে হাত মেলাতেই এই নীরবতা৷ উনি সাম্প্রদায়িকতার বিরুদ্ধেও কিন্ত্ত কোনও মন্তব্য করেননি৷'

নন্দীগ্রাম নিয়ে ফের মমতার তোপে বু্দ্ধ

এই সময়: সিবিআইয়ের চার্জশিটে 'ক্লিনচিট' দেওয়া হলেও, নন্দীগ্রাম-কাণ্ডে ফের প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী বুদ্ধদেব ভট্টাচার্যকে কাঠগড়ায় তুললেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷


চার্জশিটের প্রসঙ্গ তুলে বৃহস্পতিবার ব্রিগেডের সমাবেশে তৃণমূল নেত্রী সরাসরি সিবিআই এবং প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রীর বিরুদ্ধে তোপ দাগেন৷ তিনি বলেন, 'বুদ্ধদেব ভট্টাচার্যের কথায় গুলির নির্দেশ দেওয়া হয়েছিল নন্দীগ্রামে৷ যাঁরা গুলি চালানোর নির্দেশ দিয়েছিলেন, তাঁদের নাম সিবিআইয়ের চার্জশিটে নেই৷' নন্দীগ্রামে ১৪ মার্চের গুলি চালনার ঘটনায় যে সংস্থার উপর ভরসা রেখে তদন্তের দাবি জানিয়েছিলেন তত্‍কালীন বিরোধী নেত্রী, সেই সিবিআই-কে ঠাট্টার সুরে বর্তমান মুখ্যমন্ত্রী 'কংগ্রেস ব্যুরো অব ইনভেস্টিগেশন এবং 'সিপিএম ব্যুরো অব ইনভেস্টিগেশন' বলে কটাক্ষ করতেও ছাড়েননি৷


গত ১৮ ডিসেম্বর নন্দীগ্রাম-কাণ্ডে হলদিয়া আদালতে দু'টি চার্জশিট জমা দেয় কেন্দ্রীয় তদন্তকারী সংস্থা৷ ওই মামলায় চার্জশিট জমা দেওয়ার আগে অবশ্য রাজ্য সরকারের তরফে সিবিআই-কে দু'বার চিঠি দিয়ে প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রীর নাম এই মামলায় যুক্ত করার আবেদন জানানো হয়৷ কিন্ত্ত সিবিআইয়ের চার্জশিটে বুদ্ধদেববাবুর নাম দেওয়া হয়নি৷ দু'টি চার্জশিটে ১৩৭ জনের নাম অভিযুক্ত হিসেবে উল্লেখ করা হয়েছে৷


ব্রিগেডে সে প্রসঙ্গ টেনে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় হুঁশিয়ারি দিয়ে বলেন, 'যাঁরা গুলি চালালেন, তাঁদের সিবিআই কিছু করল না৷ অথচ যাঁরা আন্দোলন করলেন, তাঁদের নাম চার্জশিটে যুক্ত করা হল৷ চার্জশিটে নিচুতলার মাত্র ছ'জনের নাম দেওয়া হয়েছে৷ কাউকে রেয়াত করা হবে না৷ মনে রাখবেন, আন্দোলনকারীদের গায়ে হাত পড়লে তাঁরাই বুঝে নেবেন৷'


সিবিআই সূত্রে অবশ্য জানানো হয়েছে, সরকারের অনুমোদন পেলে সাপ্লিমেন্টারি চার্জশিটে অভিযুক্ত পুলিশ অফিসারদের নাম যুক্ত করা হতে পারে৷ একাধিকবার চিঠি লেখা সত্ত্বেও রাজ্য সরকারের থেকে সেই অনুমতি পাওয়া যায়নি৷ পাশাপাশি রাজ্য সরকার বুদ্ধদেব ভট্টাচার্যকে জেরা করার দাবি জানালেও, প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রীকে জিজ্ঞাসাবাদ করার মতো কোনও ভিত্তি তারা পায়নি৷ সিবিআইয়ের চার্জশিটে অবশ্য পুলিশের গুলি চালানোর ঘটনাকে ক্লিনচিট দেওয়া হয়েছে৷ উল্লেখ করা হয়েছে, যাবতীয় প্রচেষ্টা ব্যর্থ হওয়ার পর পুলিশ বাধ্য হয়েই সে দিন গুলি চালায়৷


রাজনৈতিক মহলের মতে, চার্জশিটে নাম রয়েছে, এ রকম বহু বাসিন্দা নন্দীগ্রাম থেকে এদিনের ব্রিগেড সমাবেশে এসেছিলেন৷ তাঁরা অনেকেই এখন তৃণমূল কংগ্রেসের সঙ্গে যুক্ত৷ তাঁদের পাশে যে দল রয়েছে, তা বোঝাতেই মুখ্যমন্ত্রী সিবিআই-কে আক্রমণের নিশানা হিসেবে বেছে নেন৷



জোটের প্রশ্নে কৌশলী মমতা

নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা

প্রত্যাশা মতোই বৃহস্পতিবারের ব্রিগেড সমাবেশ থেকে দিল্লি অভিযানের ডাক দিলেন তৃণমূল নেত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। আসন্ন লোকসভা ভোটের জন্য স্লোগান তুললেন, 'চলো দিল্লি চলো। নতুন ভারত গড়ো।' কিন্তু সেই চলার পথে দেশের প্রধান দুই রাজনৈতিক দলের কোনও একটির সঙ্গে জোট গড়বেন, কি গড়বেন না সেই প্রশ্ন এড়িয়ে গেলেন কৌশলে।

এ দিন তাঁর ৫০ মিনিটের বক্তৃতায় কেন্দ্রের ইউপিএ সরকার এবং প্রধান বিরোধী দলের তীব্র সমালোচনা করেছেন মমতা। কারও কারও মতে, এ ভাবে কংগ্রেস ও বিজেপি, দু'দলের থেকেই সমদূরত্ব রাখার বার্তা দিয়েছেন তিনি। কিন্তু শাসক-বিরোধী দু'তরফেরই একটা বড় অংশের আবার বিশ্লেষণ, আসলে কারও নাম না-করে মমতা এ দিন ভবিষ্যৎ সম্ভাবনার যাবতীয় দরজাই খুলে রেখেছেন। তাঁদের মতে, এ দিনের বক্তৃতায় আগাগোড়াই প্রবল রাজনৈতিক পরিপক্বতার পরিচয় দিয়েছেন মমতা। নিজের লক্ষ্য বুঝিয়েছেন স্পষ্ট করে। কিন্তু কোনও বাধ্যবাধকতায় বন্দি করেননি নিজেকে।

লোকসভা ভোটে কী চান মমতা?

তাঁর কথায়, "বাংলায় যে পরিবর্তন এসেছে, দিল্লিতেও সেই পরিবর্তন চাই।" এটা যদি কংগ্রেস শাসনের অবসানের ডাক হয়, তা হলে পরিবর্ত হিসেবে বিজেপি-কে আনারও বিরোধী তিনি। কারণ, "ওরা শুধু হিন্দু-মুসলমান করে। আমরা সংহতি ও সম্প্রীতি রক্ষার সরকার চাই।" তৃণমূল সূত্রে বলা হচ্ছে, লোকসভা ভোটের পরে কংগ্রেস, বিজেপি না তৃতীয় বিকল্প কারা সরকার গড়ার মতো অবস্থায় থাকবে, সেটা তো পরের কথা। মমতা চান, কেন্দ্রে নির্ণায়ক শক্তি হয়ে উঠতে। আর সেই কারণেই রাজ্যের সব ক'টি কেন্দ্রে তৃণমূল প্রার্থীকে জেতানোর জন্য ব্রিগেডের জনতাকে অনুরোধ করেছেন তিনি। বলেছেন, "কংগ্রেসের বিকল্প বিজেপি নয়। বিজেপি-র বিকল্প কংগ্রেস নয়। তৃণমূলই দেশের একমাত্র বিকল্প।... লোকসভায় প্রতিটি আসনে আমাদের জিততেই হবে। যত বেশি আসন বাড়বে, দিল্লিতে আমাদের গুরুত্ব ততই বাড়বে।"

*

ব্রিগেডে মুখ্যমন্ত্রী।

দিল্লির দরবারে গুরুত্ব বাড়ানোর চেষ্টাতেই যা যা করলে বেশি আসন ঘরে আসতে পারে, তার সব পথই খোলা রাখতে চাইছেন মমতা। এ বার অন্য রাজ্যেও তৃণমূলকে ছড়িয়ে দেওয়ার চ্যালেঞ্জ নিতে চাইছেন তিনি। বাংলার বাইরে তৃণমূল প্রার্থী তো দেবেই, তিনি নিজেও প্রচারে যাবেন বলে এ দিন জানিয়ে দিয়েছেন মমতা। বলেছেন, ফেডেরাল ফ্রন্ট গঠনের সম্ভাবনার কথাও। তাঁর কথায়, "বিভিন্ন রাজ্যে আমাদের বন্ধুদের সঙ্গেও আমরা কথা বলে জোরদার ফ্রন্ট করব।" তৃণমূল সূত্রে বলা হচ্ছে, তৃতীয় বিকল্পের দরজা খুলে রাখতে তামিলনাড়ুতে জয়ললিতা, বিহারে নীতীশ কুমার, ওড়িশায় নবীন পট্টনায়ক এবং উত্তরপ্রদেশে মায়াবতীর দলের সঙ্গে যোগাযোগ স্থাপনের চেষ্টা করা হবে।

কিন্তু ফেডেরাল ফ্রন্টই যে মমতার একমাত্র লক্ষ্য নয়, তা জানাচ্ছে তৃণমূলেরই একটি অংশ। তাদের মতে, লোকসভা ভোটের আগের বা পরের কৌশল নিয়ে এখনই শেষ কথা বলার সময় আসেনি। কারণ, ভোট-পরবর্তী লোকসভার স্পষ্ট আভাস দিচ্ছে না কোনও জনমত সমীক্ষাই। এটা ঠিক যে, প্রায় সব সমীক্ষাই কংগ্রেসের আসন বিপুল পরিমাণ কমার কথা বলছে। বিজেপি-র উত্থানেরও ইঙ্গিত দিচ্ছে তারা। কিন্তু এই দু'দলকে ছাপিয়ে আঞ্চলিক দলগুলিই যে গুরুত্বপূর্ণ হয়ে উঠবে, তা-ও বোঝা যাচ্ছে। মমতা চাইছেন, আঞ্চলিক দলগুলির মধ্যে এক নম্বরে থেকে দিল্লিতে সরকার গড়ার নির্ণায়ক শক্তি হয়ে উঠতে। তা সেই সরকার যে ভাবেই গড়ে উঠুক না কেন।

তা হলে মমতা কংগ্রেস এবং বিজেপি-কে আক্রমণ করলেন কেন?

তৃণমূল সূত্র বলছে, রাজ্যে মমতার প্রধান প্রতিপক্ষ সিপিএম হলেও অধিকাংশ আসনে জয় সুনিশ্চিত করতে হলে এবং দেশের অন্যত্র লড়তে হলে প্রধান দুই রাজনৈতিক দলকে আক্রমণ করতেই হবে। কিন্তু সেই আক্রমণও তৃণমূল নেত্রী করেছেন অত্যন্ত সুকৌশলে। তিনি নীতিগত সমালোচনা করেছেন, ব্যক্তিগত আক্রমণে যাননি। যেমন, বলেছেন 'দিল্লিতে রাজতন্ত্রের অবসান চাই'। কেউ মনে করতে পারেন, এই আক্রমণ গাঁধী পরিবারকে। কিন্তু একেবারে সাধারণ ভাবেই কথাটা বলা, এই ব্যাখ্যাও ফেলে দেওয়ার নয়।

বিজেপি প্রসঙ্গেও যে মমতা একই সংযম দেখিয়েছেন, সে কথাও মনে করিয়ে দিচ্ছেন তৃণমূল নেতৃত্ব। মমতা বলেছেন, "আমরা দাঙ্গার সরকার চাই না। দাঙ্গার মুখ চাই না।" এক দিক থেকে এই মন্তব্যের লক্ষ্য বিজেপি তথা নরেন্দ্র মোদী বলে মনে হলেও নীতিগত দিক থেকে এর বিরোধিতা করার উপায় নেই।

মমতার এই কৌশলকেই এ দিন আক্রমণ করেছে বিরোধীরা। সিপিএম কেন্দ্রীয় কমিটির সদস্য মহম্মদ সেলিম বলেন, "উনি দাঙ্গার মুখের কথা বলেছেন ঠিকই। কিন্তু ভোটের পরে বিজেপি-র সঙ্গে হাত মেলাবেন কিনা, সে ব্যাপারে স্পষ্ট করে কিছু বলেননি। বিজেপি যদি মোদীর বদলে অন্য মুখ তুলে ধরে, তা হলে কী হবে!"

একই সুর শোনা গিয়েছে প্রদেশ কংগ্রেস সভাপতি প্রদীপ ভট্টাচার্যের গলায়। তাঁর কথায়, "দাঙ্গাবাজ দল বলেছেন মুখ্যমন্ত্রী। কিন্তু মোদীকে নাম করে আক্রমণ করেননি। এর থেকেই বোঝা যায়, ভোটের পরে তৃণমূল-বিজেপি সমঝোতার সম্ভাবনা আছে।"

বিরোধীদের এই আক্রমণ যাতে হালে পানি না পায়, সে জন্য মমতা আগাম বন্দোবস্ত করে রেখেছিলেন বলে দাবি করছেন তৃণমূল নেতাদের একটি বড় অংশ। এ দিনের সভায় দাঁড়িয়ে টিপু সুলতান মসজিদের ইমাম নূরুর রহমান বরকতি বলেন, দিল্লির মসনদে মমতাকেই দেখতে চান তিনি। বরকতির এই ঘোষণা তৃণমূলের প্রতি সংখ্যালঘুদের অনড় আস্থার প্রমাণ, বলছেন তৃণমূল নেতারা।

*

তৃণমূল যুবার জাতীয় সভাপতি অভিষেক বন্দ্যোপাধ্যায়ের

সঙ্গে মঞ্চে তৃণমূল নেত্রী। বৃহস্পতিবার ব্রিগেডে।

সিপিএম যেমন মমতার ব্রিগেড বক্তৃতার সমালোচনা করেছে, মমতাও তেমনই এ দিন বিদ্ধ করেছেন বাম জমানাকে। প্রশ্ন তুলেছেন, বামফ্রন্ট সরকারের করে যাওয়া দেনা কেন শোধ করতে হবে তাঁর সরকারকে! এই দেনা শোধ নিয়ে কেন্দ্রের ইউপিএ সরকারের সঙ্গে বারবারই সংঘাত হয়েছে মমতার। বারবার আর্জি সত্ত্বেও বিশেষ আর্থিক সাহায্য বা দেনা শোধ তিন বছর স্থগিত রাখা কোনও সুবিধাই দেয়নি কেন্দ্র। এ দিন সেই ক্ষোভও উগরে দিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী।

দিল্লির সরকারের সঙ্গে তাঁর সংঘাতের প্রসঙ্গ উল্লেখ করে মমতা বলেছেন, "আমাদের লড়াই দুর্নীতির বিরুদ্ধে। আমাদের লড়াই মানুষের পক্ষে, বাংলার উন্নয়নের স্বার্থে। আমরা প্রতিহিংসা চাই না। আমরা সমস্যার প্রতিকার চাই। আমরা সুশাসন, আইনের শাসন চাই।"

জিনিসপত্রের মূল্যবৃদ্ধি, জ্বালানির দাম বাড়ানো, খুচরো ব্যবসায় বিদেশি লগ্নির পথ খুলে দেওয়া (যার বিরোধিতায় মমতার ইউপিএ ত্যাগ) নিয়েও কেন্দ্রীয় সরকারের তীব্র সমালোচনা করেছেন মুখ্যমন্ত্রী। কেন্দ্রের নীতিকে আখ্যা দিয়েছেন জনস্বার্থবিরোধী বলে।

কেউ কেউ বলছেন, কংগ্রেসের সঙ্গে নতুন করে সম্পর্ক তৈরি না-করার বার্তাই নিহিত আছে এই সমালোচনায়। কিন্তু অন্য সূত্রে পৃথক ব্যাখ্যাও মিলছে। তাঁদের মতে, এই আক্রমণের মধ্যে দিয়ে জোট প্রত্যাশী সনিয়া গাঁধীর উপরে আসলে রাজনৈতিক চাপ বজায় রাখলেন মমতা।

http://www.anandabazar.com/31raj1.html



দুষ্টুমি দামালের ধর্ম, প্রশ্ন বিরোধীদের

নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা

প্রত্যাশা ছিল, লোকসভা নিবার্চনের আগে শাসক দলের কর্মী-সমর্থকদের উদ্দেশে শৃঙ্খলারক্ষার কড়া বার্তা থাকবে তৃণমূল নেত্রী তথা মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের তরফে। দলের নেতা-কর্মীদের একাংশের বেফাঁস মন্তব্য নিয়ে হুঁশিয়ারি থাকবে। প্রত্যাশা ছিল সাম্প্রতিক কালের নানা দুর্নীতির অভিযোগের বিরুদ্ধে স্পষ্ট বার্তারও। কিন্তু বৃহস্পতিবারের ব্রিগেড সমাবেশে সেই পথে হাঁটলেন না মুখ্যমন্ত্রী। ধর্ষণের 'একটা-দু'টো ঘটনা নিয়ে হইচই' করায় বরং কড়া আক্রমণ করলেন বিরোধী তথা সমালোচকদেরই।

কলেজ ভোটে গত কয়েক দিনে রাজ্যের নানা প্রান্তেই সংঘর্ষে নাম জড়িয়েছে শাসক দলের ছাত্র সংগঠনের। আবার বিরোধীদের বিরুদ্ধে ধারাবাহিক ভাবে বিষোদগার করে বিতর্কে থেকে গিয়েছেন বীরভূমের তৃণমূল জেলা সভাপতি অনুব্রত মণ্ডল। অতীতে একাধিক বার নিজের ভাষণে তৃণমূল নেত্রী তাঁর দলের নেতা-কর্মীদের সতর্ক করে বলেছেন, মানুষ ক্ষুণ্ণ হতে পারেন, এমন কাজ করা চলবে না। ব্রিগেডে এ দিনও তিনি বলেছেন, মানুষের ক্ষতি করা চলবে না। কিন্তু তৃণমূল নেত্রী-সুলভ হুঁশিয়ারির সুর সেখানে ছিল না। বরং, একই সঙ্গে এ দিন মুখ্যমন্ত্রী বলেছেন, "দুষ্টুমি করাটা দামাল ছেলেদের একটা ধর্ম!" যার প্রেক্ষিতে বিরোধীরা অভিযোগ করেছে, স্বয়ং মুখ্যমন্ত্রীই যদি এমন কথা বলেন, তা হলে অপরাধীরাই উৎসাহ পাবে।

*

আমিও এসেছি। ব্রিগেডে হাজির তৃণমূলের খুদে সমর্থক। —নিজস্ব চিত্র।

উন্নততর বাংলা গড়ার জন্য দৃঢ়প্রতিজ্ঞ, শৃঙ্খলাপরায়ণ, নিবেদিত যুব সমাজকে তাঁর দরকার বলে এ দিন মন্তব্য করেন মুখ্যমন্ত্রী। তার পরেই ঈষৎ হাল্কা সুরে বুঝিয়ে দেন, দামাল ছেলেরা একটু দুষ্টুমি করবেই। অনুব্রত বা কারও বিরুদ্ধে নাম না-করেও মুখ্যমন্ত্রীর কণ্ঠে এ দিন কোনও কথা শোনা যায়নি। সিপিএমের রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর সদস্য মহম্মদ সেলিম তাই বলেছেন, "মুখ্যমন্ত্রী যা বলেছেন, তাতে গুণ্ডা-অপরাধীরাই উৎসাহিত হল!" তাঁর আরও অভিযোগ, "মুখ্যমন্ত্রী বাম আমলে বানতলা, ধানতলার কথা তুলেছেন। ওই অপরাধীরা সব জেলে। কিন্তু তৃণমূল আমলে পার্ক স্ট্রিট থেকে মধ্যমগ্রাম, বারাসত কোনও ক্ষেত্রে অপরাধীদের শাস্তি হয়নি।" প্রসঙ্গত, বীরভূমের দুই বিতর্কিত নেতা অনুব্রত ও মনিরুল ইসলাম এ দিন স্বমহিমায় ব্রিগেডের মঞ্চে ছিলেন।

বস্তুত, বিরোধীদের অভিযোগ, আইন-শৃঙ্খলা থেকে শুরু করে ধর্ষণ, টেট-দুর্নীতি, সারদার টাকা ফেরত পাওয়া যাবতীয় প্রাসঙ্গিক বিষয়ই মুখ্যমন্ত্রী এড়িয়ে গিয়েছেন। মুখ্যমন্ত্রী এ দিন অভিযোগ করেছেন, উত্তরপ্রদেশের মুজফ্ফরনগরে সরকারি শিবিরে ১৫ জন মহিলাকে ধর্ষণ করা হয়েছে। কিন্তু তা নিয়ে কংগ্রেস, সিপিএম বা বিজেপি নীরব। অথচ এ রাজ্যে টিভি চ্যানেলকে ব্যবহার করে কুৎসা ছড়ানো হচ্ছে।

মুখ্যমন্ত্রীর কথায়, "একটা-দু'টো ঘটনা নিয়ে হইচই হচ্ছে। একটা ঘটনাও ঘটুক, আমরা চাই না। কিন্তু একটা-দু'টো ঘটনা ঘটলেই কংগ্রেস-সিপিএম-বিজেপি বাংলার বদনাম করতে নেমে পড়ছে!" বিজন সেতু, ধানতলা, বানতলা, চমকাইতলা, খেজুরি, নন্দীগ্রাম, সিঙ্গুর, নেতাই-সহ বাম আমলের একের পর এক ঘটনাই টেনে এনেছেন তৃণমূল নেত্রী। যার প্রেক্ষিতে সেলিমের পাল্টা বক্তব্য, "মুখ্যমন্ত্রী মুজফ্ফরনগরের ধর্ষণ নিয়ে চিন্তিত। কিন্তু রাজ্যের বেলায় তিনি চুপ!

উল্টে যাঁরা প্রতিবাদ করছে, উনি তাদের সমালোচনা করছেন!" এই ক্ষেত্রেও সিপিএম নেতার আশঙ্কা, "কামদুনি থেকে বারাসত, মধ্যমগ্রাম, খিদিরপুর প্রতি দিনই রাজ্যে ধর্ষণের ঘটনা ঘটছে। এ রাজ্যে মহিলারা নিরাপদ নয় বলে সর্বভারতীয় সংবাদমাধ্যম সমালোচনা করছে। সেখানে মুখ্যমন্ত্রী এ কথা বলায় ধর্ষণকারীরাই উৎসাহিত হবে।"

বিরোধীদের তরফে প্রদেশ কংগ্রেস সভাপতি প্রদীপ ভট্টাচার্য বলেছেন, তৃণমূল সমর্থকেরা ব্রিগেডের সমাবেশে গেলেও সাধারণ মানুষ রাজ্য সরকারের উপরে বীতশ্রদ্ধ। নারী নির্যাতন, ধর্ষণের ঘটনার জন্য মানুষের ক্ষোভ বাড়ছে বলেই প্রদীপবাবুর দাবি।

একই ভাবে বিজেপি-র রাজ্য সভাপতি রাহুল সিংহের বক্তব্য, "ধর্ষণ নিয়ে মুখ্যমন্ত্রী নীরব কেন? সারদা, টেট, ত্রিফলা বা উত্তরবঙ্গে এসজেডিএ-র দুর্নীতি সমস্ত কেলেঙ্কারি ধামাচাপা দিয়ে দিচ্ছেন। আর নানা রকম আশার বাণী শুনিয়ে যাচ্ছেন!"

তাঁর আমলে রাজ্যে যত উন্নয়নের কর্মকাণ্ড হয়েছে, তার কিছু বিবরণও এ দিনের সমাবেশে প্রত্যাশিত ভাবেই পেশ করেছেন তৃণমূল নেত্রী। সে সবেরও কড়া সমালোচনা এসেছে প্রধান বিরোধী দল সিপিএমের তরফে। যেমন, মুখ্যমন্ত্রী বলেছেন, বাম আমলে রাজ্যে একটি বিশ্ববিদ্যালয় হয়েছিল। তৃণমূল জমানায় এর মধ্যেই ৬টি বিশ্ববিদ্যালয় করা হয়ে গিয়েছে। সেলিমের প্রশ্ন, "কোন ৬টি দয়া করে রাজ্যের উচ্চশিক্ষা মন্ত্রী জানাবেন কি? রাজ্যের উচ্চ শিক্ষা দফতর সব ক'টি বিশ্ববিদ্যালয় প্রতিষ্ঠার সাল-তারিখ উল্লেখ করে বিজ্ঞাপন দেবে কি?"

বাম আমলে বিপুল ঋণের বোঝা তাঁকে বইতে হচ্ছে বলে ফের ক্ষোভ প্রকাশ করেছেন মুখ্যমন্ত্রী। সেলিমের প্রশ্ন, "গত আড়াই বছরে দেশের সব ক'টি রাজ্যের থেকে বাজার থেকে এ রাজ্য বেশি ঋণ নিয়েছে। কেন নিল?"

http://www.anandabazar.com/31raj3.html



নন্দীগ্রামের মামলা এত সোজা নয়, তোপ নেত্রীর

নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা

ন্দীগ্রামে পুলিশের গুলিতে ১৪ জনের মৃত্যুর ঘটনায় সিবিআই-তদন্তই চেয়েছিলেন তিনি। প্রায় সাত বছর বাদে মামলার চার্জশিট পেশের পরে সেই সিবিআই-কেই এক হাত নিলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। বৃহস্পতিবার দলের ব্রিগেড সমাবেশের মঞ্চ থেকে কেন্দ্রীয় তদন্ত-সংস্থাটির বিরুদ্ধে ক্ষোভ উগরে দিয়ে মুখ্যমন্ত্রীর হুঁশিয়ারি, "আন্দোলনকারীদের গায়ে হাত পড়লে তারা বুঝে নেবে। মামলা এত সোজা নয়। খেলাও এত সহজ নয়।"

জমি আন্দোলনের সময়ে ২০০৭-এর ১৪ মার্চ নন্দীগ্রামের ভাঙাবেড়া ও অধিকারীপাড়ায় পুলিশ বাধ্য হয়ে গুলি চালিয়েছিল বলে চার্জশিটে উল্লেখ করেছে সিবিআই। তাতে ১৬৬ জন আন্দোলনকারীর পাশাপাশি ছয় পুলিশ অফিসারের কথাও বলা হয়েছে। সে প্রসঙ্গ উল্লেখ করে এ দিন মমতা বলেন, "যাদের বিরুদ্ধে মামলা ও চার্জশিট, তারা আন্দোলন করেছে। পুলিশের নিচুতলার কয়েক জনের কথা বলা হয়েছে। কিন্তু উপরতলার যারা দাঁড়িয়ে থেকে গুলি চালিয়েছিল, তাদের কী হবে? বুদ্ধবাবুর (তৎকালীন মুখ্যমন্ত্রী তথা পুলিশমন্ত্রী বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য) নির্দেশে যারা গুলি চালিয়েছিল, তাদেরও দেখতে হবে!"

তৃণমূল নেতৃত্বের একাংশের ধারণা, এই মন্তব্যের মাধ্যমে মুখ্যমন্ত্রী আদতে বিঁধতে চেয়েছেন রাজ্যের তদানীন্তন শাসকদলের নেতৃবৃন্দকেই। এ দিনের সভায় সিবিআই (সেন্ট্রাল ব্যুরো অফ ইনভেস্টিগেশন)-কে 'কংগ্রেস ব্যুরো অব ইনভেস্টিগেশন' এবং 'সিপিএম ব্যুরো অব ইনভেস্টিগেশন' বলেও কটাক্ষ করেছেন মুখ্যমন্ত্রী। বলেছেন, "আর ক'দিন আয়ু কেন্দ্রের সরকারের? প্রতিহিংসা করে লাভ নেই!"

নন্দীগ্রামে গুলিচালনার পরের দিনই কলকাতা হাইকোর্টের প্রধান বিচারপতির ডিভিশন বেঞ্চ স্বতঃপ্রণোদিত হয়ে ঘটনার সিবিআই-তদন্তের নির্দেশ দেয়। রাজ্যের তদানীন্তন বিরোধীনেত্রী মমতাও তখন সিবিআই-তদন্তের পক্ষে জোরালো সওয়াল করেন। গত ক'বছর ধরে তদন্ত চালিয়ে গত বছরের গোড়ায় রাজ্য সরকারকে একটি খসড়া চার্জশিট পাঠিয়েছিল কেন্দ্রীয় তদন্তকারী সংস্থাটি। তাতে অভিযুক্ত ছয় পুলিশ অফিসারের বিরুদ্ধে আদালতে চার্জশিট পেশের জন্য রাজ্য সরকারের অনুমতি চাওয়া হয়। মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের সরকার তখন জানিয়ে দেয়, তারা রিপোর্টের সঙ্গে সহমত নয়। বরং সিবিআইয়ের কাছে সরকার দাবি তোলে, ওই দিন নন্দীগ্রামে পুলিশ পাঠানোর নির্দেশ ছিল রাজনৈতিক, তাই তৎকালীন মুখ্যমন্ত্রী বুদ্ধদেববাবু ও পূর্ব মেদিনীপুরের সিপিএম নেতা লক্ষ্মণ শেঠের ভূমিকাও তদন্তের আওতায় আনা হোক।

কিন্তু রাজ্য সরকারের বক্তব্য খতিয়ে দেখে সিবিআই জানিয়ে দেয়, প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রীর বিরুদ্ধে এমন কোনও তথ্য-প্রমাণ মেলেনি, যার ভিত্তিতে তদন্ত করা যাবে। পাশাপাশি উল্লিখিত ছয় পুলিশ অফিসারের নামে চার্জশিট পেশের জন্য ফের রাজ্য সরকারের অনুমতি চায় তারা। পশ্চিমবঙ্গ সরকারের তরফে সিবিআই-কে সেই অনুমতি দেওয়া হয়নি। শেষমেষ সিবিআই গত ডিসেম্বরে নন্দীগ্রাম-মামলা সংক্রান্ত দু'টো আলাদা চার্জশিট আদালতে পেশ করেছে। পুলিশের বিরুদ্ধে চার্জশিট দাখিল করতে না-পারার ব্যাপারটাও সেখানে উল্লেখ করা হয়েছে।

এবং এ দিন ব্রিগেডের সভায় সিবিআই-চার্জশিটের প্রসঙ্গ তুলেই তোপ দেগেছেন মুখ্যমন্ত্রী। তৃণমূল নেতৃত্ব ও প্রশাসনের একাংশের বক্তব্য: নন্দীগ্রাম-কাণ্ডে বুদ্ধবাবু-লক্ষ্মণবাবুর ভূমিকা যাচাই করতে সিবিআই রাজি না-হওয়ায় নিজের ক্ষোভ তিনি গোপন করেননি। প্রসঙ্গত, বুধবার তৃণমূলের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায়ও নন্দীগ্রাম-চার্জশিট প্রসঙ্গে বলেছিলেন, "সিবিআই-মামলা যে কী হয়, তা ভিখারি পাসোয়ান অন্তর্ধান, ছোট আঙারিয়ার ঘটনা বা নেতাইয়ের গণহত্যা, জ্ঞানেশ্বরী রেল দুর্ঘটনা সব ক্ষেত্রেই চোখের উপরে আছে।" নন্দীগ্রামে গুলিচালনার ঘটনা সম্পর্কে সিবিআইয়ের দেওয়া চার্জশিটকে আক্রমণ করে দলীয় সাংসদ শুভেন্দু অধিকারীর দাবি, "এই চার্জশিট সিবিআই ও পুলিশ আধিকারিকদের গড়াপেটার খেলা।" চার্জশিট নিয়ে আদালতের দারস্থ হওয়ার কথাও জানিয়েছেন তিনি।

এ দিকে সিবিআই-চার্জশিটের প্রতিবাদে ৩ ফেব্রুয়ারি 'ধিক্কার দিবস' পালনের ডাক দিয়েছে নন্দীগ্রামের ভূমি উচ্ছেদ প্রতিরোধ কমিটির শরিক এসইউসি। দলের রাজ্য সম্পাদক সৌমেন বসুর অভিযোগ, "সিপিএম নেতৃত্ব ও তৎকালীন রাজ্য সরকারকে অভিযোগ থেকে অব্যাহতি দিয়েই রিপোর্টটি তৈরি! দেশের সর্বোচ্চ আদালত সিবিআই-কে কেন্দ্রীয় সরকারের তোতাপাখি হিসেবে অভিহিত করেছিল। সেটা ফের প্রমাণিত হল!" জমি আন্দোলনের পর্বে তৃণমূলনেত্রীর আন্দোলনের সঙ্গী ছিল যে পিডিএস, তার রাজ্য সম্পাদক সমীর পূততুণ্ডের মন্তব্য, "নন্দীগ্রামের ঘটনার পরে কিছু অতিরঞ্জিত প্রচার হয়ে থাকতে পারে। তবে সে সবের পাল্টা কোনও বয়ান তখন পাওয়া যায়নি। বর্তমান সরকারের উচিত, সত্য উদ্ঘাটনের স্বার্থে অভিযুক্ত পুলিশ অফিসারদের বিরুদ্ধে তদন্তের অনুমতি দেওয়া।"

কিন্তু তৎকালীন বিরোধী নেত্রী-সহ তৃণমূল নেতারা সে দিন সিবিআই চাইলেও এখন কেন বিরোধিতা করছেন, এ দিন সেই প্রশ্ন তুলেছেন সিপিএম নেতারা। বিরোধী দলনেতা সূর্যকান্ত মিশ্রের কথায়, "তৎকালীন বিরোধীরাই সিবিআই-তদন্ত দাবি করেছিলেন। এখন তাঁরাই আবার সিবিআই তদন্তে ভয় পাচ্ছেন!" সিপিএম রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর সদস্য মহম্মদ সেলিম বলেছেন, "নন্দীগ্রামে সিবিআই-তদন্ত কি আমরা চেয়েছিলাম? উনি (মমতা) চেয়েছিলেন। আমরা মনে করি, আইন-শৃঙ্খলা রাজ্যের ব্যাপার। যে কারণে আমরা বহু ব্যাপারে সিবিআই-তদন্তে আপত্তি তুলেছি, নন্দীগ্রামের ক্ষেত্রেও। অথচ বিরোধী থাকাকালীন তুচ্ছাতিতুচ্ছ বিষয়েও উনি সিবিআই দাবি করতেন!" মুখ্যমন্ত্রীকে কটাক্ষ করে সেলিমের প্রশ্ন, "উনি তো দীর্ঘদিন কেন্দ্রীয় মন্ত্রী ছিলেন। সিবিআই কী, তখন জানতেন না? এখন কেন সিবিআই-তদন্তে আপত্তি করছেন?"

আদালতে সিবিআইয়ের পেশ করা দু'টি চার্জশিটে বলা হয়েছে: নন্দীগ্রামে ২০০৭-এর ১৪ মার্চ আক্রমণকারী সশস্ত্র জনতাকে ছত্রভঙ্গ করতে পুলিশ গুলি চালাতে বাধ্য হয়েছিল। সিবিআই তদন্তকারীদের বক্তব্য: ভাঙাবেড়া ও অধিকারীপাড়ায় কয়েক হাজার লোক জড়ো হয়েছিল অবৈধ ভাবে। জমায়েতের সামনের সারিতে ছিল মহিলা ও শিশুরা। পিছনে লাঠি-রড-ভোজালি হাতে পুরুষেরা। কয়েক জনের হাতে আগ্নেয়াস্ত্রও ছিল। পুলিশ প্রথমে লাঠি, কাঁদানে গ্যাস, রবার বুলেট ছুড়ে পরিস্থিতি নিয়ন্ত্রণে আনার চেষ্টা করে। তাতে কাজ না-হওয়ায় গুলি চালাতে পুলিশ বাধ্য হয়েছিল বলে সিবিআইয়ের তদন্তকারীরা জানিয়েছেন। সূর্যবাবুর দাবি: অজস্র শিশুকে পা চিরে খুন, মহিলাদের স্তন কেটে নেওয়া, ট্রলারে চাপিয়ে মৃতদেহ পাচার এমন নানা অভিযোগ তখন বিরোধীদের মুখে শোনা গেলেও সেগুলোর সমর্থনে ন্যূনতম প্রমাণও সিবিআই পায়নি।

http://www.anandabazar.com/31raj7.html


গাড়ি ছুটিয়ে আনা হল গুরুঙ্গকে

নিজস্ব প্রতিবেদন

মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের আমন্ত্রণে ব্রিগেডের সভায় যোগ দিতে মোর্চা নেতা তথা জিটিএ-চিফ বিমল গুরুঙ্গ বুধবার দুপুরের বিমানেই পৌঁছে গিয়েছিলেন কলকাতায়। বৃহস্পতিবার সভাস্থলে কিন্তু এসে পৌঁছলেন শেষ মুহূর্তে। তখন মুখ্যমন্ত্রীর বক্তৃতা প্রায় শেষ হওয়ার মুখে। ফলে গুরুঙ্গের আর বক্তৃতা দেওয়া হল না। যানজটেই এই দেরি, বলছে সরকারি সূত্র। কিন্তু রাজনৈতিক মহলে কানাঘুষো, তৃণমূল নেত্রীর সঙ্গে এক মঞ্চে তাঁর বক্তৃতা অস্বস্তির কারণ হবে, আন্দাজ করেই দেরি করেছেন গুরুঙ্গ।

তাতে অবশ্য শেষরক্ষা হয়নি। তৃণমূলের সভায় উপস্থিতির জন্য বিরোধীদের তীব্র সমালোচনার মুখে পড়েছেন মোর্চার শীর্ষ নেতৃত্ব। মোর্চা-তৃণমূল একই মুদ্রার এ পিঠ-ও পিঠ, কটাক্ষ করেছে অখিল ভারতীয় গোর্খা লিগ, সিপিআরপিএম এবং সিপিএম। মোর্চার দাবি, রাজনৈতিক সৌজন্যের খাতিরে সভায় গেলেও আলাদা গোর্খাল্যান্ডের দাবি থেকে তাঁরা সরছেন না।

মুখ্যমন্ত্রী জানুয়ারির তৃতীয় সপ্তাহে দার্জিলিং সফরে গিয়ে গোর্খা জনমুক্তি মোর্চা নেতাদের সঙ্গে বৈঠকের সময়ে ব্রিগেডের সভায় তাঁদের অতিথি হিসেবে উপস্থিত থাকার আমন্ত্রণ জানান। দলে আলোচনার পরে গুরুঙ্গ জানিয়ে দেন, তাঁরা ব্রিগেডে যাবেন। সেই মতো মোর্চার শীর্ষ নেতারা এক দিন আগেই কলকাতায় পৌঁছে যান। কিন্তু, এ দিন সভা শুরুর পরে অনেকটা সময় গড়ালেও বিমল গুরুঙ্গ না পৌঁছনোয় খোঁজখবর শুরু হয়। তখনই জানা যায়, জিটিএ-প্রধান পার্ক সার্কাসের কাছে যানজটে বন্দি। নড়াচড়ার জো নেই।

*

সাক্ষাৎ। ব্রিগেডে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের জনসভায়

পৌঁছলেন বিমল গুরুঙ্গ। বৃহস্পতিবার। ছবি: দেবাশিস রায়।

বেগতিক বুঝে, গুরুঙ্গকে যত দ্রুত সম্ভব ব্রিগেডে নিয়ে আসার নির্দেশ পাঠান পুলিশ কমিশনার সুরজিৎ কর পুরকায়স্থ। তখন পার্ক স্ট্রিটে পশ্চিমমুখী যান চলাচল বন্ধ রয়েছে। কিন্তু শীর্ষ স্তরের নির্দেশে সঙ্গে সঙ্গে ব্যবস্থা হল। ট্র্যাফিক আটকে উল্টো দিক দিয়েই গুরুঙ্গকে গড়ের মাঠের দিকে নিয়ে আসার। মুখ্যমন্ত্রীর বক্তৃতা শেষ হওয়ার আগেই অবশেষে মঞ্চে দেখা মিলল কাঙ্ক্ষিত অতিথির। মুখ্যমন্ত্রী তাঁকে স্বাগত জানালেও বক্তৃতা দেওয়ানো আর হয়ে ওঠেনি।

তৃণমূলের সভায় মোর্চার শীর্ষ নেতৃত্বের উপস্থিতি নিয়ে সরব হয়েছেন বিরোধীরা। অখিল ভারতীয় গোর্খা লিগের সাধারণ সম্পাদক প্রতাপ খাতির কটাক্ষ, "মোর্চা ও তৃণমূল একই মুদ্রার এ পিঠ-ও পিঠ। এটাই প্রমাণ হল। মনে হল, রাজ্য যা বলবে তা-ই করবেন গুরুঙ্গ। তবে মাঝেমধ্যে গোর্খাল্যান্ডের দাবিতে শুধু লোক দেখানো হইহল্লা বাধাবে মোর্চা।" আগামী লোকসভা ভোটে তৃণমূলের পাশে মোর্চা থাকবে, মন্তব্য করেন তিনি। সিপিআরএমের গোবিন্দ ছেত্রী বলেন, "একটি রাজনৈতিক দল তাদের জনসভায় আমন্ত্রণ করতেই পারে। সে জন্য সেখানে ছুটে যেতে হবে? এতে তো মনে হতে পারে গোর্খাল্যান্ডের দাবি বিকিয়ে গিয়েছে।"

এ দিন সিপিএম নেতা তথা প্রাক্তন পুরমন্ত্রী অশোক ভট্টাচার্য তৃণমূল ও মোর্চা, দু-তরফেরই সমালোচনা করেছেন। প্রাক্তন পুরমন্ত্রীর মন্তব্য, "তৃণমূল-মোর্চার বিরোধিতার দিন কি তবে ফুরোল? দু'টি দল পাহাড়ে টিকবে তো?" তৃণমূল নেত্রী গোর্খাল্যান্ডের দাবিদারদের বিরুদ্ধে কিছু বলছেন না কেন, সেই প্রশ্নও তোলেন তিনি।

মোর্চার প্রচার সচিব হরকাবাহাদুর ছেত্রী অবশ্য অশোকবাবুর মন্তব্যের জবাব দিতে রাজি হননি। তাঁর দাবি, "পাহাড়ের যাঁরা ভাবছেন, আমরা গোর্খাল্যান্ডের দাবি থেকে সরেছি, তাঁরা ভুল ভাবছেন।" তাঁর পাল্টা চ্যালেঞ্জ, "আমাদের বিরোধীরা যদি সত্যিই আলাদা রাজ্য চান, তা হলে এখনই আন্দোলনে নামুন। আমরা তাতে সামিল হব।"

মোর্চার কালিম্পঙের বিধায়কের ব্যাখ্যা, মুখ্যমন্ত্রী দার্জিলিঙে গিয়ে মোর্চাকে আমন্ত্রণ করেছেন। তাতে সাড়া না দিলে সেটা সৌজন্যের পরিচয় হতো না। পাহাড়ের মানুষের সৌজন্য পৃথিবী বিখ্যাত। তিনি বলেন, "আমাদের সঙ্গে লোকসভা ভোট নিয়ে আলোচনা হয়নি।" মোর্চার অন্দরের খবর, আগামী ৫ ফেব্রুয়ারি দার্জিলিঙে জামুনির সভায় সেটা ঠিক হবে।

http://www.anandabazar.com/31raj5.html


মঞ্চ থেকে দিদির ডাক, বেড়া ভেঙে এগিয়ে এসো

ঋজু বসু • কলকাতা

বদ্বীপের নিতাই সাহাকে চেপে ধরেছেন রাজারহাটের শেখ কাশেম ও বাগনানের নন্দন ধর। খোঁচা-খোঁচা পাকা দাড়ির বৃদ্ধ তবু হার মানার পাত্র নন। হাসতে হাসতে বোঝাচ্ছেন, নবদ্বীপের মহাপ্রভু তো সবার মনে! ওঁর ছবি না-থাকলেও কী আসে-যায়!

তখনও দিদির আবির্ভাব ঘটেনি। ব্রিগেড মঞ্চের অদূরে বৃহস্পতিবার দুপুরে ভ্যান রিকশায় বসে জমিয়ে খোশগল্প চলছিল। 'নবদ্বীপ টিএমসি'-র সৌজন্যেই ভ্যান রিকশায় সাজানো ট্যাবলোয় হাজির বাঙালির প্রিয় মনীষীকুল। কিন্তু শ্রীচৈতন্যের ছবি না-থাকায় নবদ্বীপের নিতাইবাবুর পা টানতে কসুর করলেন না সদ্য পরিচিত দু'জন। তাতে কী? পাশাপাশি সারি বেঁধে রবীন্দ্র-বিবেকানন্দ-দ্বিজেন্দ্রলাল-নজরুল রয়েছেন। মহাত্মা গাঁধী ও নেতাজির কাটআউটবিশিষ্ট দু'টি ট্যাবলোর গায়ে লেখা, 'গাঁধীবাদ সুভাষবাদ জিন্দাবাদ'। একই পংক্তিতে সদ্যপ্রয়াত মান্না দে ও সুচিত্রা সেনকেও সচিত্র স্মরণ করা হয়েছে।

*

ভিড় সামলাতে হিমশিম। বৃহস্পতিবার, ব্রিগেডে। —নিজস্ব চিত্র।

আমবাঙালির অতীতের বরণীয়দের এ ভাবে এক সঙ্গে মিলিয়ে দেওয়ার মতোই মঞ্চে রাজনৈতিক নেতাদের পাশে শিল্প-সংস্কৃতিজগত, টিভি-ফিল্মের তারকাদের উপস্থিতি। আবার মূলস্রোতের পাশে প্রান্তিক কৃষ্টি-পরম্পরাও বাদ পড়েনি। তাই সাংসদ শতাব্দী রায় ও সহশিল্পীদের নৃত্য পরিবেশনের ঘোষণায় জনতা মঞ্চ বা জায়ান্ট স্ক্রিনে কিছুটা মনোযোগী হলেও মাঠে কয়েক পা অন্তর করম, সোহরাই বা পাতা নাচের আসর ঘিরে জটলা আলগা হয়নি। তৃণমূলের পতাকা হাতে শতাব্দীর নাচের সময়েই একনাগাড়ে ধামসা বাজাতে বাজাতে একটু বিরতি নিলেন আউশগ্রামের দেবসরার মঙ্গল মারডি। তাঁর গায়ে আর্জেন্তিনার জার্সি। বিড়ি ধরিয়ে হেসে বললেন, কেমন মানিয়েছে, বলুন! স্থানীয় পঞ্চায়েত থেকেই এমন উপহার মিলেছে।

মঞ্চ থেকে মুখ্যমন্ত্রী বলছিলেন, এ বার তৃণমূলের ডাকে শুধু বাংলা নয়, মণিপুর, উত্তরপ্রদেশ, দিল্লি, কেরল, রাজস্থানের কর্মীরা অবধি কলকাতার ব্রিগেডে হাজির। ভিড়ের মধ্যে বহু দিন বাদে এ শহরের জনসমাবেশে রাজ্যের পাহাড়বাসী ভূমিপুত্রদেরও দেখা মিলল। ভানু তামাং, প্রজল রাই, উপেন গুরুঙ্গরা জোর গলায় বললেন, "ও সব গোর্খাল্যান্ড-ট্যান্ড নিয়ে অনেক সময় নষ্ট হয়েছে। এখন আমরা উন্নয়নের তাগিদেই মমতাজির পাশে এককাট্টা!"

জঙ্গলমহলের শালবনির পিরাকাটার ৬০-৬৫ জনের দলটির বেশিরভাগই মহিলা। মহাশ্বেতা দেবী যখন পরিবর্তনের পরে জঙ্গলমহলের উন্নয়নের কথা বলছেন, রোদে পিঠ দিয়ে বসে চপ-মুড়ি খেতে খেতে তাঁরা চোখ মেলে চাইলেন। দলটির পাণ্ডা রঞ্জিত মাহাতো, রতিকান্ত মাহাতোরা সগর্বে বলছিলেন, আগে বাম আমলেও তাঁরা কেউ কেউ ব্রিগেডে এসেছেন, কিন্তু জঙ্গলমহল থেকে এত লোক বহুদিন বাদে ব্রিগেডে হাজির।

নন্দীগ্রাম-তদন্ত নিয়ে সিবিআইকে মমতা এক হাত নেওয়ায় খুশি নন্দীগ্রামের শেখ কাহারুল হক, মির মুকতাজ আলিরা। জানান, সাতেঙ্গাবাড়ি ও তিয়াখালির দু'টি বুথ থেকে তিন বাস-বোঝাই লোক এসেছে।

*

ব্যারিকেড ডিঙোনোর মরিয়া চেষ্টা। ব্রিগেডে সুদীপ আচার্যের তোলা ছবি।

ব্রিগেডে আক্ষরিক অর্থেই বাংলার প্রতিটি কোণের উপস্থিতিতে পুরোদস্তুর মেলার মেজাজ। কাপড়ে রঙিন সুতোর নকশা আঁকার সরঞ্জাম নিয়ে হাজির গোসাবার ছোটমোল্লাখালির দিবা সাহা। সমুদ্রগড়ের অরুণ বিশ্বাস ও বনগাঁর শিখা মিস্ত্রিকে দিবাবাবু বুঝিয়ে চলেছেন, আমরা সুন্দরবনের লোক! এক পয়সা বাড়িয়ে বলি না, বুঝলেন! মন্দিরবাজারের সুকুমার নস্কর নিজের হাতে গড়া ক্ষীরের মিষ্টি, মিহিদানা ও গুড়-বাদাম নিয়ে সাতসকালে শিয়ালদহ হয়ে হাজির। বললেন, সাগরমেলার পরে এ বার সরস্বতী পুজোয় সুভাষগ্রামের মেলায় যাব। তার আগে ব্রিগেডের দৌলতে ফাউ ভালই জুটল।

তামাম গ্রাম-বাংলার কলকাতা-দর্শনের দিনে এ বার মাঠের অনেকটা জুড়ে শুধুই বিকিকিনির পসরা। মমতাদির ছবি, জোড়াফুলছাপ চাবির রিং তো তাতে থাকবেই, প্যান্ট-জামা, দুল-হার, ব্যাগপত্তর অবধি ঢালাও বিকোচ্ছে। ছেলেকে পরীক্ষার জন্য আনতে পারেননি ঘাটালের অনিতা অধিকারী। তাই দু'টো জামা কিনে নিয়ে গেলেন। ভুরিভোজের ব্যবস্থাও মন্দ নয়। বেলা পড়তে খিচুড়ির প্লেট ২০ থেকে বেড়ে ৩০ টাকা, এক পিস চিকেন ও ভাতের দাম ৪০ থেকে ৪৫। তবু ঝানু বিক্রেতা জয়নগরের দিলীপ হালদারের হাতছানি কে এড়াবে! নিজেই বলছেন, "ওরেব্বাস, কী বড় পিস মুরগির, এটা আবার বোনলেস!"

উত্‌সাহের বিচিত্র রং! মেদিনীপুর থেকে আসা মহিলার কোলে একরত্তি শিশু। আলিপুরদুয়ারের মুন্না চন্দ দেবের সঙ্গে হুইলচেয়ারে বন্দি ১০ বছরের মেয়ে। হুইলচেয়ার ঠেলতে ঠেলতেই মিটিং দেখতে হাজির।

উত্‌সাহের ঠেলায় মাঝেমধ্যেই বেগ পেয়েছে পুলিশ। ব্যারিকেডের বাঁশে চড়ে জনতাকে বকে-ঝকে সামলাতে হয়েছে। মুখ্যমন্ত্রীর বক্তৃতার সময়ে স্বেচ্ছাসেবকের ভূমিকায় দেখা গেল মন্ত্রী ফিরহাদ হাকিম ও ছাত্রনেতা শঙ্কুদেব পণ্ডাকেও। অবশেষে হাল ধরলেন মমতা নিজেই। ঠেলাঠেলির চাপে অঘটন ঘটতে পারে বুঝে নিজেই ব্যারিকেড ভেঙে জনতাকে এগিয়ে আসার অনুমতি দিলেন। দিদি বলছেন, "ছেলেরা একটু দুষ্টু হয়! রবীন্দ্রনাথ তো বলেইছেন, দাও সবে গৃহহারা, লক্ষ্মীছাড়া করে! (পুলিশকে) ব্যারিকেড ভেঙে ওদের এগিয়ে আসতে দিন।"

শুনেই জনতার হো-হো উল্লাস! মিটিংয়ের উত্‌সবের মেজাজটাই শেষ কথা বলে গেল।

http://www.anandabazar.com/31raj6.html

খেজুর রস থেকে সুচিত্রা সেন, কী ছিল না ব্রিগেডে

প্রসেনজিত্‍ বেরা


উপস্থিত লক্ষ লক্ষ মানুষ যে কথা শুনতে চেয়েছিল তা বলে দিলেন মহাশ্বেতাদেবী৷ বৃহস্পতিবার তৃণমূলের ব্রিগেড সমাবেশে এসে প্রবীণ এই লেখিকা খোলাখুলি ঘোষণা করলেন, 'আজকের এই জনসমুদ্র মমতাকেই দেখতে এসেছিল৷ মমতাকে আগামী দিনে দেশের প্রধানমন্ত্রী দেখতে চাই৷'


স্বয়ং মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় এ কথা শুনে ঘোর অস্বস্তিতে৷ মহাশ্বেতাদেবীকে কানে কানে তা বলতে চাইলেও মুখ্যমন্ত্রীকে থামিয়ে দিয়ে ফের মহাশ্বেতাদেবী তাঁর ইচ্ছার কথা শোনালেন৷ জনতার ইচ্ছাও তাই ছিল৷ বিপুল করতালি তার প্রমাণ৷ মমতাকে প্রধানমন্ত্রী হিসেবে দেখতে চাওয়াই নয়, পাহাড় ও জঙ্গলমহলে মমতা যে কর্মকাণ্ড শুরু করেছেন, তারও ঢালাও প্রশংসা করেছেন তিনি৷ মহাশ্বেতাদেবীর মতোই মঞ্চে থেকে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের পাশে দাঁড়িয়েছেন সন্ধ্যা রায় ও দ্বিজেন মুখোপাধ্যায়ের মতো প্রবীণ শিল্পীরা৷ ছিলেন দেব-সহ টালিগঞ্জের বহু অভিনেতা-অভিনেত্রী৷ ব্রিগেডের মতো একটি রাজনৈতিক সভাকে শুধু রাজনীতির কথাবার্তার মধ্যে আটকে না-রেখে সার্বিক একটি সমাবেশের চেহারা দিতে নানা সাংস্কৃতিক অনুষ্ঠানের আয়োজন করেছিলেন তৃণমূল নেতৃত্ব৷ ফলে সকাল দশটা থেকেই মঞ্চের সামনের অংশে বড় জমায়েত তৈরি হয়েছিল৷ শুরু থেকেই আদিবাসীদের নাচগান নিয়ে একাধিক লোকসংস্কৃতি সংগঠন উপস্থিত থেকেছে মঞ্চে৷ আদিবাসী নাচ-গানের পাশে পরপর গান শুনিয়েছেন ইন্দ্রনীল সেন, নচিকেতা, শান্তনু রায়চৌধুরীর মতো শিল্পীরা৷ শতাব্দী রায় ও তাঁর সম্প্রদায় নাচ দেখালেন মঞ্চে৷ শীতের দুপুরে মিঠে রোদ গায়ে মেখে মানুষ একমনে শুনেছে প্রখ্যাত শিল্পীদের নাচ-গান৷ তখন ব্রিগেডে পিকনিকের মেজাজ৷


গান শুনতে শুনতেই বর্ধমানের গ্রামীণ এলাকা থেকে আসা তৃণমূল কর্মীদের একটি দল ভিক্টোরিয়ার উল্টোদিকে ফুটপাথে রাখা ফাইবারের চেয়ার-টেবিলে খেতে বসেছেন৷ ভিক্টোরিয়ার উল্টোদিকে যেখানে অন্য সময় আইসক্রিম-ঝালমুড়ির বিক্রি হয়, সেখানে ওভেন-গ্যাস সিলিন্ডার রেখে ঢালাও রান্না হচ্ছে৷


ভিক্টোরিয়ার উল্টোদিকে সকাল থেকেই রান্নাবান্না হয়েছে৷ বড় বড় গাছের গোড়ায় কংক্রিটের বেদি হয়েছে লাঞ্চ টেবিল৷ এই পিকনিকের মেজাজেই ব্রিগেডের বড় অংশ জুড়ে ছড়িয়ে-ছিটিয়ে ছিলেন তৃণমূল সমর্থকরা৷ মোটামুটি ১০-১৫ টাকায় খবরের কাগজে মোড়া পরোটা ও আলুর দম এ দিন বিকিয়েছে দেদার৷ মাঠের একাধিক জায়গায় অবশ্য তৃণমূল কর্মীদের প্যাকেটবন্দি ফ্রায়েড রাইস কিংবা রুটি দিয়ে চিলি-চিকেন খেতেও দেখা গিয়েছে৷


তবে বাঁকুড়ার সারেঙ্গা থেকে আসা জগন্নাথ মুর্মু কিংবা মনোরঞ্জন সরেনদের অবশ্য মাছ-ভাত জোটেনি৷ প্রায় ৫০ জনের একটি দল নিয়ে তাঁরা ব্রিগেডে এসেছেন৷ অধিকাংশই মহিলা৷ বড় বড় ধামসা-মাদল ছাড়াও বিশাল লম্বা ড্রাম জাতীয় বাদ্যযন্ত্র নিয়ে আদিবাসী নাচ-গান দেখানোর উদ্দেশ্যে তাঁদের কলকাতায় আনা হয়েছে৷ কিন্ত্ত স্টেজে ওঠার সুযোগ না-মেলায় মাঠের মাঝখানে নিজেরাই মাঝেমধ্যে ধামসা বাজিয়ে নিজেদের উপস্থিতি জানান দিচ্ছিলেন৷ এর মাঝে মুড়ি-সেদ্ধ ছোলা ও মটর দিয়ে এ দিন দুপুরে দলবেঁধে খাওয়া-দাওয়া সারল জগন্নাথবাবুর দল৷ মাছ-ভাত না হলেও এই দলে আসা মহিলাদের ঘাসফুল ছাপা দেওয়া শাড়ি দেওয়া হয়েছে দলের পক্ষ থেকে৷ এই পিকনিকের মেজাজ আরও জমিয়ে দিতে এ দিন ভাঙড়ের দিক থেকে হাঁড়ি ভর্তি খেজুর রস নিয়ে হাজির ছিলেন মদন সর্দার৷ ১০ টাকায় গ্লাস ভর্তি ঠান্ডা খেজুর রস পাওয়া যাচ্ছিল৷ অনেকেই সেই রসে গলা ভিজিয়েছেন৷


ব্রিগেডের যে কোনও সমাবেশ মানেই হরেকরকমবা খাবারের মেলা৷ ফলে শাঁকআলু থেকে ঠোঙা ভর্তি চিনেবাদাম, ঝালমুড়ি-ছোলা থেকে পাঁপড়, ঘুগনি থেকে ঘটিগরম, শসা থেকে কমলালেবু, গুড়বাদাম থেকে চানাচুর-নিমকি---বাদ ছিল না কিছুই৷


মাঠে মেয়েদের ফ্রক বিক্রি হয়েছে একশো টাকায়৷ দেদার বিক্রি হয়েছে মমতার ছবি ও পোস্টার৷ এর মধ্যে নবদ্বীপের তৃণমূল নেতৃত্ব আবার বাড়তি চমক হিসেবে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়-রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর-সুভাষচন্দ্র বসুর সঙ্গে সুচিত্রা সেন ও মান্না দে-র বিশাল কাটআউট এনেছিলেন৷ কিছুদিন আগে মিরিকে তামাং সম্প্রদায়ের সম্মেলনে গিয়েছিলেন মুখ্যমন্ত্রী৷ এ দিনের সভায় দার্জিলিং থেকে তামাং সম্প্রদায়ের কয়েকশো প্রতিনিধি ছিলেন মাঠে৷ তেভাগা আন্দোলনের শহিদ পরিবার থেকেও প্রতিনিধিরা ছিলেন৷

http://eisamay.indiatimes.com/city/kolkata/different-mood-of-brigade/articleshow/29617886.cms?

মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় বনাম বাকি দুই দল, রাজ্যে কাদের জোট, এখনও ঝাপসা

Jan 29, 2014, 12.14PM IST


রাহুল গান্ধী পারেন না হেন কাজ নেই৷ তিনি গাধা পিটিয়ে ঘোড়া করতে পারেন, পাষাণের বুকে প্রাণ প্রতিষ্ঠা করতে পারেন, নিজের দলের প্রধানমন্ত্রী বিদেশে থাকার সময় তাঁকে প্রকাশ্যে বে-ইজ্জত করতে পারেন, কেন্দ্রীয় মন্ত্রিসভার কেউ না হয়েও যে কোনও সরকারি সিদ্ধান্ত একা কুম্ভের মতো ভেটো করেও দিতে পারেন৷ কেবল আসন্ন লোকসভা ভোটে পশ্চিমবঙ্গে কংগ্রেস মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের সঙ্গে জোট করবে কি না সেই সিদ্ধান্তটুকু তিনি নিতে পারেন না৷ একমাত্র এই বিষয়টিতেই তিনি 'মাম্মিজ চাইল্ড৷' এ বিষয়ে তাঁর নিজস্ব কোনও মতামত নেই, মা যা স্থির করবেন সেটাই চূড়ান্ত৷


আর মা কী চাইছেন তা নিয়েই দানা বেঁধেছে রহস্য৷ রাজ্যের কংগ্রেস নেতারা বেনজির ভাবে ঐক্যবদ্ধ হয়ে দলের প্রচার-কান্ডারিকে জানিয়ে এসেছেন তাঁরা কোনও অবস্থাতেই তৃণমূল কংগ্রেসের সঙ্গে নির্বাচনী সমঝোতা চান না৷ নেতাদের এমন গোষ্ঠী-নিরপেক্ষ ঐক্যবদ্ধ অবস্থান রাহুলকে বিস্মিত করলেও সেই ইচ্ছাকে তিনি মর্যাদা দিতে পারেননি৷ ১২৯ বছরের পুরনো কংগ্রেস দলের সাংগঠনিক কাঠামোটি এমনই গণতান্ত্রিক যে সেখানে একটি অঙ্গরাজ্যের সব কয়জন নেতার সম্মিলিত সিদ্ধান্তেরও আদৌ কোনও গুরুত্ব নেই৷ দশ নম্বর জনপথের অন্তঃপুরে বসে নেত্রী যা স্থির করে দেবেন সেটাই শিরোধার্য৷ কেননা তিনিই মেষপালক৷


জলসাঘরের জমিদারের মতো অবস্থা এখন গান্ধী-পরিবারের৷ জমিদারিটাই লোপাট হয়ে গিয়েছে, কিন্ত্ত ঠাটবাট এখনও আগের মতোই ষোলো আনা অটুট৷ আসন্ন লোকসভা ভোটে ভারতীয় জাতীয় কংগ্রেস স্বাধীনতা-উত্তর কালের সবচেয়ে খারাপ ফল করবে কি না ঠিক নেই, কাশ্মীর থেকে কন্যাকুমারী সর্বত্র সব অঙ্গরাজ্যে শেষ কথাটি বলবেন কেবল এক জন ব্যক্তি৷ এমত দলীয় একনায়কতন্ত্র কংগ্রেসিরা বিনা বাক্যব্যয়ে এখনও কেন মেনে নেন তার সদুত্তর দেওয়া কঠিন৷ কিন্ত্ত সত্যটা হল এমনতরো নিঃশর্ত আনুগত্য এবং বশ্যতা স্বীকারের যে বাধ্যবাধকতা একদা ছিল এখন আর তা নেই৷ গান্ধী পরিবারের মা ও পুত্র নিজেরা জিততে পারেন কেবল রায়বেরিলি ও আমেথিতে৷ লোকসভার বাকি ৫৪২টি আসনের একটিতেও কংগ্রেস প্রার্থীর জেতা-হারা তাঁদের নেতৃত্ব অথবা ক্যারিসমার উপরে আর নির্ভর করে না৷ অন্যভাবে বলতে গেলে ইন্দিরা অথবা গোড়ার দিকের রাজীব গান্ধীর মতো সনিয়া অথবা রাহুল কেউই ভোট-ক্যাচার নন৷ ফলে নির্বাচনী বৈতরণী উতরোনোর জন্য যাঁর ইমেজের উপর আর কোনও নির্ভরশীলতাই নেই, তাঁর ইচ্ছা-অনিচ্ছা কেন নির্ণায়ক হবে সেটাই প্রশ্ন৷ মনে হয় এটা কংগ্রেসিদের মজ্জাগত অভ্যাস বৈ আর কিছুই নয়৷ পথ চলতে চলতে ফুটপাথে সবে গজিয়ে ওঠা শিলাখণ্ড দেখলেও যেমন ভক্তজনের হাত কপালে ওঠে কংগ্রেসিরাও অনেকটা তেমন ভাবেই দশ নম্বরের দুই জীবন্ত বিগ্রহের সামনে অকারণেও সাষ্টাঙ্গ হতে অভ্যস্ত৷ এটা তাঁদের মজবুরি, এখানে মেরুদণ্ডের কোনও বালাই-ই নেই৷


তথাকথিত কংগ্রেস হাইকমান্ডের ইচ্ছার যূপকাষ্ঠে বলি হওয়াটাই পশ্চিমবঙ্গ প্রদেশ কংগ্রেসের দীর্ঘ দিনের ইতিহাস৷ এ কাজ করতে করতে এই গাঙ্গেয় উপত্যকায় প্রায় ধুয়ে মুছে সাফ হয়ে যাওয়ার অবস্থা হয়েছে কংগ্রেসের, তবু হাইকমান্ড-দিদির কার্যত কোনও হেলদোলই নেই৷ পি ভি নরসিমহা রাওয়ের সময় থেকে মনমোহন সিংয়ের প্রথম ইউপিএ সরকারের মেয়াদকাল শেষ হওয়া পর্যন্ত রাজ্য কংগ্রেসের কাজ ছিল একটাই৷ সর্বভারতীয় কোয়লিশনের রাজনীতিতে দলের তথাকথিত বাধ্যবাধকতার কথা মাথায় রেখে রাজ্যে এমন কিছু না করা যাতে বামপন্থী শাসকবৃন্দের সুখের দিবানিদ্রায় কোনও ব্যাঘাত হয়৷ প্রথম ইউপিএ জমানার শেষের দিকে কেন্দ্রীয় সিপিএম নেতৃত্ব হঠাত্‍ ঘরশত্রু বিভীষণ হয়ে ওঠায় সেই বাধ্যবাধকতার চরিত্রটা একটু বদলে গেল৷ আগে মালিক ছিল সিপিএম, এবার মালকিন হলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ দিল্লি থেকে হাইকমান্ড-দিদি জানিয়ে দিলেন এবার রাজ্য কংগ্রেসকে হতে হবে দিদিং শরণং গচ্ছামি৷ তথাস্ত্ত বলে কংগ্রেসিরা বাংলার দিদির সঙ্গে জোট করলেন দিদিরই শর্তে, পরপর দু'টি নির্বাচনে৷ ২০০৯-এর লোকসভা এবং ২০১১-র বিধানসভা৷ দিল্লিতে দ্বিতীয় ইউপিএ জোট থেকে তৃণমূল কংগ্রেস বেরিয়ে এসেছে সেই কবে৷ রাজ্যে জোট দূরস্থান, দুই কংগ্রেসের সম্পর্ক, ময়দানি স্টাইলে পরস্পরের 'প্লেয়ার' তুলে নেওয়ার খেলার কারণে, আক্ষরিক অর্থেই অহি-নকুল৷ রাজ্য কংগ্রেসি নেতাদের তবুও আশঙ্কা, তাঁদের এবারও হয়তো বাধ্য করা হবে ওই তৃণমূল কংগ্রেসের সঙ্গেই সমঝোতায় যেতে৷ ঘর পোড়া গরু কংগ্রেসিরা তাই রাহুল গান্ধীর অপারগতাকে সিঁদুরে মেঘ হিসেবেই ঠাওর করছেন৷ তাঁরা বুঝতে পারছেন না সর্বক্ষমতাসম্পন্ন পুত্র কেন এমন একটা আপাত-তুচ্ছ বিষয় 'মাম্মির' কোর্টে ঠেলে দিলেন৷


ভোটের পাটিগণিত বলে, দুই কংগ্রেসের জোট না হলে তৃণমূলের চেয়ে কংগ্রেসের ক্ষতির সম্ভাবনা বেশি৷ ভোট ভাগাভাগির কারণে তৃণমূল হয়তো সামান্য কয়েকটি আসনে বেগ পাবে কিন্ত্ত কংগ্রেসের আম ও ছালা দুইয়েরই যাওয়ার প্রবল সম্ভাবনা৷ একক ভাবে লড়েও তৃণমূল কংগ্রেস গত লোকসভা ভোটের তুলনায় অনেকগুলি বেশি আসন পাবে কিন্ত্ত কংগ্রেসের ছয়টি আসনের মধ্যে চারটিই হাতছাড়া হওয়ার সম্ভাবনা৷ অতএব, প্রশ্ন উঠতে পারে রাজ্যের কংগ্রেসি নেতাদের এমন 'সুনন্দা পুষ্কর'-জাতীয় প্রবণতা হচ্ছে কেন? নিজের ভাল-মন্দ তো পাগলেও বোঝে!


প্রথম কারণটি অবশ্যই অন্ধ গাত্রদাহ৷ এতটাই যে তার জেরে নিজেদের নাক কেটে তৃণমূলের সামান্য যাত্রাভঙ্গ করতেও রাজ্য কংগ্রেস নেতাদের অনেকের আপত্তি নেই৷ দ্বিতীয় কারণ, রাজ্য প্রদেশ নেতৃত্বের একটি ক্ষুদ্র অংশ মনে করেন, এ রাজ্যে কোনও দিন দলকে ঘুরে দাঁড়াতে হলে সচেতন ভাবে একটা সময় একলা চলার সিদ্ধান্ত নিতে হবে এবং সেই সিদ্ধান্তে অবিচল থাকতে হবে৷ সেই সময় ইতিমধ্যেই অতিক্রান্ত৷ তৃতীয় কারণ তৃণমূলের বদলে সিপিএমের সঙ্গে অঘোষিত জোট করার পক্ষপাতী অনেকে৷ রাজ্য সিপিএম-এর পক্ষ থেকে সেই প্রস্তাব পৌঁছে গিয়েছে দশ নম্বর জনপথেও৷ সেই কারণেই রাজ্য কংগ্রেসি নেতাদের এমন বেনজির ঐক্য, এমন জোট-বিরোধী আস্ফালন৷


এ রাজ্যে কংগ্রেস এবং সিপিএম নির্বাচনী সমঝোতা চাইছে তেমন পরিস্থিতি অতীতে কখনও হয়নি৷ এমনটি যে কোনও দিন হতে পারে, তা-ও ভাবা যায়নি৷ কিন্ত্ত পরিবর্তিত পরিস্থিতিতে দুই দলের লক্ষ্যই এখন এক- যেন তেন প্রকারেণ মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের অশ্বমেধের ঘোড়ার অগ্রগতি প্রতিহত করা৷ তার মানে কিছুকাল আগে সিপিএমকে রুখতে দুই কংগ্রেস যেভাবে নির্বাচনী ঐক্যের বাধ্যবাধকতা অনুভব করত এখন তৃণমূলকে রুখতে সেই একই তাগিদ অনুভব করছে রাজ্য কংগ্রেস আর রাজ্য সিপিএম৷ গত তিন বছরের বাংলার রাজনীতির প্রেক্ষাপটে সবচেয়ে বড়ো মৌলিক পরিবর্তনটি ঘটে গিয়েছে এখানেই৷ তৃণমূল এখন এখানে কেবল রাজ্যের শাসক দল নয়, রাজনীতির ভরকেন্দ্র, প্রায় একাধিপত্য প্রতিষ্ঠা করা রাজনৈতিক শক্তি৷ মেরুর এক দিকে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়, বিপরীতে বাকি সকলে৷


অথচ কাগজে-কলমে, প্রকাশ্যে নিজেদের মধ্যে জোট বাঁধা কংগ্রেস বা সিপিএম কারও পক্ষেই সম্ভব নয়৷ বিষয়টি যদি পশ্চিমবঙ্গেই সীমাবদ্ধ থাকত, কোনও সমস্যা ছিল না৷ কিন্ত্ত কেরল আছে, আছে ত্রিপুরা যেখানে এই দুই দল পরস্পরের প্রতিদ্বন্দ্বী এবং সেই বাস্তবতায় কোনও ব্যত্যয় ঘটা সম্ভব নয়৷ অতএব, বাংলায় সমঝোতা হতে পারে একেবারে অঘোষিত৷ অর্থাত্‍ যে কয়টি আসনে কংগ্রেস শক্তিশালী সেখানে বামেরা প্রার্থী দেবে নাম কা ওয়াস্তে এবং চেষ্টা করবে তাদের ভোট যত বেশি করে সম্ভব কংগ্রেসের পক্ষে ফেলতে৷ বদলে কংগ্রেস সর্বশক্তি দিয়ে লড়বে বাকি আসনগুলিতে যাতে দুই কংগ্রেসের ভোট ভাগাভাগির ফসল বামেরা পায়৷ এমন একটি প্রস্তাব নিয়ে ইতিমধ্যেই দুই দলের আলোচনা হয়েছে৷ রাজ্য স্তরে তো বটেই, কেন্দ্রীয় স্তরেও৷


উল্টো দিকে আছে তৃণমূল৷ দুই কংগ্রেসের সম্পর্কে যত অবনতিই হোক মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় সম্পর্কে হাইকমান্ড-দিদির দুর্বলতা এখনও পুরোপুরি ঘোচেনি৷ আসন্ন লোকসভা ভোটে দুই দল ফের কাছাকাছি আসতে পারে কি না, এলেও কী ভাবে, সেটা এখনও পর্যন্ত পরিষ্কার নয়৷ স্পষ্ট যেটা, তা হল কোনও সমঝোতাই হবে না- এ কথা দুই দলের মাথারা কেউই স্পষ্ট করে বলছেন না৷ ফলে ধোঁয়াশা রয়েই গিয়েছে৷


সনিয়া সন্ধি চাইলেই মমতা রাজি হয়ে যাবেন এমন কোনও কথা নেই৷ এবারের ভোটে কংগ্রেস এমনই অচ্ছুত্‍ যে তার ছায়া স্পর্শ করারও একটা রাজনৈতিক মূল্য আছে৷ অঘোষিত সমঝোতায় রাজি হলেও ২০০৯-এর মতো অতগুলি আসন মমতা এবার কংগ্রেসকে কিছুতেই ছাড়তে চাইবেন না৷ এমনকী জেতা ছয়টি আসনও কংগ্রেসকে তিনি ছেড়ে দিতে চাইবেন বলে মনে হয় না৷ অন্তত রায়গঞ্জ আসনটি তিনি যে দীপা দাসমুন্সিকে কিছুতেই ছাড়বেন না তা বোঝার জন্য পন্ডিত হওয়ার কোনও প্রয়োজন নেই৷ ফলে তৃণমূলের সঙ্গে ঘোষিত বা অঘোষিত যে কোনও সমঝোতাই হতে পারে কংগ্রেসের পক্ষে চূড়ান্ত অসম্মানজনক শর্তেই৷


সেটা হবে না, অতীতের পৌনঃপুনিক অভিজ্ঞতার পরিপ্রেক্ষিতে সে কথা জোর দিয়ে বলা যায় না৷ আবার হওয়ারও বাস্তব কয়েকটি অসুবিধেও আছে৷ আছে রাজ্য কংগ্রেসের ঐক্যবদ্ধ প্রতিবাদ এবং সিপিএমের বিকল্প প্রস্তাব৷ কোনটা অধিকতর গ্রহণযোগ্য, রাজনৈতিক ভাবে কংগ্রেসের সর্বভারতীয় নেতৃত্বের কাছে কোনটা তুলনায় বেশি অর্থবহ, সেই সিদ্ধান্ত নেওয়ার মতো রাজনৈতিক পরিপক্বতা এখনও রাহুল গান্ধীর হয়নি৷ সম্ভবত সে জন্যই পশ্চিমবঙ্গের দুর্ভাবনা তিনি চালান করে দিয়েছেন 'মাম্মির' কাছে৷

http://eisamay.indiatimes.com/editorial/post-editorial/articleshow/29542582.cms


No comments: