श्रीनगर की तबाही के लिए क्या जीवीके कम्पनी जिम्मेदार नहीं ? आप इसे यों समझ सकते हैं कि शनिवार दिनांक 15-06-2013 को धारी देवी के मंदिर से तुरत फुरत में मूर्ति हटाने की जरुरत क्यों पडी ?
क्या यह कम्पनी को पहले से मालूम था कि इस बार अगर मूर्ति नहीं हटाया गया तो वे बरसात के बाद में इसे नहीं हटा पायेंगे, जबकि मूर्ति को अपलिफ्ट किये गए मंदिर पर स्थापित किये जाने का कार्यक्रम दिनांक 19-07-2013 का प्रस्तावित था, आखिर जल्दी की वजह क्या थी ?
अगर श्रीनगर में अलकनन्दा पर जीवीके का बाँध नहीं होता और बाँध की वजह से लगभग १० किलोमीटर लंबी झील नहीं बनती और इस भारी बरसात में बाँध के गेट एकदम से नहीं खोले गए होते तो क्या श्रीनगर में क्या बाढ का आना संभव था ?
सरकार माने या माने पर श्रीनगर की इस बरबादी में परियोजना निर्मात्री कम्पनी जीवीके प्रबंधन का भी पूरा पूरा हाथ है, और अब "कॉर्पोरेट सोसिअल रेस्पोसिबिलिटी" के तहत उसे अपने कृत्य से श्रीनगर में मची तबाही की भरपाई को भी तैयार रहना चाहिए !
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