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Sunday, May 29, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/5/29
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


इग्नूःदेहरादून में मेडिकल की पढ़ाई भी कराने की तैयारी

Posted: 28 May 2011 05:30 AM PDT

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विविद्यालय के देहरादून रीजन ने छात्रों की संख्या में 25 से 30 फीसद तक की बढ़ोतरी करने का लक्ष्य रखा है। इग्नू ने मेडिकल से संबंधित पाठय़क्रमों के संचालन के लिए योजना तैयार की है। इसके लिए श्री गुरु राम राय मेडिकल कालेज में अध्ययन केंद्र की स्थापना की जा रही है। क्षेत्रीय निदेशक डा. एके डिमरी ने बताया कि प्रस्तावित पाठय़क्रमों का प्रस्ताव विवि को भेजा जा चुका है। उम्मीद है कि जुलाई माह में एडमिशन प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,28.5.11)।

पंजाब में राइट टू एजुकेशन एक माह में होगा लागू

Posted: 28 May 2011 05:10 AM PDT

पंजाब सरकार राज्य में राइट टू एजुकेशन एक्ट हर हाल में एक माह के भीतर लागू कर देगी। इसके कुछ पहलुओं पर विचार-विमर्श किया जा रहा है और अंतिम रूप देने के बाद इस एक्ट के तहत राज्य में रहने वाले हर व्यक्ति और बच्चे को इसका फायदा होगा।

इस एक्ट में पहली से आठवीं तक के बच्चे को किसी भी तरह फेल नहीं किया जाएगा, बल्कि उसमें पैदा हुए गुणों और अवगुणों के आधार पर ही अगली कक्षा में डाला जाएगा। यह जानकारी शुक्रवार को डायरेक्टर जनरल स्कूल वी. पुरुषार्थ ने एक पत्रकार सम्मेलन में दी।

कॉलेजों पर होगी कार्रवाई


डायरेक्टर जनरल स्कूल वी पुरुषार्थ ने बताया कि ईटीटी कोर्स करने के लिए गैरकानूनी ढंग से दाखिला करने वाले कॉलेज प्रबंधनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। पिछले कुछ समय के दौरान शिक्षा विभाग को इस बात की जानकारी मिल रही थी कि लुधियाना और कुछ ऐसे कॉलेज भी हैं, जो नियमों को ताक पर रखकर ईटीटी में दाखिला ले रहे हैं, वह भी बिना किसी दाखिला परीक्षा के।
हर टीचर होगा जवाबदेह

टीचर को भी भर्ती के दौरान टीईटी टेस्ट देना होगा। अब तक नए टीचरों की भर्ती के लिए जिन लोगों ने टेस्ट के लिए आवेदन दिए हैं, वे करीब तीन लाख हैं। इसमें जो टीचर टेस्ट पास करेगा, उसी को सात साल तक नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र दिया जाएगा। सात साल बाद उसे फिर टेस्ट देना होगा। टेस्ट पास करने के बाद ही उसे दोबारा नौकरी पर रखा जाएगा, जबकि पुराने रखे गए टीचरों को भी उनकी शिक्षा और स्किल के लिए टेस्ट रखा जाएगा। इनको काबिलियत दिखाने के लिए तीन साल के भीतर परफॉर्मेंस दिखानी होगी(दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,28.5.11)।

हिमाचलः6155 छात्रों ने दी एचपी सीपीएमईटी की प्रवेश परीक्षा

Posted: 28 May 2011 04:50 AM PDT

एचपी यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित एचपी सीपीएमईटी (कॉमन प्री-मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट) की प्रवेश परीक्षा में कुल 6155 छात्रों ने भाग लिया। शुक्रवार को आयोजित इस परीक्षा में करीब सात फीसदी यानि 429 छात्रों ने परीक्षा नहीं दी।

कुल 6584 छात्रों ने प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन किया था। इसके लिए प्रदेश के चार शहरों में कुल 15 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। इसमें शिमला में सात, धर्मशाला में तीन, मंडी में दो और हमीरपुर में तीन परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। सभी केंद्रों पर परीक्षा में किसी तरह की गड़बड़ी की सूचना नहीं है।

सुबह साढ़े दस बजे शुरू हुई परीक्षा

एचपी यूनिवर्सिटी समेत सभी केंद्रों पर सुबह साढ़े दस बजे से प्रवेश परीक्षा शुरू हुई। यूनिवर्सिटी में भी सुबह दस बजे से ही सैकड़ों छात्र जमा थे। यहां पर सुरक्षा के साथ साथ परीक्षा समय पर करवाने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए थे।

काम कर गई सेवन सीरिज


वहीं, हर बार विवादों से घिरी रहने वाली इस परीक्षा के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुख्ता प्रबंधन किए थे। प्रशासन की ओर से इस्तेमाल किया गया सेवन सीरिज का फार्मूला भी कामयाब रहा। पहली बार प्रश्न पुस्तिका, ओएमआर शीट पर दर्ज सात अंकों से छात्रों को ज्यादा परेशानी नहीं हुई और गड़बड़ी की संभावना भी नहीं रही। 

लालपानी स्कूल से जमा दो उत्तीर्ण कर पीएमटी परीक्षा में बैठे अमित और अंशुल ने बताया कि परीक्षा ज्यादा मुश्किल नहीं थी। उन्होंने कहा कि फिजिक्स के कुछ प्रश्न मुश्किल थे। वहीं, छात्रा मोनिका ने बताया कि पिछले साल हुई परीक्षा के करीब पांच प्रश्न रिवाइज भी थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने परीक्षा के लिए पूरी तैयारी कर रखी थी और उन्हें परीक्षा में कोई समस्या नहीं आई। 

इस बार कोई गड़बड़ी नहीं 

परीक्षा नियंत्रक डॉ. नरेंद्र अवस्थी का कहना है कि इस बार परीक्षा पूरी तरह से शांतिपूर्ण रही और किसी भी केंद्र से गड़बड़ी की कोई सूचना नहीं है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी ने इस परीक्षा के लिए व्यापक तैयारियां की थी जिसके चलते छात्रों ने बिना किसी समस्या के परीक्षा में भाग लिया(दैनिक भास्कर,शिमला,28.5.11)।

उत्तराखंडः50 फीसद से कम अंक वाले भी टीईटी में शामिल

Posted: 28 May 2011 04:30 AM PDT

नैनीताल उच्च न्यायालय ने विद्यालयी शिक्षा परिषद को टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) में स्नातक स्तर पर 50 फीसद से कम अंक पाने वालों को भी शामिल करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने बलदेव सिंह एवं अन्य की याचिका पर दिया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हजारों लोगों ने स्नातक स्तर पर 50 फीसद से कम अंकों के आधार पर एनसीईटी से मान्यता प्राप्त संस्थानों से बीएड किया है। टीईटी के लिए स्नातक स्तर पर 50 फीसद अंकों की अनिवार्यता गैरकानूनी है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद एकल पीठ ने बोर्ड को 50 फीसद से कम अंक वाले बीएड डिग्रीधारियों को टीईटी की परीक्षा में अस्थाई रूप से शामिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी(राष्ट्रीय सहारा,नैनीताल,28.5.11)।

ऐसे करें आईआईटी जेईई की ऑनलाइन काउंसिलिंग

Posted: 28 May 2011 04:10 AM PDT

आईआईटी-जेईई की ऑनलाइन काउंसिलिंग शुरू हो चुकी है। 25 मई को रिजल्ट घोषित होने साथ ही क्वालिफाई करने वाले छात्रों के लिए ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन का विकल्प उपलब्ध है। काउंसिलिंग प्रक्रिया को आईआईटी कानपुर संचालित कर रहा है।

छात्रों को ऑन लाइन एपियर होने के लिए डब्लूडब्लूडब्लू डॉट जेईई डॉट आईआईटीके डॉट एसी को लॉग इन करना होगा। ऑनलाइन काउंसिलिंग आप्शन क्लिक करने के बाद छात्र से रजिस्ट्रेशन नंबर मांगा जाएगा।

छात्र के एडमिट कार्ड पर रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा हुआ है। रजिस्ट्रेशन नंबर फिल करने के बाद जेईई 2011 की ओर से छात्र को आईडी और पासवर्ड मिल जाएगा। इसे छात्रों को सावधानी के साथ लिखना होगा। पूरी काउंसिलिंग प्रक्रिया में यह पासवर्ड काम आएगा।

काउंसिलिंग चार्ज के रूप में प्रतिभागियों से एक हजार रुपए शुल्क देना होगा। यह राशि क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, वीजा या मास्टर कार्ड के जरिए चुका सकते हैं। ऑनलाइन काउंसिलिंग में छात्र अपनी रैंक कैटेगरी के साथ भरेंगे।

वह दूसरी और तीसरी च्वाइस भी भर सकते हैं। हर क्षेत्र को आईआईटी के अलग-अलग जोन में बांटा गया है। छात्रों को अपने जोन की आईआईटी में जोनल चेयरमैन के नाम से अपने डॉक्यूमेंट्स भेजने होंगे।


डॉक्यूमेंट्स भेजने की अंतिम तारीख 10 जून है। ऑनलाइन काउंसिलिंग 17 जून तक खुली रहेगी। 17 जून तक छात्र संस्थान को लेकर प्राथमिकताएं बदल सकते हैं।
प्रक्रिया एक नजर में

25 मई : ऑनलाइन काउंसिलिंग की पहली तिथि

10 जून : आईआईटी के जोनल ऑफिस में डॉक्यूमेंट्स भेजने की तिथि

17 जून : ऑन लाइन च्वाइस फिलिंग की अंतिम तिथि

21 जून : सीट एलॉटमेंट की की पहली लिस्ट घोषित

6 जुलाई : सीट एलॉटमेंट की दूसरी लिस्ट घोषित(दैनिक भास्कर,रायपुर,28.5.11)

एमपीपीएमटी में हो रही देरी से विद्यार्थी परेशान

Posted: 28 May 2011 03:50 AM PDT

अनियमितता हावी हो रही है
सुयश सिंगोदिया कहते हैं कि एआईपीएमटी और एमपीपीएमटी के बीच में करीब दो-ढाई माह का अंतर आ रहा है। इसका नकारात्मक प्रभाव ज्यादा पड़ रहा है। जब परीक्षा में अंतर ज्यादा हो तो पढ़ाई नियमित नहीं हो पाती। हाँ यह जरूर है कि तैयारी के लिए कुछ वक्त और मिल रहा है परन्तु पढ़ाई की अनियमितता तैयारी के लिए मिलने वाले वक्त पर हावी हो रही है।

तैयारी व्यर्थ न चली जाए

दूसरी बार इस परीक्षा की तैयारी कर रहे आदित्य त्रिपाठी कहते हैं कि परीक्षा में यदि देरी हो तो मन-मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव ही पड़ता है। अब ऐसा लग रहा है मानो जो भी पढ़ा वह अतिरिक्त ही हो रहा है और हम सब भूल जाएँगे। जो तैयारी अब तक की है कहीं वह व्यर्थ न चली जाए यह डर लग रहा है। यही नहीं यदि परीक्षा देरी से हुई तो कॉलेज में प्रवेश को लेकर भी परेशानी आ सकती है।

इतना अंतर भी जरूरी नहीं


लखन परमार के अनुसार एआईपीएमटी और एमपीपीएमटी की किताबों में कुछ अंतर होता है इसलिए इन दोनों परीक्षा की तारीखों में अंतराल होना चाहिए पर इतना अंतर भी मुनासिब नहीं। परीक्षा की तिथि के लिए जो अनुमान लगाया जा रहा है वह कुछ ज्यादा ही देरी दर्शा रहा है। इस तरह पढ़ाई और संस्थान में प्रवेश से लेकर परेशानी आ सकती है। 
मन घर की ओर 

श्यामबिहारी दुबे कहते हैं कि यदि परीक्षा के लिए अधिक वक्त मिले तो उबाऊपन और थकान महसूस होने लगती है। इसकी वजह है एक ही चीजों को बार-बार पढ़ना। यही नहीं परीक्षा के लिए हम लंबे समय तक घर से दूर रहते हैं। ऐसे में यदि परीक्षा की तिथि बार-बार आगे बढ़ती जाए तो मन घर की ओर भागता है पढ़ाई की ओर नहीं। 

शंका उभर रही है

पूजा छाबड़ा का मानना है कि परीक्षा में हो रही देरी अवसाद सी स्थिति निर्मित कर रही है। परीक्षा देरी से होने की वजह से अब पढ़ाई अच्छे से नहीं हो पा रही। अभी तक तारीख भी घोषित नहीं हुई है, जिससे शंका होने लगी है कि परीक्षा होगी भी या...। चूँकि मैं दूसरी बार यह परीक्षा दे रही हूँ इसलिए चिड़चिड़ाहट आना स्वाभाविक है। 

दोनों ही पक्ष हैं 

सुरभि पाटीदार कहती हैं कि परीक्षा में हो रही देरी के अच्छे और बुरे दोनों ही प्रभाव नजर आ रहे हैं। सकारात्मक पक्ष देखें तो तैयारी के लिए और भी वक्त मिल रहा है। नकारात्मक पक्ष की बात करें तो परीक्षा देरी से होने पर पर्चा कठिन होगा यह शंका होने लगी है। इससे निराशा जैसी होने लगी है। अब यदि कोई परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सकेगा तो सब यही कहेंगे कि तैयारी के लिए वक्त बहुत मिला पर तुमने ध्यान नहीं दिया(नई दुनिया,इन्दौर,28.5.11)।

उत्तराखंडःहजारों बीएड डिग्रीधारियों को मिलेगा फायदा

Posted: 28 May 2011 03:30 AM PDT

अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में 50 फीसद अंक की बाध्यता में राहत मिलने से राज्य के हजारों बीएड डिग्रीधारियों को फायदा पहुंचेगा। अलबत्ता सत्र 2008-09 और 2009-10 में बीएड करने वालों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कारण राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने सत्र 2008- 09 से बीएड में प्रवेश के लिए (सामान्य वर्ग) स्नातक की परीक्षा में 50 फीसद अंक होने की बाध्यता कर दी थी, जबकि इससे पूर्व यह बाध्यता नहीं थी। दो साल पहले तक (सामान्य वर्ग) स्नातक में 45 फीसद अंक हासिल करने वाले विद्यार्थियों को भी बीएड करने का मौका मिलता था। इसके चलते वर्ष 2008 तक डिग्री लेने वाले बड़ी संख्या में ऐसे विद्यार्थी शामिल थे जिनके स्नातक में 50 फीसद से कम अंक थे। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष सैकड़ों छात्र जम्मू- कश्मीर जाकर बीएड की पढ़ाई करते हैं। जम्मू-कश्मीर में एनसीटीई के नियम लागू न होने के कारण स्नातक में उत्तीण छात्र को भी प्रवेश मिल जाता था(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,28.5.11)।

बिहारःसीबीएसई 12वीं में लड़कियों ने लहराया परचम

Posted: 28 May 2011 03:10 AM PDT

सेन्ट्रल बोर्ड आफ सेकेण्ड्री एजुकेशन ने पटना क्षेत्र के 12 वीं का रिजल्ट शुक्रवार को घोषित कर दिया। इस परीक्षा में पटना क्षेत्र से कुल 354 स्कूलों के 62541 छात्र शामिल थे, जिसमें से 59942 सफल हुए। बारहवीं की परीक्षा में कुल 71.20 प्रतिशत छात्र-छात्राओं ने सफलता प्राप्त की है। इस बार भी पटना क्षेत्र से लड़कों की अपेक्षा लड़कियों ने बेहतर रिजल्ट दिया है। बारहवीं की परीक्षा में जहां 81.10 प्रतिशत लड़कियों ने सफलता प्राप्त की। वहीं लड़कों का पास प्रतिशत 66.50 रहा है। सीबीएसई बारहवीं की परीक्षा में बिहार से कुल 174 एवं झारखण्ड से 180 स्कूलों के छात्र शामिल हुए। परीक्षा के लिए कुल 158 केन्द्र बनाये गये थे। सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी यू.एस.सोर्ते ने बताया कि 12वीं की परीक्षा में 8093 छात्र कंपार्टमेंट एवं 9133 असफल रहे हैं। इस परीक्षा में 1630 छात्र अनुपस्थित थे। जो छात्र किसी एक विषय में असफल हैं, उनकी पुन: परीक्षा आगामी 16 जुलाई को होगी। वे एक विषय की परीक्षा दे सकते हैं। दो विषय में असफल रहने वाले फेल समझे जायेंगे। जिन बच्चों को रिटोटलिंग करना है, वे सीबीएसई कार्यालय में फार्म भरकर प्रति विषय 200 रुपये के हिसाब से राशि जमा कर रिटोटलिंग करा सकते हैं(दैनिक जागरण,पटना,28.5.11)।

आरपीएमटी की नई मेरिट लिस्ट जारी

Posted: 28 May 2011 02:50 AM PDT

एक ही रैंक पर 25 से ज्यादा अभ्यर्थियों के आने से राजस्थान प्री मेडिकल टेस्ट (आरपीएमटी) के रिजल्ट की शुक्रवार को राजस्थान हैल्थ साइंस यूनिवर्सिटी ने संशोधित मेरिट लिस्ट जारी की है। पहले समान अंकों वाले अभ्यर्थियों को एक ही रैंक पर रखा गया था जबकि अब एक अंक के जितने अभ्यर्थी हैं, उनकी संख्या जोड़कर उसी हिसाब से मेरिट लिस्ट जारी की गई है।

समान अंकों वाले अभ्यर्थियों को 12वीं के परिणाम में आने वाले अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट में स्थान दिया जाएगा। अभी ये एक ही क्रमांक पर सूची में रखे गए हैं। शुक्रवार को संशोधित मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद राज्य भर में असमंजस की स्थिति बन गई। एक दिन पहले मेरिट में जिनका स्थान ऊपर था, उनका क्रम शुक्रवार को1000 से भी ज्यादा नीचे आ गया। उदाहरण के लिए एक अभ्यर्थी का गुरुवार को 179वें नंबर पर मेरिट में स्थान था, संशोधित लिस्ट में उसका स्थान 1494 पर आ गया।


मेरिट में हुए इस बदलाव को लेकर चयनित अभ्यर्थी अचंभित रह गए और वे दिन भर इसके बारे में इधर-उधर पूछताछ करते रहे। राजस्थान हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी ने देर रात स्पष्टीकरण जारी किया कि गुरुवार को सामान अंकों वाले अभ्यर्थियों को समान रैंक देने के कारण 270 रैंक पर ही 4500 अभ्यर्थी मेरिट में आ गए। इससे अभ्यर्थियों में यह संकेत गया कि उनका चयन आसानी से हो जाएगा लेकिन एक रैंक पर 25 से भी ज्यादा अभ्यर्थी होने से गफलत की स्थिति हो गई। बाद में नई लिस्ट जारी की गई, जिसे इंटरनेट पर भी उपलब्ध करा दिया गया है।
इससे असमंजस की स्थिति दूर हो जाएगी। आरपीएमटी 2011 के कन्वीनर डॉ. डी.के. गुप्ता ने बताया कि नई लिस्ट में अभ्यर्थियों के पूर्व के प्राप्तांकों में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है। पहले अभ्यर्थियों को समान अंकों की मैरिट के कारण जो गफलत हो रही थी, उसे दूर किया गया है। अब अभ्यर्थी अपनी स्थिति को सूची में सही स्थान पर आकलन कर सकेंगे(दैनिक भास्कर,जयपुर,28.5.11)।

जबलपुर रेलवे में तबादला स्कैण्डल का पर्दाफाश

Posted: 28 May 2011 02:30 AM PDT

रेलवे के दिल्ली में बैठे अफसरों की टीम ने अपनी गोपनीय जांच के बाद रेल सुरक्षा बल में तबादला स्कैण्डल उजागर किया है।

इस खुलासे के बाद से जबलपुर में बैठे रेलवे के उच्चधिकारियों के हाथ-पैर फूले हुए हैं, क्योंकि घोटाले का अहम सिरा जबलपुर से भी जुड़ा हुआ है। जांच दल ने अपनी रिपोर्ट रेल बोर्ड के हवाले कर दी है और जल्दी ही कार्रवाई शुरू की जाएगी।

हालांकि जांच के दौरान ही रेल बोर्ड आरपीएफ के डीजी रंजीत सिन्हा को हटा चुका है। पूरे मोहकमे में इस जांच को लेकर खलबली है, लेकिन इस बारे में खुलकर बात करने को कोई तैयार नहीं है।

सब कुछ वक्त से पहले

इस घोटाले की बुनियाद रखी गई इसी साल फरवरी में, जब डीजी रंजीत सिन्हा ने पश्चिम मध्य रेल आरपीएफ के मुख्य सुरक्षा आयुक्त महिम स्वामी का वेस्टर्न रेलवे हैडक्वार्टर मुम्बई तबादला कर दिया। कायदे से ये तबादला होना था अक्टूबर 2011 में।


रेलवे के नियमानुसार इस अफसर की पोस्टिंग के तीन साल पूरे हो जाते, लेकिन अक्टूबर तक इंतजार नहीं किया गया। रिपोर्ट में आगे खुलासा किया गया है कि आरपीएफ के इस अफसर को पता था कि यदि अक्टूबर में उनका ट्रांसफर होगा तो किसी अच्छी जगह पर बेहतरीन पोस्टिंग मिलनी असंभव हो जाएगी, क्योंकि तब तक सारे खाली स्थान भर जाएंगे। 
रिपोर्ट के मुताबिक ये अधिकारी दिल्ली जाकर डीजी सिन्हा से मिले और उन्हें अपने समय से पहले किये जाने वाले ट्रांसफर के लिये राजी कर लिया। रिपोर्ट में दोनों अफसरों के बीच लेनदेन होने की पुष्टि भी की गई है। 

बात यहीं पर खत्म नहीं होती, अपना ट्रांसफर होने के कुछ दिन पहले ही आरपीएफ के इस उच्चाधिकारी ने अपने मातहत अफसरों के थोक में तबादले किये, जबकि इन अधिकारियों की पोस्टिंग की अवधि भी अभी बाकी थी। 

रिपोर्ट कहती है कि आरपीएफ के इस अधिकारी ने अपने मातहतों को उनकी मनपसंद जगहों पर भेजा है। रिपोर्ट में इन तबादलों को भी संदेह के दायरे में रखा गया है। 

करोड़ों का खेल

ट्रांसफर के इस खेल में फरवरी महीने के आखिरी 8 दिनों में करोड़ों रुपये का हेरफेर होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जांच के बीच में ही अपना पद गंवा बैठे श्री सिन्हा पर विभागीय कार्रवाई किये जाने के संकेत भी मिल रहे हैं। 

गौरतलब है कि श्री सिन्हा को सिर्फ 2 घंटे के भीतर पद से अलग कर दिया गया था और उनकी जगह आरपीएफ के एडीजी पीके मेहता को डीजी बना दिया गया था। आनन-फानन में हुए इस घटनाक्रम के बाद से ही इस मामले को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई थी(दैनिक भास्कर,जबलपुर,28.5.11)।

एनडीए के परिणाम घोषित,बिहार का साकेत कुमार टॉपर

Posted: 28 May 2011 02:10 AM PDT

संघ लोक सेवा आयोग ने एनडीए परीक्षा,2010 के परिणाम घोषित कर दिए हैं। थल सेना/नौसेना के लिए कुल 742 उम्मीदवारों का चयन हुआ है। वायुसेना के लिए 274 जबकि नौसेना अकादमी के लिए 717 अभ्यर्थियों को सफलता मिली है। बिहार के साकेत कुमार ने प्रथम स्थान प्राप्त कर प्रदेश का नाम रोशन किया है। साकेत ने 93 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं की परीक्षा भी पास की है। अ


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यूपीःअलग-अलग हो सकती है बीएड कालेजों की फीस

Posted: 28 May 2011 01:50 AM PDT

प्रदेश में अगले सत्र से निजी क्षेत्र के बीएड कालेजों में छात्रों को अलग-अलग फीस अदा करनी पड़ सकती है। ऐसा कालेज प्रबंधकों द्वारा अपनी अवस्थापना सुविधाओं के आधार पर फीस की दरों में वृद्धि के किए गये दावों के कारण होगा। सरकार ने कालेजों के दावों की पुष्टि के लिए चार्टर्ड एकाउण्टेट को फीस निर्धारण का दायित्व सौंपा है। फिलहाल 800 से अधिक कालेजों के लिए लखनऊ के 62 चार्टर्ड एकाउण्टेंट को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। इन्हें 20 जून तक हरहाल में कालेजवार फीस की राशि तय करके देना होगा। बीएड के लिए प्रवेश प्रक्रिया 14 जुलाई से शुरु होगी। निजी क्षेत्र के कालेजों में फीस तय करने के मुद्दे पर उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अवनीश अवस्थी की अध्यक्षता में गठित समिति की शुक्रवार को बैठक हुई। इसमें दो अन्य सदस्य वित्त विभाग के नामित विशेष सचिव और उच्च शिक्षा निदेशक मौजूद थे। समिति ने फीस तय करने के लिए विभाग को अभी तक मिले करीब 800 आवेदनों पर विचार किया। राज्य में निजी क्षेत्र के कुल 937 कालेज हैं। शेष कालेजों को विभाग ने आवेदन करने का एक और अवसर देने का निर्णय लिया है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक समिति ने निजी कालेजों द्वारा फीस तय किये जाने के लिए दिए गये मानकों की पड़ताल करने को चार्टर्ड एकाउण्टेंटों (सीए) को जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया। विभाग ने इसके लिए दस साल के अनुभव वाले लखनऊ के 62 सीए को चिन्हित किया है। समिति ने इन सभी सीए को 800 से अधिक कालेजों के आये आवेदनों की पड़ताल की जिम्मेदारी सौंप दी है। सीए को देखना होगा कि कालेज द्वारा दी गयी जानकारी सही है अथवा गलत। विभाग सीए को आवेदन-पत्रों में दर्ज वित्तीय खचरे का अध्ययन करने के लिए प्रति कालेज शुरू में 2500 रुपये देगा। बाद में इनकी फीस बढ़ सकती है। सीए आवंटित कालेज का दौरा भी करेंगे। सूत्रों का कहना है कि सीए की रिपोर्ट के आधार पर ही शासन कालेजों की फीस तय करेगा। ऐसे में मण्डल/ क्षेत्रवार कालेजों में बीएड की फीस अलग-अलग हो सकती है। मगर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार समिति का होगा। विदित हो कि निजी बीएड कालेजों ने अपनी फीस तय करने के लिए अवस्थापना सुविधाओं के साथ ही अध्यापक व अन्य कर्मचारियों के वेतन के खचरे को आधार बनाया है। कालेजों ने फीस की राशि 50 हजार से लेकर 60 हजार तक तय करने की मांग की है। सरकार ने अभी तक निजी कालेजों में 30359 रुपये फीस तय की थी। उधर बीएड की फीस तय करने के लिए गठित सरीन समिति ने 145 कालेजों की जांच के बाद सभी कालेजों में अलग-अलग फीस निर्धारण की बात पहले ही कही थी(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,28.5.11)।

भोपाल में तीन दिवसीय भास्कर कॅरियर फेयर आज से

Posted: 28 May 2011 01:30 AM PDT

आईटीएम युनिवर्सिटी द्वारा प्रायोजित दैनिक भास्कर कॅरियर फेयर 2011 शनिवार से शुरू हो रहा है। बेहतर शिक्षा और उज्‍जवल भविष्य को बनाने के लिए छात्र-छात्राएं इस फेयर के माध्यम से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसमें प्रवेश नि:शुल्क है। इसमें 80 से अधिक विभिन्न एजुकेशन संस्थाएं हैं जो कि छात्रों के भविष्य निर्माण के लिए मार्गदर्शन देंगे। इस फेयर के प्रायोजक हैं आईटीएम युनिवर्सिटी ग्वालियर, एजुकेशन पार्टनर आईईएस इंस्टीट्यूशन, एकेडमिक पार्टनर लीड्स मेट इंडिया एवं जागरण इंस्टीट्यूट आफ कम्यूनिकेशन एंड मैनेजमेंट।


सह प्रायोजक माया अकेडमी ऑफ एनिमेशन एंड सिनेमेटिक्स एवं पटेल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन हैं। इंफरमेशन पार्टनर एनआईआईटी एवं आईएफबीआई, नॉलेज पार्टनर मिलेनियम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, रिक्रूटमेंट पार्टनर स्टेप अहेड जो कि बीई एवं एमसीए के छात्रों को दैनिक भास्कर कॅरियर फेयर के माध्यम से प्लेसमेंट देने में मदद करेंगे।
एसोसिएट स्पांसर ज्ञान गंगा इंस्टीट्यूशन और पावर्ड बाय टीवीएस मोटर्स हैं। यह फेयर सुबह 11 से रात्रि 8 बजे तक खुला रहेगा। शाम 4 से 8 के बीच में विभिन्न विषयों पर सेमिनार किए जाएंगे(दैनिक भास्कर,भोपाल,28.5.11)।

आइआइटी कानपुर में सबसे महंगी सपनों की उड़ान

Posted: 28 May 2011 01:10 AM PDT

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश के लिए हुई परीक्षा आइआइटी जेईई में सफल विद्यार्थी अब अपने सपनों के संस्थान में प्रवेश की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इनकी फीस बीते वर्ष की तुलना में बढ़ा दी गई है। सबसे महंगी पढ़ाई आइआइटी कानपुर, तो सबसे सस्ती बनारस हिंदू विवि के प्रौद्योगिकी संस्थान (आइटी-बीएचयू) की है। आइआइटी-जेईई का परीक्षा परिणाम आने के बाद छात्र-छात्राओं से बातचीत को आधार बनाएं तो सबकी पहली पसंद आइआइटी कानपुर व मुंबई ही हैं, लेकिन फीस के लिहाज से यही दोनों संस्थान सबसे महंगे हैं। आइआइटी कानपुर में प्रति सेमेस्टर फीस 34,692 रुपये निर्धारित की गई है। इसके अलावा एकमुश्त भुगतान के 2,750 रुपये, प्रतिभूति राशि के 7,000 रुपये सहित प्रवेश के समय कुल शुल्क 44,442 रुपये जमा कराने होंगे। पिछले वर्ष की तुलना में यह राशि 7,100 रुपये अधिक है। प्रति सेमेस्टर फीस में भी 3,500 रुपए बढ़ाए गए हैं। आइआइटी मुंबई में प्रति सेमेस्टर फीस बीते वर्ष की 29,450 से 4,100 रुपये बढ़कर अब 33,550 रुपये हो गई है। यहां प्रवेश के समय छात्र-छात्राओं को कुल 40,076 रुपये जमा करने होंगे, लेकिन आइआइटी दिल्ली व मद्रास की फीस कानपुर व मुंबई की तुलना में काफी कम है। दिल्ली में प्रति सेमेस्टर 27,035 रुपये व मद्रास में 27,850 रुपये फीस ही देनी होगी। फीस के मामले में आइआइटी गांधीनगर व इंदौर तीसरे तथा मंडी व रुड़की चौथे स्थान पर है। पर सबसे कम आइटी-बीएचयू में प्रति सेमेस्टर फीस 13,960 रुपये है। यहां प्रवेश के समय छात्र-छात्राओं को 21,285 रुपये जमा करने होंगे, इसमें 4,000 रुपये की वापसी योग्य प्रतिभूति राशि है। यहां भी जेईई से प्रवेश आइआइटी जेईई से सभी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, आइटी बीएचयू, आइएसएम धनबाद व टीएस चाणक्य मुंबई में प्रवेश तो होता ही है, कुछ अन्य संस्थान भी जेईई की रैंक के आधार पर प्रवेश लेंगे। राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी रायबरेली, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलूर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, एजूकेशन एंड रिसर्च तथा इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी के चेन्नई, मुंबई व विशाखापट्टनम परिसरों में प्रवेश के लिए भी जेईई की मेरिट लिस्ट ही आधार बनेगी(संजीव मिश्र,दैनिक जागरण,कानपुर,28.5.11)।

महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विवि की स्थापना खटाई में

Posted: 28 May 2011 12:50 AM PDT

डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद छतरपुर में महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय स्थापना की राज्य सरकार की घोषणा विधि विभाग में अटक गई है।
विभाग का तर्क है कि गौर विवि के केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के बावजूद क्षेत्र के कॉलेजों की संबद्धता इससे बनी रहेगी, इसलिए नए विवि की जरूरत नहीं है। अब उच्च शिक्षा विभाग नए विवि के लिए प्रस्ताव बनाने की तैयारी में है।
वर्ष 2009 में गौर विवि को केंद्रीय दर्जा मिलने के बाद से ही बुंदेलखंड में नए विवि की मांग उठने लगी थी। इसके अगले ही साल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुंदेलखंड में नया विवि खोलने का एलान किया। इसे मंत्रिपरिषद ने मंजूरी भी दे दी।


जब इस संबंध में प्रस्ताव विधि विभाग को भेजा गया, तो उसने तर्क दिया कि जब किसी विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा दिया जाता है तो उस विवि से संबद्ध सभी कॉलेज स्वत: ही केंद्रीय विवि से भी जुड़ जाते हैं। इस बारीकी पर उच्च शिक्षा विभाग ने ध्यान क्यों नहीं दिया। विधि विभाग ने उच्च शिक्षा महकमे के आला अधिकारियों को नसीहत दी कि जब भी कोई नया विवि खोला जाए तो उसकी पूरी प्रक्रिया का अध्ययन किया जाए। सूत्रों के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग अब विधि विभाग की आपत्तियों के निराकरण में लग गया है। 
सीएम ने मांगा 50 फीसदी आरक्षण: 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 20 मई को बीना रिफाइनरी का उदघाटन करने आए प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से कहा था कि केंद्रीय विवि के लिए राज्य सरकार ने 400 करोड़ रुपए की संपत्ति हस्तांतरित की है, इसलिए इस विवि में बुंदेलखंड क्षेत्र के विद्यार्थियों को 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाना चाहिए। 

सागर विवि से संबद्ध कॉलेज 

सागर विवि से वर्तमान में सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर,टीकमगढ़ जिलों के 80 कॉलेज संबद्ध हैं।

बुंदेलखंड में छत्रसाल महाराजा विश्वविद्यालय जरूर खोला जाएगा। अगर नियम प्रक्रिया बाधाएं बन रही हैं तो उन्हें दूर किया जाएगा। 

लक्ष्मीकांत शर्मा, उच्च शिक्षा मंत्री(राजेश दुबे,दैनिक भास्कर,भोपाल,28.5.11)

डीयू की दाखिला हेल्पलाइन पर लगी सवालों की झड़ी

Posted: 28 May 2011 12:30 AM PDT

डीयू की दाखिला हेल्पलाइन शुरू होते ही छात्र-छात्राओं के सवालों की बौछार शुरू हो गई है। उत्तरी परिसर व दक्षिणी परिसर के हेल्पलाइन नंबरों पर भी छात्र-छात्राएं रोजाना दाखिला संबंधी सवाल पूछ रहे हैं। दक्षिणी परिसर की हेल्पलाइन सेवा के तहत ज्यादातर छात्रों के सवाल बीए इंग्लिश ऑनर्स कोर्स में दाखिले को लेकर आ रहे हैं। वे जानना चाहते हैं कि केट परीक्षा के जरिए इस कोर्स में दाखिले के अलावा ऐसे कौन-कौन से कॉलेज हैं जहां बिना केट फोर इंगिलश की परीक्षा के सीधे दाखिला लिया जा सकता है। साउथ कैंपस के डिप्टी डीन स्टूडेंट वेलफेयर डा. दिनेश वाष्र्णेय ने बताया कि साउथ कैंपस की हेल्पलाइन नंबर २४११६७५२ और २४११६७५३ को छात्रों का बेहतरीन रिस्पॉन्स मिल रहा है।

फिलहाल, उनके पास सबसे ज्यादा फोन बीए इंग्लिश ऑनर्स कोर्स को लेकर आ रहे हैं। छात्र जानना चाहते हैं कि केट परीक्षा को छोड़ दिया जाए तो ऐसे कितने और कौन-कौन से कॉलेज हैं, जहां सीधे मेरिट के आधार पर बीए इंग्लिश ऑनर्स कोर्स में दाखिला लिया जा सकता है। डीयू के २५ कॉलेजों में सीधे मैरिट के आधार पर बीए इंग्लिश ऑनर्स कोर्स में दाखिला लिया जा सकता है। इन कॉलेजों में आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज, दौलत राम, दीन दयाल उपाध्याय, दयाल सिंह मॉर्निग, दयाल सिंह ईवनिंग, गार्गी, हंसराज, कालिंदी, लक्ष्मीबाई, मैत्रेयी, माता सुंदरी, मोती लाल नेहरू मॉर्निग, मोती लाल नेहरू ईवनिंग, पीजीडीएवी, रामलाल आनंद मॉर्निग, रामलाल आनंद ईवनिंग, रामानुजन, रामजस, एसजीटीबी खालसा, सत्यवती मॉर्निग, गुरू नानक देव खालसा, श्री अरबिंदो, श्री वेंकटेश्वरा, जीजस एंड मैरी और सेंट स्टीफेंस कॉलेज शामिल हैं।



इनमें जीजस एंड मैरी और सेंट स्टीफेंस कॉलेज को छोड़कर बाकी सभी कॉलेजों की पहली कट ऑफ लिस्ट १५ जून को जारी कर दी जाएगी इसके आधार पर छात्र कॉलेज में जाकर दाखिला ले सकेंगे। दक्षिणी परिसर की ही तरह कमोबेश उत्तरी परिसर में भी चल रही हेल्पलाइन 27662507, 27662508 का यहीं हाल है। यहां भी अंग्रेजी ऑनर्स समेत इस बार की दाखिला प्रक्रिया को लेकर लगातार पूछताछ की जा रही है। 

केट फॉर इंग्लिश के लिए हेल्पलाइन

21 कॉलेजों में अंग्रेजी ऑनर्स के लिए पांच जून को आयोजित की जा रही केट फॉर इंग्लिश की प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन प्रक्रिया जारी है। 28 मई तक चलने वाली इस प्रक्रिया के दौरान छात्रों की तमाम समस्याओं के निदान के लिए चार हेल्पलाइन नम्बर जारी किए गए हैं। इन पर फोन कर छात्र-छात्राएं केट के लिए आवेदन से जुड़ी तमाम परेशानियों का निदान पा सकते हैं। हेल्पलाइन नम्बर-7838300423, 7838300424, 7838300425, 7838300426 व 7838300427 (दैनिक भास्कर,दिल्ली,27.5.11)।

मध्यप्रदेशः१०वीं में ग्रेडिंग सिस्टम के कारण स्पर्धा हुई कम,बारहवीं में ग्रेडिंग को लेकर शिक्षाविदों में मतभेद

Posted: 28 May 2011 12:10 AM PDT

ग्रेडिंग सिस्टम भले ही कम अंक हासिल करने वाले विद्यार्थियों को राहत देने का फंडा साबित हुआ है लेकिन इससे बच्चों में पढ़ाई के प्रति गंभीरता कम हो रही है। दिखने लगा है कि इसके फायदे हैं तो नुकसान भी हैं। कई बच्चे और पालक इसके पक्ष में हैं जबकि कुछ में इसको लेकर विरोध है। गौरतलब है कि जल्द ही ग्रेडिंग सिस्टम के आधार पर कक्षा १०वीं के नतीजे खुलने वाले हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि २०१४ से कक्षा १२वीं के नतीजे भी ग्रेडिंग सिस्टम के आधार पर दिए जाएँगे।
कमतर अंक पाने वाले विद्यार्थियों का मनोबल बनाए रखने के लिए शुरू किए गए ग्रेडिंग सिस्टम को लेकर विशेषज्ञ अलग-अलग राय रखते हैं। जानकारी के अनुसार आने वाले शिक्षा सत्र से कक्षा ६, ७, ८ और ९ सहित ११ में भी व्यवस्थित तरीके से इस प्रणाली को लागू किया जाएगा। अगर अपेक्षित परिणाम मिले तो २०१४ से कक्षा १२वीं के नतीजे भी ग्रेडिंग सिस्टम के अनुसार ही घोषित होंगे। कन्टीन्यूअस एंड कॉम्प्रीहेंसिव इवेल्यूएशन (सीसीई) के तहत्‌ लागू ग्रेडिंग सिस्टम में परीक्षा के अंकों के साथ ही बच्चों के साल भर के प्रदर्शन को भी शामिल किया जाता है। अंकों की बजाय ग्रेड दी जाती है जिससे विद्यार्थी के प्रदर्शन और प्रतिशत का अंदाजा लगाया जाता है।


१२वीं में अंक मिलना ही बेहतर 

ग्रेडिंग सिस्टम अच्छा है, लेकिन श्रेष्ठता आँकने के लिए एक परीक्षा अंक परिणाम पद्धति के आधार पर होनी चाहिए। ११वीं तक ग्रेडिंग होने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन १२वीं में अंक दिए जाने चाहिए। एनडीपीएस के शिक्षक प्रदीप जोशी के अनुसार ग्रेड सिस्टम के कारण बच्चों की गंभीरता पढ़ाई के प्रति कम होती जा रही है। इसका उदाहरण कक्षा में पढ़ाई के दौरान ही देखने को मिलता है। ग्रेडिंग सिस्टम का बच्चों की मानसिकता पर होने वाला असर करीब पाँच साल बाद दिखेगा। इसलिए इसे १२वीं में लागू नहीं किया जाना चाहिए। 

आत्महत्या का ताल्लुक परिणामों से नहीं... 

एनी बेसेंट स्कूल के निदेशक पीके यादव ने बताया कि कम अंक आने पर बच्चे अवसाद में आ जाते हैं। लेकिन खुद को नुकसान पहुँचाने और आत्महत्या की कोशिश करने का संबंध परीक्षा परिणामों से नहीं बल्कि मानसिकता से है। इसलिए ग्रेडिंग सिस्टम की बजाय बच्चों और पालकों की मानसिकता को सकारत्मक बनाने की कोशिश की जाना चाहिए। इससे उन बच्चों का मनोबल गिरता है जो अपेक्षाकृत ज्यादा मेहनत कर श्रेष्ठ परिणाम लाने की कोशिश करते हैं। बच्चों को चाहिए कि वे खुद से स्पर्धा रखें, दूसरों से नहीं और पालकों को चाहिए कि वे दबाव बनाने की बजाय बच्चों को खुशी से तनावमुक्त होकर पढ़ने की आजादी दें। 

श्रेष्ठ को नुकसान, औसत को फायदा 

ग्रेडिंग के कारण बच्चों के बीच स्पर्धा कम होती जा रही है। जिससे पढ़ाई के प्रति गंभीरता कम होना स्वाभाविक है। श्री गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल की प्राचार्य तेज कौर खनूजा ने बताया कि ग्रेडिंग सिस्टम से औसत विद्यार्थियों को फायदा है, लेकिन अपेक्षाकृत ज्यादा मेहनत करने वाले विद्यार्थियों को नुकसान है। इसलिए हर स्कूल के प्रथम पाँच विद्यार्थियों को अंक दिए जाने चाहिए ताकि उनकी रैंक तय हो सके। इसके बाद के विद्यार्थियों का परिणाम भले ही ग्रेडिंग के आधार पर तय किया जाना चाहिए। 

गला काट स्पर्धा बंद 

प्रेस्टीज पब्लिक स्कूल के प्राचार्य प्रकाश चौधरी ने कहा कि ग्रेडिंग सिस्टम में बच्चों के साल भर के प्रदर्शन को शामिल किया जाता है। इसलिए इसे बच्चों के साथ अन्याय नहीं माना जाना चाहिए। इससे गला काट स्पर्धा बंद हो गई है और बच्चे ज्यादा स्वस्थ मानसिकता के साथ पढ़ पा रहे हैं। बच्चों की श्रेष्ठता को मापने के दूसरे भी तरीके हैं। इसलिए यह एक अच्छी पद्धति है।

इस तरह होती है ग्रेडिंग

प्रतिशत-ग्रेड-ग्रेडिंग पाइंट 

९१-१०० ए१ १०

८१-९० ए२ ९

७१-८० बी१ ८

६१-७० बी२ ७

५१-६० सी१ ६

४१-५० सी२ ५

३३-४० डी ४

२१-३२ ई१ 

०-२० ई२

पालकों और विद्यार्थियों की भी अलग-अलग राय
७२ प्रतिशत - हाँ 

२८ प्रतिशत - न


शिक्षकों का मत 

४० प्रतिशत - हाँ 

६० प्रतिशत - न


पालक मानते हैं कि खराब परिणामों के कारण बच्चे आत्महत्या करते हैं

३० प्रतिशत- हाँ 

७० प्रतिशत- न 


विद्यार्थी मानते हैं कि ग्रेडिंग से उनकी प्रतिभा को सही तरीके से मापा जा रहा है

८० प्रतिशत - हाँ 

२० प्रतिशत - न
(नई दुनिया,इन्दौर,28.5.11)

बीएमसी कॉलेजों के 97 फीसदी छात्र पास

Posted: 27 May 2011 11:50 PM PDT

एचएससी के परीक्षा में बीएमसी के 97 प्रतिशत छात्र पास हुए हैं। मुलुंड बीएमसी कॉलेज के छात्र विजय अशोक भांगे ने 90.33 प्रतिशत मार्क्स हासिल किए हैं। बीएमसी के तीन साइंस जूनियर कॉलेजों में कुल125 छात्रों परीक्षा दी जिनमें 121 छात्र उत्तीर्ण हुए हैं। दादर और मुलुंड बीएमसी कॉलेज का शत-प्रतिशत रिजल्ट आया है।


गौरतलब है कि साल 2009-10 में बीएमसी ने आई.आई.टियंस पेस व युक्ति अकादमी संस्था के सहयोग से तीन साइंस जूनियर कॉलेज शुरू किए थे। जूनियर कॉलेज शुरू करने का श्रेय तत्कालीन बीएमसी कमिश्नर डॉ. जयराज फाटक को जाता है। ये कॉलेज हैं-दादर में भवानी शंकर मार्ग का बीएमसी साइंस जूनियर कॉलेज, मुलुंड में रतनबाई बीएमसी साइंस जूनियर कॉलेज और विलेपार्ले में दीक्षित रोड बीएमसी साइंस जूनियर कॉलेज। दादर के कॉलेज से 48 छात्र और मुलंड के कॉलेज से 37 छात्र एचएससी में बैठे थे और सभी उत्तीर्ण हो गए जबकि विलेपार्ले के कॉलेज से 40 छात्र परीक्षा में बैठे थे जिनमें से 36 छात्र उत्तीर्ण हुए। उत्तीर्ण हुए कुल छात्रों में से 16 छात्रों को तो डिस्टिंक्शन मिली है। 
इस बेहतरीन नतीजे पर शिक्षण समिति के अध्यक्ष विनोद पोपटलाल घेडिया ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह बस छात्रों के मेहनत का नतीजा है(राजकुमार सिंह,नवभारत टाइम्स,मुंबई,28.5.11)।

हिमाचल सरकार 294 पद भरने की तैयारी में

Posted: 27 May 2011 11:29 PM PDT

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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