Follow palashbiswaskl on Twitter

ArundhatiRay speaks

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Sunday, August 2, 2015

डांडा नागराजौ स्थल से वु अस्थिपंजर किलै नराज च ?


  डांडा नागराजौ स्थल से वु अस्थिपंजर  किलै नराज च ?



                        चबोड़ , चखन्यौ , फिरकी    :::   भीष्म कुकरेती 


 मेरी बॉडी सिलसु , बणेलस्यूं की छै तो जब बि व्यासचट्टी बिखोत नयाणो जांदि छे त दुसर दिन डांडा नागराजा अवश्य जांदि छे।  मि त पैल डांडा नागराजा (कण्डारस्यूं , कळजीखाळ ब्लॉक ) नि गे छौ पर डांडा नागराजौ बारा मा सब सुण्यु छौ।  अबै दैं नागराजा पुजणो ड्यार ग्यों तो डांडा नागराजा जाणो मौक़ा बि लग गे।  सुबेर साढ़े छै बजे टैक्सी चल तो नौ बजि करीब डांडा नागराजा पौंछि ग्यों। 

          डांडा नागराज पौंछो तो रोड च लस्यर गांवकी सार मा अर रस्ता का ढिस्वाळ से री गांवकी चौहद्दी /सार शुरू ह्वे जांद।  रोड मा दुकान लस्यर कौंका छन अर मथि नागराजा का स्थल मा दुकान री गौं का चमोल्युं का छन। 

मि जनि नागराजौ मंदिर जीना रस्ता से अळग जाणि वाळ छौ कि एक आवाज ऐ -ये भीषम ! मेरी बात सुणदा जा। 

त लस्यर गांवकी एक दुकानदानिन ब्वाल -ये भुला ! तैकी बात नि सूण नागराजा दर्शन -भेंट करिक  ऐ तब टैम रालो तो तैकि बि बरड़ बरड़ सुणि ले। 

मि द्वीएक घंटा बाद नागराजा दर्शन अर नास्ता पाणी करिक ऑ त वा इ आवाज सुणाइ दे -ये भीषम ! मेरी बात सुणदा जा। 

मि आवाजौ तरफ जाणु इ छौ कि मथि दूर नागराजा स्थल का री वळ दुकानदारुं अर रस्ता मांगक लस्यर गांवक दुकानदारुं संयुक्त हिदैत आयि - रण द्यावो अपण रस्ता नापो तैकि बातों मा नि आवो। 

पर मि तै वीं आवाज मा पता नि क्या आकर्षण लग कि मि वीं आवाजौ तरफ बढ़दि ग्यों।  थ्वड़ा दूर दुकानों से दूर रोड का ढिस्वाळी खड्डा बिटेन आवाज आणि छे - हाँ हाँ इना। 

मि खड्डा का बिलकुल न्याड़ ग्यों तो एक अस्थिपंजर दिखे।  बस द्वार सांस चलणि छे , वै अस्थिपंजर की।  लुतका बि झड़ गे छा , आँखि हडक्यूँ कुवा भितर छा।  सांस नि चलदा तो क्वी बि बोल सकद छौ  कि यु मनिख पचास साठ साल पैल मोरि गे ह्वालु। 

पता नि वै अस्थिपंजर देखिक किलै डौर नि लगणी छै धौं।  हाँ ! अस्थिपंजर पर जनि नजर पोड़ कि म्यार सरा सरैल पर शरम,   , लज्जा अर दगड़म बेशरमी की खज्जी लगण शुरू ह्वे गे। 

मीन पूछ -कु छंवां तुम ? अर मरणावस्था का बाद बि किलै बच्यां छंवां ? हडक्यूँ कटघळ म ज़िंदा रैकी क्या फैदा ? 

वै अस्थिपंजरन जबाब दे -मेरि बात जाणि दे।  इन बतादि मथि मंदिर परिसर मा या इख लस्यर कौंका दुकान्युं मा खाण पीण बि कार , खाण पीण मा क्या क्या मिल्दो वांक बारा मा बि जानकारी लेई ?

मि -हाँ किलै ना ? नास्ता मा पंजाबी , राजस्थानी , साउथ इंडियन सब नास्ता व खाणक छौ, बंगाली मिठै से लेकि बनारसी मिठै तक ।  अर पैक्ड फास्ट फ़ूड बि छौ द्वी जगाकी दुकान्युं मा। 

अस्थिपंजर-मजा ऐ गे ह्वाल ना ?

मि -किलै ना।  अग्यारा -बारा बजी भोजन ब्वालो या हैवी ब्रेकफास्ट ब्वालो खैल्या तो आनंद , मजा अर तृप्ति तो आलि कि ना ?

अस्थिपंजर- अच्छा खाणक मा , नास्ता मा क्वी गढ़वळि भोजन बि छौ। 

मि -नै।  गढ़वाळ मा कख मिल्दो गढवळि खाणक जु इख डांडा नागराजा मा मीलल ?

अस्थिपंजर-हाँ या बात सै च।  यदि गढ़वळि भोजन , नास्ता हूंद तो ?

मि -यदि गढ़वळि भोजन , नास्ता हूंद तो मि क्या म्यार इ परिवार ना जु बि प्रवासी परिवार डांडा नागराजा अयाँ छन सब गढ़वळि भोजन अवश्य खांदा। 

अस्थिपंजर- अच्छा ! मैदानी मिठैयुं दगड़ अरसा बि छया ?

मि -केका अरसा ? अरसा हूंद तो द्वी तीन किलो अरसा मि मुंबई नि लिजांद।  इनि हरेक प्रवासी भक्त अरसा इख बिटेन अवश्य लिजांदु। 

अस्थिपंजर- रासन पाणी की दूकान बि देखिन ?

मि -हाँ पर वु म्यार के कामक।  स्थानीय जरूरत पूरी करणो बान वी ग्यूं , चौंळ , दाळ , मसाला , लिज्जत पापड़ , सोयाबीन की बड़ी आदि छे तो म्यार केकामौ ?

अस्थिपंजर-यदि पहाड़ी तुवर-राजमा  , पहाड़ी क्वादो , पहाड़ी झंग्वर , जख्या , पहाड़ी अल्लु; ; मूळा , बसिंगु , कंडाळी कु सुक्सा हूंद तो ? 

मि -यदि यि सब इख मिल्दो तो मि, अन्य प्रवासी ही न स्थानीय लोग इख से पहाड़ी भोज्य पदार्थ खरीददा।  मीन यि सब सामान ऋषिकेश से खरीदण।  ऋषिकेश बिटेन मीन हजारेक रुपया का अनाज-दाळ  मुंबई लिजाण।  इनि सबी प्रवाशी ऋषिकेश से पहाड़ी अनाज-दाळ खरीदीक लिजान्दन। 

अस्थिपंजर-अच्छा तीन डांडा नागराजा की समळौण तो खरीद इ ह्वेली ?

मि -खन्नौक समळौण ! सबि चीज तो वी छई दुकान्युं मा जु मुंबई , दिल्ली मा मिल्दो। 

अस्थिपंजर-तो कुछ बि समळौणै चीज नि खरीद ?

मि -दिमाग खराब हुयुं च म्यार जु ऊँ चूड़ी -चुंट्यूं -माळा -साळा खरीदीक मुंबई लिजांदु जु उख सस्तो मा मिल जांदन।  हाँ यी सामन इखाका स्थानीय लोगुंक वास्ता ठीक च। 

अस्थिपंजर-तो यदि ईख गढ़वाळ को क्वी शिल्प दुकान्युं मा हूंद तो ?

मि -मि क्या हरेक प्रवासी भक्त गढ़वाळि शिल्प खरीदीक समळौण का रूप मा अवश्य खरीददो।  साठ प्रतिशत भक्त तो प्रवासी ही छन अयाँ इख डांडा नागराजा मा। 

अस्थिपंजर-त्वै तै क्वी शरम , ल्याज , लज्जा नि आयि कि डांडा नागराजा जन पर्यटक स्थल मा गढ़वळि भोजन , गढ़वळि नास्ता , गढ़वळि अनाज -दाळ -ड्राइ (सुक्सा ) वेजिटेबल्स , गढ़वळि अरसा , समळौण का वास्ता गढ़वळि शिल्प उपलब्ध नी च। 

मि -इखमा शरमाणो , लज्जा करणो बात क्या च ? बद्रीनाथ हो , गंगोत्री हो या मसूरी कै बि पर्यटक स्थल मा गढ़वळि भोजन , गढ़वळि नास्ता , गढ़वळि अनाज -दाळ -ड्राइ (सुक्सा ) वेजिटेबल्स , गढ़वळि अरसा , समळौण का वास्ता गढ़वळि शिल्प उपलब्ध नि हून्दन तो फिर डांडा नागराजा मा किलै मीलल भै ?

अस्थिपंजर-मतलब त्वै तै बि क्वी शरम , लज्जा नी आणि कि पर्यटक स्थल मा गढ़वळि भोजन , गढ़वळि नास्ता , गढ़वळि अनाज -दाळ -ड्राइ (सुक्सा ) वेजिटेबल्स , गढ़वळि अरसा , समळौण का वास्ता गढ़वळि शिल्प उपलब्ध नी च। जन री का या लस्यर का दुकानदारों तै बिलकुल बि शरम नि लगदी , लज्जा नि आदि कि डांडा नागराजा मा गढ़वळि भोजन , गढ़वळि नास्ता , गढ़वळि अनाज -दाळ -ड्राइ (सुक्सा ) वेजिटेबल्स , गढ़वळि अरसा , समळौण का वास्ता गढ़वळि शिल्प उपलब्धनि करांदन। 

मि -नहीं।  बिलकुल बि ना।  सरकार कुछ नि करदि तो री का या लस्यर का दुकानदार क्या कारल ?

अस्थिपंजर-हूँ तो समाज का क्या कर्तव्य च 

मि -समाज का क्या कर्तव्य ह्वे सकद ? जब सरकार इ कुछ नि करणी च तो समाज तै क्या पड़ीं च ? 

अस्थिपंजर - अरे वाह ! सब कुछ सरकार का हि कर्तव्य अर समाज का क्वी कर्तव्य नी च क्या ?

मि -द्याखो म्यार दिमाग नि चाटो , मगज नि खावो , पागलपन की बात नि कारो। 

अस्थिपंजर - वाह रे गढ़वालियों ! जब तुम से क्वी तुमर कर्तव्य लैक सवाल कारो तो तुम वै सवाल तैं पागलपन सिद्ध कर दींदा हैं। 

मि -द्याखो बिंडी नि ब्वालो हाँ।  मि तै गुस्सा आणु च हाँ। 

अस्थिपंजर -गुस्सा याने अपणी अकर्मण्यता का कारण एक भयकर भाव। 

मि - ह्यां तुम छौ कु छंवां ?

अस्थिपंजर - मि मरणासन्न गढ़वळि शिल्प छौं। 

मि तै जनि पता चल कि यु अस्थिपंजर गढ़वळि शिल्प च त  मि भागिक टैक्सी जिना  भागण लग ग्यों। 

री अर लस्यर  का सब दुकानदार - अरे तुम प्रवासी तो भाग्यशाली छंवां कि तुम भागिक भाजि जांदवां।  हम तै तो यु अस्थिपंजर रोज तून -ताना दीणु रौंद। 




2 /8  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments: