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Friday, August 5, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/8/3
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


सीबीएसई ने सीसीई पर छात्रों की राय मांगी

Posted: 02 Aug 2011 09:32 AM PDT

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सतत समग्र, मूल्यांक (सीसीई) पर छात्रों की राय मांगी है, ताकि इसे और बेहतर बनाया जा सके। सीबीएसई के शिक्षा अधिकारी (कॉमर्स) सौगंध शर्मा ने बताया कि 11 नवंबर को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा दिवस घोषित किया है। इस साल बोर्ड ने शिक्षा दिवस को छात्र केंद्रित गतिविधियों से जोड़ने का फैसला किया है। बोर्ड ने इस अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के महत्वपूर्ण तत्व सतत समग्र, मूल्यांकन पर नौवीं, दसवीं और 12वीं के छात्रों की राय मांगी है। इसके लिए कुछ प्रश्न जारी किए हैं। छात्रों से प्रश्न किए गए हैं कि क्या सीसीई मूल्यांकन का सर्वश्रेष्ठ तरीका है ? मूल्यांकन के इस तरीके के प्राप्त किए गए नंबर क्या आपके व्यक्तित्व के सभी पहलुओं को उजागर करते हैं ? एमसी जोशी सीबीडीटी के नए चेयरमैन नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के 1974 बैच के अधिकारी एमसी जोशी को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है। कालेधन को लेकर सरकार पर बढ़े दबाव को देखते हुए नए सीबीडीटी अध्यक्ष ने कहा है कि वह इसकी जांच पर स्वयं नजर रखेंगे। जोशी ने कहा कि वह कालेधन से जुड़े जांच कार्य को सीधे अपने मातहत रखेंगे। आमतौर पर आयकर विभाग की जांच का काम सीबीडीटी में अलग सदस्य के तहत रखा जाता है, लेकिन जोशी जो कि सीबीडीटी के नए अध्यक्ष बने हैं, ने कहा है कि वह इस जांच कार्य को खुद देखेंगे। वह कालेधन पर गठित समिति के भी अध्यक्ष हैं(दैनिक जागरण,भोपाल संस्करण,2.8.11 में दिल्ली की रिपोर्ट)।

संसदीय स्थायी समिति ने कहाःघटिया विदेशी शिक्षण संस्थानों को रोको

Posted: 02 Aug 2011 09:31 AM PDT

विदेशी शिक्षण संस्थानों के लिए देश के दरवाजे खोलने को लेकर सरकार का उत्साह अपनी जगह पर है, लेकिन उसके लिए पेश विधेयक की कई बातें संसदीय स्थायी समिति के गले नहीं उतर रही हैं। उसकी चिंता खासतौर से घटिया विदेशी शिक्षण संस्थानों को यहां आने और देश में योग्य शिक्षकों की कमी के और बढ़ने को लेकर है। लिहाजा उसने बेहतरीन विदेशी शिक्षण संस्थानों को ही यहां आने की इजाजत देने की पैरवी की है। विदेशी शिक्षण संस्थान (प्रवेश एवं संचालन विनियमन) विधेयक-2010 पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति ने सोमवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में सरकार को कई मामलों में आगाह किया है। शिक्षा से जुड़े तमाम पक्षकारों से मशविरे के बाद समिति की राय है कि सिर्फ दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं को ही भारत में आने की इजाजत मिलनी चाहिए। उन संस्थाओं को सरकार खुद न्योता देकर बुला सकती है। समिति का तर्क है कि पड़ोसी चीन और मलेशिया जैसे देश भी अपने यहां इसी फार्मूले को अख्तियार करते हैं। समिति ने देश में बेहतरीन शिक्षकों की कमी के सवाल को गंभीरता से लिया है। उसका कहना है कि प्रतिभाशाली छात्रों को शिक्षक बनने के लिए आकर्षितकरने में सरकार नाकाम रही है। जबकि विदेशी शिक्षण संस्थान यहां आने पर योग्य शिक्षकों को अपने साथ ले सकते हैं। समिति का मानना है कि इस स्थिति से बचने के लिए यह प्रावधान किया जाना जरूरी है कि विदेशी शिक्षण संस्थान एक निश्चित प्रतिशत तक शिक्षक अपने यहां से ही लाएं। भारतीय एवं विदेशी शिक्षकों के इस साझा प्रयास के छात्रों व शिक्षकों, दोनों लिहाज से सकारात्मक नतीजे आएंगे। इसके अलावा समिति ने विदेशी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू न करने के सरकार के फैसले पर सहमति जताई है, लेकिन यह भी कहा है कि विदेशी संस्थानों में आरक्षण तब लागू हो सकता है, जब भारतीय निजी शिक्षण संस्थानों के लिए भी सरकार ऐसा कोई प्रावधान कर दे(दैनिक जागरण,भोपाल संस्करण,2.8.11 में दिल्ली की रिपोर्ट)।

लखनऊःअरबी-फारसी विवि का शैक्षिक सत्र लेट होना तय

Posted: 02 Aug 2011 09:27 AM PDT

कांशीराम उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के पहले शैक्षिक सत्र की शुरुआत में लेटलतीफी तय है। मुख्यमंत्री मायावती की शीर्ष प्राथमिकताओं में शुमार इस विश्वविद्यालय में पढ़ाई-लिखाई का आगाज तो बीती जुलाई से ही करने की योजना थी, लेकिन जो सूरत-ए-हाल है उससे तो इस महीने भी कक्षाएं शुरू होने के आसार नहीं हैं। पिछले साल 28 जुलाई को अरबी-फारसी विवि में आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम के मौके पर खुद उच्च शिक्षा मंत्री राकेशधर त्रिपाठी ने यह घोषणा की थी कि विश्वविद्यालय में जुलाई-2011 से पढ़ाई शुरू हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि विवि का भवन निर्माण कैलेंडर वर्ष 2010 में पूरा कर लेने की कोशिश होगी। इस मौके पर नगर विकास मंत्री नकुल दुबे, अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री अनीस अहमद खां, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति अनीस अंसारी और तत्कालीन सचिव उच्च शिक्षा अनिल संत भी मौजूद थे। भले ही उच्च शिक्षा मंत्री ने जुलाई-2011 से पढ़ाई शुरू करने की घोषणा की हो, लेकिन फिलहाल यहां अगस्त में भी पठन-पाठन शुरू होने की संभावना नहीं है। उसकी वजह यह है कि अभी तक विवि में शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के पद ही नहीं सृजित हुए हैं। शिक्षकों के पद सृजित भी हो जाते हैं तो उनके चयन की प्रक्रिया पूरी करने में खासा वक्त लगेगा। विवि की कार्यपरिषद जहां पिछले वर्ष ही गठित की जा चुकी थी, वहीं उसकी 15 सदस्यीय एकेडमिक काउंसिल का गठन बीती जुलाई में ही हुआ है। बीती 28 जुलाई को बैठक करते हुए विवि की एकेडमिक काउंसिल ने विवि में 13 पाठ्यक्रम चलाने की सिफारिश की है। काउंसिल ने अगस्त से विश्वविद्यालय का शैक्षणिक सत्र शुरू करने का भी फैसला किया है। उच्च शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालय के पहले चरण का निमार्ण कार्य कैलेंडर वर्ष 2010 में पूरा करने की मंशा जतायी हो, लेकिन यह जुलाई-2011 तक भी पूरा नहीं हो सका है। पहले चरण में विश्वविद्यालय में शैक्षणिक भवन, प्रशासनिक भवन, कंप्यूटर सेंटर, 200 बेड का ग‌र्ल्स हास्टल, 250 बेड का ब्वायज हास्टल, कुलपति आवास, गेस्ट हाउस, कर्मचारियों के आवास, विद्युत सबस्टेशन व पंप हाउस का निर्माण प्रस्तावित है। विवि के प्रथम चरण के निर्माण के लिए 188 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गए हैं, जिसमें से 171 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को उपलब्ध करा दिये गए हैं। विवि के निर्माण पर अब तक 156 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं(दैनिक जागरण,लखनऊ,।

लखनऊ के 281 स्कूलों को नोटिस

Posted: 02 Aug 2011 09:25 AM PDT

शिक्षकों का संघर्ष आखिर रंग लाया। उनकी मेहनत से तैयार हुई राजधानी के फर्जी स्कूलों की सूची को जांच की कसौटी पर कसने के लिए शिक्षा विभाग ने न सिर्फ सहमति जताई है, बल्कि कार्रवाई की दिशा में कदम भी बढ़ा दिए हैं। सोमवार को शिक्षकों से दूसरी सूची मिलने के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय ने राजधानी के 281 संदिग्ध स्कूलों को नोटिस जारी कर दी है। माध्यमिक शिक्षक संघ के दस सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने सोमवार शाम जिला विद्यालय निरीक्षक उमेश कुमार त्रिपाठी को 125 अमान्य स्कूलों और इन स्कूलों के बच्चों को अपने यहां से परीक्षा दिलाने वाले 16 विद्यालयों की सूची सौंपी। इससे पहले बीते सोमवार को संघ ने निवर्तमान जिला विद्यालय निरीक्षक गणेश कुमार को 156 अमान्य विद्यालय और उनके धंधे में शामिल 55 मान्यता प्राप्त विद्यालयों की सूची पेश की थी। सोमवार को वार्ता में जिला विद्यालय निरीक्षक श्री त्रिपाठी ने शिक्षकों को बताया कि सभी अमान्य स्कूलों को नोटिस जारी कर उनकी मान्यता का ब्योरा तलब किया गया है। इसके लिए स्कूलों को एक हफ्ते का समय दिया गया है। इसके अलावा जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से जांच दल भी गठित किए जा रहे हैं। यह जांच दल मंगलवार से इलाकों में निकलेंगे और चिह्नित स्कूलों में मान्यता के अभिलेख परखेंगे। जहां गड़बड़ी मिलेगी, कार्रवाई की जाएगी। 

समायोजित हों विद्यार्थी : 
माध्यमिक शिक्षक संघ ने फर्जी स्कूलों पर कार्रवाई करने के साथ ही इन स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों में समायोजित करने की मांग की है। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि शिक्षा विभाग और अमान्य स्कूलों के बीच साठगांठ की वजह से राजकीय व अनुदानित स्कूलों में छात्र संख्या खासी कम हो गई है(दैनिक जागरण,लखऩऊ,2.8.11)।

लखनऊःएमिटी में सैकड़ों छात्र फेल, हंगामा

Posted: 02 Aug 2011 09:23 AM PDT

एमिटी विश्वविद्यालय में सैकड़ों छात्र-छात्राओं के अनुत्तीर्ण होने पर विवाद खड़ा हो गया है। विद्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें जानबूझकर फेल किया गया है ताकि एक साल की मोटी फीस फिर ली जा सके। साल खराब होने से छात्र-छात्राएं अवसाद में हैं। अचानक तबीयत बिगड़ने पर एक छात्रा को पत्रकारपुरम स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। देर रात तक छात्र विश्वविद्यालय परिसर में अनशन पर बैठे रहे। एमिटी में बी-कॉम आनर्स, सीएलआइबी, बीबीए, बीसीए के तकरीबन तीन सौ छात्र-छात्राओं को अनुत्तीर्ण कर दिया है। छात्रों ने बताया पहले उनकी उपस्थिति को कम बताया गया और बाद में उनका साल ही खराब कर दिया गया है। उपस्थिति कम होने पर सप्लीमेंट्री पेपर दिया जाता है लेकिन विवि प्रशासन ने इस नियम के विपरीत विद्यार्थियों को फेल कर दिया है। छात्रों का आरोप है कि एक साल की लाखों रुपये फीस लेने के कारण जानबूझकर सबको अनुत्तीर्ण किया गया है। विवि प्रशासन के इस निर्णय के विरोध में छात्रों ने सोमवार को विवि परिसर में आक्रोश व्यक्त किया। देर शाम छात्र परिसर में अनशन पर बैठ गए। बीकॉम तृतीय वर्ष की छात्रा सुरभि जायसवाल की इसी बीच तबीयत खराब हो गई। आननफानन उसे अस्पताल भेजा गया है। कानपुर की रहने वाली सुरभि एमिटी विवि के छात्रावास रहती है। सुरभि के घरवालों ने बताया कि वह अवसाद में है, अनुत्तीर्ण होने से उसकी तबीयत बिगड़ गई थी। छात्र देर रात तक धरने पर बैठे रहे। विवि प्रवक्ता आशुतोष चौबे का कहना है कि छात्रा कई दिनों से बीमार थी। छात्र फेल होने पर बेवजह का हंगामा कर रहे हैं(दैनिक जागरण,लखनऊ,2.8.11)।

लखनऊ विश्वविद्यालयःपत्रकारिता में प्रवेश को लंबी लाइन

Posted: 02 Aug 2011 09:22 AM PDT

लखनऊ विश्वविद्यालय में पत्रकारिता में प्रवेश के लिए छात्रों की लंबी कतार है। लविवि के 135 जबकि अन्य विश्वविद्यालयों के 67 अभ्यर्थियों ने प्रवेश के लिए आवेदन किया है जबकि सीटों की संख्या 40 है। मंगलवार को पत्रकारिता, शिक्षाशास्त्र, मनोविज्ञान, मेडिवल एंड माडर्न इंडियन हिस्ट्री और कम्यूनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग होगी। अन्य विषयों में भी प्रवेश के लिए आवेदकों की संख्या सीटों से कहीं अधिक है। उधर, सोमवार को छह विषयों के लिए काउंसिलिंग में 47 सीटें खाली रह हई हैं। बैचलर इन लाइब्रेरी साइंस में चार, मास्टर इन लाइब्रेरी साइंस में एक, गृहविज्ञान में 18, भूगोल में आठ और बिजनेस इकोनॉमिक्स में 16 सीटें खाली हैं। संस्कृत की एक भी सीट नहीं बची है। पीजी में आवेदनों की संख्या खासी कम थी और प्रवेश उससे भी कम हो रहे हैं। पीजी काउंसिलिंग 10 अगस्त तक चलेगी। अभी तक लविवि के चार स्ववित्तपोषी पाठ्यक्रम एक साल के लिए स्थगित किए जा चुके हैं जबकि तकरीबन एक दर्जन कोर्सो पर यह तलवार अभी लटक रही है। नियमत: स्ववित्तपोषी पाठ्यक्रमों में चालीस फीसदी से कम प्रवेश होने पर कोर्स नहीं चलाया जा सकता है(दैनिक जागरण,लखनऊ,2.8.11)।

दिल्लीःजाति प्रमाण पत्र बनवाना होगा आसान

Posted: 02 Aug 2011 09:20 AM PDT

राज्य मंत्रिमंडल ने वाल्मीकियों के लिए जाति प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया को सरल बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने सांसद और विधायकों को भी जरूरी दस्तावेज सत्यापित करने की अनुमति को सैद्धान्तिक मंजूरी दी है। मंत्रिमंडल ने केवल उन मामलों में स्थानीय पूछताछ किए जाने की अनुमति दी है, जिनमें परिवार में पहली बार जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जाति/ जन जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया के लिए जरूरी दस्तावेजों का सत्यापन करने का अधिकार सांसद और विधायकों भी देने का निर्णय लिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि गलत सत्यापन करने पर भारतीय दंड सहिंता के तहत कार्यवाही की जा सकेगी। आवेदन के साथ दिए गए शपथ पत्र का सत्यापन एसडीएम या अधिशासी मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाना जरूरी है(दैनिक जागरण,दिल्ली,2.8.11)।

बिहारःकुलपतियों की नियुक्ति पर नीतीश-राज्यपाल में ठनी

Posted: 02 Aug 2011 09:17 AM PDT

बिहार के राज्यपाल व कुलाधिपति देबानंद कुंवर ने सोमवार को प्रदेश के छह विश्र्वविद्यालयों में कुलपति और चार विश्र्वविद्यालयों में प्रतिकुलपति की नियुक्ति की। बिना सलाह के की गई इन नियुक्तियों को राज्य सरकार ने अवैध ठहराया है। इन नियुक्तियों के बाद राजभवन (कुलाधिपति कार्यालय) और राज्य सरकार (मानव संसाधन विकास विभाग) का विवाद अब नए अंदाज में सामने है। मानव संसाधन विकास मंत्री पीके शाही के अनुसार नियुक्तियां पूरी तरह अवैध हैं। आसार हैं कि प्रदेश सरकार इन कुलपतियों का अधिकार सीज कर देगी। पहले भी ऐसा हो चुका है। पटना विश्वविद्यालय, केएसवी संस्कृत विश्वविद्यालय (दरभंगा), बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा), मौलाना मजहरुल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय (पटना). डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (मुजफ्फरपुर), जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय (छपरा) और एलएन मिथिला विश्वविद्यालय में ये नियुक्तियां की गई हैं। जिन विश्र्वविद्यालयों में नियुक्ति की गई है, उनमें पिछले कई माह से प्रभारी कुलपति काम कर रहे थे। ऐसी नौबत कुलाधिपति कार्यालय व प्रदेश सरकार के बीच विवाद के चलते थी। मामले में पटना हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप किया और दोनों (कुलाधिपति कार्यालय, सरकार) को नोटिस जारी किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की। तब माना गया था कि विवाद समाप्त हो गया है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मानव संसाधन विकास विभाग इन नियुक्तियों को नहीं कबूल रहा है। विभाग के मंत्री शाही ने कहा कि पूर्व में मगध और वीर कुंवर सिंह विश्र्वविद्यालयों में सरकार से परामर्श के बिना राजभवन ने कुलपति नियुक्त किये थे। हाईकोर्ट ने उन नियुक्तियों को अवैध करार दे दिया था(दैनिक जागरण,पटना,2.8.11)।

उदयपुर का एमबी स्कूल ऑफ नर्सिंगःभविष्य से खिलवाड़ पर कोई कार्रवाई नहीं

Posted: 02 Aug 2011 08:51 AM PDT

एमबी स्कूल ऑफ नर्सिग के छात्रों के अंकों में हेराफेरी के मामले में प्रधानाचार्य को दोषी ठहराए जाने के बावजूद न तो छात्रों के अंक बढ़ सके हैं और न ही कोई कार्रवाई हो सकी। छात्रों ने अधीक्षक से लेकर मंत्री तक गुहार लगाकर जांच कमेटियां गठित करवाई। जब दो कमेटियों ने अंकों में हेराफेरी पर मुहर लगाते हुए प्रधानाचार्य को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है, उनकी रिपोर्ट पर कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई है।
दरअसल, नर्सिग तृतीय वर्ष के छात्रों ने द्वेषतापूर्वक आंतरिक मूल्यांकन में अंक कम करने की शिकायत दर्ज कराई थी जिस पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और आरएनटी मेडिकल कॉलेज ने अपनी-अपनी जांच कमेटियां गठित की थी। दोनों कमेटियों ने प्राचार्य विजया अजमेरा को अंकों में कटौती करने के लिए दोषी करार दिया।
ट्यूटर ने भी लगाया आरोप
इधर, रिपोर्ट के अलावा नर्सिग स्कूल की एक ट्यूटर ने भी प्राचार्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए दस्तावेज में गड़बड़ करने का आरोप लगाया। ट्यूटर रूथ डी राम ने उ"ााधिकारियों से लेकर कलक्टर तक शिकायत दर्ज कराई है कि प्राचार्य ने उसके हस्ताक्षर से युक्त सूची में हेर-फेर की जबकि अंकों का विवरण उसकी हस्तलिपि से मेल ही नहीं खाता।


यह है मामला
प्रधानाचार्य ने जीएनएम हॉस्टल में बीएससी छात्रों को रखने के लिए अंतिम वर्ष के छात्रों पर तुरंत हॉस्टल खाली करने का दबाव बनाया था। प्रधानाचार्य द्वारा अनुरोध नहीं सुनने से बौखलाए छात्र-छात्राओं ने हड़ताल करते हुए स्कूल पर ताला जड़ दिया। विद्यार्थियों का आरोप है कि प्रधानाचार्य ने द्वेषतापूर्ण कार्रवाई करते हुए उन्हीं छात्रों के अंक कम कर दिए जो अपने हक के लिए आगे आए। नियमानुसार आंतरिक मूल्यांकन या सत्रांक छात्र के पूरे साल के प्रदर्शन के आधार पर विषयाध्यापक देते हैं।
'मैं जल्द ही मामले और रिपोर्ट को देखकर बताता हूं कि कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है और किस स्तर पर संरक्षण दिया जा रहा है।'
- बी.के.दोषी, अतिरिक्त निदेशक (अराजपत्रित कार्मिक)(राजस्थान पत्रिका,उदयपुर,2.8.11)

कैपिटेशन फीस लेने पर एक करोड़ जुर्माना

Posted: 02 Aug 2011 08:47 AM PDT

मानव संसाधन विकास मामलों की संसद की स्थायी समिति ने विद्यार्थियों से कैपिटेशन फीस लेने वाले तकनीकी और चिकित्सा संस्थानों पर एक करोड़ रुपये तक का दंड लगाने की सिफारिश की है। प्रस्तावित कानून में 50 लाख रुपये का जुर्माना का प्रावधान था। राज्यसभा में सोमवार को पेश अपनी रिपोर्ट में समिति ने उल्लंघनों के मामलों में अधिकतम और न्यूनतम जुर्माना लगाने का फैसला सरकार पर छोड़ दिया है। समिति ने मानव संसाधन विकास विभाग से कहा कि वह हर मामले के आधार पर जुर्माने की राशि तय करे और इसे एक ही आधार पर निर्धारित नहीं करे। समिति के अनुसार, बड़े और छोटे उल्लंघन को एकसमान नहीं माना जा सकता और सभी तरह के अपराध के लिए जुर्माने की एक ही राशि लगाना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। तकनीकी शिक्षा संस्थानों, चिकित्सा शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अनुचित तरीकों के इस्तेमाल की रोकथाम संबंधी विधेयक 2010 पर अपनी रिपोर्ट में समिति ने कहा कि अगर चिकित्सा कॉलेजों में सीटों के एवज में ली जाने वाली कैपिटेशन फीस की ऊंची दरों पर गौर करें तो इस तरह का शुल्क लेने वाले संस्थानों पर छोटा जुर्माना लगाना प्रभावी प्रतिरोधक नहीं माना जाएगा। समिति ने कहा कि कानून के सभी तरह के उल्लंघनों को गंभीर माना जाना चाहिए क्योंकि इससे विद्यार्थियों के हित प्रभावित होते हैं और उनका भविष्य दांव पर लग जाता है। समिति ने कहा कि कैपिटेशन फीस का सीधा संबंध चिकित्सा संस्थानों की संख्या में कमी से है। समिति ने सिफारिश की कि मानव संसाधन विकास विभाग विभिन्न राज्यों के कानूनों पर विचार कर यह तय करे कि जब्त की गई कैपिटेशन फीस सरकार अपने पास रखे या संबंधित विद्यार्थियों को दे दे क्योंकि राज्यों में इस संबंध में अलग-अलग नियम हैं। समिति ने यह पुरजोर सिफारिश की है कि रूस, चीन, कजाकस्तान और अन्य देशों से चिकित्सा डिग्रियां हासिल करने के बाद भी देश में प्रैक्टिस की इजाजत नहीं पाने वाले विद्यार्थियों की समस्या का व्यावहारिक हल ढूंढा जाए। समिति की सिफारिश है कि शिकायत निवारण का प्रभावी तंत्र बनाने और शैक्षणिक न्यायाधिकरणों में मामलों के निपटारे की समय-सीमा तय करने के लिए कानून में जरूरी प्रावधान किए जाएं। समिति ने कहा कि देश के सुदूर और कमी वाले क्षेत्रों में चिकित्सा शिक्षण संस्थाएं खोलने की जरूरत है ताकि डाक्टरों की दिन पर दिन बढ़ती मांग को पूरा करने के साथ गांवों में डाक्टरों की संख्या बनाम शहरों में चिकित्सकों की संख्या के मुद्दे से भी निपटने में मदद मिलेगी(दैनिक जागरण,दिल्ली,2.8.11)।

राजस्थानःपशुधन सहायक डिप्लोमा की दो परीक्षाएं निरस्त

Posted: 02 Aug 2011 08:44 AM PDT

राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने पशुधन सहायक के दो वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम के द्वितीय वर्ष फार्मोकॉलोजी तथा प्रथम वर्ष फिजियोलॉजी की परीक्षा गलत पेपर खुल जाने के कारण निरस्त कर दी है।
परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि सोमवार को वेटरनरी फार्मोकॉलोजी की द्वितीय वर्ष की परीक्षा के लिए जब यहां प्रश्न पत्र का लिफाफा खोला गया तो उसमें प्रथम वर्ष वेटरनरी फिजियोलॉजी का पेपर निकला। यह बंट भी गया। परीक्षा उप अधीक्षक डॉ. त्रिभुवन शर्मा ने बताया कि परीक्षार्थियों की प्रश्न पत्र गलत मिलने की शिकायत को उचित मानते हुए दोनों विषयों की परीक्षाएं निरस्त कर दी गई। वेटरनरी फिजियोलॉजी की परीक्षा दो अगस्त को होनी थी(राजस्थान पत्रिका,बीकानेर,2.8.11)।

जोधपुर एम्स में अगले साल शुरू होगी पढ़ाई

Posted: 02 Aug 2011 08:42 AM PDT

भोपाल, जोधपुर और रायपुर में एम्स की तर्ज पर निर्माणाधीन चिकित्सा संस्थानों की कमान दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) कर्मियों के हाथों में होगी। न केवल इन संस्थानों को पूर्णकालिक निदेशक एम्स से मिलेगा बल्कि शुरूआत में ज्यादातर फैकल्टी भी यहीं से होगी।

इन संस्थानों में वर्ष 2012 से सौ सीटों के साथ एमबीबीएस की पढ़ाई और वर्ष 2013 से ओपीडी सेवाओं के जरिए अस्पताल की शुरूआत हो जाएगी। मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि इन एम्स के लिए निदेशक चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। अगस्त के मध्य तक केन्द्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति से इन नामों को मंजूरी मिलने के आसार हैं। ताकि अगले साल से शुरू होने वाली अकादमिक व प्रशासनिक गतिविधियों के लिए समुचित तैयारियों को अंजाम दिया सके।

मेंटर होगा पीजीआई चंडीगढ़

सूत्रों ने बताया कि शुरूआत में नए एम्स देश के जाने-माने चिकित्सा संस्थानों के संरक्षण में चलेंगे। भोपाल और रायपुर के लिए मेन्टर पुद्दुचेरी स्थित जेआईपीएमईआर होगा तो जोधपुर की शुरूआत चंडीगढ़ स्थित पीजीआई के संरक्षण में होगी।



जोधपुर-रायपुर आगे
सूत्रों ने बताया कि जोधपुर और रायपुर में आवासीय परिसर का काम पूरा कर लिया गया है। अस्पताल परिसर के अगस्त 2012 तक तैयार होने की उम्मीद है। एम्स के लिए प्रस्तावित 4047 पदों को लेकर वित्त मंत्रालय ने पहले चरण के लिए कुल 1145 पदों को मंजूरी प्रदान कर दी है। सभी नए एम्स की सोसायटी गठित कर ली गई है।
(मनोज कुमारेन्द्र,राजस्थान पत्रिका,जोधपुर,2.8.11)

राजस्थानःबोर्ड कक्षाओं के लिए नई अंक विभाजन योजना

Posted: 02 Aug 2011 08:36 AM PDT

शिक्षा विभाग ने इस साल से 10 वीं और 12वीं कक्षा में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क लागू होने के कारण इन कक्षाओं में नई अंक विभाजन योजना जारी की है। दोनों कक्षाओं में अब एकल प्रश्न परीक्षा आयोजित की जाएगी। अंकों का विभाजन अगस्त में हो रही पहली परख परीक्षा से ही लागू होगा। नई व्यवस्था से विद्यार्थियों के बोर्ड परीक्षा में जाने वाले सत्रांक पर भी असर पडेगा।

माध्यमिक शिक्षा आयुक्त ने सभी जिला शिक्षा अघिकारियों को आदेश जारी करके बोर्ड कक्षाओं की परीक्षाएं नई योजना के अनुसार कराने के निर्देश दिए हैं। कक्षा दसवीं में समाजोपयोगी विषय में केवल ग्रेड दी जाएगी। सभी स्कूल राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के नियमानुसार विद्यार्थियों के सत्रांक भेजेंगे। इससे पहले विषय में दो पेपर होने से अंकों का विभाजन आधा हो जाता था और एक विषय में अंक कम आने से दूसरे में उसे पूरा करके विषय में उत्तीर्ण अंक लाए जाते थे(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,2.8.11)।

जम्मूःआखिर कब होगी सेंट्रल यूनिवर्सिटी की आस पूरी ?

Posted: 02 Aug 2011 08:06 AM PDT

नेशनल पैंथर्स स्टूडेंट्स यूनियन (एनपीएसयू) तथा यंग पैंथर्स द्वारा सेंट्रल यूनिवर्सिटी मुद्दे पर चलाए जा रहे आंदोलन सोमवार को 33वां दिन भी जारी रहा। संभाग के विभिन्न कालेजों के अतिरिक्त परेड स्थित रणवीर हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्र भी आंदोलन में शामिल हो गए हैं।

एनपीएसयू कार्यकर्ताओं ने स्कूल में जाकर कक्षाओं का बहिष्कार कराया। बाद में सबने स्कूल के सामने इकट्ठा होकर सरकार के विरुद्ध नारेबाजी की। उनका कहना था कि केंद्र व राज्य सरकार मिलकर जम्मू वासियों के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।

जानबूझकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी का वीसी नियुक्त नहीं किया जा रहा, जिस कारण से लोगों को मजबूरन आंदोलन चलाने को विवश होना पड़ रहा है। साथ ही कहा कि उनका आंदोलन तब तक चलेगा जब तक कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी का कामकाज शुरू नहीं हो जाता।

वहीं संभाग के विभिन्न डिग्री कालेजों में भी प्रदर्शन का सिलसिला पहले की ही तरह जारी रहा। जीजीएम साइंस कालेज, कॉमर्स कालेज, डिग्री कालेज पलौड़ा, डिग्री कालेज ऊधमपुर, डिग्री कालेज कठुआ, डिग्री कालेज सांबा में एनपीएसयू कार्यकर्ताओं ने कक्षाओं का बहिष्कार करवाया।


बाद में सरकार विरोधी नारेबाजी की। जीजीएम साइंस कालेज, कॉमर्स कालेज एवं पलौड़ा डिग्री कालेज के छात्रों ने शहीदी स्थल पर इकट्ठे होकर प्रदर्शन किया। एनपीएसयू के प्रांतीय प्रधान प्रताप सिंह जम्वाल ने कहा कि केंद्र राज्य सरकार के इशारे पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी मामले पर विलंब कर रहा है। 


छात्र समुदाय इस पर सबसे ज्यादा आहत है, क्योंकि नुकसान उसी का हो रहा है। छात्रों के आंदोलन के बावजूद भी यदि सरकार इस मामले पर चुप्पी साधे रहती है तो मजबूरन उन्हें आंदोलन का प्रारूप बदलना पड़ेगा। सिंह ने कहा कि सरकार लाख कोशिश कर ले पर छात्र आंदोलन के रास्ते से पीछे नहीं हटेंगे। 

शहीदी स्थल पर अनशन का 8वां दिन : वहीं शहीदी स्थल पर जारी श्रंखलाबद्ध अनशन सोमवार को 8वें दिन में प्रवेश कर गया। सोमवार को अनशन पर बैठने वालों में लवकेश गोंधी, राहुल शर्मा, राहुल सोढी और रमन बैठे। 

सरकार आंदोलन विफल करने का कर रही प्रयास 

यंग पैंथर्स ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार उनके द्वारा सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को दबाने के लिए अनुचित हथकंडों का इस्तेमाल कर रही है। 

सोमवार को हुई प्रेसवार्ता में यंग पैंथर्स के वरिष्ठ उपप्रधान पुष्विंदर सिंह ने कहा कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी मुद्दे पर उन्हें विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों का जो समर्थन मिल रहा है, उससे उनका हौंसला काफी बढ़ा है। 

यह छात्रों के आंदोलन का ही नतीजा है कि जम्मू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी मिली, परंतु अब उन्हें यूनिवर्सिटी का कामकाज शुरू कराने को भी आंदोलन करना पड़ रहा है। लेकिन राज्य सरकार इसमें नकारात्मक भूमिका निभा रही है। उसके द्वारा प्रयास हो रहा है कि इस आंदोलन को विफल किया जाए। 

सरकार के गुंडे आंदोलनकारियों को लगातार धमकी दे रहे हैं। सिंह ने चेतावनी दी कि यदि उनके कार्यकर्ताओं को बेवजह परेशान किया गया तो सरकार को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

प्रधानमंत्री व केंद्रीय मंत्रियों से मिले सांसद

सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी की नियुक्ति की मांग को लेकर सांसद मदन लाल शर्मा सोमवार को नई दिल्ली प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल, संसदीय मामलों के मंत्री पवन बंसल व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद से मिले। 

शर्मा ने उन्हें जम्मू में उत्पन्न स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी की नियुक्ति में हो रही देरी के चलते जम्मू के लोगों में बहुत रोष है। 

केंद्रीय मंत्रियों ने शर्मा को आश्वासन दिया कि इस बारे में जल्द फैसला हो जाएगा। सिब्बल ने कहा कि फाइल राष्ट्रपति कार्यालय भेजी जा चुकी है। विदेश के दौरे से लौट आईं राष्ट्रपति जल्द इस बारे आर्डर जारी करेंगी। 

शर्मा 3 अगस्त को इस मामले पर राष्ट्रपति से मिलने वाले हैं। उन्होंने छात्र समुदाय से अनुरोध किया है कि वे अपने आंदोलन को नरम रखें। उन्हें उम्मीद है कि जल्द केंद्र सरकार उनकी मांग के अनुरूप फैसला लेगी(दैनिक भास्कर,जम्मू,2.8.11)।

जम्मूःआखिर कब होगी सेंट्रल यूनिवर्सिटी की आस पूरी ?

Posted: 02 Aug 2011 08:04 AM PDT

नेशनल पैंथर्स स्टूडेंट्स यूनियन (एनपीएसयू) तथा यंग पैंथर्स द्वारा सेंट्रल यूनिवर्सिटी मुद्दे पर चलाए जा रहे आंदोलन सोमवार को 33वां दिन भी जारी रहा। संभाग के विभिन्न कालेजों के अतिरिक्त परेड स्थित रणवीर हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्र भी आंदोलन में शामिल हो गए हैं।

एनपीएसयू कार्यकर्ताओं ने स्कूल में जाकर कक्षाओं का बहिष्कार कराया। बाद में सबने स्कूल के सामने इकट्ठा होकर सरकार के विरुद्ध नारेबाजी की। उनका कहना था कि केंद्र व राज्य सरकार मिलकर जम्मू वासियों के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।

जानबूझकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी का वीसी नियुक्त नहीं किया जा रहा, जिस कारण से लोगों को मजबूरन आंदोलन चलाने को विवश होना पड़ रहा है। साथ ही कहा कि उनका आंदोलन तब तक चलेगा जब तक कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी का कामकाज शुरू नहीं हो जाता।

वहीं संभाग के विभिन्न डिग्री कालेजों में भी प्रदर्शन का सिलसिला पहले की ही तरह जारी रहा। जीजीएम साइंस कालेज, कॉमर्स कालेज, डिग्री कालेज पलौड़ा, डिग्री कालेज ऊधमपुर, डिग्री कालेज कठुआ, डिग्री कालेज सांबा में एनपीएसयू कार्यकर्ताओं ने कक्षाओं का बहिष्कार करवाया।


बाद में सरकार विरोधी नारेबाजी की। जीजीएम साइंस कालेज, कॉमर्स कालेज एवं पलौड़ा डिग्री कालेज के छात्रों ने शहीदी स्थल पर इकट्ठे होकर प्रदर्शन किया। एनपीएसयू के प्रांतीय प्रधान प्रताप सिंह जम्वाल ने कहा कि केंद्र राज्य सरकार के इशारे पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी मामले पर विलंब कर रहा है। 

छात्र समुदाय इस पर सबसे ज्यादा आहत है, क्योंकि नुकसान उसी का हो रहा है। छात्रों के आंदोलन के बावजूद भी यदि सरकार इस मामले पर चुप्पी साधे रहती है तो मजबूरन उन्हें आंदोलन का प्रारूप बदलना पड़ेगा। सिंह ने कहा कि सरकार लाख कोशिश कर ले पर छात्र आंदोलन के रास्ते से पीछे नहीं हटेंगे। 

शहीदी स्थल पर अनशन का 8वां दिन : वहीं शहीदी स्थल पर जारी श्रंखलाबद्ध अनशन सोमवार को 8वें दिन में प्रवेश कर गया। सोमवार को अनशन पर बैठने वालों में लवकेश गोंधी, राहुल शर्मा, राहुल सोढी और रमन बैठे। 

सरकार आंदोलन विफल करने का कर रही प्रयास 

यंग पैंथर्स ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार उनके द्वारा सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को दबाने के लिए अनुचित हथकंडों का इस्तेमाल कर रही है। 

सोमवार को हुई प्रेसवार्ता में यंग पैंथर्स के वरिष्ठ उपप्रधान पुष्विंदर सिंह ने कहा कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी मुद्दे पर उन्हें विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों का जो समर्थन मिल रहा है, उससे उनका हौंसला काफी बढ़ा है। 

यह छात्रों के आंदोलन का ही नतीजा है कि जम्मू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी मिली, परंतु अब उन्हें यूनिवर्सिटी का कामकाज शुरू कराने को भी आंदोलन करना पड़ रहा है। लेकिन राज्य सरकार इसमें नकारात्मक भूमिका निभा रही है। उसके द्वारा प्रयास हो रहा है कि इस आंदोलन को विफल किया जाए। 

सरकार के गुंडे आंदोलनकारियों को लगातार धमकी दे रहे हैं। सिंह ने चेतावनी दी कि यदि उनके कार्यकर्ताओं को बेवजह परेशान किया गया तो सरकार को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

प्रधानमंत्री व केंद्रीय मंत्रियों से मिले सांसद

सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी की नियुक्ति की मांग को लेकर सांसद मदन लाल शर्मा सोमवार को नई दिल्ली प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल, संसदीय मामलों के मंत्री पवन बंसल व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद से मिले। 

शर्मा ने उन्हें जम्मू में उत्पन्न स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी की नियुक्ति में हो रही देरी के चलते जम्मू के लोगों में बहुत रोष है। 

केंद्रीय मंत्रियों ने शर्मा को आश्वासन दिया कि इस बारे में जल्द फैसला हो जाएगा। सिब्बल ने कहा कि फाइल राष्ट्रपति कार्यालय भेजी जा चुकी है। विदेश के दौरे से लौट आईं राष्ट्रपति जल्द इस बारे आर्डर जारी करेंगी। 

शर्मा 3 अगस्त को इस मामले पर राष्ट्रपति से मिलने वाले हैं। उन्होंने छात्र समुदाय से अनुरोध किया है कि वे अपने आंदोलन को नरम रखें। उन्हें उम्मीद है कि जल्द केंद्र सरकार उनकी मांग के अनुरूप फैसला लेगी(दैनिक भास्कर,जम्मू,2.8.11)।

ग्वालियरःअब कैमरे रखेंगे छात्रों पर नजर

Posted: 02 Aug 2011 08:02 AM PDT

आंदोलन व प्रदर्शन की आड़ में जीवाजी विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ करने वाले छात्रों पर निगाह रखी जाएगी। इसके लिए जेयू ने प्रशासनिक भवन के मुख्य द्वार पर सीसीटीवी कैमरा लगवा दिया है। अब जो भी छात्र प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ करेंगे उन पर कैमरे से रिकार्ड निकलवाकर कार्रवाई की जाएगी।

वहीं छात्रों की सुविधा के लिए प्रशासनिक भवन के वेटिंग रूम में सीसीटीवी कैमरा लगवा कर छात्रों की मॉनीटरिंग की जाएगी। यदि छात्रों की समस्या हल नहीं हो पा रही होगी तो संबंधित अधिकारी उन्हें बुलाकर उनकी समस्या हल करवाएंगे।

जेयू में आए दिन छात्र अपनी समस्याओं को लेकर धरना-प्रदर्शन करते हैं। इस बीच कई उग्र छात्र तोड़फोड़ भी कर देते हैं। ऐसे प्रदर्शनकारियों को सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


इसके साथ ही अब प्रशासनिक भवन के अंदर प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड होगा। 

पहले से लगे कैमरों की मॉनीटरिंग नहीं

जेयू प्रशासन सीसीटीवी कैमरे की संख्या लगातार बढ़ाता जा रहा है, लेकिन पिछले वर्ष प्रशासनिक भवन में जिन चार स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए थे, उनकी कोई भी मॉनीटरिंग नहीं करता। इस कार्य की जिन अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है उनके कम्प्यूटर हमेशा बंद रहते हैं। 

ऐसे में उक्त कैमरों का कोई उपयोग नहीं हो रहा। बावजूद इसके अधिकारियों ने दूरस्थ संस्थान में होने वाले मूल्यांकन कार्य की देख-रेख के लिए सीसीटीवी कैमरे लगवाने का फैसला लिया है। 

अधिकारियों का कहना कि उक्त संस्थान में इसलिए कैमरे लगवाए जा रहे हैं ताकि मूल्यांकन केन्द्र में आने-जाने वालों पर नजर रखी जा सके। ज्ञात हो कि मूल्यांकन केन्द्र में अभी बाहरी लोग प्रवेश कर जाते हैं। जबकि इनके प्रवेश पर रोक है। कैमरे लगने के बाद ऐसे अवांछित तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

जल्द लगाए जाएंगे कैमरे

दूरस्थ शिक्षण संस्थान के मूल्यांकन केन्द्र में जल्द ही सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएंगे। इन कैमरों के माध्यम से केन्द्र में आने जाने वालों पर नजर रखी जाएगी।
डॉ.आईके मंसूरी, उप कुलसचिव परीक्षा, जेयू
(दैनिक भास्कर,ग्वालियर,2.8.11)

छत्तीसगढ़ पीईटी प्रवेश प्रक्रिया: 3 दिन में भरीं सिर्फ 25 फीसदी सीटें

Posted: 02 Aug 2011 08:00 AM PDT

पीईटी की पहली अलॉटमेंट लिस्ट जारी होने के तीन दिन बाद तक पूरे राज्य में सिर्फ तीन हजार प्रतिभागियों ने इंजीनियरिंग कॉलेजों में अपने प्रवेश सुनिश्चित किए हैं। पहली अलॉटमेंट लिस्ट में 11 हजार 953 सीटों के लिए आवंटन हुआ था। इस प्रकार तीन दिनों में आवंटन सीटों की मात्र एक चौथाई सीटें ही भर पाई हैं।

तीन चौथाई सीटें अब भी खाली हैं। यह प्रतिशत प्रतिशत पहले अलॉटमेंट का है। राज्य के 50 इंजीनियरिंग कॉलेजों में लगभग 20 हजार सीटें हैं। ब्रांच चुनने के मामले में अलॉटमेंट और प्रवेश में एक ही तरह का ट्रेंड दिखा। निजी और सरकारी कॉलेजों में अभी तक जो भी प्रवेश हुए हैं उनमें ज्यादा संख्या सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल ब्रांचों के लिए है।

पीईटी की पहले राउंड की काउंसिलिंग प्रक्रिया चार अगस्त तक चलेगी। छात्र अलॉट की हुई सीट पर संबंधित कॉलेज में पहुंचकर प्रवेश ले सकते हैं। पांच अगस्त को पहले अलॉटमेंट के बाद खाली रह गई सीटों की नई सूची जारी होगी।


कुल बची हुई सीटों के लिए काउंसिलिंग का दूसरा राउंड 6 अगस्त से शुरू होगा, जो छात्र अपने अलॉटमेंट से संतुष्ट नहीं हैं वह 6 से 9 अगस्त के बीच में दोबारा काउंसिलिंग प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। काउंसिलिंग की दूसरी लिस्ट 10 अगस्त को जारी होगी। उधर फार्मेसी की सीटों को भरने के लिए मंगलवार से ऑनलाइन काउंसिलिंग प्रक्रिया शुरू होगी। 

शहर के कॉलेज हैं आगे

प्राइवेट कॉलेजों में अभी तक सबसे अधिक प्रवेश शंकरा कॉलेज में हुए हैं। सोमवर तक यहां 288 प्रवेश हो गए थे। बीआईटी में सीटों के भरने की यह संख्या 227 है। आरआईटी में सोमवार तक 65 छात्रों ने प्रवेश ले लिया था। प्रदेश के शेष कॉलेजों की तुलना में रायपुर के कॉलेजों की प्रवेश की गति थोड़ी तेज है। 

राजनांदगांव स्थित सत्यदेव इंजीनियरिंग कॉलेज में सोमवार तक सिर्फ एक प्रवेश हुआ था। विंध्य और बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में सोमवार तक एक भी प्रवेश नहीं हुआ था। उधर राज्य के तीनों इंजीनियरिंग कॉलेजों को मिलाकर अब तक 220 प्रवेश हो चुके हैं। किसी भी कॉलेज में अभी चालीस फीसदी से ऊपर प्रवेश नहीं हुए हैं(दैनिक भास्कर,रायपुर,2.8.11)।

महाराष्ट्रःनर्सिग कालेज में प्रवेश को हरी झंडी, ओटीपीटी अधर में

Posted: 02 Aug 2011 07:59 AM PDT

महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (एमयूएचएस) ने नागपुर शासकीय नर्सिग कालेज में बीएससी (नर्सिग)के लिए शैक्षणिक सत्र 2011-12 के लिए दखिले पर लगी रोक हटा दी है। कालेज में बीएससी(नर्सिग)की 50 सीटें हैं।

मेडिकल कालेज के अधिष्ठाता डॉ. राजाराम पोवार ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा सचिव द्वारा सभी रिक्त पदों के भरे जाने के आश्वासन के बाद शनिवार को एमयूएचएस प्रशासन ने नागपुर नर्सिग कालेज में बीएससी (नर्सिग) में दाखिले पर लगाई रोक हटा ली है।

एमयूएचएस की ओर से इस बारे में नागपुर मेडिकल कालेज के अधिष्ठाता और नर्सिग कालेज को सूचित कर दिया गया है। गौरतलब है कि नागपुर शासकीय नर्सिग कालेज में 70 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं।

इनमें कालेज के प्राचार्य, उपप्राचार्य, सहायक प्रोफेसर, प्रशासनिक अधिकारी,टच्यूटर और ग्रंथपाल के पद भी शामिल हैं। चिकित्सा शिक्षा सचिव ने तीन महीने के भीतर इन सभी पदों को स्थाई रूप से भर लिए जाने का आश्वासन विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया है।


मेडिकल कालेज का अक्यूपेशनल थेरेपी व फिजियोथेरेपी विभाग (ओटीपीटी) इस मामले में भाग्यशाली नहीं रहा। महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (एमयूएचएस) ने अभी तक मेडिकल कालेज के ओटीपीटी विभाग में शैक्षणिक सत्र 2011-12 के लिए दखिले पर लगी रोक नहीं हटाई है। 

मेडिकल कालेज के अधिष्ठाता ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा सचिव इस संबंध में एमयूएचएस के आला अधिकारियों से अगले सप्ताह फिर मिलने वाले हैं। डॉ.पोवार ने कहा कि विश्वविद्यालय मेडिकल कालेज के ओटीपीटी विभाग की 30 सीटों के लिए कुछ शर्तो के साथ प्रवेश की अनुमति दे सकता है। 

ओटीपीटी विभाग में एक प्रोफेसर, चार सहायक प्रोफेसर और प्रवक्ता के तीन पद खाली हैं(दैनिक भास्कर,नागपुर,2.8.11)।

जबलपुरःगलती विवि की, दंड मेडिकल छात्रों को

Posted: 02 Aug 2011 07:58 AM PDT

रादुविवि ने सिर्फ अपनी खाल बचाने के चक्कर में एक अजीबो-गरीब निर्णय लेते हुए 2010 के पुनर्मूल्यांकन में पास हुये एमबीबीएस प्रथम के छात्र-छात्राओं का परीक्षा परिणाम निरस्त कर दिया है। इनमें से कई को पूरक और कई फेल हो गए हैं। विवि की इस कार्रवाई से प्रभावित छात्रों का पूरा साल ही जाया हो रहा है, क्योंकि पूरक परीक्षाएं हो चुकी हैं और उनको दूसरा मौका अब फिलहाल तो नहीं ही मिलने वाला।

विवि के इस निर्णय से जहां मेडिकल कॉलेज में हड़कम्प मच गया है। जिन छात्र-छात्राओं को पास से फेल किया गया है, वे अब एक साल के बाद वापस उसी कक्षा में आ गये हैं। अर्थात् एमबीबीएस सेकेण्ड इयर की परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र अब दुबारा फस्र्ट इयर की पढ़ाई करेंगे। फेल हुये छात्रों के पास अब पुरानी कक्षा में पढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

जूडॉ ने कहा है कि विवि का निर्णय किसी भी तरीके से गले नहीं उतर रहा है। यदि परीक्षा परिणाम बदलना ही था, तो उसका भी दुबारा पुनर्मूल्यांकन कराया जा सकता था, लेकिन एकदम फरमान जारी करते हुये किसी का परीक्षा परिणाम बदल देना पूरी परीक्षा प्रक्रिया पर अंगुली उठाने जैसा है।


यह भी प्रश्न उठता है, जब पुनर्मूल्यांकन गलत था तो मुख्य मूल्यांकन की जिम्मेदारी कौन लेगा, उसमें भी खोट हो सकती है। विवि का निर्णय एकदम हैरत में डालने वाला है। जो छात्र-छात्राएं फेल घोषित किये गये हैं, उनकी स्थिति एकदम पशोपेश और अधर में है। इधर विवि प्रशासन का कहना है कि परिणाम हाई-पावर कमेटी की अनुशंसा पर और पूरी जांच कर निरस्त किया गया है, इसमें कोई गलती जैसी स्थिति नहीं है। 

प्रारंभ से हो रहा अन्याय
मेडिकल छात्रों का कहना है कि उनके साथ प्रारंभ से ही अन्याय हो रहा है। पहले जब परीक्षा हुई तो एक प्रश्न पत्र बदल गया था। इसके बाद मूल्यांकन हुआ तो मेडिकल की बजाय नर्सिग कॉलेज में हो गया। फिर इसके बाद जो एक दर्जन छात्र पुनर्मूल्यांकन में पास हुए तो उनका परिणाम निरस्त हो गया। इस तरह अन्याय प्रारंभ से ही हो रहा है। 

इन छात्रों का कहना है कि यदि पुनर्मुल्यांकन गलत हुआ है तो मुख्य मूल्यांकन भी तो गलत हुआ होगा। उसके बारे में निर्णय क्यों नहीं लिया गया। वैसे भी यदि कुछ व्यक्ति विशेष द्वारा कराए गए पुनमरूल्यांकन यदि गलत थे तो पुनर्मुल्यांकन भी दोबारा कराया जाना था। विवि भी इस बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहा है। 

कुलसचिव का कहना है कि निर्णय हाईपावर कमेटी का है। प्रश्न यह है कि क्या हाई पावर कमेटी में ऐसे लोग थे जो मेडिकल की कॉपियों को जांच सकते। 

हमने हाई-पावर कमेटी से पूरी जांच के बाद परिणाम को निरस्त किया है। इसमें कहीं कोई गलत निर्णय की गुंजाइश नहीं है। जो हुआ उसमें पारदर्शिता बरती गई है। 
प्रो. यूएन शुक्ला, कुलसचिव 

परिणाम अचानक न बदलकर पुनर्मूल्यांकन कराया जाना चाहिए। हमने इस संबंध में विवि प्रशासन से चर्चा की है और उन्होंने इस विषय पर विचार का आश्वासन हमें दिया है। जो हुआ वह काफी हैरान करने वाला है। 
डॉ. अशोक ठाकुर, प्रदेश जूडॉ अध्यक्ष(दैनिक भास्कर,जबलपुर,2.8.11)

रांची पॉलिटेक्निकः3 साल का कोर्स 5 साल में भी अधूरा

Posted: 02 Aug 2011 07:56 AM PDT

पॉलिटेक्निक के सत्र 2007-10 के सैकड़ों छात्रों के साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग खिलवाड़ कर रहा है। लगभग पांच साल पूरा होने को है, लेकिन आज तक इस सत्र के छात्रों के लिए सेकेंड इयर के कंपार्टमेंटल की परीक्षा नहीं ली गई है। छात्र विभाग का चक्कर लगा कर परेशान है। पदाधिकारियों से इन्हें सिर्फ आश्वासन मिल रहा है।

कई छात्र ऐसे हैं, जिन्हें झारखंड संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता तो मिल गई, लेकिन उन्हें डिग्री में एडमिशन मिलने की उम्मीद नहीं है। 16 अगस्त को उनकी काउंसिलिंग है, लेकिन रिजल्ट नहीं मिलने से ये छात्र अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं।

फिर मिला आश्वासन


सोमवार को जब छात्र विज्ञान एवं प्रावैद्यिकी विभाग के निदेशक अरुण कुमार से मिले तो उन्होंने छात्रों को एक बार फिर आश्वासन दिया कि परीक्षा की तिथि शीघ्र घोषित की जाएगी। 

यह है मामला

सत्र 2007-10 के छात्रों की सेकेंड इयर की परीक्षा 15 सितंबर 2010 को ली गई थी। रिजल्ट 22 दिसंबर को निकला। इसमें करीब 50 छात्र कंपार्ट हो गए। इधर, छात्रों ने थर्ड इयर पास कर लिया, लेकिन अभी तक सेकेंड इयर की कंपार्टमेंटल परीक्षा की तिथि घोषित नहीं हुई। थर्ड इयर के छात्रों की कंपार्टमेंटल परीक्षा तीन अगस्त से लेने की घोषणा हुई है। 

परीक्षा तिथि शीघ्र घोषित होगी

पॉलिटेक्निक के छात्र मिलने आए थे सभी को कह दिया गया है कि परीक्षा की तिथि शीघ्र घोषित कर दी जाएगी।"" नटवार हांसदा, परीक्षा नियंत्रक(दैनिक भास्कर,रांची,2.8.11)

मध्यप्रदेशःफ्रेशर्स रहे टॉपर्स

Posted: 02 Aug 2011 07:52 AM PDT

आईआईटी-जेईई, एआईईईई, एआईपीएमटी, एम्स परीक्षाओं में पहले ही प्रयास में सफलता हासिल करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है। बात शुरू करें आईआईटी-जेईई से तो इस साल लगभग 120 सिलेक्शन में से 65 छात्र फ्रेशर्स थे। यानी इन्होंने बारहवीं के साथ ही इस इंजीनियरिंग एंट्रेंस क्लियर किया।

विशेषज्ञ इसके पीछे कारण बताते हैं, पहले बारहवीं में पढ़ने वाला छात्र इस माइंड सेट के साथ तैयारी करता था कि बोर्ड एक्जाम बहुत मुश्किल है, पहले इसे पास कर लें फिर ड्रॉप लेकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करेंगे। पहले प्रयास में सफल होना प्राथमिकता नहीं होती थी लेकिन अब ट्रेंड बदल चुका है। बोर्ड एक्जाम का हौवा स्टूडेंट्स के सिर पर नहीं रहता। वे ग्यारहवीं के साथ कोचिंग इसी सोच के साथ करते हैं कि पहले ही प्रयास में सफल होना है। यही वजह है कि अधिकांश परीक्षाओं में फ्रेशर्स ही टॉप कर रहे हैं।

डर लगा रहता है..
ड्रॉपर स्टूडेंट्स को डर रहता है कि इस बार सिलेक्शन नहीं हुआ तो क्या होगा? मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी कराने वाले विशेषज्ञ डॉ. दुर्रानी कहते हैं, ड्रॉपर को हर सवाल के जवाब देने में डर लगा रहता है और इसकी वजह से कई जवाब गलत हो जाते हैं और रैंक पिछड़ जाती है। जबकि फ्रेशर्स को पता होता है कि उसके पास दूसरा मौका भी है इसलिए वो पूरे आत्मविश्वास के साथ टेस्ट देता है। फ्रेशर स्कूल के जरिए भी लगातार एनसीईआरटी सिलेबस के संपर्क में रहता है जिसकी वजह से उसके कंसेप्ट क्लियर रहते हैं।

दोस्तों के साथ डिस्कशन
आईआईटी में सफल रहे तन्मय शर्मा ने पहले ही प्रयास में आईआईटी-जेईई और एआईईईई क्लीयर की थी। वे कहते हैं, फ्रेशर होने का फायदा यह मिलता है कि स्कूल से जुड़े रहते हैं और दोस्तों के साथ डिस्कशन होता रहता है। जबकि हो सकता है कि ड्रॉपर स्टूडेंट के साथी पिछले प्रयास में सफल हो गए हों और वो अकेला रह गया हो जिसकी वजह से असफलता का डर बढ़ जाता है।


इस बारे में आईआईटी-जेईई और एआईईईई की तैयार कराने वाले फैकल्टी अशोक सिंह कहते हैं, भोपाल में आईआईटी को लेकर बहुत अच्छा मार्गदर्शन मिल रहा है। बच्चे पिछले परिणामों से प्रभावित होकर इस बात को समझ पाते हैं कि पहले प्रयास में पास होना नामुमकिन नहीं है। यही वजह है कि पूरी लगन और प्लानिंग के साथ तैयारी करने पर सफल हो रहे हैं।

नहीं होता दबाव..
- साइकोलॉजिकल दबाव फ्रेशर्स पर नहीं रहता, ड्रॉपर तनाव में होते हैं।
- सामाजिक दबाव ड्रॉपर पर -सफल नहीं हुए तो लोग क्या कहेंगे।
- फ्रेशर्स के साथ कोचिंग पर उसके स्कूल के साथी भी होते हैं जिनसे वे पढ़ाई और व्यक्तिगत समस्याएं शेयर कर पाता है।

2010-11 के टॉपर्स

आईआईटी जेईई 120
फ्रेशर- 65 ड्रॉपर- 55

एआईईईइ 140
फ्रेशर 80 ड्रॉपर- 60

एआईपीएमटी 80
फ्रेशर- 45 ड्रॉपर- 35

2009-1क0 के टॉपर्स

आईआईटी जेईई
राज द्विवेदी एआईआर 10
पवन नागवानी एआईआर 72

एआईईईई
राज द्विवेदी एआईआर-2

एआईपीएमटी
हार्दिक पांडे एआईआर-9
मृदुला शुक्ला एआईआर-30
अपूर्व सिंह यादव एआईआर-36

एम्स
अपूर्व सिंह यादव एआईआर-19
हार्दिक पांडे एआईआर-22(प्रीति शर्मा,दैनिक भास्कर,भोपाल,2.8.11)

हिमाचलः8 साल से लगे 7400 शिक्षक नियमित

Posted: 02 Aug 2011 07:50 AM PDT

प्रदेश में आठ साल का कार्यकाल पूरा कर चुके शिक्षकों को नियमित किया जा सकता है। इस श्रेणी में ऐसे करीब 7400 शिक्षक आते हैं, जो कांट्रेक्ट सहित अलग-अलग नीति के आधार पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसमें से १६३ लेक्चरर से दस्तावेज मांगे गए हैं। उनको विभागीय स्तर पर यह जानकारीर 15 दिन में देनी होगी। उसके बाद शेष शिक्षकों से भी इस तरह की जानकारी मांगी जा सकती है।

प्रदेश में करीब 7400 शिक्षक ऐसे हैं, जो नियमित नहीं हैं। इसमें कांट्रेक्ट पर करीब 200 टीजीटी, 100 सीएंडवी व 163 लेक्चरर हैं। इसके अलावा सरकार ने 1322 ग्रामीण विद्या उपासकों की सेवाएं नियमित करने का आश्वासन दिया था, मगर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। इसके विरोध में ग्रामीण विद्या उपासकों ने चरणबद्ध आंदोलन भी आरंभ कर दिया है।


ग्रामीण विद्या उपासक जमा दो कक्षा में 50 प्रतिशत अंक की शर्त लगाए जाने से नाराज है। 3500 के प्राथमिक सहायक अध्यापक, करीब 2000 पैरा टीचर व ग्रामीण अंशकालीन जलवाहक कर्मचारी हैं। इसके अलावा आउट सोर्सिग से आईटी शिक्षक ले जा रहे हैं, जो पंजाब की तर्ज पर नियमितिकरण की मांग कर रहे हैं। 

शिक्षा विभाग के पास अप्वाइंटमेंट ऑर्डर, टर्मिनेशन ऑर्डर, री-इंगेजमेंट ऑर्डर, शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र, प्रोफेशन योग्यता-जैसे बीएड इत्यादि, बोनाफाइड प्रमाण पत्र, चरित्र पत्र, वर्क एंड कंडक्ट पत्र, जाति प्रमाण पत्र और आठ साल नियमित सेवा देने संबंधी प्रमाण पत्र जमा कराने हैं। इसमें 31 मार्च, 2011 तक आठ साल का सेवाकाल पूर्ण कर चुके शिक्षकों से ही सूचना मांगी गई है(दैनिक भास्कर,शिमला,2.8.11)।

पीएमटी काउंसिलिंग: हस्ताक्षर व अंगूठे के निशान से पहचाने जायेंगे छात्र

Posted: 02 Aug 2011 07:46 AM PDT

मेडिकल सीटों के आवंटन के लिए तीन अगस्त से होने वाली काउंसिलिंग की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अफसरों ने घंटों मंथन किया। रायपुर मेडिकल कॉलेज में दोपहर से शुरू हुई बैठक देर शाम तक चली।

चिकित्सा शिक्षा संचालनालय और मेडिकल कॉलेज के अफसरों ने काउंसिलिंग की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने कई सुझाव दिए। काउंसिलिंग से मुन्ना भाइयों को दूर करने के लिए पहली बार काउंसिलिंग के पहले अफसरों की ऐसी मैराथन बैठक हुई।

बैठक की अध्यक्षता डीएमई डॉ. सुबीर मुखर्जी ने की। इसमें मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. एके शर्मा, डॉ. अरविंद नेरल, डॉ. जितेंद्र तिवारी आदि शामिल हुए। रायपुर मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में होने वाली काउंसिलिंग में पुलिस का बड़ा सुरक्षा घेरा रहेगा। कोशिश की जा रही है कि छात्रों के अंगूठे के निशान और हस्ताक्षर का मिलान सीटों के आवंटन के समय पूरी एहतियात के साथ किया जाए।


छात्रों की ओर से दिए गए फुल साइज फोटो का मिलान काउंसिलिंग में पहुंचने वाले छात्र से किया जाएगा। मुख्य द्वार के अलावा सभी प्रवेश द्वारों पर पुलिस का पहरा होगा और जांच के बाद ही लोगों को प्रवेश दिया जाएगा। उम्मीदवारों को अपने साथ मूल दस्तावेज लेकर आना होगा। 

सभी प्रमाण पत्रों की ओरिजनल कॉपी साथ रहेगी। इसके अलावा काउंसिलिंग में शामिल होने वाले उम्मीदवार के साथ प्रवेश करने वाले व्यक्ति की पहचान भी साबित करनी होगी। उम्मीदवार अपने साथ केवल एक ही व्यक्ति को लेकर जा सकेंगे। ऐसे व्यक्तियों को सरकार की ओर से जारी पहचान पत्र दिखाने होंगे। 

यह पहचान पत्र ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आई कार्ड, पैन कार्ड आदि हो सकते हैं। काउंसिलिंग स्थल पर बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। हॉल के अंदर केवल काउंसिलिंग से संबंधित डीएमई के अधिकारी और कर्मचारी ही उपस्थित रहेंगे।

प्रवेश के समय भी होगी जांच

काउंसिलिंग के दौरान सीटों का अलॉटमेंट लेने के बाद संबंधित कॉलेज में प्रवेश के समय एक बार फिर छात्रों के दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जाएगी। ऐसा पहली बार होगा। अब तक काउंसिलिंग के बाद कॉलेजों में दस्तावेजों की जांच की केवल औपचारिकता निभाई जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। 

व्यापमं में फॉर्म भरने के समय दी जाने वाली जानकारी, काउंसिलिंग के दौरान प्रस्तुत किए प्रमाण आदि का मिलान और जांच कॉलेज में प्रवेश लेते समय की जाएगी। इसके लिए सभी मेडिकल कॉलेजों के डीन को निर्देश दे दिए गए हैं।

ये रहेंगे इंतजाम

- परीक्षा के समय दिए गए फुल साइज फोटो से छात्र के चेहरे का मिलान किया जाएगा। 

- काउंसिलिंग हॉल में केवल छात्र और उनके साथ आने वाले एक व्यक्ति को प्रवेश। 

- साथी व्यक्ति को परिचय पत्र दिखाने पर ही प्रवेश। 

- हॉल के अंदर और बाहर सादी वर्दी में पुलिस की तैनाती। 

- सीटों के आवंटन के समय सीआईडी अफसरों की भी निगाहें लगी रहेंगी। 

- अपनी जगह प्रतिनिधियों को भेजने वाले छात्रों को पुलिस जांच से होकर गुजरना होगा। 

- काउंसिलिंग की वीडियोग्राफी की जाएगी(दैनिक भास्कर,रायपुर,2.8.11)।

राजस्थानःरोडवेज में होंगी 2,272 भर्तियां

Posted: 02 Aug 2011 07:44 AM PDT

राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम 1594 चालक, परिचालक और आर्टिजन की भर्ती के बाद अब 2 हजार कर्मचारियों और 272 अधिकारियों की भर्ती करेगा।

निगम के कार्यकारी प्रबंधक (जनसंपर्क) सुधीर भाटी ने बताया कि भर्ती की समाचार पत्रों में सूचना इस माह जारी कर दी जाएगी। इसमें सभी वर्गो के कर्मचारी और अधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा रोडवेज वित्तीय वर्ष 2011-12 में एक हजार नई बसें खरीदेगा, जिसमें स्लीपर, नॉन एसी, डीलक्स और बेहतर स्तर की बसें शामिल होंगी। 20 वोल्वो बसें किराए पर लेकर राज्य के सभी प्रमुख स्थानों के लिए चलाई जाएंगी। रोडवेज ग्राम पंचायतों और तहसील मुख्यालयों से और तहसील मुख्यालय से जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए अगस्त में निविदाएं आमंत्रित करेगा। दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए अजमेर में चालक प्रशिक्षण केंद्र विकसित करेगा(दैनिक भास्कर,जयपुर,2.8.11)।

देवी अहिल्या यूनिवर्सिटीःपरीक्षा देने के बाद भी एब्सेंट

Posted: 02 Aug 2011 07:43 AM PDT

देरी से चल रहे सेमेस्टर सिस्टम से पहले से परेशान बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) के स्टूडेंट्स एक नई मुसीबत में फंस गए हैं। पांचवें सेमेस्टर के इन स्टूडेंट्स ने देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की परीक्षा दी लेकिन रिजल्ट में इन्हें कई विषयों में एब्सेंट बताकर फेल घोषित कर दिया गया। अब शिकायत किए जाने के बाद यूनिवर्सिटी ने खुद ही इन विषयों में से कुछ में उन्हें नंबर दे दिए।


सवाल यह है कि यदि ये छात्र एब्सेंट थे तो उन्हें नंबर कैसे मिल गए और यदि नहीं तो उन्हें एब्सेंट घोषित किया जाना यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहे इन छात्रों का करियर ही दांव पर लग गया है। कुछ का सेमेस्टर ही बैक हो जाएगा तो कुछ आने वाली परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे। एमबीए में एडमिशन का उनका सपना भी पूरा होता नहीं दिख रहा है। 


मार्च-अप्रैल में हुई थी परीक्षा
बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) के पांचवें सेमेस्टर में देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी द्वारा 26 मार्च से लेकर 13 अप्रैल 2011 तक विभिन्न विषयों की परीक्षाएं आयोजित की गई थीं। शहर के कई कॉलेजों में बनाए गए परीक्षा सेंटर्स पर विभिन्न कॉलेज के स्टूडेंट्स ने इसमें भाग लिया था। करीब साढ़े तीन हजार छात्र इन परीक्षाओं में शामिल हुए थे।

उपस्थित छात्र भी एब्सेंट
यूनिवर्सिटी में परीक्षा की कॉपियों की जांच में अनियमितताएं कोई नई बात नहीं है लेकिन यह मामला तो उससे भी एक कदम बढ़कर है। इस बार कॉपियां जांचने में गड़बड़ी के अतिरिक्त यूनिवर्सिटी ने एक नया कारनामा किया। रिजल्ट में कई ऐसे स्टूडेंट्स भी हैं, जो हर विषय की परीक्षा में शामिल हुए थे लेकिन इसके बावजूद 3 जुलाई को आए रिजल्ट में उन्हें कई विषयों में एब्सेंट बता दिया गया है। यह एक-दो नहीं बल्कि चार-चार विषयों तक में हुआ है। परीक्षा देकर भी एब्सेंट बताए गए इन छात्रों को फेल घोषित कर दिया गया है। यूनिवर्सिटी की लेटलतीफी और लापरवाही के चलते इन छात्रों का भविष्य अधर में है। 

कॉलेज ने बताया उपस्थित, फिर भी अपडेट नहीं हुआ रिजल्ट 
परीक्षा खत्म होने के करीब तीन महीने बाद 3 जुलाई 2011 को यूनिवर्सिटी ने परिणाम घोषित किया। इस परिणाम के बाद काफी हंगामा मचा क्योंकि अधिकांश स्टूडेंट क्यूटी टेक्निक और एडवांस अकाउंट में फेल घोषित हो गए। इस परिणाम को गलत बताते हुए स्टूडेंट्स ने फिर से कॉपियां जांचने की मांग की। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने तीन कॉलेजों आईपीएस अकादमी, रणजीत सिंह कॉलेज और वैष्णव कॉलेज की कॉपियां फिर से जंचवाई। दोबारा जांच के बाद रिजल्ट में परिवर्तन आया।

94 छात्रों का है मामला
परीक्षा देने के बावजूद एब्सेंट बताए जाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या एक-दो नहीं बल्कि 94 है। यूनिवर्सिटी में रिजल्ट आने के बाद करीब 94 स्टूडेंट्स ने परीक्षा देने के बावजूद एब्सेंट बताए जाने की शिकायत की है। स्टूडेंट्स का कहना है कि उन्होंने पूरी परीक्षा दी है।

रिवाइज्ड रिजल्ट में आ गए नंबर
एब्सेंट बताने के बाद यूनिवर्सिटी ने एक और कारनामा किया। यूनिवर्सिटी ने कॉपियों में गड़बड़ी जांचने के बाद 26 जुलाई 2011 को रिवाइज्ड रिजल्ट निकाला। इस रिजल्ट में एब्सेंट बताए गए कुछ स्टूडेंट्स को नंबर दे दिए गए लेकिन अभी भी कुछ सब्जेक्ट्स में उन्हें एब्सेंट ही बताया गया। एक महीना से ज्यादा बीत जाने के बाद भी अभी भी यही स्थिति है। इन स्टूडेंट्स का कहना है कि अगर हम एब्सेंट थे तो ये नंबर कहां से आ गए?

एक महीने से काट रहे हैं चक्कर
ये छात्र रिजल्ट आने के बाद एक महीने से यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने अपने कॉलेज में रिजल्ट देखने के बाद शिकायत की। इसके बाद उन्हें यूनिवर्सिटी भेजा गया। वहां पर शिकायत करने के बाद उन्हें वैल्यूएशन सेंटर भेजा गया लेकिन वहां से भी केवल आश्वासन ही मिला। ये छात्र परीक्षा सेंटर पर भी गए ताकि उन्हें रिकॉर्ड दिखाया जा सके लेकिन वहां से भी उन्हें यूनिवर्सिटी भेज दिया गया। यूनिवर्सिटी और कॉलेज के चक्कर काटने को मजबूर ये छात्र आगे की पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं।

कैसे देंगे अगली परीक्षा
अब इन स्टूडेंट्स के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। यूनिवर्सिटी में नियम है कि किसी भी छात्र को तीन विषय से ज्यादा में एटीकेटी (विषय में फेल होने पर अगले सेमेस्टर में प्रवेश की पात्रता) की पात्रता नहीं है। अगर ऐसा होता है तो उसका पूरा सेमेस्टर की बैक (वापस करना) माना जाता है। इनके अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं अगस्त में प्रस्तावित हैं। अगर इनकी समस्या का निराकरण नहीं हुआ तो वे परीक्षा देने के लिए पात्र ही नहीं होंगे और इनका पूरा साल खराब 
हो जाएगा। 

एमबीए में एडमिशन भी खतरे में
चूंकि यूनिवर्सिटी का यह सेमेस्टर सिस्टम समय से देरी से चल रहा है, इस कारण बीबीए के छात्र एमबीए में भी एडमिशन नहीं ले पा रहे हैं। कई छात्र ऐसे भी हैं जिन्हें पहले के सेमेस्टरों के रिजल्ट के आधार पर एमबीए में एडमिशन मिला है। इसके साथ छठे सेमेस्टर में पास होने की शर्त जुड़ी है लेकिन रिजल्ट की इस गफलत में उनका एडमिशन निरस्त होने का खतरा हो सकता है। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन को इसकी कोई चिंता नहीं है। वह तो अपनी जिम्मेदारी से मुकरने को ही शायद अच्छी कार्यप्रणाली का सबसे बड़ा पैमाना मानती है। 

पहले तीन विषय में एब्सेंट बाद में 47 नंबर
मोहम्मद शकील अरिहंत कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज का स्टूडेंट है। उसने भी बीबीए के सभी विषयों की परीक्षा दी थी। 3 जुलाई को आए रिजल्ट में उसे भी पांच में से तीन विषयों बिजनेस एन्वायर्नमेंट, बिजनेस टैक्सेशन और एडवांस अकाउंटेंसी में एब्सेंट बता दिया गया। उसने यूनिवर्सिटी में सभी विषयों की परीक्षा देने की शिकायत की। इसके बाद 26 जुलाई को आए रिजल्ट में बिजनेस टैक्सेशन में 47 नंबर आ गए। वह भी बाकी विषयों में अपने आप को उपस्थित बताने और नंबर पाने के लिए यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहा है।

प्रैक्टिकल की परीक्षा देने के बाद भी बता दिया एब्सेंट
अजय मल्हार भी इल्वा कॉलेज का स्टूडेंट है। उसे मुख्य विषयों में तो उतीर्ण बताया गया लेकिन लांग टर्म कैपिटल मैनेजमेंट के प्रैक्टिकल में एब्सेंट बता दिया गया है। जबकि कॉलेज ने यूनिवर्सिटी को लिखकर दिया है कि यह स्टूडेंट प्रैक्टिकल परीक्षा में उपस्थित था और उसके नंबर भी यूनिवर्सिटी को भेजे गए थे। इसके साथ ही दो अन्य स्टूडेंट कुमारी नीरज और सिंगाजी पटेल को इस विषय में नंबर भेजने के बाद भी एब्सेंट बता दिया गया है।

पांच में से चार विषय में बताया एब्सेंट, कर दिया फेल
मुकेंद्र यादव इम्पीरियल अकादमी ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज का छात्र है। उसने बीबीए के सभी विषयों की परीक्षा क्लॉथ मार्केट प्रोफेशनल कॉलेज के सेंटर से दी थी। उसका रोल नंबर 70403 था। 3 जुलाई को आए रिजल्ट में उसे कुल पांच में से चार विषयों क्यूटी टेक्निक, बिजनेस एन्वायर्नमेंट, बिजनेस टैक्सेशन और एडवांस अकाउंटेंसी में एब्सेंट बता फेल कर दिया गया। उसने इस संबंध में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में शिकायत की लेकिन कुछ नहीं हुआ। 

26 जुलाई को रिवाइज्ड रिजल्ट के बाद उसे एब्सेंट बताए गए चार में एक विषय बिजनेस टैक्सेशन में 14 नंबर दे दिए गए। जबकि उसने सभी विषयों की परीक्षा दी थी। अब वह यूनिवर्सिटी के चक्कर काट रहा है कि बाकी विषयों में उसके नंबर आ जाएं(रफी मोहम्मद शेख, दैनिक भास्कर,इन्दौर,2.8.11)।
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Palash Biswas
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