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Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Sunday, April 5, 2009

पराजय होः फर्जी सर्वेसमीकरण,फर्जी मीडिया, फर्जी जनांदोलन, फर्जी आंकड़े, फर्जी शोध इतिहास, फर्जी मंदी,फर्जी राहत, फर्जी गांधीवाद, फर्जी वामपंथ, फर्जी


पराजय होः फर्जी सर्वेसमीकरण,फर्जी मीडिया, फर्जी जनांदोलन, फर्जी आंकड़े, फर्जी शोध इतिहास, फर्जी मंदी,फर्जी राहत, फर्जी गांधीवाद, फर्जी वामपंथ, फर्जी लोहियावाद, फर्जी हिंदुत्व, फर्जी देश प्रेम, फर्जी कारोबार, फर्जी सरकार, फर्जी राजनीति, फर्जी धर्म, फर्जी विकास, फर्जी ऐश्वर्य, फर्जी सरकारें- सबकी पराजय हो।



पलाश विश्वास





मार्किट
NSE|BSE





भाजपा और माकपा के आँकड़ों पर भरोसा करें तो सिर्फ भारतीयों ने ही कालेधन को पनाह देने वाले देशों में जितना धन जमा कर रखा है वह जी20 द्वारा आर्थिक संकट से उबारने के लिए घोषित पैकेज के बराबर है।

भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र में कहा गया कि भारतीय ने विदेश में करीब 1500 अरब डॉलर जमा कर रखा है जबकि माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी ने कहा कि यह राशि 1400 अरब डॉलर है।

शुक्रवार को जारी भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में कहा गया हम इस धन को वापस लाने के लिए निश्चित तौर पर कोशिश करेंगे जो गैर कानूनी तरीके से स्विस बैंक के खातों और इस तरह के धन को पनाह देने वाले देशों में जमा हैं।

जी20 सम्मेलन से पूर्व येचुरी ने कहा यदि अमेरिका यह कर सकता है। स्विस बैंक से खाता धारकों के रिकॉर्ड माँग सकता है तो भारत भी यह कर सकता है क्योंकि भारतीयों ने भी इन देशों में 1400 अरब डॉलर जमा कर रखे हैं जिसका सबसे बड़ा हिस्सा स्विस बैंक में है।

माकपा ने भी अपने घोषणापत्र में कहा पार्टी काले धन और विशेष तौर पर स्विस बैंक और अन्य देशों में जमा धन को ढूँढने के लिए अभियान शुरू करेगी। हालाँकि कांग्रेस के घोषणापत्र में विदेश में रखे काले धन के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी ने रविवार को भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी को आड़े हाथों लेते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि वे देश के प्रधानमंत्री का अपमान कर समूचे देश का अपमान कर रहे हैं।

पूर्वी उत्तरप्रदेश के अपने एक दिवसीय चुनावी दौरे की अंतिम सभा में कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी पर जमकर निशाना साधा और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह की तारीफों के पुल बाँधते हुए कहा कि कोई बड़ा नेता बड़े-बड़े दावे करने और बातें करने से नहीं होता अलबत्ता हमारी दृष्टि में मजबूत नेता वह होता है जो बड़े-बड़े काम करता है।

आडवाणी का नाम लिए बगैर उनके द्वारा प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह को कमजोर प्रधानमंत्री बताए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोनिया गाँधी ने कहा कि चुनावों के बाद जो प्रधानमंत्री चुना जाता है, वह किसी पार्टी का प्रधानमंत्री न होकर समूचे देश का प्रधानमंत्री होता है। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री का अपमान समूचे देश का अपमान है।

सोनिया गाँधी ने भाजपा और उसके नेताओं पर देश को सांप्रदायिक आधार पर बाँटने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे देश को बाँटने की राजनीति करते हैं, जबकि कांग्रेस देश को एक साथ जोड़ने की राजनीति करती है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश को आजादी दिलाई और उसने देश के सभी वर्गों को साथ लेकर उसके हर हिस्से का विकास किया। उन्होंने कहा कि हम कभी कोई घर बर्बाद नहीं करते जबकि हमारी आलोचना करने वाले लोगों को बर्बाद कर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकना चाहते हैं।

इससे पूर्व बलिया के बासगाँव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सोनिया गाँधी ने कहा कि भाजपा के जो नेता देश के गृहमंत्री रहे हैं, वे अब प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। उन्होंने गृहमंत्री के रूप में देश के कुख्यात आतंकवादियों को जेल से छोड़ा और अब वे देश को सांप्रदायिक आधार पर बाँटने में लगे हुए हैं।
कौन बनेगा पीएम?सट्टा बाजार में जोरदार दांव

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देश की एक अरब से ज्यादा आबादी के मन में इन दिनों सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा? पर यह मामला सवाल तक ही सीमित नहीं है। सट्टा बाजार में भी पीएम की कुर्सी पर दांव लग रहें हैं। हालत यह है कि चुनाव आयोग के आकलन के मुताबिक, इस बार आम चुनाव आयोजित करने पर करीब 1400 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जबकि इस वक्त चुनावी सट्टा का बाजार 5000 से 7000 करोड़ रुपये का हो चुका है।

आगे देखिए: किस नेता पर कितना दांव

http://hindi.economictimes.indiatimes.com/quickiearticleshow/msid-4361239.cmsअगला >>

नैनो का पंगा: एक ब्लेड वाला वाइपर


नवभारत टाइम्स

नैनो इंडियन मिडिल क्लास की ड्रीम कार है। माइलेज से लेकर मजबूती में ये कार अपने सेगमेंट की बाकी कारों को कड़ी टक्कर देगी और इसका सबसे बड़ा एडवांटेज है इसकी कीमत। लेकिन नैनो खरीदने वालों को कुछ मामलों में समझौता करना होगा। मिसाल के तौर पर इसमें एक ब्लेड वाला वाइपर है। यानी बारिश के वक्त शीशे के कुछ हिस्से साफ नहीं होंगे। बारिश के वक्त नैनो की रफ्तार कम रखनी पड़ेगी। फोटो-एएफपी

आगे देखिए नैनो के नौ और पंगे




अखबार न पढ़ें, टीवी पर समाचार न देखें तो शायद आपके बच लिकलने की गुंजाइश है।

मानसिक गुलामी सबसे घतक है।

हम ऐसे जमाने में जीने को आदी हो गए हैं कि घर से दफ्तर और दफ्तर से घर, फिर घर की चहारदीवारी में कैद हो जाने को अभिशप्त हैं। जनपद, मातृभाषा, आजीविका, परिवार, घर, कारोबार, संस्कृति, भूगोल इतिहास, समाज अर्थव्यवस्था और राजनीति से कचे हुए हम आम लोग।

सूचना और समाचार के सारे सूत्र हमें भ्रमित कर रहे हैं इस वक्त।

फर्जी मंदी और फर्जी विकास के नाम पर हमारा कत्लआम जारी है। सर उठाएं तो बेरहम दमन। पहचानें मिटा दी गई हैं।
बेजुबान हो गए हैं हम।
खून की नदियां लबालब बहती हर दिशा में या फिर आग की दरिया है।

अश्वमेध के घोड़े दौड़ रहे हैं। शूद्रायण जारी है।

जारी है उपनिवेशीकरण।

खूंटों पर टंगी है पूर्वजों के मुंड और हम भी कबंध के जुलूस में शामिल है।

किसी का कोई चेहरा नहीं है।

किसी का कोई सपना नहीं है।

कोई सरोकार नहीं है।

न दिल है न दिमाग।

कंप्यूटर, मोबाइल और टीवी के शोर में सार संवाद सिरे से गायब हैं।
न नाते हैं, न रिश्ते हैं। न दायित्व बोध है।
भावी पीढ़ी के लिए अंधकार अनंत।

हमारी आत्मा मर चुकी है। सड़न हमें बेटैन नहीं करती। दर्द का अहसास ही मर गया हऐ।

न विरोध का दम है, न प्तिवाद का साहस।

न सहमति का विवेक है और न ही असहमति का साहस।

हम जड़ हैं और जनपदों के विध्वंस के बाद शहरी सुविधाओं और भोग के लिए लालायित।

हाथों में हथकड़ियां और पांवों में बेड़ियां हैं।

भारतमाता अब भी जंजीरों में उलझी हुई और बामहण बनिया राज में हम गुलामी के रसगुल्ले के लिए हर जघन्य आयोजन में शामिल है।

मंदी है इसलिए छंटनी।

मंदी है तो वेतन में कटौती।

मंदी है तो हमें त्याग की सलाह निर्देश।

मंदी है तो सुविधाएं ख्तम ।

काम के घंटे तय नहीं।

अपमान हजम करना मजबूरी है।

प्रतिवाद नहीं कर सकते क्योंकि सुविधाओं के आदी है।

परिवार या समाज को कुछ देने का जज्बा नहीं है क्योंकि अपने भोग विलास के आयोजन में कमी नहीं कर सकते हैं।

मंदी है, इसलिए देश की समूची आय हत्यारी मनी मशीन में निष्णात।

साढ़े तीन लाख करोड़ के राहत बांट दिए।

करों में पूंजीपतियों को हर छूट और हम पर करों का सारा बोझऍ मंदी की जिम्मेवारियां हमीं पर।

आयात निर्यात में पूरी छूट। सेज और रिटेल चेन, भू अधिग्रहण, शहरी करण, औदोगीकरण के ूहाने, विकास के बहाने हमारा ही विस्थापन।

विभाजन पीड़ितों को देश निकाला।

दुनिया भर में रसायने के उत्पादन के लिए शून्य प्रदूषण की कड़ी शर्त, पर हमारे यहीं फोपाल गैस त्रासदी और कैमिकल हब के लिए नंदीग्राम।

बैंकों के निजीकरण, बीमा के बेलगाम दांव से अमेरिका में मंदी आयी और दुनिया पर छा गयी कहा जैता है तो हमारे यहां एसबीआई और एलआईसी तक के विनिवेश की तैयारी। विनिवेश सूची में रेलवे, डाक तार, विश्वविद्यालय, चिकित्सालय, खानें, इस्पात, तेल सारी चीजें शामिल।

बाजार खुला बाजार।
ओपन ए फक करने की छूट। जीप खुलने की रियायत। सेक्स बाजार हर कहीं। ड्रग्स और सेक्स के जरिए समस्याओं का समाधान।

प्रमोटर राज, कारपोरेट राज के लिए विकास शहरीकरण का बहना।

बंगाल में शिल्पायन के लिए सिंगुर नंदीग्राम। पर कपड़ा, जूट. टाय उद्योग का सर्वनाश।

बंद ५६ हजार कल कारखाने।

नैनो का शोर है।

दुनियाभर में गाड़ी उद्योग पर संकट के बादल।

तेल के लिए आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध।

मुसलमानों के खिलाफ जिहाद।

तेल के कारण भुगतान संकट।
विदेशी मुद्रा में कमी।

पर गाड़ी और निर्माण उद्योगों को सर्वोचच्च प्राथमिकता।

चुनाव घोषणापत्रों में समाजवाद का नगाड़ा। गरीबी हटाओं का हल्ला।

पर गरीब भुखमरी के शिकार।
खेत खलिहान चौपट।

किसान आत्महत्.ा को मजबूर। पढ़े लिखे लोगों के लिए नौकरियां नहीं।

आरक्षण कोटा से छक्का संप्रदाय को राजनीतिक नेतृत्व, पर नौकरियां नहीं मिलती किसी को।

आरक्षण के बहाने जाति युद्ध। चुनावी समीकरण।

जिनकी नौकरियां हैं वे तलवे चाटकर भी सुरक्षित नहीं।

रोजगार दे नहीं सकते।

दमन के सारे औजार तैयार।
कफन तक बेचने वाले लोग स्विस बैंक से पैसा वापस लाने का दम भरते हैं।
ये पैसे देश और जनता को बेचकर ही जमा हुए, जिसके हिस्सेदार हर राजनेता।

बाहुबली, अपराधी, हत्यारे, बलात्कारी और निष्क्रिय, बेआवाज मौकापरस्त लोग देश के नेता।

रंग बिरंगी पार्टियां और विचारधाराएं. तरह तरह के मोर्चे
। सबकुछ जनता के विरुद्ध।

वोट लेकर नोट बटोरने का धंधा।

बगुला भगत घर के दरवाजे पर।

हड्डिया तक नोंच डालें गे।
सावधान।

साम्प्रदायिक, समाजवादी, मार्क्सवादी, गांधीवादी, लोहियावादी, सामअराज्यवादी गठजोड़ है जनता के खलाफ।
इन सबकी पराजय हो।

पूंजीपति और कारपोरेट, अमेरिकी और इजरायली हितों की पराजय हो।

मूलनिवासी जनता को गुलाम बनाए रखने और उनके कत्लेआम का सामान जुटाने वाले, मुहिम चलाने वाले मनुस्मृति शासन के झंडावरदारों की पराजय हो।

संविधान और संसद, लोकतंत्र और आजादी के हत्यारों की पराजय हो।


रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटा समूह की टीसीएस भारत की उन कंपनियों में शामिल हैं जिन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के शीर्ष आर्थिक सलाहकार लारैंस समर्स को हजारों डालर का भुगतान किया है। मजबूत वैश्विक रूख के बीच अमेरिकी शेयर बाजार में सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में तीन अप्रैल को समाप्त सप्ताह के दौरान करीब आठ अरब डालर का फायदा हुआ है। न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज और नैस्दक में सूचीबद्ध 16 भारतीय कंपनियों में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की अग्रणी इंफोसिस टेक्नोलाजीज ने अपने बाजार मूल्य में 1। 8 अरब डालर की राशि जोड़ी वहीं आईटी क्षेत्र की दूसरी प्रमुख कंपनी विप्रो के बाजार मूल्य में 1। 52 अरब डालर का इजाफा हुआ। तीन अप्रैल को समाप्त सप्ताह में अमेरिकी डिपोजिटरी रिसीट्स (एडीआर) के जरिए वहां के बाजारों में सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में 7। 6 अरब डालर का इजाफा हुआ।

वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने के लिये जी-20 देशों के नेताओं की ओर से पैकेज के ऐलान से अमेरिकी बाजार में मजबूती देखी गयी है। दो अप्रैल को बेंचमार्क डाउजोंस इंडस्ट्रीय एवरेज 8,000 के स्तर को पार कर गया था। एचडीएफसी के बाजार पंजीकरण में जहां 1। 25 अरब डालर का इजाफा हुआ वहीं आईसीआईसीआई बैंक के बाजार पूंजीकरण में 1। 13 अरब डालर की बढ़ोतरी हुई।


ग्लोबल इंडियन नंबर कौन?
नैनो पर आपके सवालों के जवाब

कंपनियों ने समर्स को व्याख्यानों के लिए यह धन दिया है। सार्वजनिक किये गये व्हाइट हाउस की एक रिपोर्ट के अनुसार समर्स ने सलाहकार बोर्ड में भागीदारी और विभिन्न वित्तीय संस्थानों में व्याख्यान देने के लिये लाखों डालर की राशि अर्जित की। उन वित्तीय संस्थानों में कई ऐसे हैं जिन्हें बाद में सरकार के राहत पैकेज के जरिये संकट से उबारा गया।

क्या है टाटा का प्यार


किसकी तरफदारी की ओबामा ने
इंटरनेट समाचार पत्र हुफिंगटोनपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक , दो भारतीय कंपनियों में से टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ( टीसीएस ) ने ओबामा की राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक को 21 सितंबर 2008 की व्यस्तता के लिये 67,500 अमेरिका डॉलर की राशि दी। पत्र के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इंटरनेशनल एडवाइजरी बोर्ड का सदस्य बनने के लिये समर्स को 5,000 डालर की राशि दी।

जिन कंपनियों ने समर्स को स्पीच देने के लिए मोटी रकम दी , उनमें शामिल हैं - जेपी मॉर्गन (67,500 डॉलर ), सिटीग्रुप (54,000 डॉलर ), गोल्डमैन सैक्स (135,000 डॉलर ), लेहमन ब्रदर्स (67,500 डॉलर ), टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (67,500 डॉलर ), मैकिन्से एंड कंपनी (135,000 डॉलर ), प्राइसवाटरहाउसकूपर्स (67,500 डॉलर ), अमेरिकन एक्सप्रेस (67,500 डॉलर ) आदि।

चार बहुराष्ट्रीय

Western">दूरसंचार कंपनियों समेत घरेलू कंपनियों भारती एयरटेल , टाटा समूह की कंपनी वीएसएनएल और रिलायंस इन्फोकाम ( अब आरकाम ) पर सीबीआई की जांच का घेरा कस सकता है। सीबीआई की चपेट में आने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों में शामिल हैं - एटी एंड टी , बीटी , एमसीआई वर्ल्डकॉम और इक्वेंट। इन कंपनियों को भारत में कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इन कंपनियों पर लाइसेंस न होने के बावजूद लंबी दूरी की सेवा देने का आरोप है , जिससे सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का घाटा हुआ है।

अब 11 डिजिट वाले नंबर का इंतजार करिए

ट्विटर पर लगी है गूगल की नजर

सीबीआई की प्रारंभिक जांच से यह भी पता लगा है कि घरेलू कंपनी भारती एयरटेल , टाटा समूह की कंपनी वीएसएनएल और रिलायंस इन्फोकाम ( अब आरकाम ) ने एक या अधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों से समय - समय पर उनके ग्राहकों को भारत में कनेक्टिविटी देने के लिए करार किया है। इन मामलों की भी जांच की जा रही है।

दूरसंचार विभाग की ओर से प्रारंभिक जांच के बाद सीबीआई इस मामले में एटी एंड टी , बीटी , एमसीआई वर्ल्डकॉम और इक्वेंट के खिलाफ मामला दायर करने जा रही है। इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने डॉट को लाइसेंस शुल्क का चूना लगाया है। पहली जनवरी 2006 से पूर्व लंबी दूरी की काल सेवाओं के लाइसेंस शुल्क के रूप में कंपनियों से एक मुश्त 25 करोड़ रुपये का प्रवेश शुल्क और औसत सकल आय ( एजीआर ) में सालाना 15 प्रतिशत हिस्सा वसूल किया जाता था। जनवरी 2006 के बाद से एक बार का प्रवेश शुल्क घटाकर 2.5 करोड़ रुपये और एजीआर छह प्रतिशत कर दिया गया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या डाट औपचारिक रूप से इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करेगा , सूत्रों ने कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया। ऐसी स्थिति में जांच एजेंसी को मामले को आगे ले जाने के लिए एफआईआर दर्ज करानी होगी। डॉट ने भी विदेशी दूरसंचार कंपनियों द्वारा लाइसेंसिंग दिशा निर्देशों को धता बताने की विदेशी कंपनियों की चाल की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय विभागीय समिति बनाई है। यह समिति इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में विचार करेगी। सूत्रों ने बताया कि भारतीय कंपनियों भारती , रिलायंस और टाटा द्वारा किए गए इसी तरह के उल्लंघन की जांच दूरसंचार विभाग के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति भी कर रही है। इस समिति को विदेशी कंपनियों की जांच को भी कहा जा सकता है।

अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे विकसित बाजारों से मांग घटने के कारण मौजूदा वित्त वर्ष 2009-10 में भी भारत के निर्यात में गिरावट आने का अंदेशा है।
गौरतलब है कि अक्टूबर 2008 से भारत का निर्यात लगातार नीचे आ रहा है और चालू वित्त में भी यही सिलसिला बरकरार रहने की आशंका है।



अमेरिका में सरकार से आर्थिक मदद पाने वाली कंपनियों के लिए विदेशी पेशेवरों की नियुक्ति पर सिर्फ 2 साल के लिए पाबंदी लागू रहेगी।

मंदी से निपटने के लिए सरकार ने विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने के मामले में इन कंपनियों हाथ बांध दिए हैं।



प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ग्लोबल समुदाय से कहा है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)में अपना योगदान बढ़ाने का इच्छुक है



लेकिन उसकी इस इस एजेंसी से उधार लेने की कोई मंशा नहीं है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ग्लोबल समुदाय से कहा है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)में अपना योगदान बढ़ाने का इच्छुक है



लेकिन उसकी इस इस एजेंसी से उधार लेने की कोई मंशा नहीं है।

उत्तर कोरिया द्वारा लंबी दूरी के राकेट का प्रक्षेपण करने की अमेरिका और कुछ अन्य देशों की ओर से निंदा किए जाने के बावजूद भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था (आईएईए) को इस बात का फैसला करना है कि क्या कम्युनिस्ट देश ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया है अथवा नहीं।

विदेशमंत्री प्रणव मुखर्जी ने रविवार को कहा कि अप्रसार के प्रति भारत पूरी तरह प्रतिबद्ध है, लेकिन उसकी परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने की कोई मंशा नहीं है, क्योंकि यह भेदभावपूर्ण और परमाणु हथियार संपन्न देशों के पक्ष में है।

उन्होंने कहा हमारी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है। हम इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि जिन देशों ने एनपीटी पर हस्ताक्षर किए हैं, उन्हें निश्चित तौर पर संधि के दायित्वों को पूरा करना चाहिए।

मुखर्जी ने कहा कि आईएईए के अतिरिक्त और कोई फैसला नहीं कर सकता कि एनपीटी पर हस्ताक्षर करने वाले देश संधि के तहत अपने दायित्वों को पूरा कर रहे हैं अथवा नहीं।

उन्होंने कहा इस क्षेत्र में आईएईए उचित निगरानी संस्था है। मुखर्जी ने जोर देकर कहा कि भारत अप्रसार के प्रति प्रतिबद्ध है, लेकिन वह एनपीटी पर हस्ताक्षर करने के पक्ष में नहीं है।

उन्होंने कहा अप्रसार के विचार को फैलाने में हम किसी से पीछे नहीं हैं, लेकिन हमने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और न ही हमारी इस पर हस्ताक्षर करने की मंशा है, क्योंकि हम इसके उद्देश्यों से असहमत हैं।

मुखर्जी ने कहा ये संधियाँ परमाणु संपन्न राष्ट्रों और गैर परमाणु संपन्न राष्ट्रों से जिस तरह का भेदभाव करती हैं, उससे हम असहमत हैं।
उन्होंने जी-20 नेताओं की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा हमें निकट भविष्य में आईएमएफ जाने की जरूरत नहीं लगती । हम अपने कोटा के आधार पर आईएमएफ में योगदान बढ़ाने के बारे में विचार कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि जी-20 में आईएमएफ के संसाधन का तीन गुना करने का प्रस्ताव स्वीकार किया गया है। उन्होंने कहा पिछले पांच साल में हमारी वृद्धि दर करीब नौ फीसदी रही पर 2008-.09 में यह सात फीसदी के नीचे रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा - मौद्रिक और राजकोषीय नीति पर लगातार ध्यान दिए जाने से उम्मीद है कि 2009-10 में भी ऐसी ही( 2008-09 के स्तर की)वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि प्रोत्साहन पैकेज ने सरकार का उधार खर्च 2008-.09 के बजट अनुमान से काफी ऊंचा हो गया है।

यह पूछने पर कि भारत, मेक्सिको की तरह जी-20 सम्मेलन में स्वीकृत नई सुविधा से फंड वापस लेने की योजना बना रहा है, सिंह ने कहा जहां तक भारत के संदर्भ में सवाल यह पैदा होता है कि हमें आईएमएफ में योगदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के पास 250 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है।

दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समितियों में भारत को शामिल किए जाने पर संतोष जाहिर करते हुए सिंह ने हमें प्रमुख आर्थिक देश के तौर पर स्वीकार किया गया है। यह बड़ी उपलब्धि है। भारत वित्तीय स्थिरता मंच (एफएसएफ) और बैंकिंग निगरानी से संबंधित बेजल समिति का सदस्य है जो मानक तय करने वाली प्रमुख समितियां होंगी।




वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में भारत का निर्यात 21.7 फीसदी घट गया और इस दौरान केवल 11.91 अरब डॉलर का ही निर्यात हो पाया जबकि पिछले साल समान अवधि में 15.22 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था। पिछले 15 साल में पहली बार निर्यात में इतनी ज्यादा कमी देखी गई है।

पिछले साल फरवरी में जहां 60,476 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था वहीं इस साल फरवरी में यह आंकड़ा घटकर 58,685 करोड़ रुपये पर आ गया। वैश्विक बाजारों में मांग की कमी के चलते वाणिज्य मंत्रालय को निर्यात के लक्ष्य में संशोधन करना पड़ा है।

मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2008-09 के लिए पहले 200 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य तय किया था, जिसको घटाकर 175 अरब डॉलर कर दिया गया है।



दरअसल, चुनाव बाद जिन दलों के सत्ता में आने के आसार हैं वे आर्थिक मंदी और इससे निपटने के तरीकोंको लेकर बिल्कुल अंधेरे में है। भरोसा न हो तो कांग्रेस, भाजपा, भाकपा और माकपा जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्र पर नजर डालिए। इनमें आपको मंदी से निपटने के नाम पर कुछ भी ठोस नजर नहीं आएगा।

जो हालात हैं, उनमें दो माह बाद शायद मंदी और गहरा चुकी होगी, लेकिन किसी राजनीतिक दल के पास कोई रणनीति नहीं है कि वह रसातल में जा चुके निर्यात को कैसे बढ़ावा देंगे। केंद्र के खजाने को भारी घाटे से उबारने के लिए क्या करेंगे। दरअसल आर्थिक मामलों में अधिकांश राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र कमोबेश दो दशक पुराने मुद्दों पर ही अटके हैं।


उत्तरांखड के पन्तनगर में निर्मित नैनो कार के राज्य में बिक्री पर केंद्रीय बिक्री कर [सीएसटी] नहीं लगेगा इसी के साथ ट्रंासपोर्ट खर्च कम होने से हल्द्वानी में इसकी कीमत सबसे
कम रहेगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सीएसटी नहीं लगने से नैनो दिल्ली और मुंबई की अपेक्षा सस्ती रहेगी। पंतनगर से हल्द्वानी सबसे पास होने से यहां शोरूम तक ट्रंासपोट खर्च मात्र दो सौ रुपये प्रति कार पड़ता है।

लिहाजा यहां गाड़ी की कीमत पर इसका असर होगा और यह अन्य स्थानों से कम कीमत में बेची जाएगी। नौ अप्रैल को देश में नैनो की बुकिंग होगी। राज्य को नैनो की बिक्री से दो करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है।

राज्य की कार्यकारी राजधानी देहरादून में आज मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे ने एक शो रूम में नैनो के डिसप्ले का उदघाटन किया। लाल रंग की बेस माडल की नैनो कार को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है।

वाम मोर्चे के गढ़ पश्चिम बंगाल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) का चुनावी मुद्दा पीपुल्स कार नैनो है, जिसके जरिए पार्टी जनता को यह बताना चाहती है कि विपक्ष आद्योगिकरण के खिलाफ है। अपने चुनावी भाषणों में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने विपक्षी पार्टी तृणमूल कांग्रेस पर हमला किया। वह लोगों को यह बता रहे हैं कि अगर ‘नैनो’ परियोजना सिंगूर में लग जाती तो 6 हजार लोगों को रोजगार मिलता।

क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने पश्चिम बंगाल सरकार की उधारी चुकाने की विश्वसनीयता पर चिंता जताई है। वे राज्य सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ने और उस पर काफी ज्यादा उधारी होने से आशंकित हैं। फिच रेटिंग्स इंडिया के मुताबिक, राज्य के उधारी प्रोफाइल की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है। अगले कुछ महीनों में केयर रेटिंग्स भी सरकार को ऐसी ही समीक्षा दे सकता है।

फिच के निदेशक देवेंद्र कुमार पंत के मुताबिक, 'पिछले कुछ समय से पश्चिम बंगाल सरकार के क्रेडिट प्रोफाइल में गिरावट आई है। इसका पता वेस्ट बंगाल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन की उधारी की रेटिंग से चलता है।' उनके मुताबिक क्रेडिट प्रोफाइल में गिरावट इसलिए आई है कि सरकारी व्यय का बड़ा हिस्सा उधारी चुकाने, प्रशासनिक सेवाओं और पेंशन भुगतान में खर्च हो जाता है।

वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान पश्चिम बंगाल का राजस्व घाटा 8,147 करोड़ रुपए से बढ़कर 12,678 करोड़ रुपए हो गया था। इसने इस दौरान खर्च के लिए 17,940 करोड़ रुपए का बजट बनाया था। वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान पश्चिम बंगाल का पूंजी खाता घाटा 12,930 करोड़ रुपए था। उसने 2009-10 के लिए 19,938 करोड़ रुपए बजट बनाया है। 31, मार्च 2009 को पश्चिम बंगाल पर कुल 1,46,563 करोड़ रुपए की देनदारी थी। यह उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा है।


टाटा की बहुप्रतिक्षित लखटकिया कार के प्रति लोगों ने खासा जोश और उत्साह दिखाया है।

खरीदारों में इस कार को लेकर कितना उत्साह है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पंजाब और चंडीगढ़ में टाटा मोटर्स के सात डीलरों ने पहले ही दिन करीब 1,500 फॉर्मों की बिक्री की है। पंजाब में टाटा मोटर्स के डीलरों ने बताया कि कांउटरों पर संभावित खरीदरों की भारी भीड़ आ रही है।


पश्चिम बंगाल के सिंगुर से पिछले साल नैनो परियोजना हटाने का निर्णय करने के बाद टाटा मोटर्स ने परियोजना स्थल से उपकरणों को हटाने के लिए पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम से 10 महीने की मोहलत मांगी है।
निगम के प्रबंध निदेशक सुब्रत गुप्ता ने बताया कि टाटा मोटर्स ने पिछले साल नवंबर में हमें पत्र लिखकर बताया था कि उसे सिंगुर से उपकरणों को हटाने के लिए 10 महीने का समय चाहिए। राजनीतिक विरोध के बाद टाटा मोटर्स को सिंगुर से परियोजना हटानी पड़ी जिसके बाद कंपनी ने यह परियोजना गुजरात के साणंद में स्थानांतरित कर दी।

पश्चिम बंगाल ने बुधवार को दावा किया कि टाटा की लखटकिया कार नैनो सिंगुर में बनेगी। यह अलग बात है कि इस कार की निर्माता कंपनी टाटा अपनी परियोजना को सिंगुर से पहले ही हटा चुकी है। राज्य के प्रधान उद्योग सचिव सब्यसाची सेन ने कहा कि पश्चिम बंगाल ने नैनो का नंबर वन संयंत्र बनने का मौका खो दिया है। हालांकि नैनो का निर्माण निश्चित रूप से पश्चिम बंगाल में होगा, क्योंकि इस कार के लिए कम से कम चार-पांच कारखाने चाहिए।



विवादित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन हाल में भारत आई थीं। वीजा अवधि बढ़ाए जाने के बावजूद एक सप्ताह के भीतर उन्हें वापस यूरोप भेज दिया गया।

मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर रहीं तसलीमा के बारे में सूत्रों ने बताया कि वे इस माह की शुरुआत में दिल्ली आई थीं और किसी अज्ञात स्थान पर चली गई थीं।

डॉक्टर से लेखिका बनीं 46 वर्षीय तस्लीमा यहाँ रुकना चाहती थी और निवास की मंजूरी के लिए औपचारिकताएँ पूरी करना चाहती थीं। उनका वीजा इससे पहले 17 फरवरी तक वैध था।

विवादित किताब 'लज्जा' से सुर्खियाँ बटोरने वाली तसलीमा से विनम्रतापूर्वक कहा गया कि देश में उनके स्थायी निवास संबंधी उनके निवेदन पर नई सरकार विचार करेगी, क्योंकि देश में आम चुनावों की घोषणा पहले ही हो चुकी है।

सूत्रों ने बताया कि सरकार ने उनका वीजा दोबारा छह महीने के लिए 16 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया, जिसके बाद वे यहाँ आईं। एक सप्ताह के भीतर उन्हें यूरोप वापस भेज दिया गया।

उल्लेखनीय है कि तसलीमा बीते साल 18 मार्च को भारत से स्वीडन के लिए रवाना हुई थीं। इससे पहले उन्हें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चार माह तक किसी सुरक्षित जगह पर रखा गया था। इस दौरान उन्हें किसी से मिलने की इजाजत नहीं थी। तसलीमा ने इसे मौत के कमरे में बंद किए जाने के समान बताया था।

वर्ष 1994 से अपने निर्वासित जीवनकाल में तसलीमा फ्रांस, स्वीडन और भारत समेत कई देशों में रह चुकी हैं। बीते पाँच वर्षों में भारत में रहने के दौरान वे लगातार विदेश जाती रहीं। पश्चिम बंगाल छोड़ने से पहले बीते साल नवंबर में वह विदेश गई थीं।

कई पुरस्कार हासिल कर चुकीं तसलीमा को अपनी विवादित किताब 'द्विखंडिता' के कारण हुए हिंसक प्रदर्शनों के चलते कोलकाता का अपना आवास छोड़ना पड़ा था।

द्विखंडिता के कुछ खास संदर्भों को लेकर कुछ मुस्लिम संगठनों ने तूफान खड़ा कर दिया था और माँग की थी कि तसलीमा से राज्य छोड़ने के लिए कहा जाना चाहिए।

नवंबर 2007 में तसलीमा ने कोलकाता छोड़ा और जयपुर चली गईं। तसलीमा के राजस्थान में ठहरने पर कुछ मुस्लिम संगठनों ने राज्यव्यापी प्रदर्शनों की धमकी दी। इसके बाद राजस्थान सरकार ने तसलीमा को दिल्ली भेजने का फैसला किया। तसलीमा की कोलकाता वापस जाने की इच्छा थी, लेकिन पश्चिम बंगाल की वाममोर्चा सरकार ने उनके निवेदन पर ध्यान नहीं दिया।

बांग्लादेशी लेखिका का आरोप है कि उन्हें कोलकाता छोड़ने के लिए मजबूर किया गया, उन्हें ऐसा करने के लिए इतना समय भी नहीं दिया कि वे अपने कपड़े भी बदल पातीं।

तसलीमा के मामले में माकपा निशाने पर आई और प्रमुख राजनीतिक दलों ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने और उनकी वीजा अवधि बढ़ाने की माँग की। स्वीडन के पासपोर्ट के साथ तसलीमा 18 मार्च को दिल्ली से स्वीडन रवाना हो गईं और वहाँ उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।


तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा है कि मैं नैनो की सवारी नहीं करूंगी, जिसे लोगों के खून से बनाया गया है। टाटा की छोटी कार नैनो की फैक्टरी पश्चिम बंगाल से हटाने के लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया गया था।

बृहस्पतिवार को यह पूछे जाने पर कि क्या वह कभी नैनो की सवारी करेंगी, उन्होंने कहा कि यह मेरी मर्जी है कि मैं किस कार में यात्रा करूं। उन्होंने दावा किया कि एक लाख रुपये की कार की कीमत कोलकाता में 1.54 लाख रुपये से कम नहीं पड़ेगी।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की वजह से टाटा को अपनी कार फैक्टरी गुजरात के साणंद ले जाना पड़ा।



तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस से गठबंधन किया है। ममता बनर्जी ने 2004 के लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी की हार के लिए गुजरात दंगों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि हम राजग में बने हुए थे इसलिए हमारा प्रदर्शन खराब रहा। पीलीभीत में वरुण गांधी के कथित भड़काऊ भाषण पर ममता ने कहा कि उनके बयान उचित नहीं थे। किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना गलत है।



पश्चिम बंगाल के जनजाति बहुल क्षेत्र लालगढ़ में लोगों के एक गुट ने शनिवार को पुलिस और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कार्यकर्ताओं के प्रवेश को रोकने के लिए दो चेक पोस्ट का निर्माण किया है।

ये चेक पोस्ट पीपुल्स कमिटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटी (पीसीएपीए) ने मिदनापुर जिले के रायगढ़ और बरोटेलिया क्षेत्र में बनाया है।

पश्चिमी मिदनापुर के पुलिस अधीक्षक आर. के. सिंह ने आईएएनएस से कहा, “हमने इस बारे में सुना है कि पुलिस बल के क्षेत्र में प्रवेश को रोकने के लिए लालगढ़ के पास दो चेक पोस्ट बनाए गए हैं।” उन्होंने कहा कि पीसीएपीए के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पीसीएपीए के नेता चट्रोधर महतो ने हालांकि कहा कि वे अपने गांवों में पुलिस और सत्ताधारी माकपा के किसी भी सदस्य के प्रवेश को रोकने के लिए इन चेक पोस्टों पर नियमित नजर रखे हुए हैं। उनकी योजना दो और चेक पोस्ट बनाने की है।

इससे पहले राज्य के गृह सचिव अध्रेन्दु सेन ने कहा था कि लोकसभा चुनाव के पहले पुलिस जनजाति बहुल रामगढ़ के नक्सलियों को खोज निकालने के लिए अभियान चलाएगी।

पिछले साल क्षेत्र के दौरे पर आए मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य, केंद्रीय इस्पात मंत्री राम विलास पासवान और जितिन प्रसाद के काफिले के मार्ग में एक बारुदी सुरंग विस्फोट के बाद पुलिस ने कुछ स्कूली बच्चों को गिरफ्तार किया था और महिलाओं को प्रताड़ित किया था। इसके बाद से ही क्षेत्र में समस्या पैदा हुई।



एक ओर चुनाव बाद कांग्रेस को वाम दलों के समर्थन से इनकार नहीं है, वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल के चुनावी अखाड़े में पार्टी कामरेडों को मात देने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसीलिए कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में तीन दशक के वामपंथी शासन की कथित नाकामियों का कच्चा चिठ्ठा जारी किया। इसमें साफ कहा गया है कि अपने एक छत्र शासन में वामपंथियों ने बंगाल को रसातल में पहुंचा दिया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रविवार को यह रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए कहा कि वामपंथी तीस साल में जब एक राज्य, पश्चिम बंगाल, का विकास नहीं कर सके तो तीसरे मोर्चे का अगुवा बन कर भला देश का क्या विकास करेंगे? मुखर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल का मामला अनोखा है। वहां 1977 से अब तक वामपंथी दलों को ही शासन की कमान मिलती रही है, फिर भी वे प्रदेश को विकास की राह पर आगे ले जाने के बजाय पीछे ले गए हैं। इस रिपोर्ट कार्ड का हवाला देते हुए ही प्रणब ने कहा कि जो वामपंथी तीस साल की अपनी सत्ता में एक प्रदेश का विकास नहीं कर सकते वे देश को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं।



कांग्रेस ने पश्चिमी बंगाल में वाम मोर्चे के 30 साल के कुशासन का आज कच्चा चिट्ठा जारी कर दिया, लेकिन चुनाव के बाद सरकार के गठन के लिए उनका समर्थन लेने की सम्भावना से भी इंकार नहीं किया. कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल का एक और विभाजन करने वाली गोरखालैंड की मांग को भी खारिज कर दिया और कहा कि तीन बार विभाजन का सामना कर चुके पश्चिम बंगाल का चौथा विभाजन जनता स्वीकार नहीं करेगी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी ने पार्टी मुख्यालय में यह 12 पृष्ठों का यह रिपोर्ट कार्ड जारी किया जिसमें आंकड़ों के हवालों से बताया गया है कि माक्र्सवारी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की अगुवाई में पश्चिमी बंगाल में वाम मोर्चे के 30 साल तक की निर्बाध सत्ता में रहने के दौरान राज्य की कैसी दुर्गति हुई है. श्री मुखर्जी ने कहा कि पार्टी ने इस तथ्य पत्र के लिए पश्चिम बंगाल को खास तौर से इस लिए चुना है, कि वहां लगातार 30 साल से वामदलों की सरकार रही है. हम यह बताना चाहते हैं कि वाम दल जब एक ही राज्य में ठीक से सरकार नहीं चला सकते तो पूरे देश में सरकार की अगुवाई कैसे कर सकते हैं. लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या चुनाव के बाद सरकार के गठन के लिए कांग्रेस वाम दलों का सहयोग लेगी तो उन्होंने कहा कि राजनीति के यथार्थ में कुछ भी असम्भव नहीं होता. उन्होंने कहा कि 2004 में वाम दलों ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को समर्थन दिया और जुलाई 2007 में अपने राजनीतिक कारणों से समर्थन वापस ले लिया. यह उनका अपना फ़ैसला था. पार्टी ने पश्चिम बंगाल के कच्चे चिट्ठे में गिनाया है कि राज्य की जनता भुखमरी, कुपोषण, अशिक्षा, बेरोजगारी, गरीबी, बदहाली व कानून व्यवस्था की बदहाली में अव्वल है.

कांग्रेस ने पश्चिमी बंगाल में वाम मोर्चे के 30 साल के कुशासन का आज कच्चा चिट्ठा जारी कर दिया, लेकिन चुनाव के बाद सरकार के गठन के लिए उनका समर्थन लेने की सम्भावना से भी इंकार नहीं किया. कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल का एक और विभाजन करने वाली गोरखालैंड की मांग को भी खारिज कर दिया और कहा कि तीन बार विभाजन का सामना कर चुके पश्चिम बंगाल का चौथा विभाजन जनता स्वीकार नहीं करेगी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी ने पार्टी मुख्यालय में यह 12 पृष्ठों का यह रिपोर्ट कार्ड जारी किया जिसमें आंकड़ों के हवालों से बताया गया है कि माक्र्सवारी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की अगुवाई में पश्चिमी बंगाल में वाम मोर्चे के 30 साल तक की निर्बाध सत्ता में रहने के दौरान राज्य की कैसी दुर्गति हुई है. श्री मुखर्जी ने कहा कि पार्टी ने इस तथ्य पत्र के लिए पश्चिम बंगाल को खास तौर से इस लिए चुना है, कि वहां लगातार 30 साल से वामदलों की सरकार रही है. हम यह बताना चाहते हैं कि वाम दल जब एक ही राज्य में ठीक से सरकार नहीं चला सकते तो पूरे देश में सरकार की अगुवाई कैसे कर सकते हैं. लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या चुनाव के बाद सरकार के गठन के लिए कांग्रेस वाम दलों का सहयोग लेगी तो उन्होंने कहा कि राजनीति के यथार्थ में कुछ भी असम्भव नहीं होता. उन्होंने कहा कि 2004 में वाम दलों ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को समर्थन दिया और जुलाई 2007 में अपने राजनीतिक कारणों से समर्थन वापस ले लिया. यह उनका अपना फ़ैसला था. पार्टी ने पश्चिम बंगाल के कच्चे चिट्ठे में गिनाया है कि राज्य की जनता भुखमरी, कुपोषण, अशिक्षा, बेरोजगारी, गरीबी, बदहाली व कानून व्यवस्था की बदहाली में अव्वल है.


जनरल मोटर्स [जीएम] के मुख्य कार्यकारी फ्रिज हेंडरसन ने कहा कि जरूरत पड़ी तो कंपनी दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया के लिए तेजी से काम करेगी, ताकि इसका पुनर्गठन किया जा सके।
बदहाल कार निर्माता के प्रमुख ने कहा कि वह अदालत से बाहर जनरल मोटर्स के पुनर्गठन को तरजीह देंगे। हेंडरसन के हवाले से अखबार में कहा गया कि अदालत से बाहर जीएम के पुनर्गठन के विकल्प को तरजीह देंगे। कुछ दिनों पहले अमेरिकी सरकार के वाहन कार्यबल ने हेंडरसन को रिक वैग्नर के स्थान पर वाहन निर्माता कंपनी का प्रमुख कार्यकारी नियुक्त किया।


उद्योग संगठन फिक्की के सर्वे के अनुसार, 61 प्रतिशत निर्यातकों का मानना है कि 2009-10 में निर्यात में गिरावट आएगी या फिर यह स्थिर रहेगा।

सर्वे में कहा गया है कि निर्यातकों का यह अनुमान अपनी आर्डर बुक की वर्तमान स्थिति और बीते वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के अनुभव पर आधारित है। सर्वे में 125 निर्यातकों को शामिल किया गया है।

बीते वित्त वर्ष 2008-09 की पहली छमाही में निर्यात में 30 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई थी। लेकिन अक्टूबर से निर्यात में गिरावट आनी शुरू हो गई। अक्टूबर में पांच साल में पहली बार निर्यात में 12.1 फीसदी की गिरावट आई। उसके बाद से निर्यात लगातार नीचे आ रहा है। फरवरी में निर्यात 21.7 फीसदी घटा था।

सर्वे के अनुसार, इंजीनियरिंग सामान, रत्न एवं आभूषण, रसायन, मैरिन उत्पाद, टायर और कुछ हद तक चमड़ा क्षेत्र में निर्यात वृद्धि नकारात्मक या फिर स्थिर रहने का अनुमान है।

उद्योग मंडल के सर्वे में कहा गया है कि अमेरिका, यूरोपीय संघ, पश्चिम एशिया, आसियान और जापान से मांग घटने के कारण मार्च में समाप्त हुए वित्त वर्ष में निर्यात में गिरावट आई है। यह सर्वे मार्च के अंतिम दो सप्ताह में किया गया था।

सर्वे में हालांकि कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, कृषि उत्पाद, खेल सामग्री और परिधान निर्यात में एक से डेढ़ प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी हो सकती है।

सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा निर्यातकों ने कहा कि रुपए के कमजोर होने का निर्यात पर बेहद मामूली सकारात्मक असर पड़ा है, जबकि एक तिहाई का कहना था कि इसका कोई असर नहीं पड़ा है।



भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.5 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 252.33 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया है।

यह ताजा गिरावट 27 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में देखी गई है जिसकी वजह डॉलर के मुकाबले रुपये का पुनर्मूल्यांकन रही।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए अनुमानों के अनुसार विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, जिसमें यूरो, स्टर्लिंग और येन की कीमतों में आने वाले उतार-चढाव के प्रभाव भी शामिल हैं, में 1.64 अरब डॉलर की गिरावट आई है और यह 241.59 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया।

इसमें आईआईएफसी द्वारा जारी किए गए डिनॉमिनेटेड बॉन्ड में विदेशी मुद्रा में 2,500 लाख डॉलर का निवेश शामिल नहीं हैं। इसी अवधि के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड और विशेष निकासी अधिकार में कोई परिवर्तन नहीं देखा गया।

अंतरर्राष्ट्रीय मुद्रा भंडार (आईएमएफ) में रिजर्व पोजीशन में बढ़ोतरी देखी गई और यह 1,210 लाख डॉलर की छलांग लगाकर 9,820 लाख डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। पिछले दो सप्ताहों से विदेशी संस्थागत निवेशकों की शेयर बाजार में बिकवाली के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी देखने को मिली है। इस वजह से रुपये की कीमतों में भी सुधार हुआ है।

26 मार्च 2009 को रुपया 50.80 के स्तर पर बंद हुआ जबकि 20 मार्च को यह 50.64 के स्तर पर बंद हुआ था। इस समीक्षाधीन सप्ताह में भी विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 6,520 लाख डॉलर मूल्य के इक्विटी की खरीदारी की है।

साल-दर-साल के अधार पर विदेशी मुद्रा भंडार में 9 फीसदी की तेजी देखी गई और 27 मार्च 2009 की समाप्ति पर यह 9,47,014 रुपये दर्ज किया गया। इसकी मुख्य वजह आरबीआई के साथ जमा रकम में बढ़ोतरी रही। इसमें मौजूदा जारी मुद्रा, आरबीआई में बैंकरों के जमा रकम शामिल हैं। पिछले तीन महीनों के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 3-5 फीसदी के बीच झूल रही है।


जी-20 देशों की ओर से मंदी ग्रस्त अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए करीब 11 खरब डालर की रकम खर्च करने के ऐलान के बाद ग्लोबल बाजारों में तेजी आई है। इस मजबूती के असर से भी दलाल स्ट्रीट में अगले सप्ताह भी कुछ तेजी देखने को मिल सकती है, हालांकि बाजार में तेज उठापटक की संभावना बनी हुई है।



जी-20 शिखर सम्मेलन में दुनिया को स्लोडाउन से उबारने की रणनीति तैयार कर ली गई है। भारत समेत जी-20 के सभी देशों ने ग्लोबल फाइनैंशल
सिस्टम में करीब 1.1 ट्रिलियन डॉलर डालने, ग्लोबल बैंकिंग प्रणाली और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को रेग्युलेट करने के सिद्धांत बनाने पर सहमति जताई है। संरक्षणवाद की वकालत करने वाले देशों का नाम लेकर आलोचना करने का भी फैसला किया गया। मीटिंग से पहले स्टिमुलस पर चल रहे गहरे मतभेदों को भुलाकर जी-20 के नेताओं ने 6 पॉइंट प्लान तैयार किया।

जी-20 सम्मेलन की मेजबानी कर रहे देश ब्रिटेन के प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने कहा, 'वैश्विक मंदी से मुकाबले के लिए दुनिया एकजुट हो गई है। हमारे पास दुनिया की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की योजना है और इसके लिए हमने समय भी तय किया है।' ब्राउन ने बताया कि आईएमएफ को 500 अरब डॉलर की अतिरिक्त रकम मिलेगी। इससे आईएमएफ का फंड बढ़कर 750 अरब डॉलर हो जाएगा। हालांकि, दुनिया के कई अर्थशास्त्री जी-20 के इस पैकेज को लेकर बहुत उत्साह नहीं दिखा रहे।

रॉयल बैंक ऑफ कनाडा में उभरते हुए बाजारों के रणनीतिकार निगेल रेंडल ने कहा, 'आईएमएफ के खजाने में जितनी रकम डालने पर सहमति बनी है, वह उम्मीद से ज्यादा है। इसका मतलब यह है कि आर्थिक संकट में फंसी अर्थव्यवस्थाओं की मदद के लिए अब ज्यादा रकम मिल गई है। यह अच्छी खबर है। हालांकि, पूर्वी यूरोप में कुछ देश मुश्किल में हैं और उनका आर्थिक संकट जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा।'

वहीं, ब्राउन ने कहा कि इस डील की वजह से पलक झपकते ही संकट खत्म नहीं हो जाएगा। हालांकि, इससे मंदी की मियाद को कम करने और दुनिया भर में रोजगार बचाने में मदद मिलेगी। जी-20 की बैठक के बाद जारी हुए बयान में कहा गया है कि इस पैकेज से साल के आखिर तक वैश्विक उत्पादन में चार फीसदी तक बढ़ोतरी होगी। फ्रांस के प्रेसिडेंट निकोलस सार्कोजी ने कहा कि जी-20 की बैठक से इतने बेहतर नतीजे की उम्मीद शायद किसी को नहीं थी।

जर्मनी के वित्त मंत्री ने कहा कि अब देशों को अलग-अलग राहत पैकेज लाने की जरूरत नहीं है, इस बैठक में सदस्य देशों के बीच इस पर सहमति बन चुकी है। सम्मेलन से पहले इस मामले को लेकर सदस्य देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था। अमेरिका इस तरह के और पैकेज जारी करने की मांग कर रहा था। वहीं, फ्रांस और जर्मनी का कहना था कि जो उपाय पहले किए गए हैं, उनका असर देखने के बाद ही इस तरह के कदम उठाने की बात होनी चाहिए।

इन दोनों ने देशों को टैक्स हेवेन का दर्जा खत्म करने की मांग की थी। ब्राउन के मुताबिक, सदस्य देशों के बीच इस पर सहमति बनी है कि उन देशों को टैक्स हेवेन का दर्जा नहीं मिलेगा, जो मांगे जाने पर जानकारी मुहैया नहीं कराते हैं। उन्होंने बताया कि दुनिया भर के देशों को आईएमएफ और दूसरी एजेंसियों के जरिए एक लाख करोड़ डॉलर के इस पैकेज से मदद दी जाएगी।

जी-20 विकसित व प्रमुख विकासशील देशों का संगठन है। इसके फैसले से निवेशकों में उत्साह है, लेकिन आगामी आम चुनावों के कारण राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल भी है। बाजार 7 व 10 अप्रैल को क्रमश: महावीर जयंती और गुड फ्राइडे के उपलक्ष में बंद रहेगा। जी-20 के इस बड़े पैकेज की घोषणा से एशियाई व यूरोपीय बाजारों में तेजी आई।

विदेशी व घरेलू संस्थागत निवेशकों की चौतरफा लिवाली की बदौलत लगातार चौथे सप्ताह भारतीय शेयर बाजार ने सरपट दौड़ लगाई। 3 अप्रैल को समाप्त कारोबारी सप्ताह में बंबई शेयर बाजार [बीएसई] का सेंसेक्स 10 हजार व नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 3 हजार के जादुई आंकड़ों को पार कर गया। अमेरिका में जल्द आर्थिक रिकवरी की उम्मीद जैसी सकारात्मक खबरों के चलते सेंसेक्स एक हफ्ते पूर्व के मुकाबले करीब 300 अंक चढ़कर 25 सप्ताह के उच्चतम स्तर 10432.31 पर बंद हुआ। मुनाफावसूली के चलते सप्ताह की शुरुआत में यह 5 फीसदी गिर गया था। इन चार हफ्तों के दौरान इसमें 2023.01 अंक यानी 24.30 फीसदी की भारी तेजी आई है। इसी तरह नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी तेजी के साथ सप्ताहांत में 5 माह के उच्चतम स्तर 3211.05 अंक पर बंद हुआ। 3 अप्रैल को बाजार रामनवमी के अवकाश पर बंद था।

अमेरिका में मैन्यूफैक्चरिंग व आवास क्षेत्र के आंकड़ों में सुधार आने से वहां जल्द आर्थिक रिकवरी की उम्मीद ने अन्य ग्लोबल बाजारों में तेजी की राह मजबूत की। इसके साथ ही बीते वित्त वर्ष 2008- 09 के अंत में अपने शेयरों की नेट एसेट वैल्यू यानी एनएवी को ऊंचा दिखाने के लिए घरेलू फंडों ने लिवाली बढ़ा दी। इससे बाजार धारणा में काफी सुधार आया। इसके बाद भी निवेशकों का उत्साह बढ़ाने वाली सकारात्मक खबरें आती रहीं। इसके चलते बाजार ने पलट कर नहीं देखा।


ब्रिटेन के प्रधानमंत्री गार्डन ब्राउन ने कहा है कि कर से बचने के लिए हानिकारक तरीके अपनाए जाने की समस्या से निपटने के लिए हाल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंक गोपनीयता में ढील देने संबंधी पहल को और आगे बढ़ाने की जरूरत है।

ब्रिटेन में इस साल 35,000 कंपनियों के दिवालिया होने की आशंका है।
'इनसोल्वेंसी एंड रिस्ट्रक्चरिंग ग्रुप' बेजबाइस ट्रेनोर के अनुसार यह आंकड़ा 1990 के दशक के संकट के समय दिवालिया हुई कंपनियों की संख्या से 18 फीसदी अधिक है।

बेजबाइस ट्रेनोर के निक हूड के अनुसार दिवालिया होने वाली कंपनियों की संख्या 40,000 के आंकड़े को भी पार कर सकती है और इससे उन्हें कोई अचंभा नहीं होगा। उन्होंने समाचार पत्र 'द संडे टाइम्स' से यह भी कहा कि इस साल करीब 125,000 लोग दिवालिया हो सकते हैं।

लंदन गजेट के संपादक रिचर्ड गुडविन ने कहा कि दिवालिया होने की सूचना संबंधी पृष्ठों की औसत संख्या रोजाना 96 पहुंच गई है जबकि गत वर्ष यह संख्या 85 और वर्ष 2007 में 78 थी। उन्होंने कहा कि यह 1990 के दशक से बदतर हालात है। आज कारोबार को बचाने का बेहद कम विकल्प बचा है। पूर्व में दूसरे बैंक या अन्य कारोबारी के पास जाकर मदद लिया जा सकता था लेकिन इस बार स्थिति ऐसी नहीं है।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन [ओईसीडी] को लिखे पत्र में ब्राउन ने कहा है कि कर चोरी से मुकाबला करने के लिए पारदर्शिता बढ़ाई जानी चाहिए। ब्रिटिश प्रधानमंत्री चाहते हैं कि कर चोरी जैसी समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाना चाहिए। उन्होंने ओईसीडी से कहा, 'यह सुनिश्चित किया जाए कि इस समय हम जो पारदर्शिता हासिल कर रहे हैं उसका लाभ विकासशील देशों को भी मिले।'

आब्जर्वर अखबार ने प्रधानमंत्री के इस पत्र को कालेधान की पनाहगाहों पर 'तोप का पहला गोला' बताया है और कहा है कि इसके बाद शीघ्र ही इस मामले में और उच्चस्तरीय बैठके होंगी।

अंतरराष्ट्रीय कर प्रोटोकाल को बरकरार रखने का काम करने वाला ओईसीडी जल्द कर से बचने के लिए खतरनाक चालों विरुद्ध अभियान पुन: शुरू कर सकता है। इस प्रयास को 2001 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने रोक दिया था।

ब्राउन ने कहा कि वह चाहते हैं कि अमीर देशों की तरह विकासशील राष्ट्रों को भी कर संबंधी सूचनाएं आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए।


अपनी गाड़ी पटरी पर लौटने की राह देख रही सत्यम के इंतजार की अवधि 4 दिन और बढ़ गई है। आईटी कंपनी की 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की इच्छुक कंपनियों की मांग पर सत्यम के बोर्ड ने इसके लिए बोली जमा करने की अंतिम तारीख 9 अप्रैल से बढ़ाकर अब 13 अप्रैल कर दी है। सफल बोलीदाता के नाम का खुलासा भी इसी दिन हो जाने की उम्मीद है।

प्रवर्तन निदेशालय [ईडी] ने सत्यम कंप्यूटर और उसके संस्थापक तथा पूर्व चेयरमैन बी रामलिंगा राजू के खिलाफ कथित मनी लाउंडरिंग के आरोप में मामला दर्ज किया है। ईडी का दावा है कि उसके पास सत्यम और उसे सांस्थापक अध्यक्ष के खिलाफ मनी लांडरिंग में लिप्त होने के सबूत मिले हैं।
प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों ने बताया कि राजू ने विदेशों से हेराफेरी के जरिए धन ला कर हैदराबाद के समीप मेडचाल और कुतुबुल्लापुर में करीब 50 भूखंड खरीदने में लगाया। ईडी का कहना है कि मेतास के लिए भूखंड खरीदने और अन्य बुनियादी ढांचे हेतु सत्यम कंप्यूटर के खाते से सैकड़ों करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए। सूत्रों के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय को करीब 8000 करोड़ रुपये के लेखा घोटाले में फसी इस सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी के सौदों की जांच में मनी लांडरिंग का पता लगा है। एजेंसी ने इस हस्तांतरण में बैंक खातों से जुडे़ दस्तावेज प्राप्त करने के लिए अपने दल कुछ देशों में भी भेजेगा।


संस्थापक और पूर्व चेयरमैन बी. रामलिंगा राजू द्वारा सात जनवरी को किए गए 7800 करोड़ रुपये के खुलासे के बाद से सत्यम कंगाली की हालत में है। इसको इस स्थिति से बाहर निकालने की खातिर सरकार ने आईटी कंपनी को अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की इजाजत दी थी।
हैदराबाद स्थित सत्यम के बोर्ड के सदस्य और जाने-माने बैंकर दीपक पारेख ने बताया कि शुक्रवार को बोलीदाताओं से मुलाकात में बोली लगाने की तारीख बढ़ाने का फैसला किया गया। पारेख ने बताया कि बोलीदाता इस संकटग्रस्त कंपनी की हिस्सेदारी खरीदने से पहले इसकी वित्तीय देनदारियों के बारे में कुछ और आश्वस्त होना चाहते थे, इसलिए उन्होंने समय बढ़ाने की मांग की। सत्यम अपने बारे में इनके द्वारा मांगी गई जानकारियां एक-दो दिन में उपलब्ध करा देगी। बोलीदाताओं के द्वारा मांगी गई और जानकारी के आंकड़े सत्यम की वेबसाइट पर भी डाले जाएंगे ताकि इसकी बोली प्रक्रिया में अधिकतम पारदर्शिता बरती जा सके।

बीके मोदी समूह की स्पाइस के हटने के बाद सत्यम के लिए बोली लगाने वालों में अब सिर्फ पांच कंपनियां ही रह गई हैं। इनमें देश की दिग्गज इंजीनियरिंग कंपनी एलएंडटी और टेक महिंद्रा भी शामिल हैं। टेक महिंद्रा कामर्शियल वाहन बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा की आईटी फर्म है। इन दोनों कंपनियों के प्रतिनिधियों ने सरकार द्वारा गठित सत्यम के बोर्ड के चेयरमैन किरण कार्णिक से एक दिन पहले मुलाकात की थी। सत्यम में पहले से ही 12 फीसदी हिस्सेदारी होने के कारण एलएंडटी बोली की दौड़ में सबसे आगे मानी जा रही है।


अपनी गाड़ी पटरी पर लौटने की राह देख रही सत्यम के इंतजार की अवधि 4 दिन और बढ़ गई है। आईटी कंपनी की 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की इच्छुक कंपनियों की मांग पर सत्यम के बोर्ड ने इसके लिए बोली जमा करने की अंतिम तारीख 9 अप्रैल से बढ़ाकर अब 13 अप्रैल कर दी है। सफल बोलीदाता के नाम का खुलासा भी इसी दिन हो जाने की उम्मीद है।
संस्थापक और पूर्व चेयरमैन बी. रामलिंगा राजू द्वारा सात जनवरी को किए गए 7800 करोड़ रुपये के खुलासे के बाद से सत्यम कंगाली की हालत में है। इसको इस स्थिति से बाहर निकालने की खातिर सरकार ने आईटी कंपनी को अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की इजाजत दी थी।

हैदराबाद स्थित सत्यम के बोर्ड के सदस्य और जाने-माने बैंकर दीपक पारेख ने बताया कि शुक्रवार को बोलीदाताओं से मुलाकात में बोली लगाने की तारीख बढ़ाने का फैसला किया गया। पारेख ने बताया कि बोलीदाता इस संकटग्रस्त कंपनी की हिस्सेदारी खरीदने से पहले इसकी वित्तीय देनदारियों के बारे में कुछ और आश्वस्त होना चाहते थे, इसलिए उन्होंने समय बढ़ाने की मांग की। सत्यम अपने बारे में इनके द्वारा मांगी गई जानकारियां एक-दो दिन में उपलब्ध करा देगी। बोलीदाताओं के द्वारा मांगी गई और जानकारी के आंकड़े सत्यम की वेबसाइट पर भी डाले जाएंगे ताकि इसकी बोली प्रक्रिया में अधिकतम पारदर्शिता बरती जा सके।

बीके मोदी समूह की स्पाइस के हटने के बाद सत्यम के लिए बोली लगाने वालों में अब सिर्फ पांच कंपनियां ही रह गई हैं। इनमें देश की दिग्गज इंजीनियरिंग कंपनी एलएंडटी और टेक महिंद्रा भी शामिल हैं। टेक महिंद्रा कामर्शियल वाहन बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा की आईटी फर्म है। इन दोनों कंपनियों के प्रतिनिधियों ने सरकार द्वारा गठित सत्यम के बोर्ड के चेयरमैन किरण कार्णिक से एक दिन पहले मुलाकात की थी। सत्यम में पहले से ही 12 फीसदी हिस्सेदारी होने के कारण एलएंडटी बोली की दौड़ में सबसे आगे मानी जा रही है।

पैकेज्ड साफ्टवेयर को दोहरे कराधान से बचाने के लिए वित्त मंत्रालय तरीके और विकल्प तलाश रहा है, ताकि उन पर पड़ रहे कर के बोझ को कम किया जा सके।
वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि हम उनको दोहरे कराधान से बचाने के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं। फिलहाल पैकेज्ड साफ्टवेयर को उत्पाद या सेवा के तौर पर लिए जाने का कोई निश्चित तरीका नहीं है। हम उन पर इस तरह कर लगाने के तरीके की तलाश कर रहे हैं कि उन पर दोहरे कर न लग सकें।

उपाय के तौर पर सरकार इन उत्पादों पर या तो सेवा कर या फिर उत्पाद शुल्क में कटौती कर सकती है।

साफ्वेयर उद्योग सरकार से करों में कमी की मांग कर रहा है। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड को दोहरे कराधान के कारण लागत में बढ़ोतरी से जूझ रहे कई साफ्टवेयर उद्योग से इस बारे में सिफारिश मिली है।

अधिकारी ने कहा कि कई साफ्टवेयर विनिर्माताओं, माईक्रोसाफ्ट, नैस्काम, एमएआईटी और करदाता हमारे पास आए।



सरकार ने आज कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से प्रमुख दरों में कमी के मद्देनजर बैंक विशेषकर निजी क्षेत्र के बैंक पर्याप्त रूप से ब्याज दरों में कटौती नहीं कर रहे हैं।

सीआईआई की सालाना बैठक में कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर ने कहा कि बैंक विशेषकर निजी क्षेत्र के बैंकों ने ब्याज दरों में उतनी कटौती नहीं की है जितनी रिजर्व बैंक की ओर से प्रमुख दरों में कमी किए जाने के बाद उम्मीद थी।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने कल कहा था कि आरबीआई यह समझने के लिए बैंकों के साथ बातचीत कर रहा है कि केंद्रीय बैंक की ओर से प्रमुख दरों में कटौती के बावजूद ब्याज दरों में कमी क्यों नहीं हो रही है।

आरबीआई ने 2008 के सितंबर मध्य से रेपो (कर्ज देने) और रिवर्स रेपो (कर्ज लेने) की दरों में चरणबध्द तरीके से क्रमश: 4.0 फीसदी और 2.5 फीसदी की कटौती की है। ये दरें अब क्रमश: 5.0 प्रतिशत और 3.5 प्रतिशत है। इसके अलावा, उसके बाद से अर्थव्यवस्था में नकदी की मात्रा बढ़ाने के लिए नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में चार फीसदी तक कटौती की गई है।

वृध्दि दर 6.5 फीसदी रहेगी: मोंटेक

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने आज कहा कि भारत चालू वित्त वर्ष और 2009-10 के दौरान देश की वृध्दि दर 6.5 फीसदी या इससे ज्यादा रह सकती है। अहलूवालिया ने आज सीआईआई के सम्मेलन में कहा कि अगले वित्त वर्ष में हमारी वृध्दि दर सात फीसदी से कम रह सकती है।

वर्ष 2008-09 में यह 6.5 फीसदी से 6.7 फीसदी के बीच रही। उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान भी वृध्दि दर यही रहेगी। अहलूवालिया ने कहा पहले घोषित प्रोत्साहन पैकेज का असर अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही से दिखना शुरू हो जाएगा। बकौल अहलूवालिया हालात खराब नहीं हैं लेकिन नकारात्मक रवैए से जोखिम की धारणा फैल गई है।

उन्होंने कहा कि कैलेंडर वर्ष के आधार पर 2009 पिछले साल के मुकाबले उल्लेखनीय रूप से बुरा होगा। उन्होंने कहा कि रोजकोषीय और मौद्रिक दोनों नीतियों को जोखिम की धारणाओं से निपटना होगा। अहलूवालिया ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था किसी मामले में कमजोर नहीं है और उस पर बुरा असर नहीं होगा।

मुद्रास्फीति

वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति शून्य से दो फीसदी ऊपर या नीचे के दायरे में रहेगी। विरमानी ने सीआईआई के सम्मेलन में कहा, 'यदि एक साल का नजरिया रखें तो इस मार्च से लेकर अगले मार्च तक मुझे उम्मीद है मुद्रास्फीति शून्य और इससे दो फीसदी ऊपर या नीचे रहेगी।'

थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर घटकर 14 फरवरी को समाप्त सप्ताह में 0.27 फीसदी हो गई है जो पिछले तीन दशक का निम्नतम स्तर है। अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि मुद्रास्फीति जल्दी ही शून्य के नीचे गिर जाएगी। सतत अपस्फीति की संभावना से इन्कार करते हुए विरमानी ने कहा कि जीडीपी के लिए उपयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति का ज्यादा संकेत देता है और इसके शून्य के करीब जाने की कोई उम्मीद नहीं है।



वोकहार्ट को एसबीआई देगा 100 करोड़ रुपए का कर्ज
4 Apr 2009, 1252 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स

http://hindi.economictimes.indiatimes.com/articleshow/4358568.cms



जापान लगाएगा खाद्य संकट के जख्म पर मरहम

ब्लूमबर्ग / May 19, 2008









देव चटर्जी

मुंबई : नकदी संकट से जूझ रही दवा कंपनी वोकहार्ट को उम्मीद की एक नई रोशनी नजर आ गई है। देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने कंपनी को 100 करोड़ रुपए देने की मंजूरी दे दी है। वोकहार्ट के लिए आवश्यक कामकाजी पूंजी की सप्लाई के लिए एसबीआई ने पिछले हफ्ते इस कर्ज पर मुहर लगाई थी। इस मामले में अधिक जानकारी के लिए जब वोकहार्ट के प्रवक्ता से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की। प्रवक्ता ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि बैंक ने इस कर्ज के लिए क्या शर्तें निर्धारित की हैं। उल्लेखनीय है कि धन की कमी से जूझ रही कंपनी के निदेशक मंडल ने इसे आईसीआईसीआई बैंक के जरिये सीडीआर सेल में भेजने का फैसला किया है, जहां इसके कर्ज को पुनर्गठित किया जाएगा।

कंपनी के निदेशक मंडल के एक सूत्र ने ईटी को बताया कि वोकहार्ट ने विदेशी बैंकों द्वारा बेचे गए फॉरेक्स उत्पाद में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। सूत्र ने यह भी बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष में वोकहार्ट अपने बहीखाते में सभी नुकसानों के लिए प्रोविजन (प्रावधान) बनाएगा।

नाम जाहिर न करने की शर्त पर निदेशक मंडल के एक सदस्य ने कहा, 'यह मुश्किल दौर है। कंपनी के फॉरेक्स डेरिवेटिव पर लगाए दांव गलत साबित हुए हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में कंपनी अपने बहीखातों में सभी नुकसानों के भरपाई की कोशिश करेगी।' उन्होंने कहा, 'फंड जमा करने के लिए कंपनी अपनी परिसंपत्तियां और विदेशी कारोबार बेचने की तैयारी कर रही है। हालांकि, कंपनी का मूल कारोबार अभी भी मुनाफे में चल रहा है।' आईसीआईसीआई बैंक के बाद एसबीआई पहले भी कंपनी को 750 करोड़ रुपए का कर्ज दे चुकी है। वोकहार्ट का निदेशक मंडल बहीखातों पर फैसले के लिए इस महीने के आखिर में बैठक करने वाली है।

इस दौरान रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कंपनी के पास-थ्रू सर्टिफिकेट्स(पीटीसी) घटा दिए हैं। कंपनी की रेटिंग में यह गिरावट वोकहार्ट द्वारा इंटरेस्ट भुगतान न कर पाने की वजह से हुई है। एक्सिस बैंक ने इस डिफॉल्ट की पुष्टि कर दी है। रेटिंग एजेंसी का कहना है, 'क्रिसिल का मानना है कि वोकहार्ट ने देनदारियों के भुगतान न करने का फैसला किया है।' दिसंबर 2008 को खत्म वित्त वर्ष के नतीजों को लेकर अप्रैल के आखिरी हफ्ते में कंपनी के निदेशक मंडल की बैठक होने वाली है।

एक बैंकिंग स्त्रोत ने बताया कि जापानी येन से जुड़े रहने की वजह से कई भारतीय कंपनियों पर रिकॉर्ड देनदारी होने की उम्मीद है। पिछले साल नवंबर में डॉलर के मुकाबले जापानी येन के टूटकर 100 के नीचे जाने की वजह से कई कंपनियों के फॉरेक्स सौदे गलत साबित हुए हैं। बैंकर ने कहा कि इस सौदे में ग्राहकों के सभी ऑर्डर फोन पर टेप किए जाते हैं ऐसे में कोई ग्राहक बाद में अपने सौदे से पीछे नहीं हट सकता। गुरुवार को कारोबार खत्म होने के बाद वोकहार्ट के शेयर बगैर किसी बदलाव के 76 रुपए पर बंद हुए।


वैश्विक खाद्य संकट के गहराते बादलों को कुछ हद तक साफ करने के लिए जापान दो लाख टन चावल का निर्यात कर सकता है।

इस चावल को जापान ने विश्व व्यापार संगठन के एक समझौते के तहत खरीदा था। दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों की मांग को देखते हुए जापान इस चावल के भंडार को फिलीपींस भेजने पर विचार कर रहा है।

देश के उप कृषि मंत्री तोशिरू शिरासु ने टोक्यो में संवाददाताओं को बताया कि चावल से लदे जहाजों को फिलीपींस भेजा जाएगा। भारत और विएतनाम जैसे देशों की ओर से घरेलू बाजार में उपलबधता बनाए रखने के लिए निर्यात पर रोक लगाने के बाद दुनिया भर में चावल की किल्लत देखने को मिल रही है। हेती से लेकर मिस्त्र तक चावल और आटे को लेकर दंगा फसाद शुरू हो गया है।

कीमतों में लगी आग की वजह से फिलीपींस जो चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है घरेलू मांग को पूरा करने के लिए चावल की खरीद नहीं कर पा रहा था। शिरासु ने कहा, 'हम जल्द से जल्द चावल से लदे जहाज फिलीपींस भेजना चाहते हैं।' अमेरिका के एक व्यापार अधिकारी ने पिछले हफ्ते ही खुलासा किया था कि अगर जापान विश्व में जारी खाद्य संकट में थोड़ी राहत पुहंचाने के लिए अपने चावल भंडार को खोलना चाहता है तो इस पर अमेरिका को कोई आपत्ति नहीं होगी।

उन्होंने साथ ही इस बात से भी इनकार किया था कि डब्लूटीओ इस मसले पर कोई शिकायत कर सकता है। हालांकि 16 मई को शिकागो ट्रेडिंग के दौरान चावल की कीमतें छह हफ्तों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई थीं। इसके पीछे इन अटकलों का हाथ था जिनके मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि जापान और पाकिस्तान विश्व को अपनी ओर से दी जाने वाली खाद्य आपूर्ति में थोड़ी ढिलाई बरत सकते हैं।

इधर फिलीपींस अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए एक निजी संगठन से भी चावल खरीद के बारे में बात कर रहा है। फिलीपींस की योजना जापान से 50,000 टन घरेलू चावल खरीदने की है। एक सरकारी अधिकारी के अनुसार जापान के पास करीब 12 लाख टन का विदेशी चावल भंडार है।




संपत्तियां बेच कर्ज चुकाएगी यूनिटेक
राघवेंद्र कामत और नीरज ठाकुर / मुंबई/नई दिल्ली April 04, 2009






रियल्टी कंपनी यूनिटेक अपनी परिसंपत्तियों को बेचकर जून के अंत तक कर्ज के बोझ को कुछ कम करने की योजना बना रही है।

31 मार्च 2008 तक कंपनी पर करीब 10,465 करोड़ रुपये का कर्ज था। हालांकि पिछले वित्त वर्ष में बैंकों और म्युचुअल फंड कंपनियों के साथ कर्ज का पुनर्गठन और कुछ रकम का भुगतान करने के बाद अब कंपनी पर करीब 8,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।

सूत्रों का कहना है कि कंपनी अगले 2 से 3 महीनों में कर्ज की इस रकम को कम कर 7,000 करोड़ रुपये तक लाने की योजना बना रही है। सूत्रों का कहना है कि कंपनी परिवर्तनीय उपगमों के जरिए करीब 500 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही है। कंपनी के प्रवक्ता ने फंड की व्यवस्था करने की योजना का खुलासा करने से इनकार कर दिया।

सूत्रों का कहना है कि कंपनी चालू वित्त वर्ष में परिसंपत्तियों की बिक्री और अन्य स्रोतों से 1700 करोड़ रुपये जुटाने की योजना भी बना रही है। कंपनी दिल्ली के साकेत ऑफिस कॉम्प्लेक्स को भी बेचने की योजना बना रही है। इससे उसे 500 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही कंपनी कुछ अस्पताल और स्कूल प्लाटों की भी बिक्री कर सकती है।

हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि कंपनी के लिए परिसंपत्तियों को बेचकर पैसे की व्यवस्था करना आसान नहीं होगा। सिटीगु्रप के विश्लेषक ने हाल के रिपोर्ट में कहा था कि यूनिटेक ने दूरसंचार कंपनी में अपनी हिस्सेदारी और गुड़गांव होटल को बेचने में सफलता प्राप्त की है, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए अब परिसंपत्तियों की बिक्री करना टेढ़ी खीर साबित हो सकती है।

संचुरियन ब्रोकिंग के इक्विटी विश्लेषक रूपेश सांखे का कहना है कि कंपनी को मौजूदा परियोजनाओं के लिए भी नकदी की व्यवस्था करने में परेशानी आ सकती है, लेकिन कंपनी कर्जदारों से धन की व्यवस्था कर लेगी।

सूत्रों के मुताबिक, यूनिटेक को दूरसंचार कंपनी में हिस्सेदारी बेचकर 380 करोड़ रुपये मिले हैं, जिसका इस्तेमाल वह म्युचुअल फंड कंपनियों के कर्ज भुगतान में कर सकती है। इसके साथ ही कंपनी गुड़गांव के होटल को 235 करोड़ रुपये में बेचा है, जिसका 45 फीसदी रकम कंपनी को पहले ही मिल चुकी है।

गौरतलब है कि कंपनी को 31 मार्च 2009 तक बैंकों और म्युचुअल फंड कंपनियों को करीब 2,500 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। कंपनी के एक अधिकारी का कहना है कि दूरसंचार कंपनी में हिस्सेदारी बेचने से मिले 380 करोड़ रुपये का उपयोग म्युचुअल फंड कंपनियों के कर्ज भुगतान में किया जा सकता है।

जून तक 1000 करोड़ रुपये के कर्ज चुकाने की बना रही है योजना
दिल्ली के साकेत स्थित ऑफिस कॉम्प्लेक्स को भी बेचने की तैयारी



और फैलेगा टैक्स का जाल
सीडीबीटी की नई अधिसूचना पड़ सकती है छोटे सेवाप्रदाताओं पर भारी

बीएस संवाददाता / नई दिल्ली April 04, 2009






केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की नई अधिसूचना की वजह से अब टैक्स वसूली का दायरा बढ़ सकता है। इस नई अधिसूचना की वजह से अब छोटे सेवा प्रदाताओं को भी टैक्स भरना पड़ सकता है।

एक अप्रैल से लागू हो चुकी इस अधिसूचना के तहत अब टीडीएस फॉर्म में उस व्यक्ति के परमानेंट अकाउंट नंबर (पैन) का उल्लेख करना जरूरी है, जिसके आय के स्रोत पर से ही टैक्स काटा जा चुका है। अगर फॉर्म में पैन का उल्लेख नहीं होगा, तो फॉर्म अमान्य करार दे दिया जाएगा।

एक अप्रैल से पहले तक छोटे सेवा प्रदाताओं की सेवाओं का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों के लिए उनके पैन के बारे जानकारी देना जरूरी नहीं होता था। अर्नेस्ट एंड यंग में साझीदार समीर कानाबार का कहना है कि, 'इससे टैक्स का दायरा तो बढ़ जाएगा, लेकिन इसकी वजह से करदाताओं को अब लालफीताशाही से भी जूझना पड़ेगा।'

पैन के साथ-साथ इस व्यवस्था के तहत हर भुगतान के लिए एक खास ट्रांजैक्शन नंबर (यूटीएन) को भी जारी किया जाएगा। पैन और यूटीएन का मतलब यह है कि हर भुगतान का रिकॉर्ड होगा और कंपनियां इन भुगतानों पर कर्ज की भी मांग कर सकती हैं। भारतीय कर भुगतान प्रणाली के तहत करदाता टैक्स चुकाते वक्त पहले से चुकाए गए कर को काट सकते हैं।

कानाबार का कहना है कि इन दो नंबरों (पैन और यूटीएन) की मदद से कर विभाग उन लोगों को भी पकड़ सकते हैं, जो टैक्स तो काट चुके हैं, लेकिन सरकार को उसका भुगतान नहीं किया है। इस अधिसूचना का मतलब यह हुआ कि अब टीडीएस के तहत टैक्स काटने वालों को, फिर चाहे वे छोटे हों या बड़े, सिर्फ इलेक्ट्रोनिक माध्यमों से ही कर को भरना होगा।

पहले छोटे स्तर पर काम करने वालों को इलेक्ट्रोनिक माध्यमों से टैक्स भरने के प्रावधान में छूट दी गई थी। अगर इस अधिसूचना छोटे सेवा प्रदाताओं के लिए मुसीबत का सबब बनकर आई है, तो इसने बड़ी कंपनियों को भी राहत भरी खबर सुनाई है। इसके तहत अब बड़ी कंपनियां के लिए टैक्स भरने की प्रक्रिया को आसान बना दिया गया है।

इन बड़ी कंपनियों को सैलरी, किराया और कंसल्टिंग फीस के तौर पर कई मामलों में टैक्स चुकाना पड़ता है। इससे पहले कंपनियों को अलग-अलग श्रेणियों (फिर चाहे वे सैलरी हों या किराया) के तहत टैक्स चुकाना पड़ता था। लेकिन इस अधिसूचना की वजह से अब ये कंपनियां एक साथ ही सारे टैक्स चुका सकती है।



महाजनी फंदे में फंसे बुनकर
नम्रता आचार्य / कोलकाता April 04, 2009






बैंकों से ऋण नहीं मिलने के कारण पश्चिम बंगाल का बुनकर समुदाय एक बार फिर से महाजनों के शिकंजे में फंस गया है। राज्य के बैंक इन बुनकरों को ऋण नहीं दे रहे हैं।

राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के फोकस पेपर 2009-10 के मुताबिक राज्य में लगभग 2,210 पंजीकृत हैंडलूम बुनकरों की सहकारी समिति हैं। लेकिन फिलहाल इनमें से सिर्फ 500 ही काम कर रही हैं।

सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैंडलूम समिति भी कार्यशील पूंजी का इंतजाम करने के लिए महाजनों के सामने हाथ फैला रही हैं जो इनसे 30 फीसदी की दर से ब्याज वसूल रहे हैं।

राज्य के वर्द्धमान जिले में बसाकपाड़ा तांगेल तांतुबे समाबे समिति के जी सी बसाक ने बताया, 'हम ऋण लेने के लिए बैंक की जरूरी शर्तों को पूरा नहीं कर सकते हैं, इसीलिए बैंकों ने हमें ऋण देना ही बंद कर दिया है। घरेलू बाजार में हैंडलूम उत्पादों की मांग होने के बावजूद हमारा उत्पादन लगातार घट रहा है, ऐसे में भी महाजन अपनी मनचाही दर पर ऋण देते हैं।'

हैंडलूम सोसाइटी के लिए पूंजी का मुख्य स्रोत केंद्रीय जिला सहकारी बैंक (डीसीसीबी) होते थे। हालांकि डीसीसीबी की वित्तीय हालत भी अच्छी नहीं है। इसीलिए हैंडलूमों को दी जा रही आर्थिक सहायता भी रूक गई है। पहले डीसीसीबी प्राथमिक बुनकर समितियों को आर्थिक सहायता देने के लिए नाबार्ड से मदद मिलती थी। लेकिन अब डीसीसीबी को यह सुविधा नहीं मिलती है।

पश्चिम बंगाल राज्य सहकारी बैंक के एक अनुमान के अनुसार हैंडलूम क्षेत्र पर सहकारी बैंकों का लगभग 75 करोड़ रुपये बकाया है। पश्चिम बंगाल राज्य सहकारी बैंक के चेयरमैन समीर घोष ने बताया, 'हम नादिया और वर्द्धमान में मौजूद कुछ हैंडलूम समितियों को आर्थिक सहायता मुहैया करा रहे हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर इकाइयां अब काम नहीं कर रही हैं। इस उद्योग में डिफॉल्टरों की संख्या भी बढ़ रही है।'

नाबार्ड की रिपोर्ट के अनुसार सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैंडलूमों के अलावा राज्य में लगभग 3,50,994 हैंडलूम हैं। इनमें 6 लाख से भी ज्यादा लोग काम करते हैं।

http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=16852



राजस्थान के बजाय पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग से चुनाव लड़ सकते हैं जसवंत सिंह



(विश्वेंद्र सिंह)



नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, कांग्रेस के गोविंदा के बाद राजस्थान में अपनी चुनावी सभा में रुपए बांटने के मामले में चुनाव आयोग का निशाना बने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह अब पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग लोकसभा सीट से चुनान लड़ सकते हैं।



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वरुण गाँधी के भड़काऊ भाषणों का आख़िर मतलब क्या है?



राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष जसवंत सिंह के मामले में यह नाटकीय मोड़ गुरूवार को उस समय आया जब गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष विमल गुरंग और दावा शेरपा शाम को आडवाणी से मिलने उनके घर पहुंचे। इससे थोड़ी देर पहले जसवंत वोट के बदले नोट मामले में पार्टी के शीर्षस्थ नेता को सफाई देकर लौटे थे।









नोट बांटने का मामला चुनाव आयोग को

उधर जयपुर से खबर है कि राजस्थान राज्य निर्वाचन विभाग ने भाजपा सांसद जसवंत सिंह के रुपए व भोजन के पैकेट बांटने के मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट गुरुवार को केंद्रीय चुनाव आयोग को भेज दी।




सूत्रों के अनुसार फैक्स करने के साथ मूल रिपोर्ट भी भेजी गई है। इस मामले से सम्बंधित सीडी विभाग बुधवार को ही आयोग को भेज चुका है। इस मामले में आयोग सोमवार को विचार करेगा।



http://www.merikhabar.com/fullstory.aspx?storyid=4705



टेलिकॉम CEO PM से बोले- 2.5 करोड़ जॉब्स दे सकते हैं
3 Apr 2009, 1802 hrs IST,टाइम्स न्यूज नेटवर्क प्रिन्ट ईमेल Discuss शेयर
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नई दिल्ली : दुनिया भर की प्रमुख टेलीकॉम कंपनीज समेत भारती एअरटेल के सुनील मित्तल ने प्रधानमंत्री मनमोह
न सिंह को पत्र लिख कर कहा है कि टेलीकम्युनिकेशन कंपनीज 2.5 करोड़ जॉब्स पैदा कर सकने का माद्दा रखती हैं और विश्व की जीडीपी में 3 से 4 परसेंट की बढ़ोतरी कर सकती हैं।

प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों के सीईओ ने पीएम को प्रपोजल भेज कर इसे जी20 के सामने रखने की सिफारिश करते हुए कहा है कि वह बैठक में ग्लोबल मंदी से उबरने में टेलीकॉम कंपनियों द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका के बारे में बताएं।

यह पत्र 27 मार्च को लिखा गया है। इसमें एटीएंडटी मोबाइल, एरिक्सन, अलकैटल ल्यूसेंट, ओरासकॉम, एमटीएन ग्रुप और कई अन्य कंपनियों के सीईओ ने कहा है कि मोबाइल ब्रॉडबैंड के फैलाव (डिपलॉयमेंट) के जरिए दुनिया भर में 2.5 करोड़ जॉब्स पैदा की जा सकती हैं और दुनिया की जीडीपी को 3 से 4 परसेंट तक बढ़ाया जा सकता है। पर, इसके लिए शर्त यह होगी कि इसे प्राइवेट कैपिटल द्वारा फाइनेंस करवाया जाए।

पत्र में लिखा है, "लंदन में जी20 की बैठक की तैयारियों के दौरान हम प्राइवेट सेक्टर की ओर से नए इकॉनमी की बेहतरी के लिए नए इंफ्रास्ट्रक्चर की पेशकश कर रहे हैं जिससे दुनिया भर को फायदा होगा।"मोबाइल इंडस्ट्री ने जी20 देशों से इस बाबत दो विशेष कदम उठाने की मांग की है। कंपनीज चाहती हैं कि मोबाइल इंडस्ट्री को रेडियो स्पेक्ट्रम मुहैया करवाया जाए ताकि नए नेटवर्क की स्थापना की जा सके। कंपनीज चाहती हैं कि इन देशों की ओर से कम से कम हस्तक्षेप करने वाला माहौल मुहैया करवाया जाए । मोबाइल इंडस्ट्री का कहना है कि अगले पांच सालों में यह 800 अरब डॉलर का बाजार में इनवेस्टमेंट करेगी। इसमें से 550 अरब मोबाइल ब्रॉडबैंड के लिए लगाया जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि इससे 2.4 अरब लोग इंटरनेट से जुड़ सकेंगे। प्रमुख टेलीकॉम कंपनीज के सीईओ का कहना है कि इससे दुनिया भर में रोजगार मुहैया हो सकेगा।





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http://hindi.infotech.economictimes.indiatimes.com/articleshow/4358072.cms


माया को प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं दलित









नईदुनिया टीम
नई दिल्ली। जनता का बहुमत वरुण गाँधी के चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं है। दलित मतदाताओं का बहुमत मायावती को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहता है। रामविलास पासवान का नंबर इसके बाद है जबकि कांग्रेसी नेता सुशील कुमार शिंदे तीसरे नंबर पर हैं। खास बात यह है कि हर वर्ग का बहुमत चाहता है कि गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ मिले।

मुस्लिम और दलित मतदाताओं का बहुमत कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की नीतियों से संतुष्ट है। लेकिन भाजपा के खिलाफ एकतरफा मतदान को लेकर मुसलमानों में भारी कशमकश है। उच्च शिक्षा में पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की वजह से सवर्णों का बहुमत कांग्रेस से नाराज है लेकिन पिछड़ों का बहुमत इसे लेकर कांग्रेस से खुश है। यह नतीजे नईदुनिया-न्यूज एक्स के ताजा सर्वेक्षण के हैं।

हाल ही में नईदुनिया-न्यूज एक्स ने दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, प. बंगाल, जम्मू-कश्मीर, असम, महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में तैनात अपने करीब आठ सौ संवाददाताओं के जरिए कराए गए सर्वेक्षण में सामान्य, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और अनुसूचित जाति के मतदाताओं से उनसे जुड़े मुद्दों पर कुछ सवाल पूछे। इन्हीं के जवाब में उपर्युक्त नतीजे सामने आए हैं। सर्वेक्षण में 7828 लोगों से बातचीत की गई।

नईदुनिया-न्यूज एक्स सर्वेक्षण के नतीजों के मुताबिक 57 फीसदी लोगों की राय है कि अपने सांप्रदायिक भाषणों के लिए रासुका के तहत एटा जेल में बंद वरुण गाँधी को चुनाव मैदान से हटाने की चुनाव आयोग की सलाह भाजपा को माननी चाहिए जबकि 43 फीसदी लोग आयोग की सलाह से सहमत नहीं हैं। 6 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी। इसी तरह भारी बहुमत से लोगों ने जातिगत समीकरणों के आधार पर मतदान से इंकार किया है। 70 फीसदी लोग जातिगत समीकरणों के आधार पर मतदान के खिलाफ हैं, जबकि 24 फीसदी सहमत हैं। 6 प्रतिशत लोगों की कोई राय नहीं है।

सर्वेक्षण में मुस्लिम मतदाताओं के बहुमत यानी 59 फीसदी लोगों ने यूपीए सरकार की अल्पसंख्यक कल्याण नीतियों के प्रति संतोष जाहिर किया, जबकि 33 फीसदी लोग संतुष्ट नहीं हैं। 8 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी। आमतौर पर माना जाता है कि मुस्लिम मतदाता भाजपा के खिलाफ एकतरफा मतदान करते हैं। लेकिन सर्वेक्षण में मुसलमानों में इस सवाल पर कि क्या वे भाजपा को रोकने के लिए एकतरफा मतदान करेंगे, एक राय नहीं मिली।

जहाँ 48 फीसदी लोगों ने कहा कि वे भाजपा के खिलाफ एकतरफा मतदान करेंगे, वहीं 43 फीसदी लोग इसके खिलाफ हैं। 9 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी। लेकिन मुस्लिम मतदाताओं का बहुमत (करीब 50 फीसदी) लोग यह मानते हैं कि भाजपा आतंकवाद के मुद्दे को मुसलमानों के खिलाफ अपनी ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए इस्तेमाल करती है। लेकिन 40 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता ऐसा नहीं मानते और 10 फीसदी कहते हैं कि उन्हें इस बारे में कुछ भी पता नहीं है।

नईदुनिया-न्यूज एक्स सर्वेक्षण से यह धारणा भी टूटी है कि अटलबिहारी वाजपेयी के चुनावी राजनीति से हट जाने के बाद सवर्ण मतदाता भाजपा से दूर हो गए हैं। सर्वेक्षण में सवर्ण मतदाताओं से जब यह पूछा गया कि अटलबिहारी वाजपेयी के राजनीति में सक्रिय न होने के बाद क्या वे भाजपा के पक्ष में मतदान करेंगे तो 61 फीसदी लोगों ने हाँ कहा जबकि 30 फीसदी ने कहा, नहीं। 9 फीसदी ने कोई राय नहीं दी। कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा उच्च शिक्षा में पिछड़ों को आरक्षण देने से सवर्णों में नाराजगी अभी बरकरार है। 55 फीसदी लोगों ने कहा कि इस वजह से वे कांग्रेस से नाराज हैं, जबकि 38 फीसदी ने कहा कि नाराजगी नहीं है। 7 फीसदी ने तटस्थता दिखाई।

सवर्ण गरीबों को आरक्षण के पक्ष में 83 फीसदी लोगों ने हाँ कहा, सिर्फ 13 फीसदी ने कहा कि उन्हें आरक्षण नहीं मिलना चाहिए। 4 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी। इसी तरह सवर्णों का भारी बहुमत पिछड़ों और दलितों के संपन्न परिवारों को आरक्षण के खिलाफ है। सर्वेक्षण में 84 फीसदी लोगों ने कहा कि संपन्न पिछड़ों और संपन्न दलितों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। 12 फीसदी ने इसके उलट राय दी जबकि 4 फीसदी की कोई राय सामने नहीं आई।

पिछड़े वर्ग के मतदाताओं का भी भारी बहुमत गरीब सवर्णों को आरक्षण के पक्ष में है। इस बारे में पूछे गए सवाल पर 75 फीसदी लोगों ने हाँ कहा जबकि सिर्फ 18 फीसदी लोगों ने ना कहा। 7 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी। उच्च शिक्षा में पिछड़ों को आरक्षण दिए जाने के यूपीए सरकार के फैसले का असर इस वर्ग में कांग्रेस के पक्ष में दिख रहा है।

पिछड़े वर्ग के मतदाताओं से जब यह पूछा गया कि कांग्रेस गठबंधन सरकार के इस कदम की वजह से क्या वे कांग्रेस के पक्ष में वोट देंगे? तो 60 फीसदी लोगों ने हाँ कहा जबकि 30 फीसदी ने कहा, नहीं। 10 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी। संपन्न पिछड़ों को आरक्षण का लाभ मिलने के पक्ष में 53 फीसदी लोगों ने राय दी जबकि 40 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्हें यह लाभ नहीं मिलना चाहिए। 7 फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी।

अनुसूचित जाति के मतदाताओं में बहुमत का मानना है कि कांग्रेस गठबंधन की सरकार की नीतियों से दलितों का भला हुआ है। 56 फीसदी लोगों ने इसके पक्ष में राय दी जबकि 32 फीसदी लोग इससे सहमत नहीं हैं। अनुसूचित जाति के नेताओं में प्रधानमंत्री पद के लिए पहली पसंद मायावती हैं। 61 फीसदी दलित उन्हें प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं,जबकि 26 फीसदी लोग रामविलास पासवान को और 13 फीसदी लोग कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते हैं।

सर्वेक्षण का राज्यवार क्रम से विश्लेषण करने पर बेहद दिलचस्प तस्वीर सामने आती है। उत्तरप्रदेश में जहाँ वरुण गाँधी पर रासुका भाजपा के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है, वहाँ 68.5 फीसदी लोगों ने वरुण को उम्मीदवार न बनाने की चुनाव आयोग की सलाह से सहमति जताई। प. बंगाल, मध्यप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान में बहुमत की राय वरुण को उम्मीदवार न बनाए जाने के पक्ष में है। लेकिन हरियाणा और मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में वरुण को सहानुभूति भी मिली है।

अटलबिहारी वाजपेयी की सक्रिय राजनीति में अनुपस्थिति के बावजूद सवर्ण मतदाताओं का ज्यादातर राज्यों में बहुमत भाजपा के साथ है, लेकिन प. बंगाल में सवर्णों का बहुमत बिना वाजपेयी वाली भाजपा को वोट देने के पक्ष में नहीं है। उत्तरप्रदेश जहाँ से वाजपेयी का बेहद गहरा संबंध है और वे लगातार कई बार लखनऊ से सांसद चुने गए, वहाँ अब भी वाजपेयी का जादू बरकरार है और 70 फीसदी से ज्यादा लोगों ने वाजपेयी के नेपथ्य में रहने के बावजूद भाजपा को वोट देने की बात कही है। राजस्थान में भी बहुमत इसी राय का है।

हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर में भी सवर्णों का बहुमत वाजपेयी के बिना भी भाजपा के पक्ष में है। हालाँकि बिहार में भी 40 फीसदी से ज्यादा सवर्णों ने भाजपा को वोट देने की बात कही, लेकिन करीब 34 फीसदी लोगों ने बिना वाजपेयी के भाजपा को वोट न देने की बात भी कही।

सर्वेक्षण में एक बात करीब-करीब सभी जगह समान रही कि लोगों ने जातीय ध्रुवीकरण को नकार कर कामकाज, सरकार की उपलब्धियों या विफलताओं, उम्मीदवार की योग्यता-अयोग्यता, छवि आदि आधारों पर मतदान करने की बात कही है। लोकतंत्र के लिए यह शुभ संकेत है। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, प. बंगाल, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड ही नहीं, जातिवादी राजनीति के लिए जाने जाने वाले बिहार, उत्तरप्रदेश और झारखंड में भी सर्वेक्षण के दौरान मतदाताओं के बहुमत ने जातिवादी समीकरणों को नकारकर मतदान करने की बात कही है। इसी तरह लगभग सभी राज्यों में मुस्लिम मतदाताओं के बहुमत ने भी इस बात को नकारा है कि वे सिर्फ भाजपा को हराने के लिए एकतरफा मतदान कर सकते हैं।

नईदुनिया-न्यूज एक्स का यह सर्वेक्षण जहाँ कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन को इसके लिए राहत देता है कि उसके अपने जनाधार वर्ग मुस्लिम और दलितों में उसकी नीतियों और उपलब्धियों को लेकर संतोष है तो भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को भी यह संतोष हो सकता है कि अटलबिहारी वाजपेयी की चुनाव प्रचार से अनुपस्थिति के बावजूद सवर्ण मतदाता अभी भाजपा से दूर नहीं हुए हैं।


http://hindi.webdunia.com/news/election2009/loksabha/0904/05/1090405072_1.htm

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भारत में बनेगा रावण का पहला मंदिर


गाजियाबाद (वार्ता), रविवार, 5 अप्रैल 2009( 13:55 IST )






उत्तरप्रदेश में गौतमबुद्धनगर जिले के बिसरख गाँव में रावण के भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा। यह भारत में रावण का पहला मंदिर होगा। मंदिर निर्माण का बीड़ा कौशिकेश्वर ज्योतिर्लिंग रावण मंदिर एवं अनुसंधान समिति ने उठाया है।

गाजियाबाद शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर गाँव बिसरख को रावण का ननिहाल कहा जाता है।

कहा जाता है कि यहाँ ऋषि विश्रवा का आश्रम था। उन्होंने ऋषि भारद्वाज की पुत्री से विवाह किया था, जिनसे कुबेर का जन्म हुआ। दूसरी पत्नी मैकसी से रावण, कुंभकरण, विभीषण और सूर्पणखा पैदा हुई थी। रावण के पिता विश्रवा ऋषि ने यहाँ दूधेश्वरनाथ मंदिर में कठोर तपस्या की थी।

रावण मंदिर समिति के अध्यक्ष अनिल कौशिक ने बताया कि गाँव बिसरख में रावण के गुणों का व्याख्यान तो किया जाता है, लेकिन रावण की इस जन्मभूमि पर न तो उनकी कोई प्रतिमा रखी जा सकी और न ही कोई मंदिर बन सका।

उन्होंने बताया कि रावण शंकर भगवान का अनन्य भक्त था। रावण का भव्य मंदिर बनाने के लिए जमीन खरीदी जा चुकी है। साथ ही साढ़े तीन फीट का शिवलिंग तैयार हो गया है।

कौशिक ने बताया कि रावण की पाँच फीट ऊँची प्रतिमा का निर्माण जयपुर में कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मंदिर में रावण की विशाल मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा दो जून 2009 को की जाएगी।

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