Follow palashbiswaskl on Twitter

ArundhatiRay speaks

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Friday, May 18, 2018

मरे हुए वाम को जिंदा सक्रिय किये बिना,बहुजना आवाम को बदलाव के लिए लामबंद किये बिना अब बदलाव असंभव!

मरे हुए वाम को जिंदा सक्रिय किये बिना,बहुजना आवाम को बदलाव के लिए लामबंद किये बिना अब बदलाव असंभव!
क्या सत्तालोलुप निरंकुश असुरक्षित ममता बनर्जी,जेल में कैद लालू प्रसाद और नेहरु गांधी वंश के भरोसे संघ परिवार की संस्थागत मनुस्मति व्यवस्था को बदलना चाहते हैं?
पलाश विश्वास

ममता बनर्जी 2019 में संघ परिवारे के हिंदुत्व राजकाज के खिलाफ प्रतिरोध के लिए विपक्ष का एकताबद्ध मोर्चा बनाने का ऐलान करने से नहीं अघाती।दूसरी ओर,विपक्ष के सफाये के लिए उनके राजाकाज में निर्मम सिलिसलेवार हमलों के नतीजतन बंगाल का पूरी तरह भगवाकरण ह गया है।

ममता ने प्रतिरोध की ताकतों का सफाया कर दिया है और वाम का जनाधार बचा ही नहीं है,न कांग्रेस कही शेष है।

नतीजतन बंगाल में पंचायत चुनावों में भी भाजपा दूसरे नंबर पर आ रही है।वामपक्ष और कांग्रेस का कहीं अतापता नहीं है।

भाजपा को भी खूब मालूम है कि वामदलों के सफाये के बिना उसका बंगाल में ममता बनर्जी को हराना मुश्किल है।ममतादीदी इस सच को समझने से सिरे से इंकार कर रही हैं और आत्महत्या के लिए तुली हैं।

कल रात उन्होंने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत के दौरान बंगाली संस्कृति और अपनी रचनात्मकता पर आत्ममुग्ध चर्चा की विकासकथा बांचते हुए जबकि सच यह है कि बंगाल की प्रगतिशील,धर्मनिरपेक्ष,विविधता और बहुलता की संस्कृति उनकी आत्मघाती सत्तालोलुप राजनीति की वजह से सीधे धौर पर हिंसा और घृणा की वर्चस्ववादी संस्कृति में तब्दील है और यही बंगाल में ही भूमिगत अंधकार की पाशविक ताकतों के पुनरूत्थान के लिए संजीवनी साबित हो रही है।

असम,मेघालय,मणिपुर के बाद सीधे संघ परिवारे के निशाने पर बंगाल है और बंगाल में वामपक्ष के सफाये के बाद उसका रास्ता साफ हो गया है।

 कल टीवी चैनल से बातचीत के दौरान दीदी ने कहा कि एक राजनीतिक दल ने उनकी हत्या की सुपारी दी है और इसका अग्रिम भुगतान कर दिया गया है।उन्होंने पुलिस से मिली सूचना का हवालाा देकर कहा कि हत्यारों ने उनके घर की रेकी कर ली है और उनकी जान को खतरा है।

यह बंगाल की अराजकता का उत्कर्ष है और कानून व्यवस्था का चित्र है कि मुख्यमंत्री खुद असुरक्षित हैं और अपनी ही हत्या के उपक्रम के खिलाफ किसी तरह का प्रशासनिक कदम उठाने में नाकाम हैं।

जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जान का खतरा है,तो बंगाल में वाम या विपक्ष के कार्यकर्ता नेता कैसे सक्रिय हो सकते हैं,यह उन्हें सोचना चाहिए।यह भी सोचना चाहिए कि इससे संघ परिवार को खुल्ला खेलने का मौका मिलता है।

संघ परिवार शातिराना तरीके से बंगाल के सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं को अपने पाले मे खींच रही है।

सभी दलों के स्थानीय नेता औरकार्यकर्ता अराजकता और असुरक्षा के इस घने अंधेरे  में भगवा झंडे के नीचे जमा होने लगे हैं और ताजा हालात यह है कि भाजपा के जुलूस में सीपीएम के पक्ष में नारे लगाकर वोटरों को संदेश दिया जा रहा है कि वामपक्षी भी तृणमूली हमलों से बचने के लिए संघ परिवार के भगवे में लाल रंग एकाकार करके अपनी खाल बचा रहे हैं।

वाम नेता कोलकाता और दिल्ली में बैठे प्रेस को बयान जारी कर रहे हैं या सोशल मीडिया में हवा में तलवार भांज रहे हैं और देशभर में उनका सफाया बिना प्रतिरोध जारी है और जारी है रामराज्य का अश्वमेध अभियान।

बूढ़े अप्रासंगिक,चलने फिरने में असमर्थ,लगभग विकलांग वर्चस्ववादी कुलीन नेतृत्व ने वामपंथ पर कब्जा करके उसकी हत्या कर दी है।आजादी के बाद अब तक वामनेतृत्व ने लगातार हिंदी पट्टी के वाम नेतृत्वको हाशिये पर रखा है,जिस वजह से हिंदी पट्टी का भगवाकरण बहुत तेज हुआ और वहां लाल रंग सिरे से गायब है।

बंगाल,केरल और त्रिपुरा में सत्ता के दम पर जिंदा वामपक्ष सत्ता से बेदखल होने के साथ साथ जिंदा लाश में तब्दील हैं लेकिन वर्स्ववादी कुलीन वर्गीय जाति नेतृत्व ने वामपक्ष को जिंदा रखने के लिए दलितों,पिछड़ों को स्थानीय स्तर पर भी नेतृत्व देने से इंकार किया है।

इसके विपरीत बहुजनों के समूचे नेतृत्व को संघ परिवार ने आत्मसात कर लिया है और दलितों के सारे के सारे राम अब संघ परिवार के हनुमान हैं।इसके मुकाबले वामपक्ष की कोई रणनीति नहीं रही है और न वह छात्रों युवाओं के जयभीम कामरेड आंदोलन के साथ खड़ा हो पाया है।

ममता बनर्जी को अपनी सत्ता के अलावा आम जनता,लोकतंत्र या बंगाल या देश की कोई परवाह नहीं हैं।वह अपनी जान को खतरा बताकर बंगाली वोटरों में भावुकता का उन्माद पैदा करना चाहती हैं लेकिन ऐसे किसी खतरे से निबटने के लिए बाहैसियत मुख्यमंत्री कोई कदम नहीं उठाना चाहती।

हालात इतने संगीन हो गये हैं कि बेलगाम चुनावी हिंसा के मद्देनजर ममता दीदी को नवान्न ने आदेश जारी करवा कर अपने सिपाहसालार अराबुल इस्लाम को गिर्फातर कराना पड़ रहा है।

विकास और संस्कृति की दुहाई देने वाली ममता बनर्जी के दूसरे कुख्यात सिपाहसालार वीरभूम के अनुव्रत मंडल केष्टो ने देश के शीर्ष कवि शंख घोष को अपनी कविता में बंगाल के ताजा हालात की आलोचना करने के लिए निशाना बनाया है।गौरतलब है कि केष्टो चुनावी हिंसा के वैज्ञानिक हैं।

विडंबना यह है कि दीदी की पार्टी उनका समर्थन करती है।

हम बार बार लिखते रहे हैं कि संघपरिवार के संस्थागत संगठन के हिंदुत्व उन्माद का मुकाबले के लिए बहुसंख्यक अधं भक्तों पर हमला करके कतई नहीं किया जा सकता,इसके लिए वैज्ञानिक सोच के आधार पर वर्गीय ध्रूवीकरण के लक्ष्य के साथ सिसिलेवार राजनीतिक,सामाजिक,आर्थिक,सांस्कृतिक ,पर्यावरण आंदोलन की अनिवार्यता है।

2019 में वे जो मनुस्मृति राज का तख्ता पलटने का दिवास्वप्न देख रहे हैं,उनसे विनम्र निवेदन है कि अब तक दिल्ली की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए बने तमाम मोर्चों में वामपक्ष की निर्णायक भूमिका रही है और वह वामपक्ष मर गया है।

2019 में वे जो मनुस्मृति राज का तख्ता पलटने का दिवास्वप्न देख रहे हैं,उनसे विनम्र निवेदन है कि इस मनुस्मृति राज के अंधभक्तों की पैदल सेना में न सिर्फ दलित,पिछड़े,आदिवासी बहुजन हैं बल्कि बंगाल के असुरक्षित जख्मी मारे जा रहे  राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ आम लोगों की तरह भारत के अल्पसंख्यक सिख,बौद्ध,ईसाई,मुसलमान और अस्पृ्श्यबौगोलिक क्षेत्रों की सारी जनता हैं।

इस बहुसंख्य बहुजन सर्वहारा आवाम को साथ लिये बिना,उनका वर्गीयध्रूवीकरण किये बिना हालात नहीं बदले जा सकते।

क्या सत्तालोलुप निरंकुश ममता बनर्जी,जेल में कैद लालू प्रसाद और नेहरु गाधी वंश के भरोसे संघ परिवार की संस्थागत मनुस्मति व्यवस्था को बदलना चाहते हैं?

1 comment:

Vishal Agrahari said...

Amazing information about the topic you have provided via your blog thanks to you for sharing such an amazing article. Cheap Property in chindharan