Follow palashbiswaskl on Twitter

ArundhatiRay speaks

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Tuesday, February 14, 2012

मौजूदा श्रमकानूनों की समीक्षा की जरूरत: मनमोहन

नई दिल्ली, 14 फरवरी (एजेंसी) प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि
बाजार के मौजूदा नियामकीय ढांचे की समीक्षा की जरूरत है ताकि यह पता
लगाया जा सके कि कहीं वह श्रम कल्याण में बिना किसी वास्तविक योगदान के
विकास, रोजगार वृद्धि तथा उद्योगों की राह में आड़े तो नहीं आ रहा है।
सिंह ने कहा, '' हालांकि हमारी सरकार अपने कर्मचारियोंं के हितों की
रक्षा को लेकर प्रति प्रतिबद्ध है लेकिन हमें समय समय पर इसकी समीक्षा
करनी चाहिए कि कहीं हमारे नियामक ढांचे में कुछ ऐसा तो नहीं है जिससे
श्रम कल्याण में बिना किसी उल्लेखनीय योगदान के बेवजह रोजगार, उद्यम और
उद्योग की वृद्धि प्रभावित हो रही हो।''
उन्होंने कहा कि सरकार सभी कामगारों की बेहतरी चाहती है और वह ऐसे
प्रावधान बनाने पर विचार कर रही है जिससे अंशकालिक तथा पूर्णकालिक, दोनों
तरह के काम को इन प्रावधानों की दृष्टि से एकही तरह से देखा जाएगा।
प्रधानमंत्री ने यहां 44वें भारतीय श्रम सम्मेलन में कहा, '' यदि इसके
लिए कानून में बदलाव की जरूरत होती है तो हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए
और इसे वास्तविक स्वरूप देने के लिए खाका तैयार करने के संबंध में काम
शुरू करना चाहिए।''
उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में राज्य सरकारें श्रम बाजार के पुनर्गठन
और इसे तर्कसंगत बनाने के लिए अपने रवैये में पहले की अपेक्षा ज्यादा
लचीलापन दिखा रही हैं जबकि ऐसी धारणा है कि भारत में श्रम संंबंधी
नीतियां रोजगारयाफ्ता श्रमिकों के हितों का जरूरत से ज्यादा ध्यान रखती
हैं तथा ऐसी नीतियों के चलते रोजगार का विस्तार नहीं हो पाता।
उन्होंने कहा कि सरकार श्रम कानून को मजबूत करने और उनका अनुपालन
सुनिश्चित करने के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सरकार फैक्ट्री
अधिनियम 1948 में संशोधन की प्रक्रिया में है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी महत्वाकांक्षा है कि देश सालाना नौ फीसद
वार्षिक की दर से वृद्धि करे । यह तभी हो सकेगा जबकि नियोक्ता और
कामगारों के प्रतिनिधि कंधे से कंधा मिला कर चलें।
प्रधानमंत्री ने कहा ''मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि हमारी सरकार एक
ऐसा आर्थिक प्रबंध तैयार करना चाहते हैं जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा
होंगे। लेकिन रोजगार के मौके तभी पैदा होंगे जबकि अर्थव्यवस्था का न केवल
विस्तार हो रहा हो
बल्कि यह विस्तार तेज गति से हो रहा हो।''
उन्होंने श्रम बल में महिलाओं की ज्यादा भागीदारी का समर्थन करते हुए कहा
कि ''हमारे देश में महिलाएं ऐसी संसाधन हैं जिनका उपयोग कम हुआ है।''
उन्होंने कहा ''हमारे देश में महिला श्रम शक्ति की भागीदारी बहुत कम है
और पिछले दशकों में यह आम तौर पर इस भागीदारी में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ
है। कार्यबल में ज्यादा महिलाओं को शमिल करने के लिए इस मुश्किल को समझना
जरूरी है कि उन्हें अपने परिवार और काम की जिम्मेदारी के बीच संतुलन
बनाना पड़ता है।''
प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि मौजूदा प्रणाली परदेशी :दूसरे राज्य के
: मजदूरों के कल्याण और बेहतरी के मामले में कमजोर है। साथ ही उन्होंने
कहा कि इस प्रणाली को मजबूत करना आज की जरूरत है।
उन्होंने रेखांकित किया ''हमें अपने ज्ञान, विवेक और अनुभव का इस्तेमाल
यह सुनिश्चित करने के लिए करना चाहिए ऐसा हो सके। इस मामले में शायद आधार
संख्या एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो है ताकि जो विस्थापित मजदूर के
सामाजिक सुरक्षा
अधिकार की 'पोर्टेबिलिटी' सुनिश्चित कर सकता है यानी श्रमिकों के बार बार
रोजगार बदलने पर भी उसके सामाजिक सुरक्षा कोष का नंबर एक ही बना रहेगा।
सामाजिक क्षेत्रों में सकारात्मक योगदान करने वाली पहल के बारे में
उन्होंने कहा कि भारत मानव विकास रपट 2011 में कहा गया है कि 2010 में छह
से 14 साल के बाल मजदूरों की संख्या घटकर दो फीसद हो गई है जो 1994 में
6.2 फीसद थी।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून बाल श्रम के अभिशाप को खत्म करने
में योगदान करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मनरेगा योजना से गावों से पेरशानी में होने वाले
विस्थापन को रोकने में मदद मिली है और ग्रामीण कामगारों की मजदूरी बढ़ाने
में मदद मिली है।

No comments: