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Saturday, October 29, 2011

Fwd: [NAAGVANSH] गुलामगीरी मे महात्मा फुले कहते है की ' उस वक्त...



---------- Forwarded message ----------
From: Kuldeep Wasnik <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2011/10/29
Subject: [NAAGVANSH] गुलामगीरी मे महात्मा फुले कहते है की ' उस वक्त...
To: NAAGVANSH <naagvansh@groups.facebook.com>


Kuldeep Wasnik posted in NAAGVANSH.
गुलामगीरी मे महात्मा फुले कहते है की ' उस वक्त...
Kuldeep Wasnik 8:00pm Oct 29
गुलामगीरी मे महात्मा फुले कहते है की ' उस वक्त मुझे मे ब्रामण सभासद लेना पड़ा उसका कारण मै बाद मे बताऊंगा ; परंतु जब मै ब्रामणोके पुर्खो की धोकेबाजी विद्यार्थीयो को बताने लगा तब ब्रामणो मे और मुझमे मतभेद होने लगे '।
आगे फुले कहते है की ' जब मुझमे और ब्रामणोमे मतभेद होने लगे झगड़े होने लगे तो मुझे समझ मे आया की ब्रामणो के मन मे शुद्र अतिशुद्रो को पढ़ाने इच्छा नही है अगर मजबूरी मे उन्हे पढ़ाने की जरूरत भी पडी तो उन्हे केवल अक्षरज्ञान ही देना चाहिए । परंतु मेरा ऐसा मानना है की उन्हे न केवल शिक्षित किया जाए बल्कि उससे सच और झूठ अपना भला बुरा समझने की भी शक्ति आनी चाहिए "। महात्मा फुले के इस कथन से तो समझ मे आता है की ब्रामण हमे अक्षर ज्ञान देने के लिए राजी है आप पढ़ लिख कर ब्रामणो के समर्थन मे बोलने वाले पोपट बन जाए तो ऐसे वक्त आपको महान, विद्वान कहेंगे आपको उनके सम्मेलन मे अध्यक्ष किया जाएगा आपको पद्मश्री पद्मभुषण जैसे पुरस्कार भी दिए जाएँगे आपको विधापिठ का कुलगुरु भी किया जाएगा । परंतु अगर आप लोगो को जागरूक कर रहे हो तो ये ब्रामणो को बिल्कुल भी नही चलेगा ।

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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