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Thursday, June 9, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



---------- Forwarded message ----------
From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/6/9
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट एंड कॉमर्स

Posted: 08 Jun 2011 11:16 AM PDT

आर्ट और कॉमर्स संकायों के चुनिंदा कॉलेजों में से एक दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट एंड कॉमर्स साउथ कैंपस में स्थित है। सन् 1987 में बने इस कॉलेज के कटऑफ में पिछले कुछ समय में तेजी से इजाफा हुआ है। कॉलेज के जर्नलिज्म आनर्स, इकोनॉमिक्स आनर्स और बीकॉम आनर्स कोर्स प्रसिद्ध हैं।

सुविधाएं: यह कॉलेज हाईटेक सुविधाओं से लैस है। कॉलेज में 50000 किताबों की लाइब्रेरी, इंटरनेट की सुविधा सहित 70 कम्प्यूटरों की कम्प्यूटर लैब, कैंटीन, ऑडीटोरियम, 60 छात्रों की क्षमता वाला कॉन्फ्रेंस रूम, फिल्म क्लब, जॉब प्लेसमेंट सेल, गल्र्स रूम आदि सुविधाएं हैं। इसके अलावा जल्द ही कॉलेज में वाई-फाई, मल्टीमीडिया क्लास रूम आदि सुविधाएं भी छात्रों के लिए मुहैया हो जाएंगी।
कहां है: दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट एंड कॉमर्स नेताजी नगर दिल्ली में स्थित है। रिंग रोड के नजदीक होने की वजह से यहां पहुंचना आसान है।

सांस्कृतिक रंग: कॉलेज में सांस्कृतिक गतिविधियों की कई सोसाइटी मौजूद हैं। कॉलेज के छात्राएं और शिक्षक सभी बढ़-चढ़ कर सभी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं।
पिछले साल का कटऑफ : बीकॉम पास 83, बीकॉम आनर्स 91.25, इकॉनोमिक्स आनर्स 91



कुल कोर्स: जर्नलिज्म आनर्स, इंग्लिश आनर्स इकोनॉमिक्स आनर्स, हिस्ट्री आनर्स और बीकॉम आनर्स आदि कोर्स मौजूद। इसके अलावा कॉलेज में एड-ऑन कोर्स भी मौजूद हैं।
कुल शिक्षक: 74
कुल सीटें: 1400 से ज्यादा
फोन नंबर : 011 - 24109821, 26116333
फैक्स : 91 - 011 - 26882923
(लाईवहिंदुस्तान डॉटकॉम,8.6.11)

डीयूःमीडिया कोर्स के लिए दाखिला शुरू

Posted: 08 Jun 2011 10:53 AM PDT

दिल्ली विश्वविद्यालय नॉर्थ कैंपस के मिरांडा हाउस कॉलेज से छात्र मीडिया कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। इस कोर्स के लिए दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गई है। दाखिला का फॉर्म प्राप्त करने की अंतिम तिथि 27 जून है। महिला कॉलेज होने के बाद भी इस कोर्स में दाखिला छात्र भी ले सकते हैं।

कोर्स की संयोजक नीतू गर्ग ने कहा कि छात्र कम समय में पेशेवर कोर्स से रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कॉलेज की छात्राओं और बाहर के छात्र-छात्राओं के लिए सर्टिफिकेट कोर्स इन इलेक्ट्रॉनिकमीडिया और सर्टिफिकेट कोर्स इन रेडियो जॉकिंग एंड स्क्रिप्टिंग में दाखिला शुरू है। उन्होंने बताया कि इस कोर्स को करने के लिए न्यूनतम योग्यता बारहवीं है। किसी भी कार्यदिवस में मिरांडा हाउस में दाखिला लिया जा सकता है(लाइवहिंदुस्तान डॉटकॉम,8.6.11)।

यूपीःबीकॉम की सीटों के लिए मचेगी मारामारी

Posted: 08 Jun 2011 10:15 AM PDT

आईसीएसई, सीबीएसई और यूपी बोडर् इंटरमीडिएट के नतीजे घोषित होने के साथ ही महाविद्यालयों में बीकॉम की पढ़ाई के लिए मेरिट और कटआफ की लंबी लड़ाई शुरू होने वाली है। कालेज प्राचार्यों की मानें तो रिजल्ट के मुकाबले में बीकॉम की सीटों की भारी कमी हैं। वहीं मैनेटमेंट और रीटेल के तरफ बढ़े रूझान के कारण अबकी साल मेरिट भी 95 फीसदी तक और कटआफ 80 फीसदी जाने की परिस्थितियां दिख रही हैं।

हरसहाय कालेज के प्राचार्य डा. आरसी शमार् बताते हैं कि कालेज में 80-90 फीसदी अंकों के आवेदनों की संख्या हर साल अधिक होती है। पर इस साल तीनों बोर्डों में कामसर् में बच्चों ने बेहतरीन प्रदशर्न किया है। इससे कालेज की 240 सीटों के लिये बड़ी मारामारी मचेगी। कालेज बीकॉम संकाय की लिये प्रसिद्ध है। डीबीएस कालेज के प्राचार्य बताते हैं कि दो तीन सालों से मेरिट की स्थिति सोचने वाली होती है। आनसर् बच्चे भी कटआफ भी बाहर होते आये हैं। पर अबकी तीनों बोर्डों का परीक्षाफल बेहतरीन होने से मेरिट 95 फीसदी तक जाने की उम्मीद हैं। कालेज में बीकॉम की 320 सीटों के लिए मारामारी होती है। पीपीएन के प्राचायर् डा. जहान सिंह बताते हैं कि कालेज की 160 सीटों के लिए कई बार 75 से 80 फीसदी अंक पाने वाले भी बाहर हो गये हैं। सैकड़ों आवेदन वेटिंग में रहते हैं। अबकी साल मेरिट तीनों बोर्डों को ध्यान में रख कर तैयार की जाएगी। आवेदन 15 जून से कालेज के बाहर बैंक से मिलेंगे। आवेदन रजिस्टर्ड डाक द्वारा प्राप्त किये जाएंगे। उधर क्राइस्ट चर्च,ज्वालादेवी, डीएवी, वीएसएसडी और हलीम मुस्लिम के साथ महिला कालेजों में एएनडी और महिला कालेज में बीकॉम की सीटें सबसे पहले भर जाती हैं। कालेजों की आवेदन प्रक्रिया 25 जून से शुरू होगी(अमर उजाला,कानपुर,8.6.11)।

प्रैक्टिकल का नंबर ही देना भूल गया यूपी बोर्ड

Posted: 08 Jun 2011 10:02 AM PDT

यूपी बोर्ड के इंटर का परीक्षा परिणाम आने के बाद त्रुटियां भी सामने आने लगी है। बोर्ड विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल परीक्षा का नंबर ही देना भूल गया है। इस तरह की कई त्रुटियां हैं। अंकपत्र आने पर पता चल सकेगा कि और किस तरह की गड़बड़ियां हैं। अंकपत्र पर किसी का नाम तो किसी के जन्मतिथि में गड़बड़ी होने की आशंका है। क्योंकि बोर्ड परीक्षा शुरू होने से पहले विद्यालयों ने हड़बड़ी में नामावली सूची का सत्यापन कर बोर्ड को भेज दी गई थी।
ग्लोरियस एकेडमी की छात्रा मोनिका शर्मा बोर्ड की इंटर की परीक्षा में सभी विषयों में पास है लेकिन उसे गृह विज्ञान के प्रैक्टिकल का नंबर ही नहीं मिला है। इंटरनेट से निकले स्टेटमेंट में उसे प्रैक्टिकल में अनुपस्थित दिखाया गया है। जबकि छात्रा और उसके पिता का कहना है कि विद्यालय में हुई प्रैक्टिकल परीक्षा में वह शामिल हुई थी। छात्रा ने बताया कि गृह विज्ञान की ऐसी चार और छात्राएं हैं जिनको गृह विज्ञान के प्रैक्टिकल का नंबर ही नहीं मिला है। छात्रा कहना है कि इस विषय में उसे प्रथम पेपर में १८ और द्वितीय पेपर में २० अंक मिले हैं जबकि प्रैक्टिकल वाले कालम में 'डबल ए' लिखा है। जबकि कंप्यूटर में प्रैक्टिकल का अंक चढ़ाया गया है(अमर उजाला,वाराणसी,8.6.11)।

झारखंडःसेविका के चयन में 35 हजार तक घूस

Posted: 08 Jun 2011 09:34 AM PDT

झारखंड में आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं के चयन में 10 से 35 हजार रुपये तक घूस ली जाती है. आंगनबाड़ी केंद्र से तो प्रति माह औसतन 1200 रुपये वसूलने की परंपरा कायम हो चुकी है. राज्य में 38,432 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए पोषाहार कार्यक्रम चलाया जाता है.आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों, गर्भवती महिलाओं व धातृ-माताओं को साल में 300 दिन पौष्टिक आहार दिये जाते हैं. 2009-10 में पोषाहार कार्यक्रम पर 249 करोड़ 40 लाख 55 हजार खर्च किये गये. पर, नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार राज्य में कुपोषित बच्चों की संख्या पहले से बढ़ी है.
पोषाहार कार्यक्रम में घूसखोरी
पोषाहार के लिए एक आंगनबाड़ी केंद्र को प्रतिमाह दस हजार का राशन उठाना है. राशन किस दुकान से लेना है, यह भी सीडीपीओ के प्रतिनिधि तय करते हैं. इसका प्रमाण जिला कार्यालयों में जमा राशन दुकान के बिल हैं. सभी बिल एक ही राशन दुकान के हैं.
निरीक्षण के बहाने भी वसूली

चतरा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका ने बताया, सीडीपीओ, महिला पर्यवेक्षिका बंधी-बंधायी राशि के अलावा भी पैसे वसूलते हैं. इसके लिए वे अपने कार्यालय में शिकायत पत्र जमा करवाते हैं. फिर केंद्र का निरीक्षण कर पैसे वसूलते हैं. आने-जाने का गाड़ी भाड़ा भी लेते हैं.
अफसर ने चेक से लौटाया घूस का पैसा
चतरा के तत्कालीन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) उमाशंकर राउत ने नवंबर 2006 में घूस का पैसा चेक से लौटाया था. राउत टंडवा प्रखंड में पदस्थापित हैं. उनके पास चतरा प्रखंड का भी अतिरिक्त प्रभार था. हुडरी गांव निवासी अशोक यादव की पत्नी विनीता देवी को सेविका पद पर नियुक्‍त करने के लिए उन्होंने 35 हजार रुपये घूस लिये थे. काम नहीं होने पर अशोक यादव ने इसकी शिकायत वरीय अधिकारियों से की, तो सीडीपीओ ने 25 हजार रुपये नकद लौटा दिये. बाकी10 हजार रुपये का चेक (नंबर 00353-0817446) नागेश्वर यादव के नाम जारी करते हुए शिकायतकर्ता को दिया. राउत ने डीडीसी के सामने यह कबूला भी. पर सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई(शकील अख्तर,प्रभात खबर,रांची,8.6.11).

राजस्थानःगाइड के लिए टूरिज्म मैनेजमेंट का डिप्लोमा जरूरी

Posted: 08 Jun 2011 09:00 AM PDT

प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को अब दो तरह के गाइड उपलब्ध कराएं जाएंगे। नई पर्यटन नीति के अनुसार अब गाइडों को जिला स्तर और राज्य स्तर के लाइसेंस जारी किए जाएंगे।

जिला स्तर पर गाइड बनने के लिए अभ्यर्थी की योग्यता 12 वीं पास तथा आयु 20 वर्ष होनी जरूरी है। यह लाइसेंस धारी गाइड केवल अपने जिले की सीमा में रहकर ही काम कर सकेंगे। वहीं राज्य स्तरीय गाइड बनने के इच्छुक अभ्यर्थी के लिए स्नातक तथा टूरिज्म मैनेजमेंट में तीन वर्षीय डिप्लोमा अनिवार्य है। दोनों स्तर के गाइड लाइसेंस के लिए विभाग ने अभ्यर्थियों के आवेदन ले लिए हैं। परीक्षा छह जून को होनी थी लेकिन उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश से टल गई है(राजस्थान पत्रिका,बीकानेर,8.6.11)।

राजस्थानःविधिक जानकारी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना

Posted: 08 Jun 2011 08:45 AM PDT

बच्चों को बचपन से ही उनके अधिकार और कत्तüव्यों के बारे में बताया जाए तो भविष्य में उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। इसी उद्देश्य से विधिक जानकारी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना है।
यह जानकारी राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दलीप सिंह ने मंगलवार को सर्किट हाउस में संवाददाताओं को दी। सिंह ने कहा कि कक्षा 9 व 10 के सामाजिक ज्ञान विषय के पाठ्यक्रम में एक चेप्टर विधिक जानकारी का भी शामिल करने की योजना है। इसमें बच्चों को उनके अधिकार, बाल श्रम, मोटर व्हीकल एक्ट और शिक्षा का अधिकार समेत कई ऎसी जानकारियां दी जाएं, जिससे बड़े होकर उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से पत्र व्यवहार किया जा रहा है।
लीगल एड क्लिनिक खुलेंगे
सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर तक के लोगों को कानूनी जानकारी देने के लिए लीगल एड क्लिनिक खोले जाएंगे। इसके लिए जिला और तल्लुका स्तर तक स्वयं सेवकों का चयन कर प्रशिक्षण कराया जाएगा। स्वयं सेवकों के चयन में अभिभाषक परिषद जिला न्यायाधीश का सहयोग करेंगे। विधि के छात्र इसमें अहम् भूमिका निभा सकते हैं। सिंह ने बताया कि हर जिला मुख्यालय पर एडियार भवन बनाए जाएंगे। अब तक राज्य के 16 दिनों में भवन बनाने का काम शुरू हो गया है, जबकि 4 जिलों में भूमि चिह्नित कर ली गई है। कोटा में भी भवन बनाने के लिए जिला कलक्टर को भूमि तलाशने को कहा गया है। इस भवन में बैठकर पक्षकार आपसी समझौते और राजीनामे से प्रकरणों का निस्तारण करा सकेंगे। सरकार की योजना है कि लोग न्यायालय में जाने से पहले स्वयं ही मामलों का निस्तारण राजीनामे से कर लें(राजस्थान पत्रिका,कोटा,8.6.11)।

उत्तराखंड में ग्यारहवीं में दाखिले के लिए मारामारी

Posted: 08 Jun 2011 08:30 AM PDT

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से 10वीं पास छात्र-छात्राएं एडमिशन को लेकर अब स्कूलों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। ग्रेडिंग सिस्टम लागू होने से भले ही दसवीं में लगभग सभी छात्र उत्तीर्ण हों लेकिन इसके बावजूद 11वीं में मनमाने विषय में दाखिला पाना उनके लिए आसान नहीं है। क्योंकि कट ऑफ मार्क्‍स के हिसाब से 'सी-वन ग्रेड' या इससे अधिक ग्रेड प्राप्त करने वाले छात्र ही विज्ञान या गणित विषय ले दाखिला ले सकते हैं। वहीं, न्यूनतम डी ग्रेड पाने वाले छात्र कला वर्ग में ही एडमिशन ले सकेंगे। खास बात यह है कि 11वीं कक्षा में दाखिला लेने वाले छात्रों के साथ ही स्कूल के शिक्षकों को भी बच्चों को एडमिशन देने के लिए काफी माथापच्ची करनी पड़ेगी। सीबीएसई बोर्ड द्वारा आयोजित 10वीं की बोर्ड परीक्षा में ग्रेडिंग सिस्टम लागू किया गया है। पिछले वर्ष की तरह इस बार भी सभी छात्र ग्रेडिंग सिस्टम के आधार पर उत्तीर्ण हैं। उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार ए- वन से ई-टू ग्रेड प्रदान किया गया है। ई-वन व ई-टू ग्रेड प्राप्त छात्रों को नॉट क्वालीफाइड की श्रेणी में रखा गया है। संबंधित विषयों में सप्लीमेंट्री (इम्प्रूव एक्जाम) देने और बेहतर ग्रेड प्राप्त करने के बाद ही छात्रों को 11वीं में दाखिला मिलेगा। लेकिन ए-वन से लेकर डी ग्रेड प्राप्त छात्रों को भी 11वीं में मनचाहा विषय देना आसान नहीं होगा। खासकर गणित व विज्ञान विषय में दाखिला लेने वाले छात्र ऊहापोह की स्थिति में हैं। क्योंकि केंद्रीय विद्यालय संगठन ने तो 11वीं की प्रवेश प्रक्रिया के लिए गाइड लाइन जारी कर कट ऑफ मार्क्‍स तय कर दिए हैं। इसके अनुसार विज्ञान व गणित में सी-वन ग्रेड (51 से 60 फीसद) छात्रों को ही पीसीएम में दाखिला मिल सकेगा। इसमें भी दोनों विषयों को मिलाकर प्राप्तांक का योग बी-टू ग्रेड और औसत सेंट्रल ग्रेड प्वाइंट एवरेज (सीजीपीए) 6.5 होना चाहिए। इसी तरह विज्ञान वर्ग में दाखिला लेने वाले छात्रों को 10वीं कक्षा में विज्ञान विषय में न्यूनतम सी-वन ग्रेड और 6.0 सीजीपीए प्राप्त करना जरूरी है। कॉमर्स में एडमिशन लेने के लिए न्यूनतम सीजीपीए 5.4 निर्धारित की गई है। गणित विषय में सी-वन ग्रेड प्राप्त छात्रों को ही कॉमर्स के साथ गणित मिलेगा। जबकि ए-वन से लेकर डी ग्रेड प्राप्त छात्र 11वीं कक्षा में आर्ट विषय में ही दाखिला ले सकेंगे। केवी दून संभाग के शिक्षाधिकारी एनसी कोचर ने बताया कि सभी विद्यालयों को 11वीं कक्षा में प्रवेश के लिए निर्धारित गाइडलाइन व कट ऑफ मार्क्‍स से अवगत करा दिया गया है। इसी के हिसाब से छात्रों को एडमिशन मिलेगा। उन्होंने स्वीकारा कि एडमिशन प्रक्रिया में छात्र-छात्राओं के साथ ही शिक्षकों को थोड़ी माथापच्ची करनी पड़ेगी। क्योंकि विषयवार प्राप्त ग्रेड व इनका योग और सीजीपीए के गुणांक के आधार पर एडमिशन दिया जाना है(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,8.6.11)।

सवर्णों को आरक्षण की प्रासंगिकता

Posted: 08 Jun 2011 07:30 AM PDT

कुछ लोगों के लिए आरक्षण शब्द बदनामी, घृणा और निकम्मेपन का पर्याय बन गया है। हमारी संस्कृति एवं सभ्यता हजारों साल पुरानी है और आरक्षण कुछ ही वर्षों का इतिहास है। सिकंदर के हमले के बाद से लेकर देश के आजाद होने तक हमारी सभ्यता एवं संस्कृति चंद हमलावरों का भी मुकाबला नहीं कर पाई अर्थात एक भी ऐसा अवसर नहीं आया जब हमने बाहर के लोगों को खदेड़ा और पराजित किया हो। जिस संस्कृति और सभ्यता की यह परंपरा रही है कि एक जाति के लोग देश की रक्षा करेंगे और शेष का उससे कोई मतलब नहीं, उसका बार-बार पराजित होना स्वाभाविक है। इस सभ्यता ने जिन अनेक विसंगतियों को जन्म दिया उनमें से एक यह भी है कि सब जाति के लोग गंदगी करें लेकिन सफाई करने की जिम्मेदारी सिर्फ एक जाति की होगी। देश इस व्यवस्था से कमजोर हुआ, न कि आरक्षण से। अमेरिका आज अगर दुनिया पर राज कर रहा है तो वह दस-बीस सालों के प्रयास से नहीं बल्कि लगभग ३०० वर्षों के अपने पूर्वजों की कमाई की वजह से। बड़ी आसानी से कुछ तथाकथित सवर्ण कहने में हिचकते नहीं कि आरक्षण से समाज में गड़बड़ी फैल रही है, उस समय शायद उन्हें अपनी सभ्यता का बोध नहीं रहता।

दिल्ली विश्वविद्यालय, आईआईटी, जेएनयू, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन में सवर्णों के लिए ५१ प्रतिशत आरक्षण कर दिया गया है। इस देश में जिन लोगों की आबादी लगभग ८५ फीसदी है, अब उन्हें ४९ प्रतिशत के भीतर ही भागीदारी मिलेगी और १५ प्रतिशत वालों को ५१ प्रतिशत का अधिकार होगा। हाल में आईआईटी, जेईई परीक्षा के परिणाम घोषित हुए। २५४५ ओबीसी परीक्षार्थी पास हुए, जिनमें से १५४० सामान्य मेरिट अर्थात बिना छूट मेरिट में आए। इन्हें आरक्षण की श्रेणी में शामिल कर दिया गया। यदि ऐसा न हुआ होता तो १५४० अतिरिक्त ओबीसी के परीक्षार्थी प्रवेश पा जाते। इसी तरह १९५०ᅠ दलित परीक्षार्थी पास हुए, जिनमें १२२ बिना किसी छूट के पास हुए, फिर भी इन्हें आरक्षण की श्रेणी में रखा गया। यदि ऐसा न होता तो १२२ अतिरिक्त दलित छात्र आईआईटी में प्रवेश पाते। ६४५ आदिवासी परीक्षार्थियों में से ३३ बिना छूट के पास हुए। उन्हें भी आरक्षित श्रेणी में रख दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार १९९२, रितेश आर. साह बनाम डॉ. वाई.एल. यमूल (१९९६), आर.के. सब्बरवाल बनाम स्टेट ऑफ पंजाब (१९९५), भारत सरकार बनाम सत्य प्रकाश (२००६) आदि मामलों में स्पष्ट किया गया है कि यदि आरक्षित श्रेणी के परीक्षार्थी बिना छूट के परीक्षा पास करते हैं तो उन्हें सामान्य सीटों या पदों पर नियुक्त करना है। १९ अगस्त, २०१० को दिल्ली हाईकोर्ट में डॉ. जगवीर सिंह बनाम एम्स ने भी ऐसा ही कहा है। संविधान की धारा १५ व १६ में इन वर्गों के लिए सामान्य अवसर के अलावा अतिरिक्त लाभ का प्रावधान है, फिर भी ये संस्थान इन मौलिक अधिकारों को ठेंगा दिखाने का कार्य कर रहे हैं। पिछले वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में लगभग ५४०० ओबीसी की सीटें सामान्य श्रेणी के छात्रों को दे दी गई थीं। दिल्ली विश्वविद्यालय में लगभग ७० कॉलेज हैं जिनमें से ३० कॉलेजों के आंकड़े सूचना अधिकार के तहत जुटाए जा सके। उनके अनुसार कुल ओबीसी की सीटें ७०५९ थीं और प्रवेश मिला ३१५८ को ही। मीडिया एवं अन्य स्रोतों से जब अनुमान लगाया गया तो पता लगा कि ५४०० ओबीसी की सीटों की लूट थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के १० अप्रैल, २००८ को अशोक ठाकुर के मामले में दिए गए फैसले का गलत फायदा उठाया गया। यह फैसला ५ जजों का है। इस केस में सुप्रीम कोर्ट के सामने यह सवाल था ही नहीं कि प्रवेश के समय कट ऑफ फासला कितना होना चाहिए? पांच जजों की बेंच में दलबीर भंडारी ने अपनी सिफारिश की थी कि ओबीसी का कट ऑफ मार्क्स जनरल कैटेगरी के मुकाबले १० प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान कमेटी बनाए और देखे कि प्रवेश में जो अंकों का अंतर है वह कितना होना चाहिए। किसी संस्था ने इस प्रक्रिया को नहीं अपनाया। मजे की बात है कि यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं है बल्कि एक जज का व्यक्तिगत मत है। २०१०-११ में जेएनयू ने ३११ ओबीसी की सीटें सामान्य वर्ग के छात्रों को दे दीं और २००९ में २८५ सीटें। जेएनयू के इस कट ऑफ फॉर्मूले को दिल्ली हाईकोर्ट ने ७ सितंबर, २०१० को अपूर्वा के मामले में गलत ठहराया और २ ओबीसी के छात्रों को दाखिला देने का निर्देश भी दिया। इसके बावजूद धांधली चालू है।

इसी तरह से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन में भी धांधली हो रही है। जितेन्द्र कुमार यादव ने सूचना-अधिकार के तहत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन से पूछा कि हिंदी पत्रकारिता में तमाम सामान्य वर्ग की तुलना में ओबीसी एवं एससी के छात्र ज्यादा अंक प्राप्त करने के बावजूद किस आधार पर उनका प्रवेश सामान्य श्रेणी में नहीं हुआ है। इस सूचना के जवाब में मास कम्युनिकेशन ने कहा कि प्रत्येक वर्ग के छात्रों की मेरिट लिस्ट उनके द्वारा अप्लाई किए गए कैटेगरी के अनुसार ही बनाई जाती है। अतः आरक्षित वर्ग के जिन अभ्यर्थियों ने छूट नहीं ली, उन्हें सामान्य कोटे में दाखिल नहीं किया गया(उदित राज,नई दुनिया,8.6.11)।

डीयू में खेल कोटा : इंटरनेशनल खिलाड़ी को सीधा दाखिला

Posted: 08 Jun 2011 07:15 AM PDT

दिल्ली विविद्यालय में खेल कोटे में आवेदन करने वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी को किसी तरह की स्पोर्ट्स ट्रायल से नहीं गुजरना होगा।अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी होने का प्रमाण देने पर उसका दाखिला सीधे हो जाएगा। जबकि राष्ट्रीय स्तर से लेकर क्लस्टर स्तर तक के खिलाड़ियों को उनके प्रमाणपत्रों और ट्रायल के आधार पर ही दाखिला मिलेगा। खेल कोटे से दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को कॉलेजों द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता में भी 5 फीसद की छूट दी जाएगी। डीयू कॉलेजों में खेल कोटे में दाखिला प्रक्रिया 21 जून यानी दूसरी कट ऑफ जारी होने के साथ शुरू हो जाएगी। खेल कोटे के दाखिले में इस बार कॉलेज स्तर पर ही ट्रायल होंगे। हालांकि कॉलेजों को खेल कोटे में दाखिले में विविद्यालय की ओर से पूरी मदद की जाएगी। डीयू ने खेल कोटे में दाखिले की मंगलवार को गाइडलाइंस जारी कर दी। गाइडलाइंस में विविद्यालय ने सभी कॉलेजों को स्पष्ट किया है कि खेल और ईसीएस (एक्सट्रा करिकुलर एक्टिीविटीज) कोटे से दाखिला कुल सीटों की 5 फीसद सीटों से अधिक पर नहीं हो सकता है। यह कॉलेज के ऊपर निर्भर है कि वह खेल और ईसीए कोटे के तहत कितनेकितने विद्यार्थियों का दाखिला करता है। डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. जेएम खुराना ने कहा कि खेल और ईसीए कोटे में कॉलेज अपनी जरूरत के हिसाब अलग-अलग प्रतिशत रख सकते हैं। प्रो खुराना ने बताया कि कॉलेज दूसरी कट ऑफ के साथ आवेदन प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। लेकिन आवेदन कब तक किए जाएंगे और ट्रायल कब तक होगा, यह कॉलेज तय करेंगे। इसके लिए कोई निर्धारित नियम नहीं बनाया गया है। विद्यार्थी के लिए यह जरूरी है कि वे दूसरी कट ऑफ आने के बाद कॉलेज जाकर खेल और ईसीए कोटे के दाखिले के बारे में पता करें। जारी गाइडलाइंस में कहा गया है कि सभी कॉलेजो के लिए जरूरी है कि वे अपने यहां खेल और अतिरिक्त पाठ्येत्तर गतिविधियों से जुड़ीं सुविधाओं को मुहैया कराएं। खेल कोटे के दाखिले में राष्ट्रीय से लेकर कलस्टर स्तर पर खेल में प्रथम, द्वितीय, तृतीय और भाग लेने से जुड़े प्रमाणपत्रों पर अधिकतम 75 फीसद अंक दिये जाएंगे। जबकि बाकी 25 फीसद अंक ट्रायल के आधार पर मिलेंगे। इसके अलावा 12वीं की परीक्षा में पास होना जरूरी है। इस अलावा जिस कोर्स में विद्यार्थी दाखिला चाहता है, उसमें निर्धारित न्यूनतम योग्यता को पूरा करना भी उसके लिए जरूरी है। मसलन यदि कोर्स में दाखिले के लिए 45 फीसद न्यूनतम योग्यता है, तो उसे पूरा करना होगा। हालांकि खेल कोटे और ईसीए कोटे के दाखिले में कोर्स के लिए तय न्यूनतम योग्यता में 5 फीसद की छूट दी गई है। इस प्रकार, यदि किसी विद्यार्थी के 12वीं में 40 फीसद अंक हैं तो उसका दाखिला ट्रायल और स्पोर्ट्स में अच्छे अंक मिलने पर ही हो सकेगा। डीयू स्पोर्ट्स काउंसिल की सलाहकार डॉ. सुदर्शन पाठक ने बताया कि यदि किसी कॉलेज में खेल कोटे में दाखिले के लिए किसी और तरह की दिक्कत है, तो डीयू की स्पोर्ट्स काउंसिल उसकी मदद करेगी(राकेश नाथ,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,8.6.11)।

लखनऊ विवि के छात्र नहीं कर सकेंगे एमएड में आवेदन!

Posted: 08 Jun 2011 07:00 AM PDT

लखनऊ विविद्यालय में एमएड 2012 के प्रवेश के लिए ऑन लाइन आवेदन 14 जून तक किये जा सकते हैं, लेकिन बीएड की वाषिर्क परीक्षा को लेकर अभी कोई हलचल भी नहीं शुरू हुई है, ऐसे में लखनऊ विविद्यालय से बीएड कर रहे छात्र आवेदन की दौड़ से ही बाहर हो जाएंगे, जबकि लखनऊ विविद्यालय में परास्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए विविद्यालय के छात्रों का कोटा 80 फीसद और अन्य विवि का 20 फीसद निर्धारित है। यही स्थिति रही तो विविद्यालय के छात्रों को प्रवेश का मौका ही नहीं मिल सकेगा। विविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक का कहना है कि इसमें पिछले सत्र में उत्तीर्ण छात्र आवेदन कर दाखिला लें, इन छात्रों को बाद में मौका मिलेगा, लेकिन विविद्यालय का यह तर्क छात्रों के गले नहीं उतर रहा है। उनका कहना है कि पिछले वर्ष एमएड में प्रवेश के लिए अंकपत्र जमा करने की मोहलत बाद में भी की गयी थी, लेकिन इस बार की स्थिति कुछ और ही दिख रही है(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,8.6.11)।

पंजाब बोर्डः 12वीं का पास प्रतिशत बढ़ा

Posted: 08 Jun 2011 06:45 AM PDT

पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा इस वर्ष मार्च माह में बारहवीं कक्षा की ली गई परीक्षा के परिणाम में लड़कों ने पहले दो स्थानों पर कब्जा करते हुए इस बार लड़कियों को पीछे छोड़ दिया है। पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा. दलबीर सिंह ढिल्लों ने आज उक्त कक्षा का परिणाम घोषित करते हुए बताया कि सरकारी माडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल पटियाला के छात्र रोहित राजदेव रोल नंबर 2211266105 ने कुल 1000 अंकों में से 950 अंक प्राप्त कर पहला, डीएवी पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल रूपनगर के छात्र निहाल कुमार रोल नंबर 2211183327 ने 949 अंक प्राप्त कर दूसरा स्थान तथा सनातन धर्म सीनियर सेकेंडरी स्कूल मलोट की छात्रा दीक्षा रोल नंबर 2211618981 ने 946 अंक हासिल कर तीसरा स्थान प्राप्त किया है।
डॉ. ढिल्लों ने बताया कि इस बार 267953 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी जिनमें से 194823 परीक्षार्थियों को सफलता प्राप्त हुई। इस तरह इनका पास प्रतिशत 72.71 रहा जोकि पिछले वर्ष 64.69 प्रतिशत था। उन्होंने एक जवाब में कहा कि इस बार मात्र 97 परीक्षार्थियों का परिणाम आरएल है। उन्होंने बताया कि इस बार 187807 परीक्षार्थियों ने रेगुलर छात्र के तौर पर परीक्षा दी, जिनमें से 137212 परीक्षार्थी सफल हुए। उन्होंने बताया कि 83745 परीक्षार्थियों ने प्राइवेट छात्र के तौर पर परीक्षा दी थी, जिनमें से 43838 परीक्षार्थी सफल हुए। डॉ. ढिल्लों ने दैनिक ट्रिब्यून को को बताया कि इस बार कुल 271 परीक्षार्थी मैरिट सूची में अपना नाम दर्ज करवाने में सफल हुए हैं जिनमें से जिला लुधियाना के सबसे अधिक परीक्षार्थी (97) ने अपना नाम दर्ज करवाया है। जिला होशियारपुर के 24 तथा जिला अमृतसर के 21 परीक्षार्थियों के नाम शामिल हैं। उन्होंने बताया कि जिला मानसा तथा तरनतारन का कोई भी परीक्षार्थी बोर्ड द्वारा जारी की गई मैरिट सूची में नाम दर्ज करवाने में असफल रहा है। उन्होंने बताया कि जिला बठिंडा के 11, बरनाला के 3, फरीदकोट के 2, फतेहगढ़ साहब के 3, फिरोजपुर के 13, गुरदासपुर के 2, जालंधर के 12, कपूरथला के 4, मोगा के 8, मुक्तसर के 15, शहीद भगत सिंह नगर के 7, पटियाला के 17, रूपनगर के 10, मोहाली के 5 तथा संगरूर के 14 परीक्षार्थियों ने मैरिट सूची में अपना नाम दर्ज करवाया है। उन्होंने बताया कि उक्त कक्षा के परीक्षार्थियों का परिणाम 7 जून को सुबह 7 बजे बोर्ड की वेबसाइट www.PSEB.ac.in पर उपलब्ध होगा(राजीव जैन,दैनिक ट्रिब्यून,मोहाली,7.6.11)।

लखनऊ विविःकई चरणों में होगी बीएड की वाषिर्क परीक्षा

Posted: 08 Jun 2011 06:30 AM PDT

लखनऊ विविद्यालय में बीएड की वाषिर्क परीक्षा कई चरणों में होगी। परीक्षा में एनसीटीई के मानकों की अनदेखी हुई तो डिग्री भी फंस जाएगी। एनसीटीई के मुताबिक 210 दिन कक्षाएं होने के बाद ही परीक्षा करायी जा सकती है। विविद्यालय से सहयुक्त कई महाविद्यालयों में नवम्बर तक प्रवेश हुए हैं, लेकिन सभी बीएड कालेजों में वेकेशन चल रहा है जबकि अभी तक कक्षाएं ही पूरी नहीं हुई हैं। लखनऊ विविद्यालय का परीक्षा विभाग अभी बीएड की परीक्षा कराने को लेकर निर्धारित कक्षाओं की मियाद को लेकर उधेड़बुन में है, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति साफ होने लगी है। परीक्षा विभाग ने अब महाविद्यालयों से कक्षाओं को ब्योरा लेने का निर्णय लिया है, लेकिन सभी कुछ शिक्षा संकाय के अधिष्ठाता पर छोड़ दिया गया है। विविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि शैक्षिक सत्र एक होने से परीक्षा से लेकर रिजल्ट तक एकरूपता कैसे लायी जाए, इसको लेकर कयायद की जा रही है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से बीएड की कक्षाएं 210 दिन निर्धारित हैं। सात महीने तक लगातार कक्षाएं लेने करने के बाद ही छात्रों की परीक्षा करायी जा सकती हैं। लखनऊ विविद्यालय में दाखिले नवम्बर तक चले हैं और कुछ महाविद्यालयों ने तो इसके बाद ही प्रवेश प्रक्रिया पूरी की है। हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद अब वाषिर्क परीक्षा कराने को लेकर कसमकस हो गयी। लखनऊ विविद्यालय की वर्ष 2010-11 की बीएड की काउंसलिंग से करीब 4000 छात्रों के प्रवेश को लेकर असमंजस बना था। इन छात्रों के प्रवेश के दौरान सीट कन्फम्रेशन रसीद नहीं लेने की वजह से प्रवेश पर अभी तक तलवार लटकी थी, लेकिन अब उन्हें राहत मिल गयी है। सूत्रों का कहना है कि बड़ी संख्या में अब भी छात्र प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने के लिए महाविद्यालयों के चक्कर लगा रहे है। लखनऊ विविद्यालय में बीएड की काउंसलिंग 3 से 27 अगस्त के बीच, दूसरी 12 सितम्बर से 29 सितम्तबर और तीसरी नवम्बर में की गयी है। इसके हिसाब से अभी कक्षाओं के लिए निर्धारित 210 दिनों का समय पूरा नहीं हो पाया है और कम समय में परीक्षाएं करा देने की स्थिति में एनसीटीई छात्रों की डिग्री रोक सकता है। दूसरी ओर बीएड महाविद्यालयों की जांच करने के गयी विविद्यालय की विशेष कमेटी को बीएड डिग्री कालेजों में न तो छात्र मिले और न ही शिक्षक। सभी महाविद्यालयों में वेकेशन की रिपोर्ट खुद विविद्यालय के अफसरों ने दी। इस विशेष समिति में परीक्षा नियंत्रक प्रो. यशवीर त्यागी भी शामिल थे। सूत्रों का कहना है कि जब किसी महाविद्यालय में अतिरिक्त कक्षाएं नहीं हो रही हैं तो सभी की परीक्षाएं एक साथ कैसे करायी जा सकती हैं। विविद्यालय की योजना पहली व द्वितीय काउंसलिंग के छात्रों की परीक्षा एक साथ कराने की है, लेकिन इसमें भी कई तकनीकी खामियां हैं, इनको दूर करना होगा, या फिर सीट कन्फर्म के झमेले में फंसे छात्रों की परीक्षा करायी जाये। बीएड की परीक्षा को लेकर तमाम अनुत्तरित सवाल खड़े हो गये हैं, लेकिन परीक्षा नियंत्रक प्रो. यशवीर त्यागी का कहना है कि शिक्षा संकाय के डीन की रिपोर्ट के बाद ही तिथियों का निर्धारण होगा। उन्होंने कहा कि पहले भी बीएड की वाषिर्क परीक्षा कई चरणों में करायी जा चुकी हैं, ऐसे में अर्हता पूरी करने वाले छात्रों की अलग- अलग समय से परीक्षाएं ली जा सकती हैं(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,8.6.11)।

यूपी में दो प्रोफेसरों के सहारे सात होम्योपैथी कालेज

Posted: 08 Jun 2011 06:15 AM PDT

प्रदेश में चलने वाले होम्योपैथी कालेज मात्र दो प्रोफेसरों के सहारे हैं। यहीं नहीं इन कालेजों में शिक्षकों के कुल 301 पद के स्थान पर सिर्फ 74 शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है। स्थिति यह है कि इसमें से भी दस शिक्षक तीस जून को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। प्रदेश में चल रहे सात लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, गाजीपुर, मुरादाबाद, आजमगढ़ व फैजाबाद होम्योपैथी मेडिकल कालेजों में शिक्षण की गुणवत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनमें से छह कालेजों में एक भी प्रोफेसर नहीं है। केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार हर कालेज में 15 लेक्चरर, 15 रीडर व 13 प्रोफेसर के पद हैं। इसके अनुसार सात मेडिकल कालेजों में शिक्षकों की कुल संख्या 301 होनी चाहिए। इसके विपरीत स्थिति यह है कि प्रदेश में मात्र 74 शिक्षकों के होम्योपैथी मेडिकल शिक्षा का काम चलाया जा रहा है। प्रदेश स्तर पर कम्बाइण्ड प्री मेडिकल टेस्ट से होने वाले प्रवेश में इन होम्योपैथी की तीन सौ सीटें हैं। हर साल तीन सौ छात्रों के प्रवेश लेने पर चार साल के पाठय़क्रम में इनकी संख्या 1200 है। इसके अनुपात में शिक्षकों की संख्या एक चौथाई से भी कम है। यही नहीं विभागीय उदासीनता का आलम यह है कि विभाग में तैनात दो प्रोफेसरों में एक डा.मनोज यादव को निदेशालय से सम्बद्ध कर रखा है। दूसरे प्रोफेसर एएन मिश्र लखनऊ के नेशनल होम्योपैथी मेडिकल कालेज में कार्यवाहक प्रिसिंपल के पद पर तैनात हैं। यही नहीं प्रदेश में चलने वाले होम्योपैथी मेडिकल कालेजों में प्राचार्य के पद भी लम्बे समय से रिक्त हैं। लखनऊ व मुरादाबाद मेडिकल कालेज कार्यवाहक के प्राचार्य के भरोसे चल रहे हैं। इलाहाबाद होम्योपैथी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल का कार्यकाल भी तीस जून को खत्म हो जाएगा। इसके अतिरिक्त विभाग में लगभग दस शिक्षकों का कार्यकाल तीस जून को खत्म हो रहा है। मानकों को धताबता कर चल रहे इन कालेजों की मान्यता पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद ने प्रदेश में एक चौथाई शिक्षकों के सहारे चल रहे कालेजों पर तीखी नाराजगी जतायी है। निदेशक होम्योपैथी डा. विक्रमा प्रसाद का कहना है कि केन्द्रीय टीम ने मुख्य रूप से लखनऊ के नेशनल होम्योपैथी मेडिकल कालेज समेत फैजाबाद व आजमगढ़ के कालेजों पर आपत्ति जतायी है। शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए शासन स्तर से प्रयास किये जा रहे हैं रिक्त पदों को जल्द ही भरा दिया जाएगा। केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के सदस्य डा. अनिरुद्ध वर्मा का कहना है कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए मानकों को पूरा करना जरूरी है। इसे जल्द ही पूरा किया जाना चाहिए(सुनंदा डे,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,8.6.11)।

डीयूःबीकॉम कोर्स का बदला स्वरूप बाजार के अनुरूप

Posted: 08 Jun 2011 06:00 AM PDT

डीयू के कॉलेजों का बीकॉम प्रोग्राम व बीकॉम ऑनर्स कोर्स सबसे हिट माना जाता है। इस कोर्स की पॉपुलेरिटी का आलम ये है कि नॉर्थ कैंपस के नामी-गिरामी कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए आपकी कटऑफ 95 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। इस बार दिल्ली विश्वविद्यालय के इस कोर्स में सेमेस्टर सिस्टम लागू हो चुका है जिसने इस कोर्स के स्वरूप को काफी बदल दिया है और जॉब के लिहाज से मुफीद बना दिया है।

कॉमर्स विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जे.पी. शर्मा कहते हैं कि बीकॉम प्रोग्राम और बीकॉम ऑनर्स में हुआ बदलाव छात्रों के लिहाज से बढ़िया है। यह उन्हें इंडस्ट्री के मुताबिक तैयार करेगा और साथ ही उनकी बुनियादी समझ को भी पैना करेगा।
बीकॉम प्रोग्राम
बीकॉम प्रोग्राम में सालाना कार्यक्रम के दौरान 16 पेपर हुआ करते थे जो कि अब 25 हो गए हैं। प्रत्येक कोर्स सौ अंक का होगा। जिसमें से 25 अंक इंटरनल असेसमेंट, जो कि टय़ूटोरियल, क्लासरूम में प्रतिभागिता, प्रोजेक्ट वर्क, सेमिनार, टर्म पेपर, टेस्ट और उपस्थिति के आधार पर होगा। प्रत्येक सेमेस्टर में दो असाइनमेंट होंगे।
पहले क्या था : बीकॉम प्रोग्राम में 10 पेपर कॉमर्स आधारित, तीन इकोनॉमिक्स आधारित और तीन लैंग्वेज आधारित होते थे।

अब क्या बदला: इकोनॉमिक्स के तीन पेपर इकोनॉमिक रेगुलेशन ऑफ डोमिस्टक एंड फॉरेन एक्सचेंज मार्केट, कारपोरेट गर्वनेंस, बिजनेस एथिक्स और सीएसआर, इंटरनेशनल ट्रेड और बढ़ाए गए हैं साथ ही लैंग्वेज आधारित पेपर में बिजनेस कम्युनिकेशन और एडवांस्ड एमआइल हिंदी को बढ़ाया गया है। प्रमुख बात ये है कि बिजनेस कम्युनिकेशन हिंदी और अंग्रेजी दोनों में उपलब्ध होगा।
ये पैनी करेगी आपकी समझ: कॉमर्स विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जे.पी.शर्मा कहते हैं कि बीकॉम प्रोग्राम में शामिल चार नए कोर्स जैसे कि ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, कारपोरेट गर्वनेंस, बिजनेस एथिक्स और सीएसआर, मार्केटिंग मैनेजमेंट और फाइनेंसियल मैनेजमेंट आपकी विषय की समझ को पैना करेंगे। साथ ही यह आपको इंडस्ट्री की मांग के अनुरूप भी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट जहां आपको मानव संसाधन के बेहतर प्रयोग का हुनर सिखाएंगे तो फाइनेंसियल मैनेजमेंट आपकी वित्तीय समझ को नया आयाम देंगे तो कारपोरेट गर्वनेंस, बिजनेस एथिक्स और सीएसआर आपको ये सिखाएंगे कि कैसे किसी कंपनी की ग्रोथ को लगातार एकसमान रखा जाए। शर्मा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के पेपर से उनकी विभिन्न देशों से बढ़ रहे व्यापारिक संबंधों की जानकारी बेहतर होगी। एक तरह से बीकॉम प्रोग्राम के बदले रूप से वह कांसेप्ट के साथ-साथ प्रक्रिया को भी समझ सकेंगे(अनुराग मिश्र,हिंदुस्तान,दिल्ली,8.6.11)।

पटना विश्वविद्यालय में फॉर्म के लिए उमड़ी रही छात्रों की भीड़

Posted: 08 Jun 2011 05:45 AM PDT

इंटर का परिणाम आते ही राजधानी के कॉलेजों में स्नातक के लिए दाखिले की दौड़ शुरू हो गई। पटना विविद्यालय व मगध विविद्यालय में नामांकन फॉर्म मिलने लगे हैं। फॉर्म लेने के लिए छात्रों की भीड़ भी उमड़ने लगी है। एक जुलाई से नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। पटना विवि में फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 22 जून निर्धारित है। जबकि मगध विविद्यालय के कॉलेजों में 30 जून तक फॉर्म भरे जाएंगे। एक जुलाई से दोनों ही विविद्यालयों में नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ होगी। इसके लिए कट ऑफ मार्क्‍स जल्द ही जारी कर दिये जाएंगे। पटना कॉलेज में बीए के लिए तीन सौ सीट हैं जबकि वीमेंस कॉलेज बीए के लिए 280 सीट है। मगध महिला कॉलेज में बीए के लिए तीन सौ सीट व बीएन कॉलेज में चार सौ सीट है। बीएससी में साइंस कॉलेज में तीन सौ सीट व वीमेंस कॉलेज में 64 सीट, मगध महिला कॉलेज में तीन सौ सीट व बीएन कॉलेज में 175 सीट उपलब्ध है। ये सारे कॉलेज राजधानी में छात्रों की पहली पसंद हैं। कला संकाय के लिए पटना कॉलेज, विज्ञान के लिए साइंस कॉलेज व लड़कियों के लिए मगध महिला, अरविंद महिला व गंगा देवी कॉलेज पसंदीदा हैं। कॉमर्स की पढ़ाई के लिए वाणिज्य कॉलेज व कॉलेज ऑफ कॉमर्स छात्रों की पहली पसंद है। इन सभी कॉलेजों में फॉर्म मिल रहे हैं और फॉर्म जमा भी किये जा रहे हैं(राष्ट्रीय सहारा,पटना,8.6.11)।

ऋषिकेशःअब नहीं दिखती परीक्षा परिणाम जानने वालों की भीड़

Posted: 08 Jun 2011 05:30 AM PDT

उत्तराखंड के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित होने पर बाजारों में अब पहले जैसी चहल पहल नहीं दिखायी देती। कारण आधुनिक युग में परीक्षा परिणाम भी सहज रूप से घर बैठे इंटरनेट व मोबाइल के जरिए देखने को मिल जा रहे हैं। उत्तराखंड के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के परीक्षा परिणाम को लेकर करीब सात-आठ साल पहले छात्रों व अभिभावकों में परीक्षा परिणामों को लेकर काफी दिलचस्पी देखने को मिलती थी। उस दौरान समाचार पत्रों में ही परीक्षा परिणाम छपते थे। बोर्ड परीक्षाओं का खौफ रहता ही था परिणामों को लेकर पूरे शहर में एक अजीब सी बेचैनी रहती थी। छात्रों व अभिभावकों की भीड़ जुटी रहती थी और घंटों अखबार के इंतजार में सड़कों पर ही नजर आती थी। जहां से अखबार छपता था वहां प्रेस के बाहर मजमा लगा रहता था, रातभर छात्र एजेंसियों के पास खड़े होकर पेपर का बेसब्री से इंतजार करते है। इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों से परीक्षा परिणाम उपलब्ध कराने के लिए समाचार पत्रों को लेने के लिए एक-दो दिन पूर्व ही युवक ऋषिकेश पहुंच जाते थे। समाचार पत्र खरीदकर अपने घर जाते थे और परीक्षा परिणाम वाले समाचार पत्र को गांवों में ले जाकर उनके रिजल्ट पहुंचाया जाता था। क्योंकि उस वक्त शहर व गांवों में इसके अलावा कोई व्यवस्था नहीं थी। उसके बदले में युवक अच्छा खासा पैसा कमा लेते थे और ग्रामीणों को भी घर में परीक्षा परिणाम देखने को मिल जाता था। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के परीक्षा परिणामों को लेकर कई दिन पहले से ही छात्रों व अभिभावकों में बेचैन रहती थी। आधुनिक तकनीकी के विकसित होने के साथ-साथ अब छात्रों को अपने घरों में लगे इंटरनेट व मोबाइल द्वारा घर बैठे ही अपने परीक्षा परिणामों को सहजता से देख लेते हैं। सूचना क्रांति के बढ़ते दौर ने सभी को घर में ही सारी चीजें मुहैया करा दी है। जिसके चलते बाजारों में दिखने वाली रौनक कम हो गई है। हालांकि जिनके घरों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। उनकी भीड़ इंटरनेट कैफे में देखने को जरूर मिल जाती है(भगवती प्रसाद कुकरेती,राष्ट्रीय सहारा,ऋषिकेश,8.6.11)।

रिस्क मैनेजमेंट में कॅरियर

Posted: 08 Jun 2011 05:05 AM PDT

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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