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Sunday, August 8, 2010

Fwd: भारत की कोंग्रेस पार्टी के उदभव का रहस्य



---------- Forwarded message ----------
From: Dr Mandhata Singh <drmandhata@sify.com>
Date: 2010/8/8
Subject: Fwd: भारत की कोंग्रेस पार्टी के उदभव का रहस्य
To: Rambihari singh <pushparb@webdunia.com>, Palash Chandra Biswas <palashbiswaskl@gmail.com>, Dr RJ Singh Vapi <singh.drramjanam009@gmail.com>, spsingh <surendra64@gmail.com>




भारत की कोंग्रेस पार्टी के उदभव का रहस्य

 

जब से भारत देश आझाद हुआ है, तब से लेकर आज तक कोंग्रेस पार्टी ने सब से ज्यादा  समय  भारत पर राज्य किया है |  कोंग्रेस पार्टी ने देश को न  केवल बहुत सी समस्याएं दी है , समस्याओं का समाधान सामने होते हुए भी  कोंग्रेस सरकार कभी भी  सही निर्णय नहीं ले पाती ओर  बीच मे ही लटकी रहती है |

चाहे अफझल गुरु को फांसी देने की बात हो  या फिर सालों से  सुलगती हुयी काश्मीर की समस्या हो , चिन द्वारा अरुणाचल प्रदेश पर अधिकार जताने का मामला हो या फिर पाकिस्तान द्वारा हमारे देश में आंतकवाद फैलाने  की बात हो , हर समस्या का समाधान सामने होत हुए भी  कोंग्रेस सरकार निर्णय  नहीं कर पाती है ओर  बीच मे ही लटकी रहती है |    आखिर क्यों ?
समाज के  बुध्धीवान सज्जनों के साथ मैने इस बारे में  विचार विमर्श किया तो पता चाला की देश परेशान है लेकिन कोई भी इस बात को सामझ नहीं पा रहा है की कोंग्रेस  सरकारें हमेंशा निर्णय लेने में अक्षम क्यों है  ओर  क्यों बीच मे  लटकी रहती है  ?  कहीं से भी  ठिक से जवाब न मिलने पर मैने सोचा कि क्यों न कोंग्रेस पार्टी  के बारे में संशोधन किया जाए की कोंग्रेस पार्टी  का उदभव कैसे हुआ  ? कहां से हुआ ?  किन हालात में हुआ ? उदभव से लेकर आज तक कोंग्रेस पार्टी  का  क्या चरित्र्य रहा है  ? क्या क्या गतीविधियां  रही है , वगैर:

वगैर: वगैर:,,,,,,,,, 

संशोधन करते हुए , कोंग्रेस पार्टी  के उदभव के बारे मैं बडा दिलचस्प रहस्य मेरे अनुभव में आया | आप की सेवा मे प्रस्तुत कर रहा हुं | रहस्य बहुत अनंदमय है, ओर उम्मीद करता हुं कि रहस्य जानने के बाद आप को भी अवश्य आनंद आएगा |

 

बात पूर्व काल की है जब प्रभु श्री राम को १४ साल का वनवास हुआ | यह  Breaking News  हवा की तरह फैल गयी | समस्त नगरजन बहुत दु:खी हो उठे | हर किसी का मन व्यथित था ओर किसी की समझ मे नहीं आ रहा था की यह क्या  हुआ???????

आखिर वह दिन आ गया जब प्रभु को वनवास के लिये प्रस्थान करना था |
समस्त नगरजन रोते-बिलखते हुए प्रभु को नगर के नुक्कड तक छोडने ( see off ) के लिये चले | मन नहिं भरा तो नगर की सीमा तक साथ चल दिये , फिर भी मन नहीं भरा  तो कोसों दुर प्रभु के साथ साथ चलते चले गए |

जब नगरजन काफी दुर तक साथ चले आए तो प्रभु ने सोचा की मुझे तो अब आगे जाते हि जाना है ,यह मेरे नगरवासी कब तक मेरे साथ चलेंगे ? काफी दुर तक आ जाने पर  प्रभु ने सब को रोका ओर कहा की देखो मेरे प्यारे भाई-बहनों मुझे तो अब आगे जाना हि है, आप लोक कब तक मेरे साथ चलोगे ? आप सभी यहां तक आए  इस के लिये मै आप सब का बहुत बहुत आभारी हुं |

 

मेरे प्यारे भाई-बहनों अब आप सभी अपने अपने घर वापिस जाओ |

 

इस तरह आदेश देकर प्रभु आगे चल दिये ओर नगरजन अपने अपने घर, नगर को लोट आए……..
१४ वर्ष के बाद जब प्रभु वनवास से वापिस आए तो देखा की जहां पर वह नगरजनों को छोडकर गये थे वहां पर हिजडों का एक विशाल समुह  प्रभु का  इंतजार करता हुआ प्रभु के नाम का स्मरण कर रहा है | यह देख कर प्रभु विस्मय में पड गये !!!!!!!
समीप आने पर प्रभु ने उन से पुछा ,कि मेरे प्यारे हिजडों , मैने तो किसी को नहीं बताया की आज में यहां पहुंचने वाला हुं ओर  आप सभी पहले से ही यहां  मेरी राह निहारते बैठे हो ?? आप को कैसे पता चला की हम आज यहां पहुंचने वालें है ?????

 

हिजडों ने विनम्रता से नत मस्तक होते हुए कहा कि प्रभु हमें तो पता नहिं था कि आज आप यहां पहुंचने वाले है | हम तो जब से आप गयें है तब से आप का  यहिं पर इंतजार कर रहें है  ओर आपके नाम का स्मरण कर रहें है |

 

प्रभु ने अचंबीत होत हुए पुछा, अरे, एसा क्यों ?

 

मैने तो सब से कहा था कि आप सब अपने-अपने घर वापिस जाओ ??????

 

हिझडों ने फिर नत मस्तक होते हुए कहा , नहीं प्रभु, आप ने तो सिर्फ भाईयों  ओर बहनों के लिये आदेश दिया था | आप ने तो कहा था "  मेरे प्यारे भाई-बहनों अब आप सभी अपने अपने घर वापिस जाओ | आपने हमारे लिये तो कुछ  भी आदेश नहिं दिया था |

इसलिये हम लोग यह तय नहिं कर पाये कि हम आप के साथ जायें या  नगर में वापिस जायें ?

अत: तब से हि यहा  बीच में लटके हुए हैं ओर आप की राह निहारते हुये आप के नाम का स्म्ररण कर रहें हैं |

 

प्रभु तो मन ही मन हिझडों की भक्ति देख कर बहुत प्रसन्न हुए ओर हिझडों को वरदान दे दिया |

प्रभु ने गदगद होते हुए कहा,  मेरे प्यारे हिझडों  मैं आप सब की यह परमभक्ति से अतिप्रसन्न हुआ हुं , जाओ मैं आप सब को यह वरदान देता हुं, कि ,

२० वीं सदी में आझाद भारत में आप सब कोंग्रेसी बनकर भारत में सरकार बनाकर राज्य करोगे |

यह रहस्य जानने के बाद मुझे समझ मे आया कि कोंग्रेसी क्यों कोइ निर्णय नहीं कर पाते ओर बीच में ही लटके रह्ते है

संशोधन अभी जारी है ओर जैसे जैसे ओर रहस्य मुझे पता चलेंगे मै आप को उन रहस्यों से अवगत कराता रहुंगा, तब तक के लिये नमस्कार |





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Dr. Mandhata Singh
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