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Thursday, August 5, 2010

ये नाम और ना-उम्मीदी


ये नाम और ना-उम्मीदी

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नौनिहाल शर्मा: भाग 29 : आफिस में नौनिहाल के कुछ दुश्मन भी बनने लगे थे : रह-रह कर नौनिहाल के बड़े बेटे मधुरेश की बात याद आ रही है- इतने दोस्त थे पापा के, कितनों ने सुध ली? पुष्पेन्द्र शर्मा, नीरजकांत राही, ओमकार चौधरी, विश्वेश्वर कुमार, राजबीर चौधरी, कौशल किशोर सक्सेना, सूर्यकांत द्विवेदी।

ये सभी या तो आर.ई. हैं, या बड़े पदों पर हैं। नरनारायण गोपाल आर. ई. रहे हैं। केवल संतोष वर्मा की मदद मधुरेश को याद है। संतोष ने ही नौनिहाल के असामयिक निधन के बाद मकान के कागजात, पीएफ और 'अमर उजाला' के मालिक अतुल माहेश्वरी द्वारा मिली एफ. डी. उनके परिवार तक पहुंचायी थी। पर बाकी कोई इस बेसहारा परिवार के काम नहीं आया, जबकि इन सभी को पत्रकार बनने के दौर में नौनिहाल से कभी न कभी कोई बेशकीमती सलाह या सीख जरूर मिली थी। रमेश गौतम, अभय गप्त, विवेक शुक्ल और ओ. पी. सक्सेना से भी नौनिहाल के अच्छे रिश्ते रहे थे। मधुरेश को इन सबके नाम याद हैं। बचपन में, नौनिहाल की साइकिल के डंडे पर बैठा वह कहीं न कहीं इन सबसे मिल चुका है। इनसे भी उसे उम्मीद थी। कोरी उम्मीद ही रह गयी।

जीवन सचमुच क्रूर रहा है नौनिहाल के परिवार के लिए। तमाम विषमताओं के बावजूद वे अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं। मैं बरसों पहले की यादों में खो जाता हूं। पुष्पेन्द्र शर्मा हमसे मिलने 'दैनिक जागरण' के दफ्तर में आया है। 'प्रभात' की नौकरी छोड़कर वह विदेश जा रहा है। अपनी लाइन बदल रहा है। नौनिहाल का प्रस्ताव है उसे पार्टी देने का। हमारे टी-ब्रेक का भी समय हो गया है। हम सब गोल मार्केट चल देते हैं। डी-144 के अपने दफ्तर से 5 मिनट का रास्ता गपशप में पूरा हो जाता है। पुष्पेन्द्र बार-बार गाये जा रहा है- आयी पायल की झंकार, खुदा खैर करे।

हम अपने अड्डे पर जम जाते हैं। चाय की दुकान की बेंच कम पड़ती हैं, तो गोल मार्केट के पार्क में घास पर बैठ जाते हैं। चाय के साथ समोसों और इमरती का ऑर्डर दिया जाता है। गरमागरम समोसे और इमरती बातों को अपने साथ ना जाने कहां-कहां तक उड़ा ले जाते हैं। चाय के कप से उठती भाप को पुष्पेन्द्र एकटक घूर रहा है। कल ही उसकी फ्लाइट है। शायद वह खुद को मानसिक रूप से तैयार कर रहा है। नयी जगह और नये काम के लिए।

हमारा फोटोग्राफर गजेंद्र सिंह उससे मजाक करता है, 'क्यों भई, लौटकर आयेगा या नहीं?'

पुष्पेन्द्र मुस्कराता है।

रमेश गोयल कहते हैं, 'पूरी प्लानिंग से जा रहा होगा। लौटकर क्यों आयेगा?'

अभय गुप्त बात आगे बढ़ाते हैं, 'बच्चू, पत्रकारिता की लत छूटती नहीं है आसानी से। देखना, तुझसे भी नहीं छूटेगी।'

ओ. पी. सक्सेना उनका समर्थन करता है, 'हां, सोलह आने सच बात है। यहां आने के रास्ते तो कई हैं, पर बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं है।'

पुष्पेन्द्र मुस्कराता रहता है। उसके होठों पर वही गाना है- आयी पायल की झंकार, खुदा खैर करे। वह सिगरेट सुलगा लेता है।

नीरजकांत राही चुप्पी को तोड़ता है, 'संपर्क बनाये रखना।'

अभी तक चुप बैठे नौनिहाल सबकी ओर देखकर उनकी कही बातें समझ रहे हैं। वे नहले पर दहला मारते हैं, 'पुष्पेन्द्र आयेगा। जरूर लौट आयेगा। सीमा के लिए आयेगा। ...देख लेना, आकर फिर पत्रकारिता भी करेगा।

हम सब जोर से ठहाका लगाते हैं। पुष्पेन्द्र के गाल शर्म से लाल हो जाते हैं। तब उसका सीमा से अफेयर चल रहा था। वह टीचर थी। नौनिहाल के जबरदस्त सूत्र थे। उन्हें सबकी इतनी निजी बातें भी पता रहती हैं, मुझे इसका अचरज हो रहा था।

...और नौनिहाल की दोनों बातें सच निकलीं। कुछ साल बाद पुष्पेन्द्र विदेश से मेरठ लौट आया। सीमा से शादी की। 'अमर उजाला' में काम शुरू किया। आगरा और गाजियाबाद में आर. ई. रहा। अब मेरठ में 'हिन्दुस्तान' का आर. ई. बन गया है।

पुष्पेन्द्र की तरह नीरज और ओमकार चौधरी भी पत्रकारिता को 'प्रभात' की देन हैं। 'जागरण' और 'अमर उजाला' के मेरठ आने से पहले 'प्रभात' ही मेरठ में सबसे बड़ा अखबार था।

मैंने एक बार नौनिहाल से पूछा, 'गुरु, तुमने मेरठ समाचार के बजाय प्रभात में काम क्यों नहीं किया?'

'प्रभात में मुझे खुद इतना सीखने और दूसरों को इतना सिखाने का मौका नहीं मिलता।'

'वो क्यों?'

'प्रभात में सुबोध कुमार विनोद मालिकाना हक ज्यादा ही जताते हैं। वे सबसे खुद को रिपोर्ट करने को कहते हैं। उनका बंधा-बंधाया ढर्रा है। उसी को मानना पड़ता है। प्रयोग करने की कोई गुंजाइश नहीं है वहां।'

'मेरठ समाचार में थी ये गुंजाइश?'

'हां। बाबूजी (राजेंद्र गोयल) और दिनेश गोयल रोजमर्रा के काम में ज्यादा दखलंदाजी नहीं करते थे। इसलिए वहां काम की पूरी जिम्मेदारी होती थी और इसीलिए सीखने का ज्यादा मौका मिलता था। नये-नये प्रयोगों का संतोष तो खैर रहता ही था।'

'लेकिन गुरु, नाम तो प्रभात का ही ज्यादा रहेगा।'

'प्रभात चमक-दमक वाली दुकान है। मेरठ समाचार सादी दुकान है। नाम चमक-दमक का ज्यादा होता है, पर क्वालिटी सादी दुकान में भी हो सकती है।'

यह नौनिहाल की शैली थी बात को समझाने की। और उनकी बात सोलह आने सही थी। अगर मुझे शुरू में 'मेरठ समाचार' में मौका नहीं मिलता, तो ना जाने पत्रकारिता का मेरा सफर कैसा रहता! वैसे प्रभात से मेरठ के कई पत्रकार निकले। पर मेरठ समाचार एकदम शुरू में अपने पत्रकारों को ऑलराउंडर बना देता था। नौनिहाल ने वहां मुझसे 17 साल की उम्र में रिपोर्टिंग, उप संपादन और फीचर लेखन जैसे तमाम काम करा लिये थे। और उस सबको मुझे जागरण में बहुत फायदा हुआ।

लेकिन जब 'प्रभात' से पुष्पेन्द्र, ओमकार व नीरज और 'हमारा युग' से अनिल त्यागी 'जागरण' में आये तो जागरण की टीम बहुत ठोस बन गयी। संपादक मंगल जायसवाल को बड़ा नाज था कि उन्हें एक शानदार टीम मिली है। भगतशरणजी ने ठोक-बजाकर नियुक्तियां की थीं। भागवतजी तो कुछ महीने बाद लौट गये, मंगलजी को बनी-बनायी टीम मिली।

नौनिहाल अक्सर मंगल जी को अखबार की गलतियां दिखाते रहते थे। इससे बाकी सहयोगी कभी-कभी नाराज भी हो जाते। कहते, यार क्यों पचड़े में फंसता है, अपना काम कर और घर जा। पर नौनिहाल अड़ जाते कि कुछ गलती देखकर आंखें कैसे बंद कर लूं। मंगल जी इसीलिए उन्हें बहुत मानते थे। उनकी हर राय और सुझाव को गंभीरता से लेते। ये सुझाव रिपोर्टिंग, एडिटिंग और ले-आउट तक हर क्षेत्र के होते।

लेकिन इससे विभाग में नौनिहाल के कुछ दुश्मन भी बनने लगे थे...

कुछ लोगों को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा था। किसी को लगता कि उसकी गलतियां निकाली जा रही हैं। किसी को लगता कि नौनिहाल बिना मतलब टांग अड़ा रहे हैं। चूंकि नौनिहाल सुन नहीं सकते थे, इसलिए कई बार उनकी मौजूदगी में भी उनकी निंदा चल निकलती। ऐसे में मुझसे रहा नहीं जाता। मैं उन निंदकों से भिड़ जाता। सबसे बड़े निंदक थे रतीश झा। वे आदमी बहुत बढिय़ा थे। पर उनमें अहं बहुत था। अपनी गलती निकाला जाना वे बिल्कुल नहीं पचा पाते थे। अक्सर नौनिहाल की बुराई करते सुने जाते। और अक्सर ही मैं उनसे भिड़ जाता। वे कहते, 'अरे दादा, आप काहे बीच में पड़ते हैं? आपको कुछ नहीं ना कह रहे हैं?'

'मेरे सामने आप बिना मतलब उनकी बुराई करेंगे तो मैं सुनने वाला नहीं हूं।'

'लेकिन हम सही बतिया कर रहे हैं।'

'माफ करना दादा, आप उनके सामने कहिये ये सब।'

'अरे दादा, उनके सामने कह कर भी क्या फायदा। ऊ सुन तो सकते नहीं हैं।'

भुवेंद्र त्यागी'ठीक है। आप उनकी बुराई उनके सामने कागज पर लिखकर कीजिये।'

और दादा वहां से खिसक लेते।

लेखक भुवेन्द्र त्यागी को नौनिहाल का शिष्य होने का गर्व है. वे नवभारत टाइम्स, मुम्बई में चीफ सब एडिटर पद पर कार्यरत हैं. उनसे संपर्क bhuvtyagi@yahoo.comThis e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it के जरिए किया जा सकता है.


साले सबकी नौकरी खाओगे...ब्रेकिंग है...

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: बेनामी की टिप्पणी 3 : रनडाउन प्रोड्यूसर लाइब्रेरी में फोन लगाता है- "अरे यार वो राहुल के स्वयंवर के विसुअल्स निकलवाओ जल्दी...." उधर से आवाज आती है- "कौन सा स्वयंवर सर..." रनडाउन प्रोड्यूसर बिगड़ा- "अरे चूतिए हो क्या...वही इमेजिन वाले...." लाइब्रेरी से आवाज आई- "डेट बताइए सर...." रनडाउन प्रोड्यूसर का तनाव भड़क चुका था- "अरे यार हद कर रहे हो....डेट का क्या मतलब....इमेजिन डालो दिखा देगा..." लाइब्रेरी से- "सर नहीं दिखा रहा है..."

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दो युवा शहीदों का समुचित सम्मान करो

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अमिताभ ठाकुर

अमिताभ ठाकुर

मंजुनाथ शंमुगम और सत्येन्द्र नाथ दुबे का नाम भूल गए या याद है? सच्चाई के लिए जान देने वालों के वास्ते किसके पास फुर्सत है!. पर बहुत से लोग हैं जो मंजुनाथ और सत्येंद्र को अपने अंदर जिंदा रखे हुए हैं. उनकी तरह सच के राह पर चलते हुए. ऐसे लोग चाहते हैं कि दो युवा शहीदों का समुचित सम्मान हो.
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ये नाम और ना-उम्मीदी

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नौनिहाल शर्मा: भाग 29 : आफिस में नौनिहाल के कुछ दुश्मन भी बनने लगे थे : रह-रह कर नौनिहाल के बड़े बेटे मधुरेश की बात याद आ रही है- इतने दोस्त थे पापा के, कितनों ने सुध ली? पुष्पेन्द्र शर्मा, नीरजकांत राही, ओमकार चौधरी, विश्वेश्वर कुमार, राजबीर चौधरी, कौशल किशोर सक्सेना, सूर्यकांत द्विवेदी।

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खबरिया दोजख में कराहती महिलायें

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महिला छायामुनी भुयान, अमेरिकन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की बरसी पर कवरेज के लिए देश भर में चुने गए 11 पत्रकारों में से एक थीं। असमिया भाषा की ये पत्रकार कवरेज के बाद वापस हिंदुस्तान आईं। अपने अखबार के दफ्तर में लौटीं तो स्तब्ध रह गईं।

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मैं महिला हूं, मैं 3 माह से बेरोजगार हूं

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आवेश जी, सबसे पहले तो धन्यवाद. आपने पत्रकारिता जगत में महिलाओं की वास्तविक स्थिति के बारे में लिखा. पिछले तीन महीनों से मुझे नौकरी नहीं मिल पा रही. सारी डेस्क और हर तरह की रिपोर्टिंग का अनुभव होने के बावजूद कुछ ऐसी शर्तें रख दी जाती हैं कि आप नौकरी कर ही नहीं सकते. पिछले तीन महीनों में भोपाल के कई बड़े पत्रकारों से मिलना हुआ. अनुभव बहुत कटु रहे. एक बड़े अखबार के संपादक ने तो केवल इसलिए हैरानी जताई कि मुझे उनका नंबर आखिर मिला कैसे.

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दुबे जी! हम करेंगे आपके सपने पूरे

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महेश्‍वर सम्‍मेलन

महेश्‍वर सम्‍मेलन

: दुबे जी हमारे लिए प्रेरणास्रोत बन गए थे : दुबे जी ने कहा था- आप लोग शुरू करो, दिल्ली से हर संभव मदद का वायदा करता हूं। अफसोस, उनके सपनों को हम छोटी-मोटी कोशिशों से साकार कर पाते, इससे पहले वह चले गए। उम्र के इस मुकाम पर पहुंचकर भी उनके अंदर के जज्बात, हौसले, उर्जा, उनके सपनों, स्नेह, और सम्मान को समझा जा सकता था। आज सचिन भाई की पोस्ट से जब यह सूचना मिली तो पूरा दफ्तर सन्न था।
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माया की मार से त्रस्त एक डिप्टी एसपी

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: सीबीआई में रहते माया से पूछताछ की थी : साजिश-फ्राड के जरिए प्रताड़ित किए गए : कोर्ट ने सरकार को फटकारा, जुर्माना ठोंका : मैं आप तक एक ऐसे मामले को पहुंचा रही हूं जिससे अंदाजा लगा सकते हैं कि ईमानदार-कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति बगैर गलती किस हद तक प्रताड़ित किया जा सकता है।

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माँ बनने से डरती हैं महिला पत्रकार

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''...अगर आपको अपना चेहरा दिखाकर या फिर बातों से प्रभावित करने या मक्खन लगाने की कला नहीं आती तो मीडिया जगत आपके लिए नहीं है. अगर आपका कोई गाडफादर नहीं है तो भी मीडिया आपके लिए नहीं है. ऐसे में आप मेरी तरह फांकाकशी करेंगे.

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क्या! जो टॉयलेट में घुसा था, वो पत्रकार था?

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: मुजरिम चांद (अंतिम भाग) : डाक बंगले से थाने की दूरी ज्यादा नहीं थी। कोई 5-7 मिनट में पुलिस जीप थाने पहुंच गई। सड़क भी पूरी ख़ाली थी। कि शायद ख़ाली करवा ली गई थी। क्योंकि इस सड़क पर कोई आता-जाता भी नहीं दिखा। हां, जहां-तहां पुलिस वाले जरूर तैनात दिखे। छिटपुट आबादी वाले इलाकों में सन्नाटा पसरा पड़ा था। रास्ते में एकाध खेत भी पड़े जिनमें खिले हुए सरसों के पीले फूलों ने राजीव को इस आफत में भी मोहित किया।

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ये लोग साहित्यकार हैं या साहित्य के मदारी!

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अमिताभ ठाकुर: 'विभूति कांड' के बहाने साहित्येतर रचना-धर्मिता पर चर्चा : साहित्यकारों को उस रात जैसा देखा-सुना वह अकल्पनीय : महिला साहित्यकार को अपनी जंघा पर बैठाने पर कटिबद्ध दिखे युग-पुरुष : विभूति नारायण राय हिंदी साहित्य की एक चर्चित हस्ती हैं. स्वाभाविक तौर पर प्रत्येक चर्चित व्यक्ति की तरह उनकी बातों और उनके शब्दों का अपना एक अलग महत्व और स्थान होता है.

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छिनाल प्रकरण : ...थू-थू की हमने, थू-थू की तुमने...

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ज्ञानपीठ की प्रवर परिषद से हटा दिए जाने, केंद्रीय मंत्री से माफी मांग लेने और सार्वजनिक तौर पर अपने कहे पर खेद जताने के बाद भले ही विभूति नारायण राय का 'छिनाल प्रकरण' ठंडा पड़ता दिख रहा हो लेकिन इसकी टीस अब भी ढेर सारे लोगों के मन में है. खासकर कई महिलाएं इस बवाल और विवाद के तौर-तरीके से आहत हैं. इनका मानना है कि विभूति नारायण राय ने जो कहा, उससे उनका छोटापन दिखता है, लेकिन विरोध करने वालों ने कोई बड़प्पन नहीं दिखाया.

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विभूति कहां गलत हैं!

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सिद्धार्थ कलहंस: प्रगतिशीलता की होड़ है, हो सको तो हो : गोली ही मारना बाकी रह गया है विभूति नारायण राय को। बसे चले तो भले लोग वह भी कर डालें। प्रगितशीलता के हरावल दस्ते की अगुवाई की होड़ है भाई साहब। न कोई मुकदमा, न गवाही और न ही सुनवाई। विभूति अपराधी हो गए। सजा भी मुकर्रर कर दी गयी। हटा दो उन्हें कुलपति के पद से। साक्षात्कार पर विभूति ने सफाई दे दी। पर प्रगतिशील भाई लोग हैं कि मानते नहीं। सबकी बातें एक हैं- बस विभूति को कुलपित पद से हटा दो।

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वीएन राय के विवादित इंटरव्यू को पूरा पढ़ें, यहां

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'नया ज्ञानोदय' पत्रिका के उस पेज का लिंक हम यहां दे रहे हैं, जिसमें वीएन राय ने एक सवाल के जवाब में हिंदी लेखिकाओं को 'छिनाल' कहा. इंटरव्यू में एक जगह वीएन राय ने कहा है- 'लेखिकाओं में यह साबित करने की होड़ लगी है कि उनसे बड़ी छिनाल कोई नहीं है...यह विमर्श बेवफाई के विराट उत्सव की तरह है।' एक लेखिका की आत्मकथा,जिसे कई पुरस्कार मिल चुके हैं,का अपमानजनक संदर्भ देते हुए राय कहते हैं,'मुझे लगता है इधर प्रकाशित एक बहु प्रचारित-प्रसारित लेखिका की आत्मकथात्मक पुस्तक का शीर्षक हो सकता था 'कितने बिस्तरों में कितनी बार'।'

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वीएन राय के पीछे पड़े हैं वामपंथी!

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: आलोक मेहता भी निशाने पर : पिछले दिनों 'हंस' पत्रिका का सालाना जलसा दिल्ली के ऐवाने गालिब सभागार में हुआ. यहां एक गोष्ठी हुई जिसमें कई नामचीन लोग बुलाए गए थे. इसमें बोलते हुए वीएन राय ने राज्य मशीनरी की हिंसा को जायज ठहराने की कोशिश की. इससे खफा कई श्रोताओं-पत्रकारों ने वीएन राय को कार्यक्रम के बाद घेर लिया.

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सच में ऐसा बोला तो हटेंगे वीएन : सिब्बल

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छिनाल प्रकरण उपर तर पहुंच गया है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल का बयान आ गया है. उन्होंने कहा है कि अगर टिप्पणी की गई है तो यह संपूर्ण नारी समाज का अपमान है. महिलाओं के खिलाफ ऐसी टिप्पणी उनके सम्मान को आहत करने वाली और मर्यादा के प्रतिकूल है. इस संबंध में आई खबरों का पता लगा रहा हूं. अगर यह सही हुआ तो कार्रवाई होगी.

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पहले 'छिनाल' कहा, अब इसकी व्याख्या की

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: छिनाल का मतलब वेश्या नहीं, इसका अर्थ है अविश्वसनीय : मेरा मकसद किसी की भावना को ठेस पहुंचाना कतई नहीं : लेखिकाओं को छिनाल कहने पर मचे विवाद के बाद विभूति नारायण ने सफाई में मुंह खोला है. विभूति नारायण राय के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में कुछ महिला लेखिकाएं ये मान के चल रही हैं कि स्त्री मुक्ति का मतलब स्त्री देह की मुक्ति है.

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कमलेश की हत्‍या के खिलाफ राजमार्ग जाम

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उत्‍तर प्रदेश में सिलसिलेवार हत्‍या से राज्‍य के पत्रकारों का गुस्‍सा उफान पर है. सोनभद्र में हिन्‍दुस्‍तान के संवाददाता कमलेश कुमार पिछले दिनों हुई रहस्‍यमय हत्‍या ने पत्रकारों के गुस्‍से को और भड़का दिया है. सोनभद्र के सैकड़ों पत्रकार कमलेश के हत्‍या की सीबीसीआईडी जांच और हत्‍यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़क पर उतरे. गुस्‍साए पत्रकार वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग को पूरी तरह जाम कर दिया. प्रदर्शन में पत्रकरों के साथ नेता-कार्यकर्ता तथा आम लोग भी शामिल हुए.

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एनडीटीवी के मुन्ने भारती दिनदहाड़े लूटे गए

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एनडीटीवी इंडिया में प्रोग्राम कोआर्डिनेटर एम.ए. मुन्ने भारती आज दिल्ली में भरी दोपहरी में सैकड़ों लोगों के सामने लूट लिए गए. घटना दिन में साढ़े बारह बजे की है. कालकाजी फ्लाइओवर से अपनी कार से गुजर रहे मुन्ने भारती जाम की वजह से बेहद धीमी गति से गाड़ी चला रहे थे. मौसम साफ होने की वजह से अपने अगल बगल की दोनों खिड़कियां भी खोले थे. तभी अचानक एक खिड़की से किसी व्यक्ति का हाथ उनकी गर्दन पर पहुंचता है.

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प्रेस वाला है, खबर छापेगा, मारो साले को

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सुभाषीस

सुभाषीस

: धनबाद में पत्रकार सुभाषीस राय पर जानलेवा हमला : झारखंड के धनबाद जिले में इन दिनों गुंडा राज कायम है. रविवार को प्रभात खबर से जुड़े पत्रकार सुभाषीस राय पर मनबढ़ युवाओं की टोली ने जानलेवा हमला कर दिया. हमले में शुभाषीस घायल हो गए. उनकी एक पैर टूट गया है. 1 अगस्त के दिन राय शाम चार बजे धनबाद कार्यालय बाइक से जा रहे थे. इस दौरान सरायढेला बीग बाजार के पास सफेद रंग की स्कार्पिओं (नंबर जेएच 10 वी 6464) में सवार कुछ युवक रोड पर उपद्रव करते मिले.
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माया राज में दो माह में चार पत्रकारों की हत्या

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: नया रिकार्ड : बहुत जोखिम भरी है अब उत्तर प्रदेश में पत्रकारिता : लखनऊ : दो महीने में चार पत्रकारों की हत्या का नया रिकार्ड मायावती के राज में बना है। उन मायावती के राज में जो 'चढ़ गुंडों की छाती पर मुहर लगाओ हाथी पर' के नारे के साथ सत्ता में आई थी। इस नारे का सबसे ज्यादा प्रचार प्रसार करने वाले पत्रकार ही आज संकट में है।

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पत्रकारों ने निकाला मोटरसाइकिल जुलूस

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: पत्रकार कमलेश के हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए जिला प्रशासन को 48 घंटे का अलटीमेटम : सोनभद्र में दो दिनों पहले पत्रकार कमलेश की हुई हत्या के खिलाफ जिले के पत्रकारों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राबर्ट्सगंज नगर स्थित पीडब्लूडी निरीक्षण भवन से सैकड़ों पत्रकारों ने काली पट्टी बांधकर मोटरसाइकिल जुलूस निकाला।

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मीडिया उद्योग के अगुवा मैथ्यू का निधन

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: मलयालम मनोरमा को स्थापित करने में अहम भूमिका रही : इन दिनों इस अखबार के मुख्य संपादक थे : पीटीआई के भी अध्यक्ष रहे : 'द वीक' उन्हीं की देन है : कोट्टायम। वरिष्ठ पत्रकार और मलयाला मनोरमा के मुख्य संपादक के एम मैथ्यू का रविवार सुबह उनके घर पर निधन हो गया। मैथ्यू (93) की पत्नी का निधन पहले ही हो चुका है।

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पांच टीवी पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

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: धौंस दिखाकर पैसा मांगने तथा परीक्षा दे रही छात्राओं से छेड़खानी का आरोप :  प्राचार्य ने दर्ज कराया मुकदमा : शाहजहांपुर में इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया के पांच पत्रकारों के खिलाफ रंगदारी, धोखाधड़ी और छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज हुआ है. पांचों पत्रकारों पर आरोप हैं कि इन्‍होंने खुदागंज में स्थित एक संस्‍कृत महाविद्यालय के प्राचार्य से दस हजार रुपये की मांग की. पैसा देने से इनकार करने पर परीक्षा दे रही छात्राओं अभद्र व्‍यवहार तथा छेड़खानी की. कालेज के प्रार्चाय इस पूरे मामले की शिकायत पुलिस से की. जिसकी जांच एएसपी सिटी को सौंपी गई. जांच के बाद पांचों पत्रकारों के खिलाफ तिलहर थाना में मामला दर्ज हुआ है.

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मराठी पत्रकार की कुचलने से मौत

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नागपुर : 'महाराष्ट्र टाइम्स' के वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद भागवत की अमरावती में राज्य परिवहन निगम की दो बसों के बीच आने से मौत हो गई। सूत्रों के अनुसार, यह दुर्घटना अमरावती बस स्टैंड पर हुई।

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भारतीय मीडिया

जागरण ने चोरी का माल लाठियों के गज बेचा

जागरण ने चोरी का माल लाठियों के गज बेचा

दोस्तों, दैनिक जागरण में पेड न्यूज छपने का लोकसभा चुनाव का किस्सा तो आपको मालूम हो ही चुका है, अब विधानसभा चुनाव की हकीकत से भी आपको रूबरू करा देता हूं। सीमित दिनों में अधिक से अधिक माल बटोरने के लिए संघर्षरत प्रबंधन के हितैषियों के माध्यम से विधानसभा चुनाव में चोरी का माल, लाठियों के गज के मुहावरे को पूरी तरह से चरितार्थ होते मैंने खुद देखा।

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फिर बिका नागपुर का हिंदी दैनिक 'युगधर्म'

किसी ज़माने में नागपुर में हिंदी दैनिक 'युगधर्म' ने हिंदी पत्रकारिता में खूब नाम कमाया था. बाद में कुछ आर्थिक तंगी के कारण मैनेजमेंट ने यह अख़बार फिल्म निर्माता एन कुमार, जिन्होंने 'वास्तव' नामक फिल्म बनाई थी, को बेच डाला. उन्होंने इस दैनिक अखबार को सांध्य दैनिक बना दिया. अब इस अखबार के दफ्तर पर कई दिनों से ताला लगने के बाद इसके फिर से बिक जाने की सूचना है. इस अखबार से नागपुर में न जाने कितने पत्रकारों ने अपने पत्रकारिता के करियर की शुरुआत की.

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'कल्पतरु एक्सप्रेस' का मथुरा संस्करण लांच

'कल्पतरु एक्सप्रेस' का मथुरा संस्करण लांच

: लांचिंग के मौके पर रोड शो और आतिशबाजी : अखबार इंटरनेट पर भी उपलब्ध : आगरा से खबर है कि कल्पतरु ग्रुप आफ कम्पनीज की नई पहल के तौर पर दैनिक समाचार पत्र के रूप में 'कल्पतरु एक्सप्रेस' जनता के समक्ष प्रस्तुत किया गया। कल्पतरु एक्सप्रेस मथुरा संस्करण की लॉचिंग बृहस्पतिवार को सुबह आठ बजे हुई।

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राज एक्सप्रेस ने भास्कर के खिलाफ मोर्चा खोला

कभी भास्कर की प्रताड़ना से तंग आकर राज ग्रुप के चैयरमेन अरूण सहलोत ने राज एक्सप्रेस अखबार का प्रकाशन शुरू किया था. इस अखबार ने पांच वर्ष पूर्व लांचिंग के समय भास्कर को काफी नुकसान पहुंचाया था. बाद में भास्कर ने वितरकों को पटाकर राज एक्सप्रेस को डैमेज करना शुरू किया. अब राज एक्सप्रेस ने भोपाल शहर के उन वितरकों को निशाना बनाया है जो भास्कर का गुणगान करते हैं और जो भास्कर की ही प्रतियां बेचने में भरोसा करते हैं.

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आईएफडब्‍ल्‍यूजे के खिलाफ कोर्ट जायेंगे पत्रकार

: उत्तराखंड में दूसरे संगठन को सम्‍बद्ध दिखाये जाने के मामले ने तूल पकड़ा : इण्डियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट द्वारा उत्‍तराखंड में दूसरे पत्रकार संगठन को सम्बद्ध दिखाए जाने के खिलाफ उत्तराखण्ड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन ने न्‍यायालय की शरण लेने का निर्णय किया है। अल्‍मोड़ा में यूनियन की प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में प्रदेश के कई जिलों से आये संगठन के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।

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संजय पाठक सहारा से हेडलाइंस टुडे पहुंचे

संजय पाठक सहारा से हेडलाइंस टुडे पहुंचे

: हेडलाइंस टुडे के खिलाफ जम्मू में मुकदमा दर्ज : खबर है कि संजय पाठक ने फिर से टीवी टुडे ग्रुप ज्वाइन कर लिया है. उन्होंने सहारा समय नेशनल न्यूज चैनल से इस्तीफा दे दिया है. वे करीब दो वर्षों तक इस चैनल में रहे. नई पारी उन्होंने हेडलाइंस टुडे के साथ शुरू की है. टीवी टुडे ग्रुप में संजय पाठक की ये दूसरी पारी है. हेडलाइंस टुडे में वे एसोसिएट एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर के पद पर पहुंचे हैं.

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कमलेश की हत्‍या के खिलाफ राजमार्ग जाम

उत्‍तर प्रदेश में सिलसिलेवार हत्‍या से राज्‍य के पत्रकारों का गुस्‍सा उफान पर है. सोनभद्र में हिन्‍दुस्‍तान के संवाददाता कमलेश कुमार पिछले दिनों हुई रहस्‍यमय हत्‍या ने पत्रकारों के गुस्‍से को और भड़का दिया है. सोनभद्र के सैकड़ों पत्रकार कमलेश के हत्‍या की सीबीसीआईडी जांच और हत्‍यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़क पर उतरे. गुस्‍साए पत्रकार वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग को पूरी तरह जाम कर दिया. प्रदर्शन में पत्रकरों के साथ नेता-कार्यकर्ता तथा आम लोग भी शामिल हुए.

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एनडीटीवी के मुन्ने भारती दिनदहाड़े लूटे गए

एनडीटीवी इंडिया में प्रोग्राम कोआर्डिनेटर एम.ए. मुन्ने भारती आज दिल्ली में भरी दोपहरी में सैकड़ों लोगों के सामने लूट लिए गए. घटना दिन में साढ़े बारह बजे की है. कालकाजी फ्लाइओवर से अपनी कार से गुजर रहे मुन्ने भारती जाम की वजह से बेहद धीमी गति से गाड़ी चला रहे थे. मौसम साफ होने की वजह से अपने अगल बगल की दोनों खिड़कियां भी खोले थे. तभी अचानक एक खिड़की से किसी व्यक्ति का हाथ उनकी गर्दन पर पहुंचता है.

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प्रेरणा की किताब के लोकार्पण में आप भी पहुंचें

प्रेरणा की किताब के लोकार्पण में आप भी पहुंचें

इलाहाबाद के मेयर रहे और वरिष्ठ नेता रवि बधावन की पुत्री प्रेरणा बधावन की पहली किताब का लोकार्पण इंडिया हैबिटेट सेंटर में छह अगस्त को होने जा रहा है. किताब का नाम है 'द वर्ड कीपर'. यह साइंस फिक्शन है जो किशोर उम्र के बच्चों के लिए है. प्रेरणा की यह पहली किताब है. किताब का प्रकाशन हर आनंद पब्लिकेशंस, दिल्ली ने किया है. किताब के विमोचन समारोह का समय है शाम साढ़े सात बजे.

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क्या! जो टॉयलेट में घुसा था, वो पत्रकार था?

क्या! जो टॉयलेट में घुसा था, वो पत्रकार था?

: मुजरिम चांद (अंतिम भाग) : डाक बंगले से थाने की दूरी ज्यादा नहीं थी। कोई 5-7 मिनट में पुलिस जीप थाने पहुंच गई। सड़क भी पूरी ख़ाली थी। कि शायद ख़ाली करवा ली गई थी। क्योंकि इस सड़क पर कोई आता-जाता भी नहीं दिखा। हां, जहां-तहां पुलिस वाले जरूर तैनात दिखे। छिटपुट आबादी वाले इलाकों में सन्नाटा पसरा पड़ा था। रास्ते में एकाध खेत भी पड़े जिनमें खिले हुए सरसों के पीले फूलों ने राजीव को इस आफत में भी मोहित किया।

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न्यूज 24 पर 15 मिनट में सौ खबरें

न्यूज 24 पर 15 मिनट में सौ खबरें

: न्यूज शतक : सोने से पहले सौ। जी हां, सिर्फ 15 मिनट में देखिए सौ खबरें। खबरों की भूख मिटाने न्यूज24 पर आ गया है 'न्यूज शतक'। न्यूज 24 पर रात 11.30 बजे आप देख सकते हैं 'न्यूज शतक'। न्यूज 24 का ये नया बुलेटिन देश विदेश से खंगालकर सौ सबसे अहम खबरें आपको दिखाएगा। देश विदेश की सभी बड़ी खबरें आपको इस बुलेटिन में मिलेंगी।

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ये लोग साहित्यकार हैं या साहित्य के मदारी!

ये लोग साहित्यकार हैं या साहित्य के मदारी!

: 'विभूति कांड' के बहाने साहित्येतर रचना-धर्मिता पर चर्चा : साहित्यकारों को उस रात जैसा देखा-सुना वह अकल्पनीय : महिला साहित्यकार को अपनी जंघा पर बैठाने पर कटिबद्ध दिखे युग-पुरुष : विभूति नारायण राय हिंदी साहित्य की एक चर्चित हस्ती हैं. स्वाभाविक तौर पर प्रत्येक चर्चित व्यक्ति की तरह उनकी बातों और उनके शब्दों का अपना एक अलग महत्व और स्थान होता है.

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जागरण ने चोरी का माल लाठियों के गज बेचा

जागरण ने चोरी का माल लाठियों के गज बेचा

दोस्तों, दैनिक जागरण में पेड न्यूज छपने का लोकसभा चुनाव का किस्सा तो आपको ...

फिर बिका नागपुर का हिंदी दैनिक 'युगधर्म'

किसी ज़माने में नागपुर में हिंदी दैनिक 'युगधर्म' ने हिंदी पत्रकारिता में खूब...

क्या झारखंड में नाम 'दिव्य भास्कर' हो जाएगा?

रांची में चर्चा है कि भास्कर प्रबंधन अपना अखबार झारखंड और बिहार में दैनिक भ...

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नीलू श्रीवास्तव 'न्यूज11' से जुड़े, नितिन ने टीवी99 छोड़ा

दैनिक आज, रांची के संपादक नीलू श्रीवास्‍तव के बारे में सूचना है कि उन्होंने...

तान्या का स्टार से इस्तीफा, आईबीएन में करेंगी एंकरिंग

स्टार न्यूज की एंकर तान्या दवे ने इस्तीफा दे दिया है. अब वे आईबीएन7 में एंक...

'प्रभात खबर ने गलती मानी, भड़ास भी माने'

एडिटर, भड़ास4मीडिया, आपने जो स्टिंग से सम्बंधित खबर छापा है, उस पर मुझे ऐतराज...

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साले सबकी नौकरी खाओगे...ब्रेकिंग है...

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: बेनामी की टिप्पणी 3 : रनडाउन प्रोड्यूसर लाइब्रेरी में फोन लगाता है- "अरे यार वो राहुल के स्वयंवर के विसुअल्स निकलवाओ जल्दी...." उधर से आवाज आती है- "कौन सा स्वयंवर सर..." रनडाउन प्रोड्यूसर बिगड़ा- "अरे चूतिए हो क्या...वही इमेज...

दो युवा शहीदों का समुचित सम्मान करो

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मंजुनाथ शंमुगम और सत्येन्द्र नाथ दुबे का नाम भूल गए या याद है? सच्चाई के लिए जान देने वालों के वास्ते किसके पास फुर्सत है!. पर बहुत से लोग हैं जो मंजुनाथ और सत्येंद्र को अपने अंदर जिंदा रखे हुए हैं. उनकी तरह सच के राह पर चलते...

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मीडिया हाउसों को चैन से न रहने दूंगा

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इंटरव्यू : एडवोकेट अजय मुखर्जी 'दादा' :  एक ही जगह पर तीन तीन तरह की वेतन व्‍यवस्‍था : अखबारों की तरफ से मुझे धमकियां मिलीं और प्रलोभन भी : मालिक करोड़ों में खेल रहे पर पत्रकारों को उनका हक नहीं देते : पूंजीपतियों के दबाव में कांट...

श्वान रूप संसार है भूकन दे झकमार

श्वान रूप संसार है भूकन दे झकमार

: साहित्य में शोषितों की आवाज मद्धिम पड़ी : अब कोई पक्ष लेने और कहने से परहेज करता है : अंधड़-तूफान के बाद भी जो लौ बची रहेगी वह पंक्ति में स्थान पा लेगी : समाज को ऐसा बनाया जा रहा है कि वह सभी विकल्पों, प्रतिरोध करने वाली शक्तिय...

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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