बोध गया धमाके, आईबी और मौसम की भविष्यवाणी
रणधीर सिंह सुमन
हमारे गाँव में बहादुर मंगता रहते थे। जब खेती के सारे काम निपट जाते थे तब वह एक झोले में कुरता धोती रख कर गाँव से सात-आठ मील दूर जाकर साफ़ सुथरा कुरता धोती पहन लेते थे और माथे पर त्रिकुंड लगा लेते थे। फिर एक अच्छे सधे ज्योतिषी की भूमिका में आ जाते थे और लोगों के हाथ औरमस्तिष्क की रेखा को पढ़कर भविष्य बताने का काम करते थे। उनकी भाषा यह होती थी कि सुख भी होगा दुःख भी होगा। विपत्ति आयेगी भी, नहीं भी आयेगी। बीमार थे और नहीं भी थे, जैसी छद्म शब्दावली का प्रयोग कर अपना धंधा चलाते थे।
यह मौसम विज्ञान की पहले की भविष्यवाणी कुछ इसी तरह से होती थी कि बरसात होगी, नहीं भी होगी।छिट-पुट बादल छाये रहेंगे, नही भी रहेंगे। इसी तरह की सूचनाएं इंटेलिजेंस ब्यूरो किसी भी बम विस्फोट की घटना के बाद जारी करता है कि हमने पहले ही फलां-फलां जगह पर विस्फोट की सूचना सम्बंधित राज्य सरकार को दे दी थी।
अगर कोई घटना घट गयी तो कुछ मास्टरमाइंड के नाम मीडिया की हवा में तैर रहे होते हैं, की चर्चा शुरू हो जाती है। कुछ जेलों में बंद मुसलमान नवयुवकों के नाम आने लगते हैं कि उसने अपने बयान में ऐसा कहा था और फिर कुछ लोगों को पकड़ कर बंद कर दिया जाता है और अदालतें अपने तरीके से न्याय करने लगती हैं और बम विस्फोटों की श्रंखला में कोई कमी नहीं होती है। गुजरात के एक एनकाउंटर की सीबीआई द्वारा जाँच होने पर आईबी स्वयं ही अपराधी घोषित हो जाती हैऔर उसके तत्कालीन गुजरात प्रमुख राजेंद्र कुमार अभियुक्त नज़र आने लगते हैं। एके 47जैसे आर्म्स की फर्जी बरामदगी का आरोप उन पर आ गया और फिर इंटेलिजेंस ब्यूरो का रुदन प्रारम्भ होता है कि किसी तरीके से हमको बचाओ। केन्द्रीय गृह सचिव से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय उनके अपराधों को बचाने के लिए अपने रण कौशल का इस्तेमाल करने लगते हैं।
बाराबंकी जनपद में अपराध संख्या 295/2013 अंतर्गत धारा 120 बी, 302 आईपीसी थाना कोतवाली में आई बी भी अभियुक्त है। अगर इस केस की जाँच भी सीबीआई से करा ली गयी तो इंटेलिजेंस ब्यूरो का पूरा का पूरा ढाँचा सुसंगठित गिरोह के रूप में नजर आयेगा।
आज जरूरत इस बात की है कि चाहे बौध गया के मंदिर विस्फोट का मामला हो यासंसद पर हमला इस में कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हिन्दुत्ववादियों और इंटेलिजेंस ब्यूरो के नापाक गठजोड़ का हाथ है। एनडीए सरकार बनने के बाद आईबी व हिन्दुत्ववादियों के गठजोड़ की जितनी भी कारगुजारियाँ है उनकी जाँच करने की आवश्यकता है। अगर यह जाँचें नहीं की जाती हैं तो फर्जी आतंकवाद के बादल भारतीय आकाश में तैरते रहेंगे तो कभी पुणे में तो कभी बोध गया में तो कभी दिल्ली में छिट-पुट बरसते ही रहेंगे।
नकली बरसातें करवाने से बजट बढ़ता है, पूछ बढ़ती है, आउट ऑफ़ टर्न प्रमोशन होते हैं और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के हित साधन पूरे होते हैं।
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