भारत बांग्लादेश और भारत नेपाल सीमा होकर बंगाल अब राष्ट्रविरोधी तत्वों की सबसे सुरक्षित शरणस्थली में तब्दील!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फेसबुक के जरिये बंगाल में भी आतंकी हमले की जो आशंका जतायी है, राजनीति से ऊपर उटकर उसे गंबीरता से लेने की जरुरत है। मुख्यमंत्री होने से वे परिस्थितियों को बाकी नागरिकों से बेहतर जानती हैं और वही उनसे बेहतर तरीके से निपट सकती हैं। केंद्र के खिलाफ उनके राजनीतिक जिहाद को नजरअंजदाज कर दें तो उन्हींके आकलन के मुताबिक सुरक्षा इंतजाम इस संगीन खतरे से निपटने के लिए बिना किसा देरी के दुरुस्त किये जाने चाहिए। वरना घटना हो जाने के बाद कुछ करने का सुयोग नहीं रहेगा। खास कोलकाता में डलहौसी इलाके में संदिग्ध आतंकवादी की गिरफ्तारी से साबित होता है कि भारत बांग्लादेश और भारत नेपाल सीमा होकर बंगाल अब राष्ट्रविरोधी तत्वों की सबसे सुरक्षित शरणस्थली में तब्दील है। वे जबतक कोई बड़ी दुर्घटना को इंतजाम नहीं देते,उनकी कृपा है।
बंगाल के सीमा क्षेत्रों से अबाध विदेशी मुद्राओं, मादक द्रव्यों, मानव, हथियारों की तस्करी का सिलसिला जारी है। तुरंत उसके खिलाफ कदम उठाये जाने की जरुरत है।कोलकाता महानगर और अतिमहत्वपूर्ण इलाकों में पुलिसनिगरानी और सुरक्षा इंतजामात की कथा दीदी को सबसे बेहतर मालूम है। राजमार्गों का आलम यह है कि रेड अलर्ट की हालत में भी तलाशी और निगरानी के बजाय लोग मौके का फायदा उठाकर सखती और मुश्तैदी से वसूली अभियान में भिड़ जाते हैं। कोलकाता से शनिवार को एक शख्स को विस्फोटक के साथ गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए शख्स के आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) के साथ रिश्ते होने का शक है। वहीं रविवार को बिहार में महाबोधि मंदिर में हुए बम धमाकों के पीछे आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) का हाथ होने का संदेह है।अनवर हुसैन मलिक (42) नामक शख्स को शनिवार को एक बस अड्डे से विस्फोटक और जाली नोटो के साथ गिरफ्तार किया गया।कहा जा रहा कि मलिक ने ये बात काबूल ली है कि वो आतंकवादी संगठन से जुड़ा है और उन्हीं को ये विस्फोटक पहुंचाने जा रहा था। मलिक को अदालत में पेश किया गया जहां से उसे 20 जुलाई तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
विस्फोटक के साथ गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के साथ रिश्ते की जांच में पुलिस जुटी हुई है। कोई भी आत्मघाती दस्ता बंगाल में कहीं भी कहर बरपा सकता है। इस ढीले ढाले सुरत्क्षा इंतजाम की जिम्मेवारी अंततः राज्य सरकार की है,केंद्र की नहीं। पंचायत चुनाव में अंध राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और आत्मगाती हिंसा ने बंगाल में सुरक्षा इंतजाम के बारह बजा दिये हैं, इस नाजुक मौकेपर केंद्रीय वाहिनी की तैनाती से दीदी को ही सहूलियत होती। जंगल महल में मुख्यमंत्री बेहिचक माओवादियों के जो खुली चुनौती दे रही है, वह केंद्रीय वाहिनी की मौजूदगी के कारण ही संभव हुआ है।पश्चिम बंगाल नक्सली हमले के मद्देनजर पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है। साथ ही ओडिशा व झारखंड की सीमा पर विशेष सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। पूर्व एवं दक्षिण पूर्व रेलवे में अतिरिक्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं।
रात दस बजे के बाद अगली सुबह तक महानगर कोलकाता, हावड़ा नगर निगम क्षेत्र, पूरा साल्टलेक और तमाम उपनगरीय इलाके, सारे के सारे हाईवे और महत्वपूर्ण सड़कें अपराधकर्मियों के मुक्तांचल बन जाते हैं। हवाई अड्डे से लेकर रेलव स्टेशनों तक और धर्मस्थलों के आसपास के इलाके नागरिकों के लिए असुरक्षित क्षेत्र में तब्दील हो जाते हैं। बारासात रेलवे स्चेशन इलाके की वारदातें बतौर सबूत पेश किये जा सकते हैं।
कोयलांचल और जंगल महल में किसी भी बड़े अपराध को अंजाम देकर झारखंड या उड़ीसा भाग निकलने के दरवाजे और खिड़कियां गोषित तौर पर सील कर दिये जाने के बावजूद हालात सुधरे नहीं है।जंगल महल में तो फिरभा केंद्रीय वाहिनी है।पाकुड़ हमले से साबित है कि उत्तर बंगाल में भी भरी खतरे हैं। कोयलांचल के माफियाराज में तो कानून व्यवस्था अप्रासंगिक हो गये हैं। पानी सर से ऊपर है, डूबने से बचना है तो फौरन तैरने की जुगत लगाइय़े।
छत्तीसगढ़ और झारखंड में बड़े हमले के बाद नक्सलियों ने हाल ही में एक विशेष अभियान समूह बनाया है।आईबी की मानें तो माओवादियों की सक्रियता वाले नौ राज्यों के कैडरों और इस विशेष समूह का प्रभार पार्टी के केंद्रीय सैन्य आयोग के हाथ में सौंपा गया है। इनमें छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की महिला माओवादियों की संख्या बहुत अधिक है।इस विशेष अभियान समूह को जंगल युद्ध और गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दी जा रही है और ये भी सिखाया जा रहा है कि कैसे बिना राशन के घने जंगलों में गुजारा किया जाए। इसके साथ ही उन्हें ड्रोन एयरक्राफ्ट से बचने के गुर भी सिखाए जा रहे हैं।
इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा है कि एक के बाद एक नक्सली हमलों से लगता है कि नक्सली राजनेताओं को निशाना बना रहे हैं और वे क्षेत्रीय दलों को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एक के बाद एक छत्तीसगढ़ में, फिर झारखंड में और अब बिहार में जिस तरह से नक्सली हमला हुआ है, वह बताता है कि नक्सलियों का अगला निशाना बंगाल, ओडीशा या आंध्रप्रदेश हो सकता है।ममता बनर्जी ने कहा कि इन मामलों में केंद्र सरकार लापता है। उन्होंने आरोप लगाया कि रोजमर्रा के कामकाज में तो केंद्र सरकार हस्तक्षेप करती है लेकिन वह देश की आम जनता की सुरक्षा को लेकर उतनी ही सुस्त है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह लोकसभा चुनाव से पहले राज्यों को अस्थिर करने, राजनेताओं की हत्या करवाने और क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की साजिश तो नहीं है, जिससे केंद्र के खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ दबा दी जाये।
दूसरी ओर आईबी के एक अधिकारी का कहना है कि माओवादियों के पिछले दो अभियानों में यह बात गौर करने लायक रही है कि कुछ माओवादियों ने अनियंत्रित रूप से गोलियां चलाईं, जिससे पता चलता है कि घात लगाकर कांग्रेसी नेताओं की हत्या करने वाले कई कैडर नौसीखिए थे। इसी वजह से उन्होंने विशेष अभियान समूह बनाकर अपने कैडरों को अपने गोला-बारुद का अनुकूलतम इस्तेमाल करने और कम से कम समय में आक्रमण समाप्त कर भागना सिखाना शुरु किया है। मूलतः ये ऐसे समूह होंगे जिनका काम आक्रमण करना और भाग जाना होगा।
आईबी अधिकारी बताते हैं कि अब माओवादियों के केंद्रीय नेतृत्व ने निचले रैंक के पुलिस अधिकारियों और गांव वालों के बीच मौजूद संदिग्ध खबरियों की हत्या नहीं करने का निर्णय लिया है।
कोलकाता बिहार में गया जिले के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर में रविवार सुबह हुए नौ सिलसिलेवार बम विस्फोटों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आशंका जताई कि कहीं यह आम चुनाव से पहले राज्यों में शांति भंग करने, राजनीतिक दलों को परेशान करने तथा राजनीतिक नेताओं की हत्या की साजिश तो नहीं है?
ममता ने सोशल नेटवर्किं ग साइट पर लिखा कि मैं बोधगया में रविवार को हुए बम विस्फोटों के बारे में जानकर हैरान हूं। हमारी केंद्र सरकार आखिर क्या कर रही है? वे केंद्रीय एजेंसियां क्या कर रही हैं, जो अक्सर राज्यों के कामकाज में हस्तक्षेप करती रहती हैं, लेकिन हमारे देश व लोगों की सुरक्षा का ध्यान नहीं रखतीं?
ममता ने लिखा कि क्या यह लोकसभा चुनाव से पहले राज्यों में शांति भंग करने, राजनीतिक दलों को परेशान करने और कुछ राजनीतिक नेताओं की हत्या का षड्यंत्र है कि कोई भविष्य में जनता की आवाज न उठा सके? या यह जिम्मेदारी तय करने से बचने के लिए आरोप-प्रत्यारोप और क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की साजिश है, जो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर आश्रित नहीं हैं।
उन्होंने लिखा कि मैं समझ नहीं पा रही हूं कि आखिर क्यों इस तरह की घटनाएं नियमित रूप से हो रही हैं। पहले छत्तीसगढ़ में कुछ मासूम लोगों की जान गई, फिर झारखंड में पुलिस अधीक्षक और अन्य अधिकारियों की जान गई। आज बिहार में विस्फोट हुए। कल का निशाना कौन है- पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश या ओडिशा?
लेकिन दुर्भाग्यवश कानून और व्यवस्था पर किसी की नजर है,ऐसा नहीं लगता। मसलन, राज्य चुनाव आयोग मुंह छिपाता फिरेगा। तृणमूल नेता और राज्य के परिवहन मंत्री मदन मित्रा ने पश्चिमी मिदनापुर जिले के दातोन में आयोजित पार्टी की रैली में कहा, 'चुनाव के बाद (राज्य चुनाव) आयोग को चूड़ियां पहननी होगी और वह पर्दे में छिप जाएगा।' गौरतलब है कि यह बयान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज्य निर्वाचन आयोग से लोकतांत्रिक बदला लेने पर जोर देने के एक दिन बाद आया है। ममता ने कहा था कि राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) राज्य सरकार से परामार्श किए बगैर मममाने फैसले ले रहा है। और उन्होंने इसी पंचायत चुनाव सभा में राज्य निर्वाचन आयोग का नाम लिए बगैर उससे लोकतांत्रिक बदला लेने का संकल्प किया था। ममता ने कहा था, 'चुनाव रमजान के दौरान हो रहे हैं। क्या यह दुर्गा पूजा के दौरान होगा, क्या हम ऐसा चाहेंगे? रमजान मुसलमानों के लिए इसी तरह महत्वपूर्ण है। वे रोजा रखते हैं और मतदान करने में उन्हें असुविधा होगी।' उन्होंने 19 जुलाई के तीसरे चरण के मतदान का जिक्र करते हुए कहा, 'मतदान की तारीख एक शुक्रवार को रखी गई है। क्या (एसईसी को) हमसे पूछना जरूरी नहीं लगा?' गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते चुनाव की तारीखें 11, 15, 19, 22 और 25 जुलाई तय की थी।
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