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Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Saturday, April 9, 2016

जब तक धर्म है,तब तक स्त्री का उत्पीड़न चलता रहेगा क्योंकि सारे पवित्र ग्रंथों में स्त्री के उत्पीड़न का न्याय है ,जिसमें स्त्री के लिए समानता और अधिकार कहीं नहीं है। दुस्समय में पितृसत्ता के विरुद्ध, मनुस्मृति के खिलाफ स्त्री चेतना बदलाव की आहट है तो शनिदेवता की वक्रदृष्टि से भी सावधान! अब राममंदिर अभियान की तर्ज पर स्त्रियों का मंदिर प्रवेश का राष्ट्रव्यापी आंदोलन होगा और जो सभी स्त्रियों के हिंदुत्वकरण का सबसे कारगर कार्यक्रम होगा। महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर में शुक्रवार को 400 साल पुरानी परंपरा टूट गई। तो इसका मुआवजा स्त्री चेतना के हिंदुत्वकरण से ही भरना होगा। देश भर में तमाम फौरी और बुनियादी मुद्दों को पीछे छोड़कर धर्मांध स्त्रियां देव देवी की शरणागत बनने के लिए बाकायदा जुलूस निकालकर मंदिरों के गर्भगृह में जाने लगे तो इससे देश का केसरिया राष्ट्रवाद ही मजबूत होगा। स्री की बुनियादी समस्यायें और हिंदू समाज,हिंदू परिवार और हिंदू राष्ट्र में स्त्री की दशा दिशा जस की तस बनी रहेंगी।

जब तक धर्म है,तब तक स्त्री का उत्पीड़न चलता रहेगा क्योंकि सारे पवित्र ग्रंथों में स्त्री के उत्पीड़न का न्याय है ,जिसमें स्त्री के लिए समानता और अधिकार कहीं नहीं है।


दुस्समय में पितृसत्ता के विरुद्ध, मनुस्मृति के खिलाफ स्त्री चेतना बदलाव की आहट है तो शनिदेवता की वक्रदृष्टि से भी सावधान!

अब राममंदिर अभियान की तर्ज पर स्त्रियों का मंदिर प्रवेश का राष्ट्रव्यापी आंदोलन होगा और जो सभी स्त्रियों के हिंदुत्वकरण का सबसे कारगर कार्यक्रम होगा।


महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर में शुक्रवार को 400 साल पुरानी परंपरा टूट गई। तो इसका मुआवजा स्त्री चेतना के हिंदुत्वकरण से ही भरना होगा।


देश भर में तमाम फौरी और बुनियादी मुद्दों को पीछे छोड़कर धर्मांध स्त्रियां देव देवी की शरणागत बनने के लिए बाकायदा जुलूस निकालकर मंदिरों के गर्भगृह में जाने लगे तो इससे देश का केसरिया राष्ट्रवाद ही मजबूत होगा।


स्री की बुनियादी समस्यायें और हिंदू समाज,हिंदू परिवार और हिंदू राष्ट्र में स्त्री की दशा दिशा जस की तस बनी रहेंगी।



पलाश विश्वास

AZADI SONG _Composed & Sung by Pushpavathy

शनिमंदिर में स्त्री के प्रवेशाधिकार का हम स्वागत करते हैं लेकिन स्त्री की समानता की दृष्टि से स्त्री संघर्ष की इस बड़ी उपलब्धि के हिंदूत्वकरण के खतरे से भी हम आगाह करते हैं।शनि का मिथक भय का वह असीम साम्राज्य है,जहां हमारी आस्था कैद है।


गौरतलब है कि पहली नवरात्री पर शिंगणापुर के शनि मंदिर में इतिहास रचा गया और चार सौ साल में पहली बार पवित्र चबूतरे पर महिलाओं को पूजा करने का अधिकार मिला है।जिसका किसी तरह के धर्मन्माद ने विरोध नहीं किया और न इस ऐतिहासिक मंदिर प्रवेश का किसी भी स्तर पर कोी विरोद हुआ।इसका सीधा मतलब यह हुआ कि जो लोग विरोध में थे वे सीधे समर्थन में आ गये।तो यह बिना किसी मकसद के,बिना किसी योजना के हुआ होगा,ऐसा नहीं है।


जाहिर है कि अब राममंदिर अभियान की तर्ज पर स्त्रियों का मंदिर प्रवेस का राष्ट्रव्यापी आंदोलन होगा और जो सभी स्त्रियों के हिंदुत्वकरण का सबसे कारगर कार्यक्रम होगा।


गौरतलब है कि चार दशकों से महिलाओं को यहां काले पत्थर पर कदम रखने की अनुमति नहीं थीं, जो कि शनिदेव का प्रतीक है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले का तत्काल स्वागत किया है।

गौर कीजिये कि इससे पहले 2 अप्रैल को बंबई उच्च न्यायालय ने एक दिन पहले दिए गए फैसले कि कोई भी कानून पूजास्थलों में महिलाओं को प्रवेश करने से नहीं रोकता, के बावजूद शनि शिंगणापुर मंदिर में महिला कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की गई और ग्रामीणों ने उन्हें पूजा करने से रोक दिया गया था।

उस समय 'भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड' की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने लगभग 200 महिला समर्थकों के साथ जब शनि मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की तो गांव के सैकड़ों लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर महिलाओं को शनि मंदिर में जाने से रोक दिया. ग्रामीणों में 300 से ज्यादा महिलाएं भी शामिल थीं।

उल्लेखनीय है कि बंबई उच्च न्यायालय ने एक दूरगामी फैसले में कहा था कि कोई भी कानून पूजास्थलों में महिलाओं को प्रवेश करने से नहीं रोकता। इस मामले में लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.एच.वाघेला और न्यायमूर्ति एम.एस.सोनक की पीठ ने यह फैसला एक जनहित याचिका पर दिया था. याचिका सामाजिक कार्यकर्ता विद्या बल और वरिष्ठ वकील नीलिमा वर्तक ने दायर की थी।


अब मीडिया का कहना है कि  इस हक के लिए महिला एक्‍टिविस्‍ट तृप्‍ति देसाई ने लंबे समय से संघर्ष किया है। अब तृप्‍ति का इरादा देश के बाकी कुछ और मंदिरों में प्रवेश के लिए संघर्ष करने का है।


जाहिर है कि महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर में शुक्रवार को 400 साल पुरानी परंपरा टूट गई। तो इसका मुआवजा स्त्री चेतना के हिंदुत्वकरण से ही भरना होगा।


अंततःमहिलाओं ने मंदिर के चबूतरे पर चढ़कर पूजा अर्चना की।


अब महिलाओं को मंदिरों में प्रवेश के अधिकार की लड़ाई लड़ रहीं तृप्ति देसाई ने कहा है कि यह तो केवल अभी शुरुआत है।


भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख देसाई ने कहा कि जिन-जिन मंदिरों में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है उनके खिलाफ उनका संघर्ष जारी रहेगा।


उन्होंने बताया कि 13 अप्रैल को कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में वे लोग प्रवेश के लिए संघर्ष करेंगी।


अंदेशा इसी खतरे को लेकर है कि स्त्री मुक्ता का आंदोलन कहीं मंदिर प्रवेश आंदोलन में विसर्जित न हो जाये और यह स्त्री अस्मिता के हिंदुत्वकरण का सबसे सहज उपाय न बन जाये।


प्रसिद्ध शनि शिंगणापुरमंदिर ट्रस्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा है कि शुक्रवार से महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर पूजा-याचना कर सकेंगी।


साफ जाहिर है कि इस आकस्मिक उदारता के पीछे खुला राजड यही है कि  धर्म में आस्था के सवाल पर पितृसत्ता को स्त्री को मंदिर में प्रवेशाधिकार देने में दरअसल कोई परेशानी नहीं है और देश भर में तमाम फौरी और बुनियादी मुद्दों को पीछे छोड़कर धर्मांध स्त्रियां देव देवी की शरणागत बनने के लिए बाकायदा जुलूस निकालकर मंदिकरों के गर्भगृह में जाने लगे तो इससे देश का केसरिया राष्ट्रवाद ही मजबूत होगा।


स्री की बुनियादी समस्यायें और हिंदू समाज,हिंदू परिवार और हिंदू राष्ट्र में स्त्री की दशा दिशा जस की तस बनी रहेंगी।


स्त्री समानता के सवाल पर हम उस आस्था के तिलिस्म में स्त्री अस्मिता को कैद नहीं देखना चाहते।


शनि की वक्र दृष्टि से सावधान होने की जरुरत है।

गौरतलब है कि हम मंदिर प्रवेश के किसी भी आंदोलन का समर्थन नहीं करते।


धर्म के गोरखधंधे में फंसी स्त्री के लिए यह संसार जो नर्क बना है और उसके हाथों,पांवों,दिलोदिमाग में जो बेड़िया बंधी हैं,उसकी सबसे बड़ी वजह उसकी अंध आस्था है,जो पितृसत्ता के लिए स्त्री के उत्पीड़न और दमन का सबसे अचूक रामवाण है।


स्त्री के सतीत्व और पुरुषों को अबाध भोग के असमान तंत्र मंत्र यंत्र में ही शूद्र बना दी गयी स्त्री की स्वतंत्रता,समानता और मनुष्यता कैद है।


अब स्त्री का समानता का सवाल कही धर्मस्थलं में प्रवेशाधिकार का मामला बनकर निबट न जाये,खतरा यही है।


इसी सिलसिले में बरसों पहले तसलिमा नसरीन ने जो हमसे समयांतर के लिए इंटरब्यू में कहा था ,उसे उद्धृत करना प्रासंगिक मानता हूं।तब तसलिमा ने कहा था कि वे धर्म का विरोध इसलिए करती हैं कि धर्म लिंगभेद पर टिका है जो स्त्री को यौनदासी बना देता है।


तब कोलकाता में रह रही तसलिमा नसरीन ने कहा था कि जब तक धर्म है,तब तक स्त्री का उत्पीड़न चलता रहेगा क्योंकि सारे पवित्र ग्रंथों में स्त्री के उत्पीड़न का न्याय है ,जिसमें स्त्री के लिए समानता और अधिकार कहीं नहीं है।


हमने उनसे पूछा था कि वे सिर्फ इस्लामी कट्टरपंथ पर हमला करती है और लज्जा के जरिये उनके विचारों और लिखे का हिंदूत्वकरण हो रहा है,तो जवाब में उन्होंने कहा कि वे किसी धर्म के समर्थन में नहीं है बल्कि धर्म के खिलाफ हैं।क्योंकि पितृसत्ता का मूल आदार धर्म है जहां स्त्री के लिए सारे मानव और नागरिक अधिकार निषिद्ध हैं।


तब कोलकाता में रह रही तसलिमा नसरीन ने कहा था कि जब तक धर्म है,दलितों,पिछड़ों,आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार और नागरिक अधिकार नहीं हैं।


तसलिमा कोलकाता से निर्वासित हैं इस वक्त और बांग्लादेश में उनकी गर वापसी के कोई आसार नहीं है।


इस इकलौते इंटरब्यू में तसलिमा ने स्त्री के समानता के सवाल,पितृसत्ता के वजूद और धर्म को दलितों,पिछड़ों और अल्पसंक्यकों के नागरिक और मानवाधिकारों के साथ जोड़ा था।तब से तसलिमा ने बहुत कुछ लिखा बोला है,लेकिन इन पंक्तियों को फिर कहीं दोहराया हो.ऐसा मालूम नहीं पड़ता।


बहरहाल ये पंक्तियां मौजूदा मुक्तबाजार समय में हमारे लिए बेहद प्रासंगिक हैं क्योंकि मुक्त बाजार में धर्म और बाजार अब पर्यायवाची शब्द हैं और दोनों इकने हिल मिलकर अंध राष्ट्रवाद में इसतरह एकाकार है कि यह अखंड पितृसत्ता का समय है और इसके खिलाफ किसी भी प्रतिरोध के लिए स्त्री चेतनी की नेतृत्वकारी भूमिका न हुई तो हम लड़ाई के मोर्चे पर सिर्फ निमित्त मात्र हैं और मारे जाने के इंतजार में हैं।


स्त्री के मानवाधिकार और नागरिक अधिकारों से दलितों,पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के नागरिक और मानवाधिकार नत्थी हैं और इसीलिए इन तमाम शक्तियों को एक मंच पर एकसात खड़ा किये बिना मुक्ति का कोई रास्ता कहीं नहीं खुलता।


हम आगाह करते हैं कि मुक्ति का वह रास्ता यकीनन किसी धर्मस्थल का सिंहद्वार नहीं है जहां गर्भ गृह में दाखिले के बाद देवता या देवी की अंधभक्ति में निष्णात हो जाने के अलावा कोई और विकल्प बचता नहीं है।


ये शक्तियां बदलाव की शक्तियां हैं और येही शक्तियां अंद राष्ट्रवाद की पैदल फौजें हैं क्योंकि सबसे ज्यादा धर्मोन्मादी ये हैं।


इस बीज गणित का हल मुश्किल है लेकिननामुमकिन नहीं है और समाधान सूत्र फिर वही स्त्री चेतना है जो लिंगभेद के खिलाफ,मनुस्मृति के खिलाफ और असमानता के किलाफ विद्रोह कर ही है।हम उस स्त्र चेतना को सलाम करते हैं।


यह इंटरव्यू तब लिटरेट डाट कम और वेब दुनिया के वेब पर प्रसारित हुआ था,जिसके लिंक अब उपलब्ध नहीं है या कमसकम हमें नहीं मिल रहे हैं।


हम इधर सड़क का सामना करने के लिए तैयारियों में जुटे हैं और मुद्दे और मसले इतने उलझे हुए हैं,फिर उन्हें फौरी तौर पर संबोधित करने की जरुरत भी है,इसलिए फिलहाल हम वीडियो पर नहीं है।शायद उसकी जरुरतभी नहीं है।


पुष्पवती का यह वीडियो देख लें तो मौजूदा स्त्री चेतना और स्त्री काल के मनुस्मृति के विरुद्ध लामबंदी का नजारा साफ नजर आयेगा।


चार सौ साल की परंपरा तोड़कर शनिमंदिर में स्त्री प्रवेश का एक पहलू बेहद खतरनाक भी है,उसे रेखांकित करने के लिए वर्तमानसमय में स्त्री चेतना का सही अवस्थान जानना,समझना और पितृसत्ता के रंगभेदी मुक्तबाजार के खिलाफ वर्गीय ध्रूवीकरण के बारे में आज हमारा रोजनामचा है।


राजस्थान के दलित बच्चों के उत्पीड़न के मार्फत हिंदू राष्ट्र की जो असली तस्वीर हमने हस्तक्षेप के जरिये शेयर की है,उसे बहुजनों ने भारी पैमाने पर शेयर किया है।सिर्फ फेसबुक लाइक बारह हजार के करीब है।


हम बहुजनों से अपेक्षा करते हैं कि देश दुनिया के बाकी मुद्दों पर भी हमारे पोस्ट साझा करने में और जड़ों तक जमीन को पकाने और बदलाव के खेत तैयार करने में वे सहयोग करें।

हमने दलित बच्चों वाले पोस्ट के साथ हमारे मित्र पत्रकार उर्मिलेश और सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता नूतन यादव के फेसबुक वाल की पंक्तियों को भी जोड़ा है।


तकनीकी कारणों से हम खुद इसे आगे शेयर नहीं कर सके हैं और नूतन जी को देहरादून में हमारी दीदी गीता गैरोला से इस स्टोरी के बारे में पता चला है।


अमूमन हम प्रासंगिक किसी भी मंतव्य को शेयर करते हैं और जिन्हें हम जानते हैं या जो हमारे मित्र हैं,उन्हें अक्सर मालूम भी नहीं होता कि हम उनकी पंक्तियों का इस्तेमाल करते हैं।


हम हर वक्त लिंक भी साझा नहीं कर पाते हालांकि यथासंभव शेयर कर देते हैं,कृपाय वे इसे तकनीकी चूक मानकर हमारा सहयोग जारी रखें।


नासिक और कोल्‍हापुर में जारी रहेगा संघर्ष

शनि शिंगणापुर में प्रवेश कर पूजा अर्चना की छूट मिलने से खुश भूमाता ब्रिगेट की तृप्‍ति देसाई का कहना है कि अब महाराष्ट्र के नासिक त्रयम्बकेश्वर और कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में भी महिला श्रद्धालुओं के खिलाफ अन्याय को समाप्त करते हुए इसी प्रकार का संघर्ष प्रारंभ करने का निर्णय किया जाएगा। इस क्रम में 13 अप्रैल को कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में वे लोग प्रवेश के लिए संघर्ष करेंगी।

महिलाओं ने की पूजा

चैत्र नवरात्र के पहले दिन शनि शिंगणापुर मंदिर में लगभग चार सौ साल पुरानी परंपरा टूट गई। शुक्रवार को पुरुषों से साथ-साथ महिलाओं ने भी शनि मंदिर के चबूतरे पर जाकर शनिदेव को तेल चढ़ाया। महिलाओं का एक समूह पिछले कुछ माह से यह अधिकार पाने के लिए संघर्ष कर रहा था। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन महाराष्ट्र में गुड़ी पाड़वा का उत्सव मनाया जाता है। भारतीय नव वर्ष के पहले दिन शनि शिंगणापुर मंदिर में पुरुषों द्वारा शनि प्रतिमा का जलाभिषेक करने की परंपरा रही है। लेकिन विवादों के चलते पिछले कुछ माह से चबूतरे पर पुरुषों के भी जाने की मनाही कर दी गई थी। शुक्रवार सुबह करीब 250 पुरुष श्रद्धालुओं का समूह शनि चबूतरे पर चढ़कर शनिदेव की मूर्ति का जलाभिषेक करने में सफल हो गया।


400 साल का इतिहास बदला

इसके बाद आनन-फानन में बुलाई गई शनि मंदिर ट्रस्ट की बैठक में करीब 400 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते का फैसला किया गया। ट्रस्ट ने पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी शनि प्रतिमा (जिसे मंदिर का गर्भगृह कहा जा सकता है) तक जाने की अनुमति दे दी। ट्रस्ट ने यह फैसला स्थानीय ग्रामवासियों से चर्चा के बाद किया। इसकी घोषणा ट्रस्ट की महिला सदस्य शालिनी लांडे द्वारा की गई। ट्रस्ट के इस फैसले के बाद चबूतरे पर जाने के लिए संघर्ष करती आ रही भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने भी शनिदेव की पूजा-अर्चना की। पिछले सप्ताह हाई कोर्ट का फैसला आने के बावजूद स्थानीय लोगों ने देसाई को मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया था।


इस तरह चला संघर्ष

इस विवाद की शुरुआत 29 नवंबर, 2015 को एक महिला के शनि चबूतरे पर जबरन चढ़ जाने से हुई थी। उसके बाद मंदिर के पुजारियों ने शनि प्रतिमा का अभिषेक कर उसकी शुद्धि की थी। इससे नाराज भूमाता ब्रिगेड ने शनि चबूतरे तक महिलाओं को प्रवेश की इजाजत के लिए आंदोलन शुरू कर दिया। भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने 26 जनवरी, 2016 को शनि मंदिर में जबरन प्रवेश करना चाहा, लेकिन उन्हें रोक दिया गया। 28 जनवरी, 2016 को बांबे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ में एक याचिका दायर कर महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति मांगी गई थी। एक अप्रैल, 2016 को हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जाति और लिंग के आधार पर मंदिर में प्रवेश रोकने वाले पर वह कानूनी कार्रवाई करे।


शनि शिंगणापुर में टूटी चार सौ साल की परंपरा, महिलाओं ने की पूजा अर्चना

दैनिक जागरण - ‎16 hours ago‎

... में बुलाई गई शनि मंदिर ट्रस्ट की बैठक में करीब 400 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते का फैसला किया गया। ट्रस्ट ने पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी शनि प्रतिमा (जिसे मंदिर का गर्भगृह कहा जा सकता है) तक जाने की अनुमति दे दी। ट्रस्ट ने यह फैसला स्थानीय ग्रामवासियों से चर्चा के बाद किया। इसकी घोषणा ट्रस्ट की महिला सदस्य शालिनी लांडे द्वारा की गई। ट्रस्ट के इस फैसले के बाद चबूतरे पर जाने के लिए संघर्ष करती आ रही भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने भी शनिदेव की पूजा-अर्चना की। पिछले सप्ताह हाई कोर्ट का फैसला आने के बावजूद स्थानीय लोगों ने देसाई को मंदिर में प्रवेश ...

महिलायें शनि मंदिर में जा सकेंगी

Chhattisgarh Khabar - ‎20 hours ago‎

अहमदनगर | समाचार डेस्क: करीब 400 साल बाद महिलाओँ को शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी गई है. इसे लिये कुछ समय से विशेष रूप से महिलाओं द्वारा प्रयास किया जा रहा था. प्रसिद्ध शनि शिंगणापुरमंदिर ट्रस्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा है कि शुक्रवार से महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर पूजा-याचना कर सकेंगी. यह निर्णय ट्रस्ट की एक बैठक में लिया गया और इसकी घोषणा ट्रस्टी शालिनी लांडे ने की. उल्लेखनीय है कि चार दशकों से महिलाओं को यहां काले पत्थर पर कदम रखने की अनुमति नहीं थीं, जो कि शनिदेव का प्रतीक है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले का ...

शनि शिंगणापुर की 400 साल पुरानी परंपरा टूटी, अब दूसरे मंदिरों में भी एंट्री की तैयारी

आईबीएन-7 - ‎4 hours ago‎

अहमदनगर। स्त्री-पुरूष समानता के अभियान में मिली एक बडी जीत में महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर मेंमुख्य पूजा स्थल पर महिलाओं के प्रवेश पर सदियों से चली आ रही पाबंदी को शुक्रवार को हटा लिया गया। यह कदम कार्यकर्ताओं के लंबे संघर्ष और अदालत के निर्देशों के बाद उठाया गया है। मंदिर के न्यास द्वारा पश्चिम महाराष्ट्र के इस मंदिर के मुख्य क्षेत्र में सभी श्रद्धालुओं को अबाधित प्रवेश की सुविधा देने के निर्णय के कुछ ही समय बाद कुछ महिलाओं ने पवित्र स्थल पर प्रवेश किया और पूजा की। निर्णय की घोषणा के कुछ घंटे बाद भूमाता ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई अहमदनगर के शनि ...

शनि शिंगणापुर मंदिर: टूटी सालों पुरानी परंपरा, महिलाओं को पूजा की इजाजत

Rajasthan Patrika - ‎Apr 8, 2016‎

ट्रस्ट ने तृप्ति देसाई को मंदिर में पूजा करने के लिए आमंत्रित किया है। इससे पहले सुबह बड़ी संख्या में पुरुष श्रद्धालु मंदिर में घुसे और पुलिस चुपचाप तमाशा देखती रही। पुलिस ने किसी को भी रोक पाने में नाकाम रही। तृप्ति देसाई भी शनि मंदिर के लिए रवाना. इसके बाद मंदिर में पूजा को लेकर महिलाओं के अधिकार की आवाज उठाने वाली तृप्ति देसाई भी शनि शिंगणापुर मंदिर के लिए पुणे से रवाना हुईं। वह महिलाओं को शनि मंदिर में प्रवेश और पूजा का अधिकार देने की लड़ाई लड़ रही हैं। उनकी अपील पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि देश का कानून सभी के लिए बराबर है और किसी को भी मंदिर ...

शनि शिंगणापुर मंदिर में टूटी 400 साल पुरानी परम्परा, पुरुषों ने तोडा नियम, महिलाओं को भी एंट्री

Sanjeevni Today - ‎Apr 8, 2016‎

मंदिर ट्रस्ट ने तृप्ति देसाई को मंदिर में पूजा करने के लिए आमंत्रित किया है। इससे पहले सुबह बड़ी संख्या में पुरुष श्रद्धालु मंदिर में घुसे और पुलिस चुपचाप तमाशा देखती रही। पुलिस द्वारा किसी को भी रोक पाने में नाकाम रही। शनि मंदिर के लिए तृप्ति देसाई भी रवाना इसके बाद ही शनि शिंगणापुर मंदिर में पूजा को लेकर महिलाओं के अधिकार की आवाज उठाने वाली एक्टिविस्ट तृप्ति देसाई भी मंदिर के लिए पुणे से रवाना हुईं। तृप्ति देसाई महिलाओं को शनि मंदिर में प्रवेश और पूजा का अधिकार देने की लड़ाई लड़ रही हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनकी अपील पर आदेश दिया था कि देश का कानून सभी के ...

शनि शिंगणापुर में महिलाओं को मिला पूजा का अधिकार

Catch हिन्दी - ‎21 hours ago‎

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को पूजा करने का अधिकार मिल गया. बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी मंदिर ट्रस्ट महिलाओं को पूजा करने के अधिकार के खिलाफ अड़ा हुआ था, लेकिन शुक्रवार को पुरुष श्रद्धालुओं के जबरन घुसने के थोड़ी देर बाद ही महिलाओं को भी पूजा करने की इजाजत ट्रस्ट ने दे दी. ट्रस्ट ने तृप्ति देसाई को मंदिर में पूजा करने के लिए आमंत्रित किया है. इसके बाद मंदिर में पूजा को लेकर महिलाओं के अधिकार की आवाज उठाने वाली तृप्ति देसाई भी शनि शिंगणापुर मंदिर के लिए पुणे से रवाना हुईं. वह महिलाओं को शनि मंदिर में प्रवेश और ...

अब महालक्ष्मी मंदिर में प्रवेश की बारी: तृप्ति देसाई

पंजाब केसरी - ‎26 minutes ago‎

नई दिल्ली: शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाअों को मिले प्रवेश से जहां 400 साल पुरानी परंपरा टूट गई और महिलाओं ने मंदिर के चबूतरे पर चढ़कर पूजा अर्चना की। वहीं महिलाओं को मंदिरों में प्रवेश के अधिकार की लड़ाई लड़ रहीं भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई ने कहा है कि यह तो केवल अभी शुरुआत है। देसाई ने कहा कि जिन-जिन मंदिरों में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है उनके खिलाफ उनका संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि 13 अप्रैल को कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में वे लोग प्रवेश के लिए संघर्ष करेंगी। महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को लेकरशनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने शुक्रवार ...

शनि शिंगणापुर में 400 साल पुरानी परंपरा टूटी, सभी भक्त कर पाएंगे पूजा

पलपल इंडिया - ‎Apr 8, 2016‎

महाराष्‍ट्र के अहमदनगर में बने शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चले लंबे विवाद के बाद अब नया मामला गर्मा गया है. मंदिर के मुख्‍य चबूतरे पर चढ़कर पूजा करने पर लगी रोक के बावजूद शुक्रवार को पुरुषों ने जबरन यहां चढ़कर पूजा की. इसके बाद से मंदिर में तनाव का महौल बन गया है. इसके बाद मंदिर ट्रस्‍ट ने ग्रामीणों के साथ मिलकर निर्णय लिया है कि चबूतरे पर जाकर पूजा करने से अब किसी को भी नहीं रोका जाएगा और अब आम भक्‍त भी वहां जाकर पूजा कर सकेंगे. मालूम हो कि हर साल गुड़ी पड़वा पर शनि शिंगणापुरमंदिर में देवता को नहलाया जाता है जिसमें अब तक केवल पुरुष ही शामिल होते थे.

शनि शिंगणापुर में टूटी 400 साल पुरानी परंपरा, चबूतरे पर चढ़ महिलाओं ने की पूजा

आईबीएन-7 - ‎19 hours ago‎

अहमदनगर। अहमदनगर में मौजूद शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने 400 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए महिलाओं को मंदिर के चबूतरे पर चढ़ने की इजाजत दे दी। इजाजत मिलने के बाद दो महिलाए शनि मंदिर के चबूतरे पर गईं और पूजा अर्चना की। इससे पहले ट्रस्ट ने महिलाओं को मंदिर में पूजा करने से नहीं रोकने का फैसला किया था। शनि शिंगणापुर ट्रस्ट ने कहा कि हमने रोज ही महिलाओं को चबूतरे तक जाने की इजाजत दे दी है। आज गुड़ी पड़वा के मौके पर बड़ी संख्या में पुरुष श्रद्धालु मंदिर के गर्भ में प्रवेश कर गए और जबरदस्ती जल चढ़ा दिया। बता दें कि मंदिर के गर्भ गृह में महिलाओं के प्रवेश के बाद पुरुषों के ...

महिलाओं को मिली शनि शिंगणापुर में चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत, टूटी परंपरा

एनडीटीवी खबर - ‎12 hours ago‎

पिछले साल शनि शिंगणापुर मंदिर में शनि की मूर्ति पर एक महिला द्वारा तेल चढ़ाने पर यह विवाद शुरू हुआ था। महिला के तेल चढ़ाने के बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था। इसके बाद भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उन्हें मंदिरपहुंचने से पहले ही रोक लिया। तब से अब तक वह कई कोशिश कर चुकी हैं। इसके बाद महिलाओं को शनिशिंगणापुर मंदिर में प्रवेश के अधिकार पर बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका भी दायर हुई थी। बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने कहा था कि पूजास्थलों पर जाना उनका मौलिक अधिकार है और इसकी रक्षा करना ...

शनि शिंगणापुर विवाद से जुड़ी 10 खास बातें

आज तक - ‎22 hours ago‎

महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में आखिरकार 400 साल बाद महिलाओं को प्रवेश की अनुमति मिल गई. मंदिर में प्रवेश के अधिकार के लिए महिलाओं ने न सिर्फ सड़क पर उतर कर आंदोलन किया बल्कि कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया. आखिरकार महिलाओं का आंदोलन सफल रहा. ये हैं शनि शिंगणापुर मंदिर जुड़ी खास बातें-. 1. शनिशिंगणापुर मंदिर में 400 साल से किसी महिला को शनिदेव के चबूतरे पर जाकर तेल चढ़ाने की इजाजत नहीं थी. 2. 19 दिसंबर को भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने चबूतरे पर जाने की कोशिश की, जिसका गांव के लोगों ने विरोध किया. 3. तृप्ति देसाई ने 26 जनवरी 2016 को मंदिर के चबूतरे पर जाकर ...

अब औरतें भी शनि देव पर तेल चढ़ा सकेंगी

बीबीसी हिन्दी - ‎22 hours ago‎

अदालत के हुक्म के बावजूद महिलाओं को मुख्य चबूतरे पर न जाने देने की ज़िद पर अड़े शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने कहा है कि अब औरतें भीं मुख्य शिला पूजन कर सकती हैं. इसके साथ ही मंदिर में पूजन की 400 पुरानी मान्यता समाप्त हो गईं जिसमें औरतों को शनि मंदिर के मुख्य चबूतरे पर प्रवेश का अधिकार नहीं था. मुंबई हाई कोर्ट ने चंद दिनों पहले फ़ैसला दिया था कि मंदिर में प्रवेश को लेकर स्त्री-पुरुष में फ़र्क़ नही किया जा सकता है. लेकिन जब औरतों के एक समूह ने इसकी कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया था. Image copyright. शुक्रवार को गुड़ी पाड़वा के मौक़े पर परम्परा के मुताबिक़ लोग वहां ...

शनि शिंगणापुर मंदिरः महिलाओं की पूजा पर लगी रोक हटायी गई

दैनिक जागरण - ‎Apr 8, 2016‎

महाराष्ट्र के अहमदनगर में बने शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चले लंबे विवाद के बाद अब नया मामला गर्मा गया है। मंदिर के मुख्य चबूतरे पर चढ़कर पूजा करने पर लगी रोक के बावजूद शुक्रवार को पुरुषों ने जबरन यहां चढ़कर पूजा की। इसके बाद से मंदिर में तनाव का महौल बन गया है। इसके बाद मंदिर ट्रस्ट ने ग्रामीणों के साथ मिलकर निर्णय लिया है कि चबूतरे पर जाकर पूजा करने से अब किसी को भी नहीं रोका जाएगा और अब आम भक्त भी वहां जाकर पूजा कर सकेंगे। शनि शिंगनापुर मंदिर के ट्रस्टी नानासाहेब बनकर ने अपने बयान में कहा कि शनि शिंगनापुर ट्रस्ट ने तय किया है कि मंदिर का चबुतरा ...

शनि शिंगणापुर मंदिर में 400 साल पुरानी परंपरा टूटी, महिलाओं को मिली पूजा की इजाजत

पंजाब केसरी - ‎Apr 8, 2016‎

यानिकी अब महिलाअाें काे मंदिर में स्थित मुख्य शिला की पूजा की इजाजत हाेगी। बता दें कि इससे पहले मंदिर में पूजा को लेकर बड़ी संख्या में पुरुष श्रद्धालुओं ने मंदिर में धावा बोला और मुख्यशिला तक पहुंच गए, जहां पूजा पर रोक लगी हुई है।इसके बाद मंदिर के ट्रस्ट ने ये एेताहासिक फैसला सुनाया। बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या मेंपुरुष श्रद्धालु मंदिर में घुसे और पुलिस किसी को भी रोक पाने में नाकाम रही। गाैरतलब है कि एक्टिविस्ट तृप्ति देसाई शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाअाें काे प्रवेश और पूजा का अधिकार दिए जाने के लिए लड़ाई लड़ रही थी। उनकी अपील पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने ...

शनि मंदिर: टूट गई 400 साल पुरानी परंपरा

नवभारत टाइम्स - ‎19 hours ago‎

महाराष्ट्र के अहमद नगर के प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के पवित्र चूबतरे की पूजा नहीं करने की 400 साल पुरानी परंपरा शुक्रवार को टूट गई। शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट द्वारा मंदिर के पवित्र स्थान पर पूजा करने की इजाजत मिलने के बाद शुक्रवार से महिलाओं ने वहां पूजा शुरू कर दी। सालों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए पहले दो महिलाओं ने वहां पूजा की। इसके बाद भू माता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने चबूतरे में प्रवेश कर शनिकी पूजा की। पूजा करने के बाद तृप्ति देसाई ने कहा कि 13 अप्रैल को कोल्हापुर स्थित महालक्ष्मी मंदिर के गर्भगृह में 500 महिलाओं के साथ हमारा ...

शिंगणापुर: 400 साल की परंपरा ढाई घंटे में यूं हुई खत्म, महिलाओं ने की पूजा

दैनिक भास्कर - ‎19 hours ago‎

दरअसल, बॉम्बे हाईकाेर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिरों में पूजा बुनियादी हक है। इससे महिलाओं को नहीं रोका जा सकता। - इसी फैसले के बाद मांग उठी थी कि जब पुरुषों को पूजा की इजाजत है तो महिलाओं को क्यों न हो? - विवाद से बचने के लिए शनि शिंगणापुर और बाद में नासिक त्र्यंबकेश्वर मंदिर ट्रस्ट ने पुरुषों की भी गर्भगृह तक एंट्री रोक दी थी। - जब शुक्रवार सुबह पुरुषों ने बैरिकेड तोड़कर पूजा की तो महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ रहीं भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने कहा कि हम भी मंदिर में जाकर पूजन करेंगे। जब पुरुषों को इजाजत दी गई तो महिलाओं को भी हक मिलना चाहिए क्योंकि ...

महिलाओं को नहीं आना चाहिए शनि के सामने : शंकराचार्य

Patrika - ‎4 hours ago‎

हरद्विार। महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले के प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर में शुक्रवार को महिलाओं को प्रवेशमिलने से जहां एक तरफ 400 साल पुरानी परंपरा टूटी वहीं दूसरी तरफ साधु संतों ने इस पर मिली जुली प्रतिक्रिया दी है। ज्योतिष और द्वारिका पीठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने महिलाओं के पवित्र चबूतरे पर चढ़कर पूजा करने और तेल चढ़ाने की अनुमति मिलने का स्वागत तो किया, लेकिन चेताया भी कि महिलाओं कोशनि के सामने नहीं पडऩा चाहिए, शनि की पूजा से अनिष्ट हो सकता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए शनिकी पूजा वर्जित है। दूसरी ओर जूना अखाड़े के ...

परंपरा के पार कदम, मिला अधिकार

The Patrika - ‎12 hours ago‎

हम महिलाओं को मंदिर में घुसने की मंजूरी दे रहे हैं।" यहां बता दें कि बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने पिछले बुधवार को अपने फैसले में कहा था कि महिलाओं को मंदिर में घुसने से नहीं रोका जा सकता। भूमाता बिग्रेड इस मंदिर में महिलाओं को प्रवेश कराने की मांग के साथ अभियान चला रहा था। इसके बाद ही यह मामला सुर्खियों में आया। मंदिर ट्रस्‍ट के फैसले का स्‍वागत करते हुए तृप्ति देसाई ने कहा, "यह महिला शक्‍त‍ि की जीत है। हम बहुत खुश हैं कि हमारी कोशिशें कामयाब रहीं।" स्मरण रहे कि शनि शिंगणापुर मंदिर शनिदेव को समर्पित है। शनिदेव हिंदू मान्यता में शनि ग्रह हैं। इस मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा ...

टूटी 400 साल पुरानी परंपरा : शनि शिंगणापुर में महिलाओं को मिली पूजा करने की अनुमति

News Track - ‎Apr 8, 2016‎

न्यास द्वारा इस मामले में बैठक का आयोजन किया गया जिसमें यह कहा गया कि महिलाओं को चबूतरे तक पूजन करने की अनुमति दी जाएगी। इस निर्णय के बाद भूमाता रण रागिनी समूह की अध्यक्ष तृप्ति देसाई को मंदिर में पूजन करने के लिए आमंत्रित किया गया। इसके पूर्व पुरूष श्रद्धालु मंदिर में दाखिल हुए और उन्होंने मंदिर में पूजन किया। महिलाओं को शनि मंदिर में प्रवेश और पूजन का अधिकार देने के लिए उनके द्वारा लड़ाईयां लड़ी जा रही हैं। इस मामले में एक अपील मुंबई उच्च न्यायाल में दायर की गई थी। जिसमें यह आदेश दिया गया था कि देश का कानून सभी के लिए समान है और किसी को भी मंदिर में प्रवेश ...

शनि शिंगणापुर मंदिर पर महिलाओं की एंट्री

देशबन्धु - ‎7 hours ago‎

अहमदनगर (महाराष्ट्र) ! प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा है कि शुक्रवार से महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर पूजा-अर्चना कर सकेंगी। यह महत्वपूर्ण निर्णय ट्रस्ट की एक बैठक में ऐसे समय में लिया गया, जब एक सप्ताह पहले बम्बई उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा था कि किसी भी पूजास्थल में महिलाओं को प्रवेश करने से रोकने का कोई कानून नहीं है। ट्रस्ट के निर्णय की घोषणा बाद में ट्रस्टी शालिनी लांडे ने की। ट्रस्ट की अध्यक्ष अनिता शेट्ये ने शुक्रवार को आईएएनएस को बताया, "हां, हमने निर्णय ले लिया है। और अब हम अन्य बातों को तय करेंगे, जैसे कि महिलाएं कब ...

शनि शिंगणापुर में 400 साल पुरानी परंपरा टूटी, महिलाएं करेंगी पूजा

Live हिन्दुस्तान - ‎19 hours ago‎

महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर में 400 साल पुरानी परंपरा टूट गई। यहां महिलाओं ... महिलाओं को इस पूजन का अधिकार दिए जाने की लड़ाई लड़ रहीं तृप्ति देसाई भी कुछ ही देर में मंदिर पहुंचने वाली हैं। आज इस सफलता से ... गौरतलब हो कि महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में आज सुबह उस समय स्थित नियंत्रण से बाहर हो गई जब बड़ी संख्या में पुरुषों ने बैरिकेडिंग तोड़ते हुए शिवलिंग के पास पहुंच गए जहां पूजा की जाती है। उन्होंने वहां ... इस तरह सुप्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर के 400 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब महिलाओं को पूजा करने की इजाजत मिली है। गौरतलब है कि ...

इन 7 बातों से जानें, कौन हैं तृप्ति देसाई?

आज तक - ‎21 hours ago‎

शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने और पूजा करने की अनुमति मिलने के पीछे सबसे अहम योगदान भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड और उसकी संस्थापक तृप्ति देसाई का है. इन्होंने बिना रुके ये लड़ाई जारी रखी और आखिरकार जीत मिली. पढ़ें- शनि शिंगणापुर मंदिर विवाद से जुड़ी 10 खास बातें. महिलाओं के अधिकार के लिए तृप्ति देसाई न सिर्फ ट्रस्ट के फरमान के खिलाफ उतरीं, बल्कि हवालात में भी गईं. ये हैं तृप्ति देसाई के बारेमें अहम बातें-. 1. मुंबई की SNDT महिला यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई की. 2. 2010 में भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की स्थापना की. 3. भूमाता ब्रिगेड की मौजूदा ...

शनि शिंगणापुर मंदिर की 400 साल पुराने Tradition अंत

Legend News - ‎22 hours ago‎

ट्रस्ट के इस निर्णय के बाद अब महिलायें भी मंदिर में स्थित मुख्य शिला की पूजा कर सकेंगी. इससे पहले मंदिरमें पूजा को लेकर बड़ी संख्या में पुरुष श्रद्धालु मंदिर पहुंचे और जबरन मंदिर के चबूतरे पर खड़े होकर पूजा की. रोक के वावजूद बड़ी संख्या में पुरुष श्रद्धालु मंदिर में घुसे इस दौरान पुलिस चुपचाप तमाशा देखती रही. तलब है कि एक्टिविस्ट तृप्ति देसाई शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और पूजा का अधिकार दिए जाने के लिए संघर्षरत थीं. उनकी अपील पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि देश का कानून सभी के लिए बराबर है और किसी को भी मंदिर में प्रवेश से रोका नहीं जा सकता है.

शनि शिंगणापुर मंदिर में टूटी 400 साल पुरानी परंपरा, मंदिर ट्रस्ट ने महिलाओं को भी दी इजाजत

Special Coverage News (कटूपहास) (प्रेस विज्ञप्ति) (सदस्यता) (ब्लॉग) - ‎Apr 8, 2016‎

मुंबई: महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में 400 साल पुरानी परंपरा अाज टूट गई। 400 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब महिलाओं को पूजा करने की इजाजत मिली है। जानकारी के मुताबिक, मंदिर ट्रस्ट ने तृप्ति देसाई काे पूजा के लिए न्याैता भेजा है। अब महिलाअाें काे मंदिर में स्थित मुख्य शिला की पूजा की इजाजत हाेगी। आपको बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी मंदिर ट्रस्ट महिलाओं को पूजा करने के अधिकार के खिलाफ अड़ा हुआ था। बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में शुक्रवार को मंदिर में पूजा को लेकर पुरुष श्रद्धालुओं ने मंदिर में धावा बोला और मुख्यशिला तक पहुंच ...

मंदिर में महिलाएं

Live हिन्दुस्तान - ‎7 hours ago‎

शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने आखिरकार मंदिर के मुख्य स्थान तक महिलाओं के प्रवेश को मान्यता दे दी है, हालांकि अब भी महिलाओं की राह पूरी तरह आसान नहीं हुई है, क्योंकि शिंगणापुर गांव का नेतृत्व महिलाओं के प्रवेश के अब भी खिलाफ है और उसने 'शिंगणापुर' बंद का आह्वान किया है। इससे यह आशंका पैदा होती है कि जो महिलाएं मंदिर में शनि की प्रस्तर प्रतिमा तक जाने की कोशिश करेंगी, उनका वहां विरोध हो सकता है। गांव की पंचायत का विशेष गुस्सा भूमाता रणरागिणी ब्रिगेड नाम की संस्था के खिलाफ है, जिसने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के लिए आंदोलन चलाया है। मगर अब पुलिस व प्रशासन ...

बड़ा फैसला! शनि शिंगणापुर में महिलाएं भी करेंगी पूजा...

Webdunia Hindi - ‎Apr 8, 2016‎

अहमदनगर (महाराष्ट्र)। शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर लंबे समय तक कार्यकर्ताओं द्वारा चलाए गए अभियान के बाद शुक्रवार को मंदिर के ट्रस्ट ने दशकों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए महिलाओं को मंदिरके गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दे दी। मंदिर के इस भाग में प्रवेश करने के सारे लैंगिक प्रतिबंधों को हटाने की यह खुशखबरी भी महाराष्ट्र के लोगों को 'गु़ड़ी पड़वा' जैसे पवित्र दिन पर मिली है। इस दिन राज्य में लोग नए साल की खुशियां मनाते हैं। मंदिर के एक ट्रस्टी सियाराम बांकर ने कहा कि शुक्रवार को ट्रस्टियों ने बैठक की और उच्च न्यायालय के निर्णय को ध्यान में रखते ...

जानिए किसने चलाई महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिलाने की मुहीम? कौन है तृप्ति देसाई?

दैनिक जागरण - ‎22 hours ago‎

जानिए किसने चलाई महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिलाने की मुहीम? कौन है तृप्ति देसाई? शनि शिंगनापुर मंदिरमें महिलाओं को प्रवेश दिलाने के लिए भूमिता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई ने मुहीम शुरू की हुई थी। उन्होंने कई बार मंदिर में प्रवेश की कोशिश लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया गया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अर्जी दायर की जिसके बाद कोर्ट ने भी उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि स्त्री पुरूष को लकर समाज में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। कौन हैं तृप्ति देसाई? - पुणे की रहने वाली तृप्ति देसाई पिछले कई सालों से महिलाओं के हितों के लिए काम कर रही हैं।

400 वर्ष बाद शनि शिंगणापुर में महिलाओं ने की पूजा

Dainiktribune - ‎13 hours ago‎

10804cd _trupti शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के पवित्र चूबतरे की पूजा नहीं करने की 400 साल पुरानी परंपरा शुक्रवार को टूट गयी। ट्रस्ट की ओर से महिलाओं को भी मंदिर के पवित्र स्थान पर पूजा करने की इजाजत मिलने के बाद 2 महिलाओं ने वहां पूजा की। इसके बाद भू माता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने चबूतरे में प्रवेशकर शनि की पूजा की। अब त्र्यंबकेश्वर, महालक्ष्मी मंदिर की बारी : ट्रस्ट के इस फैसले का तृप्ति देसाई ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा, ''देर से आए लेकिन दुरुस्त आए।'' उन्होंने उम्मीद जतायी नासिक के त्र्यंबकेश्वर और कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर भी महिलाओं के ...



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