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Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Saturday, November 1, 2014

मुनाफे की इस व्‍यवस्‍था में चाहे वेश्‍यावृत्ति कानुनी हो या पूरी तरह प्रतिबंधित, उसमें गरीब महिलाओं का ही शोषण होना है, उन्‍हीं की नाबालिग बच्चियां उठायी जाती है।


एक अच्‍छे खाते पीते घर की शादीशुदा महिला का कल वेश्‍यावृत्ति को कानुनी बनाने सम्‍बंधी विषय पर कमेंट था कि ऐसा करने से "सभ्‍य" महिलाओं का बलात्‍कार रूक जायेगा। बहुत सारे अन्‍य लोग भी इसी तर्क से वेश्‍यावृत्ति को कानुनी बना देने की मांग कर रहे हैं। बलात्‍कार व महिला विरोधी अपराधों के मूल कारणों की पड़ताल करने की जगह ये लोग इतने मानवद्रोही बन गये हैं कि अपना या अपने सगे सम्‍बधियों (या फिर "सभ्‍य" महिलाओं का) का बलात्‍कार ना हो तो इन्‍हे दुनियाभर में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों या बलात्‍कारों से कोई समस्‍या नहीं है। वैसे देखा जाये तो भारत में कुछ इलाकों में वेश्‍यावृत्ति कानुनी भी है (दिल्‍ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों में इसके लिए खास जगहें चिन्हित हैं)। उन्‍हीं इलाकों में भारत के गरीब इलाकों से व बांग्‍लादेश जैसे देशों से नाबालिग लड़कियों को लाया जाता है व हार्मोनों के स्‍टेरॉइड इंजेक्शन दे देकर उन्‍हें जवान दिखाया जाता है। क्‍या इससे भारत में बलात्‍कार बन्‍द हो गया है। क्‍या उन देशों में बलात्‍कार या महिला विरोधी अपराध कम हैं जहां वेश्‍यावृत्ति कानुनी है। वैसे भी कोई मानवद्रोही जानवर ही इस तरह की चीजों की वकालत करेगा जिससे एक महिला का बलात्‍कार का रोकने के लिए किसी दूसरी महिला को जिन्‍दगी भर तिल तिल मरना पड़े। 
मुनाफे की इस व्‍यवस्‍था में चाहे वेश्‍यावृत्ति कानुनी हो या पूरी तरह प्रतिबंधित, उसमें गरीब महिलाओं का ही शोषण होना है, उन्‍हीं की नाबालिग बच्चियां उठायी जाती है। अगर वेश्‍यावृत्ति प्रतिबंधित भी है तो पैसे वालों के लिए कोई समस्‍या नहीं है। आये दिन आप अख़बारों में बड़े बड़े कॉल गर्ल्‍स रैकेट के बारे में पढ़ते होंगे, क्‍या कभी भी किसी बिजनेसमैन, नेता, अफसर को पकड़कर सजा दी जाती है। क्‍या कभी भी ऐसे रैकैट सरगनाओं को सजा होती है।

सोवियत संघ में क्रान्ति के बाद एक बड़ी समस्‍या वेश्‍यावृत्ति भी थी पर उन्‍होनें कुछ ही वर्षों में उसे पूरी तरह खत्‍म करने में सफलता प्राप्‍त की। सभी लोगों को वो प्रयोग जरूर पढ़ना चाहिए और सोचना चाहिए कि क्‍या एक मुनाफाखोर व्‍यवस्‍था में वेश्‍यावृत्ति को पूरी तरह कानुनी बनाने या प्रतिबंधित करने से ये समस्‍या हल हो सकती है या फिर इसका समाधान एक मुनाफारहित समाजवादी समाज ही दे सकता है। 
'पाप और विज्ञान' नाम की इस पुस्‍तक में अमेरिकी पत्रकार डाइसन कार्टर ने अपने देश अमेरिका और समाजवादी रूस का तुलनात्‍मक अध्‍ययन करते हुए इस तरह की समस्‍याओं के दो समाधानों (अमेरिकन व रूसी) का विस्‍तृत ब्‍यौरा पेश किया है। नीचे इस पूस्‍तक के अंग्रेजी संस्‍करण का‍ लिंक दे रहा हूँ। हिन्‍दी में ये पुस्‍तक जनचेतना ने प्रकाशित की है। 
https://www.scribd.com/doc/137563326/Sin-and-Science

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