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Tuesday, July 28, 2015

बस्तर के आदिवासी बालाओ को बहला फुसला कर ज्यादा पैसे का लालच देकर प्रदेश के अनेक राईस मिलो में शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, इसे हम हरगिज नहीं सहेंगे मिल प्रबन्धन के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की गई है | भाजपा सरकार में आदिवासी सुरक्षित नहीं नहीं है|


पूंजीपति शारदा राईस मिल संचालक के सामने धमतरी प्रशासन ने घुटने टेके...

बसंती की मौत और आदिवासी युवतियों के शोषण पर मिल प्रबन्धन पर अब तक पुलिस और प्रशासन का कार्यवाही नही
बसंती की मौत की पूरी जिम्मेदार शारदा राईस मिल प्रबधन है लेकिन अभी तक शरदा राईस मिल प्रबधन के खिलाफ किसी प्रकार का कोई कर्यवाही नहीं हुआ है एक आदिवासी युवती का शारदा मिल प्रबन्धन के शोषण कर्यो और नियम विरुद्ध कार्य कराने के चलते मौत हो गई है | उसके बाद भी धमतरी जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन आख कान मूंदे बैठी है| शारदा राईस मिल प्रबन्धन के खिलाफ कार्यवाही करने में धमतरी पुलिस प्रशासन के हाथ-पाँव पुल रहे है रसूखदार व्यापारी के नेताओं के गठ जोड़ के चलते मिल प्रबंधन के ऊपर अभी तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है |
कांकेर-: आशिक्षा और जागरूकता की कमी के चलते अपने हित साधने आदिवासी युवती बसंती को शोषण के चलते मौत की बलि चढ़ा दी गई शारदा राईस मिल संचालाक द्वारा | परिजन न्याय की आस में बैठे है उन्हें उनकी बेटी की मौत का न्याय तो मिलेगा ही? लेकिन  पूंजीपति मिल व्यपारी के सामने प्रशासन ने घुटने टेक दिए है किसी भी प्रकार के कार्यवाही से पल्ला झाड रहे है श्रम कानूनों का उलखंन कर रात 1 बजे शारदा राईस मिल में आदिवासी युवती से शोषण भरा काम लिया जा रहा था, जिससे आदिवासी युवती बसंती मौत के मुंह में समा गई, रायपुर एमएमआई अस्पताल में गंभीर रूप से घायल आदिवासी युवती का नाम बदल कर बिना पुलिस को सुचना दिये इलाज कराया जा रहा था, वह कार्यरत चार अन्य आदिवासी युवतियों ने मिल प्रबन्धन के शोषण युक्त काम का आरोप लगाया है,  बसंती के परिजनों ने मिल प्रबन्धन को बसंती की मौत का जिम्मेदार ठहराया है, आदिवासी युवतियों से कोल्हू की बैल की तरह काम कराया जाता था | इसके  बाद भी धमतरी जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की नजरो में शरदा राईस मिल प्रबन्धन जिम्मेदार नहीं ?
         बसंती की मौत की पूरी जिम्मेदार शारदा राईस मिल प्रबधन है लेकिन अभी तक शरदा राईस मिल प्रबधन के खिलाफ किसी प्रकार का कोई कर्यवाही नहीं हुआ है एक आदिवासी युवती का शारदा मिल प्रबन्धन के शोषण कर्यो और नियम विरुद्ध कार्य कराने के चलते मौत हो गई है | उसके बाद भी धमतरी जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन आख कान मूंदे बैठी है| शारदा राईस मिल प्रबन्धन के खिलाफ कार्यवाही करने में धमतरी पुलिस प्रशासन के हाथ-पाँव पुल रहे है रसूखदार व्यापारी के नेताओं के गठ जोड़ के चलते मिल प्रबंधन के ऊपर अभी तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है | 
  शारदा राईस मिल के चंगुल से गाव लौटी युवतियों के अनुसार मिल प्रबंधन द्वरा रात –दिन उनसे काम लिया जाता था और मजदूरी भी मात्र 80  रूपया दिया जाता था, रहने के लिए वही मिल में है दिया गया था, जहा उनकी अस्मित्ता को खतरा था खाने का व्यवस्था भी वो 80 रूपये के मजदूरी से पूरा किया करते थे, जब भी वो घर जाना चाहते थे मिल प्रबंधन द्वारा उन्हें जाने नहीं दिया जाता था,डरी-सहमी आदिवासी युवतियाँ दिन रात एक कर कम मजदूरी में काम किया करती थी| 
  अभी तक मिल प्रबन्धन के खिलाफ किसी प्रकार की कर्यवाही न होना पुलिस को कठघरे में खडा करती है, मिल प्रबन्धन के ऊपर पुलिस मेहरबान साबित हो रही है, वही श्रम नियमो को ताक में रख कर लडकियों से काम लिया जाता था श्रम विभाग भी पुरे मामले में चुप्पी साधे बैठा है| 
सर्व आदिवासी समाज ने की थी बसंती की  मौत की जाँच की मांग 
सर्व आदिवासी समाज द्वारा बसंती की मौत को  प्रबंधन की लापरवाही और शोषण के कार्यो को दोषी ठहराते हुए मौत की जांच की मांग की गई थी, समाज के जांच की मांग को भी धमतरी जिला प्रशासन ने नाकर दिया है अभी तक किसी प्रकार की कर्यवाही नहीं की गई है जिससे सर्व आदिवासी समाज में काफी नाराजगी है और जल्द ही कड़े फैसले लेने का निर्णय लिया जा रहा है | 
अब भी बस्तर की युवतिया प्रदेश के राईस मिलो में..
जानकारी हो की बस्तर की आदिवासी लडकिया अभी भी प्रदेश के अनेक राईस मिलो में काम के बहाने शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किये जा रहे है उनका शोषण किया जा रहा है, उन्हें बहला-फुसला कर शहरो की अंधी गलियों में धकेला जा रहा है जहा उनका काम के बहाने शोषण किया जा रहा है|  जिन्दगी हर तरह की यातना की जीती-जागती तस्वीर बनकर रह जाती है। क्या आदिवासी बालाओं का पलायन और शोषण इसी तरीके से होता रहेगा?  वे आदिवासी जो कभी अपने मेहनत और परिश्रम से जंगलों, पहाड़ों और पेंड़-पौधों को काँट-छाँट कर अपने रहने लायक बनाया, खेत बनाया, जगह-जगह गाँव और शहर बसाया। आज वे ही लोग इतने बेबस और लाचार हो गये हैं, जो दो जून की रोटी जुटाने के लिए अपनी मान-मर्यादा का ख्याल रखे बिना किसी दूसरे जगह में पलायन कर रहे हैं, और अपने साथ-साथ पूरे आदिवासी समाज के ऊपर मटिया पलित कर रहे हैं। कैसे माँ-बाप हैं वे लोग, जो लड़की पैदा करने के बाद कर्तव्य की अनदेखी करते हुए अपनी फूल से बेटी को मुरझाने के लिए अंधी गलियों में फेक देते हैं।
मनोज मंडावी, विधायक भानुप्रतापपुर 
बस्तर के आदिवासी बालाओ को बहला फुसला कर ज्यादा पैसे का लालच देकर प्रदेश के अनेक राईस मिलो में शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, इसे हम हरगिज नहीं सहेंगे मिल प्रबन्धन के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की गई है | भाजपा सरकार में आदिवासी सुरक्षित नहीं नहीं है| 

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