Follow palashbiswaskl on Twitter

ArundhatiRay speaks

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Wednesday, July 29, 2015

याकूब की फांसी बरकरारः अब से 14 घंटे बाद नागपुर जेल याकूब को दी जाएगी फांसी, याचिका खारिज!

याकूब की फांसी बरकरारः अब से 14 घंटे बाद नागपुर जेल याकूब को दी जाएगी फांसी, याचिका खारिज!

Reporter ArunKumarRTI NEWS




नई दिल्ली: 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले में मौत की सजा पाने वाले याकूब अब्दुल रजाक मेमन की फांसी की सजा बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को याकूब मेमन की याचिका को खारिज कर दिया और उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा। वहीं, मेमन की क्‍यूरेटिव पेटिशन पर दोबारा सुनवाई के लिए भी शीर्ष कोर्ट ने खारिज कर दिया। इस याचिका पर अब दोबारा सुनवाई नहीं होगी। शीर्ष कोर्ट ने अपनी टिप्‍पणी में कहा कि डेथ वारंट को सही बताते हुए कहा कि याकूब को कल ही फांसी होगी। अब गुरुवार सुबह सात बजे नागपुर जेल में मेमन को फांसी दी जाएगी। उधर, महाराष्‍ट्र के राज्‍यपाल विद्यासागर राव ने भी याकूब की दया याचिका को आज खारिज कर दिया।

साल 1993 में हुए मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी को लेकर सस्पेंस खत्म हो गया है. 30 जुलाई को फांसी टालने की याकूब की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट के फैसले के बाद अब यह तय हो गया है कि याकूब को फांसी 30 जुलाई को ही सुबह 7 बजे होगी.


सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है क्यूरेटिव याचिका पर दोबारा सुनवाई नहीं होगी. इस तरह याकूब फांसी के फंदे के बेहद करीब आ गया है.

गवर्नर ने खारिज की दया याचिका
इस बीच, महाराष्ट्र के गवर्नर ने याकूब मेमन की दया याचिका खारिज कर दी है. याकूब ने राष्ट्रपति के पास भी दया याचिका भेजी थी, जिस पर फैसला आना बाकी है.

अदालत से नहीं मिली राहत
याकूब की याचिका पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की. इससे पहले, मंगलवार को याकूब की याचिका पर जस्टि‍स एआर दवे और जस्ट‍िस कुरियन जोसेफ के बीच मतभेद हो गया था, जिसके बाद मामला चीफ जस्ट‍िस को भेजा गया. बुधवार को लंच के पहले याकूब के वकील राजू रामचंद्रन ने बेंच के सामने अपना पक्ष रखा. उसके बाद अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बहस शुरू की. रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि याकूब ने मौत की सजा पाने वाले अपराधियों को दी जाने वाली सारी स्थितियां आजमा ली हैं और उसकी सजा हर स्तर पर बरकरार रखी गई, ऐसे में अब इस दया याचिका का कोई तुक नहीं बनता.

जानकारी के मुताबिक, जस्ट‍िस दवे ने जहां 30 जुलाई के लिए जारी मौत के वारंट पर रोक लगाने से इनकार किया, वहीं न्यायमूर्ति कुरियन ने कहा है कि मृत्युदंड क्रियान्वित नहीं होगा. इन सब के बीच अब सीबीआई के एक पूर्व अधिकारी ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि याकूब को भारत लाने के पीछे सीबीआई का अहम किरदार था और संस्थान ने उसे सुरक्षा का भरोसा दिया था!

Live Update...

लाइव अपडेट-

  • महाराष्ट्र सरकार के वकील का कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने डेथ वारंट को सही माना.

  • याकूब के भाई ने मीडिया से बात करने से इनकार किया, कहा- उन्हें अदालत पर पूरा यकीन ह

  • सुप्रीम कोर्ट का फांसी पर रोक लगाने से इनकार, कोर्ट ने डेथ वारंट को सही माना

  • महाराष्ट्र के डीजीपी मुख्यमंत्री से मिलने विधानसभा पहुंचे

  • महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने याकूब मेमन की दया याचिका खारिज की

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन पर दोबारा सुनवाई नहीं होगी, डेथ वारंट पर चंद मिनट में होगा फैसला

  • लंच बाद दोबारा सुनवाई शुरू, अब फैसला लिखा जा रहा है

  • अटॉर्नी जनरल की दलीलें पूरी, याकूब के वकील राजू रामचंद्रन अब जवाब दे रहे हैं.
     

  • सरकार के वकील की दलील: क्यूरेटिव सिर्फ रेरेस्ट ऑफ़ रेयर केस में सुनी जा सकती है इस केस में ऐसा कुछ था ही नहीं. 30 अप्रैल को डेथ वारंट पर साइन हुआ जबकि सरकार के वकील की दलील:राष्ट्रपति ने पिछले साल 11 अप्रैल 14 को दया याचिका खारिज की थी. लिहाज़ा 1 साल से ज़्यादा का वक़्त दिया गया. आखिर जज कितना इंतज़ार करते.

  • सरकार के वकील की दलील: कानूनी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है अब इस केस में कुछ नहीं बचा है फाँसी तो होनी ही है किसी न किसी दिन
     

  • सरकार के वकील की दलील:14 दिन की जानकारी की बात : राष्ट्रपति ने पिछले साल दया याचिका खारिज की तो इस लिहाज़ से साल भर से ज़्यादा का वक़्त मिला
     

  • याकूब मेमन पर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई लंच तक के लिए रोक दी गई है. क्यूरेटिव पिटीशन पर दोबारा सुनवाई हो या न हो इसपर फैसला होना है.

  • याकूब मेमन ने  फैक्स और डाक से नई दया याचिका राष्ट्रपति को भेजी है. राष्ट्रपति याचिका पर सरकार की सलाह से लेंगे फैसला. इसके साथ ही 291 गणमान्य लोगों की अर्जी को भी ध्यान में रखा गया है जिन्होंने याकूब को फांसी न देने की मांग की है.
     

  • याकूब के वकील राजू रामचंद्रन इस वक़्त डेथ वारंट को गलत ठहराने की कोशिश कर रहे हैं. उनका कहना है कि 30 अप्रैल को डेथ वारंट जारी करते वक़्त याकूब को अपनी बात रखने का मौका टाडा कोर्ट ने नहीं दिया. महाराष्ट्र सरकार ने अकेले इस बारे में आदेश जारी करवा लिया. 30 अप्रैल को जारी डेथ वारंट की लिखित सूचना याकूब को 13 जुलाई को दी गई.



तो दूसरा महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी याकूब का फांसी का लंबित याचिका को खारिज कर दिया, वहीं नागपुर सेंट्रल जेल ने कल यानी 30 जुलाई को सुबह 7 बजे याकूब की फांसी का समय मुकर्रर किया गया है।

इसके पहले कोर्ट ने याकूब के वकील की दलील है कि हमारी दया याचिका को खारिज करने या आगे भेजने के बारे में राज्यपाल की तरफ से कोई जानकारी नहीं मिली है। उधर, अटॉर्नी जनरल ने दलील दी कि इसमें कोई शक नहीं है कि मौत की सजा पर अमल होना है वह इस तारीख पर हो या किसी और तारीख पर। दोषी को न्यायिक प्रक्रिया के इस्तेमाल का पूरा मौका मिला। डेथ वारंट की तारीख का मुद्दा मीन-मेख निकालने वाली बात है।

जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में जस्टिस प्रफुल्ल सी पंत और जस्टिस अमिताव राय की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है।

1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन ने फांसी की सजा से एक दिन पहले फिर राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी है। 2014 में याकूब के भाई ने भी दया याचिका दी थी, जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था।

इससे पहले कल की सुनवाई में जस्टिस कूरियन और जस्टिस दवे की राय अलग-अलग होने के चलते मामले को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया गया था।

मंगलवार की सुनवाई के दौरान जस्टिस दवे ने कहा कि याकूब की याचिका में कोई आधार नहीं है। वहीं जस्टिस कूरियन ने फांसी पर स्टे लगाते हुए क्यूरेटिव पिटीशन को आधार बनाकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट से याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन में गंभीर चूक हुई है और तकनीकी खामी की वजह से किसी की जिंदगी को दांव पर नहीं लगाया जा सकता।

याकूब ने अपनी याचिका में कहा था कि उसे फांसी नहीं दी जा सकती, क्योंकि टाडा कोर्ट का डेथ वारंट गैरकानूनी है। याकूब के मुताबिक, उसकी पुर्नविचार याचिका खारिज होने के बाद डेथ वारंट जारी कर दिया गया, जबकि उसकी क्यूरेटिव याचिका कोर्ट में पेंडिंग थी। ऐसे में डेथ वारंट जारी करना गैरकानूनी है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे एक जज ने सवाल उठाते हुए कहा था कि याकूब की क्यूरेटिव पिटिशन की सुनवाई में उन्हें शामिल क्यों नहीं किया गया। याकूब के समर्थन में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने भी याचिका दाखिल कर उसकी फांसी पर रोक लगाने की मांग की है।

दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने याकूब का डेथ वारंट जारी कर दिया, जिसके लिए 30 जुलाई का दिन तय किया गया है।

ऐसे में क्यूरेटिव से पहले डेथ वारंट जारी करना गैर-कानूनी है, नियमों और कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसके लिए 27 मई 2015 के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला दिया गया है। इसके लिए शबनम जजमेंट का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया कि डेथ वारंट सारे कानूनी उपचार पूरे होने के बाद जारी होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने शबनम और उसके प्रेमी का डेथ वारंट को रद्द किया था। कोर्ट ने दोनों की फांसी को 15 मई को बरकरार रखा था और छह दिनों के भीतर 21 मई को डेथ वारंट जारी हुआ था। 27 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस डेथ वारंट को रद्द कर दिया था।

2010 में अपने परिवार के सात लोगों की हत्या में फांसी की सजायाफ्ता शबनम और सलीम पुनर्विचार, क्यूरेटिव और दया याचिका से पहले ही डेथ वारंट जारी कर दिया गया था।


याक़ूब केस : कब क्या हुआ
-1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट का दोषी
-साज़िश में शामिल होने, मदद का दोषी
-2007 : टाडा कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई
-21 मार्च 2013 : फांसी पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर
-अप्रैल 2014 : राष्ट्रपति ने दया याचिका ठुकराई
-10 अप्रैल: SC ने पुनर्विचार याचिका खारिज की
-29 अप्रैल 2015 : टाडा कोर्ट से डेथ वारंट जारी  
-30 जुलाई को फांसी की तारीख तय
-मई 2015: याक़ूब ने क्यूरेटिव पिटीशन दिया
-21 जुलाई 2015: क्यूरेटिव पिटीशन ख़ारिज  
-23 जुलाई 2015: SC में डेथ वारंट को चुनौती
-क्यूरेटिव पिटीशन पर फ़ैसले से पहले वारंट
-27 जुलाई को याक़ूब की अर्ज़ी पर सुनवाई
-28 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट में जजों की बेंच बंटी
-तीन सदस्यों की नई बेंच गठित 

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments: