Follow palashbiswaskl on Twitter

ArundhatiRay speaks

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Monday, July 6, 2015

अगर स्टेट ही टैरर में बदल जाये तो आप क्या करेंगे

अक्षय नहीं रहा : खबरों में जिन्दगी जीने के जुनून में डोर टूटी या तोड़ी गई ?

अगर स्टेट ही टैरर में बदल जाये तो आप क्या करेंगे

अगर स्टेट ही टैरर में बदल जाये तो आप क्या करेंगे। मुश्किल तो यही है कि समूची सत्ता खुद के लिये और सत्ता के लिये तमाम संस्थान काम करने लगे तब आप क्या करेंगे। तो फिर आप जिस तरह स्क्रीन पर तीन दर्जन लोगों के नाम, मौत की तारीख और मौत की वजह से लेकर उनके बारे में सारी जानकारी दे रहे हैं उससे होगा क्या। सरकार तो कहेगी हम जांच कर रहे हैं। और रिपोर्ट बताती है कि सारी मौत जांच के दौरान ही हो रही हैं। इस अंतर्विरोध को भेदा कैसे जाये या यह सवाल उठाया कैसे जाये कि जांच सरकार करवा रही है। जांच अदालत के निर्देश पर हो रही है। जांच शुरु हो गई तो सीएम कुछ नहीं कर सकते। लेकिन जांच के साथ सरकार ही घेरे में

अक्षय-खबरों में जिन्दगी जीने के जुनून में डोर टूटी या तोड़ी गई ?

"आज तक" के विशेष संवाददाता अक्षय सिंह

आ रही है । एसाईटी और राज्य पुलिस किसी न किसी मोड़ पर टकराते ही हैं। एसआईटी से जुडे अधिकारी रह तो उसी राज्य में रहे हैं, जहां मौतें हो रही हैं। और हर मौत के साथ राज्य की पुलिस को तफ्तीश करनी है । और इसी दायरे में अगर तथ्यों को निकलना है तो कोई भी पत्रकार किस तरह काम कर सकता है। पत्रकार को उन हालातों से लेकर मौत से जुड़े परिवारो के हालातों को भी समझना होगा । सामाजिक-आर्थिक परिस्थियों को भी उभारना होगा ।

और अगर हर मौत राज्य के कामकाज पर संदेह पैदा करती है तो फिर उन दस्तावेजों का भी जुगाड़ करना होगा जो बताये कि मौत के हालात और मौत के बाद राज्य की भूमिका रही क्या। दिल्ली से देखें तो लगता तो यही है कि राज्य के सारे तंत्र सिर्फ राज्य सत्ता के लिये काम कर रहे है यानी सारे संस्थानों की भूमिका सिर्फ और सिर्फ सत्ता के अनुकूल बने रहने की है। तो फिर ग्राउंड जीरो पर जाकर उस सच के छोर को पकड़ा जाये। लेकिन सच इतना खौफनाक होगा कि ग्रांउड जीरो पर जाने के बाद अक्षय खुद ही मौत के सवाल के रुप में दिल्ली तक आयेगा। यह हफ्ते भर पहले की बातचीत में मैंने भी नहीं सोचा। क्योंकि व्यापम में 42वीं और 43वीं मौत के बाद के बाद अक्षय के सवाल ने मुझे भी सोचने को मजबूर किया था कि क्या कोई रिपोर्ट इस तरीके से तैयार की जा सकती है जहां स्टेट टेरर और स्टेट इनक्वायरी के बीच सच को सामने लाने की पत्रकारिता की चुनौती को ही चुनौती दिया जाये।


काफी लंबी बहस हुई थी और अक्षय ने यह सवाल उठाया कि जब हम दिल्ली में बैठकर मध्यप्रदेश के व्यापम की चल रही जांच के दौर में लगातार हो रही संदेहास्पद मौतो पर रिपोर्टिंग को लेकर चर्चा कर रहे हैं तो क्या यह सवाल मध्यप्रदेश के पत्रकारो में नही उठ रहा होगा। और अगर उठ रहा होगा तो क्या सत्ता इतनी ताकतवर हो चुकी है जहां रिपोर्टर की रिपोर्ट सच ना ला पाये। या वह सच के छोर को ना पकड़ सके।

अक्षय याद करो यही सवाल राडिया टेप के दौर में भी तुमने ही उठाया था। और मुझे याद है रात में "बड़ी खबर" करने से ऐन पहले एंकर ग्रीन रुम में मुझे देखकर तुमने पहली मुलाकात में मुझे टोका था कि आप तो पाउडर भी नही लगाते तो फिर आज यहां। मैंने कहा बाल संवारने आया हूं। और उसके बाद तुम्हारा सवाल था कि क्या आज राडिया टेप में आये पत्रकारो का नाम "बड़ी खबर" में दिखायेंगे। और मैंने कहा था। बिलकुल। तब तो देखेंगे। और उस वक्त भी तुमने ही कहा था पत्रकार भिड जाये तो सच रुक नहीं सकता। आज "बड़ी खबर" देखते हैं और "जी बिजनेस" वालों को कहते हैं आप भी देखो। और मैंने कहा था तो पत्रकार यह सोच लें कि खबर उसके इशारे पर रुक जायेगी या दबा दी जायेगी तो संकेत साफ है या तो रिपोर्ट दबाने वाला शख्स पत्रकार नहीं, सिर्फ नौकरी करने वाला है या फिर स्टेट ही टैरर में तब्दील हो चुका है। और मुझे लगता नहीं है कि मौजूदा दौर पत्रकारिता को दबा पाने में सक्षम है

दरअसल अक्षय से संवाद हमेशा तीखा और सपाट ही हुआ। चाहे जी न्यूज में काफी छोटी-मोटी मुलाकातों का दौर रहा हो या आजतक में कमोवेश हर दिन आंखों के मिलने पर किसी खबर को लेकर इशारा या किसी इशारे से खबरों को आगे बढ़ाने का इशारा। जो खबर दबायी जा रही हो। जिस खबर को सत्ता दबाना चाहती हो। जो सत्ता के गलियारे से जुड़ी खबर हो उस खबर को जानना और दिखाने का जुनून अक्षय में हमेशा में था यह तो बात बात में उसकी जानकारी से ही पता लग जाता। लेकिन यह पहली बार उसकी मौत के बाद ही पता चला कि अक्षय खबरों की संवेदनशीलता ही नहीं बल्कि स्टेट टैरर या कहे सत्ताधारियों के उस हुनर से भी सचेत रहता जिससे कवर करने वाली खबरें कही लीक ना हो जायें।

संयोग से अक्षय की मौत की जानकारी उसके परिवार को देने गये तो हम चार पांच सहयोगी थे। लेकिन मुझे ही अक्षय की बहन को यह जानकारी देनी थी कि अब अक्षय इस दुनिया में नहीं रहा। और जैसे ही यह जानकारी उसकी बहन साक्षी को दी, वैसे ही साक्षी के भीतर अक्षय को लेकर पत्रकारिता का वह जुनून फूट पड़ा जिसकी जानकारी वाकई हमे नहीं थी। अक्षय घर में कभी बताकर नहीं गया कि वह किसी स्टोरी को कवर करने जा रहा है। उसने व्यापम को कवर करने की भी जानकारी नहीं दी। मां ने पूछा। तो भी प्रोफेशनल मजबूरी बताकर यह कर टाला कि, हमें जानकारी नहीं देने को कहा जाता है "। अपनी पहचान खुले तौर पर सामने ना आये इसके लिये पहचान भी हमेशा छुपाये रखने के लिये पीटीसी भी नहीं करता। यानी टीवी में काम करते हुये भी अपने चेहरे को स्क्रीन पर दिखाने की कभी कोशिश तो दूर उसके उलट यही कोशिश करता रहा कि स्क्रीन पर न आना पड़े। जिससे खबरों को जुगाड़ने में कभी कही कोई यह ना कह बैठे कि आप तो न्यूज चैनल में काम करते हैं।

और जी न्यूज से डेढ़ बरस पहले आजतक में आने के बाद दीपक शर्मा के साथ जिस तरह की इन्वेस्टिगेंटिग खबरों की तालाश में अक्षय लगातार राजनीतिक गलियारो में भटकता रहा और जिन खबरों को लेकर आया और आजतक पर खुद मैंने उसकी कई खबरों की एंकरिंग की उसमें भी बतौर विशेष संवाददाता भी कभी चैट { चर्चा } करने भी नहीं आया। लेकिन खबर चलने के बाद फोन कर ना सिर्फ खबर के बारे में चर्चा करता बल्कि चर्चा अगली खबर पर शुरु कर देता कि कैसे-किस तरह किस एंगल से खबर के छोर को पकड़ा जाये । और संयोग देखिये मौत की खबर आने से तीन दिन पहले अक्षय का जन्मदिन था और मां-बहन से वादा कर एक्सक्लूसिव रिपोर्ट तैयार करने निकला था कि लौट कर किसी खास जगह पर चलेंगे। वहीं जन्मदिन सेलीब्रेट करेंगे । और बहन साक्षी यह बताते-बताते रो पड़ी कि पिछले बरस भी एक जुलाई को उसे रिपोर्टिंग के लिये बनारस जाना पड़ा, तब भी यह कहकर निकला कि लौट कर जन्मदिन किसी खास जगह जाकर मनायेंगे। लेकिन जन्मदिन कभी मना नहीं और खबरों में जिन्दगी खोजने के जुनून में जिन्दगी की छोर टूटी या या तोड दी गई यह खबर आनी अभी बाकी है ।

पुण्य प्रसून वाजपेयी

(पुण्य प्रसून वाजपेयी की फेसबुक टाइमलाइन से साभार)

No comments: