Follow palashbiswaskl on Twitter

ArundhatiRay speaks

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Thursday, April 9, 2015

दिल्‍ली और आसपास के साथियों से कुछ ज़रूरी बातें, एक हार्दिक अनुरोध और एक आग्रहपूर्ण आमंत्रण

दिल्‍ली और आसपास के साथियों से कुछ ज़रूरी बातें, एक हार्दिक अनुरोध और एक आग्रहपूर्ण आमंत्रण


साथियो,

फासीवाद के साहित्यिक-सांस्‍कृतिक प्रतिरोध पर केन्द्रित पहली गम्‍भीर और सफल विचार-गोष्‍ठी के बाद 'अन्‍वेषा' अपना अगला आयोजन आगामी 10 अप्रैल को अपरान्‍ह 4 बजे से एन.डी.तिवारी भवन (निकट गाँधी शान्ति प्रतिष्‍ठान, दीन दयाल उपाध्‍याय मार्ग, नयी दिल्‍ली) में कर रही है। हमने प्रसिद्ध भाषाशास्‍त्री प्रोफेसर जोगा सिंह विर्क को 'शिक्षा, संस्‍कृति और मीडिया में भारतीय भाषाओं की दुर्दशा और इसके नतीज़े' विषय पर व्‍याख्‍यान के लिए आमंत्रित किया है।
दिल्‍ली और आसपास के सभी साथियों को लम्‍बी मित्रसूची से छाँटकर व्‍यक्तिगत तौर पर आमंत्रण भेज पाना कम समय और विविध व्‍यस्‍तताओं के कारण संभव नहीं हो पा रहा है। इसलिए इस पोस्‍ट के माध्‍यम से सभी साथियों-मित्रों-सहयात्रियों को आयोजन में भागीदारी  का खुला आमंत्रण दे रही हूँ। हमारा पुरजोर आग्रह है कि आप अवश्‍य आयें।
कहने की ज़रूरत नहीं कि शिक्षा, संस्‍कृति और मीडिया में भारतीय भाषाओं की दुर्दशा भारतीय समाज के गम्‍भीरतम ज्‍वलंत मुद्दों में से एक है। अंग्रेजी का लगातार बढ़ता विस्‍तारवाद साम्राज्‍यवाद-पूँजीवाद के वर्चस्‍व (हेजेमनी) का एक उपकरण और उच्‍च मध्‍यवर्गीय अभिजातों के विशेषाधिकारों की प्रमुख सुरक्षा-दीवार बना हुआ है। मातृभाषाओं  में मानविकी एवं विज्ञान की शिक्षा नहीं होने और संचार माध्‍यमों द्वारा भारतीय भाषाओं के विकृतिकरण के कारण स्‍वतंत्र चिंतन एवं तर्कणा का विकास कुण्ठित-बाधित हो रहा है। भाषा-समस्‍या के सभी आयामों पर सोचना और इसे जनान्‍दोलन का प्रश्‍न बनाना ही होगा। इस विषय पर प्रो. जोगा सिंह विर्क के शोध-अध्‍ययनों को न केवल देश में बल्कि अन्‍तरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर मान्‍यता मिली है। उनके शोध पत्र दर्जनों देशी-विदेशी भाषाओं में अनूदित हो चुके हैं। प्रो. विर्क अकादमिक गहराई के साथ ही गहरे सामाजिक सरोकारों के साथ इस सवाल से जूझते रहे हैं, और एक आन्‍दोलनकारी के जज्‍़बे के साथ पूरे देश में यात्राएँ करके भाषा-प्रश्‍न की गम्‍भीरता की ओर लोगों का ध्‍यान खींचते रहे हैं तथा शिक्षा, मीडिया और सांस्‍कृतिक माध्‍यमों में भारतीय भाषाओं की प्राथमिकता एवं संवर्धन के प्रश्‍न को परिवर्तनकामी जनांदोलनों के एजेण्‍डे पर स्‍थान दिलाने की कोशिश करते रहे हैं।
हम आपसे एक बार फिर आग्रह करते हैं कि आप अवश्‍य आयें और प्रो. विर्क के विचारों को सुनने के साथ ही उनके साथ उपयोगी चर्चा में भागीदारी करें।
'अन्‍वेषा' सभी जनपक्षधर, व्‍यवस्‍था-विरोधी, परिवर्तनकामी संस्‍कृतिकर्मियों, मीडियाकर्मियों, साहित्‍यकारों और बुद्धिजीवियों के बीच सार्थक विमर्शों, स्‍वस्‍थ बहसों और विविध सांस्‍कृतिक आयोजनों का सिलसिला आगे निरंतर जारी रखेगी। आपका साथ और सहयोग ही हमारी ताक़त है और हमारे आत्‍मविश्‍वास का आधार है। 

हार्दिक बिरादराना अभिवादन के साथ,
-- कविता कृष्‍णपल्‍लवी
मुख्‍य संयोजक,
'अन्‍वेषा'

No comments: