Tuesday, August 20, 2013

ममता के कड़े एतराज से बांग्लादेश के साथ स्थल सीमा समझौता संविधान संशोधन बिल पेश ही नहीं हो रहा संसद में

ममता के कड़े एतराज से बांग्लादेश के साथ स्थल सीमा समझौता संविधान संशोधन बिल पेश ही नहीं हो रहा संसद में


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आपत्ति की वजह से तिस्ता जल बंटवारे पर भारत बांग्लादेश समझौता लगभग असंभव है जबकि दोनों तरफ से राजनयिक सरगर्मियां तेज हैं।


भारत बांग्लादेश सीमा पर छिटमहल यानी एक दूसरे के इलाके में छूट गये भूखंडों को लेकर जो समस्या है,वह पिछले सात दशकों से अनसुलझी है।भारत और बांग्लादेश बॉर्डर पर करीब तीन लाख जिंदगियां ऐसी हैं जिनकी अपनी कोई पहचान नहीं, कोई नागरिकता नहीं। उन इलाकों को छिटमहल कहते हैं। यानी बांग्लादेश सीमा के भीतर जो भारतीय भूखंड है या भारतीय सीमा के भीतर जो बांग्लादेशी भूखंड हैं,वे देश की मुख्यधारा से अलग नागरिक सेवाओं से वंचित हैं और वहां की आबादी को रोजमर्रे की जिंदगी  संगीनों के साये में गुजारनी होती है।स्वदेश से जुड़ने के लिए जो गलियारे होते हैं, वे अमूमन बंद रहते हैं।ऐसे भारतीय भूखंडों पर रहने वाले भारतीय नागरिक अपने मताधिकार तक का इस्तेमाल नहीं कर पाते।पराये देश के द्वीप सरीखे अपने भूखंड में हमारे ये नागरिक किसी थाने में कोई रपट नहीं लिका सकते जबकि उनके खिलाफ आपराधिक वारदातें आम हैं। इस समस्या के समाधान के लिए दोनों देशों की सहमति से स्थल सीमा समझौता होना है,जिसके लिए संविधान संशोधन विधेयक पास होना अनिवार्य है।


लेकिन दीदी ने देश के संघीय ढांचे का हवाला देते हुए इस विधेयक का विरोध कर दिया,जिसके कारण इसे अल्पमत सरकार की ओर से पास कराना असंभव है।विधेयक संसद में पेश भी नहीं किया जा सका है।


खास बात तो यह है कि छिटमहल को हमेशा सीमावर्ती इलाकों में मुद्दा बनाकर अपना जनाधार बनाने वाली भजपा का समर्थन भी दीदी के साथ है। गौरतलब है कि  तिस्ता जल बंटवारे और छिटमहल मामले में बांग्लादेश में दिए गए विरोधी दल के नेता व राज्य के पूर्व मंत्री सूर्यकांत मिश्रा के बयान को राष्ट्रद्रोह की संज्ञा देते हुए राज्य भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने उन्हें गिरफ्तार कर मुकदमा दायर करने तक की मांग की है। सिन्हा ने कहा कि जिस तरह से सूर्यकांत ने तिस्ता जल बंटवारे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की निंदा की है और इसका विरोध किया है, उससे साबित होता है कि देश और राज्य के हित से ज्यादा उन्हें बांग्लादेश का हित का ध्यान है। तिस्ता जल बंटवारा उत्तार बंगाल के किसानों और आम लोगों के हित में नहीं है, फिर भी इसका वे खुलेआम समर्थन कर रहे हैं। राहुल ने कहा कि विरोधी दल के नेता को अपने राज्य की मुख्यमंत्री की एक दूसरे देश में निंदा नहीं करनी चाहिए, इससे उनकी मानसिकता का पता चलता है। पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने बांग्लादेश के हित को ध्यान में रखते हुए गंगा जल का बंटवारा किया था, जिसके बाद कलकत्ता बंदरगाह को भीषण चुनौतियों का सामना करना पड़ा।


दीदी कामूल आरोप है कि राज्य सरकार को बताये बिना ही केंद्र सरकार जल्दबाजी में यह विधेयक पारित कराना चाहती है जो सीमा का संवेदनशील मामला ही नहीं,बल्कि इससे पश्चिम बगाल के हित भी जुड़े है।यह देश के संघीय स्वरुप का उल्लंघन है।दीदी के तेवर देखते हुए केंद्र को पीछे हटना पड़ा।


यूपीए को अहसास है कि इस मुद्दे पर भाजपा दीदी का साथ देगी और संसद में उसे मुंह की खानी पड़ेगी।


राज्यसभा में इस बिल को पेश कराने की तैयारी की भनक लगते ही नी दिल्ली से तृणमूल सांसद डेरेक को ब्रायन ने सीधे कोलकाता दीदी को फोन लगाया तो दीदी ने तुरत केंद्र से कड़ा ऐतराज जता दिया और स्थल सीमा संविधान संसोधन बिल ठंडे बस्ते में चला गया।राज्यसभा में भी डेरेक और सुखेंदुशेखर की अगुवाई में विधेयक की पेशी का जबर्दस्त विरोध किया तृणमूल सांसदों ने।इस मोर्चाबंदी से विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद को पीछे हटना पड़ा।


विदेशमंत्री ने पोन पर दीदी से बात भी कि लेकिन अभी बर्फ गलने के कोई संकेत हैं नहीं।


गौरतलब है कि भारत बांग्लादेश सीमा विवाद सुलझाने को लिए 16 मई ,1974 को इंदिरा गांदी और मुजीबुर रहमान ने एक समझौते पर दस्तखत किये थे,जिसमें छिटमहल की समस्या सुलझाने पर जोर था।लेकिन करीब तीन दशक बीत जाने के बाद भी उस समझौते का कार्यन्वयन नहीं हुआ है।इस लंबित समस्या को सुलझाने के लिए ही119वां संविधान संशोधन बिल पास कराना चाहती है केंद्र सरकार।



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